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My mom need a colour full cum shot .can u do for her


Desi Aunty nude Awesome exhibition with full Jewelry

"शेली मेरी बहन "

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मैं अशोक कुमार सभी लंड धारियों को मेरा लंडवत नमस्कार और चूत की मल्लिकाओं की चूत में उंगली करते हुए नमस्कार। के माध्यम से आप सभी को अपनी स्टोरी सुना रहा हूँ। मुझे यकीन है की मेरी सेक्सी और कामुक स्टोरी पढकर सभी लड़को के लंड खड़े हो जाएगे और सभी चूतवालियों की गुलाबी चूत अपना रस जरुर छोड़ देगी। हाय फ्रेंड्स कैसे हो सब लोग. बहुत दिन हो गये बहन की गन्दी से गन्दी सेक्सी चुदाई की स्टोरी पोस्ट किए हुए.
कई लोगो ने रिक्वेस्ट की की उन्हे मैं अपना जीजा बना लू बट उनको मुश्किल से समझना पड़ा की मेरी बहन एक रॅंड है कोई प्यार करने वाली चीज़ नही.
चलिए और समय ना वेस्ट करते हुए मैं स्टोरी शुरू करता हू.
तो दोस्तो आप जानते है की इतने बार चुदाई करवा कर मेरी कली जैसी नाज़ुक बहन एक फूल की तरह खिल चुकी है. बहुत मस्त बॉडी शेप की मालकिन बन चुकी मेरी बहन इस वक़्त अपनी उफ्फांती जवानी जोकि 18 साल की उमर होती है उसमे चल रही है .
एंड गाईझ बीलिव मी वो 34-30-32 बॉडी शेप की एक बहुत ही भरे बदन पर दो बड़े बड़े वॉटरमेलन लटकाए हुए एक मस्त माल बन चुकी है.
अब स्टोरी एक दिन की है जब मैं घूमने फिरने अपने एक दोस्त के साथ यूही लड़कियों को ताड़ने के लिए बाइक पर निकल जाते थे मार्केट को.
हमारे सिटी मे एक बस्ती थी. और लड़किया देखने के लिए हम उनकी बस्ती मे काफ़ी दफ़ा जाते रहते थे. ऐसे ही कुछ दिन गुज़र गये और एक दिन एक बहुत ही सुंदर लड़की देखी हमने और उसे च्छेड़ना शुरू कर दिया..
गोरा रंग 5’7 के करीब हाइट और पतला फिगर था. 4-5 दिन ऐसे ही उसको छेड़ने के बाद हुमारी हवस को आग लग गई और ना चाहते हुए भी हमने उस लड़की को वाहा से उठा लिया और एक जंगल मे ले गये और वही उसके साथ मज़े लिए. हमने एक वीडियो भी बनाई उसके साथ मज़े लेते हुए.
सुबह से लेकर शाम तक उसकी चुदाई करके हमने उसे फिर से बस्ती मे ड्रॉप कर दिया हमने किसी को ना बताने को कहा और उसकी चुदाई की वीडियो भी बनाई.
ऐसे ही हम हर हफ्ते बाद उसके बस्ती मे जाते और उसके साथ मज़े लेते .
मेरे दोस्त करण मुझे और वो लड़की जिसका नाम शाईना था, हम सब को सेक्स का नशा हो गया था. साथ मे दारू ले जाते और कभी मेरे घर , कभी करन और कभी शाईना के घर जाकर उसकी चुदाई करते.
1-2 महीने ऐसा चलने पर शाईना के बस्ती वाले को हमपर शक होने लगा.
और साला एक दिन जब शाईना ने फोन करके खुद बुलाया हमे उसके घर. तो हम सुबह 11 बजे के करीब उसके घर गये. वाहा जाकर जब हम अंदर एंटर हुए तो 6-7 हट्टे कट्टे मर्द थे वो कुर्ते पैजामे डाले और हाथ मे तलवारे पकड़े हमारा स्वागत करने के लिए खड़े थे.

जाते ही हमे उन्होने पकड़ लिया और अछेसे पिटाई शुरू कर दी. सालो का मारने का तरीका भी बहुत ख़ूँख़ार था. हमारे कपड़े उतारकर बेड से उल्टा बाँधकर सालो ने डॅंडो के साथ ज़ोर ज़ोर से पीटा.. ह्मारा पूरा बदन लाल हो चुका था उनकी डंडे खा कर. लगभग 1 घंटे की पिटाई करने के बाद सभी 7 लोगो ने तलवारे पकड़ ली और हमे मारने की धमकी देने लगे.
करन साला फटटू वही रोने लग पड़ा . मैं भी उनके आगे गिरहाने लगा. मैने कहा की “प्लीज़ जाने दीजिए मुझे मैं माफी माँगता हू आगे से कभी नही आउन्गा इधर. प्लीज़ मेरे घर मे मेरे मोम डॅड और बहन है प्लीज़ कुछ ख्याल कीजिए मेरा”. पता ऩही क्या हुआ वो सब आपस मे कुछ बात करने लग पडे और थोड़ी देर बाद मुझे पूछा की तेरी बेहन है
मैने कहा – हा है छोटी बेहन

वो बोले – क्या उमर है
मैं बोला – 18 साल

वो बोले – उसकी कोई तस्वीर दिखा
मैने अपने मोबाइल से उन्हे उसकी तस्वीर दिखाई. साले 30 साल के उपर उमर थी सबकी फिर भी मेरी बेहन की तस्वीर देखते हुए अपने लंड को मसल रहे थे.
अब उन्होने कहा – इसे हमारे पास लेकर आ अभी
मैने सोचा बाड़िया मौका है इन्हे ऐसा कहकर मैं यहा से निकल जाउन्गा. मैने जब ऐसा कहा तो वो फिर से सोच मे पड़ गये की इतने जल्दी कैसे मान गया.
फिर उन्होने कहा की तू रुक तेरा यह गान्डू दोस्त जाएगा और तेरी बहन को हमारे पास लाएगा.
करन को उठाते हुए उन्होने कहा की जा इसकी बहन को हमारे पास ला. और आधे घंटे तक अगर तू नही आया तो हम इसे मार देंगे.  मैने करन को कहा की जा यार जल्दी से उसे ले आ वरना लफ़डा हो जाएगा.
करण मेरे घर गया और मेरी बहन शेली को कहा की मैं एक पार्टी दे रा हू रेस्टोरेंट मे और मैं शेली को भी बुला रा हू जल्दी से तयार हो जा और चल. उसने मेरी बात शेली से करवा दी और मैने उसे कहा की हान मैं पार्टी दे रा हू तू जल्दी से तैयार होकर आजा.
शेली को जब करन उसी बस्ती मे लेकर आय जहा मुझे बाँध कर रखा था मसुलिमोने शाईना के घर. तो शेली मेरा हाल देख कर घबरा गई.
लेकिन सभी लोंडे तो कुत्तो की तरह मूह खोल कर उसका इंतेज़ार कर रहे थे. शेली ने रेड कलर का गाउन डाला था और हल्का सा मेकप किया था. सच मे वो उस दिन बहुत ही खूबसूरत लग रही थी मन तो कर रा था की उसे देखते ही जाए लेकिन उन लोंडो ने शेली को आते ही पकड़ लिया और उसका गाउन तो फाड़ ही दिया पहले तो.शेली के होट को सब ने बारी बारी से चूसा और वॉटरमेलन्स जैसे बड़े मुम्मो को चूसा. ऐसे ख़तरनाक तरीके से उसके मोम्मे चूस रहे थे की मानो आज मुम्मो को फाड़ ही देंगे एक बंदा शेली के मम्मो पर और दूसरा शेली के होटो को चूस रा था.
और बाकी के चार मे से दो तो शेली के कपड़े उतार रहे थे एंड एक शेली की चुत चाटने मे लगा था. शेली के पर्फ्यूम की महक पूरे कमरे मे भर गई थी. क्या मदहोश करने वाला पर्फ्यूम था. सबको नशा हो रा था. शेली के बूब्स तो ऐसे पंप किये जा रहे थे की वो वाइट कलर से पूरे लाल हो चुके थे.
लेकिन जो लौंडा शेली की चुत चाट रा था वो शेली को मदहोश कर रा था. शेली उसका हेर्स पकड़ रही थी और सिसकिरिया लेने लगी थी.
शेली की यह हरकत देख कर सब जोश मे आगये. मेरी गोरा रंग वाली बहन का पूरा बदन लाल हो चुका था. लेकिन शेली पूरे फॉर्म मे आ चुकी थी. बहुत बार शेली को चुदते देखा था लेकिन इस बार शेली अलग ही अंदाज़ मे चुद रही थी. जैसा जैसा वो लोंडे चाह रहे थे बस वैसे ही शेली अपनी चुदाई करने मे उनकी मदद कर रही थी.
जब सब नंगे हुए और अपना लौडा निकाले तो यह देख कर शेली तो घबरा ही गई लेकिन मैं भी डर गया. कम से कम 8 इंच के लौड़े थे सबके और बीच मे से कइयो के 10 इंच के पास भी होंगे लौडे. मैने सोचा की शेली की आज तो पक्का फट जाएगी क्यूंकी इतने बड़े लौड़े शेली ने पहली बार ही देखे होंगे .

लेकिन अब चुदाई से कोन बचा सकता था शेली को. सब शेली पर एक साथ ही टूट पडे पहले तो शेली ने सब के लौडे चूसे टर्न वाइज़ टर्न और फिर सब 3-3 के ग्रूप मे शेली के दोनो तरफ जाकर उसके बदन पर टूट पडे.
एक का लंड शेली के मूह मे था 2 लंडो को हाथ से मूठ , और 2 बंदे शेली के एक एक मम्मे पर चॅड कर उसे चूस रहे थे.

अब शेली की चुत मे एक ने लंड घुसा दिया था और एक बंदा शेली को अपने उपर लिटा कर उसकी गॅंड चाट रा था. शेली पूरे जोश से अपनी चुदाई करवा रही थी बट उस लोंडे का लॅंड पूरा अंदर नही गया था अभी.
अभी थोड़ा ही लंड गया था अंदर तभी नीचे वाले बंदे ने जो शेली की गॅंड के मज़े ले रा था उसको चूस कर , उसने शेली के गॅंड मे लंड घुसेड दिया. इस लिए शेली पूरी तरह से अब तिलमिला उठी. वो दर्द के मारे काँप रही थी और अब उसका रोना निकल गया.
इतनी बार चुदाई होने के बाद भी उसकी गॅंड से खून आ गया क्यूंकी इतना बड़ा लंड उसकी गॅंड मे पहली बार गया था. लेकिन दर्द की परवाह किसको होगी जब सब पे हवस सवार हो चुकी थी. अब चुत और लंड दोनो मे जब लंड जाता तो उसकी चिके पूरे रूम मे आती.
शायद बाहर भी जा रही थी उसकी आवाज़ें. शेली को देख कर मेरा गान्डू दोस्त करन भी मूठ मार रा था. मैंने भी सोचा की लेने दो मज़े उसको .
अब शेली ने अपनी दर्द काबू मे करके अपना पूरा ज़ोर लगा रही थी वो ख़तरनाक लंड लेने को. उधर से उसके मम्मे की पंपिंग और सकिंग भी कंटिन्यू थी साइड बाइ साइड .

मुझे अपना फीडबॅक देने के लिए कृपया कहानी को ‘लाइक’ ज़रूर करे, ताकि कहानियों का ये दौर आपके लिए यूँ ही चलता रहे. लगभग 5-6 घंटे की भयानक चुदाई के बाद मेरी बहन से सभी लोंडे उठे और उसकी बदन पर मूठ मार कर उसको छोड दिया. मैने पहले ही करन को . भेज दिया था कपड़े लेने को शेली के.
अब उन्होने हमे धमकी दी की अबसे हर महीने मे एक बार अपनी बेहन को लेकर आना हमारे पास, बाद मे हम सब घर के लिए रवाना हो गये. यह चुदाई के बाद शेली की बॉडी लॅंग्वेज काफ़ी चेंज हो गई है और अब वो एक हॉट फिगर के साथ हर महीने उसी बस्ती मे खुद जाकर चुदवाति है.
तो भाइयो और उनकी बहनो ” कैसी लगी आपको मेरी ये स्टोरी’ मुझे ज़रूर बताना और मुझे सजेशन्स भी देना .

sexy lodiyan

मेरी बहन भूमिका एक मासूम लड़की

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लड़कपन में अशोक कुमार मैं बुरी संगत में रहकर बिगड़ गया था, लड़कियों की नंगी तस्वीरें देखना.. गन्दी बातें करना.. टॉकीज़ में एडल्ट फ़िल्म देखना.. ये सब किया करता था।
सेक्स को और लड़कियों के जिस्म को जानने की बहुत जिज्ञासा रहती थी, पर मैं बड़ा शर्मीला था, लड़कियों से बात भी नहीं कर पाता था। इसलिए मेरी हवस मेरे अन्दर ही अन्दर सुलगती रहती थी।

फिर एक दिन मेरी हवस को एक रास्ता मिला।
मेरी छोटी बहन भूमिका, मुझमें और उसमें बस एक साल का अंतर था। हम भाई बहन लगभग बराबर उम्र के थे, साथ में खेलना, लड़ना झगड़ना चलता रहता था। हम साथ-साथ जवानी में कदम रख रहे थे।

लड़कियाँ लड़कों से जल्दी जवान होती हैं इसलिए भूमिका का भी शरीर बदलने लगा था, उसके सीने में उभार आने लगे थे, उसके चूतड़ भर गए थे.. उसकी बगल में बाल आने लगे थे।
भूमिका अब काफी कामुक दिखने लगी थी।

उसका सुन्दर गोरा चेहरा और गदराया शरीर देखकर अच्छे अच्छों का लंड खड़ा हो जाता था। मेरे दोस्त भी मेरे घर जानबूझ कर आते थे ताकि वो मेरी बहन को आँखों से चोद सकें।

पर किस्मत वाला मैं था.. जिसकी बहन सनी लियोनी से कम नहीं थी। मैं हर रोज़ भूमिका का शरीर निहारता था। जब वो सोती थी.. तो मन करता था उसके सीने के उभारों को अपने हाथ में ले लूँ।
पर डर लगता था कि वो किसी को बता न दे।

मैं अक्सर आँख-मिचौली खेलते वक्त उसकी आँखों में पट्टी बांधते समय अपना लंड उसकी गांड में टिका देता था.. वो कुछ नहीं बोलती थी।

हम लोग एक ही बिस्तर पर सोते थे। धीरे-धीरे मेरी हिम्मत बढ़ने लगी, एक रात जब वो सो रही थी तो मैंने उसकी टी-शर्ट के अन्दर से उसके पेट पर हाथ रखा। फिर हाथ को धीरे-धीरे ऊपर उसकी छाती की ओर सरकाने लगा।

मेरा दिल जोर से धड़क रहा था, धीरे से मेरा हाथ उसके उभार की ओर चलने लगा। मुझे ऐसा लगा मुझे मानो जन्नत मिल गई हो। फिर जैसे ही मेरा हाथ उसके निप्पल पर पड़ा.. भूमिका ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैंने नींद में बड़बड़ाने का नाटक किया और सो गया।

सुबह उसने कहा- कल तूने नींद में मेरे पेट पर हाथ रख दिया था।
मैंने कहा- मुझे याद नहीं है।

अगली रात मैंने उसकी ऑरेंज टी-शर्ट के ऊपर से उसके दूध पर हाथ रखा और हल्के से दबाने लगा। उसकी वो टी-शर्ट टाइट थी.. इसलिए हाथ अन्दर नहीं घुसा पाया।

अगले दिन मैंने उसकी ये वाली टी-शर्ट छुपा दी और उसके नाईट वियर की शर्ट का चेस्ट बटन तोड़ दिया.. और रात का इंतज़ार करने लगा। भूमिका ने वही नाईट शर्ट पहना.. और नीचे स्लैक्स।

जब हम सोये.. तो फिर मैंने उसकी नाईट शर्ट के टूटे बटन वाले हिस्से से हाथ घुसाया और उसकी ब्रा के अन्दर से उसके दूध पर हाथ रख दिया।
आहा.. क्या एहसास था वो.. उभरा हुआ वो सीना, जैसे कोई रुई का गोला हो.. और निप्पल की जगह एकदम मखमली थी।

मैं हल्के-हल्के से उसकी चूची को दबाकर, सहलाकर मजे लेता रहा। मैंने मोबाइल की लाइट जलाकर देखा.. भूमिका का दूध एकदम गोल सफ़ेद था। उसके निप्पल अभी ढंग से निकले नहीं थे.. पर रंग हल्का गुलाबी था। मेरा मन हुआ कि अपनी जीभ लगा दूँ.. पर मैंने कण्ट्रोल किया।

फिर अचानक भूमिका ने मेरी तरफ पीठ करके करवट ले ली। अब मैंने अपना हाथ उसके स्लैक्स वाले लोअर पर रखा और ऊपर से ही उसकी जांघ और गांड पर हाथ फेरने लगा। सच में यार मेरी बहन की क्या मस्त मांसल जांघें थीं।

फिर मैंने अपना लंड निकाल कर उसकी दोनों जांघों के बीच गांड से टिकाकर रख दिया और अपना एक पैर उसके ऊपर कर दिया। इस तरह से सोने से पहले मैंने वापस अपना बॉक्सर चढ़ा लिया।

अब हर रात यही होने लगा.. मैं भूमिका के दूध दबाता.. उसकी गांड में लंड रख देता.. कभी उसकी चड्डी के अन्दर हाथ डालकर उसकी गांड को सहला देता। पर मैं अभी तक उसकी चूत को नहीं छू पाया था.. ना देख पाया था।

भूमिका भी कुछ बोलती नहीं थी.. पर वो चुप रहकर मज़े लेती थी।

हम लोग इस बारे में दिन में कभी बोल ही नहीं पाते थे। अगर वो बात करती तो भी अच्छा होता और मैं भूमिका की चूत की सील तोड़ पाता..पर वो इस बारे में बात ही नहीं करती थी।

खैर.. मेरी अब चूत देखने की जिज्ञासा शांत नहीं हो रही थी।

एक रात 2 बजे उठकर मैंने कमरे की लाइट जलाई। भूमिका गहरी नींद में सो रही थी.. उसने लॉन्ग स्कर्ट पहना हुआ था। मैंने धीरे-धीरे उसके स्कर्ट को उसके पैरों से जांघों तक ऊपर किया, फिर कमर तक कर दिया।

भूमिका ने फूल के प्रिंट वाली चड्डी पहनी हुई थी. जिसे मैंने कई बार अकेले में सूँघा था। मैंने उसकी चड्डी की उसके जांघ वाले सिरे से एक उंगली से हटाना चालू किया। पहले उसकी जांघ के जोड़ से ही हल्के-हल्के बाल दिखना शुरू हुए। फिर त्वचा का रंग थोड़ा गहराता चला गया।

मैंने अपनी आँख बंद कर ली और एक झटके में चड्डी को दूसरी तरफ कर दिया। मैंने धीरे-धीरे आँख खोला.. और देखा कि भूमिका की गहरी गुलाबी रंग की चूत दिखने लगी थी। उसकी चूत मखमल जैसी चिकनी थी। चूत हल्के हल्के बाल लिए हुए थी। चूत के चिपके हुए होंठ.. बीच में दरार.. एकदम सील पैक छेद।

मुझे तो भरोसा ही नहीं हो रहा था कि आज मैंने भूमिका की चूत देख ली है। उसकी वो चूत देख ली, जिसे चाटने और चोदने का सपना पूरे मोहल्ले को है।
मैं धीरे से उसकी चड्डी को वापस अपनी जगह पर लाया और भूमिका की मखमली चूत को ढककर मैं मुठ मारकर सो गया।

अब बस मैं मौका ढूँढने लगा कि कब भूमिका किसी दिन मूड में हो तो उससे बात करूँ। मैंने रात का खेल बंद कर दिया और भूमिका की सीलपैक चूत को अपना टारगेट बना लिया।

अब मैं भूमिका को उत्तेजित करने के प्लान बनाने लगा। उसके सामने जानबूझकर टाइटैनिक मूवी के सेक्स सीन टीवी पर लगाकर देखता, अपने बॉक्सर में खड़ा लंड लेकर उसके सामने घूमता।

धीरे-धीरे भूमिका पर असर होने लगा.. उसके बात करने का तरीका बदल गया। वो मुझसे ज्यादा प्यार से बात करने लगी। अक्सर मेरे बॉक्सर में मेरे खड़े लंड पर उसकी नज़र जाने लगी।

मुझे पता चल गया कि इसकी चूत गर्म हो गई है.. मार दो लौड़ा!
अब बस घर खाली रहने का इंतज़ार था.. क्योंकि दोस्त के रूम में ले जाऊँगा तो वे लोग भी हाथ साफ़ करेंगे.. और मैं अपनी बहन के गदराए हुए शरीर को किसी के साथ बांटना नहीं चाहता था।
वो भी जब सील तोड़ने वाली बात हो।

खैर.. एक दिन ऐसा मिला, जब परिवार वाले एक शादी में जाने लगे। हमारी कॉलोनी सेफ थी और सिक्यूरिटी भी अच्छी थी.. इसलिए घर वाले हम लोगों को छोड़कर अक्सर चले जाते थे।

इस बार वो एक दिन के लिए दूसरे शहर जा रहे थे। अब मेरे पास अपना सपना पूरा करने का काफी समय था।

घरवालों को सी-ऑफ करके मैं और भूमिका वापस आए।
मैंने टीवी में टाइटैनिक का वही सेक्स सीन लगाकर छोड़ दिया। भूमिका टीवी के सामने आकर सोफे पर बैठ गई, मैं दूसरे कमरे में जाकर वहाँ की खिड़की से भूमिका के एक्सप्रेशंस चैक कर रहा था।

भूमिका उस सेक्स सीन को आखें फाड़कर देख रही थी। उसने अपने होंठ चबाने शुरू कर दिए.. और एक हाथ अपनी चड्डी के ऊपर से सहलाने लगी।
मैंने सोचा यही मौका है, मैं टीवी वाले कमरे में गया, तो उसने हड़बड़ाकर अपना हाथ चड्डी से हटाकर ऊपर कर दिया।

मैंने गुस्से में कहा- क्यों क्या कर रही थी अभी?
उसने कहा- कुछ नहीं।
मैंने कहा- झूठ मत बोल.. तू मास्टरबेट कर रही थी ना?
वो बोली- हाँ तो..! कर रही थी तो क्या..! तू भी तो कर रहा था उस दिन..

मैं अवाक् रह गया और कहा- किस दिन?
उसने कहा- उसी दिन जब तू रात को मेरी पुसी देखने के बाद मास्टरबेट कर रहा था।
मैंने कहा- अच्छा तो तू जाग रही थी उस समय?
उसने कहा- हाँ तब भी जाग रही थी और उसके पहले भी जब कई रातों को तू मेरे दूध दबाया करता था तब भी सब देखती थी।

‘पर तू कुछ बोली क्यों नहीं?’
‘क्या बोलती कि भाई दूध दबा.. मज़ा आ रहा है? भाई मेरी पुसी लिक कर?’

‘चल छोड़ भूमिका ये सब.. देख मेरा बहुत दिनों से सपना है कि मैं तुझे नंगी देखूँ। आज मौका मिला है घर में भी कोई नहीं है। चल ना.. आज हम एक-दूसरे की हवस मिटाते हैं।’
भूमिका ने कहा- चल रहने दे.. मेरे पीछे बहुत लोग पड़े हैं।

‘पर सब तेरे भाई तो नहीं भूमि.. इतना नहीं करेगी अपने भाई के लिए..?’
‘अच्छा अच्छा रो मत.. वैसे भी बाहर किसी को दूंगी तो बदनामी होगी.. बात फ़ैल जाएगी..’
‘तो फिर चल भूमि.. बेडरूम में चलें?’

हम दोनों बेडरूम में आ गए।

वो कुछ शर्म कर रही थी तो मैंने भूमिका की आँख में पट्टी बाँधी और उसे लेटा दिया। बिस्तर पर उसके हाथ फैलाए.. मैं उसके ऊपर चढ़ा और उसके गले में किस करने लगा।
भूमिका सिहरने लगी।

फिर मैंने उसके कोमल गुलाबी होंठों को चूसा, उसने भी मेरा साथ दिया और हम स्मूच करने लगे। करीब 15 मिनट के स्मूच के बाद मैं उसके गले को चूमते हुए उसकी छाती पर उसकी शर्ट के बटन खोलने लगा।

उसकी शर्ट को मैंने उसके बाँह तक फैला दिया। भूमि ने ब्लैक ब्रा पहनी हुई थी। उसके गोल दूध उस छोटी सी ब्रा में समां ही नहीं रहे थे, उसकी चूचियां ब्रा से बाहर आने को बेचैन थीं।


मैंने एक साइड के ब्रा के कप को एक हाथ से नीचे किया और भूमि के दायें दूध के निप्पल को अपने होंठों से चूसने लगा। भूमि गहरी साँसें लेने लगी।

दूसरे हाथ से भी दूध को मसलने लगा और निप्पल को उमेठने लगा।
भूमि कराहते हुए बोली- नई.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… न करो.. भाई…
मैंने उसके दोनों दूध को चाटकर और निप्पल को चूसकर छोड़ दिया।

अब मैं धीरे-धीरे छाती से नीचे नाभि तक आया, नाभि के गड्ढे में जीभ डालकर.. उसके और नीचे की ओर बढ़ा। भूमिका की स्कर्ट उतारकर मैंने फेंक दी.. और दांतों से उसकी काली चड्डी उतारकर जांघों तक ले आया।

अब मेरे और मेरी बहन की कसी हुई चूत के बीच कोई नहीं था।
मैंने भूमिका की गुलाबी चूत के होंठों को अपनी जीभ से पहले अलग किया। अब दरार साफ़ दिख रही थी। फिर उसकी चूत पर एक जोर से पप्पी ली।
भूमि के शरीर में जैसे करंट दौड़ गया.. वो सिहरने लगी, उसकी कामुक आवाजें निकलने लगीं।

मैंने जीभ से अपनी बहन की चूत के क्लाइटोरिस को चाटना चालू किया.. और एक उंगली चूत में डालने लगा पर उसकी चूत बहुत टाइट थी।

मैं अगले कुछ मिनट तक भूमि की चूत चाटता रहा। फिर बार-बार फड़कने के साथ भूमि की चूत से सफ़ेद लिक्विड निकल पड़ा।
अब भूमि निढाल हो गई.. उसे चरम मिल गया था।

अब उसकी बारी थी।
मैंने अपनी शर्ट उतार फेंकी.. और बस बॉक्सर में आ गया। भूमि मेरे बॉक्सर के अन्दर खड़े लंड को हाथ से पकड़कर सहलाने लगी। बेचारी ने पहली बार लंड पकड़ा था।

उसने अभी मेरा बॉक्सर उतारा ही था कि मेरा लंड तनतना कर उसके सामने आ गया। भूमि एकटक मेरे लंड को देखने लगी। फिर उसने मेरे लंड की त्वचा को पीछे किया और मेरे सुपाड़े को अपने नाज़ुक होंठों से किस किया। उसने एक बार मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर लंड को गीला कर दिया।
उसको लंड का स्वाद अच्छा लगा और वो मेरा लंड बार-बार चूसने लगी।

आह.. क्या चूसती है मेरी बहन!
‘इतना मस्त चूसना कहाँ से सीखा तूने?’
उसने लंड चूसते हुए कहा- सनी लियोनी से..
मैंने कहा- तू भी कोई कम है क्या सनी लियोनी से.. भूमि आह्ह.. मजा आ रहा है।

वो हँसकर और तेज़ी से चूसने लगी। थोड़ी ही देर में मेरा लंड फड़कने लगा। मैंने भूमि को दूर किया और मेरे लंड ने सारा लावा उसके चेहरे पर उड़ेल दिया।

भूमि ने थोड़ा चाटकर भी देखा.. उसका मुँह पोंछने के बाद.. हम एक-दूसरे से नंगे लिपटकर चुम्मा-चाटी करते रहे।

कुछ देर बाद मैंने उसकी गदरीली गांड को मसला.. उसकी गांड के छेद में उंगली की.. और चूत को वापस धीरे से गर्म करने लगा।
अब भूमिका फिर से जोश में आने लगी, उसके दूध तन गए और निप्पल खड़े हो गए.. चूत भी उभर गई।

मैंने उसके दोनों पैर अपने कंधे पर रख लिए। अब उसकी चूत का छेद साफ़ दिख रहा था। मैंने उसमें अपना लंड फेरा.. भूमि फिर से सिहरने लगी।
मैंने उसकी चूत की देहलीज में अपना लंड टिकाया.. तो वो थरथरा गई।
मैंने कहा- मत घबरा पगली.. भाई हूँ तेरा.. ज्यादा दर्द नहीं दूंगा।
भूमि ने आँखें बंद कर लीं और चादर को जकड़ लिया।

मैंने उसकी चूत में थूक कर चिकनाई की और ठीक उसकी चूत के छेद पर अपना लंड टिका दिया।
मैं धीरे से लंड को चूत के अन्दर डालने लगा.. पर मेरी बहन की चूत बड़ी टाइट थी। मैंने एक बार फिर से थूक लगा कर लंड को तेज़ी से भूमि की चूत में घुसा दिया।
उसकी एक तेज़ चीख के साथ मेरा लंड उसकी चूत में समां गया.. और चूत से खून भी रिसने लगा।
मैंने अपनी बहन की सील तोड़ दी। उसकी आँखों में ख़ुशी और दर्द के आंसू थे।
मैंने कहा- रुक, असली मज़ा तो अब आने वाला है।
यह कहकर मैं धीरे-धीरे अपने लंड को भूमि की चूत में रगड़ने लगा।

आह… क्या गर्मी थी उसकी चूत की.. अन्दर जैसे गर्म रुई भरी हो।
भूमि कराहने लगी- भाई..ई.. धीरे-धीरे.. डाल..लो..

कुछ पल बाद मैं उसकी चूत को और तेज़ी से चोदने लगा, उसकी आवाज़ काँपने लगी.. पूरा बिस्तर हिलने लगा। भूमि मजे में आ गई और जोर से चिल्लाने लगी- फक मी भाई.. फास्ट आह्ह..

वो गर्म होकर झड़ गई। उसकी गर्मी से मैं भी पिघल गया, एक झटके के साथ ही मैंने अपना सारा वीर्य अपनी बहन की चूत में उड़ेल दिया.. जो उसकी चूत से रिसकर बाहर आने लगा।

आखिर मैंने अपनी बहन को चोदने का सपना पूरा किया.. पर ये तो एक शुरुआत थी। अभी तो उसकी एनाल, थ्री-सम, गैंग-बैंग होना बाकी है.. क्योंकि मेरी बहन सनी लियोनी है।

"चूत देख कर मान मर्यादा सब भूल गया"

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[Image: desi-papa-desi-babes-w355j.md.jpg]




मेरा नाम  अशोक कुमार है. मेरे डैड एक सफल बिज़नेसमैन हैं. जब मैं छोटा था, तभी मेरे मम्मी की मौत हो गयी. मेरे डैड बहुत व्यस्त रहते थे तो मेरी पढ़ाई के लिए मुझे बोर्डिंग स्कूल भेज दिया गया. बोर्डिंग स्कूल के सख्त अनुशासन के कारण मेरा मन कभी वहाँ लगा नहीं. वहाँ कुछ पसंद था, तो स्पोर्ट्स. बॉक्सिंग मुझे बहुत पसंद था. अपनी फ्रस्ट्रेशन दूसरों पे निकल पाता था. शुरू से फिज़िकल एक्टिविटी में इन्वॉल्व होने के कारण मैं बहुत ही स्ट्रॉंग था बाकी लड़कों से.

यह तो रहा मेरा बचपन, अब मैं घर वापस आ गया था. डैड ने मेरी वापसी के खुशी में बड़ी पार्टी रखी थी. शाम को पार्टी शुरू हुए, बहुत से लोग आने लगे, पापा के फ्रेंड्स और उनकी परिवार. सब मेरे से बहुत ही गर्मजोशी से मिल रहे थे. डैड और उनके दोस्त थोड़ी देर बाद ड्रिंक्स और अपनी बातों में बिज़ी हो गये. अब मैं हमउम्र लोगों के बीच में था. सब मेरे से बड़ा फ्रेंड्ली बात कर रहे थे. स्पेशली गॅल्स कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइटेड थी मेरे से बात करने को. मुझे इतने अटेंसन की आदत नहीं थी, बॉयज हॉस्टल में पढ़ने के कारण लड़कियों के साथ पार्टी की ऐसी आदत नहीं थी. वैसे मैं कोई वर्जिन नहीं था, लेकिन यहाँ का माहौल कुछ नया था.

पार्टी ज़ोर पे थी अब… मेरी सौतेली बहन डॉली पास आई, बोली- वेलकम बैक टू होम!

असल में मेरी माँ की मौत के बाद डैड ने दूसरी शादी कर ली थी, अपनी सेक्रेटरी के साथ. डॉली मेरी सौतेली माँ जसमीत कौर के पहले पति से थी. उसकी उमर कोई 21 साल की थी. मुझसे वो दो साल बड़ी थी. मेरी उससे बिल्कुल नहीं बनती थी. बोर्डिंग में रहने के कारण मेरी उससे कभी ख़ास बातचीत भी नहीं रही.

मैं थैंक्स बोल कर दूसरी ओर चला गया. मैं शर्मा अंकल की बेटी आलिया से बात करने लगा. आलिया भी बोर्डिंग स्कूल में पढ़ी थी. पार्टी में आए सभी लागों में से मैं सिर्फ़ उस से ही कनेक्ट कर पा रहा था.
उसने मुझे पार्टी में आए लोगों के बारे में बताना शुरू किया… वो मुखर्जी बाबू… उनकी बीवी के काफ़ी किस्से मशहूर हैं और मुखर्जी बाबू काम में ही बिज़ी रहते हैं. वो रानी शुक्ला, शुक्ला जी के बेटी, सी इज अल्कोहोलिक.
ऐसे भी सभी के बारे में.

इसी तरह टाइम बीता और पार्टी ख़त्म हुई. सब एक एक कर अपने घर को जाने लगे. मैं थका सा अपने रूम की ओर चल पड़ा.

जैसे ही मैंने अपने रूम का डोर ओपन किया, वहाँ रानी शुक्ला को लेटी पाया. लग रहा था कि नशे से धुत्त वो सो गयी मेरी रूम में आकर शायद. उसकी उमर कोई 35 की होगी, लेकिन जवानी पूरे शवाब पे थी. उसके कपड़े बिखरे पड़े थे, साड़ी एक साइड पड़ी थी, उसका कसा ब्लाउज किसी तरह उसके खरबूजे जैसे बूब्स को ढक पा रहा था. उसकी आधी चूचियाँ बाहर थी.

उसे देख मेरा दिमाग़ गर्म हो गया. मैंने पास जाकर उसे थोड़ा हिलाया, बोला- मिसेस रानी, वेक अप!
उसने अधखुली आँखों से मुझे देखा और मेरा हाथ पकड़ लिया. वो होश में नहीं थी, कुछ बड़बड़ा रही थी- वाइ डोन्*ट यू लव मी ऐनीमोर? (तुम मुझे अब प्यार क्यों नहीं करते?)
रानी ने मुझे खींच कर अपने ऊपर ले लिया.

मैं उसके विशाल वक्ष पर गिर पड़ा. मेरा लंड खड़ा हो गया. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ. मेरा सर पकड़ उसने अपनी ओर खींचा और मुझे चूमने लगी, बोली- लव मी लायक यू युज्ड टू डू!(जैसे तुम पहले करते थे, वैसे ही मुझे प्यार करो!)

मैं किसी तरह उससे अलग हुआ और उसके कंधे पकड़ ज़ोर से हिलाया. मेरे हिलने से उसके खरबूजे छलकने लगे. उसका ब्लाउज सरक कर उसके निप्पल के नीचे तक खिसक गया. गोरे गुदाज़ बूब्स सुनहरे भूरे निप्पल… उफ़!

वो अभी भी होश में नहीं आई थी. मैं पूरा गर्म हो चुका था उसे देख कर. उसने फिर हल्की से आँखें खोली और मुझे खींच कर अपनी बांहों में भींच लिया. मेरा तना हुआ लंड उसकी जांघों पे दबा जा रहा था. मुझे दर्द होने लगा था.
वो बोले जा रही थी- फक मी, प्लीज़ फक मी लाइक यू युज्ड टू डू.(चोदो मुझे… जैसे तुम पहले चोदते थे, अब भी चोदो मुझे!)

बांहों में ज़ोर से मुझे दबाने से उसकी निप्पल ब्लाउज से बाहर आ गई. मेरा सर पकड़ कर अपनी चूचियों पे दबाते हुई बोली- सक इट, सक इट!

अब मेरा कंट्रोल जा चुका था, मैं दोनों हाथों से उसके बूब्स ज़ोर से दबाए और पूरे मुँह में भर के चूसने लगा. उसका दूध निकल आया मेरे मुँह में. मैं और उत्तेजित हो गया और ज़ोर से दांतों से काट काट के उसके निप्पलों को चूसने लगा. नशे में मिसेज़ रानी को दर्द का एहसास भी नहीं हो रहा था.

मेरा लंड बेकाबू हो गया था, मैंने पैंट की ज़िप नीचे करके अपना लंड आज़ाद किया. मुझे लग रहा था कि कहीं उसे होश ना आ जाए. अब वापस जाना मेरा बस में नहीं था, मैंने एक हाथ से उसका पेटिकोट ऊपर उठाया, उसकी पैंटी में हाथ अंदर डाला, उसकी गुद्देदार चूत मैं अपने हाथों में महसूस कर पा रहा था.

मैं उसकी चूत सहलाने लगा और अपनी बड़ी उंगली उसकी चूत में घुसा डाली. उसकी चूत सूखी थी. मुझे उसके होश आने का डर लग रहा था. इतनी उत्तेजना में था कि अब लंड शांत किये बिना नहीं रह सकता था.

मैंने अपना लंड उसकी चूत पे टिकाया और ज़ोर लगा कर लंड का टोपा धीरे से उसकी सुखी चूत में घुसा दिया. नशे में पड़ी वो, आह कर बैठी. मैंने उसका मुँह एक हाथ से बंद करके ज़ोर से धक्का मार के पूरा लंड उसके चूत में पेल दिया. दर्द के मारे वो कराह उठी, लेकिन नशे के कारण वो कमजोर हो चुकी थी, अपने को छुड़ा नहीं पाई.

मैंने ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू किया, उसकी सूखी चूत में मेरा लंड भी घिस रहा था, मुझे जलन हो रही थी. अब रानी को होश आ रहा था, उसकी आँखें दर्द के मारे फटी जा रही थी. मैं उसका मुँह बंद किए चोदे जा रहा था.
अपने मुँह में उसका पूरा बूब ले लिया और जलन के मारे उन्हें ज़ोर के काटे जा रहा था.

थोड़ी देर बाद उसकी चूत गीली हो गयी, मेरा लंड अब आसानी से अंदर जा बाहर जा रहा था. मैंने उसके बूब्स को अपने मुँह से आज़ाद किया और उसकी ओर देखा. वो पूरा चेहरा पे पसीने की बूँदें टपक रही थी. रूम की लाइट में बूँदें चमक रही थी. उसकी आँखें नॉर्मल थी अब… शायद नशा उतर गया था.

मैं थोड़ा थक गया था, मैंने स्पीड धीमी कर दी, धीरे धीरे अब मैं अपना लंड उसके चूत में पेल रहा था. रूम में सिर्फ़ लंड और चूत की चप चप चप की आवाज़ आ रही थी. उसके हाथ जो मुझे दूर धकेलने की कोशिश में मेरे पेट पे थे, ढीले पड़ गये. उसका हाथ अब मेरी कमर से होते मेरी गान्ड पे था. अब वो मेरी गान्ड अपनी ओर खींचे जा रही थी. वो अपनी कमर उछाल उछाल कर अपनी चूत में मेरा लंड घुसाने लगी.

मैंने अब उसके मुँह से अपना हाथ हटाया. वो मुस्काई और मुझे खींच के स्मूच करने लगी. मैंने एक हाथ उसकी गर्दन पे डाला और उसे प्यार से चूमने लगा.

अब मैंने तेज़ी से अपना लंड चूत में डालना शुरू कर दिया. मेरे टट्टे उसकी जांघों से टकरा कर थपथप की आवाज़ कर रहे थे. मैं चरम पर पहुँच गया, आह करते हुए अपना लंड खींचा और सारा पानी उसके पेटिकोट पे गिरा दिया.

वो थोड़ी होश में थी शायद… मुझे धीरे से अलग किया, वो बोली- यह कब कैसे शुरू हो गया, मुझे कुछ याद नहीं?
मैंने उसे सारी बात बताई, वो बोली- ओह, सॉरी. मेरे कारण यह सब शुरू हुआ.
मैं बोला- कोई बात नहीं… मुझे कोई अफ़सोस नहीं. आपके जिस्म में भला कौन मर्द ना जाना चाहे!
वो मुस्काई, बोली- मैंने भी जब पार्टी में तुम्हें देखा तो तुम्हारा चौड़ा बदन देख कर मन मचल गया था. चलो जब अनजाने में शुरू हो ही गया, तो इसे एक अच्छा मुकाम दिया जाए.

हम दोनों बेड से नीचे उतरे. उसने मुझे सोफे के पास नीचे बिठा दिया. चादर बेड से निकाल के मेरे हाथ पीछे कर के बाँध दिया. उसने अपने सारे कपड़े उतार दिये, रूम की लाइट में उसका जिस्म चमक रहा था, अपना ब्लाउज उसने मेरी आँखों पे बाँध दिया.

तभी हमें बाहर से कुछ गिरने के आवाज़ आई. मैं डर गया, किसी ने देख तो नहीं लिया.
वो धीरे बोली- रूको, मैं देखती हूँ!
मुझे अब सिर्फ़ उसके कदम की धीमी आहट सुनाई दे रही थी रूम से जाते!

मेरी आँखों पे पट्टी बन्धी थी और दोनों हाथ बँधे थे. मैं नंगे नीचे फर्श पर बैठा था. मुझे उसके वापस के आने की आहट सुनाई दी. वो चुपचाप मेरे पास आई. मुझे तो सब अंधेरा दिख रहा था. पास आकर उसने मेरे मुँह पर अपनी गान्ड रख दी, उसके गान्ड की गहराई मैं महसूस कर पा रहा था.

उसकी चूत की खुशबू मदमस्त करने वाली थी. मैं अपनी ज़ुबान निकाल कर उसकी चूत चाटने लगा. मेरे थूक से उसकी चूत गीली हुई जा रही थी. वो आहें भरने लगी. उसकी आवाज़ बदली सी थी. वो झुकी जिससे उसकी पूरी चूत और खुल के मेरे मुँह पे आ गयी. मैं और तेज़ी से उसकी चूत चाटने लगा. उसने झुक के मेरा तना हुआ लंड अपने मुँह में ले लिया. मेरी उत्तेजना बढ़ी जा रही थी. अब वो अपने चूतड़ हिला हिला कर मेरे मुँह पे अपनी चूत घिसने लगी.

मेरा लंड छोड़, वो उठ खड़ी हुई, मैं मतवाला हुआ जा रहा था, उसने मेरे मुँह से अपनी चूत हटाई, मेरे हाथ खोले और धीरे से मेरी पट्टी हटाई.

जो मैंने देखा, मैं हैरान था, यह तो मेरी सौतेली बहन थी.
मैं सकपका गया, मैं बोला- डॉली! तुम यहाँ?

मैं कुछ और बोलता उससे पहले ही वो मुझे स्मूच करने लगी, थोड़ी देर तो मैं हतप्रभ सा ही रह गया था.
मुझसे अलग होकर वो बोली- पनिश मी फॉर माई डर्टी ऐक्ट.( मुझे मेरी बुरी हरकत की सजा दो!)

मेरी बहन मेरे बाल ज़ोर से पकड़ के मुझे ज़ोर ज़ोर से चूमने लगी. मेरे होंठ दर्द कर रहे थे. फिर मैं भी शुरू हो गया. अब मैं इतना गर्म हो चुका था कि सारी मर्यादा भूल चुका था. उसने मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी. मैंने भी अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी. मैं उसकी गर्म सांसें अपने चेहरे पे महसूस कर रहा था.

वो मेरे से अलग हुई, तो मेरी नज़र उसकी पके आम जैसे चूचियों पे गयी. ऐसे गदराई जवानी की देख के किसी का दिल मचल जाए.
मैंने पूछा- वेयर इज़ मिसेस रानी?
वो बोली- मेरी आहट सुन जब वो बाहर आई, मैं छिप गयी. वो टायलेट की ओर जा रही इथी कि उसका मूत वहीँ निकल गया और वो वहीं दरवाजे के पास लेट गयी. शायद अभी भी नशे में है.
मैं तुम दोनों को देख इतना गर्म हो चुकी थी कि मेरा खुराफाती दिमाग़ मुझे तुम्हारे पास ले आया.

मैं बोला- यू डर्टी बिच! (तुम गन्दी कुतिया हो!)
वो बोली- येह, आई अम फक्किंग डर्टी बिच. प्लीज़ पनिश मी. (हाँ, मैं चुदक्कड़ गन्दी कुतिया हूँ, मुखे सजा दो!)
वो बिल्ली के जैसे फर्श पे रेंगती हुई मेरी ओर आई, उसकी पतली कमर के पीछे उसकी चौड़े चूतड़ मैं उपर नीचे होते देख पा रहा था.

पास आकर उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और नशीली आँखों से मुझे देखती मेरा सुपारा चूसने लगी. फिर इतना मोटा लंबा लंड उसने पूरे गले तक उतार लिया. उसकी नाक मेरी झान्टों में घुसी थी.
उसने अपने मुँह से मेरा लंड निकाला और ज़ोर से खाँसी. पूरा लंड मुँह में लेने से उसकी साँस उखड़ गई थी.

अब उसने तेज़ी से मेरा लंड मुँह में लेकर चोदना शुरू किया. मैं आह आह करने लगा. मेरा लंड उसके थूक से सना चमक रहा था. मैंने उसे अपने से अलग किया और सोफे के पास पटक दिया. उसका सर सोफे में टिका के मैं सोफे पे चढ़ गया, उसका सर अपनी टाँगों के बीच रख कर अपनी बहन का मुँह चोदने लगा.

जब मुझे लगा मैं पानी छोड़ दूँगा तो मैं रुका, उसका सर पकड़ कर पूरा लंड ज़ोर से उसके गले तक घुसा दिया. मेरे टट्टे तक उसके मुँह में घुसे जा रहे थे.
मेरी बहन टांगें पटक पटक कर छटपटाने लगी, उसने अपने सर को तेज़ी से एक ओर मोड़ कर अपने मुँह को मेरे लंड से आज़ाद किया. वो ज़ोर से खांसने लगी.
मैं वासना के शिखर पे था, वो हार मानने वालों में नहीं थी, मेरे मोटे लंड को मेरी बहन पूरा निचोड़ना चाहती थी. उसने दोनों हाथों से मेरा लंड पकड़ कर लंड का टोपा चूसना शुरू कर दिया, साथ ही अपने दोनों हाथ मेरे लंड पे भी फिरा रही थी.

मैंने उसे खड़ा किया और सोफे साइड पे झुका के डॉगी पोज़िशन में ले आया. उसकी उभरी चूत मेरे सामने थी. मैंने अपना लंड उसकी चूत पे सेट किया और तेज़ी से पूरा लंड घुसा दिया. वो ज़ोर से आह करके चिल्लाई.
मैंने उसके बालों को पकड़ के खींचा और एक हाथ से उसका मुँह बंद कर के तेज़ी से चोदने लगा.

अब मेरा लंड फिसलता हुआ मेरी बहन की चूत के अंदर बाहर जा रहा था. मैंने उसके मुँह से हाथ हटा दिया, उसकी कमर पकड़ के तेज़ी से चोदने लगा.
वो बोली- येस येस, ओ माइ गॉड. हार्डर हार्डर. (हाँ हाँ… हे भगवान्… जोर से जोर से!)

मेरा जोश भी बढ़ता जा रहा था, मैं दनादन अपनी बहन की चूत चुदाई करने लगा. उसके चूतड़ उछल उछल कर मेरी कमर से टकरा रहे थे. पूरे कमरे में थप थप की आवाज़ गूँज रही थी.
वो सी सी उफ़ उफ़ करती दांतों से अपने होंठ दबा रही थी.

मैं उससे अलग होकर सोफे में बैठ गया. वो आकर मेरी गोद में बैठ गयी, मेरा लंड उसकी गान्ड से दबा था. उसने अपने पैर मेरी जाँघों पर रखा, थोड़ी कमर उठाई, मेरा लंड अपने हाथ में लिया, अपनी गान्ड के छेद पे मेरा लंड टिकाया और धीरे से अपनी गान्ड नीचे कर के मेरे लंड का टोपा पूरा घुसा लिया, धीरे धीरे अपनी गान्ड ऊपर नीचे करने लगी.

मैं आह आह करने लगा. उसकी गान्ड बहुत टाइट थी. अब मैंने भी उसकी कमर पकड़ी और उसके रिदम में रिदम मिला के चोदने लगा. वो उम्म्ह… अहह… हय… याह… बोल कर मेरा लंड चोदे जा रही थी.
मैंने अपना एक हाथ उसकी चूत पे डाला और चूत के दाने सहलाने लगा. थोड़ी देर मैं उसकी गान्ड मारते अपनी दो उंगलियाँ उसकी भभकती चूत में घुसा दी. तेज़ी से अपनी उंगलियों से चूत चोदने लगा. उसकी चूत इतनी गर्म हो चुकी थी कि काँपते हुए उसने पानी छोड़ दिया. मेरा पूरा हाथ उसके चूत की पानी से भीग गया.
वो मेरे पे निढाल हो गयी. उसका सर मेरे कंधे पे था, लंड अभी भी उसकी गान्ड में घुसा था.

मैंने अपनी दोनों उंगलियाँ उसके मुँह में डाली और उसे उसकी चूत का पानी चखाया. वो गहरी सासें ले रही थी. मैंने उसके दोनों चुचियाँ मसलाना शुरू कर दिया. वो आहें भरने लगी. मैंने उसकी गान्ड से अपना लंड निकाला और उसे सोफे पे लिटाया. उसकी दोनों टाँगें उपर कर के उसकी गान्ड पे फिर से अपना लंड सेट किया. धीरे से लंड का टोपा बहन की गान्ड में डाला और चोदना शुरू किया. अब मैं उसकी गान्ड मारते उसे देख भी पा रहा था.

मैं झुका और उसे स्मूच करते उसकी गान्ड में तेज़ी से उसे चोदने लगा. हम दोनों पसीने से सने थे. मेरी उत्तेजना अब चरम पे थे, मैं बोला- आह! आह! मैं छूटने वाला हूँ.
मैंने झटके खाते उसकी गान्ड में पानी छोड़ दिया. मैंने अपनी बहन की गान्ड से अपना लंड निकाला और सोफे पे उसके बगल में लेट गया.

वो बोली- क्यूँ भाई, तू तो बहनचोद बन गया आज?
मैं बोला- काहे की बहन, ना तो हमारी माँ एक है, ना ही पिता. मैं ऐसे रिश्ते नहीं मानता. तूने धोखे से मुझे गर्म कर दिया, वरना मैं ये ऐसा कभी ना करता!
वो बोली- खुली चूत देख के जिसका लंड ना मचले, वो मर्द नहीं!
मैं बोला- हाँ, जब तूने मेरी पट्टी हटाई, चेहरे के सामने तुम्हारी शानदार चूत देख कर मान मर्यादा सब भूल गया.
वो बोली- और तेरा मोटा मूसल देख कर मैं सब भूल गयी. अब तो घर में ही दुनिया का सबसे शानदार लंड हाज़िर है. मज़ा आ जाएगा.
मैं बोला- नहीं, बार बार ऐसे करना ठीक नहीं. डैड को पता चल गया तो वो बहुत दुखी होंगे.
वो बोली- दुखी? उन्हें तो हार्ट अटॅक आ जाएगा. सही कहा तुमने, हमें कंट्रोल में रहना चाहिए.
उसने अपने कपड़े पहने और मुझे गुडबाइ किस किया, बोली- ऐसा नहीं होना चाहिए था.
मैं बोला- शायद!!
और चली गयी.


बहन की ख्वाहिश भाई का फ़र्ज़

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[Image: image-134021.md.jpg]

हेल्लो दोस्तों कैसे हो आप सभी लोग ? मैं  अशोक कुमार आशा करता हूँ की आप सभी लोग ठीक ही होगे | मैं आप सभी लोगो की तरह ही सेक्सी कहानी का बहुत बड़ा आशिक हूँ और मुझे बहन और भाई वाली कहानी पढ़ना बहुत पसंद है | मैं अभी तक बहुत कहानी पढ़ कर उनके मज़े ले चूका हूँ और मैं आज अपनी एक सच्ची कहानी को लेकर आप लोगो की सेवा में हाज़िर हूँ |

दोस्तों मैं अपनी कहानी को आगे बढ़ाने से पहले अपने बारे में बताना चाहता हूँ | मेरी उम्र 30 साल है और मैं रहने वाला एक बड़े शहर का हूँ | मैं दिखने में काफी हट्टा कट्टा हूँ जिससे मैं दिखने में स्मार्ट लगता हूँ | मैंने इंजीनियरिंग की है और इन दिनों मैं अपने ही शहर की एक कम्पनी में जॉब कर रहा हूँ |


दोस्तों मैं अब आप लोगो का बिना टाइम बर्बाद किये सीधे अपनी कहानी को शुरू करता हूँ | मैं अपनी कहानी को शुरू करने से पहले अपनी बहन के बारे में बता देता हूँ | मेरी बहन का नाम सपना है और वो मुझे 2 साल छोटी है | मेरी बहन बचपन से ही बहुत सुन्दर लगती थी |

दोस्तों ये कहानी तब की है जब मैं 22 साल का था और मेरी बहन 20 साल की थी | दोस्तों मैंने ही अपनी बहन की सील थोड़ी थी और उस पहली चुदाई के रंगीन खेल मैं उसे बहुत मज़ा आया था और उस दिन के बाद मुझे और सपना को जब ही मौका मिलता तो हम दोनों चुदाई का रंगीन खेल खेलते और मैं उसके सेक्सी जिस्म के मज़े लेता |

दोस्तों एक दिन की बात है जब मेरे मम्मी और पापा घर से बाहर गए हुए थे और उस रात मेरे मम्मी और पापा रात को घर भी नही आने वाले थे | उस रात मैं और मेरी बहन घर में अकेले ही थे | उस रात सपना ने मुझसे चुदाई का खेल खेलने को कहा तो मैं और सपना खाना खाने के बाद जब कमरे में गए तो उस रात मैंने टीवी पर एक इंग्लिश सेक्सी मूवी चलाई |

उस मूवी में एक लड़की के साथ तीन लोग सेक्स कर रहे थे जिसको मेरी बहन सपना बहुत ही ध्यान से देख रही थी | उस मूवी में वो तीनो लड़के उस लड़की को बारी बारी से चुदाई कर रहे थे और वो लडकी आह्ह अहह… ह्ह्ह…. आ सी सी.. उई उई.. की आवाजे करती हुई चुदाई के मज़े ले रही थी जिसको देखकर सपना पागल हो चुकी थी और अपनी चूत में ऊँगली करने लगी थी |

दोस्तों उस मूवी को देखकर मेरा भी हाल बुरा हो चूका था और सपना के जिस्म ने पसीना छोड़ दिया था | उस लड़की को वो तीनो भूखे शेर की तरह चोद रहे थे | एक उसकी चूत में लंड को डाले हुए था और एक उसकी गांड को जोरदार धक्को के साथ मार रहा था | तीसरा वाला उसके मुंह में लंड को अन्दर बाहर कर रहा था |

दोस्तों उस मूवी को देखकर कर मेरा और सपना दोनों का हाल बहुत बुरा हो चूका था | मूवी के ख़त्म होते ही मैं और सपना ने पुरे कपडे निकाल दिए | फिर सेक्स का मज़ा लेने लगे | दोस्तों उस रात मैंने सपना को रात में तीन बार चोदा था और सपना अपनी चुदाई के मज़े लेती हुई मेरा साथ देती रही थी | उस रात की चुदाई के बाद |

सपना : भाई मेरी एक इच्छा है क्या वो पूरी हो सकती है ?

मैं : क्या है बताओ ?

सपना : भाई मुझे भी उस लड़की की तरह एक साथ तीन लडको के लंड के मज़े लेना चाहती हूँ ?

मैं : ये बात सुनकर पहले तो एकदम चोंक सा गया | फिर कुछ देर बाद बोला हाँ हो सकती है पर तुम्हे इस तरह चुदाई कराने में दर्द बहुत होगा | क्या पता किस लड़के का कितना बड़ा लंड हो और किसी लड़के का लंड ज्यादा बड़ा हुआ तो तुम्हारी चूत का साइज़ बड़ा कर देगा |

सपना : भाई मैं वो मज़ा लेने के लिए कुछ भी कर सकती हूँ चाहे कितना बड़ा भी हो मैं लेलुंगी और भाई जब मैं तुम्हारा लंड पूरा लेलेती हूँ तो मैं किसी का लंड ले लुंगी | तुम बस लडको को तैयर कर लो मैं चुदाने के लिए तैयर हूँ |

मैं : अगर तुम चुदने के लिए तैयर हो तो मैं अपने दोस्तों से बात करता हूँ |

दोस्तों मैं अपने दोस्तों के बारे में बता देता हूँ | मेरे तीन दोस्त है और वो मेरे बहुत पुराने दोस्त हैं इसलिए वो मुझे कोई बात नही छुपाते हैं न ही मैं उनसे कोई बात छुपता हूँ |

दोस्तों मेरे दोस्त मेरी तरह ही हैं और वो भी अपने घर में किसी न किसी की चुदाई के मज़े लेते रहते हैं इसलिए मेरी और मेरे दोस्तों की अच्छी बनती है | वो लोग मुझे अपने बारे में बता देते हैं और मैं उन्हें अपनी बहन की चुदाई के बारे में बता देता हूँ | उनमे कोई अपनी माँ को चोदता है तो कोई अपनी भाभी को चोदता है |

उसके दुसरे दिन रोज की तरह ही हम चारो दोस्त होटल पर मिले और उस दिन मैंने अपने दोस्तों को अपनी बहन की इच्छा के बारे में बताया और वो साले ये बात सुनकर तुरंत ही तैयर हो गए | दोस्तों उन दिनों मेरे मम्मी और पापा घर भी नही थे तो मैंने अपने दोस्तों से उसी रात घर आने को कहा |

वो तीनो लोग एक साथ हाँ करते हुए बोले की हम आज रात ही आ जयेंगे | मैं उनसे बात करने के बाद अपने घर आया और अपनी बहन से सारी बाते बताई | वो ये बाते सुनकर बहुत खुश हुई और मेरी होठो पर एक जोरदार की किस करके बोली आप बहुत अच्छे हो |

तब मैंने सपना से कहा तुम आज तैयर हो जाओ मेरे दोस्तों तुम्हारी चूत को भोसड़ा बनाने के लिए आयेंगे | सपना मेरी ये बात सुनकर हँसती हुई बोली की ऐसा न हो की तुम्हारे दोस्त पार्टी की ओपनिंग में ही झड जयेंगे और पार्टी का सारा मज़ा ही बेकार कर दें |

दोस्तों मैं सपना के मुंह से ये बात सुनकर हँसते हुए बोला की मेरी रंडी बहन तू परेशान मात हो मेरे दोस्तों चुदाई के बहुत शौकीन हैं और वो तेरी आँखों से पानी निकलने तक चोदेंगे बस तू मेरे दोस्तों के लंड का स्वागत अपनी गुलाबी चूत से करना |

सपना हाँ मेरे भाई तू आने दे अपने दोस्तों को मैं भी देखती हूँ कितना दम है तेरे दोस्तों के लंड में | मैंने अगर तेरे दोस्तों के लंड का पानी न निकाल दिया तो बताना | उस टाइम मैं और मेरी बहन ऐसे ही कुछ देर तक बाते करते रहे और ये सब बाते करने की वजह से मेरा लंड लोहे की तरह खड़ा हो चूका था |

दोस्तों सयाद उस टाइम सपना की भी चूत गीली हो चुकी थी जिसकी वजह से वो मेरे पास आई और मेरे खड़े हुए लंड को पैन्ट के ऊपर से पकड लिया और सहलाने लगी | उस टाइम मैं भी गर्म था इसलिए मैंने बहन के बालो को पकड लिया और बोला साली रंडी आ तुझे बताता हूँ |

मैं ये कहते हुए उसके बालो को पकड कर बेडरूम में ले गया और बेड पर पटक दिया | फिर अपने सारे कपडे निकाल दिए साथ में उसके भी निकाल दिए |

जब मैं और सपना दोनों ही बिना कपड़े के हो गए तो मैंने उसे पकड कर बेड पर बैठा दिया | वो ठीक एक रंडी की तरह घुटनों के बल बैठ कर मेरे लंड को हाथ में पकड लिया और धीरे – धीरे हिलती हुई मेरे लंड के टोपे को मुंह में रख कर अपनी जीभ से चाटने लगी जिससे मेरे जिस्म में करंट सा लग गया और मैं उसके सर को पकड कर एक जोरदार धक्का मार दिया जिससे मेरा 6 . 5 लम्बा लंड उसके मुंह में आधा घुस गया |

वो दर्द की वजह से चीख पड़ी और मेरे लंड को बाहर निकाल दिया | दोस्तों मेरा लंड सपना के गले तक चला गया था जिससे उसकी आँखों में पानी आ गया था | वो मेरे लंड को ऐसे ही कुछ देर तक चूसने के बाद मेरे लंड को निकाल दिया | फिर मैंने उसे बेड पर लेटा दिया और उसकी दोनों टांगो को फैला कर उसकी चूत में अपनी जीभ को घुसा दिया जिससे उसके मुंह से गर्म सांसो में आह्ह… उह्ह.. उह्ह… सी.. सी.. उई.. की आवाजे निकाल गयी |

मैं उसकी वो आवाजो को सुनकर और जोश में आ गया और उसकी चूत में अपनी उँगलियाँ भी घुसा दी | मैं उसकी चूत में जोर जोर से उँगलियों को अन्दर बाहर करते हुए उसको चोदने लगा और वो आह्ह आह… उह उह.. उई. ईई.. सी सी… की सेक्सी आवाजे करती हुई मज़े लेने लगी |

मैं उसकी चूत में ऐसे ही 10 मिनट तक जोर जोर से ऊँगली करता रहा जिससे उसकी चूत से गर्म पानी की धार निकाल गयी और वो झड गयी | फिर मैंने उसकी दोनों टांगो को पकड कर अपनी और खीच लिया और चूत के मुंह पर अपने लंड के टोपे को टिका कर एक जोरदार धक्का मारा जिससे मेरा लंड उसकी चूत मेर पूरा अन्दर तक समां गया | मेरा लंड पूरा अन्दर जाते ही हमेशा की तरह उसके मुंह से जोर की आहे निकल गयी |

सपना : आह.. आह.. आह… यार मज़ा आ रहा और जोर से करो ?

मैं : उसके इस तरह कहने पर उसकी चूत में धक्को की स्पीड और तेज कर दी जिससे वो चुदाई के मज़े लेती हुई आह आह.. उह उह.. उई उई… करने लगी |मैं  अशोक कुमार अब अपनी इस कहानी को आगे बढ़ता हूँ और मैं आशा करूँगा की आप लोग मेरी इस कहानी को पढ़कर खूब मज़े लेंगे | मैं उस दिन अपनी बहन सपना की चूत में अपने पुरे लंड को घुसा दिया था | अब इसके आगे ?


मैं सपना की चूत में अपने लंड को घुसा कर जोरदार धक्के मार रहा था और सपना मस्त सेक्सी आवाजे करती हुई चुदाई के मज़े ले रही थी | फिर मैंने उसकी एक तांग को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया और उसकी चूत में अपने लंड को अन्दर बाहर करने लगा | मैं उसकी चूत में लंड को जोर जोर से अन्दर बाहर कर रहा था |

सपना : आह आह… उह उह… उई उई… अह… की आवाजे करती हुई चुदाई के मज़े ले रही थी और अपने बूब्स के निप्पल को अपने हाथो से पकड कर जोर जोर से मसल रही थी |

मैं उसको ऐसे ही 10 मिनट तक जोरदार धक्को के साथ चोदता रहा | फिर मैंने अपना पोज बदला और उसको अपने लंड पर बैठाया और कमर को पकड कर ऊपर नीचे करने लगा | सपना मेरा साथ देती हुई मेरे लंड पर ऊपर नीचे होने लगी | वो मेरे लंड पर उछल – उछल कर चुदने लगी साथ में आह आह… उह उह…. सी सी… उई माँ उई माँ.. करती हुई चुद रही थी |

सपना ऐसे ही करीब 5 मिनट तक मेरे लंड पर बैठ कर चुदती रही | फिर मेरे लंड से नीचे उतर गयी और उसकी चूत का पानी एक बार फिर से निकल गया |

दोस्तों वो इतनी देर में दो बार झड़ चुकी थी पर मेरा लंड अभी भी लोहे की तरह खड़ा था | तब मैंने उसे घोड़ी बना कर उसकी चूत में पीछे से लंड को डाल दिया और जोरदार धक्के के साथ चोदने लगा | मैं उसे ऐसे ही 5 मिनट तक और चोदता रहा | फिर 20 मिनट की मस्त चुदाई के बाद मेरे लंड ने अपना सारा पानी सपना के मुंह में निकाल दिया |

मेरे लंड से निकलने वाला सारा पानी सपना गटक गयी | उस दिन मुझे सपना की चुदाई में बहुत मज़ा आया था और सपना भी पुरे मज़े के साथ चुदी थी | फिर मैं और सपना ने अपने – अपने कपडे पहन लिए और बाहर आकर बैठ गए |

तब मैंने सपना से कहा सपना क्या मैं अपने दोस्तों को मना कर दूँ आज आने को ?

सपना : नही यार मुझे अभी और चुदना हैं उन्हें आने दो ?

तब मैंने सपना से कहा तुम ठीक नही हो देखो तुम्हारी चल तो अभी ही बदल गयी है अगर वो तीनो भी आ गए तो तुझे मार ही डालेंगे ?

सपना : नही मैं आज मार भी जाऊं तो कोई बात नही पर मैं और चुदना चाहती हूँ ऐसे मौके रोज रोज नही मिलते हैं मम्मी और पापा नही हैं इसलिए मैं उन सबके साथ खुल कर चुदाई के मज़े ले पाऊँगी |

मैं : ठीक हैं अगर तुम आज चुदना ही चाहती हो तो ठीक है | मैं अपने दोस्तों को बुला लेता हूँ |

सपना : हाँ बुला लो मादरचोदो को देखती हूँ आज उनके लंड का दम |

दोस्तों तब मैंने उस दिन अपने दोस्तों से कहा तुम लोग कब तक आओगे ?

वो लोग : बस यार कुछ ही देर में आता हूँ कुछ सामान लेना है लेकर निकल रहें हैं |

मैं : ठीक हैं आओ ? मेरी रंडी बहन चुदने के लिए फिर से तैयर हो जाओ मेरे दोस्तों कुछ ही देर में आ रहें हैं |

सपना : आने दो मैं सबके लंड लेने के लिए तैयार हूँ |

मैं और सपना बैठ कर आपस मैं बाते करने लगे और उसके कुछ ही देर बाद वो तीनो आ गए | वो तीनो मेरी बहन को देखकर बोले यार क्या माल है तेरी बहन पहले क्यूँ नही मिलाया था |

वो तीनो मेरी बहन को देखते ही पागल हो गए और तारीफ करने लगे | सपना सोफे पर बैठी हुई थी और मेरे दोस्त उसके पास जाकर बैठ गए और सपना से बाते करने लगा | एक दोस्तों मेरे साथ बैठ कर मुझसे बाते करने लगा और बोला की मैं तो आज तेरी बहन की इस कदर चुदाई करूँगा की वो आज के बाद सिर्फ मुझसे ही चुदाई कराएगी |

मैं : चल साले कुत्ते ऐसा तो हो ही नही सकता की वो मुझे छोड़ कर तुझसे रोज चुदने लगे | तब वो मुझसे बोला की मैं आज सेक्स पावर की गोली खाकर तेरी बहन की चुदाई करूँगा और वो मेरी दीवानी हो जाएगी | दोस्तों हम दोनों ऐसे ही बाते कर रहे थे पर उधर वो दोनों मेरी बहन से खेल रहे थे |

उसमे से एक मेरी बहन की दहिनी जांघ को सहला रहा था और दूसरा दोस्त बायीं जांघ को सहला रहा था | मेरी बहन दोनों के सर को पकड कर अपने बड़े बड़े बूब्स पर दबा रहा थी | वो कुछ देर तक ऐसे ही करती रही फिर बोली तुम लोग किसका इंतजार कर रहे हो आओ |

इतना सुनते ही वो तीनो मेरी बहन पर भूखे शेर की तरह टूट पड़े और पकड कर सपना की टी शार्ट को निकाल दिया | दुसरे ने मेरी बहन की जींस को निकाल दिया जिससे वो उनके सामने ब्रा और पैंटी में आ गयी | वो तीनो सपना के गुलाबी जिस्म को देखकर पागल हो गए और उसके जिस्म को चूमने चाटने लगे |

वो सपना को चुमते हुए अपनी बाँहों में उठा लिया और जाकर बेडरूम में बेड पर लेटा दिया | उन सबको ऐसा करते देख मेरे अन्दर का जानवर फिर से जाग गया और मैंने भी अपने कपडे निकाल दिए साथ में उन तीनो ने भी अपने – अपने कपडे निकाल दिए |

दो दोस्तों सपना के बूब्स को दबाते हुए एक – एक दूध को मुंह में रख कर चूसने लगे जिससे सपना मचल गयी और आह आह… उह उह… उई उई… सी सी.. की आवाजे करती हुई उनके सर को दूध पर दबाने लगी | वो ऐसे ही सपना के दोनों बूब्स को एक – एक करके कुछ देर तक चूसते रहे और मेरा तीसरा दोस्त सपना की गुलाबी चूत में जीभ को घुसा कर चाट रहा था जिससे वो सेक्सी आवाज कर रही थी |

सपना मेरे लंड को हाथ में पकड कर हिला रही थी साथ में आह आह.. उह उह.. उई… की आवाजे भी कर रही थी | दोस्तों ये कर्यक्रम ऐसे ही करीब 10 मिनट तक चलता रहा | फिर मेरे एक दोस्त ने सपना को बेड पर लेटा दिया और उसके मुंह में अपने लंड को घुसा कर चूसने लगा | सपना उसके लंड को मुंह में रख कर चूसने लगी |

एक सपना की चूत में ऊँगली घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा और सपना मेरे लंड को और मेरे दोस्तों के लंड को हाथ में पकड कर मुठ मारने लगी | वो मेरे पहले वाले दोस्तों के लंड को ऐसे ही 5 मिनट तक लंड को चुस्ती रही | फिर पहले वाले दोस्तों ने अपने लंड को निकाल कर उसकी चूत के मुंह पर टिका दिया और धीरे धीरे रगड़ने लगा |

तब सपना ने मेरे दुसरे दोस्त के लंड को मुंह में रख कर चूसने लगी और मेरे लंड को और तीसरे दोस्त के लंड को हाथ में पकड कर हिलाने लगी | पहले वाले दोस्त ने जैसे ही उसकी चूत में जोरदार धक्का मारा वेसे ही सपना के मुंह से जोरदार की आवाज निकाल गयी उई माई………. मरर..रर… गा….ईई.. पर मुंह में लंड होने की वजह से उसकी आवाज मुंह में ही रहे गयी |

पहले वाले दोस्त ने सपना की टांगो को उठा कर जोर जोर के धक्के मारने लगा और सपना आह अह.. उह .. की आवाजे करती हुई चुदाई के मज़े लेती हुई एक एक करके सबके लंड को चूस रही थी | फिर पहले वाले दोस्तों ने सपना की चूत से लंड को निकाल कर नीचे लेट गया और सपना अपनी गांड को उसके लंड पर रख कर बैठ गयी |

दुसरे : वाले दोस्त ने सपना की चूत में लंड को घुसा कर धक्के मारने लगा और पहले वाला दोस्त उसकी गांड में नीचे से अन्दर बाहर करने लगा जिससे कमरे में फच… फच… फच…. की आवाज के साथ आह आह… उह उह…. उई माई …. आवाजे घुजने लगी |

सपना एक लंड को चूत में लेकर चुद रही थी और दुसरे लंड को गांड में लेकर साथ में मेरे लंड को मुंह में रख कर चूस रही थी और मेरे तीसरे दोस्त के लंड को हाथ में पकड कर मुठ मार रही थी |

दोस्तों उस टाइम मेरी बहन पूरी तरह से रंडी की तरह अपनी गांड और चूत में लंड को लेकर चुद रही थी | वो दोनों हवसी कुत्तो की तेरह मेरी बहन को चोद रहे थे | इतनी देर में मेरी बहन की चूत से दो बार पानी निकाल चूका था और वो दोनों जोरदार धक्को के साथ चोद रहे थे | वो दोनों सपना को ऐसे ही 15 मिनट तक एक – एक करके चोदते रहे |

सपना जोर जोर से चीखती चिल्लाती हुई चुद रही थी | वो दोनों उसकी गांड और चूत में लंड को डाल कर जोर जोर के धक्के मार रहे थे | सपना आह आह.. उई उई मम्मी… मरर…ररर…. गा…ईई… आह अब बस करो यार जान निकालो गे क्या ? पर वो दोनों रुकने का नाम ही नही ले रहे थे और जोरदार धक्को के साथ चोद रहे थे |
दोनों काफी देर तक चोदता रहा.. फिर मेरी बहन सपना को चरम प्राप्त हो गया और उसका चूतरस निकलने लगा जिसे मैंने चाट कर देखा और बाकी दोस्तों को भी चटवाया।

the end

"रिश्तों की टूटी मर्यादा "

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मेरा नाम अशोक कुमार है और मै दिल्ली का रहने वाला हूँ | आज मै आपको वह बात बताने जा रहा हूँ जिसे सुनकर शायद आप यही सोचेंगे की ये सिर्फ एक कहानी है | मगर सच मानिये ये कोई सेक्सी कहानी नहीं है बल्कि मेरे साथ घटी एक सच्ची घटना है |
ये बात तब की है जब मै लगभग १९ वर्ष का था और मेरी बहन अमृता लगभग १8 वर्ष की थी | जो भी कुछ हमारे बीच हुआ- वह हुआ तो गलती से था मगर बाद में हम दोनों को ये एहसास हुआ की जो हुआ वह अच्छा हुआ और हम दोनों धीरे धीरे उससके आदि हो गए थे |
मै शुरू से ही बहुत सेक्सी वि चारो वाला लड़का रहा हूँ और अपने से बड़ी उम्र के लडको के साथ रहता था इसलिए लगभग १४-१५ वर्ष की आयु से ही मै सेक्सी फिल्मे देखने लगा था और तभी से मुठ भी मरने लगा था | लेकिन अभी तक मेरी ये आदत किसी एक साधारण जवान लड़के के जैसे सिर्फ मुठ मरने तक ही सीमित थी | इसका मेरी बहिन के साथ कोई सम्बन्ध नहीं था | मै भी एक साधारण भाई की तरह ही अपनी बहिन को साधारण वाला प्यार करता था |
लेकिन एक दिन (ये बात उस समय कि है जब मै लगभग 19 वर्ष का था और अमृता लगभग १8 वर्ष कि थी |)मै अपने दोस्तों के साथ वी सी आर पर एक बहुत ही सेक्सी फिल्म देख कर आया था और मौका न मिल पाने के कारन उस दिन मुठ नहीं मार सका था | इसलिए पूरा दिन परेशान रहा |मगर पूरा दिन मुझे मुठ मारने का मौका मिला ही नहीं और मुझे रात को बिना मुठ मरे ही सोना पड़ा |
उसी रात मेरे साथ वह हुआ जो शायद इस समाज की नजरो में गलत होगा मगर अब मेरी नजरो में गलत नहीं है | मुझे कामुकता के कारण नींद नहीं आ रही थी और मै करवटे बदल रहा था कि अचानक मेरी नजर मेरे बराबर में सोती हुई मेरी छोटी बहिन पर पड़ी | (यहाँ मै आपको बता दूँ की शुरू से ही हम दोनों भाई बहिन एक कमरे में सोते थे और हमारे मम्मी-पापा दुसरे कमरे में सोते थे |)नींद में बेफिक्र हो कर सो रही मेरी बहन बहुत-बहुत सुंदर लग रही थी | और सबसे बड़ी बात तो ये थी कि नींद में सोती हुई मेरी बहिन के बूब्स बाहर आ रहे थे |पहले तो उसके बूब्स देखते ही मेरे अंदर हवस जाग उठी मगर दुसरे ही पल मेरे अंदर का भाई भी जाग गया और मैंने खुद पर कण्ट्रोल करते हुए अपनी करवट बदल ली |
मगर बहुत जयादा देर तक मेरे अंदर का भाई जागा न रह सका और मेरे अंदर का मर्द जाग गया | मै दिन भर से तो परेशां था ही, अब जयादा देर खुद पर कण्ट्रोल न कर सका और वापिस करवट बदल कर अपनी ही छोटी बहन के बूब्स देखने लगा | सच कहता हूँ उस समय मेरे अंदर मिले जुले विचार आ रहे थे | कभी तो मै अपनी ही बहन के बूब्स देख कर उत्तेजित हो रहा था और कभी खुद पर ग्लानी महसूस करता था |
मगर फिर भी उसके बूब्स देखने का मौका मै खोना नहीं चाहता था इसलिए उस रात मै जी भरकर अपनी बहिन के बूब्स देखता रहा मगर उसे छूने कि हिम्मत नहीं कर सका | लेकिन उसके गोरे-चिट्टे छोटे-छोटे बूब्स ने मेरे लैंड का हाल बुरा कर दिया था इसलिए मै लेटे-लेटे ही बिना पजामा खोले ही मुठ मारने लगा और अपनी बहन के बूब्स को निहारने लगा | इस तरह मैंने उस दिन पहली बार अपनी बहिन के नाम से मुठ मरी थी और वह भी उसके नंगे बूब्स को देखते हुए- उसी के सामने | सच कहता हूँ मुठ तो मै कई सालो से मार रहा था मगर उस दिन मुठ मारने से जो संतुष्टि मुझे मिली थी वो उस दिन से पहले कभी नहीं मिली थी |
बस उस दिन के बाद से ही मै अपनी बहन को ही उस नजर से देखने लगा था जिसे ये समाज तो सेक्स कहता है लेकिंन मै उससे प्यार कहूँगा | उस रात के बाद से मै जाग-जाग कर अपनी बहन के सो जाने का इन्तजार करने लगा | और साथ ही इन्तजार करता उसके सोते समय बूब्स के बहार निकल जाने का | कभी कभी तो मै पूरी पूरी रात जगता रह जाता मगर अमृता के बूब्स बहार ना निकलते और मै डर के कारण उसे छू नहीं सकता था | अब तो दिन रात मेरे ऊपर मेरी ही सगी बहन के प्यार का भूत स्वर हो चूका था | मै सेक्सी फिल्म देखता तो मुझे अमृता नजर आती और अमृता को देखता तो सेक्सी फिल्म कि हिरोइन नजर आती | ये सिलसिला लगभग एक साल तक चलता रहा और मै ऐसे ही अमृता के नाम कि मुठ मारने लगा मगर कुछ करने कि हिम्मत नहीं कर सका |बस रात रात भर जाग कर अपनी बहन के बूब्स बाहर आने का इन्तजार करता |
लेकिन दिन-ब-दिन मेरे अंदर अमृता को पाने कि चाहत बढती जा रही थी | अब मेरी नजर सिर्फ और सिर्फ अमृता के बूब्स पर ही रूकने लगी थी | मै जाने अनजाने में सबके सामने भी अमृता के बूब्स ही निहारता रहता था और इस बात के लिए एक-दो बार मेरे दोस्तों ने मजाक मजाक में टोक भी दिया था, मगर मैंने उन्हें नाराजगी जताते हुए इस बात के लिए डांट दिया था | लेकिन सच तो यही था कि अब मै अमृता के प्यार मे पागल हो चूका था और उसको पाने कि चाहत में अपनी सभी हदे पार करने लगा था |
इसलिए अब रात को जब अमृता के बूब्स बहार नहीं निकलते थे तो मे खुद अपने हाथ से उन्हें बहार निकालने लगा था | लेकिन बूब्स को बहार निकालते समय मै इस बात का विशेष ध्यान रखता था कि कही अमृता कि नींद न टूट जाये |

धीरे धीरे मेरी हिम्मत भी बढती जा रही थी और मै रोज ही अमृता के बूब्स निकल कर धीरे धीरे उन्हें सहलाने लगा , कभी कभी हलके से किस्स कर देता तो कभी कभी अपना लैंड ही उसके हाथ में दे देता |
ये सब सिलसिला भी लगभग एक-डेड़ साल तक चलता रहा और मेरी उम्र लगभग १९ वर्ष कि हो गयी थी और अमृता भी लगभग १७ वर्ष कि हो गयी थी | उम्र के साथ साथ अमृता के बूब्स भी भारी होते जा रहे थे और मुझे पहले से भी ज्यादा पागल करने लगे थे |मै अपनी ही सगी बहन के बूब्स के लिए पागल हुए जा रहा था और रोज रात को उसके बूब्स बहार निकालकर चूसता, सहलाता और उसके हाथ में अपना लंड रख कर अपनी सोती हुई बहन से मुठ मरवाता |

एक रात (जब मै १९ वर्ष का हो चूका था ) मेरा पागलपन कुछ ज्यादा ही बढ गया और मै रोज कि तरह अमृता के बूब्स से खेलने लगा| साथ ही साथ अपना लंड अमृता के हाथ में दे कर मुठ मरवा रहा था कि अचानक मै अपना कण्ट्रोल खो बैठा और उत्तेजना में बहुत जोर जोर से अमृता के बूब्स चूसने लगा | अपनी उत्तेजना में मै ये भूल गया कि मै अपनी ही छोटी बहन को सोते समय प्यार कर रहा हूँ और अपना लैंड उसके हाथ में दे कर जोर जोर से मुठ मरवाते हुए, बहुत जोर जोर से उसके बूब्स अपने हाथ से दबाते हुए मै उससे लिप्स टू लिप्स किस्स करने लगा (और ये सब बहुत जोर जोर से करने लगा था ) कि अचानक अमृता कि नींद खुल गयी | लेकिन जिस टाइम अमृता कि नींद खुली उस टाइम मेरे होठ उसके होठो को चूस रहे थे इसलिए वो चिल्ला तो न सकी मगर डर बहुत गयी | मेरे ऊपर उस समय जैसे शैतान सावार था | मै उस समाया अपनी चरम सीमा के समीप था | मैंने अमृता के जग जाने कि परवाह नहीं कि और पागलो कि तरह उससे किस्स करता रहा , जोर जोर से उसके बूब्स दबाता रहा और उसके हाथ में अपना लंड दे कर जोर जोर से मुठ मरवाता रहा |अमृता इतनी डर चुकी थी कि वो निष्क्रिय सी मेरे नीचे चुपचाप पड़ी रही | कभी कभी उसके चेहरे पर दर्द के भाव जरुर आ रहे थे मगर होठों पर मेरे होंठ होने के कारण वो कुछ बोल नहीं सकती थी | थोड़ी ही देर में (सिर्फ चंद ही मिनटों में )मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और मेरा सारा वीर्य अमृता के हाथ में था | मगर जैसे ही मेरे लंड ने पानी छोड़ा और मेरा पागलपन खत्म हुआ - मेरे हाल ख़राब हो गया | मुझे होश आया तो विचार आया कि अब अमृता मम्मी-पापा को सब बता देगी और अब मेरी खैर नहीं | बस यही सोच कर मेरी हालत ख़राब हुए जा रही थी | लेकिन अमृता चुपचाप गुमसुम और सहमी से अपने बिस्तर पर पड़ी हुई थी |
यहाँ तक कि न तो अमृता ने अपना हाथ ही साफ किया था और न ही उसने अपने बूब्स अंदर करे थे , वो तो जैसे गुमसुम सी हो गयी थी और मै उससे कही जयादा डर रहा था कि अभी अमृता चीखेगी और मम्मी-पापा को सब बता देगी | मै एक दम से अमृता के हाथ-पैर जोड़ने लगा और उससे मानाने लगा कि वो मम्मी-पापा से कुछ न कहे | मै बार बार उससे माफ़ी मांग रहा था कि जो हुआ वो गलती से हो गया मगर अमृता कि कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही थी | वो बस चुप चाप सी उसी हालत में पड़ी हुई थी | अंत में मैंने ही उसके बूब्स को ढँक दिया और उसे सुलाने लगा | जब बहुत देर तक अमृता ने कोई शोर नहीं मचाया तो मेरे दिल को थोडा सा चैन मिला कि कम से कम आज रात तो वो मम्मी-पापा को कुछ कहने वाली नहीं है लेकिन सुबह कि सोच का मुझे चिंता हुए जा रही थी | थोड़ी देर के बाद अमृता के रोने कि आवाज आने लगी | तब मैंने बार बार उससे माफ़ी मांगी और उससे वादा लिया कि वो मम्मी को कुछ नहीं कहेगी |जब अमृता ने मुझे वादा किया कि वो किसी को कुछ नहीं कहेगी तब कही जा कर मेरी जान में जान आई |
यूं तो अमृता ने मुझे वादा किया था कि वो किसी से कुछ नहीं कहेगी मगर सच तो ये है कि फिर भी मेरी गांड फट रही थी | मगर अगला पूरा दिन शांति से गुजर गया ,हाँ इतना जरुर था कि पूरे दिन मैं अमृता का विशेष ख्याल रख रहा था |अगली रात मैंने पूरी शांति के साथ गुजारी और बिना मुठ मरे या बिना अमृता के बूब्स देखे ही मै सो गया | ये पिछले दो सालो में पहली ऐसी रात थी की मै बिना अमृता के बूब्स चूसे या बिना उसके हाथ में अपना लंड रखे सो रहा था |
उसके अगले दिन कुछ कुछ सामान्य सा लगने लगा | अमृता ने अभी तक किसी से मेरी शिकायत नहीं करी थी इस लिए अब डर कुछ कम हो गया था |उस रात मेरे दिल में फिर से अपनी छोटी बहन के बूब्स देखने कि इच्छा होने लगी |पिछले दो सालो में केवल एक ही दिन ऐसा गया था जब मै अमृता के बूब्स देखे बिना सो गया था | इसलिए मुझे उसके बूब्स देखकर सोते समय मुठ मारने कि इतनी आदत पड चुकी थी कि मुझे आज नींद ही नहीं आ रही थी | एक बार फिर से मेरा दिल अमृता के बूब्स को देखने के लिएय बेचैन हो गया था और मै रोज कि तरह अमृता के सोने का इन्तजार करने लगा था |लेकिन मैंने सोच रखा था कि इस बार मैं कोई गलती नहीं करूँगा |
रात के लगभग एक बजे जब मुझे लगा कि अब अमृता सो चुकी है तो मैंने फिर से उसके बूब्स को बाहर निकालें कि कोशिश करी | मगर जैसे ही मैंने अमृता के बूब्स को हाथ लगाया अमृता जाग गयी और बोली भईया क्या कर रहे हो? एक बार फिर से मुझे अमृता ने रंगे हाथ पकड़ लिया था | मै एक दम से सक-पका गया और कोई उत्तर देते न बना | मै कुछ न बोल सका और अपना हाथ अमृता के बूब्स पर से हटाने लगा |तभी अमृता ने मेरा हाथ पकड़ लिया और वापिस अपने बूब्स पर रख दिया | इस बार अमृता बहुत शांत दिख रही थी | मुझे कुछ समझ में ना आ रहा था कि अब क्या होने वाला है ? कमरे में पूरा सन्नाटा छा चूका था कि तभी अमृता ने सन्नाटा तोड़ते हुए बहुत प्यार से कहा -
"भईया मुझे पता है आप क्या करने वाले थे ? आप मेरे बूब्स के साथ हमेशा कि तरह खेलना चाहते हो न ?"
उसकी ये बात सुन कर मै सन्न रह गया | मुझसे कोई बोल न बन पड़ा और मै हैरानी से अमृता को देखने लगा| अमृता फिर बोली- भईया आपको क्या लगता है आप जो रोज रात को मेरे बूब्स के साथ खेलते हो या मेरे हाथ में अपना वो (अमृता ने लंड न खेते हुए "वो" कहा था ) दे कर जो करते हो, मुझे उसका पता नहीं है?
भईया लड़की चाहे कोई भी हो इतनी गहरी नींद कभी नहीं सोती है कि कोई उसके बूब्स दबाये और उससे पता नहीं चल सके |मै हैरानी से अमृता कि बाते सुन रहा था और शर्म से पानी पानी हो रहा था | लेकिन जब अमृता ने ये सब बाते कही तो मै पूछ ही बैठा कि जब उसे ये सब पता था तो उसने आज तक मेरा विरोध क्यों नहीं किया? मेरी बात सुनकर अमृता मुस्कुराई और बोली भईया जैसे आपको ये सब अच्छा लगता है मुझे भी तो अच्छा लगता था | वरना आप ही सोचो जिस नजर से आप मेरे बूब्स देखते थे , क्या मुझे नहीं पता था कि आपकी निगाह कहा पड रही है ? ये सब कहते कहते अमृता मुस्कुरा रही थी और मेरे हाथ से धीरे धीरे अपने बूब्स को दबा भी रही थी |
अमृता कि बाते सुन कर मेरे होश उड़ रहे थे मगर साथ ही साथ उत्तेजना से मेरा लंड भी खड़ा होता जा रहा था | लेकिन तभी मेरे दिमाग में परसों रात वाली बात याद आ गयी जब मेरी अत्यधिक उत्तेजना के कारण अमृता कि नींद खुल गयी थी| मेरे पूछने पर अमृता ने बताया कि सच तो ये है इस उस रात वो भी डर गयी थी क्योकि अभी तक मै उसके साथ सभ्यता से पेश आता रहा था और उस रात मै अचानक पागलो के जैसे उससे प्यार कर रहा था | अमृता ने बताया कि उसे डर इस बात से लग रहा था कि कही मै उसका रेप न कर दूँ |
बाद में अमृता ने कहा कि भईया हम दोनों भाई बहन है इसलिए हम दोनों के बीच में पति पत्नी वाला सम्बन्ध तो कभी बन नहीं सकता , मगर हाँ हम दोनों एक दुसरे कि जरूरते तो पूरी कर ही सकते है |
सच कहता हूँ दोस्तों शायद आप इस बात का विश्वास करे या नहीं मगर मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था | न ही मै खुद इस बात पर विश्वास कर पा रहा था कि मेरी छोटी बहन (जो मेरी सगी बहन है ) मेरी शारीरिक जरूरते पूरी करने कि बात कर रही थी | मेरा लंड ये सोच सोच कर मचल रहा था कि अब उसे अमृता अपने हाथ से सहलाया करेगी और मै ये सोच सोच कर पागल हुए जा रहा था कि पिछले दो सालो सो जिन बूब्स के लिए मै पागल था और छुप छुप का उन्हें देखता था , अब उन्ही बूब्स को मै बेझिझक हो कर मै छू सकूँगा, दबा सकूँगा और चूस सकूँगा |और जब जब मेरे दिमाग में ये बात आती कि ये सब मै किसी और लड़की के साथ नहीं बल्कि अपनी सगी बहन अमृता के साथ करूँगा...................मेरी उत्तेजन और भी बढ जाती |और अपनी इसी उत्तेजना मे मै एक बार फिर से पागलो कि तरह अपनी बहन पर टूट पड़ा | अब मै परसों से भी जयादा जोर से अपनी बहन के बूब्स दबाने लगा, परसों से भी जयादा जोर से उसके होंठ पीने लगा और बिना किसी डर या शर्म के उसका हाथ पकड़ कर पजामे के ऊपर ही अपने लंड पर रगड़ने लगा |
उस पल का एहसास तो सिर्फ महसूस किया जा सकता है, शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है | यूँ तो उसके बाद से हर रात हम दोनों भाई बहन प्यार करते हुए बिताते है मगर पता नहीं क्यों उस पहली रात में जो बात थी वो कुछ अलग ही थी | ये भी सच है कि उस पहली रात में अपनी अत्याधिक उत्तेजना के कारण मै कुछ ही पालो में झड गया था और अमृता मेरे नंगे लंड को अपने हाथ में ले कर सहला पाती इससे पहले ही मै पजामे में ही झड गया था और अमृता बहुत जोर जोर से हंसने लगी थी मगर फिर भी उस रात कि बात ही कुछ और थी |यूँ तो हम दोनों भाई- बहन ने ये तय किया था कि हम दोनों के बीच कभी पति पत्नी वाले सम्बन्ध नहीं बनेगे और हम दोनों एक दुसरे कि जरुरतो का ख्याल अपनी मर्यादा में रहते हुए ही करेंगे , मगर जब एक मर्यादा टूट ही चुकी थी तो भला दूसरी मर्यादा कितने दिन तक रहती ?
समय मिलने पर मै आपको बताऊंगा कि किस तरह हम दोनों भाई बहन के बीच में वो सब भी हो गया जो एक पति और पत्नी के बीच होता है |
हो सकता है कि आपमें से कुछ लोगों को ये घटना एक कहानी भर लगे - सिर्फ एक सेक्सी कहानी मगर ये मेरी जिंदगी कि सच्चाई है और सबसे हसीन सच्चाई 

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Meri jawan sister pummy

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Hi bees plz send comments about my sister looks her name pummy age 22 what u think what is her type in women

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Mature aunty

Pyar ho Jane do

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Hi
This is pankajvijaygupta
Ye pehli story hai DB par main Naya Nahi Hu
Kyu ki Kuch writers ne MERI Kuch story copy krke Yaha post ki hue hai

Pyar ho Jane do

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Hi
This is pankajvijaygupta
Naya Hu is site par Hu Purana kyu ki meri stories dusro ne Yaha copy paste kri hue hai

Par main Kuch Naya Deta Hu if you like

Desi Rajasthani Bhabi Showing her Boobs and pussy to BF

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Desi Rajasthani Bhabi Showing her Boobs and pussy to BF


She first set camera in position. Then She lift her saree pallu along with her blouse
and showing her boobs. Then she removes her panty, down the position on camera
to down and showing her pussy. She is also showing her ass.

She once again lift her saree pallu along with her blouse and showing her boobs.
She also shows her pussy and ass once again.





“अंधेरी रात में दिया तेरे हाथ में”

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[Image: Indian-Honeymoon-Couple-First-Night-Sex-...360.md.jpg]




एक दिन रवि अपने कमरे मे लेटा था. वो काफ़ी थक गया था सो जाकर वो अपनी थकान दूर करने के लिए एक सेक्सी फिल्म देख ली थी. फिल्म का नाम था “अंधेरी रात में दिया तेरे हाथ में” इस नंगी फिल्म को देख कर वो उत्तेजित हो उठा था. उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर पहुँच गयी थी.वो इतना अधिक मस्त था कि बस जी चाह रहा था कहीं कोई लौंडिया मिल जाए और वो उसकी चूत (यानी चूत) मे अपने लंड महाराज को झाड़ कर शांति प्रदान करे.


लेकिन भला आसानी से लौंडिया मिलती कहाँ है? वो भी चुदाई के लिए. वो रास्ते भर एक से एक लौंडिया को देखते आया था. लड़कियाँ के उभरे हुए बड़े बड़े मस्त बूब को देख कर उसका लंड और अधिक फंफना उठता था. किसी प्रकार अपनी मस्ती पर काबू पाता हुआ वो घर पहुँचा और अपने कमरे मे लेट गया.

शाम के साए घिर आए थे. लेकिन उसने कमरे की लाइट नही जलाई थी. वो अंधेरे में लेटा कभी अपने हाथ से लंड को मसलता कभी चारपाई से रगड़ उठता. वो जितनी भी उल्टी सीधी हरकतें करता उसका लंड उतना अधिक फंफना उठता था. सारा शरीर अकड़ने लगा. सिर चकराने लगा. लंड बिल्कुल लाल हो उठा. रवि परेशान हो उठा. उसकी समझ मे नही आ रहा था कि ऐसे मे वो क्या करे क्या ना करे. इसी उधेड़बुन मे वो था की उसके सामने के कमरे मे प्रकाश हो उठा.

वो कविता का कमरा था. इस समय कविता कहीं बाहर से आई थी. और वो काफ़ी थॅकी- थॅकी सी लग रही थी. कमरे के दरवाज़े पर एक हल्का सा पारदर्शी परदा पड़ा था. जिससे कमरे के अंदर की हर वस्तु प्रकाश मे नहाई दिखाई दे रही थी. कविता ने लाइट ऑन की और पलंग पर धम्म से बैठ गयी. 

उसका चेहरा कुच्छ अधिक ही थकावट से भरा था. इस समय उसने एक पारदर्शक कपड़े की मेक्सी पहन रखी थी. जिससे से उसके शरीर का अंग-अंग स्पष्ट रूप से झलक रहा था. अगर वो मेक्सी के नीचे पैंटी और ब्रा ना पहने होती तो शायद उसकी चुचि और बुर भी मेक्सी के उपर से झलक कर दिखाई पड़ती. इस रूप मे कविता को देखकर रवि और अधिक परेशान हो उठा.

उसने आज से पहले कविता को इससे भी अधिक नंगी अवस्था मे देखा था लेकिन तब वो अपने मन को मसोस कर रह गया था लेकिन आज वो कुछ दूसरे ही मूड मे था.

आज कविता की जवानी उसको अनोखा ही रस दे रही थी.वो कविता के मस्त मांसल शरीर / जवानी को देख रहा था और मस्ती से बेकरार हो रहा था. कविता ने एक बहुत ही मदहोश अंगड़ाई ली. उसकी इश्स मदहोश अंगड़ाई से उसके कसे वक्ष ब्रेज़ियर के बाहर झलक उठे. रवि उसकी इस मदहोश अदा से और अधिक बेकरार हो गया.बेकरारी अपने चरम सीमा पर पहुँचती जा रही थी.वो सब कुछ चुपचाप एक टक देख रहा था. उसके अंदर एक बहुत ही भयंकर तूफान उठ रहा था.

वो तूफान बहुत ही भयावाह था. वो सहन कर सकने मे असफल था लेकिन फिर भी स्वयं पर किसी प्रकार से संयम रख रहा था.उसका रोम-रोम सिहर रहा था. वो कुछ समझ नही रहा था क्या करे. वो अभी अपनी ही उधेरबुन मे खोया था कि उधर कमरे मे एक भूचाल सा आ गया.

कविता ने अपनी मेक्सी उतार दी थी और अब वो केवल ब्रा और पेंटी मे थी. उसका सारा शरीर ट्यूब लाइट की.. सफेद दूधिया रोशनी मे चाँदी की समान दमक रहा था. उसे इस बात की तनिक भी आशा नही थी की रवि उसको अपने कमरे से देख रहा होगा.

रवि के कमरे मे प्रकाश नही था. इसका मतलब वो कहीं बाहर गया होगा. लेकिन उसे क्या पता था कि रवि को आज बाहर के नही घर के माल पर हाथ मारने की धुन सवार हो चुकी थी. ब्रेज़ियर और पेंटी मे वो बहुत ही मदहोश लग रही थी. कोई भी मर्द उसको इस दशा मे देख कर खुद पर काबू नही कर पाएगा. यही हॉल रवि का हो रहा था.

वो बिल्कुल बौखला उठा था. इसी अवस्था मे कविता जा कर शृंगार टेबल के सामने खड़ी हो गयी. और आदमकद आईने मे अपने शरीर को निहारने लगी.कुछ देर वो आईने के सामने खड़ी रही और फिर कुछ सोंच कर उसने मस्ती मे भर अपनी दोनो चूंचियों को कस के दबा दिया.उसके ऐसा करने से रवि और बेकरार हो उठा. वो अपनी बेकरारी पर काबू नही पा रहा था.

वो मदहोशी मे अपने लंड को पकड़ कर मचल उठा. रवि अपनी चरम सीमा को पार कर चुका था. वो बिल्कुल बौखला उठा था. कुछ देर आईने के सामने खड़ी हो कर खुद को हर तरह से निहार चूकने के बाद कविता अपने पलंग पर आ गयी.उसने अपनी नंगी जवानी को चादर से ढँक लिया और एक मॅगज़ीन उठा कर उसके पन्ने पलटने लगी.

आज वो कुछ अजीब सी हालत मे लग रही थी. ऐसा लगता था आज वो किसी घटना से दो चार होना चाहती है. इधर रवि ने मन ही मन एक बहुत घिनौना विचार अपने मन मे जन्मा डाला था. आज वो अपनी बहन के ही जवानी के रस को चूस लेना चाहता था.अपनी बहन की ही कमसिन चूत को चोद कर अपने लंड की प्यास बूझा लेना चाहता था.

मॅन ही मॅन कुछ सोचता हुआ वो उठ बैठा.उठकर कविता के कमरे की ओर चल पड़ा. कविता के द्वार पर जाकर वो एक पल को रुका लेकिन फिर वो साहस करके कमरे मे प्रवेश कर गया. अपने कमरे मे भैया को देख कर एक बार तो कविता अपनी नंगी अवस्था की कल्पना मात्र से सिहर उठी, लेकिन फिर उसने खुद को संभाला और हल्की सी मुस्कान के साथ पुच्छ बैठी-

“कहो भैया कैसे, ख़ैरियत तो है?”

“यूँही सोचा चल कर कुच्छ देर तेरे कमरे मे बैठू”

ठीक है बैठो ना.” कविता ने कुर्सी की और इशारा करते हुए कहा.

लेकिन रवि कुर्सी की बजाय पलंग पर बैठ गया. वहाँ कविता के नितंबों के पास. बैठने से उसके नितंबों से रवि के नितंब टकरा गये. लेकिन फिर उचक कर कविता कुछ दूर हो गयी.

“कहाँ से आ रहे हो?”

“फिल्म देखने गया था.”

“कौन सी देखी?”

“अंधेरी रात में दिया तेरे हाथ में.”


“अंधेरी रात में दिया तेरे हाथ में ….” कविता तोरा चौंकी. फिर बात जारी रखते हुए बोली- “कैसी है…मैने सुना है बहुत ही नंगी फिल्म है?”

“है तो नंगी ही लेकिन ये उमर ऐसी ही फ़िल्मे देखने की है…..तुम देखोगी.” रवि बेहयाई पर उतर आया था.

वो ये भी नही समझ पा रहा था कि वो इस समय किससे बात कर रहा है. उसे इस प्रकार की बातें करनी भी चाहिए या नही. लेकिन ज़रूरत बावली होती है. इस समय उसको चूत की आवश्यकता थी और वो उसे कविता के ही पास मिल सकती थी.

कविता को बहका कर वो अपने रास्ते पर ले आना चाहता था. वो चारा फेंक रहा था. अब उसके भाग्य मे होगा तो मछली फँसे गी नही तो वो खटिया खींच के चला जाएगा.लेकिन उसे पूरा यकीन था की मछली फँसेगी ज़रूर.और इसी लिए वो पूरी तरह बेहयाई पर उतर आया था.

वो कविता की कमर से लिपट ता ही जा रहा था. बिल्कुल सट जाना चाहता था. कविता खिसक रही थी. वो खुद को रवि से अलग रखना चाह रही थी लेकिन सफल नही हो पा रही थी. “ना बाबा, पापा को मालूम हो जाएगा तो बहुत गुस्सा होंगे , मैं ऐसी गंदी फिल्म नही देखूँगी.”

“तू भी पूरी पागल है, अरे पापा को कैसे मालूम होगा.”

“तुम ना बता दोगे.”

“मैं भला क्यों बताने लगूंगा?”

”फिर अगर किसी तरह पिताजी को पता चल जाएगा तो?”

“तू फ़िक्र मत कर किसी को पता नही होने पाएगा.”

“कैसी फिल्म है….मज़ा आता है?”

“अरे कविता देख लेगी तो मस्त हो जाएगी.”

“बहुत ज़्यादा नेकेड सीन है क्या?”

“बिल्कुल ”

“बिल्कुल…क्या सब-कुच्छ दिखा दिया क्या?”

“अरे एक दम साफ लेते देते दिखा दिया है.”

“भैया.”

वो शर्मा उठी.“पगली शरमाती है यही तो उमर है खूब जी भर कर मौज-मस्ती लूट ले, फिर कहाँ आएगी ये उमर. मैं तो कल फिर जाउन्गा, तबीयत मस्त हो जाती है, तू भी चलना.”

“ठीक है लेकिन किसी को पता नही चलना चाहिए.”

”नही, किसी को कानोंकान खबर नही हो पाएगी.”

“तब तो ज़रूर चालूंगी, कौन सा शो चलोगे?”

“शाम वाला ठीक रहेगा…तू शाम को तैयार हो जाना, मैं फिल्म देखने की पर्मीशन माँ से ले लूँगा,

उनको ये नही बताया जाएगा की अडल्ट फिल्म “अंधेरी रात में दिया तेरे हाथ में “ देखने जाना है.”

“ठीक है.” वो मन ही मन निहाल हो उठी थी.

कुछ देर दोनो मौन रहे. फिर इस खामोशी को रवि ने तोड़ा- “अभी कहाँ से आई हो?”

“गयी थी इंग्लीश फिल्म देखने.”

“कौन सी देखी?”

“टीन लवर्स.” “बहुत अच्छी फिल्म है.”

“वो भी तो सेक्सी फिल्म है?”

“हाँ है तो सेक्सी लेकिन कोई खास नही.

“मज़ा तो आ गया होगा, मैने भी देखी है, सारा का सारा शरीर सरसरा उठता है.”

“हाँ..”

“कविता.”
“क्या.”
एक बात पुच्छू?”
“पूछो भैया.”
“क्या औरत की प्यास वाकई मे ऐसी होती है जैसी तुम्हारी वाली फिल्म “टीन लवर्स” में थी, उसने 3 मर्दों के साथ प्यार किया था, और सब ने उसकी जवानी के साथ खेला था, क्या वास्तव मे औरत 3 मर्दों की लगातार प्यास बुझा सकती है?”

“इस सवाल को तुम मुझसे क्यों पुच्छ रहे हो?”
“क्यों कि तुम लड़की हो और औरत की भावना को अच्छी तरह समझने की तुम मे समर्थ है, मैं जानना चाहता हूँ की वास्तव मे औरत के अंदर इतनी प्यास होती है” “क्या तुम्हारे अंदर भी ऐसी कोई बात है?”

”वो तो सच्चाई ही है हर लड़की के अंदर ये सब विद्यमान होता है.

“अच्च्छा कविता ये तो बताओ, बहुत सी किताबों मे भाई-बहन के प्यार की कहानी छपी होती है, क्या वो सच्चाई है?किताबों मे वही छपा है जो होता नही तो हो सकता है.”

रवि अपनी बहन को राह पर लाने की हर तरह से कोशिश कर रहा था और उसे आशा थी की वो इसमे सफलता प्राप्त कर लेगा. लेकिन खुल कर अपनी बहन के आगे वो अपनी वासना को शांत करने का प्रस्ताव ना रख पा रहा था.

अचानक कविता ने करवट ली तो उसके सीने पर से चादर ढलक गयी.ये अंजाने तौर पर हो गया था या उसने जान कर किया था इस के विषय मे तो सही सही नही कहा जा सकता लेकिन उसने ढलक गयी चादर को ठीक नही किया जिसके कारण उसकी दोनो मस्त चुचियाँ जो ब्रा के अंदर क़ैद थी रवि के आँखों के सामने आ गयी.

रवि फटे फटे नेत्रों से उसकी अर्ध-निर्बस्त्र चुचियों को देख रहा था और देखता ही जा रहा था. उसकी आँखें वहाँ पर पथरा कर रह गयी थी. कविता ने इस बात को महसूस भी किया की भैया उसकी चुचियों को ही घूर रहे हैं. उसने एक तीखा सा वेिंग किया “कहो भैया क्या देख रहे हो?” “कुच्छ नही, कुच्छ नही.” रवि हकला कर रह गया.

उसने अपनी नज़र भारी चुचियों पर से हटा लेनी चाही लेकिन वो वन्हि जाकर टिक गयी.

“आज कुच्छ बदले-बदले लग रहे हो भैया, लगता है फिल्म के नेकेड सीन के प्रभाव ने तुम्हारे दिमाग़ को ज़्यादा ही प्रभावित किया है.”

“हाँ कविता आज मैं बहुत ही परेशान हूँ, सारा शरीर टूट रहा है, अंग-अंग सिहर रहा है, बस मन होता है की.“

“क्या मॅन होता है भैया, मैं भी कुच्छ उलझन मे हूँ, मेरे भी सारे शरीर मे गुदगुदी व्याप्त हो रही है.”

“तो आओ आज हम एक हो जाएँ, कविता, दोनो ओर बराबर की आग लगी है, हम दोनो एक दूसरे की आग बुझाने मे सफल हो सकते हैं.”

“लेकिन भैया क्या यह सब ठीक होगा, यह पाप नही होगा.”

“सब कुच्छ पाप ही है कविता. इस संसार मे कौन पापी नही है, सब पापी हैं, हम-तुम भी पापी हैं, केवल एक यह पाप ना करने से अगर हम सारे पापों से छुटकारा पा लें तो चलो ठीक है, लेकिन नही, कविता , पाप इंसान से ही होता है, कभी-कभी इंसान जानबूझ कर भी पाप करने पर उतारू होता है.”

”चोर जानता है चोरी पाप है लेकिन वो करता है. सब को पाप पुण्य की पहचान है लेकिन सब पाप करते है. हम भी आज एक पाप कर डालेंगे तो कौन सा पाप का बोझ धरती पर बढ़ जाएगा. आओ हम एक हो जाएँ कविता.”

“भैया…..”

कविता भी पूरी तरह मस्ती से दो चार हो रही थी. “आओ कविता आज हम आपस मे गूँथ जाएँ.”
रवि ने अपनी बाहें फैला दी. कविता भी बाँह फैला कर आगे बढ़ी और दोनो एक मे समा गये. कभी अलग ना होने के लिए. कुच्छ देर दोनो आपस मे गूँथ से गये. दोनो की साँसें तेज़ी से चल रही थी. दोनो बिल्कुल दीवाने होते जा रहे थे. फिर जब कविता कुछ होश मे आई तो उसने अपने को संभालते हुए कहा – “भैया….”

“क्या कविता….मेरी प्यारी कविता.”

“दरवाज़ा खुला है, कोई आ ना जाए.”

“नही कविता आज कोई नही आएगा.”

“फिर भी दरवाज़ा बंद कर लो.”

अच्छा

कहते हुए रवि कविता से अलग हुआ. उठकर उसने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया.

"भाई बहन की शादी"

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[Image: Tamil-actress-shruti-hasan-nude-Nude-Nak...360.md.jpg]




हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रवि है । मेरी माँ और बहन के साथ बेंगलोर में ही रहता था और मेरे पापा की मौत हो गई थी, हमारा एक छोटा सा बिज़नेस था और कोई रिश्तेदार हमारी मदद के लिए आगे नहीं आया तो माँ ही पापा के बाद उसे संभालती थी। जब मेरी पढाई पूरी हुई तो मेरी दिल्ली में जॉब लग गई और में दिल्ली आ गया। उस टाईम मेरी बहन 12वीं क्लास में थी, उसका नाम सिमरन है और उसका कलर फेयर था और बॉडी भी अच्छी मैंनटेन थी और उसका फिगर बहुत अच्छा था, वो स्कूल ड्रेस में स्कर्ट पहनती थी और जब भी में उसे स्कूल छोड़ने जाता था तो सभी लड़को की नज़र उसकी तरफ़ होती थी, लेकिन वो किसी को घास नहीं डालती थी। मैंने उसके लिए कभी गलत नहीं सोचा था और वो भी मुझे भाई के जैसे ही प्यार करती थी।


फिर दिल्ली आने के बाद मेरी जॉब अच्छी चल रही थी और मुझे यहाँ 2 साल हो गये थे। फिर मैंने यहाँ पर फ्लेट लिया हुआ है और जब बेंगलोर में हमारा बिज़नेस बंद होने को था तो मैंने माँ को कॉल करके कहा कि वो दोनों दिल्ली ही आ जाए, क्योंकि अब मेरी बहन ने भी 12वी क्लास पूरी कर ली थी। फिर मैंने कहा कि में उसकी एड्मिशन यहीं पर ही करवा दूँगा तो माँ मान गई और उन्होंने वहाँ पर सब कुछ बेच दिया। फिर मैंने उनकी ट्रेन की टिकट भी बुक करवा दी थी तो जब वो दिल्ली आए। फिर में उन्हें लेने स्टेशन गया और अब में इतने टाईम के बाद उन्हें देखकर बहुत खुश हुआ, लेकिन जब मैंने अपनी बहन को देखा तो देखते ही रह गया, वो 2 साल में एकदम चेंज हो गई थी, उसके मुम्मे , गांड और उसका फिगर चेंज हो गया था और कोई भी उसे देखता तो देखते ही रहता था।

फिर जब वो आई तो उस टाईम उसने पिंक टॉप और ब्लेक जीन्स पहनी हुई थी और वो पूरी मस्त हॉट लग रही थी। मुझे उसको देखकर फर्स्ट टाईम गलत सोच आई, लेकिन फिर मैंने अपने आपको संभाला और उसे हग किया और हम सब घर आ गये। फिर मैंने कुछ दिन के बाद मेरी बहन का कॉलेज में एड्मिशन करवा दिया और अब माँ ने भी सारा घर संभाल लिया था। में भी बहुत खुश था और हम सभी यहाँ बहुत मस्ती करते थे और लाईफ दुबारा से बहुत अच्छी हो गई थी। माँ और बहन भी यहाँ आने के बाद बहुत खुश थे, में और मेरी बहन बहुत अच्छे फ्रेंड्स बन गये थे। एक दिन माँ ने मुझसे कहा कि अब मुझे शादी कर लेनी चाहिए और उन्हें भी उनकी मदद के लिए कोई मिल जायेंगी। फिर मैंने माँ को मना नहीं किया और शादी के लिए हाँ कर दी।

फिर माँ बहुत खुश हुई, अब अगले दिन रविवार था तो माँ ने घर पर पंडित जी को बुला लिया और में उस टाईम घर पर ही था और बहन कोचिंग क्लास के लिए गई हुई थी। फिर पंडित जी ने मेरी कुंडली देखी और कुछ सोचने लग गये।

माँ – क्या हुआ पंडित जी? कोई प्रोब्लम है क्या?

पंडित – इसकी कुंडली ठीक नहीं है, ये लड़का बाहर की किसी लड़की से शादी नहीं कर सकता है और अगर करेगा तो ये ठीक नहीं रहेगा और इसे कुछ भी हो सकता है।

माँ – इसका कोई रास्ता तो होगा ना। (माँ ने डरते हुए पूछा)

पंडित – इसका एक ही रास्ता है कि इसकी शादी आप अपने ही परिवार में किसी से कर दो, तभी इसके लिए ठीक रहेगा और ये खुश भी रहेगा।

माँ – लेकिन हमारी किसी रिलेटिव से नहीं बनती है तो ये कैसे संभव होगा? इसका कोई और रास्ता तो होगा। (अब माँ बहुत चिंतित हो गई थी)

तभी मेरी बहन कोचिंग से वापस घर आ गई, उसने फुल साईज फ्रोक पहनी हुई थी और जो उसकी बॉडी से बिल्कुल फिट थी, वो एकदम हॉट लग रही थी। एक बार तो में भी उसे देखे जा रहा था और तभी उसने सभी को हैल्लो कहा और अपने रूम में चली गई।

पंडित – ये लड़की कौन है?

माँ – ये मेरी बेटी है और अभी कॉलेज में पढाई कर रही है।

पंडित – तो आप अगर मेरी बात का बुरा ना माने तो आप इसकी शादी इस लड़की से ही क्यों नहीं करवा देती है? इससे आपकी बेटी भी हमेशा आपके साथ रहेगी और आपके बेटे को भी लाईफ में कोई प्रोब्लम नहीं होगी और बाकी आपकी मर्ज़ी, क्योंकि इसका कोई और रास्ता नहीं है तो आप आराम से सोच लेना और मुझे बता देना। फिर पंडित जी चले गये और में और माँ अभी भी सोफे पर बैठे थे और कोई कुछ नहीं बोल रहा था। 

में – माँ चिंता मत करो सब ठीक होगा और ये सब तो कहने की बातें है और में नहीं मानता इन्हें।

माँ – नहीं रवी बेटा ऐसा नहीं होता है और मैंने पहले ही तुम्हारे पापा को खो दिया है और अब तुम्हें नहीं खोना चाहती, मुझे लगता है कि पंडित जी ठीक कह रहे थे।

में – लेकिन माँ वो मेरी बहन है और में ऐसा कैसे कर सकता हूँ? ये असंभव है।

माँ – प्लीज रवि यहाँ हमें कोई नहीं जानता है तो कोई प्रोब्लम भी नहीं होगी, प्लीज मेरे लिए मान जा और में तुम्हारी बहन से बात करती हूँ।

फिर माँ ने मुझे समझा कर मना लिया तो मैंने भी उन्हें हाँ कर दी। फिर उसके बाद माँ बहन के रूम में गई और अब में बाहर ही बैठा था, में दुखी भी था कि मुझे ऐसा करना पड़ेगा, लेकिन कहीं ना कहीं खुश भी था कि मुझे इतनी हॉट लड़की मिल रही है। फिर कुछ देर के बाद माँ बहन के रूम से बाहर आई और उन्होंने कहा कि वो मान गई है और अब माँ बहुत खुश लग रही थी, तभी में मेरी बहन के रूम में गया तो अब वो अजीब सा महसूस कर रही थी।

में – तुम खुश तो हो ना और अगर तुम्हें कोई प्रोब्लम है तो तुम मुझे बता सकती हो।

सिमरन – नहीं रवी भैया, आई एम वैरी हैप्पी मुझे कोई प्रोब्लम नहीं है और में तो बहुत खुश हूँ कि में हमेशा आपके और माँ के साथ ही रहूंगी।

अब ये सुनकर में बहुत खुश हुआ और हम दोनों ने हग किया, लेकिन इस टाईम ये हग अलग था, उसके चेहरे पर एक स्माईल थी। फिर में बाहर आ गया और माँ अगले दिन पंडित के पास चली गई और उनसे शादी की तारीख ले ली। फिर हमने डिसाईड किया कि हम शादी मॉर्निंग टाईम घर पर ही करेंगे और उसके बाद दिन में क्लोज़ फ्रेंड्स के साथ पार्टी कर लेंगे, जो यहाँ मेरे साथ दिल्ली में है और जिन्हें मेरे और बहन के बारे में नहीं पता है। उसके बाद हमने शादी की तैयारी शुरू कर दी और शॉपिंग करने लगे, अब शादी की तारीख बहन के एग्जॉम के बाद की थी तो शादी का दिन आ गया और पंडित जी घर पर थे। अब में तैयार होकर उनके पास बैठा था और बहन रूम में तैयार हो रही थी।

फिर कुछ टाईम के बाद माँ सिमरन को लेकर आई, उसने शादी की लाल कलर का ड्रेस पहना हुआ था और वो किसी परी से कम नहीं लग रहीं थी, मेरी एक मिनट के लिए भी उससे नज़र नहीं हट रहीं थी। फिर शादी के बाद हम सीधा रिशेप्शन पार्टी की जगह पर चले गये, वहाँ पर मेरे और बहन के कुछ क्लोज़ फ्रेंड्स थे। उसके बाद माँ, में और सिमरन घर आ गये। फिर मैंने देखा कि माँ ने मेरा रूम पूरा रूम सुहागरात के लिए सजाया हुआ था। फिर वो सिमरन को लेकर रूम में चली गई और अभी में बाहर ही था। फिर कुछ टाईम के बाद माँ रूम से बाहर आई और उन्होंने मुझे रूम में जाने के लिए कहा। फिर जब में रूम में जा रहा था तो मुझे थोड़ा अजीब सा भी महसूस हो रहा था और उतेजित भी था, क्योंकि यह सबके जैसी नॉर्मल सुहागरात नहीं थी और मेरी सग़ी बहन के साथ सुहागरात थी। 

फिर में ख़ुशी में रूम में दाखिल हुआ और देखा कि क्या मस्त रूम और बेड को सजाया था? बेड को सारे फूलों से सजाया हुआ था और मेरी बहन वहाँ बेड पर लाल कलर की साड़ी पहनकर बैठी थी, वो उस साड़ी में क्या मस्त दिख रही थी? उसे देखकर में बहुत उत्तेजित हो गया था। फिर वो मुझे नहीं देख रही थी और में भी उसे नहीं देख रहा था, अब वो भी अजीब सा महसूस कर रही होगी। अब में बेड पर जाकर बैठा और सिमरन से बातें करने लगा।

में – सिमरन तुम इस शादी की ड्रेस में बहुत सुन्दर लग रही हो।

सिमरन – थैंक्स भैया।

में – अब में सिर्फ़ तेरा भैया ही नहीं तेरा पति भी हूँ।

सिमरन – हम्म।

में – फिर मैंने उसके हाथ को मेरे हाथ में लिया और पूछा कि क्या हुआ सिमरन ? तुम्हें अजीब सा महसूस हो रहा है क्या?

सिमरन – हाँ रवि भैया अजीब सा तो होगा ही ना, लेकिन अब हम दोनों पति पत्नी है, मेरा मतलब अब हम इस फिलिंग का कुछ नहीं कर सकते है तो अब हमें अपनी सुहागरात करनी चाहिए।

फिर मेरी बहन की यह बात सुनकर में और ज़्यादा उत्तेजित हो गया और अब में समझ गया था कि वो भी सुहागरात एन्जॉय करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। फिर मैंने सिमरन को मेरे पास लिया और उसे हग किया और बोला आई लव यू डार्लिंग लेट्स एन्जॉय और सुहागरात तो सिमरन ने भी मुझे हग कर लिया। फिर मैंने उसकी आँखों में देखा तो मुझे नशा सा लगने लगा। फिर मैंने पहले उसके गालों पर किस किया और फिर किस करते-करते मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैंने उसके लिप को स्मूच करना शुरू कर दिया। अब वो भी मुझे अच्छे से रेस्पॉन्स दे रहीं थी, अब हम दोनों अपने स्मूच में खो गये थे। फिर मैंने स्मूच करते-करते उसके मुम्मे पर हाथ लगाया तो सिमरन एकदम जैसे उसकी बॉडी में करंट आ गया हो तो वैसा उसको झटका लगा। फिर हमने स्मूच ब्रेक किया और अब में उसके मुम्मे को महसूस कर रहा था।

"मेरी जिन्दगी की सच्ची घटना"

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[Image: 2f3b879d2e83f6470e8f7141a484919c.jpg]

ये मेरी जिन्दगी की सच्ची घटना है।

मैं आपको जो घटना सुनाने जा रहा हूँ वो मेरे ग्रेजुएशन की घटना है। ये बात आज से १० साल पहले ही है। मेरी संगत मोहल्ले के कुछ आवारा लड़कों से हो गयी थी। मुझे शराब पीने का बुरा चस्का लग गया था। दोस्तों, धीरे धीरे मैं अपनी सारी पॉकेट मनी शराब पर खर्च करने लगा। मेरे एक दोस्त कबीर ने मुझे शराब पीना सिखाया था। धीरे धीरे मेरी रोज पीने की आदत हो गयी थी। मुझे महीने के ३ हजार पॉकेट मनी मिलती थी जो मैं शराब में खर्च कर देता था। और कुछ दिनों बाद तो ऐसा हो गया की बिना पिए मेरा काम भी नही चलता था। मेरा जिगरी दोस्त कबीर बड़े बाप की औलाद था। उसके पापा के पास ५० ट्रक थे जो यू पी से मध्य प्रदेश, राजस्थान और दूसरे जिलों से सीमेंट, मौरम और सरिया लाते थे। इसलिए कबीर के पापा को अंधी कमाई होती थी।

वो अपने पापा के जेब से रोज हजार रूपए चुरा लेता था और शाम को हम दोनों महंगी मॉडल शॉप में बैठकर इंग्लिश शराब पीते थे। हम दोनों व्हिस्की, रम, वाइन, बिअर, सब कुछ पीते थे। धीरे धीरे ऐसा हो गया की मुझे सुबह चाय की जगह शराब पीने की आदत हो गयी। कबीर अक्सर मेरे घर आता था। मेरी २४ साल की जवान और बेहद खूबसूरत बहन इशिता उसे चाय लाकर देती थी। इशिता घर में हमेशा जींस टॉप और शॉर्ट्स पहनकर रहती थी। 

इशिता के दूध ३४” के थे, और बहुत भरे हुए चुचचे थे उसके। इशिता बहुत गोरी और छरहरे बदन वाली मस्त लड़की थी। मेरा दोस्त कबीर मेरी जवान बहन को तिरछी नजरो से ताड़ता रहता था। मुझे ये बात पता थी की वो इशिता को पसंद करता है और उसे कसकर चोदना चाहता है। एक दिन मेरा शराब पीने का बड़ा मन था। तलब मुझे लगी हुई थी और मेरे पास पैसे भी नही थे। अपनी सारी पॉकेट मनी मैं पहले ही खर्च कर चुका था। अब एक ही चारा था की कबीर मुझे पैसे दे।



“भाई कबीर…..शराब की बड़ी तलब लगी है.. पीया जाए???” मैंने उससे पूछा

“यार सागर….दारु की तलब तो मुझे भी लगी है पर मेरे पास पैसे नही है!” कबीर बोला

“यार अपने बाप की जेब से छप्पन कर दो!!” मैंने कहा

“भाई सागर …मेरे बाप को शक हो गया है की मैं उसकी जेब से पैसे निकाल लेता हूँ। इसलिए अब वो पैंट या शर्ट की जेब में पैसे नही रखते है और तिजोरी में रखते है और ताला मार देते है!!” कबीर बोला 
“ओह्ह धत्त!!!” मैंने कहा। दोस्तों मुझे शराब की तलब बहुत जादा लगी हुई थी। मुझे हर हालत में बोतल चाहिए थी। मुझे बड़ा खराब महसूस हो रहा था। मैंने अपना पर्स निकाला और ४ बार अच्छे से चेक किया की कहीं कुछ पैसे निकल आये पर मेरी किमस्त ही फूटी थी। एक भी पैसा नही निकला। मैं शराब पीने के लिए पागल हो रहा था। लग रहा था की अगर मुझे दारु नही मिली तो मैं मर जाऊँगा।

“भाई कबीर…..कैसे भी करके मुझे शराब पिला दे यार, वरना मैं मर जाऊंगा…प्लीस यार। मैं तेरे हाथ जोड़ता हूँ!!” मैंने अपने दोस्त कबीर से कहा। वो मेरी मजबूरी को समझ गया था। वो मुस्कुराने लगा।

“सागर!! मैं तेरे लिए पैसो का इंतजाम कर सकता हूँ….पर एक शर्त है!!” कबीर मुस्कुराकर बोला

“बोल यार…..मैं एक बोतल शराब के लिए तेरी हर शर्त मानने को तैयार हूँ!!” मैंने कहा

“भाई सागर……मुझे तेरी जवान और खूबसूरत बहन इशिता बहुत अच्छी लगती है। अगर तू मुझे उसकी रसीली चूत दिलवादे तो मैं तेरे लिए पैसो का इंतजाम कर सकता हूँ” कबीर बोला

“बहनचोद…..तेरा दिमाग तो खराब है। जा अपनी माँ को जाकर चोद ले। ऐसी गंदी बात करता है। तुझे शर्म नही आती है!!” मैंने उसे डांटते हुए कहा

“ओए गांडू….जब तू हर शाम मेरे साथ बैठकर मेरी मुफ्त की दारु पीता था तब तुझे शर्म नही आई???” कबीर बोला

“बेटा……इस दुनिया में मुफ्त में कुछ भी नही मिलता है। हर चीज की एक कीमत होती है!!” कबीर बोला

मेरा मुंह लटक गया। क्यूंकि उसकी बात सच थी। मैंने आजतक उसके लिए कुछ नही किया है। बस उसकी फ्री की शराब ही मैंने पी है। जैसे जैसे वक़्त गुजरता जा रहा था। मुझे लग रहा था की अगर मुझे शराब नही पिली तो मैं मर जाऊँगा। मुझे ऐसा ही लग रहा था।

“ठीक है कबीर….चल मेरे घर चल। मैं तुझे अपनी जवान बहन की चूत दिलवाता हूँ!!” मैंने कहा 


कबीर को लेकर मैंने अपने घर आ गया। मेरी माँ पड़ोस में अपनी किसी सहेली के घर गयी हुई थी। मेरी जवान गजब की खूबसूरत बहन घर पर अकेली थी और घर पर कोई नही था। मैंने इशिता को चाय बनाने को कह दिया। कुछ देर में वो सबके लिए चाय बनाकर ले आई। फिर मैंने उससे एक ग्लास पानी कबीर के लिए लाने को कह दिया। और जल्दी से इशिता के चाय के कप में मैंने कुछ बेहोशी वाली गोलियां मिलाकर चम्मच से चला दी। हम तीनो सोफे पर बैठकर चाय पीने लगे और मेरी खूबसूरत बहन चाय पीते पीते बेहोश हो गयी। इशिता ने एक हल्का हरे रंग का टॉप और जींस पहन रखी थी। मैंने उसे गोद में उठा लिया और अपने बेडरूम में ले आया और बिस्तर पर लिटा दिया।

“ले कबीर!!….मेरी बहन को जी भरकर तू चोद ले, पर मुझे शराब के लिए पैसे दे देना!!” मैं किसी शराबी की तरह कहा

मैं अपनी खूबसूरत बहन को चुदते हुए देखता चाहता था। इसलिए मैं वही कुर्सी पर बैठ गया। मेरा दोस्त कबीर आज तो बहुत खुश हो गया था। कितने दिनों से वो मेरी खूबसूरत बहन को चोदना चाहता था। आज कबीर का सपना पूरा होने वाला था। उसने अपनी टी शर्ट उतार दी। फिर अपनी जींस की लेदर बेल्ट को वो खोलने लगा। फिर उसने अपनी जींस को निकाल दिया, फिर उसने अपना अंडरविअर भी निकाल दिया। मैं उसकी बेताबी साफ साफ देख पा रहा था। आज मेरा दोस्त कबीर मेरी बहन को रगड़कर चोदना चाहता था। वो इशिता पर लेट गया और उसके रसीले होठ चूसने लगा। इशिता बहुत खूबसूरत और जवान माल थी। कितने ही लड़के उससे दोस्ती करना चाहते थे और उसको चोदना पेलना चाहते थे पर आज ये हसीन मौक़ा सिर्फ और सिर्फ कबीर को मिला था। 
इशिता पूरी तरह से बोहोश नही हुआ थी। वो आधी बेहोश थी। कबीर ने उसे दोनों हाथो से पकड़कर बाहों में भर लिया था और उसके रसीले होठ चूस रहा था। इशिता के होठ बहुत ताजे और गुलाबी थे। कबीर बार बार उसके होठ चूस रहा था और मजा ले रहा था। वो मेरी बहन के ताजे गुलाबी होठो से अपना ८” का लौड़ा भी चुसवाना चाहता था। इशिता नशे में आ गयी थी। उसे कुछ पता नही चल रहा था की उसके साथ क्या हो रहा है। वो नही जान पा रही थी की मेरा दोस्त उसके रसीले होठ चूस रहा था और आज उसे रगड़कर चोदने वाला था।

कबीर बड़ी देर तक इशिता के होठ चूसता रहा, फिर उसने उसके टॉप और जींस को निकाल दिया। इशिता ने नीले रंग की ब्रा और पेंटी पहन रखी थी। गोरे चिकने जिस्म पर नीली रंग की ब्रा और पैंटी बहुत फब रही थी। फिर कबीर ने वो भी निकाल दी और मेरे ही घर में मेरी बहन मेरे दोस्त के सामने नंगी हो गयी। अब कबीर और इशिता दोनों नंगे हो चुके थे। कबीर की आँखों में मैं काम की अग्नि को जलते और भड़कते हुए देख रहा था। वो इशिता पर लेट गया और उसके दूध को हाथ में लेकर दबाने लगा। मेरी बहन इशिता के मम्मे बेहद नर्म, मुलायम, बड़े बड़े और भरे हुए थे। कबीर का चेहरा बता रहा था की आज उसके हाथ कोई अलादीन का खजाना लग गया है। 

मेरी जवान बहन को देखकर कबीर का लौड़ा खड़ा हो गया था। उसने अपने हाथ इशिता के बूब्स पर रख दिया और जोर जोर से दबाने लगा। इशिता नशे में थी, पर वो समझी की उसका बॉयफ्रेंड उसके दूध दबा रहा है। इसलिए उसने कबीर को दोनों हाथो से पकड़ लिया और कसकर अपने सीने से चिपका लिया। कबीर को बहुत मजा आया। वो तेज तेज मेरी बहन के ३४” के बूब्स दबाने लगा। फिर मुंह लगाकर पीने लगा।

“यार सागर…..मैंने आजतक कई हसीन लौंडिया चोदी है, पर तेरी बहन यार बहुत सुंदर है। इसके जैसी छमिया मैने आजतक नही देखी!!” कबीर बोला
मुझे ये सुनकर बहुत अच्छा लगा। फिर वो मेरी बहन इशिता के दूध को पीने लगा। वो मुंह चला चलाकर इशिता के मम्मो को चूस रहा था जैसे उसे कोई मीठा आम चूसने को मिल गया है। मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने अपनी जींस खोल ली और लंड को हाथ में लेकर मुठ मारने लगा। कबीर बड़ी देर तक इशिता के गोल गोल दूध मुंह में लेकर पीता रहा। 
इशिता का गोरा जिस्म किसी हीरे की तरह चमक रहा था। उसकी छातियाँ दुधिया और भरी हुई थी जो अपने रूप रंग से कबीर का कत्ल कर रही थी। इशिता का छरहरा बदन बहुत ही सेक्सी और मादक लग रहा था। उसके बालों खुले हुए थे और बहुत काले और लम्बे बाल थे मेरी बहन के। खुले बालों में वो कबीर को और सेक्सी और चुदासी लग रही थी। इशिता का चेहरा लम्बा था और नैन नक्श बहुत तीखे और सुंदर थे। वो सच में बहुत सुंदर और गजब की माल थी। मेरा दोस्त पागलों की तरह उसकी भरी हुई चूचियां पी रहा था। ये सब देखकर मेरा भी मूड ख़राब हो गया और मैं तेज तेज मुठ मारने लगा।

"हवस का पुजारी"

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दोस्तो, मेरा नाम अर्शदीप कौर है, मैं पंजाब के फिरोज़पुर जिले के एक गांव की रहने वाली हूँ। मैं बहुत ही चुदक्कड़ और हवस की पुजारिन हूँ और बहुत सारे लड़कों, शादीशुदा मर्दों और बूढ़ों के लंड अपनी चूत और गांड में लेकर अपनी गर्मी निकाल चुकी हूँ।


यह कहानी मेरी चुदाई की नहीं है बल्कि मेरे एक दोस्त और उसकी बड़ी सगी बहन की है।
आगे उसकी जुबानी पढि़ए।

मेरा नाम कर्णवीर सिंह है, मेरी आयु 19 साल, कद 5 फीट 8 इंच, मेरा रंग गोरा और जिस्म सुडौल है।
मेरे पिछले साल ही दाढ़ी मूंछें आई हैं और मैं शेव करके रखता हूँ। मेरा लंड करीब 7 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है।

मैं कई सालों से पोर्न मूवीज देख रहा हूँ और सेक्सी कहानियाँ पढ़ता हूँ। मुझे भाई बहन की चुदाई की सेक्स की कहानियाँ सबसे ज्यादा पसंद हैं।



जब से सेक्स के बारे में मालूम हुआ है तब से अपनी बहन को चोदना चाहता था, मुझे अपनी बहन बहुत सेक्सी लगती है और हमेशा उसको ख्यालों में चोदता था और उसके नाम की मुठ मारा करता था। मैं हमेशा उसको सेक्सी नज़रों से देखता था और उसके बूब्ज़ और गांड का जायजा ले कर गर्म हो जाता था।

मैंने कभी सोचा नहीं था कि कभी अपनी बहन को चोदूंगा और वो भी वो मुझे खुद चोदने को बोलेगी।

मेरी बहन का नाम सिमरन है, घर में सब उसको सिमी बुलाते हैं और मैं दीदी बुलाता हूँ।
सिमी दीदी की आयु 21 साल और कद 5 फीट 5 इंच है। दीदी का रंग दूध की तरह सफेद और बदन बहुत सेक्सी है।

दीदी थोड़ी मोटी है और उनके बूब्ज़ और चूतड़ काफी बड़े-बड़े और मस्त हैं, दीदी की फिगर 36डी-30-36 है। दीदी का बदन भरा हुआ, चिकना, मस्त और जांघें मांसल हैं। दीदी की आंखों एवं बालों का रंग हल्का भूरा और होंठ लाल सुर्ख हैं। दीदी के बूब्ज़ एवं चूतड़ बाहर को उभरे हुए और गोल गोल हैं। दीदी के बूब्ज़ के निप्पलों का रंग हल्का गुलाबी है और निप्पल सख्त हैं। दीदी का पेट मुलायम एवं चिकना है और नाभि गहरी है। दीदी की चूत का छेद गुलाबी और कसा हुआ है।

सिमी ज्यादातर टाईट जींस, टाईट टॉप या बॉडी फिट शर्ट और ऊंची एड़ी के सैंडिल या जूते पहनती है। वो कभी-कभी पंजाबी सूट या साड़ी भी पहन लेती है। वो हर तरह के कपडो़ं में सेक्सी माल ही लगती है।

जब वो मटक मटक कर चलती है तो उसका गोरा रंग, बड़े बड़े बूब्ज़, लचकती कमर, मांसल जांघें, ऊपर-नीचे होती उभरी हुई मोटी गांड और मदमस्त हिलोरे खाती कामुक जवानी देखकर बूढ़ों के लंड भी बिना वियाग्रा को गोली खाए खड़े होकर उसे चोदने को व्याकुल हो जाते हैं।

मेरी दीदी चुदक्कड़ माल है, जब मैंने दीदी को पहली बार चोदा तब उसको दर्द नहीं हुआ बल्कि एक रंडी की तरह मजे लेकर चुदाई करवाई।
उसके बाद दीदी ने मुझे बताया कि उसके काफी सारे लड़कों एवं मर्दों से दोस्ती है जो उसे चोदते हैं। वो उनका लंड लेकर उनको मर्द होने का सुख देती है और अपनी एवं गांड चुदवा कर लड़की होने का सुख लेती है।

यह बात दिसम्बर में मेरे जन्म दिन की है, हम दोनों भाई-बहन पटियाला में अकेले रह कर पढा़ई करते हैं। मैं बीकॉम पहले साल में और दीदी बीकॉम तीसरे साल में है।
मेरे पापा के दोस्त का यहां एक फ्लैट है और हम दोनों भाई-बहन वहां रहते हैं।

मैं चोरी छिपे दीदी के बूब्ज़ और गांड को घूरता रहता था।

मेरे जन्म दिन पर हमने पार्टी रखी, पार्टी में मेरे दोस्त और दीदी की सब सहेलियाँ आईं। सबने मुझे गिफ्ट्स दिए लेकिन दीदी ने मुझे कुछ नहीं दिया।
मैंने दीदी की सवालिया नज़र से दीदी को देखा लेकिन दीदी मेरी तरफ देखकर मुस्करा दी। दीदी की मुस्कान में शरारत थी।

जब सभी लोग पार्टी मनाने लगे तो मैंने दीदी से पूछा कि गिफ़्ट क्यों नहीं दिया।
दीदी ने फिर शरारती मुस्कान होंठों पे लाकर कहा कि उसके पास खास गिफ़्ट है जो वो पार्टी खत्म होने पर देगी और दीदी ने मुझे गाल पर चूम लिया।

आज पहली बार मुझे दीदी के नर्म होंठों का स्पर्श मिला और मेरे जिस्म में अजीब सी हलचल हुई। मैं बेसब्री से पार्टी खत्म होने का इंतजार करने लगा, मुझे दीदी के गिफ़्ट के ख्याल आने लगे, मैं उनके गिफ़्ट में अलग अलग चीजों की कल्पना करने लगा।

शाम को 6 बजे पार्टी खत्म हुई और मैं अपने कमरे में जाकर गिफ्ट्स देखने लगा।

साड़ी में सजी मेरी दीदी का कामुक बदन

थोड़ी देर बाद दीदी मेरे कमरे में आई, दीदी ने नीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी, दीदी के ब्लाउज का गला काफी गहरा और पल्ला पारदर्शी था। दीदी एकदम सेक्सी और गर्म लग रही थी, पल्ले से दीदी का गोरा पेट एवं गहरी नाभि दिख रही थी और ब्लाउज के गले से दीदी के बूब्ज़ की गोलाइयाँ बाहर छलक रही थी।
ऐसा लग रहा था जैसे कोई रंडी अपने ग्राहक को रिझाने के लिए तैयार होकर आई है।

"मम्मी के पुराने यार"

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हाय दोस्तो, मैं आज आपके सामने एक सच्ची हिंदी एडल्ट स्टोरी प्रस्तुत कर रहा हूँ जो मेरी अपनी मम्मी की है.

वैसे तो सभी लोग माँ की बड़ी इज्जत करते हैं लेकिन जब मम्मी ही इतनी बेशर्म हो जाएं कि वो तो हमेशा लंड के चक्कर में ही रहें, तो इसमें बेटे का क्या कसूर है.
यह स्टोरी उस वक्त की है, जब मैं स्कूल में पढ़ता था, उन दिनों मैं शाम के समय गांव के सारे बच्चों के साथ मिलकर छुपा छुपी का खेल खेलता था. उस खेल में सभी बच्चे छुप जाते थे और एक बच्चा उन सबको ढूँढता था. वो जिसको सबसे पहले पकड़ता, उसे उस बच्चे को अपनी पीठ पर बैठा कर काफी दूर तक घुमाना पड़ता था, इसलिए सभी बच्चे ऐसी जगह जाकर छुपते कि जल्दी से नहीं मिल सकें.

हम अक्सर ऐसी जगह ही छुपते थे लेकिन एक दिन मैं अपने भूसे के छप्पर में जाकर छुप गया. शाम को थोड़ा अंधेरा भी होने लगा था तो अन्दर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था.
मैं काफी देर तक छुपा रहा तभी मैंने देखा कि कोई अन्दर एक परछाई सी दिखाई पड़ी तो मैंने सोचा कि शायद कोई लड़का मुझे ढूँढने आया है, तो मैं और भी ज्यादा अपने को छुपाने के लिए दुबक गया.


मैंने देखा कि वो परछाई मेरे से दूसरे वाले कोने में जाकर रूक गई.
मैं तो एकटक उसे ही देख रहा था कि कुछ ही देर में दूसरी परछाई भी आई और उसने कुछ खुसुर फुसर की सी आवाज में कहा- भाभी कहाँ हो?
तो मुझे लगा कि यह तो मेरे चाचा की आवाज है. तभी दूसरी तरफ सें आवाज आई कि “इधर आ जाओ.”


अब मैं समझ गया था कि ये तो मेरी मम्मी और चाचा हैं. लेकिन ये यहां क्या कर रहे हैं.
मेरे दिमाग में न जाने क्या क्या विचार आने लगे लेकिन मैं तो बस अपलक उन्हें ही देखता रहा. अन्दर कुछ साफ तो नहीं दिख रहा था लेकिन उनकी परछाई से लग रहा था कि वो जरूर कुछ अलग ही कर रहे हैं.


जब मैं लगातार देख रहा था तो कुछ समझ में आने लगा कि चाचा मम्मी को दीवार के सहारे खड़ा करके अपनी कमर आगे पीछे कर रहे हैं और मम्मी ‘सीइइ.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाय..’ कर रही हैं.
मेरी तो कुछ समझ में नहीं आया कि वो क्या कर रहे हैं और मम्मी ‘सीईइइ आह…’ क्यों कर रही हैं.


करीब 20 मिनट के बाद चाचा ने मम्मी को छोड़ा तो मम्मी दरवाजे की तरफ आकर अपने कपड़े ठीक करके बाहर चली गईं. चाचा ने कुछ सामान ऊपर हाथ करके छप्पर की छान के नीचे रख दी और वो भी बाहर चले गए.

मैं यह सब देख कर आश्चर्य में पड़ गया कि आखिर उन्होंने क्या किया है. खैर कुछ ज्यादा जोर ना देकर मैं घर में आ गया और खाना खाकर सोने लगा, लेकिन आज तो नींद मेरी आँखें के नजदीक भी नहीं आ रही थी. मम्मी पापा के पास सो रही थीं और चाचा खेत में चले गए थे.वो सीन के बारे में सोचते सोचते पता ही नहीं चला कि कब सुबह हो गई और मम्मी ने मुझे जगाया.

अगले दिन मैंने देखा कि चाचा अभी खेत से नहीं आए हैं और मम्मी खाना बना रही हैं.

अब मैं आपको मेरी मम्मी कुसुम की फिगर के बारे में बताता हूँ कि मम्मी की हाईट करीब 5 फुट दो इंच है, कमर 28 इंच के करीब चूचियां 32 इंच व चूतड़ भी 30-32 के आस पास थे. मम्मी का वजन करीब करीब पचास किलो का होगा, वे एकदम छरहरी देह की हैं.

कल जहां चाचा ने कुछ सामान रखा था, मैं वहां गया और देखने लगा कि चाचा ने वहां पर क्या रखा था. मैं ढूँढने लगा तो मुझे वहां एक सफेद रंग का गुब्बारा मिला, जिसमें ऊपर से गांठ लगा कर बांधा गया था, उसमें कुछ सफेद रंग का गाढ़ा सा पदार्थ भरा था. मैंने वो पहली बार देखा था तो मैंने मम्मी से पूछने का निर्णय किया और उसे अपनी जेब में रख लिया.

घर पर आया तो मम्मी खाना बना कर फ्री हो गई थीं और वो बोलीं- बेटा आज स्कूल नहीं जाना क्या?
मैंने उनकी बात को अनसुनी करते हुए कहा कि मम्मी मुझे एक चीज मिली है.
“जरा दिखा तो वो क्या है?” ये कहते हुए वो मेरे पास आ गईं
मैंने वो चीज निकाल कर मम्मी को दिखाई तो मम्मी उसे देखते ही चौंक गईं और बोलीं- बेटा, ये तुझे कहां से मिली है?
मैंने बताया कि मम्मी यह तो अपने तूड़ी वाले छप्पर के पास पड़ी थी.
वह बोलीं- बेटा यह तो गंदी चीज है, इसे यहां क्यों लाये हो.. लाओ इसे मैं बाहर फेंक दूँगी.


मम्मी ने झट से उसे मेरे हाथ से ले लिया.

शाम को जब चाचा आए तो मैं थोड़ा बाहर की तरफ जाने चला गया और फिर उनकी बातें सुनने लगा. मम्मी चाचा को डांट रही थीं- देवर जी, तुम्हें इतना भी होश नहीं है कि कौन सी चीज कहां फेंकनी चाहिए, कल कंडोम वहीं पर पटक दिया जो धर्म को मिल गया था, यह तो शुक्र है कि वो मेरे पास ले आया, नहीं तो किसी को पता चल जाता तो क्या होता?
चाचा बोले- भाभी मैंने तो ऊपर रखा था.


खैर चाचा ने मम्मी से गलती माफ करने को कहा और खाना खाकर खेत पर चले गए क्योंकि वहां पर पानी चल रहा था.

दोस्तो, यह खेल उनका यूं ही चलता रहा. एक दिन मम्मी ने मुझे एक पैकिट दिया और कहा कि बेटा इसे अपने कचरे के ढेर में फेंक आओ, तो मैं उसे लेकर गया लेकिन मेरा शैतान दिमाग कुछ और ही कह रहा था तो मैंने उसे खेला तो देखा कि उसमें कुछ बालों का गुच्छा सा था जो कम से कम मम्मी के सिर के तो नहीं थे. मैं उन्हें काफी देर तक देखता रहा, फिर मैंने देखा कि उसमें एक कपड़े का टुकड़ा भी था जो खून में सना हुआ था. मैंने उन सब चीजों को कुछ देर देखा फिर फेंक दिया और घर आ गया.

उस दिन पापा घर पर ही थे, वे काम पर नहीं गए थे क्योंकि चाचा 15-20 दिनों के लिए बाहर गए थे.

कुछ देर बाद पड़ोस के गांव का एक आदमी आया और पापा से कहने लगा कि तुम्हारी बुआ सास बहुत बीमार हैं और वो कुसुम से मिलना चाहती हैं.

पापा ने मम्मी से कहा कि कल तुम तुम्हारी बुआ से मिल आओ.
तो वो बोलीं- देवर जी भी नहीं हैं, मैं किसके साथ जाऊं?
पापा ने कहा- तुम धर्म को लेकर चली जाओ.


फिर मैं मम्मी के साथ अगले दिन पास के गांव जो हमारे गांव से करीब 7-8 किमी दूर था.. के लिए तैयार होकर निकल लिया. हम दोनों जैसे ही निकले तो मम्मी ने कुछ सोच कर आम रास्ते से जाने के बजाए छोटे रास्ते से जाने का निर्णय किया जो खेतों के बीचों बीच डोल से जाता था. क्योंकि आम रास्ता दो तीन गांवों से होकर जाता था. इसलिए सीधे ही जाने का निर्णय लिया.

यह बात फरवरी माह की है. मैं मम्मी के पीछे पीछे चल रहा था, चारों तरफ गहरी ओर बड़ी बड़ी सरसों खड़ी थी जिसमें से आदमी ऊपर हाथ करे तो भी नहीं दिखता था, इतनी बड़ी बड़ी सरसों थी.

दोपहर करीब 1 बजे का समय था, हम चले जा रहे थे. मुझे कभी कभी डर भी लगता कि कोई जानवर नहीं आ जाए. लेकिन मम्मी मेरा हौसला बढ़ातीं और हम चले जा रहे थे.

हम करीब तीन चार किमी चले होंगे कि अचानक ही तीन आदमी एक डोल पर बैठे थे, जिन्हें देख कर मम्मी भी एकदम ठिठक गईं और रूक गईं.


मैं भी डर गया, उनकी नजरें हमारे पर पड़ चुकी थीं और वो भी एकदम अवाक से रह गए. मम्मी ने मेरा हाथ पकड़ा और वापस मुड़ने को कहा तो वो तीनों हमारे पास आ गए और हमसे पूछा कि हमें कहां जाना है.

लेकिन मम्मी कुछ नहीं बोलीं.
उनमें से एक मम्मी के सामने आ गया और बोला कि हमने आपसे पूछा कि आप कहां जा रहे हैं लेकिन आपने कोई जवाब नहीं दिया.
तो मम्मी थोड़ा साहस करके बोलीं कि हम कहीं भी जाएं, आपको क्या मतलब है.
उसने मम्मी का एक हाथ पकड़ लिया और बोला- हमें सब मतलब है.. अगर नहीं बताओगी तो..
ये कहकर उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बोला- देख कितना प्यारा बच्चा है.
फिर मम्मी ने मेरा हाथ पकड़ कर उसकी गोद से छुड़ाना चाहा लेकिन उससे नहीं छुड़ा सकीं.


मम्मी उनके तेवर समझ गई थीं, मम्मी बोलीं- हम तो पास के गांव जा रहे हैं.
तो उनमें से एक बोला- साली, अब तो लाईन पर आई.
मम्मी बोलीं- अब तो मेरे बच्चे को छोड़ो, हमें आगे जाना है.
वह बोला- मेरी रानी चली जाना.. हमें तुम्हें रोक कर क्या करना है, लेकिन आज कितने दिनों के बाद तो दिखी हो, आज तो दे ही दो! बहुत मजा आता है तेरे साथ! एक मौका मिला है और यह भी बेकार चला गया तो क्या फायदा.


मम्मी ने कहने लगीं- यार मोहन, अभी जाने दो, जरूरी काम से जाना है, दो चार दिन बाद का प्रोग्राम सेट कर लेते हैं…
लेकिन वो कहां मानने वाला था, मोहन बोला- मैं मान भी जाऊं तो ये भोला और शमशेर कहाँ मानेंगे, ये तो मुझसे कई बार कह चुके हैं तेरे लिए, आज इनको अपनी दिखा ही दे!


तभी एक ने इशारा किया कि इसे खेत के अन्दर ले चलो तो उसने मम्मी को हाथ पकड़ लिया और खेत के अन्दर ले जाने लगा. लेकिन मम्मी ने विरोध करते हुए कहा- आज नहीं, मुझे देर हो जाएगी… और मेरा बेटा भी देख रहा है.
एक ने मम्मी को बांहों में जकड़ लिया और एक ने मुझे अपनी गोद में ले रखा था. वो हमें एक खेत के बीच में ले गए, जहां पर एक बड़ा भारी सा खेजड़ी का पेड़ था, उस पेड़ के नीचे काफी दूर तक सरसों नहीं थी.


वहां पहुँच कर वो तो साले लग गए अपने काम में. मैं बहुत घबरा रहा था कि ये क्या हो रहा है.

तभी मोहन ने मम्मी की साड़ी खोल डाली और पेटीकोट जांघों तक ऊपर सरका कर हाथ फिराते हुए बोला- वाह भोले, तेरी आज तो हमारी किस्मत चमक गई, वैसे भी मुझे इस साली की चूत मारे कई महीने हो गए हैं.
उसने एक एक करके सारे कपड़े उतार कर मम्मी को बिल्कुल नंगी कर दिया.


भोला आगे आया और मम्मी की जांघों के बीच देख कर बावला सा हो गया और बोला- वाह मेरी रानी, क्या माल छुपा रखा है.

मैंने भी देखा कि मम्मी की चूत पर आज एक भी बाल नहीं था, एकदम सफाचट चूत थी. अब मैं समझ गया था कि कल वो बालों का गुच्छा कैसा था.

भोला मम्मी की छोटी छोटी पर टाइट चूचियों को मसल रहा था. तभी तीसरा आदमी जो शमशेर होगा, मम्मी के नाभि के नीचे के टांकों के निशान देख कर बोला- वाह यार, यह तो कुंवारी चूत के बराबर है, इसका तो बच्चा भी आपरेशन से हुआ है.

सच कहूँ तो यह बात मुझे भी आज तक पता नहीं थी कि मैं मम्मी की चूत से नहीं निकला हूँ.

आखिर मम्मी भी उनसे कब तक मुकाबला करतीं. उन्होंने हार मान ली और शांत हो गईं.

मैं तो डर के मारे चुपचाप सब देख रहा था. वो काफी देर तक मम्मी को चूमते मसलते रहे. मैंने देखा कि अब एक आदमी ने आकर मम्मी के पैरों को चौड़ा करके उनके बीच आकर चूत को सहलाने लगा और ‘वाह वाह..’ करने लगा

मैंने देखा कि मम्मी जितनी गोरे रंग की हैं उतनी चूत गोरी नहीं थी. उनकी चूत की फांकें हल्की हल्की काली सी थीं. कोई मम्मी के गाल चूम रहा था, कोई चूचियां मसल रहा था, तो एक हरामी चूत को मसल रहा था.

करीब दस मिनट के बाद वो सब भी नंगे हो गए तो मैं तो उन्हें देख कर दंग रह गया. सालों के क्या गजब लंड थे, एक से बढ़कर एक.. ये देख कर तो मम्मी भी गिड़गिड़ाने लगीं- हाय राम मैं तो मर जाऊंगी.. तुम्हारे तो बहुत मोटे लंड हैं.

मम्मी के मुँह से लंड सुन कर तो उनको और भी जोश आ गया.

फिर वो आपस में बातें करने लगे. भोला बोला कि यार मैं तो पहले इससे लंड चुसवाऊँगा और आगे आकर मम्मी के मुँह पर अपना लंड रखने लगा. उसका नाम रतन था मम्मी तो जैसे डर ही रही थीं. साले का क्या लंड था.. काला मूसल जैसा, जिस पर लाल रंग का टमाटर जैसा सुपारा था, लंड भी पूरा बालिश्त भर लम्बा होगा.. करीब 9 इंच लम्बा और ढाई इंच से भी ज्यादा मोटा. मम्मी की आंखें के सामने आते ही मम्मी की तो आंखें ही बंद हो गईं. भोला मम्मी के मुँह में लंड डालना चाह रहा था लेकिन मम्मी ने अपना मुँह भींच लिया था.

तभी मोहन सामने आया, उसका लंड भी कम नहीं था. करीब 7 इंच लम्बा लेकिन उसका सुपारा ज्यादा मोटा नहीं था. उसका लंड बीच में से थोड़ा टेढ़ा था.
तीसरा शमशेर उसका लंड भी करीब 5-6 इंच के आसपास ही था, लेकिन उसका सुपारा काफी मोटा था. मम्मी उन्हें देख कर ही घबरा रही थीं.


मैं समझ गया था कि आज मम्मी की खैर नहीं है. इनमें भोला का लंड सबसे बड़ा था. फिर उन्होंने काफी कोशिश की लेकिन मम्मी ने मुँह में नहीं लिया तो शमशेर बोला- चलो साली की चुदाई करते हैं.

ये कह कर वह मम्मी के बगल में आकर लेट गया और मम्मी की एक टांग को अपने हाथ से उठा कर मम्मी के मम्मों की तरफ किया और एक टांग को अपनी जांघों में लेकर लंड को चूत के पास ले आया. वो एक हाथ से लंड को मम्मी की चूत पर मसलने लगा. मम्मी अब भी थोड़ा विरोध कर रही थीं लेकिन जब शमशेर ने जैसे लंड को चूत पर टिकाया, तो लंड अन्दर नहीं जा रहा था. मम्मी की चूत शायद एकदम टाईट हो रही थीं. इसी तरह शमशेर ने दो तीन बार प्रयास किया, लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली. उसने मोहन से कुछ कहा तो उसने आकर मम्मी की टांगों को कस कर पकड़ लिया.
अब शमशेर ने सुपारा चूत के छेद पर रखा और कमर का एक झटका लगाया तो सुपारा सरसराता चूत में दाखिल हो गया.


एक बार तो मम्मी छटपटाईं, लेकिन दूसरे झटके में आधे से भी ज्यादा लंड अन्दर समा गया. अब मम्मी भी ढीली पड़ गईं और तीसरे झटके में तो लंड जड़ तक चूत की गहराई में खो गया.
तीसरा झटका इतनी जोर का था कि मम्मी की चीख निकल गई. ‘उइइइ.. मर गइइइ.. हाययय.. रे र.. माररर.. डालाआ.. रेर..’


तभी मोहन ने उनका मुँह भींच लिया. मम्मी की आंखों में आंसू आ गए. लेकिन उन लोगों को कोई फिक्र नहीं थी. अब वो धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करने लगा तो मैंने देखा कि अब मम्मी बिल्कुल शांत थीं.

मैं देख रहा था कि लंड को टोपे को चूत की फांकों तक लाता और एक ही झटके में अन्दर कर देता. मम्मी हर झटके के साथ ‘उई आह सीईइइ..’ करने लगीं. लंड जब बाहर आता तो अन्दर से लाल लाल
खरबूजे के जैसी गिरी को बाहर लाता और अन्दर कर डालता.


शमशेर भी अब ‘हाय सीईइइइ..’ करने लगा तो मोहन बोला- साले अभी अन्दर मत डालना.. साले चूत गीली कर देगा तो मजा नहीं आएगा.
यह सुन कर मम्मी गिड़गिड़ाईं और बोलीं- प्लीज अन्दर मत डालना, कल ही मेरा पीरियड खत्म हुआ है.


शमशेर पेल ही रहा था कि अब भोला आ गया और बोला- हट अब मैं करता हूँ.
शमशेर ने जैसे लंड बाहर निकाला तो मैंने देखा कि साले का लंड चूत का पानी पी कर तो और भी भयंकर हो गया था. लंड के बाहर आते ही चूत का मुँह खुला का खुला रह गया और अन्दर की लाल दरार साफ दिखने लगी.
शमशेर के हटने के साथ ही भोला ने मम्मी के दोनों पैरों को अपने कंधे पर रख लिया, जिससे अब मम्मी के दोनों पैर आसमान की तरफ हो गए और चूत उभर कर ऊपर हो गई.


भोला ने अपना मोटा लंड मम्मी की चूत पर रख कर कमर का एक जोरदार झटका मारा तो वो फिर से चिल्लाईं- अइरेर.. मार डाला रेर.. हाय एक बार बाहर निकालो.. मेरी तो फट गई रेररर..
मैंने देखा कि वो मूसल मम्मी की चूत में एक ही झटके में जड़ तक अन्दर चला गया.
मम्मी छटपटाने लगीं- मररर.. गईइइ.. निकालो इसे हायय..


लेकिन अब भोला भी अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा और कुछ ही देर में अपनी स्पीड बढ़ा कर पेलने लगा. जब भोला ठाप मारता तो मम्मी के मुँह से ‘हा हाहहाहाहा.. हाह..’ की आवाज निकलती और ‘थपथप..’ की आवाज आ रही थी. अचानक ही मम्मी के मुँह से जोरदार सिसकारी निकलने लगी- सीइइ..इइइ इइ..
मुझे लगा कि अब मम्मी भी इस चुदाई का पूरा मजा ले रही हैं. भोला के ठाप के साथ मम्मी भी चूतड़ उचका कर उसका साथ दे रही थीं. तभी चूत से फचाफच पानी आने लगा. लेकिन यह क्या मम्मी कुछ ही देर में शांत हो गईं. भोला भी करीब दस मिनट तक पेल कर हट गया.


अब मोहन का नम्बर आया तो उसने मम्मी को बोला- रानी, अब तू घोड़ी बन जा.
उसने मम्मी को घोड़ी बना कर खुद घोड़े की तरह मम्मी के पीछे आ गया और अपने मोटे सुपारे को चूत के छेद पर रख कर धक्का मारा कि मम्मी का मुँह तो जमीन पर टिक गया.


एक बार मम्मी फिर चिल्लाईं- हायय.. सालों ने आज तो मार डाला रे.. धीरे कर लो..
लेकिन मोहन ने मम्मी की कमर को पकड़ कर धक्के लगाना स्टार्ट कर दिया फिर ‘थपथप.. खचफच..’ की आवाज आने लगी.


मम्मी तो बस कबूतरी की तरह फड़फड़ा रही थीं. अब तक तीनों की चुदाई से मम्मी कई बार झड़ चुकी थीं, इसलिए अब मम्मी को मजा नहीं आ रहा था.

मोहन भी करीब 15 मिनट के बाद ‘हाय सीईइइ..’ करने लगा और उसने अपनी स्पीड तेज कर दी. फिर अचानक ही मोहन 10-15 ठापें मारके शांत होने वाला ही था कि शमशेर ने उसे हटा दिया और उसने मम्मी को जमीन पर चित्त लिटाकर मम्मी की दोनों टांगों को ऊपर करके एक बार फिर से लंड अन्दर डाल दिया. मैं देख रहा था कि अब मम्मी रबर की गुड़िया की तरह उनके इशारों पर कर रही थीं, जैसे वो चाह कर रहे थे.

तभी शमशेर ने जोर जोर से ठाप लगाई और 25-30 कस के ठापें मारीं और शांत हो गया.
मम्मी के मुँह से ‘आहहहह.. ये क्या कर रहे हो.. तुम्हें मना किया था… हे भगवान मैं तो मर गई रेर..’


वो शमशेर को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश करने लगीं, लेकिन शमशेर ने उन्हें इस पोजिशन में जकड़ा हुआ था कि मम्मी छटपटाने के अलावा कुछ भी नहीं कर सकती थीं.
मैंने देखा कि शमशेर अपनी गांड भींच रहा था. वैसे ही मम्मी ‘हाय सीई..’ कर रही थीं. वो मम्मी के ऊपर निढाल होकर गिर पड़ा था.[/font][/color][/size]

तभी मोहन ने उसे हटाया और वो मम्मी के ऊपर से हटा और लंड बाहर निकाला तो मैंने देखा कि अब उसका लंड मुरझा गया है.

फिर मैंने मम्मी की चूत को देखा तो देखता ही रह गया साले ने क्या हालत बना दी थी. मैंने देखा कि चूत का दरवाजा काफी खुला हुआ था, उसमें से सफेद सफेद गाढ़ा पदार्थ रिस रहा था. शमशेर एक तरफ हट गया तो अब मोहन ने भी लंड चूत में डाला तो जैसे उसका लंड अन्दर गया तो चूत से एक सफेद पदार्थ की पिचकारी निकली क्योंकि शमशेर का वीर्य चूत से पूरी तरह निकला नहीं था. मोहन के मोटे लंड की वजह से सारा रस बाहर निकलने लगा.

अब मोहन ने ठाप मारना स्टार्ट कर दिया तो मम्मी फिर बड़बड़ाने लगीं- प्लीज अन्दर मत डालो.. प्लीज..
लेकिन मोहन तो ठाप मारे जा रहा था और कुछ ही देर में वो भी शमशेर की तरह ही मम्मी पर औंध गया और वो भी अपनी गांड को खुल्लु भिच्चु करने लगा. मम्मी तो एकदम निढाल हुई पड़ी थीं.


जैसे मोहन हटा तो उसका लंड खचाक की आवाज करता हुआ बाहर आया. अब तो चूत का बुरा हाल हो रहा था. वीर्य अपने आप ही बहने लगा.

अब बारी थी भोला की, वो भी उसी पोजिशन में मम्मी के ऊपर चढ़ गया और ठाप मारने लगा. मम्मी की चूत वीर्य से भरी थी, इसलिए उसका लंड फसर फसर चल रहा था. वो दोनों अब भी मम्मी की चूचियां दबा रहे थे और भोला ठाप पर ठाप मार रहा था.

मम्मी भी अब शांत हो गई थीं, उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी. मम्मी का पूरा शरीर ढीला हो चुका था. कुछ देर बाद भोला मम्मी के ऊपर से हटा तो सभी ने मेरी मम्मी की चूत की तरफ देखा, जिसका बुरा हाल हो चुका था. उसमें से गाढ़ा गाढ़ा वीर्य रिस रहा था.

फिर उन्होंने थोड़ा पानी लेकर मम्मी के मुँह में डाला और छींटे मारे तो मम्मी के शरीर में कुछ हरकत हुई. मम्मी उठ कर बैठी.
मोहन बोला- कुसुम यार, मजा आ गया बहुत दिनों के बाद तेरी चूत चोद कर!
मम्मी बोली- हरामी, तुझे पहले कभी मना किया था? आज मुझे जल्दी जाना था और तूने देर करवा दी.
वे तीनों खींसें निपोरते हुए चले गए और मेरी मम्मी की चूत चुद गई.


हमें अभी तो 2 किमी और जाना था. मैंने मम्मी को पानी पिलाया और उन्हें उठाया तो मम्मी जैसे ही बैठीं उनकी चूत से खून के साथ ढेर सारा वीर्य टपक गया.. जो जमीन पर सफेद रंग का गिर रहा था.

करीबन आधे घंटे के बाद मम्मी कपड़े पहन कर चलने लगीं, लेकिन मम्मी से चला भी नहीं जा रही था. वो बड़ी मुश्किल से धीरे धीरे कदम रख रही थीं. हम जैसे तैसे बुआ के घर 7 बजे तक पहुँचे.

तो उस समय तक तो मम्मी का बुरा हाल हो चुका था. मम्मी तो जाते ही चारपाई पर गिर पड़ीं.

फिर चाय पानी पीकर मम्मी की बुआ का हाल चाल जान कर मम्मी बोलीं- बुआ मैं पैदल चलकर आई हूँ, जिससे मेरी तबीयत खराब हो गई है. मैं आराम करना चाहती हूँ. हम सुबह बात करेंगे.
तो बुआ ने कहा- ठीक है बेटी कुसुम अब तुम सो जाओ.


एक कमरे में मम्मी के बिस्तर लगा दिये. मैंने देखा कि मम्मी चारपाई में घुसते ही रजाई ओढ़ कर सो गईं.

मैं तो समझ रहा था कि मम्मी कई बार मोटे लंडों से चुद कर आई हैं, तो ये हालत तो होनी थी.

फिर सबने खाना खाया और सो गए. बुआ का केवल एक लड़का था, जिसकी शादी अभी नहीं हुई थी, तो वह ही बुआ की देखभाल करता था. वह ही बुआ के कमरे में सो गया और मुझसे कहा कि बेटा तुम हमारे साथ सो जाओ.
तो मैंने मम्मी के पास ही सोने को कहा. फिर मैं मम्मी की रजाई में जाकर सो गया.

मम्मी को देख कर मुझे वही सीन ध्यान आ रहा था कि कैसे उन सालों ने मम्मी को रौंदा था. मम्मी तो एकदम निढाल थीं.
मैं मम्मी के बिस्तर में घुसा, तब भी उनको मेरे आने का पता नहीं चला. मैं सोने की कोशिश कर रहा था लेकिन नींद तो मेरी आंखों से कोसों दूर थी. बस रह रह कर चुदाई ही याद आ रही थी.

the end
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