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इस साइट की एक ख़ास बात यह है कि यहां पर न केवल वासना से संबंधित लेख पढ़ने को मिलते हैं, इसके साथ ही इस साइट पर जन सामान्यकी मानसिकता, रूढ़िवादी विचारधारा और व्यक्तिगत अनुभव भी काफी सरल भाषा में प्रकाशित होते रहते हैं इसलिए सेक्स साइट होते हुए भीयह पाठकों की पसंदीदा साइट है।इस साइट की कहानियों और लेखों में बहुत ही गहरा अर्थ भी छिपा हुआ होता है। समाज का वो चेहरा भी दिखाईदे जाता है जिसे समाज अपने दिखावे के नक़ाब के पीछे छुपा कर रखता है। इसीलिए मनोरंजन के साथ साथ पाठकों का ज्ञानवर्धन भी होता रहताहै।इस साइट की लगभग हर श्रेणी की कहानियां उत्तम कोटि की होती हैं।अगर आपकोWWW.DESIBEES.COM वेबसाइट पसंद है। तो आपइस वेबसाइट को Whatsapp और Facebook पर अपने दोस्तों को शेयरकरें। आपका जितना सहयोग और प्यार हमें मिलेगा। हम भी उतनाही प्रयास करेंगे इस वेबसाइट को और भी ज्यादा मजेदार बनाने केलिए
मैं INCEST LOVER DESIBEES सेक्स स्टोरीज़ में आपका स्वागत करता हूं।
मेरी उम्र छबीस वर्ष है, विवाहित हूँ, विवाह को एक वर्ष से ऊपर बीत चुका है, इस समय मैं दो माह के गर्भ से हूँ, शादी के बाद प्रथम गर्भ खुशियों भरा होता है, मगर मुझे इस गर्भ ने बड़ी उलझन में डाल दिया है, समझ नहीं पा रही हूँ की गर्भ ठहरने की ख़ुशी मनाऊं या गम, निसंदेह आप यह जान कर चक्कर में पड़ गये होंगे l
मैं कोई सस्पेंस ड्रामा नहीं लिख रही हूँ, यह मेरी अपनी समस्या है जिसकी वजह से आज मैं बहुत परेशान हूँ, जब तक मैं सारी बात विस्तार नहीं नहीं लिखूंगी आप ढंग से कुछ नहीं समझ पायेंगे, मेरी ससुराल में पांच सदस्य हैं, दो मेरे सास ससुर, दो ननदें, जिनमे एक सोलह वर्ष की है दूसरी ग्यारह वर्ष की है, पांचवे मेरे पति, अब छठी मैं हूँ, इससे पहले ससूराल में एक सदस्य और था, मेरे पति का छोटा भाई जो मेरी शादी से पहले ही एक कार एक्सीडेंट में मारा गया थाl
जब मेरी शादी हुई थी सीमा (मेरी बड़ी ननद) पंद्रह वर्ष की किशोरी थी, उसके यौवन के फूल खिलने शुरू हुवे थे, मगर एक साल में ही वह काफी फुल फाल कर जवान लड़की दिखती थी, पति का कारोबार ऐसा है की उन्हें महिना महिना भर बाहर रुकना पड़ जाता है, ऐसे में मै अकेली उनको याद कर के बैचैन होती रहतीl
तीन महीने पहले पति काम के सिलसिले में सिंगापुर जा रहे थे, कोई महिना चालीस दिन का टुर था, वे मुझे भी साथ ले जाना चाहते थे मगर मैनें ही इनकार कर दिया, मेरी सास की एक बहन बम्बई में रहती है, पति को फ्लाईट बम्बई से पकड़नी थी, तब सास अपनी छोटी बेटी को लेकर मेरे पति के साथ बम्बई के लिये रवाना हो गई, यह सोच कर की उनका बेटा जाते समय उन्हें छोड़ जायेगा और आते समय भी वह उन्ही के साथ वापस आ जायेगीl
घर से तीन लोग चले गये और तीन लोग रह गये, मैं, मेरी ननद और ससुर जी, यहाँ मैं अपने ससुर जी के बारे मैं बताती चलूँ, उनकी उम्र 55 के उपर हो गई है मगर 45 साल के पुरुष की तरह दीखते हैं, देखने मैं कुछ सांवले हैं मगर पर्सनेलिटी बहुत अच्छी हैl
कभी किसी बात का गम नहीं करते सदा खुश रहते हैं, शायद यही उनकी सेहत का राज भी है, शखशियत अच्छी है तो तबियत भी रंगीन है, सबके साथ हंसी मजाक कर लेते हैं, यहाँ तक की मेरे सामने भी नहीं हिचकते, मेरे साथ इस तरह हंसी ठिठोली करते हैं जैसे मैं उनकी बहु ना होकर भाभी होऊं, बल्कि मैं ही झेंप जाती हूँ, पत्नी और बेटे के जाने के बाद वे वक्त गुजारने के लिये बाहर चले जाते थे, कभी कभी दोपहर में आ जाते और कभी शाम को ही लौटते थे,
उस दिन दोपहर को मैं ऊपर बने अपने बैडरूम में सोने के लिए चली गई, मगर जब काफी देर तक नींद नहीं आई तो मैं निचे उतर आई, इन दिनों रात में भी मैं भरपुर नींद ले रही थी तो दिन में नींद कहाँ से आ जाती, पति होते थे तो दिन में खुब सोती थी, उसकी वजह तो आप समझ ही गए होंगे, जी हाँ, वे मुझे आधी आधी रात तक जगाते जो थे, अब ऐसा नहीं था, रात भर आराम ही आराम थाl
बहरहाल मैं निचे आ गई, ननद को मैं निचे ही छोड़ कर गई थी, वह मुझे कहीं दिखाई ना दी, मैंने सोचा किसी कमरे में जाकर सो गई होगी, वह कुछ संकोची स्वभाव की थी, जब किसी बात पर मैं उसे छेड़ती तो वह शर्मा जाती थी, मुझे लगा वह अभी हर बातों से अंजान है, मगर आज मेरा यह भ्रम टूट गया, वह अंजान और भोली भाली दिखाई जरूर देती थी, मगर अन्दर से बिलकुल भुनी हुई थीl
यह मैंने आज ही जाना, तब जब मैं उसे तलाश करती करती एक कमरे से कुं-कुं तथा सिसकीयों की आवाजें सुनी, ड्राइंगरूम नुमा वह कमरा पूरी तरह बंद नहीं था, दरवाजे और दीवार के बिच थोडी सी झिरी बन रही थी, अन्दर से निकलते रहस्यमई स्वर ने मुझे होशियार कर दिया था अतः मैंने ननद को आवाज देने या दरवाजा एकदम से खोलने के बजाये दरवाजे में थोड़ी और दरार बनाई की देखूं अन्दर से ये कैसी आवाजें आ रही हैं?
अन्दर का नजारा देख मेरा मारे हैरत के बुरा हाल हो गया, कमरे के अन्दर मेरी ननद थी, मगर पुरी तरह नंगी, शरीर पर चिंदी मात्र भी कपडा नहीं था, उसके सेव आकार के नंगे उरोज, झिलमिलाती जांघें और गुदाज कुल्हे मेरी आँखों के सामने कामुकता बिखेर रहे थे, वह भी कोई चौंकने की बात नहीं थी, मगर अन्दर मेरी ननद के साथ हमारा वह विदेशी नस्ल का कुत्ता भी था जिसे पति विदेश से लेकर आये थेl
लंबे लंबे बालों वाला वह ऊँचा कुत्ता ननद के सामने खड़ा उसकी जाँघों के बिच में मुंह दिये अपनी लंबी जीभ से चपड़ चपड़ उसकी योनी चाट रहा था, साथ ही वह कूं- कूं करके दुम भी हिला रहा था, और ननद अपनी जांघें फैलाये योनी चटवाती जोर जोर से अपने उरोज मसल रही थी, उसके चहरे पर बला की कामुकता झलक रही थीl
वह सी सी करके अपने उरोज बुरी तरह रगड़ती जा रही थी, जैसे उरोजों के साथ उसकी खानदानी दुश्मनी चली आ रही हो, और वह विदेशी कुत्ता हिन्दुस्तानी योनी को ऐसे चाट रहा था जैसे रसमलाई खा रहा हो, लग रहा था वह योनी चाटने में बड़ा एक्सपर्ट है, यह सब देख मेरे शरीर में सनसनी दौड़ गईl
तभी ननद ने अपनी टांगें सिकोड़ी उरोज मसलना रोक कर वह झुकी, कुत्ते ने बैचैनी से कूं-कूं करके योनी की ओर देखा, उसकी योनी एकदम चिकनी थी जो कुत्ते की खुरदुरी जीभ से चाटने की वजह से ऐसे लाल हो रही थी जैसे की उसके शरीर का सारा खून वहीँ सिमट आया हो, वही हाल उरोजों का भी थाl
सीमा ने निचे बैठ कर कुत्ते का लिंग झाँका जो दो इंच की लाल बत्ती जैसा बाहर निकल आया था, उसकी मोटाई आधा इंच से अधिक नहीं थी, सीमा ने हाँथ निचे ले जाकर खाल में धंसा हुआ कुत्ते का लिंग पकड़ लिया, लिंग देख कर सीमा की आँखें और भी लाल हो गई थी, कुत्ते ने कूं – कूं करके अपना शरीर कमान की तरह तान लिया,
सीमा ने लिंग की खाल को पीछे किया तो बत्ती चार पांच इंच लंबी निकल आई, सीमा उसे गौर से देखने के बाद लिंग छोड़ कर सीधी हुई, कुत्ते की कमर थपथपा कर उसे पुचकारा तो कुत्ते ने मुंह घुमा कर उसकी जांघ को चाट लिया, ” सब्र कर मेरे शेर,” सीमा वासना से कंपकंपाते स्वर में कुत्ते से बोली ” अभी तुझे तेरे मुकाम पर पहुंचाती हूँ ”
कुत्ते ने इस तरह गर्दन हिलाई जैसे सब समझ गया हो, उसी छण सीमा ने घुटने और कुहनियाँ फर्श से टिका कर अपने कुल्हे उपर उठा लिये, मेरे दिमाग में तगड़ा झनाका हुआ, मैं समझ गई की वह कुत्ते से अपनी आग बुझवाना चाहती है, उसकी पीछे की ओर उभरी हुई योनी उत्तेजना की अधिकता से कभी होंठ खोल रही थी कभी बंद कर रही थीl
कुत्ता भी जैसे इस क्रिया में सधा हुआ था, उसके निचे झुकते ही वह मुंडी उठा कर सीमा की योनी सुंघने लगा, कुत्ते हर मामले में बड़े संवेदनशील होते हैं, वह योनी की उत्तेजना भांप रहा था की वह अब तैयार है या नहीं, सीमा के ” कम् ऑन ” कहते ही उसने अपनी अगली टाँगे उठा कर उसके कूल्हों पर चढ़ा दीl
सीमा ने अपना सारा भार अपने घुटनों पर रोका और हांथों से कुत्ते की टाँगे पकड़ कर थोड़ा और ऊपर खिंच लिया ताकि लिंग को योनी प्रवेश में परेशानी ना हो, एकबारगी मैंने सोचा सीमा को यह सब करने से रोक लूँ, मगर उस छण उसे रोकना मैंने मुनासीब नहीं समझा, बस आश्चर्य में डूबी एक लड़की और एक कुत्ते का अनोखा मिलन देखती रहीl
धड़ पे चढ़ने के बाद कुत्ते ने अपना पिछला धड़ आगे उछालना शुरू कर दिया, उसका लिंग योनी के आस पास चुभ कर इधर उधर हो जाता, वह सही निशाना नहीं ढूंड पा रहा था, मेरा दिल हुआ की मैं आगे बढ़ कर मैं उस बेचारे की मदद कर दुं, कुत्ता कांय कांय करके जोर जोर से धड़ पटक रहा थाl
मेरी मदद की आवश्यकता नहीं पड़ी, सीमा ने खुद हाँथ पीछे लाकर उसका लिंग पकड़ा और अपनी योनी के छोटे से छिद्र पर लिंग की बारीक नोंक टीका दी, कुत्ते ने जरा भी देरी किये बिना झट से कुल्हे उछाल कर सटाक से लिंग अन्दर घुसा दिया, सीमा ने सिसकी भर कर हाँथ हटा लिया, मेरा दिल बुरी तरह धक धक कर रहा थाl
आधा इंच मोटा और पांच इंच लंबा कुत्ते का चिकना लिंग सरसराता हुआ सीमा की योनी में घुस गया, इधर मेरे मुंह से भी सिसकारी निकल गई, मैंने तगड़ी झुरझुरी लेकर वहाँ से नजरें हटा ली, अब अन्दर देखने काबिल कुछ नहीं था, अन्दर कुत्ते तथा सीमा के सहयोग से कुत्ते एवं इंसान के अनोखे मीलन का अंतिम चरण चल रहा था l
मेरा शरीर बुरी तरह सनसना रहा था, मैनें किचन में जा कर कई गिलास पानी से अपना खुश्क हो चला हलक तर किया, तब कुछ तस्सली मिली, मैं बाहर आकर बैठ गई, कोई दस मिनट बाद पहले कुत्ता बाहर आया, अब वह बिलकुल शांत था जैसे पेट भर के लौटा होl
वह एक कोने में जाकर लम्बा लम्बा पड़ गया, थोड़ी देर बाद सीमा बाहर आई, उसके चेहरे पर भी शान्ति थी, मगर रंग उड़ा हुवा था, पसीने की बूंदें अभी तक उसके माथे पर चमक रही थी, मुझे बाहर बैठा देख कर वह चौंकी जरूर मगर रुके बिना बाथरूम की और बढ़ी, मैनें कनखियों से उसे देख कर कहा, ” सीमा बाथरूम से निबट कर जरा मेरी बात सुनना,”
” ज …जी…..” वह अचकचा गई और शक भरी नजरों से मेरी ओर देखा, परन्तु मैंने अपने चेहरे पर ऐसा कोई भाव नहीं आने दिया जिससे वह कुछ आइडिया लगाती, वह शान्ति भरी सांस लेकर, ” जी भाभी जी ” कह कर बाथरूम की ओर बढ़ गई, लौट कर मेरे बराबर में बैठती हुई बोली, ” हाँ अब बताइये भाभी जी ” मैनें उसे गौर से देखने के बाद प्रेम से पूछा ” तुं मुझे अपनी क्या समझती है?”
” भाभी ओर क्या?”वह हंसी ” और तुझे यह भी पता होगा की मैं जो कुछ भी कहूँगी तेरे भले के लिये कहुंगी,” ” हाँ…मगर…”उसके स्वर में हल्का सा कंपन उभर आया, ” बात क्या है?”
मैनें एक गहरी सांस लेकर नपे तुले शब्दों में कहा ” यह जो तुं अन्दर कुत्ते के साथ कर रही थी वह सब गलत है,” इतना सुनते ही सीमा का चेहरा फक्क पड़ गया, उसके नेत्रों में घबराहट और लज्जा का समावेश एक साथ हुवा, जैसे किसी चोर को रंगे हांथों पकड़ लिया गया हो, वह हकलाई “भ…भाभी …व …वो …”
” बस मैं समझ गई, सफाई देने की आवशयकता नहीं है, और तुं घबरा भी मत, मैं यह बात अपने तक ही सीमित रखूंगी ” मैंने अपनी मोहक मुस्कान के जरिये उसे कुछ राहत प्रदान की, ” मैं जानती हूँ पागल की इस उम्र में ऐसा होता ही है, मन पर काबू नहीं रहता, हर समय कामुकता भरे विचार रहते हैं मन में, उल्टे सीधे काम मैंने भी किये हैंl
पता है जब मैं तेरी ही बराबर थी तो अपनी योनी में मोमबत्ती डाल कर अपना कुमारी पर्दा फाड़ लिया था, बहुत खून निकला था, योनी इतनी सुज गई थी,” मैनें हांथों को ऊपर निचे करके बताया तो सीमा के चेहरे पर रंग वापस लौटा और हल्की सी मुस्कान भी तैर गईl
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मेरी उम्र छबीस वर्ष है, विवाहित हूँ, विवाह को एक वर्ष से ऊपर बीत चुका है, इस समय मैं दो माह के गर्भ से हूँ, शादी के बाद प्रथम गर्भ खुशियों भरा होता है, मगर मुझे इस गर्भ ने बड़ी उलझन में डाल दिया है, समझ नहीं पा रही हूँ की गर्भ ठहरने की ख़ुशी मनाऊं या गम, निसंदेह आप यह जान कर चक्कर में पड़ गये होंगे l
मैं कोई सस्पेंस ड्रामा नहीं लिख रही हूँ, यह मेरी अपनी समस्या है जिसकी वजह से आज मैं बहुत परेशान हूँ, जब तक मैं सारी बात विस्तार नहीं नहीं लिखूंगी आप ढंग से कुछ नहीं समझ पायेंगे, मेरी ससुराल में पांच सदस्य हैं, दो मेरे सास ससुर, दो ननदें, जिनमे एक सोलह वर्ष की है दूसरी ग्यारह वर्ष की है, पांचवे मेरे पति, अब छठी मैं हूँ, इससे पहले ससूराल में एक सदस्य और था, मेरे पति का छोटा भाई जो मेरी शादी से पहले ही एक कार एक्सीडेंट में मारा गया थाl
जब मेरी शादी हुई थी सीमा (मेरी बड़ी ननद) पंद्रह वर्ष की किशोरी थी, उसके यौवन के फूल खिलने शुरू हुवे थे, मगर एक साल में ही वह काफी फुल फाल कर जवान लड़की दिखती थी, पति का कारोबार ऐसा है की उन्हें महिना महिना भर बाहर रुकना पड़ जाता है, ऐसे में मै अकेली उनको याद कर के बैचैन होती रहतीl
तीन महीने पहले पति काम के सिलसिले में सिंगापुर जा रहे थे, कोई महिना चालीस दिन का टुर था, वे मुझे भी साथ ले जाना चाहते थे मगर मैनें ही इनकार कर दिया, मेरी सास की एक बहन बम्बई में रहती है, पति को फ्लाईट बम्बई से पकड़नी थी, तब सास अपनी छोटी बेटी को लेकर मेरे पति के साथ बम्बई के लिये रवाना हो गई, यह सोच कर की उनका बेटा जाते समय उन्हें छोड़ जायेगा और आते समय भी वह उन्ही के साथ वापस आ जायेगीl
घर से तीन लोग चले गये और तीन लोग रह गये, मैं, मेरी ननद और ससुर जी, यहाँ मैं अपने ससुर जी के बारे मैं बताती चलूँ, उनकी उम्र 55 के उपर हो गई है मगर 45 साल के पुरुष की तरह दीखते हैं, देखने मैं कुछ सांवले हैं मगर पर्सनेलिटी बहुत अच्छी हैl
कभी किसी बात का गम नहीं करते सदा खुश रहते हैं, शायद यही उनकी सेहत का राज भी है, शखशियत अच्छी है तो तबियत भी रंगीन है, सबके साथ हंसी मजाक कर लेते हैं, यहाँ तक की मेरे सामने भी नहीं हिचकते, मेरे साथ इस तरह हंसी ठिठोली करते हैं जैसे मैं उनकी बहु ना होकर भाभी होऊं, बल्कि मैं ही झेंप जाती हूँ, पत्नी और बेटे के जाने के बाद वे वक्त गुजारने के लिये बाहर चले जाते थे, कभी कभी दोपहर में आ जाते और कभी शाम को ही लौटते थे,
उस दिन दोपहर को मैं ऊपर बने अपने बैडरूम में सोने के लिए चली गई, मगर जब काफी देर तक नींद नहीं आई तो मैं निचे उतर आई, इन दिनों रात में भी मैं भरपुर नींद ले रही थी तो दिन में नींद कहाँ से आ जाती, पति होते थे तो दिन में खुब सोती थी, उसकी वजह तो आप समझ ही गए होंगे, जी हाँ, वे मुझे आधी आधी रात तक जगाते जो थे, अब ऐसा नहीं था, रात भर आराम ही आराम थाl
बहरहाल मैं निचे आ गई, ननद को मैं निचे ही छोड़ कर गई थी, वह मुझे कहीं दिखाई ना दी, मैंने सोचा किसी कमरे में जाकर सो गई होगी, वह कुछ संकोची स्वभाव की थी, जब किसी बात पर मैं उसे छेड़ती तो वह शर्मा जाती थी, मुझे लगा वह अभी हर बातों से अंजान है, मगर आज मेरा यह भ्रम टूट गया, वह अंजान और भोली भाली दिखाई जरूर देती थी, मगर अन्दर से बिलकुल भुनी हुई थीl
यह मैंने आज ही जाना, तब जब मैं उसे तलाश करती करती एक कमरे से कुं-कुं तथा सिसकीयों की आवाजें सुनी, ड्राइंगरूम नुमा वह कमरा पूरी तरह बंद नहीं था, दरवाजे और दीवार के बिच थोडी सी झिरी बन रही थी, अन्दर से निकलते रहस्यमई स्वर ने मुझे होशियार कर दिया था अतः मैंने ननद को आवाज देने या दरवाजा एकदम से खोलने के बजाये दरवाजे में थोड़ी और दरार बनाई की देखूं अन्दर से ये कैसी आवाजें आ रही हैं?
अन्दर का नजारा देख मेरा मारे हैरत के बुरा हाल हो गया, कमरे के अन्दर मेरी ननद थी, मगर पुरी तरह नंगी, शरीर पर चिंदी मात्र भी कपडा नहीं था, उसके सेव आकार के नंगे उरोज, झिलमिलाती जांघें और गुदाज कुल्हे मेरी आँखों के सामने कामुकता बिखेर रहे थे, वह भी कोई चौंकने की बात नहीं थी, मगर अन्दर मेरी ननद के साथ हमारा वह विदेशी नस्ल का कुत्ता भी था जिसे पति विदेश से लेकर आये थेl
लंबे लंबे बालों वाला वह ऊँचा कुत्ता ननद के सामने खड़ा उसकी जाँघों के बिच में मुंह दिये अपनी लंबी जीभ से चपड़ चपड़ उसकी योनी चाट रहा था, साथ ही वह कूं- कूं करके दुम भी हिला रहा था, और ननद अपनी जांघें फैलाये योनी चटवाती जोर जोर से अपने उरोज मसल रही थी, उसके चहरे पर बला की कामुकता झलक रही थीl
वह सी सी करके अपने उरोज बुरी तरह रगड़ती जा रही थी, जैसे उरोजों के साथ उसकी खानदानी दुश्मनी चली आ रही हो, और वह विदेशी कुत्ता हिन्दुस्तानी योनी को ऐसे चाट रहा था जैसे रसमलाई खा रहा हो, लग रहा था वह योनी चाटने में बड़ा एक्सपर्ट है, यह सब देख मेरे शरीर में सनसनी दौड़ गईl
तभी ननद ने अपनी टांगें सिकोड़ी उरोज मसलना रोक कर वह झुकी, कुत्ते ने बैचैनी से कूं-कूं करके योनी की ओर देखा, उसकी योनी एकदम चिकनी थी जो कुत्ते की खुरदुरी जीभ से चाटने की वजह से ऐसे लाल हो रही थी जैसे की उसके शरीर का सारा खून वहीँ सिमट आया हो, वही हाल उरोजों का भी थाl
सीमा ने निचे बैठ कर कुत्ते का लिंग झाँका जो दो इंच की लाल बत्ती जैसा बाहर निकल आया था, उसकी मोटाई आधा इंच से अधिक नहीं थी, सीमा ने हाँथ निचे ले जाकर खाल में धंसा हुआ कुत्ते का लिंग पकड़ लिया, लिंग देख कर सीमा की आँखें और भी लाल हो गई थी, कुत्ते ने कूं – कूं करके अपना शरीर कमान की तरह तान लिया,
सीमा ने लिंग की खाल को पीछे किया तो बत्ती चार पांच इंच लंबी निकल आई, सीमा उसे गौर से देखने के बाद लिंग छोड़ कर सीधी हुई, कुत्ते की कमर थपथपा कर उसे पुचकारा तो कुत्ते ने मुंह घुमा कर उसकी जांघ को चाट लिया, ” सब्र कर मेरे शेर,” सीमा वासना से कंपकंपाते स्वर में कुत्ते से बोली ” अभी तुझे तेरे मुकाम पर पहुंचाती हूँ ”
कुत्ते ने इस तरह गर्दन हिलाई जैसे सब समझ गया हो, उसी छण सीमा ने घुटने और कुहनियाँ फर्श से टिका कर अपने कुल्हे उपर उठा लिये, मेरे दिमाग में तगड़ा झनाका हुआ, मैं समझ गई की वह कुत्ते से अपनी आग बुझवाना चाहती है, उसकी पीछे की ओर उभरी हुई योनी उत्तेजना की अधिकता से कभी होंठ खोल रही थी कभी बंद कर रही थीl
कुत्ता भी जैसे इस क्रिया में सधा हुआ था, उसके निचे झुकते ही वह मुंडी उठा कर सीमा की योनी सुंघने लगा, कुत्ते हर मामले में बड़े संवेदनशील होते हैं, वह योनी की उत्तेजना भांप रहा था की वह अब तैयार है या नहीं, सीमा के ” कम् ऑन ” कहते ही उसने अपनी अगली टाँगे उठा कर उसके कूल्हों पर चढ़ा दीl
सीमा ने अपना सारा भार अपने घुटनों पर रोका और हांथों से कुत्ते की टाँगे पकड़ कर थोड़ा और ऊपर खिंच लिया ताकि लिंग को योनी प्रवेश में परेशानी ना हो, एकबारगी मैंने सोचा सीमा को यह सब करने से रोक लूँ, मगर उस छण उसे रोकना मैंने मुनासीब नहीं समझा, बस आश्चर्य में डूबी एक लड़की और एक कुत्ते का अनोखा मिलन देखती रहीl
धड़ पे चढ़ने के बाद कुत्ते ने अपना पिछला धड़ आगे उछालना शुरू कर दिया, उसका लिंग योनी के आस पास चुभ कर इधर उधर हो जाता, वह सही निशाना नहीं ढूंड पा रहा था, मेरा दिल हुआ की मैं आगे बढ़ कर मैं उस बेचारे की मदद कर दुं, कुत्ता कांय कांय करके जोर जोर से धड़ पटक रहा थाl
मेरी मदद की आवश्यकता नहीं पड़ी, सीमा ने खुद हाँथ पीछे लाकर उसका लिंग पकड़ा और अपनी योनी के छोटे से छिद्र पर लिंग की बारीक नोंक टीका दी, कुत्ते ने जरा भी देरी किये बिना झट से कुल्हे उछाल कर सटाक से लिंग अन्दर घुसा दिया, सीमा ने सिसकी भर कर हाँथ हटा लिया, मेरा दिल बुरी तरह धक धक कर रहा थाl
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मेरा शरीर बुरी तरह सनसना रहा था, मैनें किचन में जा कर कई गिलास पानी से अपना खुश्क हो चला हलक तर किया, तब कुछ तस्सली मिली, मैं बाहर आकर बैठ गई, कोई दस मिनट बाद पहले कुत्ता बाहर आया, अब वह बिलकुल शांत था जैसे पेट भर के लौटा होl
वह एक कोने में जाकर लम्बा लम्बा पड़ गया, थोड़ी देर बाद सीमा बाहर आई, उसके चेहरे पर भी शान्ति थी, मगर रंग उड़ा हुवा था, पसीने की बूंदें अभी तक उसके माथे पर चमक रही थी, मुझे बाहर बैठा देख कर वह चौंकी जरूर मगर रुके बिना बाथरूम की और बढ़ी, मैनें कनखियों से उसे देख कर कहा, ” सीमा बाथरूम से निबट कर जरा मेरी बात सुनना,”
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” भाभी ओर क्या?”वह हंसी ” और तुझे यह भी पता होगा की मैं जो कुछ भी कहूँगी तेरे भले के लिये कहुंगी,” ” हाँ…मगर…”उसके स्वर में हल्का सा कंपन उभर आया, ” बात क्या है?”
मैनें एक गहरी सांस लेकर नपे तुले शब्दों में कहा ” यह जो तुं अन्दर कुत्ते के साथ कर रही थी वह सब गलत है,” इतना सुनते ही सीमा का चेहरा फक्क पड़ गया, उसके नेत्रों में घबराहट और लज्जा का समावेश एक साथ हुवा, जैसे किसी चोर को रंगे हांथों पकड़ लिया गया हो, वह हकलाई “भ…भाभी …व …वो …”
” बस मैं समझ गई, सफाई देने की आवशयकता नहीं है, और तुं घबरा भी मत, मैं यह बात अपने तक ही सीमित रखूंगी ” मैंने अपनी मोहक मुस्कान के जरिये उसे कुछ राहत प्रदान की, ” मैं जानती हूँ पागल की इस उम्र में ऐसा होता ही है, मन पर काबू नहीं रहता, हर समय कामुकता भरे विचार रहते हैं मन में, उल्टे सीधे काम मैंने भी किये हैंl
पता है जब मैं तेरी ही बराबर थी तो अपनी योनी में मोमबत्ती डाल कर अपना कुमारी पर्दा फाड़ लिया था, बहुत खून निकला था, योनी इतनी सुज गई थी,” मैनें हांथों को ऊपर निचे करके बताया तो सीमा के चेहरे पर रंग वापस लौटा और हल्की सी मुस्कान भी तैर गईl