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माँ की मस्त चूत गांड चुदाई

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यह कहानी उस समय की है, जब मैं 21 साल का था. हम अपने गांव में रहते थे. मैं मेरे माँ बाप का इकलौता बेटा हू्ँ. गांव में हमारा एक बहुत बड़ा खेत है, जिसमें हम फल और सब्जियां उगाया करते थे. इन सब्जियों को हम पास के बाज़ार में बेच देते थे. इसी से हमारे घर का गुजारा चलता था.
परिवार की आर्थिक हालत अच्छी न होने से मैंने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दी और पिताजी की खेत के काम में मदद करने लगा. दिन भर खेत में काम करने के बाद हम रात को खाना खाकर सो जाते थे.
एक रात गर्मी की वजह से मेरी नींद खुल गयी. अपने बिस्तर से उठकर जब मैं पानी पीने जा रहा था कि मुझे बगल वाले कमरे से कुछ आवाज आ रही थी. मैंने खिड़की से झाँककर देखा तो देखता ही रह गया. मेरी माँ चारपाई पर बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी और मेरे पिताजी माँ की चूत में उंगली कर रहे थे. माँ जोर जोर से आवाजें निकाल रही थी. क्या बदन था मेरी माँ का. मैं अपने जीवन में पहली बार अपनी नंगी माँ को देख रहा था, शीशे जैसा चमकीला बदन, बड़े बड़े चुचे और गुलाबी चूत.
यह सब देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने बाथरूम में जाकर माँ के नाम की मुट्ठी मारी.
उस दिन के बाद से मेरा माँ को देखने का नजरिया बदल गया. मुझे अपनी माँ सेक्सी लगने लगी. जब वो आंगन में झुककर झाड़ू लगाती थी तो मैं उसकी गांड देखकर बेकाबू हो उठता था. ऐसा मन करता था कि उसे पकड़कर जी भर के उसकी गांड मारूं … पर डर के कारण कुछ नहीं कर सका.
अब मेरा काम में मन नहीं लगता था. मैं दिन भर माँ के ख्यालों में खोया रहता था. पिताजी रोज माँ को चोदते थे और मैं रोज उनके नाम की मुट्ठी मारता था. यकीनन मुझे अपने पिताजी से जलन होने लगी कि उनको इतना अच्छा माल चोदने को मिला है.
धीरे-धीरे समय बीतता गया और मेरी माँ को लेकर चाहत बढ़ती चली गयी.

तभी हमारे गांव में एक महामारी फैल गयी और मेरे पिताजी इस महामारी में चल बसे. अब मेरे घर में मैं और माँ ही बचे थे पिताजी की मौत के कारण खेत का काम मेरे सिर पर आ गया. हालांकि अब माँ ने भी मेरा हाथ बंटाना चालू कर दिया. एक दिन हम खेत पर काम कर रहे थे कि माँ की साड़ी का पल्लू झाड़ में अटक गया और मुझे ब्लाउज के ऊपर से उसके चुचे दिखने लगे. यह सब देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया. अब मैंने सोच लिया कि चाहे कुछ हो जाए, मैं माँ को चोदकर ही रहूंगा.
मैंने एक तरकीब सोची. मेरी माँ ताँत्रिक जैसी चीजों में बहुत विश्वास करती है. मैंने इसी बात का फ़ायदा उठाकर एक चलते फिरते बाबा को पटाया और उसे कुछ रुपया देकर अपनी बात समझायी.
अगले दिन ही तांत्रिक हमारे घर पर आया और आवाज देने लगा- बाहर निकल बालिके बाबा आये हैं.
माँ ने आवाज़ सुनी और दौड़कर बाहर गयी- प्रणाम बाबा … धन्य हो गयी मेरी कुटिया जो आप पधारे, कृपा करके अन्दर पधारें.

मेरे बताये अनुसार तांत्रिक कहने लगा- हम यहां बैठने नहीं आये हैं, तेरे परिवार पर घोर विपदा आने वाली है. यदि इसका निदान नहीं किया तो तेरे बेटे की मृत्यु हो जाएगी.
माँ घबरा गयी और रोने लगी.

तब तांत्रिक ने कहा- रो मत बालिके तेरी परेशानी का हल है मेरे पास, पर तुझे इसके लिये कठिन कष्ट होगा.
माँ ने कहा- आप बस बतायें कि मुझे क्या करना होगा.
तांत्रिक ने कहा- तुझे अपने बेटे से शादी करनी होगी और इसको जीवन भर इसको पति के हर सुख देने होंगे.
माँ चिल्लाकर बोली- यह आप क्या कह रहे हैं. ऐसा कैसे हो सकता है, यह मेरा बेटा है.
तांत्रिक गुस्से में बोला- यदि तूने ऐसा नहीं किया, तो तेरे बेटे की मृत्यु निश्चित है.
माँ डर गयी और बोली- मुझे माफ कर दो बाबा … मुझसे भूल हो गयी, मैं शादी करने के लिये तैयार हूं.
तांत्रिक ने कहा- ठीक है हम कल तुम्हारी शादी करवा देंगे.
यह कहकर तांत्रिक चला गया.

यह सब सुनकर मैं मन ही मन बहुत खुश हो गया कि कल से माँ मेरी हो जाएगी. अगले दिन तांत्रिक ने हमारी शादी करा दी. रात में हमारी सुहागरात थी.
मैं दारू पीकर लौटा तो कमरे का दरवाज़ा बंद था. मैंने दरवाज़ा खोला तो अन्दर का माहौल देखने लायक था, पूरा कमरा फूलों से सजा था. माँ बिस्तर पर दुल्हन की तरह सजकर बैठी थी.
मुझे देखकर वह खड़ी हो गयी और दूध का गिलास मुझे दे दिया और मेरे पैर छूने लगी.
मैंने पूछा- माँ, मेरे पैर क्यूँ छू रही हो?
तो वो बोली- आज से मैं आपकी माँ नहीं आपकी पत्नी हूं. एक पत्नी का काम होता है, पति की सेवा करना, मैं वही कर रही हूं. आप भी आज से मुझे पत्नी कहकर बुलाया करें.

यह सुनकर मैं बेकाबू हो गया, मैंने दूध का गिलास पिया और माँ को अपनी बांहों में भर लिया.
मैंने उसकी गर्दन पर चूमना चालू कर दिया. उसे उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके होंठों को चूसना चालू कर दिया. वह भी जीभ चलाकर मेरा साथ दे रही थी. दस मिनट तक लंबे चुम्बन के बाद मैंने उसकी साड़ी को निकाल फेंका और ब्लाउज को उतार दिया. अब उसके चुचे मेरे सामने थे. मैं उन्हें मुठ्ठी में भरकर दबाने और चूसने लगा. माँ छटपटाने लगी.
फिर धीरे-धीरे मेरा हाथ माँ की चूत के पास तक चला गया. अब माँ की चूत के बाहर बड़ी-बड़ी झांटें थीं. फिर जब मेरा हाथ माँ की झांटों वाली चूत के पास गया, तो माँ ने अपने दोनों पैरों को फैला लिया. अब मेरे साथ ये पहली बार हो रहा था. मैंने अपनी जीभ से चूत चूसने लगा. माँ सिसकारियां ले रही थी.
अब मैंने मेरा 7 इंच का लंड माँ की चूत की फांकों में रख कर धक्का लगा दिया और पूरा लंड चूत में घुसा दिया. माँ की चूत काफी दिन से न चुदने के कारण टाईट हो गई थी. वो हल्के से कराह उठी.
फिर मैंने कस-कसकर अपनी माँ की चूत को अपने लंड से पेलना शुरू किया. अब माँ की चूचियों से अपने आप दूध जैसा कोई रस सा निकलने लगा था. तो मैं माँ की चूचियों का दूध पीते हुए माँ की चूत को पेल रहा था.
इस वक्त माँ को भी बहुत मज़ा आ रहा था और वो मुझे जोश दिला रही थी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… पेलो राजा, मेरे सैयां, चोदो मेरे बलम, फाड़ दो मेरी चूत को राजा.. आहहहह बेटा..
मैं अपने होंठों को माँ के होंठों से सटाकर उनके होंठों को चूसते हुए माँ की चूत को पेल रहा था. मेरी माँ भी नीचे से अपनी गांड को उछाल-उछालकर मेरे लंड से अपनी चूत को चुदवा रही थी. मेरा लंड माँ की चूत को खूब अच्छी तरह से चोद रहा था. माँ भी खूब मस्ती में चिल्लाकर अपनी चूत को चुदवाने लगी थी.
फिर कुछ मिनट के बाद माँ की चूत झड़ गयी लेकिन मेरा लंड अभी भी खड़ा था. मैंने माँ को घोड़ी बनाया और माँ से कहा- माँ, मैं तुम्हारी गांड में अपना लंड पेल दूँ?
माँ की गांड बड़ी और फूली हुई थी, वह बोली- मैंने आज तक कभी गांड नहीं मरवाई.

फिर मैंने किसी तरह से उन्हें समझाकर राज़ी किया और माँ के दोनों चूतड़ को फैलाकर उनकी गांड के छेद को देखने लगा.
माँ की गांड का छेद काफ़ी सिकुड़ा हुआ और कूल्हे उभरे हुए थे. माँ की गांड एकदम गोरे कलर की थी और अब मैं उनकी गांड के छेद को देखकर ललचा गया था और माँ की गांड को अपनी जीभ से चाटने लगा था. माँ भी मेरा सहयोग करने लगी थी और अब तो वो अपने हाथों से अपनी गांड को चीरकर अपनी गांड को फैलाकर चटवा रही थी.

फिर मैंने माँ की गांड में खूब अन्दर तक वैसलीन लगाई और अपने लंड पर भी लगाई और फिर अपने लंड को पकड़ कर माँ की गांड में पेलना शुरू किया. माँ थोड़ी कसमसाई, लेकिन वो भी गांड मरवाने के लिए तैयार थी.
फिर मैंने माँ की गांड के छेद में अपने लंड को ज़ोर से दबाकर घुसाया, तो मेरे लंड का सुपाड़ा वैसलीन की चिकनाई से अन्दर तक घुस गया. लंड घुसते ही माँ जोर से चिल्लाई- मेरी गांड फट जाएगी, बाहर निकाल लो ना.
मैं बोला- माँ कुछ नहीं होगा.

इतना कहने के बाद मैंने ज़ोर से धक्का मारा तो मेरा पूरा लंड माँ की गांड को फाड़कर अन्दर तक घुस गया और फिर मैं धीरे-धीरे अपनी सगी माँ की गांड को मारने लगा. मैं माँ की गांड को कस-कस कर मार रहा था. इस वक्त माँ की कसी हुई गांड में मेरा लंड फँसकर जा रहा था. माँ को दर्द हो रहा था.
कुछ देर बाद दर्द खत्म हो गया. अब धीरे-धीरे माँ को भी मज़ा आने लगा था और वो भी अपनी गांड को मरवाने में मदद करने लगी थी. उनकी मस्त आवाजें निकलने लगी थीं- आह फाड़ दो राजा… और पेलो सैयां, आश ओह, उफ आउच पेलो राजा अपनी माँ की गांड को, चोदो मेरी चूत को राजा, अपने मोटे लंड से अपनी माँ की गांड को मारो राजा और कसकर मारो बेटा, आह उह.
मैं भी अपनी माँ की गांड को अपने मोटे लंड से पेल रहा था और माँ की टाईट गांड को ढीला कर रहा था.
फिर मैं बोला- माँ मेरी जान तुम्हारी गांड मारने में बड़ा मज़ा आ रहा है … बड़े मस्त चूतड़ है तुम्हारे.
माँ भी मस्त थी.

अब मेरा लंड झड़ने वाला था, तो मैंने झट से माँ की गांड से अपना लंड बाहर निकाला और माँ के मुँह में डाला और उनके मुँह में ही झड़ गया. माँ मेरे लंड का पूरा रस पी गई.
अब मैं माँ को रोज चोदता हूँ, हमारा एक बेटा भी हो गया है.

मॉम ने सिखाई कामुकता की मधुर परिभाषा

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अन्तर्वासना पर कामुक कहानियाँ तो आप लोगों ने बहुत पढ़ी होंगी. मगर आज कामुकता की जो परिभाषा मैं आपको देने जा रहा हूँ, वह शायद ही आपने इससे पहले कभी कहीं पढ़ी हो. यह कहानी मेरी कामुकता की जीवनमाला के समान है जिसका हर एक शब्द रूपी मोती मैंने अपने निजी अनुभव के समंदर से छांटकर निकाला है. उम्मीद है आपको यह मधुर कहानी पसंद आएगी.

दोस्तो, आज मैं आपको अपने जीवन की कहानी सुनाना चाहता हूँ। मेरी कहानी सुन कर आप भी सोचेंगे कि शायद मेरी जैसी किस्मत आपको भी मिलती। सच में मेरी जितनी खुशनसीबी किसी को नहीं मिलती।
जब मैं स्कूल में पढ़ता था, तब एक दोस्त ने मुझे बताया कि जिसके लंड पर तिल होता है, उसको बेइंतेहा चुदाई का मौका मिलता है। मेरे लंड पर कोई तिल नहीं है, कहीं पर भी नहीं। मगर फिर भी जितनी चुदाई मैंने की है, शायद ही किसी ने की हो। आप जैसे-जैसे मेरी कहानी पढ़ते जाएं, तो आप अपने साथ मेरी तुलना करते जाएँ, आपको पता चलता जाएगा, कि आप ज़्यादा बड़े चोदू हैं या मैं!
तो लीजिए पढ़िए मेरी जीवन कथा:

मुझे जो बात अपने जीवन में सबसे पहले सेक्स से सम्बन्धित याद आती है, वो है अपनी माँ के बारे में। मैं बहुत छोटा था, तब एक रात मेरी नींद खुल गई, मैं उठ गया और बाथरूम में जाकर सुसू करने लगा। जब मैं सुसू करके आया तो देखा कि माँ मामाजी के कमरे में जा रही थी। उनके कमरे की बत्ती जल रही थी.
मैंने खिड़की से आँख लगा कर देखा तो हैरान रह गया, माँ और मामाजी दोनों ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये और देखते ही देखते वो दोनों बिल्कुल नंगे थे। फिर दोनों ने कस कर एक दूसरे को अपनी बांहों मे ले लिया, और एक दूसरे को पागलों की तरह चूमने लगे।
मुझे बहुत गुस्सा आया कि माँ मामा जी के साथ क्या कर रही है।

बेशक मैं छोटा था, पर इतना तो पता ही था कि यह काम मम्मी और पापा करते हैं, न कि माँ और मामाजी। उसके बाद न जाने क्यों मैं अक्सर इस बात का ख्याल रखता कि माँ और मामाजी क्या करते हैं। और माँ पापा के साथ वो सब क्यों नहीं करती।
जब भी माँ और पापा के बीच कोई बहस होती, माँ हमेशा एक ही ताना मारती- किसी लायक भी हो?
तब मैं इस बात को नहीं समझ पाता था कि ये लायक क्या होता है. आज समझ पाया हूँ कि पापा सेक्स के मामले में मम्मी के लायक नहीं थे, इसीलिए मम्मी ने अपने जिस्म की भूख मिटाने के लिए अपने ही भाई को चुना।
शायद इसलिए कि उनका काम भी बन जाएगा और घर की बात घर में ही रह जाएगी. बाहर किसी को भी पता नहीं चलेगा। पापा और मेरे बीच में भी कोई ख़ास प्यार नहीं था, पापा के लिए मैं सिर्फ एक ज़िम्मेदारी था।

घर का सारा काम पापा करते थे। अपनी जॉब पर जाने से पहले और वापस आने के बाद भी। मॉम सिर्फ अपनी खूबसूरती पर और अपने नए-नए बन रहे दोस्तों पर ही अपना सारा समय बिताती। जब मामाजी की शादी हो गई, तो मामाजी का आना-जाना हमारे घर कम हो गया. मम्मी के दोस्तों का आना-जाना बढ़ गया।
अब दोस्त लोग आ रहे थे, तो घर में अक्सर शराब और सिगरेट के साथ नॉन वेज सब कुछ चलने लगा। पर अक्सर ये सब तब होता, जब मैं स्कूल में और पापा ऑफिस में होते।

मगर एक दिन जब मैं स्कूल से किसी वजह से जल्दी घर वापस आ गया तो देखा कि घर में टेबल पर शराब, मीट, सिगरेट भरे पड़े थे, जब बेडरूम में देखा तो मॉम बेड पर बिल्कुल नंगी लेटी पड़ी थी और दो लड़के, एक 20-22 साल का और दूसरा उस से कुछ बड़ा, दोनों नंगे, मॉम के साथ सेक्स करने में लगे थे। मॉम नशे में बिल्कुल बेसुध थी, उन्हें कुछ पता नहीं चल रहा था कि उनके साथ क्या हो रहा है।
थोड़ी देर बाद वो लड़के चले गए। मैंने ही घर मे सारी साफ सफाई की. फिर बेडरूम में जाकर देखा, मॉम अभी भी उसी तरह बेसुध, नंगी लेटी थी। मैंने उनके ऊपर चादर डाली और फिर अपना खाना खाकर पढ़ने बैठ गया।
शाम को पापा आए. मैंने पापा से बात करने की कोशिश की मगर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं पापा से क्या कहूँ। जो कुछ भी मैंने पापा से कहा, पता नहीं पापा समझे या समझ कर भी अन्जान बन गए।
मगर बात वहीं की वहीं रही।

अब तक तो मैं अपनी मॉम को सैकड़ों बार नंगी देख चुका था। मुझ पर भी जवानी चढ़ने लगी थी, बहुत बार मॉम के पेट से मैंने गोंद जैसा गंदा सफ़ेद पानी साफ किया था, कई बार उनके मुंह पर भी यही सफ़ेद पानी गिरा होता।
मॉम को पता था कि मैं ही घर पहले आता हूँ और मैंने ही हमेशा उनकी बेहोशी में उनके नंगे जिस्म को ढका था, तो वो जानती थी कि मैंने उनको नंगी देखा था, मगर मॉम ने इसको बहुत आम बात की तरह लिया।
वो अक्सर कहती- तुम अब बड़े हो गए हो, तुम्हारी अब कोई गर्ल फ्रेंड होनी चाहिए।
मगर मुझे तो अपनी माँ से प्यार हो गया था, मैं तो अपनी क्लास की या आस-पड़ोस की किसी भी लड़की को नहीं देखता था।

एक दिन मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया कि लंड को कैसे फेंटते हैं। दरअसल उसने मुझे मुट्ठ मारने का तरीका बताया था।
वैसे तो मैं अपने किसी भी दोस्त को अपने घर नहीं लाता था, क्योंकि सबके सब मेरी मॉम के खूबसूरत होने की बहुत बात करते थे, मैं जानता था, सब साले ठरकी हैं, इसलिए दोस्ती घर के बाहर ही रखता था।

मगर उस दोस्त ने जब मुझे मुट्ठ मारने का तरीका बताया, और यह भी बताया कि मुट्ठ मारने के बाद क्या होता है, कैसा होता है। मुझे भी बड़ी उत्सुकता हुई।
एक दिन शाम को मैं फ्री था।

पापा किचन में खाना बना रहे थे और मॉम फोन पर किसी से बात कर रही थी। मैं बाथरूम में गया और पेशाब करते-करते मुझे अपने दोस्त की बात याद आई तो मैं वैसे ही अपने लंड को सहलाने लगा। मुझे मज़ा आने लगा तो मैं और फेंटने लगा।
मैं पूरी मस्ती में अपने लंड को फेंट रहा था, तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला और मैं एकदम से डर गया, सामने देखा तो मॉम खड़ी थी और मेरी तरफ देख रही थी। उन्होने मेरे खड़े लंड को भी देख लिया।

“क्या कर रहा था?” उन्होंने पूछा।
“कुछ नहीं मम्मी” मैंने कहा और पलट गया।
वो अंदर आई, और मुझे अपनी तरफ घुमा कर मेरी शर्ट ऊपर उठाई, मेरी निक्कर से मेरा लंड अभी भी बाहर था। उन्होने मेरा लंड पकड़ लिया और उसको अपने हाथ से हिला कर बोली- इस काम का कोई फायदा नहीं मेरे बच्चे, अगर तू आज हाथ से करेगा, तो कल तेरी बीवी किसी और से चुदेगी। इसलिए हाथ से कभी मत करना, जब भी दिल करे मेरे पास आना, मेरे साथ जो करना चाहो, कर लो, मैं तुम्हारी दोस्त हूँ, माँ नहीं।

इतना कह कर वो नीचे बैठी, मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा और उसकी चमड़ी पीछे हटाने की कोशिश की. मगर मेरे लंड की चमड़ी पीछे नहीं हटी तो उन्होंने कहा- अभी तो तेरी सील भी नहीं टूटी मेरे लाल और तू मुट्ठ मार कर अपनी सील तोड़ना चाहता है। इसकी सील तू नहीं, मैं तोड़ूँगी।
यह कह कर वो मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।
“अरे वाह!” मैंने सोचा- इसमें तो हाथ से करने से भी ज़्यादा मज़ा है।

थोड़ा सा चूस कर माँ चली गई। और उसके बाद मैंने कभी अपने लंड को हाथ नहीं लगाया क्योंकि जो मज़ा चुसवाने में आया, वो तो हाथ से करने में था ही नहीं।
अगली ही रात माँ अपने कमरे में बैठी टीवी देख रही थी और पापा अपने कमरे में थे। मैं माँ के पास गया। नीले रंग के गाउन में बहुत मस्त लग रही थी।
मैंने माँ से कहा- माँ, कल जो तुमने अपने मुंह से किया था, मुझे बहुत अच्छा लगा।
मॉम ने मेरी तरफ देखा और मुस्करा कर बोली- फिर से करवाना है?
मैंने हाँ में सिर हिलाया.

तो मॉम ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने बेड पर बुलाया और अपने साथ लेटा लिया। मुझे लेटा कर वो मेरी तरफ घूम कर अपनी बगल लेट गई। उनके गाउन के गले से उनका बड़ा सा क्लीवेज दिख रहा था. गोरे, चिकने मस्त मम्मे … जिन्हें मैंने उनकी बेसुधी में बहुत बार देखा था.
मगर आज शायद मैं उन्हे पहली बार उनके पूरे होश में देखकर दबा और चूस पाने के सपने देख रहा था।

मॉम ने मुझसे कहा- अब तू जवान हो गया है और अब तेरी ये लुल्ली …
कहते हुए उन्होने मेरी लुल्ली को छुआ- अब लंड बन रही है। तो अब तुझे इसका ख़ास ख़याल रखना है।
और मॉम ने मेरे पजामे का नाड़ा खोला और मेरा पजामा और चड्डी दोनों उतार दिये।

उस वक़्त मेरी थोड़ी-थोड़ी झांट आ चुकी थी, सीने पर भी बाल आने लगे थे।
मॉम ने मेरी लुल्ली को अपने हाथ मे पकड़ा और हिलाने लगी। पता नहीं उसके हाथ में क्या जादू था, ज़रा सा छूने से ही मेरी लुल्ली पूरी तन गई।
मॉम देख कर हँस पड़ी- देखा, कैसे लुल्ली से लंड बन गई है ये!
और फिर मॉम ने उसे अपने मुंह में ले लिया और लगी चूसने।
चूसते-चूसते वो उसे ऊपर नीचे भी कर रही थी।

पहले जब मैंने अपने हाथ से किया तो उसमें इतना मज़ा नहीं आ रहा था, मगर मॉम के द्वारा करने से तो बेइंतेहा मज़ा आ रहा था।
मॉम ने मेरे लंड को ऊपर नीचे सहलाते हुए उसका पूरा टोपा बाहर निकाल लिया। आज मैंने पहली बार देखा था कि मेरे लंड के अंदर जो बॉल मुझे महसूस होती थी, ऊपर से दिखती थी, वो कैसी होती है।

बड़े प्यार से मॉम मेरे लंड को चूस रही थी। मगर जैसे-जैसे चूस रही थी, वैसे-वैसे वो अपने हाथ से ज़ोर लगा कर मेरे लंड की चमड़ी को और नीचे की तरफ खींच रही थी, इससे मुझे दर्द भी हो रहा था, पर मॉम के हाथ से करने से और उनके चूसने के कारण मज़ा भी बहुत आ रहा था।
मैंने अपना सारा पजामा उतार दिया और अपनी कमीज़ भी उतार दी। एक 18 साल का नौजवान लड़का अपनी 37 साल की खूबसूरत और बहुत ही सेक्सी माँ के सामने बिल्कुल नंगा पड़ा काम की अग्नि में जल रहा था और उसकी ही माँ उसकी काम ज्वाला को शांत कर रही थी।
मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और पता नहीं कब मैंने अपने एक हाथ से मॉम के मम्मे को पकड़ लिया, तो मॉम ने अपने गाउन के आगे के बटन खोल कर अपना बड़ा सा मम्मा बाहर निकाल कर मुझे दिया और कहा- ले खेल इससे …
मैं मॉम के मम्मे जिनको बचपन में पी-पी कर इतना बड़ा हुआ था, आज उनसे ही खेल रहा था, उन्हें दबा-दबा कर अपनी सेक्स की भूख शांत कर रहा था। जब मैं पूरी उत्तेजना में आ गया तो तभी मॉम ने एक ज़ोरदार झटका मारा.
मेरे लंड की सारी चमड़ी पीछे हटा कर मेरे लंड का सारा टोपा बाहर निकाल दिया। मैं दर्द से तड़प उठा और उठ बैठा. मॉम के बदन से अपने हाथ हटा कर मैंने अपना लंड पकड़ लिया, देखा तो उसमें से खून निकल रहा था।
मैंने दर्द से कराहते हुए मॉम से पूछा- मॉम ये क्या किया?
मॉम बोली- घबरा मत, तुझे बच्चे से मर्द बनाया है, तू रुक अभी आती हूँ।

वो किचन में गई और वहाँ से फ्रिज में से बर्फ ले आई। फिर अपने हाथ से मेरे लंड के जख्म पर बर्फ लगाई। थोड़ी देर में खून रुक गया तो मॉम ने फिर से मेरा लंड थोड़ा सा चूसा और बोली-
अब जब ये ठीक हो जाएगा, तब मैं तुम्हें बताऊँगी, आगे क्या करना है और कैसे करना है।

3-4 दिन बाद जब मैं बिल्कुल ठीक हो गया तो मैंने मॉम से कहा- मॉम अब मैं बिल्कुल ठीक हूँ।
मॉम बोली- तो कोई बात नहीं। रात को आना, तब तुम्हारी जवानी का उद्घाटन होगा।
मैं वापस अपने कमरे में आ गया और रात का इंतज़ार करने लगा।

रात को करीब 11 बजे मॉम ने मुझे अपने रूम मे बुलाया तो मैं दौड़ा-दौड़ा गया।
“जी मॉम!” मैंने पूछा।
मॉम बेड पर लेटी थी, महरून कलर के नाइट गाउन में। एक हाथ में व्हिस्की का गिलास, जो उनकी ज़िंदगी थी, और दूसरे हाथ में लंबी सी सिगरेट। सिगरेट मॉम बस कभी-कभी ही पीती थी। मैं उनके सामने जा खड़ा हुआ।
वो बोली- इधर बैठ।
मैं उनके पास बेड पर बैठ गया।

वो थोड़ी उठ कर सीधी हो कर बैठी, मेरी तरफ गहरी नज़र से देख कर बोली- सेक्स करेगा?
मैं तो कब से यही चाहता था, मैंने कहा- येस मॉम।
मॉम ने सिर हिलाया, अपना गिलास मुझे दिया, तब तक मैंने कभी शराब नहीं पी थी, मगर मॉम ने गिलास दिया था तो मैं बिना कुछ सोचे समझे गटागट पी गया. हालांकि मुझे शराब का स्वाद एकदम बेकार लगा, पहली बार पी थी न.. गिलास खाली करके मैंने बेड की साइड टेबल पर रख दिया।

मॉम ने कहा- इधर आ ऊपर!
मैं बेड के ऊपर चढ़ कर उनकी बगल में लेट गया.

महरून नाइटी के गहरे गले से उफन कर बाहर झाँकता उनका मादक हुस्न। मॉम ने ब्रा नहीं पहनी थी, इसलिए उनके निप्पल उनकी नाईटी से भी चमक रहे थे।
मॉम ने सिगरेट का एक कश लिया और मेरे मुंह पर धुआं मार कर सिगरेट भी साइड में रख दी। फिर नीचे झुक कर मेरे गाल पर अपना खूबसूरत हाथ रखा और नीचे झुक कर मेरे होंठों पर एक चुंबन लिया।

कितनी कामुकता थी उनके चुंबन में … जैसे मेरे सारे बदन पर चींटियाँ चल पड़ी। मॉम ने मेरी कमीज़ के बटन खोले, मैंने नीचे से बनियान नहीं पहनी थी, मॉम ने मेरे सीने और मेरे पेट पर अपना हाथ फेरा और मेरे सीने के बीचों बीच अपने गर्म होंठों से एक और चुंबन लिया।
उनकी लिपस्टिक का निशान मेरे सीने पर छप गया। सिर्फ इतने में ही मेरा लंड तन गया। मॉम को तो खैर इस काम का बहुत तजुर्बा था कि किसी भी मर्द को कैसे गर्म करना है. और मैं था बिल्कुल नया खिलाड़ी तो मुझे तो वो कैसे भी इस्तेमाल कर सकती थी।
मॉम ने मेरे सीने से हाथ फेरते हुए पेट से ले जाकर मेरे लंड के ऊपर अपना हाथ रोका।
“अरे ये तो तैयार भी हो गया!” मॉम नशे में बोली।

मॉम ने मेरी निक्कर भी उतार दी और चड्डी भी … मैं बिल्कुल नंगा हो चुका था। मेरा लंड इतना तना हुआ था कि घूम कर मेरे ही पेट को चूम रहा था।
मॉम उठी और बेड पर खड़ी हो गई, उनका एक पांव मेरी कमर के इस तरफ और दूसरा उस तरफ।
उन्होने अपनी नाइटी उठाई और उतार कर साइड में फेंक दी; 5 फुट 6 इंच, दमदार, गरदाए हुए बदन वाली एक भरपूर औरत मेरे ऊपर बिल्कुल नंगी होकर खड़ी थी।

ये मोटे-मोटे मम्मे उनके, सपाट पेट, और नीचे दो मांसल जांघें, संगमरमर की तरह चिकनी। और दोनों जांघों के बीच में उनकी चिकनी साँवली सी चूत, जो न जाने कितने हरामजादों के लंड से चोट खा-खा कर काली सी हो गई थी।
मुझे उनकी चूत के होंठों में गीला-गीला सा भी लगा जैसे कोई पानी सा अंदर से रिस रहा हो। मुझे तो कुछ करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी; मॉम नीचे बैठी और उन्होंने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत पर रखा।

फिर मेरी तरफ देखते हुए मुझे आँख मारी और फिर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगी. पहले मेरे लंड का टोपा उनकी चूत में घुसा। सच में गर्म और मुलायम चूत के छूने से ही मेरा लंड जैसे खिल उठा हो।
तीन चार बार वो ऊपर नीचे हुई और हर बार जब वो नीचे होती तो मेरा लंड और उनकी चूत में घुस जाता। और देखते-देखते ही उनकी चूत के मखमली होंठ मेरे सारे लंड को निगल कर मेरे लंड की जड़ से जा लगे।
मॉम बोली- अभी तू छोटा है न, तो तेरा लंड भी छोटा है, जैसे-जैसे तू बड़ा होता जाएगा, ये भी बड़ा होता जाएगा. फिर देखना एक दिन तू ऐसा शानदार मर्द बनेगा कि जो औरत एक बार तेरा लंड लेगी, वो तेरी गुलाम बन कर न रह जाए तो मुझे कहना। किसी भी औरत को चोदने का तरीका होता है, टेक्नीक होती है, उसकी साइकोलॉजी पढ़ो, वो क्या चाहती है, कैसे चाहती है, फिर उसको उसके ही अंदाज़ मे चोदो। फिर देखो वो कैसे उछल-उछल कर तुमसे चुदवाती है।

मैंने कहा- मॉम मुझे तो कुछ पता नहीं, बस आप ही मुझे बताते जाना।
वो बोली- अरे तू तो मेरी जान है, तुझे तो मैं एक शानदार मर्द बनाऊँगी।

कितनी देर मॉम ने ऊपर बैठ कर मेरी चुदाई की। फिर वो नीचे उतर गई और लेट गई; अपनी टाँगे फैला कर बोली- चल आ, अब तू ज़ोर लगा।
मैंने अपना लंड मॉम की चूत पर रखा और वो गर्म गीली चूत में एक बार में ही फिसल कर घुस गया। मैंने अपनी कमर हिलानी शुरू की तो मॉम ने मुझे कमर एडजस्ट करना बताया।
फिर मैंने उनके बताए अनुसार चुदाई शुरू की और मॉम से पूछा- मॉम, ये जो आदमी हमारे साथ रहता है, जिससे तुमने शादी की है, क्या यह मेरा बाप है?
मॉम बोली- अरे वो साला तो बाप बनने के लायक ही नहीं!
मैंने पूछा- तो मेरा असली बाप कौन है?
मॉम बोली- तेरा बाप असल में तेरा मौसा है। उसने ही मुझसे कहा था कि सुनीता मेरा बच्चा पैदा करो। तो मैंने उसके बीज से तुझे पैदा किया।

मैंने पूछा- मॉम, ये बीज क्या होता है?
मॉम बोली- अभी पता लग जाएगा जब तू झड़ेगा।

मॉम ने मुझसे बहुत सी बातें की, मुझे सेक्स के बारे में बहुत कुछ बताया, मैं उनसे बातें भी कर रहा था और उनको चोद भी रहा था। आज पहली बार मैंने अपनी मॉम के मम्मों को उनके होश में दबाया। मैंने उनको बताया भी कि जब वो दारू पी कर टल्ली होकर सो रही होती थी, तो मैंने बहुत बार उनके मम्मे दबाए थे, उनकी जांघें सहलाई थीं, उनकी चूत को खोल कर देखा था।
मॉम हँस कर बोली- तू क्या समझता है, मुझे पता नहीं? मुझे सब पता है, तभी मैंने तुम्हें आज ये मौका दिया, कि तू अपनी मॉम के साथ वो सब एंजॉय कर सके जो दूसरे लोग करते हैं। अब बता, कैसा लगा?
मैंने कहा- मॉम सच में बहुत मज़ा आ रहा है।

उसके बाद मॉम के कहने पर मैंने ज़ोर-ज़ोर से उनकी चुदाई की और जब मैं इस चुदाई से काँपने लगा तो मॉम बोली- अब तेरे लंड से वीर्य निकलेगा, उससे पहले ही अपना लंड बाहर निकाल लेना.
बस उनके कहते ही मुझे लगा, जैसे बदन से मेरी जान मेरे लंड के रास्ते बाहर निकल रही है। मैंने एक झटके से अपना लंड अपनी मॉम की चूत से निकाला और जैसे ही लंड बाहर निकला एक गाढ़े सफ़ेद पानी की धार बड़े ज़ोर से बाहर को निकली और मॉम के मुंह तक जा गिरी. उसके बाद एक और … एक और … और कितनी बार धार निकली, मैं तो जैसे आसमान में उड़ गया। कितना आनंद, कितना मज़ा।
मेरे लंड से निकले सफ़ेद पानी ने मॉम और आस-पास का बिस्तर भी गीला कर दिया। मैं मॉम के ऊपर ही गिर गया। मॉम ने अपने गाल से मेरे सफ़ेद पानी को अपनी उंगली पर लिया और चाट लिया.
फिर मेरी पीठ ठोक कर बोली- शाबाश मेरे लाल। आज तू मर्द बन गया है। और मेरी बात याद रखना, तू एक दिन इतनी औरतों को चोदेगा, जितनी किसी ने सोची भी नहीं होंगी।

मैं तो कुछ भी बोलने, या करने की हालत में नहीं था. कितनी देर मैं वैसे ही लेटा रहा। फिर मॉम ने मुझे नीचे उतारा और बाथरूम में चली गई। वो अंदर जाकर नहाने लगी, क्योंकि उनका सारा बदन मेरे पहले वीर्य से गंदा हो चुका था। मैं भी उठ कर बाथरूम में चला गया और मॉम के साथ ही नहाने लगा।
मैंने खुद उनके बदन पर शेम्पू लगाया और सारे बदन को अपने हाथों से रगड़ा। मॉम ने मेरे बदन को रगड़ा।
मेरी ज़िंदगी का पहला सेक्स और वो भी मेरी बहुत ही सेक्सी मॉम के साथ। इस बात को आज बीस साल हो चुके हैं। मेरी शादी भी हो चुकी है, मैं और मॉम आज भी सेक्स करते हैं, क्योंकि जो मज़ा मुझे अपनी मॉम के साथ सेक्स करने मे आता है, वो और किसी के साथ नहीं आता।
इसके बाद हमने बहुत सेक्स किया, सिर्फ इतना ही नहीं, मेरी मॉम ने मुझे और भी बहुत सी औरतों के साथ सेक्स करने में मदद की। अपनी बुआ, मौसी, मामी, मौसी की लड़की, पड़ोस की लड़की, और न जाने कितनी ही औरतों और लड़कियों से सेक्स करने में हेल्प की।
वो कहानी मैं आपको आगे बताऊँगा। फिलहाल मेरी यह कहानी कैसी लगी, इस पर अपनी राय दीजिए।
madhurj65@desibees.com

दोस्त की चुदक्कड़ मम्मी की चुदाई की

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मम्मी और दादाजी की चुदाई से आगे:
दूसरे दिन नाश्ते की मेज पर मीठानंद बहुत खुश दिख रहे थे. प्रीति भी हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी. आज उसने घूंघट नहीं किया था और मीठानंद से बातें भी कर रही थी. गौरव को यह देखकर कुछ अजीब सा लगा. अपना काम निपटाने के बाद गौरव कॉलेज के लिये चला गया.
इधर प्रीति ने अपना सारा काम निपटाया और नहाने के लिये बाथरूम में चली गई. उसने अपने पूरे कपड़े उतारे और शॉवर चालू कर दिया. ठंडे पानी की फुहार उसके शरीर पर पड़ने लगी. नहा धोकर प्रीति सजी संवरी और मीठानंद के रूम की ओर चली गई.
मीठानंद प्रीति को देखकर खुश हुए और उसे अपने सीने से लगा लिया. प्रीति आज बहुत सुंदर दिख रही थी. उसने अपने होंठों पर लाल रंग की लिपस्टिक लगाई थी, जिसे देखकर मीठानंद फिदा हो रहे थे. उन्होंने प्रीति के होंठों को अपने होंठों के बीच दबाया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगे. उनका लौड़ा उनके पजामे ही खड़ा हो गया.
इधर गौरव पशोपेश में था कि आखिर उसकी मम्मी ने घूंघट क्यों नहीं किया और दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा क्यों रहे थे? उसका मन इन्हीं बातों में उलझा हुआ था. वह वापस अपने घर की ओर मुड़ गया. घर पर गया तो उसने दरवाजा खोला और हॉल में पहुंच गया. कोई नहीं दिखा तो वह दादाजी के कमरे की तरफ बढ़ा. वहां उसे हंसने और सिसकारियों की आवाजें आने लगीं. उसकी धड़कने बढ़ गईं. वह धीरे से दरवाजे तक पहुंचा और की-होल से झांका. झांकते ही उसके दिल की धड़कने इतनी बढ़ गईं कि उसकी आवाज उसे खुद सुनाई देने लगी. उसका शरीर कांपने लगा. उसने देखा कि दादाजी नंगे बिस्तर पर लेटे हैं और उसकी मम्मी अपने नर्म मुलायम लाल होंठों से दादाजी के कड़क लौड़े को अपने मुँह में लेकर चूस रही हैं. उसका सर चकराने लगा.
जैसे-तैसे गौरव ने खुद को संभाला और मेरे पास यानि बबलू के पास आया. मैंने उससे पूछा- क्या बात है गौरव? आज इतना उदास और परेशान क्यों है?
गौरव- कुछ नहीं यार. बस अजीब सा लग रहा है. मुझे ऐसे लग रहा है, जैसे मैंने लड़कियों को चोदकर काई गलत काम किया है.
मैं चौंका- यह तू क्या बोल रहा है गौरव.. तू तो सेक्स के लिये कुछ भी करने को तैयार हो जाता है? फिर आज क्या बात हो गई कि तुझे अपनी गलती पर पछतावा होने लगा?

गौरव कुछ देर नाटक करता रहा. उसने मेरे साथ सिगरेट पी और शाम को व्हिस्की के पैग भी लगाये. नशा होते ही उसन सारी बातें बता दीं.
मैंने उसे समझाया कि इस तरह टेंशन मत ले यार. यदि तेरी मम्मी ने किसी के साथ सेक्स कर लिया है, तो अब तो तू कुछ नहीं कर सकता है. तेरी मम्मी इतनी सेक्सी हैं कि कोई भी उनके साथ सेक्स करने को तैयार हो जाये.
“हां यार.. पता नहीं भगवान ने मेरी मम्मी को इतनी सेक्सी क्यों बनाया?” गौरव उदासी से बाला.

“अरे यार. तू ये सब बातें छोड़ और हो सके तो तू भी अपनी मम्मी के मजे ले ले.” मैंने उस समझाया.
“क्या बकवास कर रहा है यार? भला अपनी मम्मी को कोई चोद सकता है क्या?” गौरव गुस्से में बोला.
“हां चोद सकता है यदि उसकी मम्मी खुद चुदाने को तैयार हो तो.” मैंने कहा.
“भला मेरी मम्मी मुझसे चुदवाने को क्यों तैयार होंगी?” गौरव जिज्ञासा से बोला.

मैंने उसे अपना प्लान समझाया. वह तैयार हो गया. उधर उसके दादाजी मीठानंद ने गौरव के पापा के आने तक प्रीति की खूब चुदाई की. उनकी चूत जी भरकर मारी. गौरव के पापा आने के दूसरे दिन ही वह गांव चले गए ताकि उनका राज नहीं खुले.
कुछ दिन बाद गौरव के पापा को 5 दिनों के लिये फिर से टूर पर जाना पड़ा. ये बात गौरव ने आकर मुझे बता दी. दिन में गौरव की मम्मी अकेले रहती हैं. मैं उनके घर पर गया. गौरव मेरे पीछे पीछे ही था. मैंने घंटी बजाई तो प्रीति आंटी ने दरवाजा खोला, मुझे देखकर बोली- अरे बबलू तुम.. गौरव तो कॉलेज गया है.
“नहीं, मुझे आपस कुछ काम था आंटी.” मैंने कहा.
“मुझसे..? मुझसे भला क्या काम है बबलू?” प्रीति आंटी चौंकी.
“पहले आप मुझे एक गिलास पानी पिलाइये. फिर मैं बताता हूँ क्या काम है.”

प्रीति आंटी ने मुझ सोफे पर बैठाया और पानी लेने किचन में गईं. मैं उनके पीछे गया और किचन में उन्हें अपनी बांहों में भर लिया. प्रीति आंटी चिल्लाईं- यह क्या बदतमीजी है. कोई मैनर्स हैं या नहीं तुझमें.. आवारा लड़कों की तरह हरकतें कर रहे हो?
मैं धीरे से मुस्कुराकर बोला- मैं आवारा ही सही.. पर आपने तो सारी मर्यादा भुलाकर अपने ससुर के साथ चुदाई का खेल खेला है.

यह सुनना था कि प्रीति आंटी का चेहरा फीका पड़ गया. वह सकपकाकर बोलीं- क्या बकते हो.. होश में तो हो.. तुम अनाप-शनाप बक जा रहे हो.
“मेरे पास सबूत है इसका. आपके और दादाजी के सेक्स के दौरान लिये गए फोटो हैं मेरे पास. कहो तो आपके पति को दिखा दूं.”

मैंने झूठमूठ ही फोटो वाली बात कही, ताकि वह ज्यादा न बोल सकें और मेरी बातों को मानने के लिये मजबूर हो जायें.
“तुम चाहते क्या हो? आखिर तुमने ये सब क्यों किया?” प्रीति आंटी बोलीं.
“तुम्हारी खातिर प्रीति डार्लिंग. तुम्हें कब से चोदना चाहता था और तुमने खुद मुझे वह मौका दे दिया है, बोलो मेरे साथ चुदवाने को तैयार हो या नहीं?” मैंने बेशरमी दिखाते हुए कहा.

आखिर प्रीति आंटी को मजबूरी में झुकना पड़ा और वे मुझसे चुदवाने को तैयार हो गईं. गौरव भी कमरे के बाहर से चुपचाप यह नजारा देख रहा था.
मैंने प्रीति आंटी को अपनी बांहों में भरा और उनके लिपिस्टिक से सने लाल रसीले होंठों को चूसने लगा. मैंने उनके सारे कपड़े खोले और चूत में उंगली डाल दी. शुरू में प्रीति आंटी कुछ असहयोग कर रही थीं. लेकिन गर्म होते ही वह भी साथ देने लगीं. मैंने अपने कपड़े खोले और नंगा हो गया. प्रीति आंटी झुकीं और मेरे लौड़े को अपने मुँह में भरकर चूसने लगीं. उन्होंने जब तक मेरा लौड़ा नहीं छोड़ा जब तक मेरा पानी नहीं निकल गया. वे सारा पानी मजे से चाट गईं.
मैंने बोला- वाह प्रीति आंटी आप तो खूब मस्त चुदक्कड़ हो.
प्रीति धीरे से मुस्कुराईं और मेरे सीने से लगते हुए कहने लगीं- तेरे लंड का रस बड़ा मस्त है.

हम दोनों का गर्म शरीर एक दूसरे से चिपकने लगा. ऐसा लगा जैसे वो मुझमें ही घुस जाएंगी या फिर मैं उनमें समा जाउंगा. मेरा लौड़ा फिर खड़ा हो गया. मैंने प्रीति आंटी को दीवार के सहारे खड़ा किया और उनकी चूत में खड़े-खड़े ही लंड डाल दिया. प्रीति आंटी ने भी शायद पहले खड़े रहकर चुदाई नहीं करवाई थी. उन्हें मजा आने लगा और साथ ही वह गांड उचका उचकाकर मेरा साथ देने लगीं. मैंने उनकी कमर में हाथ डाला और तेज धक्के लगाने लगा. प्रीति के मुँह से ‘आहहह उहहह…’ की तेज आवाजें निकलने लगीं.
गौरव बाहर खड़ा हमारा चुदाई का खेल देखकर गर्म हो गया था. वह भी चुदाई में शामिल होना चाहता था, इसलिये बीच चुदाई में ही वह सामने आ गया. प्रीति आंटी उसे देखकर एकदम घबरा गईं और उन्होंने मेरा लंड बाहर निकाल दिया. गौरव को देखकर उनके मुँह से आवाज़ नहीं निकल पाई.
गौरव गुस्से से चिल्लाया- मम्मी मैं सोच भी नहीं सकता.. आप ऐसा करेंगी?
“मुझे माफ कर दे बेटा. यह बबलू मुझे ब्लैकमेल करके यह काम जबरदस्ती करवा रहा है.” प्रीति आंटी ने रोनी सी सूरत बनाते हुए कहा.

मैं यह सुनकर हंसने लगा. प्रीति आंटी समझ नहीं पाईं.
फिर मैं हंसते हुए बोला- अब रहने भी दे गौरव.. जो हुआ सो हुआ. चल तू भी कपड़े उतार दे और चुदाई में शामिल हो जा.
प्रीति आंटी सकपका गईं, लेकिन मैंने पूरी बात बताई तो थोड़े से गुस्से के बाद वह गौरव से भी चुदवाने को तैयार हो गईं. अब हम तीनों नंगे खड़े थे.

प्रीति आंटी ने दूध मसलते हुए पूछा- अब पहले चुदाई कौन करेगा?
मैं बीच में ही बोल पड़ा- आंटी, हम दोनों एक साथ चुदाई करेंगे.
आंटी- दोनों एक साथ चोदने की मेरी बात समझ में नहीं आई?
मैंने उनको समझाया कि मैं पीछे से आपकी गांड मारूंगा और गौरव आगे से आपकी चूत में अपना लंड डालेगा.

यह सुनकर प्रीति आंटी डर गई और कहने लगीं- नहीं, मैंने आज तक अपनी गांड किसी से नहीं मरवाई है. प्लीज ऐसा मत करो. तुम दोनों बारी-बारी से आ जाओ. मैं दोनों को संतुष्ट कर दूंगी.
लेकिन मैं नहीं माना और प्रीति आंटी को मेरी जिद के आगे झुकना पड़ा. गौरव भी एक साथ चुदाई के लिये तैयार हो गया. मैंने गौरव से तेल मंगवाया और ढेर सारा तेल प्रीति आंटी की गांड पर और मेरे लंड पर लगा दिया. अब हम दोनों चुदाई के लिये तैयार थे. मैं पीछे से गांड के छेद पर अपना लंड रगड़ने लगा. प्रीति आंटी कुछ डरी हुई थीं.
रगड़ते-रगड़ते ही मैंने गांड के छेद में लंड का निशाना सैट किया और जोर का धक्का दे दिया. आधा लंड प्रीति आंटी की गांड में चला गया और वह जोर से चीख पड़ीं- आहह … मेरी गांड फट गई कमीने. तुझे समझाया था न कि मत मार मेरी गांड. कितना दर्द हो रहा है. गौरव तू समझा न इसे!
मैंने प्रीति आंटी के दर्द को अनदेखा करते हुए फिर लंड को धक्का दिया. एक दो धक्कों में पूरा लंड अन्दर चला गया. प्रीति आंटी के मुँह से आहह हहहह ओहह की आवाज निकलती रही. मैंने लंड को अन्दर बाहर करना चालू किया तो उनका दर्द कम हुआ. अब उन्हें भी मजा आने लगा.
इधर गौरव ने भी चूत पर निशाना साधा और अपना लौड़ा अपनी मम्मी प्रीति की चूत में डाल दिया. दोनों से एक साथ चुदवाने से प्रीति आंटी जोश में आ गईं और गौरव को अपनी बांहों में जकड़ लिया. गौरव ने भी हाथ बढ़ाये और प्रीति आंटी को अपनी बांहों में भर लिया. इधर मैंने भी प्रीति आंटी की कमर को अपनी बांहों में जकड़ लिया.
हम दोनों ने अपने अपने छेद में धक्के लगाना चालू किये. प्रीति आंटी एक साथ दोनों तरफ चुदाई करने से मस्त हो रही थीं. बहुत देर तक हमारी चुदाई चलती रही. मैंने तेज धक्के लगाते हुए सारा माल आंटी की गांड में ही डाल दिया. उसके बाद गौरव ने भी अपना वीर्य अपनी मॉम की चूत में भर दिया. प्रीति आंटी की गांड और चूत दोनों ही फूल गई थीं. उनसे खड़ा नहीं रहा गया और वे फर्श पर ही लेट गईं.
फिर गौरव और मैंने प्रीति आंटी को उठाया और बाथरूम में ले गए. वहां तीनों चिपक चिपक नहाये और प्रीति आंटी की चूत और गांड को फिर चोदा. उसके बाद गौरव अपनी मॉम प्रीति को जब तब चोदने लगा. मैं भी अक्सर प्रीति आंटी के घर आकर उसकी मस्त चुदाई कर लेता.
तो दोस्तो, आपको यह मां के साथ सेक्स की कहानी कैसी लगी. मेरी ईमेल आईडी पर जरूर बताइए, मेरी ईमेल आईडी है.

माँ की चूत में दिया अपना बैंगन

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दोस्तो! मेरा नाम सुमित है और मैं 22 साल का हूँ. मेरा लंड 7 इंच लम्बा और 2.5 इंच मोटा है. मैं बिहार राज्य के दरभंगा जिले का रहने वाला हूँ. अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज़ पर यह मेरी पहली कहानी है. मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को यह कहानी पसंद आएगी. यह सच्ची कहानी है जिसमें मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने अपनी माँ को मेरी रंडी बनाया.

तो ज्यादा समय न गंवाते हुए मैं सीधे कहानी पर आता हूँ.
बात उन दिनों की है जब मैं बारहवीं कक्षा में था और मेरी उम्र 18 साल को पार कर चुकी थी. घर में हम तीन सदस्य हैं. मेरी मम्मी मीता देवी, मेरे पापा और मैं.

मेरी मम्मी की उम्र 37 वर्ष है और मेरे पापा 41 साल के हैं. पापा कपड़े की दुकान में काम करते हैं. उनकी दुकान बनारस में है और अधिकतर घर से बाहर ही रहते हैं। मेरी मम्मी का साइज़ 36-34-38 है। वह एक बहुत ही सुन्दर औरत है. देखने में बहुत ही सेक्सी है. वह किसी भी बुड्ढे या जवान का लंड खड़ा करवा सकती है।

एक बार जब मैं कॉलेज से घर आया तो देखा कि पापा मेरी मम्मी को बोल रहे थे कि काम का भार उन पर कुछ ज्यादा आ गया है तो इस बार वो घर 2-3 महीने के बाद ही आ पाएंगे. यह सुनकर मेरा भी मुंह उतर गया क्योंकि मैं भी चाहता था कि पापा कुछ दिन और यहाँ रुकें.
खैर उनकी रात की ट्रेन थी तो वो खाना-वाना पैक करके 7 बजे के आसपास निकल गए.

माँ इस बात से नाराज़ लग रही थी कि अब उनकी चुदाई कौन करेगा. इसलिए जब से पापा ने कई महीने बाद आने की बात कही थी तो उसके बाद से ही उनका मुंह भी उतरा हुआ लग रहा था.
मेरी मम्मी एक नम्बर की चुदक्कड़ औरत थी. मैं बहुत बार नोटिस करता था कि जब वो कोई सामान खरीदने कहीं बाहर या मार्किट जाती थी तो अपनी गांड खूब हिलाती थी और लोग भी मेरी माँ को देखकर अपना लंड सहलाते थे और मेरी माँ को ऐसी नज़रों से देखते थे कि कच्चा ही खा जाएंगे.

जिस दिन पापा गए थे उस दिन माँ का मूड काफी उदास था. उनके जाने के बाद मम्मी अपने रूम में बिल्कुल उदास बैठी थी. न कुछ बोल रही थी और न ही कुछ काम कर रही थी.
कुछ देर बाद मैं उनके कमरे में गया तो उन्होंने मुझे देखकर पूछा- बेटा क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं.
“आपको क्या हुआ?” मैंने पूछा.
तो मम्मी कुछ नहीं बोली पर मैं समझ गया कि बात क्या है.

फिर माँ किचन में खाना बनाने चली गई. मैंने भी किचन में माँ की मदद करने की सोची और किचन में चला गया. वहां पर जाकर देखा तो माँ किचन में सब्जियाँ काटने के लिए ला रही थी. माँ सब्जियों में रखे बैंगन और मूलियों को बड़े ही ध्यान से देख रही थी. जैसे उनसे कुछ बात कर रही हो.
मैं समझ नहीं पा रहा था कि माँ यहाँ सब्जी बनाने आई है या सब्जियों को देखने आई है. मैंने टमाटर उठाकर काटना शुरू कर दिए. फिर माँ ने जल्दी ही सब्जी और रोटी बना दी. खाना बनकर तैयार हो गया.

कुछ देर बाद मम्मी ने खाना लगाया और मेरे साथ ही बैठ कर खाने लगी। खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में सोने चला गया. मैं मम्मी को ऐसे उदास देखकर उदास हो गया था लेकिन किया भी क्या जा सकता था. पति तो आखिर पति ही होता है. यहीं बातें सोचते-सोचते मेरे दिमाग में सेक्स के ख्याल आना शुरू हो गए. मैंने सेक्स स्टोरी साइट खोली और सेक्सी कहानियाँ पढ़ने लगा.
कहानी पढ़ते-पढ़ते मेरा लंड तनकर तंबू हो गया था. मैंने अपने लंड को अपने पजामे के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया. मेरी उत्तेजना हर पल बढ़ती जा रही थी. फिर एक माँ-बेटे की कहानी पर मेरी नज़र चली गई. मैं उस कहानी को पढ़ने लगा.

फिर मेरे मन में मेरी माँ के ही ख्याल आना शुरू हो गए क्योंकि उसमें जिस तरह की औरत का ज़िक्र किया गया था, मेरी माँ बिल्कुल वैसी ही थी. मेरा मन कर रहा था कि अपनी मम्मी को ही चोद दूँ. मैं मम्मी के बारे में सोच-सोचकर मुट्ठ मारने लगा.
मैं बहुत ही उत्तेजित हो चुका था. वह सेक्सी स्टोरी पढ़ते-पढ़ते मेरा गला सूखने लगा था. मैं अपने खड़े लंड के साथ किचन में पानी पीने चला गया. रात का टाइम था और घर में मेरे और माँ के अलावा कोई भी नहीं था.

मैंने सोचा कि माँ तो सो चुकी होगी. इसलिए मैं अपने तने हुए तंबू के साथ किचन की तरफ चला जा रहा था.
मेरा रूम और मम्मी का रूम दूर-दूर थे. बीच में किचन बना हुआ था जिससे सटकर एक आँगन था. मैं किचन में पानी पीने के लिए जा ही रहा था कि मेरी किचन की खिड़की पर पड़ी. किचन की खिड़की में एक प्लास्टिक लगा हुआ है वाइट कलर का, जिससे रात में अन्दर लाइट रहने पर अन्दर (किचन) का सब दिखता है और बाहर का कुछ नहीं दिखता.. मैं जैसे ही खिड़की के पास से गुज़रा तो अन्दर का नज़ारा देख कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी।

मैंने देखा कि मम्मी किचन में पूरी नंगी खड़ी थीं। उनके 36 इंच के तने हुए चूचे तनाव में बाहर की तरफ निकले हुए थे. देखते ही मेरा लंड फनफना उठा और मैं धीरे-धीरे मम्मी को देखते हुए लंड सहलाने लगा.

मैं चुपके-चुपके मम्मी को देख रहा था, उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था. कितनी कमसिन और सुन्दर चूत थी मेरी मम्मी की। मैं सोचने लगा कि आख़िर मम्मी नंगी होकर किचन में कर क्या रही है?
2-3 मिनट बाद मैंने देखा कि उन्होंने रैक से कुछ सब्जियाँ बाहर निकालते हुए उनमें से बड़े- बड़े बैंगन और मूली अलग कर लीं. फिर उन्होंने एक बैंगन को अपनी चूचियों के बीच से रगड़ते हुए मुंह में लिया और चूसने लगी.

उनके मुंह से साथ ही कुछ इस तरह की आवाज़ें भी निकल रही थीं- उम्म उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआह्हह!
मुझे यह सब देखकर बड़ा मज़ा आ रहा था. मैंने सोचा कि यही सही मौका है. मैं सोच रहा था कि अपना लंड हाथ में लेकर उनके सामने जाकर खड़ा हो जाऊं मगर फिर मैंने सोचा इतनी जल्दी क्या है, यहीं खड़ा रहकर देखता हूँ कि और क्या-क्या करती है मेरी चुदक्कड़ माँ!

कुछ देर तक बैंगन को चूसने के बाद वह 3 बड़े-बड़े बैंगन और एक मूली लेकर अपने रूम की तरफ जाने लगी. मैं भी धीरे-धीरे उनके पीछे उनके रूम तक पहुंच गया. रूम के पास जाकर दीवार में बने एक छेद से देखने लगा, वो नंगी बिल्कुल मेरी आँखों के सामने अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी और अपनी जांघ ऊपर करके बैंगन को मुंह में लेके चूस रही थी.

फिर वह एक बैंगन को अपनी चूत में डालने लगी और एक हाथ से अपनी चूचियों को दबाने लगी। बैंगन लगभग 8 इंच का था इसलिए उन्होंने थोड़ा सा ही अन्दर लिया और उसको अपनी चूत में अन्दर-बाहर करने लगी साथ ही मादक सिसकारियाँ निकालने लगी. उम्म्म आआह्ह्ह्ह उम्म्म्म स्स्स्स मेरी चूत उम्म्म्म!
ऐसी पागल और मदहोश कर देने वाली आवाज़ें मुझे पागल कर रहीं थी और मेरा लंड भी अपनी चरम सीमा पर था. मैंने अब खुद से कहा कि बस बहुत हुआ, अब और बर्दाश्त नहीं किया जा रहा, यह सोचकर मैं सीधा मम्मी के रूम में घुस गया.

मम्मी मुझे देखकर एकदम से चौंक गयी और किसी तरह अपने स्तनों और चूत को हाथ से ढकने लगी मगर उनकी चूत में फंसा हुआ बैंगन थोड़ा बाहर निकला हुआ था. मैंने मम्मी से कहा- मैं आपकी ज़रूरत पूरी कर सकता हूँ.
कहकर मैंने अपना लंड मम्मी के हाथ में दे दिया.

मम्मी एकदम से डर गयी और मेरे लंड को देखकर बोली- इतना बड़ा कब हुआ?
मैंने कहा- रोज़ मुट्ठ मारता हूँ इसीलिए बस अब आपको चोद-चोद कर अपनी प्यास बुझाना चाहता हूँ.
मम्मी मेरी तरफ हैरानी से देख रही थी फिर कुछ सोचकर बोली कि इस बात का पता किसी को नहीं चलना चाहिए.
मैंने कहा- नहीं चलेगा किसी को पता. बस अब मैं आपकी चूत में अपना लंड डालना चाहता हूँ.

फिर एकदम उन्होंने मेरा लंड मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. मैं उनके बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था और वह मेरा लंड मुंह में लेकर बड़े ही मज़े के साथ चूस रही थी. उम्म्म उम्म्म्म आह्ह्ह्ह उम्म्म्म स्स्स्सस उम्म्मम उम्म उम्म्म. मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था।

5-6 मिनट चूसा-चूसी का खेल चला उसके बाद मम्मी ने अपनी चूत से बैंगन को निकाल लिया और पूछा कि मेरी चूत मारना चाहता है क्या?
मैंने कहा- फिर मैं इतनी देर से आपके साथ क्या लूडो खेलने के लिए खड़ा था?
मम्मी ने कहा- ठीक है, मगर उससे पहले मैं तेरी गांड में बैंगन डालूंगी.
मैं थोड़ा डर गया लेकिन फिर पूछा- बैंगन गांड में डालने से क्या मतलब है?
मम्मी ने कहा- मुझे अच्छा लगता है.

मैंने फिर पूछा- आपने पहले भी कभी ऐसा किया है क्या?
माँ ने कहा- हां, तेरे मामा जब आते थे तो उनके साथ करती थी.
मैंने हैरानी से कहा- तो क्या आपने मामा के साथ भी चुदाई करवा रखी है?
माँ ने कहा- बेटा, चूत की प्यास एक लंड से नहीं बुझती. इसको 2-3 लंड तो कम से कम चाहिए ही. जब तेरे मामा आते थे तो उनका लंड लेने से पहले भी मैं उनकी गांड के साथ खेलती थी. मुझे मर्दों की गांड के साथ खेलना बहुत पसंद है.

“तुझे भी मज़ा आएगा, एक बार करवा कर देख!” माँ ने कामुक आवाज़ में मुझसे कहा.
मैंने कहा- ठीक है. आपको जो करना है जल्दी कर लो. मेरा मज़ा ख़राब मत करो अब. देखो, आपकी बातों के चक्कर में मेरा लंड वापस सोने लगा है.
माँ ने कहा- लंड की चिंता मत कर तू. लंड तो ऐसा निचोड़ लूँगी मैं कि कई दिन तक पड़ा ही रहेगा.
मैंने मन ही मन कहा- हां, वो तो मुझे पता है मेरी चुदक्कड़ माँ.

फिर माँ ने बैंगन उठाया और उसको प्यार से सहलाने लगी. माँ उस बैंगन को ऐसे प्यार कर रही थी जैसे कोई लंड हाथ में ले रखा हो.
माँ ने कहा- झुका जा मेरे सामने आकर.
मैंने ऐसा ही किया. मैं बेड पर जाकर माँ के सामने घोड़े की पॉजिशन में झुक गया.

माँ ने बैंगन लिया और मेरी गांड में डालने लगी. मुझे दर्द होने लगा और माँ को मज़ा आ रहा था. कुछ देर तक माँ ने मेरी गांड में बैंगन को अंदर-बाहर किया और फिर उसको निकाल कर चाट गई. वैसे तो बैंगन गांड में डलवाने के बाद मुझे भी मज़ा आ रहा था लेकिन मेरा लंड सो गया था.
फिर माँ ने कहा- बस अब तेरी बारी. फिर मैंने माँ की चूत को चाटना शुरू कर दिया और माँ कामुक सिसकारियाँ लेने लगी. ओह्ह्ह्…हाँ, ऐसे ही करता रह बेटा…मज़ा आ रहा है..फिर मैंने और ज़ोर से माँ की चूत में जीभ डालनी शुरू कर दी तो माँ पागल सी होने लगी.

मुझसे कहने लगी- बस अब चोद दे मुझे, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
इतना सुनने के बाद मैं भी जोश में आ गया और उनके दोनों पैरों को फैला कर अपना लंड उनकी चूत पर रख दिया. चूत इतनी गीली थी कि लंड तुरंत ही अन्दर घुस गया और मैं धक्के मारने लगा.
“ह्ह्ह्ह अह्ह ह्ह्ह ह्ह्ह हहुह ह्ह्ह्ह” वो भी चिल्ला रही थी- हां बेटा चोद.. आःह्हा हह्हह्ह अहह्ह्ह्हा उम्म्म्म ऊऊऊह्ह्ह…
करीब 10 मिनट धक्के मारने के बाद मैंने अपना माल माँ की चूत में ही छोड़ दिया.
माँ भी झड़ चुकी थी.

दोनों एक दूसरे के ऊपर नंगे पड़े थे. मैं अभी भी माँ की चूचियों को दबा रहा था.
माँ बोली- बेटा, तू तो बड़ा अच्छा चोदता है.
मैंने कहा- तुम भी कम नहीं हो मेरी रंडी.
वह बोली- हाँ, मैं तेरी रंडी हूँ. आज से तू मुझे रंडी कहकर ही बुलाना.

फिर माँ मुझे चूमने लगी. उस रात मैंने माँ को 4 बार चोदा और तब से रोज़ चोदता हूँ. घर में जो मज़ा आता है यारो… वह कहीं और मुझे नहीं आता. कभी भी गांड छूना, चूत मसलना, बूब्स दबाना … ओह जन्नत है … इसलिए अब मैं बहुत खुश रहता हूँ.

जब भी मेरा लंड खड़ा होता है मैं अपनी माँ की चूत मार लेता हूँ।

मुझे माँ की चूत बहुत पसंद है. अगली बार एक और कहानी लेकर आऊंगा आपके समक्ष, तब तक के लिए लंड-चूत का प्रणाम!
sabsebadamaderchod@desibees.com

मॉम को चोदने की चाहत

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हाय दोस्तो, मैं विराट हूँ, मेरी उम्र 19 साल की है. मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ. यह मेरी पहली सेक्स स्टोरी है, यह एक सच्ची घटना है, जो मेरी मॉम के साथ की है.

मैं मेरी मॉम के बारे में बता दूँ कि मेरी मॉम का नाम निशा है और उनकी उम्र अभी 41 साल है. वो बहुत शानदार माल लगती हैं. मैं जब 11वीं क्लास में था, तब मैंने उनके नाम की पहली बार मुठ मारी थी. उनकी शादी 19 साल में हो गयी थी और उनका फिगर 34-32-36 का है. वे एकदम दूध की तरह गोरी हैं. अभी पिछले दो साल से वे मेरे पापा से अलग हो गई हैं. इसका कारण उनकी आपसे अनबन थी.
अब चलिए सेक्स कहानी के सफर में मजा लेने चलते हैं.
मैं हर रोज मॉम को चोदने के सपने देखता था. एक दिन मेरी एक लड़के नामित से दोस्ती हुई, वो बंगाली था.. पर हिंदी बहुत अच्छे से जानता था. वो कोलकाता से था. जब वो मुझे ठीक लगा तो उसके साथ मेरी दोस्ती हो गई.
एक बार उसने अपनी मुझे मॉम नेहा की फ़ोटो दिखाई. उसकी मॉम नेहा भी बहुत सेक्सी थीं. उसने अपनी मॉम की चुदाई के बारे में मुझे बताया कि वो अपनी मॉम को चोद चुका है. उसकी इस बात को सुनकर मुझे अपनी मॉम का ख्याल आने लगा और मैंने उससे इस बारे में कुछ चर्चा की, तो उसने मुझे दिलासा दिया कि ठीक है वो कुछ करेगा.
इसके बाद से वो मेरे घर आने लगा और उसने मेरी मॉम से काफी नजदीकी बना ली. उसी ने मुझे बताया कि मेरी मॉम उससे काफी खुल गई हैं और जल्द ही उनके साथ सेक्स की स्थिति बन जाएगी.
मैं बड़ा खुश हुआ और जल्द ही पूरा प्लान बन गया. उसने अपनी मॉम को हमारा साथ देने के लिए मना लिया था. हमने उसके घर कोलकाता जाना था, मैंने अपनी मॉम के साथ कोलकाता जाने का तय कर लिया, मॉम भी कोलकाता घूमने के किये वहां जाने को तैयार हो गई थीं.

उसके बाद में अपनी मॉम को लेकर सीधे कोलकाता पहुंचा. नामित हमें लेने वहां स्टेशन आया था. हम उसकी कार में सीधे उसके घर पहुंच गए. मैं उसके घर में जाकर ड्राइंग रूम में बैठा और उसकी मॉम को देखा. सच में उसकी मॉम भी एक गजब माल लग रही थीं.
नामित की मॉम नेहा ने हमें पानी आदि दिया फिर वो हमारे लिए जूस ले आईं. उसकी मॉम नेहा ने मेरी मॉम के जूस में पहले ही सेक्स बढ़ाने वाली दवा को डाल दिया था और वो भी डबल डोज़ डाला था.
उसके बाद मैं मॉम को वहीं छोड़ कर अपने दोस्त के घर के लिए कुछ मिठाई लेने के बहाने घर से निकल आया.
फिर नेहा आंटी ने मेरी मॉम को नहाने का बोला और सीधे बाथरूम ले गईं. वहां वो उनको नल चालू करके फंक्शन बता ही रही थीं कि तभी अचानक शावर चालू हो गया और मॉम भीग गईं.
उनको भीगा देख कर नेहा आंटी ने कहा- अब तुम भीग तो गई ही हो, तो चलो तुम पहले अच्छे से नहा ही लो. मैं जाती हूँ.

यह कह कर आंटी बाथरूम से बाहर निकल गईं. अब मॉम ने नहाना शुरू कर दिया लेकिन तभी उनको कपड़ों की याद आई. उनको नहाने के बाद कपड़े चाहिए थे तो उन्होंने नेहा आंटी को आवाज़ दी.
नेहा आंटी ने कहा- कपड़े का बैग गाड़ी में है.. जो विराट ले गया है. अभी आप मेरे कपड़े पहन लो.
इस तरह नेहा आंटी ने मॉम को एक टी-शर्ट दे दी, जो खाली घुटनों तक ही उनके शरीर को ढक पा रही थी. फिर मॉम ने उसे ही पहना और इस समय उन्होंने ब्रा पैंटी भी नहीं पहनी थी.

जब वो कपड़े पहन कर अन्दर बेडरूम में गईं, तो वहां मेरा दोस्त नामित पहले ही अपना लंड निकाल कर टीवी पर पोर्न चालू करके देख रहा था.
मेरी मॉम को तो वैसे ही दवा के कारण सेक्स चढ़ रहा था.. और पोर्न देखने से वे और भी ज्यादा गरमा गईं. तभी अचानक नंगा नामित पीछे को मुड़ गया और मॉम उसका लम्बा लंड देखते रह गईं.
नामित का 8 इंच का लम्बा खड़ा लंड फनफना रहा था. उस वक्त मॉम की चूत से पानी टपक रहा था, जो नामित ने देख लिया था.
अब नामित ने अपने लंड को हिलाते हुए मुठ मारी और फुल जोश में माल निकाल दिया.. जो सीधे मॉम के चेहरे पर जाकर पड़ा. मॉम ने अपने चेहरे से बड़ी कामुकता से अपने चेहरे से नामित के वीर्य को उंगली से उठाया और चाट लिया. ये देख कर नामित ने आगे बढ़ कर मॉम की चूची मसल दी.
अब उन दोनों में सेक्स का खुमार चलने लगा था. मॉम ने बैठते हुए उसका लौड़ा पकड़ कर अपने मुँह में भरा और चूसने लगीं. मेरी मॉम को सेक्स चढ़ चुका था, दो मिनट लंड चुसवाने के बाद नामित ने उन्हें अपनी बांहों में उठा लिया और सीधे ले जा कर बेड पर पटक दिया. अब उसने मॉम को एक ही झटके में उनकी टी-शर्ट खींचते हुए पूरी नंगी कर दिया.
इसके आगे की कहानी आप मेरी मॉम की जुबानी सुनिएगा.
मैं (निशा) अब अपनी कन्ट्रोल से बाहर हो चुकी थी. नामित मुझे बहुत मजे दे रहा था. उसने मेरी टांगों को खोला और मेरी गर्म गीली चूत में सीधे अपनी जीभ डाल दी. उसकी लपलपाती जीभ को जैसे ही मैंने अपनी चूत पर महसूस किया, मैं एकदम से सिहर उठी. मेरे मुँह से सीत्कार निकलने लगी- आआहहह… उफ़्फ़..
चूत चूसने के साथ ही वो मेरे मम्मों को अपने दोनों हाथों को ऊपर करके मसल रहा था. नीचे जीभ से मेरी चूत को चूसे जा रहा था. मैं अपने हाथ से चादर को भींच रही थी और अब 20 मिनट की घमासान चूत चटाई के बाद मेरी चूत का बाँध टूट गया.. चूत बहने लगी. नामित मेरा सारा माल पी गया. अब तक उसका लंड पूरा खड़ा हो चुका था और उसने तुरंत उसे मेरे मुँह में पेल दिया. मैं मजे से उसके लंड को चूसने लगी.
लंड चूसते समय मेरे मुँह से ‘गुप्प.. ग्प्प्प.. छप्प..’ की आवाज आ रही थी. लंड चूसते समय मैं उसके आंडों को भी चाट रही थी. उसने भी मेरे मुँह को चूत समझ कर चोदना शुरू कर दिया था. वो अपने लंड से मेरे मुँह में धक्के पर धक्के मारे जा रहा था और साथ ही मेरे मम्मों को बड़ी बेदर्दी से मसले जा रहा था. लेकिन दवा के गहरे असर के कारण मुझे इस वक्त उसका यूं मम्मों को भींचना बड़ा सुकून दे रहा था.
करीब दस मिनट उसने अपने लंड से लंबी धार छोड़ते हुए अपना पूरा माल मेरे मुँह में ही छोड़ दिया.
एक एक बार हम दोनों का माल निकल जाने से मैं और वो निढाल पड़े थे. मैंने उसे बताया कि मैंने पूरे दो साल बाद इतने अच्छे से पानी निकला है.
पर अभी भी मेरे ऊपर से दवा के असर के कारण चुदास कम नहीं हुई थी. दवाई के असर के साथ ही दो साल बाद की मेरी प्यास भी अपनी अंगड़ाई लेने लगी थी, मैंने नामित से बोला- अब मुझे पूरा तृप्त करो.
उसने बोला- बाहर विराट आ गया होगा और मेरी मॉम भी सोच रही होगी कि मैं कहां हूँ तो अभी रुक जाओ.. रात को चुदाई का मजा करेंगे.
इतना कह कर वह बाथरूम में घुस गया.

कुछ देर बाद हम दोनों बाहर आ गए, तब विराट बाहर टीवी देख रहा था. उसने बताया कि अभी अभी नेहा आंटी अपने रूम में सोने गयी हैं.
अब मैं बैठ कर टीवी देखने लगी. तभी नामित आ गया.. वो भी बैठ गया.
कुछ देर बाद विराट बोला- चलो, कहीं घूम कर आते हैं.
मैं बोली- मुझे मन नहीं है, तुम और नामित चले जाओ.
तो नामित बोला- चल भाई, आते हैं.. और वह उसके साथ चल दिया.

उसके बाद मैं नामित को याद करते करते नेहा के रूम में ही सो गई. फिर रात को 9 बजे मुझे नेहा ने जगाया और बोला- चलो खाना खा लेते हैं, नामित और विराट भी आ गए हैं.
हम सब खाना खाने बैठ गए. इस वक्त मैं नामित को और वो मुझे वासना भरी निगाहों से घूरे जा रहे थे. तभी नामित ने अपनी जेब से दो गोलियां निकाली और मेरे पानी के गिलास में डाल दीं. मैं समझ गई कि ये कामवासना बढ़ाने वाली दवा डाली गई है. मुझे इस वक्त चुदाई के सिवाए कुछ नहीं सूझ रहा था. मैं नामित के सामने ही पानी का गिलास पूरा पी गई. जिसमें वो दवा भी घुल चुकी थी.
खाना खाने के बाद नामित बोला- चल भाई विराट, बाहर बैठते हैं.
वो दोनों हॉल में बैठ गए और मैंने और नेहा ने सब बर्तन साफ किये और रसोई का काम निपटाया.
फिर नेहा बोली- तुम भी जाओ.. वहां बैठो उनके पास, मैं आती हूँ.

मैं भी उन दोनों के पास जा बैठी. वे लोग वहीं बैठे शराब पी रहे थे और टीवी देख रहे थे.
थोड़ी देर बाद विराट बोला- यार, मैं तो थक गया, मुझे नींद आ रही है और शराब भी चढ़ गई है.
नामित उससे बोला- तू ऊपर मेरे रूम चला जा और वहीं सो जा.
वो चला गया और कमरे में जाकर सो गया.

मैंने नामित के सामने अपने दूध मसलते हुए से पूछा- मेरा काम कब करोगे.. जल्दी करो न.
तो उसने बोला- रुक जा मेरी जानेमन … अभी एक खेल दिखाता हूँ.
उसने अपनी मॉम नेहा को बुलाया और बोला- मॉम, आंटी को आपकी वो सफेद वाली नाइटी दे दो.

वो मुझे ले गयी और उसने मुझे नाइटी दे दी. ये नाइटी एक नेट वाली थी. मैंने नाइटी को पहना तो इसमें से मेरी बॉडी पूरी झलक रही थी. नाइटी पहनते वक्त मैंने ब्रा पैंटी भी नहीं पहनी थी, उसके चलते मेरा पूरा शरीर लगभग नंगा दिख रहा था.
नेहा ने मेरे बदन को निहारा और मुस्कुरा कर बोली- चलो यार, मैं भी थक गई हूं, मैं तो सोने जा रही.. अब तुम भी गेस्टरूम में जाकर सो जाओ.
यह रूम उसके कमरे के बगल में ही था.
मैंने उसकी तरफ देखा तो बोली- यार मुझे रात में जरा फैल कर सोने की आदत है.. तुम्हें दिक्कत न हो इसलिए कहा है.

उसकी बात सुनकर मैं बाहर आ गई. वहां इस नाइटी में देख कर नामित मुझे देखता ही रह गया. उसके मुँह से लार टपक रही थी. मैंने उसे एक धीरे से गाल में प्यार से चपत मारी और कहा- चलो अब क्या देखते ही रहोगे.
उसने मुझे फिर से अपने हाथों में उठा लिया और रूम में ले गया. वह रूम देखकर मैं चौंक गयी. वो पूरा गेस्ट रूम सुहागरात वाली स्टाइल में सजा हुआ था. उसने मुझे बेड पर लिटाया और चूमते हुए बोला- आज रात तुझे पूरी तरह तृप्त करूँगा मेरी जान.
यह कहते हुए वह तुरंत नंगा हो गया और उसने मेरी नाइटी भी उतार कर फेंक दी.
अब वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मुझे किस करने लगा.
“ऊऊम्म्म.. मआआह…”

उसने जबरदस्त तरीके से चूमना शुरू कर दिया था. वो मेरे होंठों को तो लगभग खाए ही जा रहा था. मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी. मेरी दवाई अब और असर करने लगी और मेरे अन्दर क्या मस्त चुदास की आग भड़क गई थी.
मैं उसी वक़्त नामित के पास बैठते हुए उसका लंड सीधे अपने मुँह में लेकर चूसने लगी. दो मिनट में ही नामित का लंड एकदम कड़क हो गया था. उधर वो भी मेरे मम्मों को मसल रहा था.

मैंने उससे कहा- अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा.. मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल जल्दी से.
तो उसने बोला इतनी जल्दी नहीं जानेमन.. अभी तो तेरे को तड़पाऊंगा और पूरा मजा दूंगा.

उसने अपनी दो उंगलियां मेरी चूत में घुसेड़ दीं. मैं सिहर उठी- आआ उम्म्ह… अहह… हय… याह… आ हहह..
वो मेरी चूत में उंगलियों को बड़ी तेजी से अन्दर बाहर कर रहा था. लेकिन अब मुझे लंड चाहिए था, मैंने कहा- नामित बेटा.. प्लीज मुझे लौड़ा का मजा दो.
तो उसने कहा- ठीक है.. चलो आप घोड़ी बन जाओ.
मैं चुदास से बावली हुई जा रही थी तो झट से घोड़ी बन गयी.

अब वो खड़ा हुआ और मेरे पीछे आ गया. मैं तैयार थी, पर उसने अपना 8 इंच का लौड़ा सीधे मेरी चूत की जगह गांड में पेल दिया.
मेरी चीख निकल गयी- आआह.. आह.. मैं मर गयी..

इससे पहले मेरी गांड 10 साल पहले चुदी थी.. तो मेरी गांड का छेद एकदम सिकुड़ गया था. मैं तो मर ही गयी, मुझे ऐसा लगा कि आज पहली बार मेरी गांड मरी.
“आ ह आ हहहहहह…” मैं दर्द से कलपती रही और वो मेरी गांड मारता रहा.
मैं चीखती रही- ऊउफ़्फ़.. आह.. ऊउफ़्फ़..

फिर 20 मिनट बाद वो रुका और बोला- चल अब लेट जा.. और अपनी एक टांग मेरे कंधे में डाल दे.
मैंने वैसा ही किया और अब मेरी चूत एक बार पानी छोड़ चुकी थी तो पूरी तरह गीली थी. उसने अपना लौड़ा चूत की फांकों में लगाया और एक धक्का मारा. इस पहले धक्के में उसका सिर्फ सुपारा ही अन्दर गया. साले का बहुत मोटा सुपारा था.. किसी आंवले जैसा था.

मुझे दर्द हुआ, तो मैं फिर से चीखी.
उसने बोला- इतनी टाइट चूत.. बिल्कुल कुंवारी सी लगती है.
मैंने बोला- बेटा, मैं दो साल से नहीं चुदी हूँ.
उसने यह सुनकर एक जबरदस्त झटका मारा और उसका आधा लौड़ा घुस गया.

“उफ़्फ़..” मेरी सिसकारियां तेज हो गईं.. और मेरी खुशी सातवें आसमान में पहुंच गयी. दो साल बाद इतना मस्त लौड़ा मेरी चूत में गया था. इस मस्त चुदाई से मैं निहाल हो चली थी. जबकि दो साल से चुदाई न होने पर मैंने तो यही सोच लिया था कि अब मेरी चुदाई कभी नहीं होगी, पर इतने अच्छे लौड़े से चुद कर तो मुझे मानो जन्नत मिल गई थी.
अब मैं चिल्लाई- आआह.. आह.. बेटा लगा जोर से.. आह.. फाड़ दे चूत मेरी आज..
नामित ठोकर मारते हुए बोला- अभी देख जानेमन.. चूत का भोसड़ा बना कर ही दम लूँगा.
अब मेरा जोश और बढ़ गया. तभी उसने एक और करारे धक्के में पूरा लंड अन्दर घुसा दिया और लंड सीधे बच्चेदानी में टच हो गया.
“उफ़्फ़ उफ़ आआआ हहहह.. और जोर से बेटा आआह…”

नामित ने अपनी स्पीड बढ़ा दी, मैं और चीखने लगी और सिसकारियां लेने लगी ‘ऊऊऊ हहहह अअअअ हहहह…’
मुझे बहुत मजा आने लगा था. नामित के लगातार 60-70 धक्के के बाद मेरा बांध टूटा और मैं झड़ गयी. तभी नामित भी मेरे साथ ही झड़ गया और उसने अपना पूरा माल मेरी चुत में ही छोड़ दिया.
वो मेरे ऊपर ही लेट गया और बोला- आंटी, तुम बहुत गजब की माल हो इस उम्र में भी … जानेमन मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ..
मैंने नामित को अपनी बांहों में भर के चूम लिया.

इसके बाद मेरे बेटे ने मुझे कैसे चोदा और नेहा के साथ हम चारों ने कैसे ग्रुप सेक्स का मजा लिया ये आपको अगली बार लिखूंगी.
मेरी चुदाई की कहानी कैसी लगी.. मेल अवश्य कीजिएगा.
viratgarg@desibees.com

माँ बेटा चुदाई: बेटे ने मेरी हवस मिटाई

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प्रिय पाठको, मेरी कहानी माँ बेटा सेक्स की है, मेरा नाम प्रभा है, मैं 37 साल की विधवा हूँ. मेरे 2 बच्चे है, एक बेटा सोनू 19 साल का और बेटी शिवानी उससे छोटी है.

करीब एक साल से मैं अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ रही हूँ. और यकीन मानिये यहाँ की कहानियाँ बेहद गर्म होती हैं!
काफी दिनों बाद आज मैंने सोचा कि अभी 20 दिन पुरानी घटना को कहानी के माध्यम से आप लोगों के साथ शेयर करूँ!

तो दोस्तो, आज मैं आपको एकदम सच्ची घटना बताने जा रही हूँ जिसमें मैं और बेटा बेटा सोनू है!
मेरे पिताजी को दारू की लत थी, माँ बचपन में ही चल बसी थी तो मेरे पिताजी ने मेरी शादी किशोरावस्था में ही करवा दी. कुछ साल अच्छे से बीते, सोनू और शिवानी का जन्म हुआ और फिर एक रोज़ मेरे पति का एक एक्सीडेंट के वजह से देहांत हो गया करीब 4 साल पहले!
मैं पूरी तरह टूट चुकी थी लेकिन ससुराल के लोगों ने बहुत मदद की और मैंने एक दुकान खोल ली जिससे हमारा गुजारा अच्छे से चलने लगा.
सब ठीक से चल रहा था लेकिन हर औरत और मर्द की कुछ बुनियादी शारीरिक जरूरतें होती हैं, वहां पर आकर मैं बेबस हो जाती थी, बाहर किसी से सम्बन्ध क्या रिश्ता रखने में भी बदनामी का डर सताता था तो इसी बेबसी को अपनी किस्मत मानकर जीवन काट रही रही थी!

अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ती थी, पोर्न वीडियो देखती थी और उंगली से ही चुत की आग मिटाती थी … लेकिन आखिर कितने दिन?
खैर मैंने दिमाग से ये ख्याल ही उतार दिया था लेकिन करीब एक महीने पहले कुछ ऐसा घटा कि मेरी लालसा बढ़ गयी!
एक रोज़ शिवानी स्कूल गयी थी और मेरा बेटा घर पर ही था, मैं दूकान से जब दोपहर को घर आयी खाना बनाने तो एक चाभी जो मेरे पास रहती थी उससे मैंने दरवाजा खोला और अंदर गयी. अंदर सोनू के कमरे का दरवाज़ा आधा खुला था और वो बिस्तर पे सिर्फ अंडरवियर पहन के लेटा था और अंडरवियर के ऊपर से ही उसका लौड़ा लम्बा मोटा और सख्त है, यह मुझे महसूस हो गया था.
लेकिन आखिर है तो मेरा बेटा … यह सोचकर मैं अंदर चली गयी और खाना बनाकर सीधा बेड पे लेट गयी.
मेरे ख्याल में अब भी वही चल रहा था, मैं चाह कर भी खुद को रोक नहीं पा रही थी.

फिर मैंने अन्तर्वासना की साइट से माँ की चुदाई श्रेणी से माँ बेटा सेक्स कहानियाँ पढ़नी शुरू कर दी, यकीन मानिये … पढ़ने के बाद मैं खुद के काबू में नहीं रही, मैंने उंगली से अपनी चुत को छुआ तो वो पानी पानी हो चुकी थी.
मैंने उस रोज रात में न खाना बनाया न खाया … मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी … मुझे बस चुदना था अब!
उन कहानियों से मैंने सीखा कि कोई भी रिश्ता हो लेकिन असल रिश्ता सिर्फ एक औरत और मर्द का होता है फिर वो चाहे बेटा हो या देवर!
रात के करीब 12 बज रहे थे, मैंने बहुत सारी पोर्न वीडियो देखी एवं हिंदी सेक्स कहानी पढ़ कर धीरे धीरे मैंने उंगली करनी शुरू कर दी अपनी चुत में … मेरा जोश एकदम बर्दाश्त के बाहर हो रहा था, जी कर रहा था कोई भी मर्द आकर मेरे जिस्म को नोच के खा जाए!
तभी एकाएक सोनू आकर सीधा चढ़ गया मुझ पर … वो भी पूरा नंगा!
मैं अचानक हुए इस हमले से भौचक्की रह गयी और हड़बड़ा कर उसे दूसरी तरफ धकेला और खड़ी हो कर अपनी साड़ी ठीक करने लगी!

इतने में सोनू ने मुझे कस के पकड़ कर बिस्तर पे लिटा दिया और बोला- साली कब से उंगली कर रही है … तुझे तो उंगली करते हुए मैं रोज़ ही देखता हूँ और नंगी नहाती है तब भी दरवाज़े के छेद से तुझे देखता हूँ. माँ-बेटे का रिश्ता भूल कर सिर्फ अपनी हवस मिटा माँ! क्यूंकि मैंने भी आज तक सिर्फ मुठ ही मारी है! आ जा मेरी जान … आज तेरे जिस्म की आग मिटाता हूँ मैं! मुझे अपना बेटा नहीं, अपना पति समझ आज की रात! तुझे दिखाने के लिए ही अंडरवियर में लेटा था!
इतना कहकर सोनू मुझे चूमने लगा और मेरे बूब्स दबाने लगा.

अब मैंने शर्म हया सब त्याग दी, मेरा कण्ट्रोल खुद पे नहीं रहा था, बस अब सामने एक हट्टा कट्टा मर्द दिख रहा था जिसका लौड़ा उसके बाप से भी लम्बा था. मुझे अब अपनी प्यास बुझानी थी और सोनू भी हवसी हो चुका था!
मुझे बचपन से ही ज्यादा जोश आया करता था और मुझे वाइल्ड सेक्स बहुत पसंद है जिससे कि कोई मेरा बदन नोच के खाये!
मैंने कहा- सोनू बेटा, मुझे एक रांड समझ और जो दिल में आये वो कर … मुझे मार, गाली दे, जो मन करे वो कर … बस मेरी आग मिटा मेरे बेटे!

यह सुनकर सोनू ने मेरी ब्लाउज को आगे से खींच कर फाड़ दिया और ब्रा को खोलकर मेरे निप्पल चूसने लगा और बूब्स मसलने लगा.
सोनू- साली रांड … तुझे अब मैं सही में रांड बनाऊंगा आज चोद के … कितना चुदवा सकती है तू सच सच बता?
प्रभा- बेटा, मैं तो दस मर्दों से भी चुदवा लूं, इतना भयानक जोश चढ़ा हुआ है मुझे!

इतना सुनते ही सोनू ने मेरी गांड मसल दी और कहा- साली कुतिया, बदन तो एकदम कसा हुआ है तेरा, सिसकारी जोर जोर से ले मम्मी, मैं चाहता हूँ कि पूरा मोहल्ला आज जान जाए कि तू चुद रही है!
इतना कहकर सोनू ने मेरी साड़ी पूरी खोल दी और पेटीकोट का नाड़ा खोल कर मुझे नंगी कर दिया, सिर्फ पैंटी बची थी जिसने मेरी गीली चूत को ढक रखा था!

फिर मेरे बेटे ने मुझे बेड पे लिटाया और मेरे पूरे बदन को चूमने लग गया एकदम हवसी के जैसे … आखिर पहली बार उसे नंगी औरत मिल रही थी चोदने को!
अब सोनू ने अपनी माँ की दोनों जांघों को चूमा और जांघें फैला कर पैंटी के ऊपर से ही मेरी चुत को चाटने लगा. मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैंने सोनू से कहा- बेटा, अपनी माँ की पैंटी उतार के चाट जीभ घुसा के मेरी चुत में!

सोनू ने अपने दांतों से मेरी पैंटी खींच कर उतारी और जैसे ही उसने जीभ मेरी चुत पे लगायी, मेरी हालत ख़राब हो गयी और मैं चिल्ला उठी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… अहहाह!
मेरी सिसकारी इतनी जोर से निकली कि आवाज सुनते ही आधी नींद में मेरी बेटी शिवानी मेरे कमरे में आ गयी और बोली- क्या हुआ मम्मी?
हम दोनों माँ बेटे अपने काम में लगे हुए थे!
मैंने कहा- कुछ नहीं बेटी, तुम जाओ सो जाओ!
शिवानी- मम्मी, भैया क्या कर रहा है आपके साथ? कपड़े भी नहीं पहने हैं उसने!
मैं- बेटा, वो मुझे प्यार कर रहा है, तुम और बड़ी हो जाओगी, तब तुम भी समझ जाओगी!

शिवानी- मम्मी, मुझे अकेले डर लग रहा था, मैं यहीं तुम्हारे बगल में सो जाऊँ?
अब मैं बड़ी मुसीबत में फंस गयी और न चाहते हुए भी शिवानी को अपने पलंग पर सुला लिया मैंने!
इधर सोनू ने मेरी चुत में अपनी जीभ पूरी पेल रखी थी, चुत से झरने की तरह पानी निकल रहा था!
मैंने कहा – सोनू बेटा, अब चोद मुझे … लौड़ा घुसा अपना अपनी मम्मी की चूत में!
इस पर सोनू ने कहा- साली कंडोम नहीं है, ऐसे ही चोदूँ, चलेगा न?

मुझे लौड़ा जल्द से जल्द अपनी चुत में महसूस करना था तो मैंने कहा- कर न साले, सोच क्या रहा है, कंडोम नहीं है तो उसके बिना चोद!
सोनू- मम्मी, मैं पहले तुम्हारी गांड मारूंगा! कुतिया अपनी गांड देखी है तूने कभी? एकदम गोरी गोरी मोटी फूली हुई है!

मैं गांड मरवाने की शौक़ीन रही हूँ तो मैं तुरंत कुतिया बन गयी और कहा- ले बेटा, मार अपनी माँ की गांड जी भर के!
अब सोनू ने पीछे से मेरी गांड अपना लौड़ा घुसना शुरू किया,इतने सालों बाद लौड़ा घुस रहा था तो मैं होश में थी ही नहीं बिल्कुल,धीरे धीरे कर के उसने अपना पूरा मोटा मुसल जैसा लन्ड मेरी गांड में पेल दिया और मेरे बाल पकड़ के मेरी गांड मरने लगा!
वो पहली बार चोद रहा था तो थोड़ा धीरे धीरे चोद रहा था तो मैंने कहा- बेटा कस कस के मार, इतने आराम से गांड और चुत नहीं मारी जाती है! कस के एकदम रांड समझ के पेल मुझे!
अब सोनू जोश से भर गया और मेरी पीठ पे थप्पड़ मारते हुए मेरे बाल खींच कर मेरी गांड मार रहा था. मैं एकदम भयानक जोश में आ चुकी थी! वासना मेरे सर चढ़ कर बोल रही थी.

तभी शिवानी बोली- भैया, मम्मी को क्यों मार रहे हो? उन्हें दर्द हो रहा है!
सोनू- अरे बहन, प्यार करने का यह एक तरीका होता है, तू बड़ी होगी तो समझ जाएगी!
मैंने कहा- शिवानी बेटा, तुम आंखें बंद कर के सो जाओ, भैया को प्यार करने दो मुझे!

अब सोनू मेरी गांड पर भी थप्पड़ मार रहा था जिससे मेरा जोश और बढ़ता जा रहा था. सोनू ने कहा- साली, तेरी गोरी गांड लाल हो चुकी है मेरे थप्पड़ों से और पीठ भी … अब तेरा बेटा अपनी माँ की चुत का मज़ा लेना चाहता है!
मैंने तुरंत कहा- हाँ बेटा, ले न जितना मज़ा लेना है ले! और अब से जब तेरा दिल करे तब मज़े लेना मेरे बदन का!

इतना कहकर मैं सीधी होकर लेट गयी और सोनू मेरी टांगें उठा कर मेरे ऊपर लेट गया और धीरे धीरे अपना लौड़ा मेरी चुत में घुसाने लगा!
सालों बाद मेरी चुत में लौड़ा घुस रहा था, मेरी चूत पानी से लबालब हो चुकी थी.
पूरा लौड़ा घुसाने के बाद जब सोनू ने चोदना शुरू किया तो मैं सातवे आस्मां की मस्ती पर थी, पूरे कमरे में फच फच की आवाज़ हो रही थी और मेरी सिसकारियाँ गूँज रही थी!

सोनू- ले साली, और कस के चुद तू आज, आज तेरे इस कामुक बदन की आग बुझा ही दूंगा!
मैं- हरामी साले, ये आग सालों की है, इतनी जल्दी नहीं मिटेगी. और कस के दम लगा कर चोद मुझे! साले इतना मोटा मुसल जैसा लौड़ा है तेरा कि लग रहा है कि स्वर्ग में हूँ मैं! और चोद बेटा और कस कस के चोद अपनी मम्मी को!
सोनू- ले साली रांड मां मेरी … और कस कस के ले!

सोनू बहुत बुरी तरह से जानवर जैसे मेरे बदन को नोच रहा था और मुझे वो बहुत ही ज्यादा पसंद आ रहा था! जी कर रहा था आज चुदवा चुदवा के मर ही जाऊँ!
काफी देर तक मेरी चुत चोदने के बाद सोनू ने कहा- मम्मी, मेरा गिरने वाला है अंदर ही!
और मैं इतने जोश में थी कि कुछ कहने की हिम्मत नहीं थी. उसका इतना बोलना था कि मैं परमानन्द को प्राप्त हुई, अपने शिखर पर पहुँच कर मेरा माल गिर गया और ओर्गास्म के साथ ही मैं मछली जैसे छटपटाने लगी. जिसे सोनू समझ गया और मेरी यह हालत देख कर जोश में सोनू का भी गिर गया.

मुझे मालूम था कि मेरे सेफ सुरक्षित दिन चल रहे हैं तो निश्चिंत होकर मैंने अपने अंदर ही गिरवा लिया और मेरा सगा बेटा सोनू मेरे ऊपर ही यानि अपनी सगी नंगी मां के ऊपर लेट गया!
करीब दस मिनट बाद सोनू उठा और चुपचाप अपने कमरे में चला गया!
मैंने उठ कर अलमारी से नाइटी निकाल कर पहनी और लेट गयी.
तभी शिवानी उठ कर बैठ गयी और बोली- मम्मी, भैया ने आपको बहुत प्यार किया न?
मैंने- हाँ बेटी, बहुत ज्यादा खुश कर दिया है, चलो अब सो जाओ तुम भी!

मेरे मन में शक पैदा हो चुका था कि शायद शिवानी सब समझ चुकी है क्यूंकि अब वो कोई बच्ची तो रह नहीं गयी, पूरी जवान हो चुकी है!
खैर इस बारे में फिर न शिवानी ने कुछ कहा, न ही मैंने!
और फिर हम दोनों मां बेटी भी सो गए!

सुबह पांच बजे सोनू ने दुबारा से आकर मेरे जिस्म को नोचा और जमकर अपनी माँ को चोदा पर इस बार उसका माल मैंने अपने मुँह में लेकर पी लिया था!
अब मुझे एक मर्द और मेरे बेटे को जवान औरत मिल चुकी थी और इस तरह से हम अपनी शारीरिक जरूरत यानी कामवासना पूरा करते हैं!
तो मित्रो, आपको मेरी यह माँ बेटा सेक्स की कहानी कैसे लगी मुझे मेल कर के जरूर बताइयेगा, मेरी ईमेल है
sharma.prabha1981@desibees.com

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ஆசை தீர்ந்ததா ..? யு ….. நாட்டி பாய

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முலைகள் , மார்பகங்கள் , கொங்கைகள் என்பவை , காமத்தின் ஆரம்பங்கள் .எனக்கும்தான் . ..! ஆனால் , பால் ஊட்ட பயன்படுத்தியதே , வேறு விதமாய் பயன் ஆன அனுபவுமும் உண்டு . அது ஒரு ஆக்ஸிடெண்ட் .

என் பெயர் மாலினி . இளம் விதவை . பெருத்த மார்பகங்களும் , பின்னங்களும் , இடைகளுமானவள் . என் ' B ' கப் சைஸ் = 36 .
நடக்கையில் குலுங்கும் ; திமிறித் தள்ளாடும் . என்னவர் , என்னை காதலித்தற்கும் , மணந்தத்ற்கும் காரணமே , என் பெருத்த முலைகள்தான் .

கல்யாணத்திற்கு முன்பே, தனிமையில் என்னை பார்த்தார்.
நெருக்கத்தின் பெருக்கத்தில் , மோகத்தின் தாகத்தில் , என் ரவிக்கைகள் விலகின . என் கொங்கை மாம்பழங்கள் விரிந்து ஆடின. முலைகளைப் பார்த்தவர் ,முட்டி முட்டி மோதினார் . ஆசையாக விளையாடினார் . அடுத்த நாளே , தாலியைக் கட்டினார் . தனக்கே தனக்கென்று , என் மார்பகப் பழங்களை சொந்தமாக்கினார் .

சரியான ….முலைப் பைத்தியம் அவர் …!முட்டி முட்டி பால் குடித்ததில் , அடுத்த பத்தே மாதங்களில் , ஒரு ஆண் வாரிசையும் தந்தார் .விதியால் , காலத்தின் சதியால் ,அவரும் இறந்து விட்டார் . விபத்தில் என்னைப் பிரிந்தும் விட்டார் .போராடி , போராடி , என்னையும் , என் பிள்ளையையும் காப்பாற்றினேன் . அவனையும் ஆளாக்கினேன் . ஜெயித்தேன் .

ஜெயித்த நேரம் , முலைப் பைத்தியம் , அவனுக்கும் வந்து விட்டது . தற்செயலாய் முட்டி விட்டது. அவனும் , பிரமாதமாக வளர்ந்திருந்தான் . அத்லெட்டிக் பாடி , அசத்தல் முகம் , விரிந்த தோள்கள் என என்னவரைப் போல , பரந்திருந்தான் . பருத்திருந்தான் .ஆயிரம் காமம் தீண்டினாலும் , மோகமானாலும் , என்னவரைத் தவிர எவருமே என்னைச் சேர்ந்ததில்லை . தீண்டியதில்லை .மோகத்தைக் காப்பதற்கு , நான் உபயோகித்தது , ஆழமாய் குறியில் இட்டு விளையாட ,என் நீண்ட கை விரல்கள்தான் . கை ஆட்டம் ஆடி , என் மோகத்தை தணித்துக் கொண்ட்டேன் .என் பிள்ளையின் பாசத்தை எண்ணி , எவரையுமே அண்ட விடாமல் பார்த்துக் கொண்டேன் .
ஆனாலும், என்னைத் தீண்டியது, அவனேதான் . பால் குடித்த பாலகனுக்கு , வேறு வித பாலும் ஊட்ட வேண்டியதாயிற்று ..!

எனக்காக அல்ல ; அவனுக்காக ..!

இரவுகளிலும் , இன்னமும் ஒரே அறையில்தான் இருவரும் உறங்குவோம் . இன்னமும் , நாங்கள் மிடில் கிளாஸ் என்பதால் , இரண்டே அறைகள்தான் இருக்கின்றன .

அன்றைக்கும் அப்படித்தான் . இரவில் உறக்கம் வராமல் புரண்ட போது , லேசாய் என்பிள்ளையின் ஆட்டத்தை பார்த்தேன் . அதிர்ந்தேன் .
ஆம் … வேகமாக , வெகு வேகமாக , கை அடித்துக் கொண்டிருந்தான் . என்னவருக்குப் பிறகு நான் பார்த்த முதல் அது …அவனுடையதுதான் .
பிள்ளைக்கு தாங்கவில்லை ; ஆடுகிறான் என உறங்க முயற்சித்தேன் . பின் , அப்பப்ப என் அருகில் முட்டியபடி படுத்தான் . முதுகோரம் அவன் தலை முட்டுவது தெரிந்தது .ஆனால் விழித்தால் , பிள்ளையின் ஆட்டம் நிற்குமே என வருத்தப்பட்டேன் .

அப்படியே சில நாள் போனது . ஆனாலும் இரவுகளில் அவன் கை அடிப்பதை என்னால் உணர முடிந்தது .ஆனாலும் பகலில் , அவனைக் கேட்டதில்லை .கேட்க வேண்டிய விஷயமா இது ..?

அன்று இரவும் அப்படியே ஆரம்பமானது. நெடு நேரம் எந்த சத்தமுமில்லை. மெல்ல புரண்டு படுத்து நிமிர்ந்தேன். அவனும் நல்ல உறக்கத்தில் இருந்தான். களைப்பு போல் என சிரித்தபடி உறங்கி விட்டேன்.
தீடிரென, யாரோ என் மார்பகங்களை வருடுவது போல் இருந்தது . திடுக்கிட்டு விழித்தேன் .நேராய் படுத்ததில் என் முலைகள் விலகியிருந்தன . ரவிக்கை ஏறுமாறாய் தெரிந்திருந்தது. லேசான தெரு விளக்கோர ஒளியில் என் மார்பகங்களின் கோணம் ,அவனுக்கு தெளிவாய் தெரியும் .சரியாக ஒதுக்கிக் கொண்டு படுத்தேன் . திரும்பவும், சிறிது நேரம் போனதும் , அவன் விரல்கள் என் ரவிக்கையோடு சேர்த்து தொட்டன . இப்போதும், நான் மல்லாக்கவே படுத்திருந்தேன் .ஆனாலும் விலகவில்லை. என்னவோ தெரியவில்லை .பிள்ளை ஆர்வத்தில் தொடுகிறான் என சும்மாயிருந்து விட்டேன் .அவனோ , நான் உறங்கி விட்டேன் என எண்ணி மேலும் என் முலைகளை கசக்கினான் . பிசைந்தான் . வருடினான் .அது ஒரு சுகம் . தவறாயிருந்தாலும் , என்னவருக்குப் பின் , என்னை அங்கு தீண்டியது அவன் மட்டும்தான் .
என்னவோ பேசாதிருந்தேன் . ஆனாலும் , அவனும் நிறுத்தவில்லை . மேலும் கொஞ்ச நேரம் விளையாடினான் . பின் , மெல்ல என் நிமிர்ந்து , நான் உறங்கி விட்டேனா எனப் பார்த்தான் .

நான் இறுக கண்ணை மூடிக் கொண்டேன் . அவன் மெதுவாய் என் முலை கோபுரத்தில் , மெல்ல பார்த்தான் . பின் , வருடினான் .இதுவே அதிகம் ; இதற்கு மேல் வேண்டாம் என சட்டென்று , அந்தப் புறமாய் திரும்பிப் படுத்து விட்டேன் . அவனும் திரும்பி விட்டான் .ஆனால் , அவன் கை அடிப்பது தெளிவாக பாய் ஆடும் வேகத்தில் புரிந்தது .வயசுக் கோளாறு ' படுத்துகிறது . காலாகாலத்தில் ஒரு பெண்ணைப் பார்த்து விட வேண்டும் என முடிவானேன் .அந்த வாரம் முழுக்கவே , அதே கதைதான் . இரவானதும் , நட்ட நடு நிசியானதும் , நெருங்குவான் . என் முலையைத் தடவுவான் . வருடுவான் . மெல்ல பார்ப்பான் .எனக்கு , என்ன செய்வதென்றே தெரியவில்லை . ஆனாலும் அவன் ஆசைப் படுவதை தடுக்கவும் இயலவில்லை . அன்றைக்கு ரொம்பவே அழுத்தமாய் பிசைந்து விட்டான் .வலியில் , என் மார்பகத்திலிருந்த அவன் விரல்களை தடுத்தேன் . வேகமாய் புரண்டு படுத்தேன் .அவன் அதிர்ந்து விட்டான் . நான் விழித்திருந்தது , அவனுக்கு தெரிந்ததால் பயந்து விட்டான் .

மறு நாள் விடிந்தது . வேறு வழியே இல்லை .அவனிடம் பேசியே ஆக வேண்டும் . நான் கேட்டேன் . அவனோ தலை குனிந்தபடியே இருந்தான் .
'' ம்ம்ம்ம் … நேத்திக்கு என்னடா பண்ண …? '' நான் அதட்டினேன் .
'' …'' அவன் வாயே திறக்க வில்லை .

'' இதெல்லாம் வேணாம் . ஏதோ ஆசை தாங்கலை . கொஞ்சம் நாள் பொறுத்துக்க , ஒரு பொண்ணு பார்த்துடறேன் …'' நான் சிரித்தேன் .
'' அவனும் சிரித்தான் . வழிந்தான் .

…? '' நான் மேலும் சிரித்தேன் .

'' இல்ல …. எனக்கு , எப்பவுமே ஆசைதான் . ஒரு வாட்டி பார்க்கணும்னு ரொம்ப ஆசை ..'' அவன் வழிந்தான் . என்னவோ உளறினான் .

'' சரி ….சரி …போ . இதெல்லாம் வேணாம் …'' அவனை அனுப்பி விட்டேன் .

ஆனாலும் அவனை நினைக்க பாவமாயிருந்தது .

அன்றைக்கு இரவு , நெடு நேரமாய் நான் உறங்கவில்லை . அவனும் கை அடித்தாற் போல் தெரியவில்லை . எனக்கும் நிம்மதியானது . இரண்டு நாள் ஆனது .அவன் முகத்தில் என்னவோ ஏக்கம் . வருத்தம் . உற்சாகமாகவே இல்லை .அன்றைக்கு இரவும் , என்னை ஏக்கமாய் பார்த்தான் . பின் , மெல்ல பேசாமல் படுத்து விட்டான் .எனக்கோ பாவமாயிருந்தது .

நடு நிசியானதும் , உறக்கத்தில் புரண்டு படுத்தேன் . புரண்டதில் , ரவிக்கை பிரிந்து நின்றது .என் மார்பகங்கள் விலகின . எனக்கு விழிப்பு வந்து விட்டது .அவன் என்ன செய்கிறான் எனப் பார்த்தேன் . அவனுக்கும் விழிப்பாகி விட்டது போலும் .மெல்ல பார்த்தான் . தயங்கினான் .மீண்டும் பார்த்தான் .நான் உறங்க எத்தனித்த்தேன் .அவன் மெதுவாய் , என் முலைகளை மீண்டும் தொட்டான் . வருடினாண் . இடப் பக்கத்தை , ரவிக்கை விலகிய பக்கமாய் பிசைந்தான் .நான் யோசித்தேன் . அவனோ தவிக்கிறான் . துடிக்கிறான் . என்ன செய்ய …?

அவனோ மேலும் வருட , வருட , எனக்கு காமமும் ஆனது . ஆனாலும் , தடுக்கவும் தோணியது .ஆனாலும் , அவனுக்காக , அவன் ஆசைக்காக தர முடிவானேன் .அவன் , திடிரென வருடலை நிறுத்தினான் . நான் மெல்ல அவன் புறமாய் திரும்பிப் படுத்தேன் .அவனை பார்த்தேன் .அவன் முழித்தாலும் , உறங்குவது போல் பாவ்லா செய்தான் .நான் சிரித்து விட்டு , என் ரவிக்கை பட்டன்களை நன்றாய் விலக்கி விட்டேன் . ஏற்கனவே பிரா நான் போடுவதில்லை .என் இதைப் பார்த்தால் என்ன செய்வான் என எண்ணிச் சிரித்தேன் .இரவு விளக்கின் மெல்ல ஒளியில் , என் மார்க் காம்புகள் விறைத்து நிமிரிந்தன .லேசாய் முந்தானையை மட்டும் போர்த்தியபடி இருந்தேன் . அவன் பார்த்தவுடனே தெரிந்து விடும் , புறாக்கள் சிறகடிப்பது ..!

ஆசைக்கு பார்க்கட்டுமென , மெல்ல அவனைத் தட்டி விட்டேன் .

பின் , கண்ணை மூடிக் கொண்டு ஒரக் கண்ணால் பார்த்தேன் .அவன் பார்த்தான் . மெல்ல தொட்டான் . அதிர்ந்ததை புரிந்தேன் . வேகமாய் , முந்தானை விலக்கிப் பார்த்தான் . திறந்த என் மார்பகங்களை வருடினான் . முழுக்க பிசைந்தான் .இடதையும் , வலதையும் ஆசை தீரக் கசக்கினான்.

தடவ ,தடவ எனக்கோ தாங்கவில்லை .ஆனாலும் அமைதியாய் உறங்குவது போலிருந்தேன் .முலைகள் திறந்ததே , அவனுக்கு புரிந்திருக்கலாம் . ஆனாலும் ,எதுவும் பேசாமல் பிசையாட்டம் செய்தான் .
மேலும் தாங்காமல் ஒருக்களித்து அவன் புறமாய் படுத்தான் . என் முலைகள் , அவன் முகத்தின் முன் நின்றன .லேசாய் முட்டின .
அவன் தயங்கினான் . மெல்ல தடவியபடியே பார்த்திருந்தான் .
அதையும் ரசிக்கட்டுமென , விருட்டென , அவன் முகத்தில் படுமாறு என் முலையை முட்டினேன் .மார்பகத்தை முழுக்க ,அவன் முகத்தில் அழுத்தினேன் . ஆ …ஆ .. அவனுக்கு பரம சுகம் போலும் . ஆசை தணிந்தது போலும் .முட்டியபடியே , முகம் புதைத்தான் . நான் அழுத்தினேன் . ஆனாலும் வாய் திறவாதிருந்தான் .நான் மெல்ல அவனுக்கு புரியட்டுமென , அவன் முகத்தை இழுத்து மார்பகத்தில் அழுத்திக் கொண்டேன் .

அவனுக்குப் புரிந்தது. மெல்ல முட்டினான். அழுந்த முட்டினான். மெல்ல அவன் தலையை வருடி விட்டேன் . முகத்தை தடவியபடி, வாய் திறந்து என் மார்க் காம்பை சுவைக்க வைத்தேன். அவனுக்கு தெளிவானதில் , ஆசை தீர பால் குடித்தான் . கனிந்த அந்த காம்புகளில் ,கனியாய் பிசைந்தான் . பழ ரஸமாய் குடித்தான். அரை மணியாய் , பால் குடிக்க வைத்தேன் . வருட வைத்தேன் .பின் , மெளனமாய் திரும்பிப் படுத்தேன் . அவனும் ஆசை தீர்ந்து உறங்கினான் .

அன்றைக்கு நடந்தது , அவனது ஆசைக்காய் ; ஆர்வம் தணிக்கும் ஆசையாய் …!எதுவும் பேசாமல், சொல்லாமல் நடந்த வயசுக் கோளாருக்காய் .மறு நாள் காலை விடிந்தது .அவன் சிரித்தான் . ஆனாலும் வெட்கித் தலை குனிந்தான் . எதுவும் பேசவில்லை .நான் மெதுவாய் தலையை கோதியபடி கேட்டேன் .

'' ஆசை தீர்ந்ததா ..? யு ….. நாட்டி பாய் … ''

'' ம் .. ரொம்பவே தீர்ந்துட்டுது . ரொம்ப பெரிசு …''்..'' அவன் தலையாட்டிச் சிரித்தான் .

'' உனக்காகத்தான் தந்தேன் . ஜஸ்ட் , ஒரு வாட்டி தந்தேன் . ஒ . கே …'' நான் சிரித்தபடி நகர்ந்து

விட்டேன் . அவனும் அகன்று விட்டான் .

ஒரு வார்த்தை பேசாமல் , அனுபவம் சொல்லாமல் ,அரங்கேறியது ; அவன் ஆசையும் தீர்ந்தது .

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विधवा मामी की चूत की वासना

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मेरा नाम प्रदीप है। मैं कुकमा, गुजरात से हूँ। मैं 18 साल का हूँ.. मेरा ऊँचाई साढ़े छह फुट और मेरा रूप थोड़ा सा गोरा और लंड काफी लंबा और मोटा है।

मेरे तीन मामा हैं, सभी पास-पास में ही रहते हैं। मैं जब भी अपनी ननिहाल जाता तो अपनी बड़ी मामी विद्या के पास ज्यादा रहता था।
मेरे मंझले मामा के गुजर जाने के बाद वो अकेली रहती थीं। मैं बचपन से ही उनके पास रहता था वो मुझे बहुत प्यार करती थीं। छोटी उम्र में वे ही मुझे नहला देती थी.. तब वे मेरी बड़ी सी लुल्ली को सहलाती थी तो मुझे बहुत अच्छा लगता था।
वे चूंकि कम उम्र में ही विधवा हो गई थीं और उनके कोई संतान भी नहीं है। शायद इसलिए उनकी कामेच्छा मेरी बड़ी सी लुल्ली देख कर भड़क जाती थी। वो लगभग 36 साल की हैं.. पढ़ी-लिखी हैं और दिखने में बहुत गोरी हैं।
अब मैं जवान हो गया तो उनके बड़े मम्मे और बड़ी गांड देखते ही मेरा लण्ड पैन्ट फाड़कर बाहर आने को मचल जाता था।
बात तब की है.. जब मुझे एक एग्जाम देने अहमदाबाद जाना पड़ा। उसी समय उनको भी किसी नौकरी के लिए इंटरव्यू देने अहमदाबाद जाना था।
मुझे सात दिन तक उधर रहना था और उनको भी पांच दिन तक वहीं रहना था।

उन्होंने कहा- इधर सात दिन के लिए एक होटल में कमरा बुक कर लेते हैं।
मेरे मन में उनके साथ मजे करने का ख्याल आया, मैंने तुरंत एक अच्छे होटल में कमरा बुक कर लिया।

अगले दिन हम दोनों साथ में रवाना हुए। शाम के पांच बजे होटल पहुँच कर रूम की चाभी लेकर कमरे में गए। उसके बाद थोड़ी देर आराम करके वो नहाने चली गईं, मैं पढ़ाई करने बैठ गया।
तभी थोड़ी देर में आवाज आई- प्रदीप, जरा तौलिया देना तो।
मुझसे रहा नहीं गया, मैं जल्दी से तौलिया लेकर मुँह मोड़ कर खड़ा हो गया।
तभी उनकी आवाज आई- जा तू मुझे शरीर को कोरा करना है।

मैं चला गया.. फ़िर मामी घाघरी और ब्लाउज पहन कर बाहर आ गईं, वो बोलीं- तुझे नहीं फ़्रेश होना.. चल मैं तुझे नहला देती हूँ।
मैं बोला- चलो ठीक है.. आज आपके हाथों से ही नहाता हूँ।

उन्होंने मेरे कपड़े निकाले और बोलीं- तू मेरे कपड़े निकाल दे।
मैंने कहा- आप तो अभी नहा कर गई हो।
उन्होंने बोला- निकाल भी दे..

अभी मैं अंडरवियर में था और मामी ने हँसते हुए बोला- अंडरवियर इतना क्यों जोर से फूल रहा है?
मेरे तो छक्के छूट रहे थे।

फिर मैंने उनके नग्न जिस्म को देखा तो चूत के पास बालों का जंगल था.. जिस कारण से उनकी चूत दिख ही नहीं रही थी।
मैंने बोला- आप इन्हें काटती नहीं हो?
वो बोलीं- हटाने का टाइम ही नहीं मिलता.. आज इन्हें तुम हटा दो।

मैंने उनकी झांटों को साफ़ किया, बाद में उन्होंने खुद को पानी से साफ किया तो उनकी चूत चमक उठी।
मेरा लौड़ा खड़ा हो गया था, वो हँसते हुए मुझे नहला कर कपड़े पहनाने लगीं।

अब वो बोलीं- अब तो मैं तुम्हारे साथ ही घर जाऊँगी.. इसलिए तुम एक्जाम में ध्यान दो। मुझे भी कल की तैयारी करनी है.. इसल़िए कल सेन्टर से आने के बाद तुम्हें एक चीज बारे में बताऊँगी।
फिर हम दोनों ने खाना आर्डर किया। इसके बाद मामी 12 बजे तक सो गईं। मैं भी थोड़ी देर बाद सो गया। सुबह हम दोनों साथ में निकले। मैं एग्जाम दे कर वापस आया.. तो देखा मामी पेट पर हाथ रख कर सो रही थीं।
मैंने बोला- क्या हुआ.. मामी कैसा रहा आपका इन्टरव्यू?
वो बोलीं- ठीक हुआ।
मैंने पूछा- आपको क्या हुआ.. कुछ प्रोब्लम है?
बोलीं- हाँ.. कमर में दर्द हो रहा है.. तू तेल लगा दे।

मैं बैग में से तेल निकाल कर लाया और बोला- बताइए.. किधर लगाऊँ?
उन्होंने साड़ी निकाल कर कहा- कमर पर लगा।

मैं धीरे-धीरे उनके मदमस्त गोरे जिस्म पर मालिश कर रहा था। तभी मेरा हाथ उनकी गांड की तरफ गया।
वो बोलीं- क्या कर रहा है?
मैंने कहा- हाथ फिसल गया।

कुछ देर बाद मालिश करवाने के बाद वो शायद गर्म हो गई थीं।
तो उन्होंने लैपटॉप निकाला और एक ब्लू फिल्म लगा दी।

उन्होंने मुझसे कहा- क्या कभी ऐसी फिल्म देखी है.. या कभी किसी के साथ ऐसा किया है?
मैं बोला- फिल्म तो देखी है पर कभी किसी के साथ किया नहीं है।
मामी- फिल्म देख कर क्या करता था?
मैं- बस मुठ्ठी मार लिया करता हूँ।

मामी लैपटॉप को साइड में रख कर मेरे होंठों को चूसने लगीं.. मैं भी चूसने लगा फिर मैंने उनकी पीठ पर हाथ डाला और वो भी मेरे जींस के ऊपर हाथ फेरने लगीं। कुछ ही पलों में उन्होंने मेरी जींस को खोल कर निकाल दिया। मैंने भी उनके ब्लाउज को निकाल दिया।
आह्ह.. क्या बड़े-बड़े मम्मे थे और मैं उनके बादाम के रंग जैसे मम्मों से खलने लगा।
मामी बोलीं- ये खेलने की चीज नहीं.. इन्हें चूस.. तब मजा आएगा।
मैं तो कुत्ते की तरह मम्मों को मुँह में भर कर चूसने और काटने लगा।
उन्होंने मेरी अंडरवियर में हाथ डाल दिया और मेरे लंड को सहलाने लगीं।
फिर उन्होंने मेरे अंडरवियर को निकाल दिया। मैंने भी उनकी घाघरी निकाल दी। अब वो सिर्फ पैन्टी में थीं। अभी वो मेरे लंड को मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने में मस्त थीं। मैं लंड चुसाई से थोड़ी ही देर में झड़ गया। मामी मेरा पूरा माल चाट कर पी गईं।
फिर मामी ने 69 होने को बोला। अब मैंने भी पैन्टी को निकाल कर फेंक दिया।
क्या बताऊँ.. उनकी चिकनी चूत ऐसी थी जैसे किसी ने आज तक उसमें लंड डाला ही न हो। मैंने उनकी चूत में उंगली डाली तो वो ‘आह्ह्हह.. शिह्ह्हह..’ करने लगीं।
फिर मैं चूत को चूसने लगा और जीभ से उन की चूत को चोदने लगा। थोड़ी देर में तो वो भी झड़ गईं। उनकी चूत का पूरा रस मैं पी गया।
कुछ देर तक लगातार चूत चाटते हुए मैंने उनका पूरा साफ़ कर दिया इस दौरान मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया था और उनकी चूत भी दोबारा गरम हो गई थी।
अब वो बोलीं- चूत को चोदेगा भी या चूसता ही रहेग़ा?
ये बोल कर उन्होंने अपनी टांगें किसी रंडी की तरह फैला दीं। मैंने भी देर ना करते हुए उनकी चूत के मुहाने पर अपना मूसल लंड रख दिया.. कुछ देर चूत की दरार के ऊपर लंड घिसता रहा। फ़िर चूत के अन्दर थोड़ा सा पेला।
तो वो बोलीं- आहिस्ता से डालना.. पूरा एकदम से न घुसेड़ देना।
मैंने मुंडी हाँ में हिलाते हुए एक झटका लगाया और अपना आधा लंड उनकी लपलपाती चूत में घुसेड़ दिया।
वो चीख पड़ीं- अह्ह्ह्ह्ह..
मैं उनकी चीख को अनसुना करते हुए एक और झटका मार दिया और उनकी आँखों में से आंसू आ गए। मैं धीरे-धीरे झटके देने लगा। उनकी चीख पूरे कमरे में गूँज रही थी।
‘आआह्ह्ह्ह.. उह्ह्ह्ह..’
फिर वो भी गांड उठाते हुए ऊपर-नीचे होने लगीं। दस मिनट के बाद वो झड़ गईं और अब मैं भी झड़ने वाला था। मैंने बोला- किधर निकालूँ?
वो बोलीं- अन्दर ही डाल दे।
मैं चूत में ही झड़ गया और उनके ऊपर पड़ा रहा। थोड़ी देर बाद हम दोनों अलग हुए और बाथरूम में गए।
उन्होंने पूछा- मजा आया ना प्रदीप?
मैंने कहा- हाँ

फिर दोनों ने एक-दूसरे को साफ़ किया.. बाहर आकर बिस्तर पर लेट गए और कुछ देर बात करके हम दोनों नंगे ही एक-दूसरे से लिपट कर सो गए।
रात को एक बजे मामी ने मेरे लंड को सहलाया। मैं जाग गया.. और मेरा मूसल लंड भी खड़ा हो गया। मैंने भी उनकी चूत को सहलाया और बोला- मामी अब तुम घोड़ी बन जाओ।
वो बोलीं- मैं गांड तो मरवानी चाहती थी.. तेरा भी मन है तो चल अब आ जा मेरे घोड़े.. सवार होजा।
उनकी गांड तो इतनी कड़क थी कि उंगली भी नहीं जा रही थी।
मामी बोलीं- मेरे बैग में से मक्खन निकाल कर लगा ले।
मैं उनकी गांड में मक्खन लगाकर गांड को चाटने लगा।
फिर मैंने थोड़ा सा और मक्खन लिया और अपने लंड पर लगा लिया।
अब मैं उनकी गांड में लौड़ा लगा कर डालने की कोशिश करने लगा।
मैंने सुपारा गांड में फंसा दिया और एक झटका लगा दिया। मेरा आधा लंड उनकी गांड में घुस गया।
वो एकदम से चिल्ला पड़ीं- अह्ह्ह.. अह्ह्ह.. मैं लंड को डाल कर रखा। थोड़ी देर बाद वो ऊपर उठ कर मेरा साथ देने लगीं।
मैंने भी उनकी गांड मारने की स्पीड बढ़ा दी और कुछ पलों बाद अपना सारा माल उनकी गांड में छोड़ दिया। झड़ जाने के बाद मैं उनके ऊपर पड़ा रहा।
फिर हम दोनों उठे और बाथरूम में गए। हम दोनों एक साथ नहाए और फिर सो गए।
इन 7 दिन में मैंने उन्हें 15 बार चोदा। उसके बाद उनकी मदद से मैंने बहुत सी लड़कियों को चोदा।

दोस्त की मां और मैं

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नमस्कार दोस्तों, मैं राहुल आज आपके सामने अपने जीवन की एक सच्ची कहानी रखने जा रहा हूं। यह बात उस वक़्त की है, जब मैं बारहवीं पास करके कॉलेज की पढाई कर रहा था।

उस समय मैं द्वितीय साल में था, और मैं पढाई में कोई बहुत खास नही था। अक्सर मैं और मेरे दोस्त अपने फालतू के समय में उसके घर पर जाकर आराम करते थे। उसका घर कॉलेज से पास में ही था।

उसके घर में वो, उसकी एक बहन, और उसकी मां ही रहते है। उसके पापा ने उसकी मां से तलाक लिया हुआ है, तो वो दोनों अलग ही रहते है।

मेरे उस दोस्त का नाम था विजय। हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे, हमेशा साथ में रहनेवाले। जब भी कॉलेज में कोई काम नही होता, तो हम जाकर उसके घर में बैठ जाते थे।

अब तो उसके घरवाले मुझे अच्छी तरह से जानने लगे थे। कभी कभी वो कुछ काम से बाहर गया होगा, तो भी मैं जाकर उसके घर में बैठ जाता। उसकी बहन हमसे छोटी थी, वो अब बारहवीं में पढ़ रही थी।

उसकी मां अब भी सजती-संवरती थी। उसकी मां दिखने में किसी हीरोइन सेकम नही लगती थी, पता नही उसके पति ने उसे क्यों छोड दिया।

वहां कॉलेज के आसपास विजय की मां को लेकर बहुत सारी अफवाएं फैली हुई थी, लेकिन उसे हम कुछ नही कर सकते थे। एक दिन ऐसे ही दिन में मैं कॉलेज में बोर हो रहा था, तो विजय के घर चला गया।

वो आज कॉलेज नही आया था, घर पर पूछने पर पता चला कि, वो तो किसी काम से पासवाले गांव गया हुआ है। घर में उस वक़्त सिर्फ उसकी मां ही थी। जब मैं वापस कॉलेज के लिए निकलने लगा, तो उसकी मां ने मुझे बुलाकर कुछ देर रुकने के लिए कहा।

मैं भी उनकी बात मानकर रुक गया और अंदर जाकर टीवी देखने लगे गया। कुछ ही देर में आंटी मेरे लिए चाय लेकर आ गई, तो हम दोनों मिलकर चाय पीने लगे। चाय पीने के बाद, पता नही मुझे क्या होने लगा था?

अचानक ही मेरे मन में चुदाई की इच्छा जागने लगी। मेरी हालत खराब हो रही थी, मुझे देखकर आंटी ने हंसते हुए मुझसे कहा, “क्या हुआ राहुल बेटा? सब ठीक तो है?”

मैं उन्हें क्या कहता, मैंने उन्हें हां बोलकर अपना लण्ड छिपाने की कोशिश करने लगा। अपने आप ही मेरा लण्ड खडा होने लगा। मैंने जल्दी से चाय खत्म की, और घर से निकलने लगा।

तभी आंटी मुझे रोकने का प्रयास करने लगी, और इतने में उनकी साडी का पल्लू हट गया। पल्लू हटते ही मेरी नजर सीधे उनके ब्लाउज में कैद हुए दो संतरों पर पडी, जो उसके ब्लाउज को फाडकर बाहर निकलने को बेताब थे।

अब मुझे लगने लगा, आंटी ने ही चाय में कुछ मिलाया था। और मैंने तभी आंटी को अपनी बाहों में भर लिया। मैंने उसे जोर से अपने गले से लगाकर उसके होठों को चूमने लगा।

आंटी भी मेरा साथ देने लगी, उसका मेरे होठों पर जीभ फिराते हुए चूमने का अंदाज मुझे पागल किए जा रहा था।

तभी मैंने आंटी को रोकते हुए कहा, “आंटी, पहले दरवाजे और खिडकियां बंद कर दो। फिर तेरी चुत की शांति करूंगा। तेरे बारे में बहुत सुना है मैंने।”

तो आंटी कहने लगी, “अब तो आंटी मत बोल, जान बोल मुझे। जा जल्दी से दरवाजा बंद करके आ और चोद दे अपनी जानू को।”

मैं दरवाजा बंद करने लगा, तब तक आंटी ने खिडकियां बंद कर दी। अब पूरे घर में हम दोनों ही थे। अब विजय की मां मुझे सीधा अपने कमरे में ले गई। और अंदर जाते ही उसने सबसे पहले मेरे कपडे उतार दिए।

मेरे कपडे उतारने के बाद, उसकी नजर मेरे लण्ड पर जाते ही उसने उसे अपनी हथेली में कैद कर लिया। अब वो नीचे घुटनों के बल बैठ गई, और मेरे लण्ड को अपने मुंह में भरकर गपागप चूसने लगी।

बीच बीच में वो मेरे टट्टों को भी अपने हाथ से सहला देती। उसने चूस-चूसकर मेरा लण्ड पूरी तरह से गिला कर दिया था। अब मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसके कपडे उतारने लगा।

उसने कुछ ज्यादा पहना ही नही था, ना ब्रा पहनी थी, और न ही पैंटी। साडी के बाद ब्लाउज उतारते ही उसके दोनों उरोज मेरी आंखों के सामने नंगे थे।

उसके नंगे उरोजों को मैंने अपने मुंह में भरकर चूसते हुए, नीचे हाथ लाकर उसके पेटीकोट का नाडा भी खोल दिया। अब मैं पूरी तरह से उसके ऊपर आ गया था, और उसके चुचियों को चूसकर लाल किए जा रहा था।

धीरे धीरे मैं नीचे की ओर बढते हुए उसके शरीर के हर हिस्से को चूम रहा था। जब मैं उसकी चुत के पास पहुंचा, तो उसकी चुत की खुशबू मेरे नथुनों में फैल गई।

अब मैंने सीधे अपने होंठ उसकी चुत पर रखते हुए उसकी चुत में अपनी जीभ घुसाने की कोशिश करने लगा। थोडी ही देर में उसकी चुत अच्छी तरह से गीली हो गई, तो अब मैंने देर न करते हुए उसके उपर चढते हुए अपने लण्ड को उसकी चुत में उतार दिया।

सच में उसकी चुत का पहले से ही भोसडा बना हुआ है। मुझे अब लगने लगा, जो भी इसके बारे में लोग बोलते है, सच ही है। खैर मैं अपना लण्ड उसकी चुत में उतारकर जोरदार तरीके से उसकी चुदाई करने लगा।

तभी आंटी मुझे बोली, “राहुल पिछले महीने मैंने गलती से तेरे लण्ड को देख लिया था, तब से यह चुत इसे लेने के लिए तडप रही थी। आज मौका देखकर मैंने तुझे अपना बना ही लिया।”

मैंने उसकी बातों पर ध्यान न देते हुए उसे चोदना जारी रखा। अब मुझे वो किसी रंडी से कम नही लग रही थी। कुछ देर बाद, मैंने उससे पोजिशन बदलने के लिए कहा, तो वो उल्टी होकर लेट गई।

मैंने उसकी दोनों टांगे फैलाकर उनके बीच में आते हुए अपने लण्ड को हाथ मे पकड लिया। लण्ड से अब मैं उसके चूतड़ों पर मारने लगा।

फिर मैंने लण्ड को उसके पीछे से चुत पर रखकर एक ही धक्के में अपना पूरा लण्ड उसकी चुत में उतार दिया। अब मैं पीछे से उसकी चुत मार रहा था। मैंने एक तकिया लेकर उसकी कमर के नीचे रख दिया, जिससे उसकी गांड थोडी ऊपर को उठ आए।

मेरे ऐसा करते ही वो आने घुटनो के बल खडी हुई और अपने हाथ आगे बिस्तर पर रखकर झुक गई। अब वो डॉगी स्टाइल में अपनी चुत मरवाना चाहती थी।

मैंने भी उसके चुतडों को सहलाते हुए पहले एक-दो चांटे लगाते हुए, अपने लण्ड को उसकी गांड की दरार में रगडने लगा। जब उसके चूतड पूरी तरह से लाल हो चुके थे, तब जाकर मैंने अपने लण्ड को उसकी चुत पर रखा।

फिर मैंने नीचे झुककर उसकी दोनों चुचियों को अपने हाथ में पकड लिया। अब उसकी चुचियों को पकडकर मसलते हुए मैं उसकी चुत में अपना लण्ड अंदर बाहर कर रहा था। इस पोजीशन में मेरे लण्ड को बहुत मजा आ रहा था।

अब तक वो एक बार झड चुकी थी, और अब मैं भी आने वाला ही था। मैंने उससे पूछा, “अपना माल कहां निकालूं?”

इस पर उसने कहा, “मेरी चुत में ही निकाल दे, लण्ड पूरा अंदर डालकर वीर्य निकाल।”

यह सुनकर अब मैं पूरी तरह मस्त होकर जोर जोर से उसे धक्के मारने लगा। अगले चार-पांच धक्कों में मैं उसकी चुत में ही झड गया।

फिर कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे। फिर आंटी ने खुद उठकर हम दोनों को साफ किया और फिर एक बार चुदाई का दौर चल पडा। इस बार मेरा लण्ड झडने का नाम ही नही ले रहा था।

आखिर में आंटी को चूसकर मेरे लण्ड का पानी निकालना पडा। जब कपडे पहनकर मैं घर से बाहर निकला, तो वहां विजय की बहन खडी थी। वो भी मेरी तरफ देखकर हंसने लगी। मैंने ध्यान न देते हुए सीधा अपने घर निकल आया।

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बताइए। धन्यवाद।

मेरी पहली चुदाई : मैडम को ब्लैकमेल करके चोदा

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दोस्तो, मेरा नाम रोहन (काल्पनिक नाम) है। मेरा कद 6 फुट है और यकीन जानिए कि शक्ल से मैं एकदम चिकना लौंडा दिखता हूँ। मैं जो Meri Pahli Chudai की कहानी आपको सुनाने वाला हूँ वो एकदम सच है.. काल्पनिक नहीं है।

यह कहानी मेरे स्कूल के दिनों की है.. जब मैं 12 वीं क्लास में था। मैं हमेशा से ही एक हँसमुख लड़का था।
मेरे स्कूल में एक मैडम जिनका नाम सरिता था, वो मुझको बहुत सेक्सी लगती थीं।
मैडम के बारे में अगर बात करूँ.. तो उनका फिगर मुझे बहुत कामुक लगता था, उनके मम्मों का साइज़ 34 इंच का था, उनका रंग एकदम दूध के जैसे गोरा था।

जवानी में कदम रखने वाले हर लड़के की कुछ अपनी अलग ही दुनिया होती है.. जिसमें वो खोया सा रहता है।
मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही था। मुझे हमेशा से ये लगता कि काश एक बार सरिता मैडम का दूध पीने को मिल जाए जो बॉडी बन जाए। मैं उनकी जवानी की याद में मुठ भी मारा करता था।

एक दिन अचानक ऊपर वाला मुझ पर मेहरबान हो गया। मैं मेरी फैमिली के साथ घूमने नैनीताल जा रहा था.. इसलिए मुझे स्कूल से कुछ दिन की छुट्टी चाहिए थी।
मैं एप्लिकेशन लेकर प्रिन्सिपल के पास गया.. लेकिन वहाँ कोई नहीं था।
मैंने देखा कि सरिता मैडम प्रिन्सिपल की टेबल में से कुछ रुपए निकाल रही हैं।

मैंने उनको ऐसा करते देख लिया और उनको जाकर बोल दिया- मैं आपकी शिकायत प्रिन्सिपल से करूँगा कि आपने उनकी टेबल से पैसे चुराए हैं।
ऐसा कहने पर उन्होंने मुझे रोक लिया और मुझे स्टाफ रूम में ले गईं।

जब मैं स्टाफ रूम में गया तो वे मुझसे बोलने लगीं- चल पैसे आधे-आधे कर लेते हैं.. लेकिन किसी को कुछ मत बताना।
मैंने उनकी एक भी बात नहीं मानी और वहाँ से चला गया।

मैं फिर अपनी फैमिली के साथ घूमने चला गया। जब मैं वापस आया तो सरिता मैडम ने मुझे अपने स्टाफ रूम में बुलाया और बोलीं- तुम प्लीज़ किसी को कुछ मत बताना।
वो मुझे पैसे का लालच देने लगीं.. लेकिन मैं नहीं माना।

मैंने उनको बोला- अगर आप सच में चाहती हो कि मैं किसी को कुछ ना बोलूं तो आपको मेरा एक काम करना होगा।
मेरे ये कहने पर वो बोलीं- ठीक है तू जो भी बोलेगा.. मैं करूँगी।
मैंने कहा- ठीक है बता दूँगा।

दो दिन बाद मेरे स्कूल में वार्षिक दिवस था.. इसलिए सब लोग प्लेग्राउंड में थे और मेन बिल्डिंग में कोई नहीं था। मैंने सरिता मैडम को इशारे से तीसरी मंज़िल पर आने को कहा।
तीसरी मंज़िल पर आने के बाद हम लोग एक ऐसे कमरे में घुस गए.. जहाँ पर स्कूल का कबाड़ा और पुराना फर्नीचर पड़ा रहता था।
उस स्टोर में अन्दर जाकर मैंने कुंडी लगा दी और मैडम को कोने में चलने को कहा।
क्योंकि रूम बहुत बड़ा था.. इसलिए हम दोनों रूम में बहुत अन्दर जाकर बैठ गए।

मैडम ने मुझसे पूछा- यहाँ मुझे क्यूँ लेकर आया है?
मैंने उनको बोला- मैं आपको छू कर देखना चाहता हूँ बस।
वो मुझ पर नाराज़ होने लगीं.. पर जब मैंने उनको उनकी चोरी की बात सबको बताने की धमकी दी.. तो वो मान गईं, वो मुझसे बोलीं- इसके बारे में किसी को कुछ पता नहीं चलना चाहिए।

मैं मान गया।
वो बोलीं- जो भी करना है.. जल्दी करो।

मैंने उनका हाथ अपने हाथ में ले लिया और दूसरा हाथ उनकी कमर पर रख दिया।
वो कुछ नहीं बोलीं।

फिर मैं उनके पीछे आ गया और उनके पेट को मसलने लगा। मैंने अपना एक हाथ उनके गोल-मटोल मम्मों पर रख दिया..तो वो बोलीं- प्लीज़ ये मत करो।
लेकिन मेरा लंड खड़ा हो चुका था, मैंने उनकी बात को अनसुना करते हुए उनके दूधों को दबाना शुरू कर दिया जिससे कुछ ही पलों में वो भी गरम हो गईं।
मैंने उनकी साड़ी की पिन उनके ब्लाउज से निकाली और उनको अपनी बांहों में लेकर ज़मीन पर लेट गया। मैंने उनके होंठों पर एक किस किया।
तो बोलीं- रोहन मैं तो 30 साल की हूँ.. तू अभी नया छोकरा 18 साल का है.. तू मेरी प्यास कैसे बुझाएगा?
मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोल दिए और साड़ी भी उतार दी।

अब वो ब्रा और पेटीकोट में मेरे पास लेटी हुई थीं। मैंने उनका एक हाथ लिया और अपने लंड पर रख दिया।
मैं बोला- मेरी चैन खोलो और अपना हाथ अन्दर डालो।

उन्होंने वैसा ही किया.. मेरे लंड को कसके पकड़ लिया और हिलाने लगीं। मेरा तब लंड 6″ लंबा था.. अब तो और लंबा हो गया है।
मैंने उनकी ब्रा खोली और उनको बोला- आज आप अपने दूध अपने हाथ से पिलाओ।
उन्होंने मुझे छोटे बच्चे की तरह अपनी गोद में लिटाया और एक हाथ अपना चूचा मेरे मुँह में डाल दिया।
बोलीं- पी.. मेरी जान.. जितना मर्ज़ी पी ले.. आज मेरे निप्पल को चूस-चूस के लाल कर दे।
उनका दूसरा हाथ उसका मेरे लंड को लगातार हिला रहा था।

मेरे जी भर के दूध पीने के बाद वो बोलीं- मेरी जान अब मेरी प्यास भी तो बुझा दे।
मैं बोला- मुझे सेक्स करना नहीं आता।
वो बोलीं- तो कुछ मत कर.. मैं सब सिखा दूँगी।

उन्होंने मुझे नंगा किया और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं।
अब वो और मैं दोनों पूरी तरह नंगे हो चुके थे। वो थोड़ी देर बाद मेरे ऊपर ऐसे बैठ गईं कि उनका भारी वजन मुझ पर आ गया।
मुझसे उनका भारी जिस्म नहीं सध रहा था.. पर मैं लेटा रहा।

उन्होंने मेरा लंड अपने हाथों से आगे-पीछे करके अपनी चूत में फिट कर लिया और हिलना शुरू कर दिया। उनके मोटे-मोटे दूध मेरे मुँह पर टक्कर मार रहे थे और मेरा लंड उनकी चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था।
हम लोगों ने करीब आधा घंटा ठीक से चुदाई की और आधा घंटा एक-दूसरे के साथ नंगे हो कर लेटे रहे। मैंने उनके दूधों से खेलता रहा और वो मुझे प्यार से चूमती रहीं.. जैसे उनकी भी कोई अधूरी हसरत पूरी हो गई हो।
उस दिन के बाद से हम दोनों ने कभी उनके घर पर.. कभी स्कूल में.. खूब चुदाई की और वो मुझे बाकी टीचर से बोल कर सब सब्जेक्ट मैं पास करवा देती थीं।
मैं आशा करता हूँ कि आपको Meri Pahli Chudai की कहानी पसंद आई होगी।

बहन की दोस्त से चुदाई

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नमस्कार दोस्तों मैं आशीष आज आप सभी के सामने मेरी और मेरी पत्नी की कहानी लेकर आया हूं। इस कहानी में पढिए, किस तरह मैंने अपनी पत्नी की गांड चुदाई की।

हमारी शादी को चार साल हो चुके थे, लेकिन अब तक मेरी पत्नी ने मुझे उसकी गांड पर हाथ तक फेरने नही दिया था। मैं पहले आप सभी को मेरी पत्नी के बारे में बता देता हूं, मेरी पत्नी का नाम आयशा है।
आयशा का रंग गोरा है, और वो मुझसे दो साल छोटी है। आयशा के चुचियों का साइज ३६ बी है, और उसकी गांड ३६ की है। आयशा की कमर पतली होने के कारण उसकी ३६ की गांड बाहर को उठी हुई लगती है।
जिसे देखकर बार बार मेरा मन मचल जाता है। शादी के बाद मैंने बहुत बार उसे गांड मरवाने के लिए राजी करने की कोशिश की, लेकिन वो कभी नही मानी।
शादी से पहले उसके किसी एक बॉयफ्रेंड ने उसकी गांड चुदाई की थी, उस समय उसे बहुत ज्यादा दर्द हुआ था। इसी वजह से वो गांड चुदाई से अब तक डरती है।
लेकिन मुझे तो उसकी गांड गजब लगती थी, जब भी मैं उसकी गांड देखता मेरा मन करता कि, साली को यहीं पटककर इसकी गांड में बेरहमी से अपना लण्ड घुसा दूं।
मैंने उसे मनाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो मानती ही नही थी। आखिरकार शादी के बाद, चौथे साल में जाकर उसने मेरी बात मान ली।
कहते है ना, भगवान के घर में देर है, अंधेर नही। अचानक मुझे यह कहावत याद आ गई। मैं बहुत खुश हो गया था। चलो अब मैं सीधे कहानी पर आता हूं।
तो हमारी शादी की तीसरी सालगिरह थी, मैंने उसके लिए एक साडी और डिज़ाइनर ब्रा, पैंटी खरीद कर रखे थे। सालगिरह वाली रात, मैं उसे बाहर खाने के लिए ले गया, वहां हमने केक काटा।
फिर खाना खाकर कुछ रोमांटिक बातें करने के बाद, हम दोनों वहां से खुशी खुशी निकल गए। लेकिन मैं तो आज उसकी गांड मारना चाहता था, मैंने यह सब उसी लिए तो किया था।
घर जाते ही मैंने आयशा की आंखों पर पट्टी बांध दी, और उसे अपने बेडरूम में ले जाकर उसे उसके लिए लाए हुए गिफ्ट्स दिए। फिर अपने कमरे की सारी बत्तियां बुझाकर मैंने धीमी रोशनी वाली बत्ती जला दी।
अब पूरा माहौल रोमांटिक हो चुका था, तो मैंने उसके आंखों से पट्टी को हटा दिया। आयशा यह सब इंतजाम देखकर बहुत खुश हो गई।
सबसे पहले वो मेरी तरफ मुडकर मुझसे बोली, “यह सब तुमने कब किया? मैं तुमसे काफी प्रभावित हो गई।”
मैंने उससे कहा, “तुम बस इस पल का मजा लो।”
फिर उसने गिफ्ट्स देखें, और बहुत खुश हो गई। क्योंकि यह वही साडी थी, जो उसे पिछले साल से चाहिए थी।
सबकुछ देखने के बाद, वो मेरी तरफ बढी, और मुझसे कहा, “आज तुम्हें मुझसे क्या चाहिए? आज तुम जो भी मांगोगे, मैं मना नही करूंगी।”
अब मेरी बारी आ चुकी थी, लेकिन मैंने उससे कहा, “छोडो भी, तुम नही कर पाओगी।”
इतना कहकर मैं बिस्तर पर जाकर बैठ गया। आयशा मेरे पास आकर बैठते हुए बोली, “तुम बताओ तो क्या करना है? मैं आपके लिए इतना तो कर ही सकती हूं।”
तो मैंने उससे कहा दिया कि, “न जाने कबसे मैं तुम्हारी गांड के पीछे पडा हूं, आज मेरी यह ख्वाहिश पूरी कर दो।”
तो उसने थोडी देर सोचकर कहा, “ठीक है, आज तुम्हारी हर एक इच्छा पूरी होगी।”
इतना कहकर वो मैंने गिफ्ट किए हुए ब्रा पैंटी लेकर बाथरूम में घुस गई। आयशा नहाकर बाहर निकली, तो मैं उसे देखता ही रह गया।
आयशा मस्त माल लग रही थी, उसने वही ब्रा पैंटी पहन लिया था, जो मैंने उसे अभी दिया था। उस ब्रा में से उसके आधे चुचे बाहर आने को बेताब थे, और पैंटी बस नाममात्र के लिए उसकी चुत को ढक रही थी।
जैसे ही वो पलटी, उसके दोनों चूतड नंगे मेरे सामने थे। वो मनमोहक अदाकारी दिखाते हुए मेरे पास आई, और मुझे भी फ्रेश होकर आने के लिए कहा।
मैं भी तुरंत बाथरूम में घुसा और नहाकर नग्न अवस्था में ही बाहर आ गया। मेरे नहाकर बाहर आने तक आयशा ने सब इंतजाम कर रखा था।
उसने अपने पास वैसलीन, और दूसरी एक क्रीम भी ले रखी थी, जिससे थोडी चिकनाई बनी रहे। मैंने अपने बदन को पोंछकर फिर उसके पास जाकर बिस्तर पर बैठ गया।
मेरे बैठते ही उसने मेरे सर को पकडते हुए, अपने नशीले होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। अब मैं उसके नशीले होठों को चूम रहा था, और वो मेरे पूरे बदन पर अपने हाथ घुमा रही थी।
मैंने अब आगे बढते हुए उसके चुचियों को ब्रा के ऊपर से ही मसलना शुरू किया। कुछ देर बाद, मैंने उसके दोनों चुचियों को ब्रा कप के ऊपर से निकाल लिया। अब उसकी दोनों चुचियां मेरे मुंह के सामने थी, तो मैं उन्हें अपने मुंह में भरकर चूसने लगा।
आयशा की चुचियां चूसने के साथ ही, मैं उसकी चुत और गांड पर भी हाथ फेर रहा था। मेरे ऐसा करने से वो और भी उत्तेजित हो रही थी। अब मैंने उसकी ब्रा के हूक खोलते हुए उसको ब्रा से आजाद कर दिया।
ब्रा निकालने के बाद, मैं उसकी पैंटी की तरफ बढा। मैं नीचे की ओर बढते ही, आयशा उल्टी होकर लेट गई। जिससे उसकी गांड अब ऊपर की तरफ हो गई, और मेरे सामने अब उसके गोरे चूतड थे।
मैंने उसके दोनों चूतडों को चूमते हुए उसकी पैंटी को धीरे से नीचे की ओर खिसकाना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में मैंने उसकी पैंटी निकालकर आयशा को भी पूरी तरह से नंगी कर दिया।
मैंने फिर उसके चूतड़ों को सहलाते हुए उसकी गांड में एक उंगली डालने की कोशिश की, लेकिन गांड बहुत ही टाइट थी। आयशा ने तुरंत ही वैसलीन को मेरी तरफ बढा दिया।
मैंने अब वो क्रीम अपने हाथ पर लेकर एक उंगली से उसे आयशा की गांड के छेद के आसपास लगाने लगा। धीरे धीरे करके मैंने आयशा की गेंद के छेद में एक उंगली घुसाकर अब अंदर की ओर से, क्रीम लगाने लगा।
थोडी देर में अब उसकी गांड का छेद पूरी तरह से चिकना हो चुका था। तो अब मैंने उसके हाथ में क्रीम देकर उसे अपने लण्ड पर लगाने के लिए कहा। मेरे कहे अनुसार आयशा ने मेरे पूरे लण्ड को क्रीम में भिगो दिया।
उसके बाद मैंने एक बार उसके होठों को चूमते हुए, उसे बिस्तर पर उल्टी करके लिटा दिया। फिर आयशा की कमर के नीचे मैंने एक तकिया रखा, जिस वजह से उसकी गांड थोडी ऊपर को उठ आई।
अब आयशा की गांड का छेद पूरी तरह खुलकर मेरे सामने था। ऊपर से तो उसकी गांड का छेद पूरी तरह गुलाबी लग रहा था, मैंने उसके चूतड़ों को चूमते हुए उसकी गांड के छेद पर अपना लण्ड रख दिया।
मैंने बिना धक्का मारे, सिर्फ दबाव डालकर अपना लण्ड अंदर घुसेडने की कोशिश की, लेकिन लण्ड फिसलकर बाहर निकल आया।
तो मैंने आयशा से कह दिया, “थोडा दर्द सहन कर लेना, मैं आराम से ही लण्ड डाल रहा हूं।”
इतना कहकर मैंने अपने लण्ड को सेट किया और एक जोरदार धक्के के साथ मेरे लण्ड का टोपा उसकी गांड में घुस गया। जैसे ही टोपा अंदर घुसा, आयशा अपने पैर पटकने लगी, उसे बहुत दर्द हो रहा था।
लेकिन मैंने अपनी पकड उसपर बनाए रखी, तो वो मेरी पकड से खुद को छुडा नही पाई। फिर मैंने धीरे धीरे करके अपना पूरा लण्ड उसकी गांड में उतार दिया।
अब भी आयशा को दर्द हो रहा था, लेकिन मुझ पर तो उसकी गांड मारने का बहुत सवार था। मैं उसके दर्द की परवाह किए बिना उसकी गांड मारता रहा।
उसकी गांड कसी हुई होने के कारण मैं अधिक देर तक अपने आप को रोक नही पाया, और जल्द ही झड गया। मैंने अपना सारा वीर्य उसकी गांड में ही छोड दिया, जो कुछ देर में उसकी टांगों से होकर नीचे बहने लगा था।
तो दोस्तों यह थी मेरी बीवी की गांड चुदाई की कहानी। आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, हमें लिखकर जरूर बताइए। धन्यवाद।
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