महाकौशल एक्सप्रेस की उस दिन की यात्रा मैंने प्लान नहीं की थी . मैंने तो जबलपुर से दिल्ली की फ्लाइट बुक करा रखी थी परन्तु सुबह को पता चला कि गहरे कोहरे के कारण दिल्ली की सभी फ्लाइट रद्द कर दी गयी है तो मेरे ऑफिस ने महाकौशल के फर्स्ट क्लास A/C डिब्बे मैं मेरी सीट बुक कर दी. मैं जबलपुर एक हफ्ते के लिए आया था और ये पूरा हफ्ता काफी व्यस्त रहा था . शाम को भी देर तक मीटिंग्स चलती रहती थी. मेरी कोशिश थी कि सब काम समय से पूरा हो जाये क्योंकि किसी मनोरंजन कि व्यवस्था भी जबलपुर का ऑफिस नहीं करा पाता था. ऑफिस मे २-३ स्त्री अधिकारी थी पर मैं उनको ज्यादा पसंद नहीं करता था . खैर इस तरह पांच दिन पुरे हुए और मैं अपने घर जाने के लिए बेताब था परन्तु कोहरे ने सारे रंग में भंग कर दिया . अब शुक्रवार कि शाम को घर पहुचने के बजाये मैं शनिवार को दोपहर तक ही पहुँच पाने कि उम्मीद कर सकता था क्योंकि कोहरा रेलगाड़ी को भी पक्का लेट कर देगा. मैंने उदास मन से महाकौशल का चलने का पता किया . बताया गया कि गाड़ी सही समय पर है. क्योंकि , गेस्टहाउस मे कुछ करने को नहीं था तो मैं 5 बजे ही स्टेशन पर पहुंच गया .
स्टेशन पर जैसे हमेशा भीड़ होती है यहाँ भी वैसा ही था. रेलगाड़ी प्लेटफार्म एक पर आनी थी और अभी तीस मिनट का समय था. मेरे पास दो अदद थे. एक में कपडे और दुसरे में रास्ते के लिए खाने पीने का सामान . मैंने खोमचेवाले से पूछ कर जंहा फर्स्ट क्लास A/C का डब्बा लग्न था वहा अपना सामान रखा और फ़ोन निकल कर घर पर फोन लगाया. मेरी पत्नी वसुधा ने फ़ोन उठाया . मैं उसे पहले ही बता चूका था कि मैं अब कल पहुन्चुगा और वो भी काफी मायूस हुई थी. हम दोने ही एक दुसरे को बहुत मिस कर रहे थे और दोनो ही चुदाई के लिए बैचन हो रहे थे. कल जब मुझे फ्लाइट रद्द होने का नहीं पता था तो मैंने उसे कहा था कि शुक्रवार की रात को घमासान चुदाई होने वाली है. तो वसुधा भी खुश हो गयी थी और कहने लगी मरी तो मैं भी जा रही हूँ ऐसा करती हूँ कि रंतिम ( हमारा १० साल का बेटा) को दादी -दादा के पास भेज देती हूँ. तुम्हारे पुरे दम देख लूंगी.
स्टेशन पर जैसे हमेशा भीड़ होती है यहाँ भी वैसा ही था. रेलगाड़ी प्लेटफार्म एक पर आनी थी और अभी तीस मिनट का समय था. मेरे पास दो अदद थे. एक में कपडे और दुसरे में रास्ते के लिए खाने पीने का सामान . मैंने खोमचेवाले से पूछ कर जंहा फर्स्ट क्लास A/C का डब्बा लग्न था वहा अपना सामान रखा और फ़ोन निकल कर घर पर फोन लगाया. मेरी पत्नी वसुधा ने फ़ोन उठाया . मैं उसे पहले ही बता चूका था कि मैं अब कल पहुन्चुगा और वो भी काफी मायूस हुई थी. हम दोने ही एक दुसरे को बहुत मिस कर रहे थे और दोनो ही चुदाई के लिए बैचन हो रहे थे. कल जब मुझे फ्लाइट रद्द होने का नहीं पता था तो मैंने उसे कहा था कि शुक्रवार की रात को घमासान चुदाई होने वाली है. तो वसुधा भी खुश हो गयी थी और कहने लगी मरी तो मैं भी जा रही हूँ ऐसा करती हूँ कि रंतिम ( हमारा १० साल का बेटा) को दादी -दादा के पास भेज देती हूँ. तुम्हारे पुरे दम देख लूंगी.