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जमाने से बेखबर पारस व बेनज़ीर प्यार की डगर पर चल रहे थे,

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"पूण्य का नाम ही केवल न किताबों में लिखो कुछ गुनाहों से भी दुनिया हसीन बनती है।" 

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नमस्कार दोस्तों, कैसे हैं आप सभी , क्या हाल है? मैं आपकी " उमा शर्मा "आपके लिए फिर से हाज़िर हु चुदाई की एक नई दास्तान लेकर. अपने मेरी पुरानी कहानियो को बहुत प्यार दिया और मुझे बहुत सरहा, उसके लिए बहुत सारा थैंक्स. तो आते है उस नई दास्ताँ पर.आशा करती हूँ, आप लोगों को यह कहानी पसंद आएगी।

मेरे दोस्तों को मेरा सलाम | मेरा नाम है बेनज़ीर  और मैं बिलासपुर में रहती हूँ | मेरा रंग गोरा है और मेरा फिगर अच्छा है क्योंकि मैं जिम जाती हूँ | मेरा पहले भी काफ़ी लडको के साथ अफेयर रहा है और उनसे चुदवाया है लेकिन ये दास्ताँ कुछ हटके है | ये कहानी जब कि है जब मैंने अपना कॉलेज ज्वाइन किया था और मैं पढाई में थोड़ी कमज़ोर थी इसलिए मैंने एक कोचिंग भी ज्वाइन कर ली थी | उस कोचिंग में एक लड़का आता था जिसका नाम पारस कुमार था | इस कहानी में मैं आपको बताउंगी कि कैसे मैंने उसको पटाया और उससे चुदवाया |

ये कहानी तब कि है जब मुझे कॉलेज के कुछ सब्जेक्ट पढने में प्रॉब्लम आने लगी और मैंने सोचा की मुझे कोचिंग ज्वाइन कर लेनी चाहिए | फिर मैंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक कोचिंग ज्वाइन कर ली | फिर कुछ दिन बाद क्लास चालू हो गई और जैसे ही मैं क्लास में गई तो मेरी नज़र एक लड़के पे पड़ी | वो लड़का देखने में बहुत अच्छा लग रहा था और अकेले बैठ के पढ़ रहा था | तो मैं जाके उसके पीछे वाली बैंच पर बैठ गई | चूँकि मैं दो दिन बाद आई थी इसलिए मैंने उससे पूछा कि पिछले दो दिन में क्या पढाया ? तो उसने अपनी कॉपी मुझे दी और बड़े अच्छे से मुझे बताने लगा | वो बहुत अच्छे से बोल रहा था इसलिए मैं तो उसको देखते देखते खो सी गई थी | फिर थोड़ी देर बाद मेरी सहेली ने पूछा कि कहाँ खो गई ? तो मैंने कहा कहीं नहीं यार |



फिर कुछ दिन यूँ ही हम दोनों थोड़ी बहुत बात कर लिया करते थे | फिर एक दिन मैंने उससे कहा कि यार पारस तुम मुझे पढ़ा सकते हो तो उसने हाँ ठीक है पढ़ा दूंगा | फिर कुछ दिन हम कोचिंग जल्दी आ जाते थे और क्लास में बैठ के पढ़ते रहते थे | मैं तो सिर्फ पारस को ही देखती रहती थी और उसे लगता था कि मैं पढ़ रही हूँ | फिर मैंने उससे उसका नंबर ले लिया ये कहकर कि मुझे अगर कुछ पूछना हुआ तो कॉल कर लुंगी | मैं अक्सर उसे कॉल करती थी और बातों में उलझाये रखती थी | अब हमारे बीच मैं काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी और हम एक दुसरे को अपनी सारी बातें बताते थे |

पारस अपने घर वालों से काफी डरता था और इसलिए वो कहीं भी घूमने जाने में डरता था | लेकिन मैंने उसे एक बार बाहर घूमने के लिए मना लिया और हम दोनों घूमने के लिए निकल गए | हम वहां पहुंचे और मैंने मौका देख के पारस को अपने दिल कि बात बता दी | जैसे ही मैंने पारस को आई लव यू बोला तो पारस के चेहरे पे मुस्कान सी आई लेकिन फिर पारस ने कहा कि मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ लेकिन मैं हिन्दू हूँ और तुम मुसलमान | तो मैंने कहा डरो मत पारस हम अभी शादी नहीं कर रहे है | तो उसने कहा नहीं यार और वो घूम गया | तो मैंने पारस को पीछे से पकड़ लिया और कहा प्लीज पारस मान जाओ | तो वो पलटा और मुझे गले लगा लिया |

जैसे ही मैं उसके गले लगी तो पता नहीं मुझे क्या हुआ ? मैंने फ़ौरन पारस को पकड़ के उसको होंठों पे किस कर दिया | जैसे ही मैंने पारस को किस किया तो उसने मुझे कमर से पकड़ा और अपने से चिपका लिया | पारस का लंड खड़ा था और मैं उसे महसूस कर पा रही थी | फिर हम दोनों वहां से चले गए और उसने मुझे घर छोड़ दिया | अब मुझे पारस से चुदने की खुजली मचने लगी तो मैं प्लान बनाने लगी कि कैसे उससे चुद्वाऊ | फिर मैं धीरे धीरे पारस को अपनी नंगी फोटो भेजना शुरू की और कुछ दिन बाद वो भी अपने लंड की फोटो मुझे भेजने लगा | ऐसे कुछ दिन तक हम यूँ ही अपनी फोटो एक दुसरे को भेजते थे और कभी कभी कहीं बाहर जाते थे तो किस कर लिया करते थे | कभी कभी मैं पारस को अपने दूध भी दिखा दिया करती थी और उससे अपनी चूत पे हाँथ रखवाती थी |

मैं अक्सर ऐसा करते हुए गरम हो जाया करती थी लेकिन पता नहीं पारस को कभी इतनी गर्मी नहीं चढ़ती थी | इसलिए हम कभी भी चुदाई नहीं कर पाते थे और मैं घर आकर अपनी चूत में ऊँगली डालकर ही खुश रहती थी | फिर एक दिन मैंने पारस को अपने घर बुलाया ये कहकर कि मुझे कुछ पढना है तो तुम मुझे पढ़ा देना क्योंकि अगर मैं ये कहती कि आ जाओ चुदाई करेंगे तो शायद वो नहीं नहीं आता क्योंकि उसकी इन सब से गांड फटती थी | तो वो थोड़ी देर बाद मेरे घर आ गया और मैंने जैसे दरवाज़ा खोला तो मुझे ऊपर से नीचे देखने लगा | मैंने शोर्ट स्कर्ट पहनी थी और छोटा सा टॉप | फिर वो अन्दर आकर बैठा और किताबे निकलने लगा तो मैंने कहा रुको थोड़ी देर से पढाई करते है अभी कुछ खा पी लेते हैं |

मैंने सैंडविच और जूस बनाया और उसके जूस में जोश की गोली मिला कर उसको पिला दिया | उसका लंड जल्दी ही खड़ा होने लगा और मैं उसके सामने बैठ के बात कर रही थी | वो अपने पैर से अपना लंड छुपाने लगा तो मैंने कहा क्या हुआ पारस ? तो कहा कुछ नहीं बस | तो मैं उठी और पारस के पास जाके बैठ गई | पारस का लंड खड़ा था वो उसे छुपाने कि कोशिश कर रहा था लेकिन मैंने उसके पैर हटाये और कहा पारस तुम्हारा तो खड़ा है | तो वो कुछ नहीं बोला और यहाँ वहां देखने लगा | मैंने फिर उसके जीन्स के ऊपर से उसका लंड पकड़ना शुरू कर दिया | तो उसने पूछा क्या कर रही हो ? तो मैंने उससे कहा बस पारस आज तुम कुछ नहीं बोलोगे और उसका लंड सहलाने लगी | मैंने पारस से पूछा कभी मुट्ठ मारा है तुमने तो उसने कहा नहीं | तो मैं उसका जीन्स उतार के उसका लंड हिलाने लगी | मैंने जैसे ही उसकी लंड को मुंह में डाला तो उसने ज़ोर कि आवाज़ की आह्ह्हहा हूह्हू | मैं उसका लंड चूसने लगी और वो बैठ के आवाजें करने लगा | लेकिन मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं थी क्योंकि मेरे घर पे कोई नहीं था | मैं थोड़ी देर तक उसका लंड चूसती रही और हिलाती रही |

उसने थोड़ी देर में ही अपना माल मेरे मुंह में छोड़ दिया और मैंने उसका सारा माल पी लिया | फिर मैं उठी और अपना टॉप उतार के उसके हाँथ अपने दूध पे रखवा लिए | वो मेरे दूध दबा रहा था तो मैंने पूछा कि कैसे है मेरे दूध ? तो उसने कहा बहुत अच्छे | मैंने उससे पूछा कि कभी कोई ब्लू फिल्म देखी है ? तो उसने कहा हाँ देखी है एक दो बार | तो मैंने उससे कहा बस वही करना है हमे आज | फिर मैंने उसके मुंह के पास दूध को किया और कहा अब चूस डालो इनको | तो उसने मेरे दूध को चुसना शुरू कर दिया | मैं अपने हाँथ से अपनी चूत को मले जा रही थी तो मैंने फिर उसका हाँथ अपनी चूत पे रखवा लिया | वो मेरी चूत को मलने लगा तो मुझे लगा वाह लड़का सीख गया | फिर मैंने अपनी स्कर्ट के नीचे से अपनी पैंटी उतार दी और उसके बाजू में बैठ गई | वो उठा और मेरी चूत को मलने और उसने मेरी चूत मैं ऊँगली डाल दी तो मुझे मज़ा ही आ गया | फिर उसने मेरी चूत में थोड़ी देर तक ऊँगली की लेकिन मेरी चूत नहीं चाटी |
फिर मैंने उसको सोफे बैठाया और उसके लंड के ऊपर बैठ गई | मैंने उसका लंड अपनी चूत में डाला और उसके ऊपर कूदने लगी | मुझे उसका लंड अपनी चूत में महसूस हो रहा था और बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था | उसे भी शायद मुझे चोदने में मज़ा आ रही होगी | फिर मैंने थोड़ी सा ऊपर पकड़ लिया और वो वैसे ही नीचे से मेरी चूत को चोदने लगा | मुझे अब लगा कि दोनों तरफ बराबरी की आग लगी है | तो मैं वहीँ बाजू में लेट गई और उससे कहा कि अब मारो | तो उसने मेरी चूत में अपना लंड घुसा दिया और आगे पीछे करने लगा और थोड़ी थोड़ी देर में उसकी स्पीड बढती जा रही थी और मेरी जान निकले जा रही थी | फिर मैं घोड़ी बन गई और वो पीछे से मेरी चूत को चोदने लगा | हमने लगभग आधे घंटे तक चुदाई की थी क्योंकि मैंने उसको जोश की गोली जो खिलाई थी | फिर चोदते चोदते मैंने उससे कहा कि तुम्हें अगर लगे कि तुम्हारा निकलने वाला है तो अपना लंड बाहर निकाल लेना | तो उसने ऐसा ही किया तो मैं उसका सारा मुट्ठ अपने मुंह पे गिरा लिया | उस दिन हमने दो बार और चुदाई की | हम आज भी खूब चुदाई करते है और कभी कभी तो वो मेरी गांड भी मार लेता है |

"70 साल की अम्मा "

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नमस्कार दोस्तों, कैसे हैं आप सभी , क्या हाल है? मैं आपकी " उमा शर्मा "आपके लिए फिर से हाज़िर हु चुदाई की एक नई दास्तान लेकर. अपने मेरी पुरानी कहानियो को बहुत प्यार दिया और मुझे बहुत सरहा, उसके लिए बहुत सारा थैंक्स. तो आते है उस नई दास्ताँ पर.आशा करती हूँ, आप लोगों को यह कहानी पसंद आएगी।

दोस्तों आज की कहानी तो मस्त है. ऐसे तो DESIBEES  डॉट कॉम पे INCEST LOVER -UMA SHARMA"की हरेक कहानी मस्त होगी है. पर आज जो कहानी सूना रहा हु, ऐसा कम मिलता है. आपने में से कई लोग, बहुत सारे औरतों से रिश्ता बनाया होगा, चोदा होगा, चूत चाटा होगा, या तो आपके उम्र की होगी या आपसे कुछ साल छोटी या तो कुछ साल बड़ी, पर ऐसा कम ही हुआ होगा की आपने अपनी उम्र के ३ गुणा से बड़ी औरत को चोदा होगा. आज मेरे पास ऐसी ही सनसनाती हुई कहानी है. मैं आपको यकीन दिलाता हु की आपको मेरी ये कहानी बहुत ही ज्यादा हॉट लगेगी.



मैं दिल्ली में रहता हु, मेरे घर के बगल में ही एक बूढी अम्मा रहती है, उनके साथ उनका एक बेटा रहता है, वो भी हमेशा दिल्ली से बाहर रहता है, क्यों की उसका टूरिंग का जॉब है. बूढी अम्मा को देख कर लगता है की ये जवानी में कैसी लगती होगी. अभी भी सुंदरता बरक़रार है. बहुत ही ज्यादा हॉट लगती है. सुंदरता अभी तक है, गालों पे लालिमा है, होठ अभी भी गुलाबी है, थोड़ी झुक जरूर गई है पर उनके शारीर का सारा अंग अभी भी जवान लगता है. मैं उनके अम्मा कहता हु, वो मेरे फ्लैट पे अपना मोबाइल रिचार्ज कराने आती है. क्यों की मैं अपने मोबाइल से कर देता हु, नहीं तो उनको बाहर जाना होता, तो मुझे लगता था की क्यों ना मैं इनको हेल्प कर दू. दोस्तों पहले मैं आपको अपने बारे में बता दू, मेरा नाम रौनक है. मैं 26 साल का हु, इंजीनियरिंग की पढाई कर रहा हु, मैं अकेले ही रहता हु, मैंने स्कूल टाइम से अब तक करीब १० औरतों और लड़कियों को चोद चूका हु, मुझे काफी अच्छा लगता है सेक्स करना. पर ये जो मैं आपको DESIBEES डॉट कॉम पे कहानी सूना रहा हु, ये और भी ज्यादा हॉट है. क्यों की मुझे आज तक ऐसा माल चोदने को नहीं मिला था.



कहानी की शुरुआत यहाँ से होती है. एक दिन शाम को अम्मा घर पर आई थी, बेल्ल बजे तो मैं दरवाजा खोल, तो मैंने नमस्ते किया, और वो बोली बेटा पीछे बार भी तूने सौ रूपये का रिचार्ज किया था, वो ले लो और इस में २०० का रिचार्ज और कर दो. अपना मोबाइल दिखते हुए बोली. मैंने कहा हां हां आइये अंदर आइये, उनको मैंने बैठने को कहा और फिर पानी ला के दिया, फिर मैंने कहा अम्मा मैं चाय बनता हम तो वो कहने लगी नहीं नहीं अभी पि कर आये है. मैंने कहा अगर आप पियोगे तो मैंने भी पि लूंगा, कब से पिने का मन कर रहा था पर आलस के चलते नहीं बनाया, तो अम्मा कहने लगी. अरे शादी कर ले, बहु भी साथ रहेगी और तुम पढाई करना. हम लोग के जवने में ही सही था पहले शादी बाद में सब कुछ. मैंने कहा अम्मा आप लोग का जवाना अलग था, अब जवाना बदल गया है. तो अम्मा बोली हां ये बात तो है.



अम्मा बोली : लेकिन एक बात है रौनक, आज कल लोग जल्दी शादी क्यों नहीं करता है बताऊँ

मैं: हां अम्मा बताओ बताओ?

अम्मा : अरे आज कल तो चाहे लड़का हो या लड़की सब कुछ पहले ही कर लेते है.

मैं: सब कुछ क्या अम्मा जी

अम्मा: अरे सब कुछ मतलब, साथ बैठना

मैं: अम्मा साथ तो सब बैठते है.

अम्मा: अरे वो बैठना नहीं

मैं: कौन सी बैठना

अम्मा: अरे साथ सोना, तू पागल है, इतना बड़ा हो गया है और तुम्हे बैठना नहीं पता है.

मैं: अम्मा जी ये सब कोड बर्ड नहीं पता चलता है. साफ़ साफ़ बोलो ना.

अम्मा : अरे वो जो एक पति पत्नी करते है. तुम लोग जो आजकल..

मैं: क्या अम्मा जी. आज कल जो तुमलोग सेक्स कहते हो.



और इतना कहते ही अम्मा जी अपने साडी के पल्लू से मुंह ढक ली और हसने लगी. मैंने कहा हां ये बात तो सही है अम्मा जी पर मैं ऐसा नहीं हु. तो अम्मा बोली तुम कैसा हो. तो मैंने कहा आज तक मैंने ये सब नहीं किया है, मुझे तो कुछ भी नहीं पता, आपको तो पता है मैं झूठ बोल रहा हु, अम्मा बोली नहीं नहीं जमाने की हिसाब से करना चाहिए. तो मैंने कहा क्या करूँ मेरी तो कोई फ्रेंड नहीं है, अगर दिल्ली में कोई फ्रेंड है तो आप हो. तो अम्मा बोली अच्छा तो मैं तेरे साथ बैठू, तो मैंने कहा बैठे तो हो. तो अम्मा बोली अरे पागल ये बैठना नहीं. मैं रही बुढ़िया वो भी 65 साल से ज्यादा ही उम्र हो रहा है. पता नहीं 70 भी पार हो गया होगा. तो मैंने कहा अम्मा जी अभी भी आप बहुत अच्छे लगते हो. तो अम्मा जी बोली इसका राज है बेटा ऐसे नहीं लगती, मैंने कहा क्या राज है. तो अम्मा कहने लगी. देख मेरे पति जब मैं २५ साल की थी तब ही उनका देहांत हो गया उस समय एक ही बच्चा था, मेरे शारीर का ज्यादा यूज़ नहीं हुआ, कोई भी औरत का शारीर कब ख़राब होता है जब उसका पति उसके साथ रोज रोज सेक्स करता हो या तो बहुत बच्चा होता हो. मैं तो हैरान रह गया दोस्तों अम्मा अब साफ़ साफ़ बोलने लगी.



मैंने कहा अच्छा तो ये बात है, मैंने कहा अम्मा जी आप मुझे ये बताओ क्या कभी आपको मन नहीं किया? तो अम्मा बोली मेरे जवान में तो लोगो की बहुत निगाह होती थी. की बिधवा के घर कौन आ जा रहा है. पर आजकल तो कोई भी नहीं रुकता चाहे बिधवा हो चाहे कोई और औरत हो. आजकल तो बहुत कुछ सुनने को मिलता है. मैंने कहा अब मन करता है. तो अम्मा बोली अब क्या मन करेगा, तभी अम्मा बोली, तू क्यों पूछ रहा है ये सब बात कही तेरा दिल तो मेरे पे नहीं आ गया? मैंने कहा हां अम्मा जी ऐसा ही लग रहा है. अम्मा बोली अच्छा, और वो शांत हो गई. चुपचाप, मैंने कहा क्या हुआ अम्मा जो. वो अपना सर झुक ली और बोली इस उम्र में. मैं समझ गया आज इस बुढ़िया को चुदने का मन कर रहा है. और मुझे भी काफी दिन से कोई चूत नहीं मिला था मैंने सोचा क्यों ना हाथ साफ़ कर लु.



अम्मा बोली एक काम कर दरवाजा ठीक से लगा ले. तूने बस सटा दिया था. मैंने कहा हां हां, और जाकर दरवाजा अंदर से बंद कर दिया. अम्मा बोली मुझे भी मन कर रहा है. पर तुम ये बात किसी को बोलना है प्लीज. मैंने कहा अम्मा जी आप चिंता नहीं करो, अम्मा जी कमरे में आ गई और मैं भी पीछे पीछे आ गया. मैंने उनको पकड़ कर लिया और उनके चूचियों पे हाथ रख दिया. ओह्ह्ह माय गो. गोल गोल गजब का था यार फिर मैं उनका साडी हटा दिया और ब्लाउज का हुक खोल वो अंदर ब्रा नहीं पहनी थी. गजब का था उनका चूक दोस्तों . ऐसा लग रहा थाई की जवान लड़की का चूच हो. मैं दबाने लगा और पिने लगा. अम्मा बोली धीरे धीरे करना. मैंने उनके चूच को दबा दबा कर मुंह में लेने लगा और पिने लगा. उनके निप्पल को दांत से काटने लगा. वो धीरे धीरे अपने मुंह से आह आह आह की आवाज निकलने लगी. फिर मैंने उनके होठो को चूसना शुरू किया और गाल पे दांत से काटना शुरू किया अम्मा भी मेरे फेस को पकड़ कर मुझे चूमने लगी. और फिर मैंने उनका पेटीकोट उतार दिया.



ओह्ह्ह्ह गजब का चूत था. दोनों साइड से सटा हुआ, चीरने के बाद भी अंदर दिखाई नहीं दे रहा था. अंदर का छेड़ सट गया था. कौन की करीब ४० साल से इनकी चुदाई नहीं हुई थी. मैं तो धन्य था की एक बूढी औरत को चोदने बाला था जिसका चूत एक जवान लड़की से भी बढ़िया था. बाल नहीं तो चूत पे, मैं उनके पैरो को अलग अलग कर के जीभ से उनके चूत को चाटने लगा. वो भी चटवाने लगी. वो कह रही थी और चाट और चाट ऐसा तो मेरे पति भी कभी नहीं चाटे थे. तो मैंने कहा हां अम्मा जी आजकल तो चोदने से ज्यादा चूत चाटा जता है. अम्मा बोली ठीक है अब तू चाटा करना ऐसे मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है. और फिर अम्मा बोली एक काम कर कल से खूब चाटना पर आज मुझे तेरे लण्ड अपने चूत में जल्द चाहिए. मैंने कहा ये लो. मेरा लण्ड, और में अपना जांघिया खोल दिया और अपना मोटा लण्ड अम्मा के चूत के ऊपर रखा, पर दोस्तों अंदर जा ही नहीं रहा था और कभी मैं अंदर जोर से डालने की कोशिश करता भी तो वो निकालने के लिए कहती, क्यों की उनको काफी दर्द हो रहा था.



फिर में वेसलिन लगाया अपने लण्ड पे और उनके चूत पे भी और धीरे धीरे कर के अंदर घुस दिया. अम्मा अब धीरे धीरे गांड उठा उठा के चुदवाने लगी. और मेरे होठ को चूसने लगी. उनकी चूचियाँ मेरे सिने से चिपक रहा था और मैं भी अपने लण्ड को उनके चूत में डाले जा रहा था. फिर अम्मा जी को जोश आ गया और वो जोर जोर से गांड उठने लगी. और चुदवाने लगी. मैं भी पुरे जोर से उनके चूत में अपना लण्ड पेलने लगा. फिर अम्मा जी बोली अब तुम लेट जाओ. मैं लेट गया और अम्मा जी उठा कर बैठ गई मेरे लण्ड पे और मेरा पूरा लण्ड अपने चूत में डाल ली. अब वो गांड उठा उठा कर लण्ड को अंदर बाहर करने लगी. उनकी चूचियाँ फुटबॉल की तरह हिल रहा था और मुंह से आह आह आह आह निकाल रही ही. मैंने भी निचे से धक्का लगाने लगा. और फिर अम्मा जी शांत हो गई एक लम्बी सांस लेते हुए और जोर से आह आह आह की, में समझ गया की ये झड़ रही है. फिर मैं भी तिन चार धक्के लगाया और पूरा माल उनके चूत के अंदर ही छोड़ दिया. अम्मा जी बोली डरने की कोई बात नहीं अब मेरा मासिक धर्म नहीं होता है. मैं माँ नहीं बन सकती.


फिर ये रिश्ता करीब तिन साल तक चला था. फिर मैं पूना आ गया, अब तो रात में बस फ़ोन पे गन्दी गन्दी बातें होती है. पर अब मेरी शादी भी होने बाली है. पता नहीं आगे क्या होगा.

दिल के बाज़ार में दौलत नहीं देखी जाती, प्यार हो जाये तो सूरत नहीं देखी जाती !

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प्रेम कहानी दिल की आँखों से
मेरे प्यारे दोस्तो, मेरी यह कहानी 12 इंची लम्बे लिंग वाले व एक रात में पांच सात बार ठोकने वाले सुपरमैन और रिमोट से बटन दबाते ही लड़की या औरत उनसे चुदने को तैयार करने वाले लोगों की तरह बनावटी या काल्पनिक नहीं है इसलिए मेरी यह सेक्स कहानी को केवल वे लोग पढ़ें जो सच में यकीन रखते हों, मुझे केवल वो पाठक ही चाहियें जो धैर्य से मजबूरी, प्रेम, वासना को दिल की आँखों से पढ़कर अपने आप को कहानी के किरदार के रूप में अहसास कर एक एक शब्द में प्रेम रस को महसूस कर सकें।





नौकरी की तलाश में शहर दर शहर भटकने के बाद काम की आस में नई दिल्ली पहुंच गया, बहुत सी कंपनियों में इंटरव्यू दिए लेकिन कहीं सैलरी कम तो कहीं काम ज्यादा।
मेरी इंजीनियरिंग की डिग्री मुझे बोझ लगने लगी।


लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, मैं अंग्रेजी के एक अखबार में छपे वॉक इन इंटरव्यू का विज्ञापन देखकर एक कंपनी में इंटरव्यू देने गया, बदकिस्मती देखिए जिस पोस्ट के लिए मैं इंटरव्यू देने गया, उसके लिए मेरे पहुँचने से पहले ही किसी और को सलेक्ट कर लिया था।
मैंने इंटरव्यू लेने वालों से गिड़गिड़ाकर नौकरी की भीख मांगी तो उन्होंने कहा- हम तुम्हें हमारे कंपनी के मालिक के फार्महाउस की देखरेख के लिए सुपरवाइजर की नौकरी दे सकते हैं।


जेब के सारे पैसे खत्म हो चुके थे तो उनको हाँ कहने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था।
कागजी खानापूर्ति करने के बाद मुझे कंपनी की गाड़ी से साउथ दिल्ली के आलीशान फार्महाउस पर ले जाया गया।


ऊंचे पेड़ों से घिरी इमारत किसी किले से कम न थी, ऊँची ऊँची दीवारों में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली थी, मुझे वो किसी फाइव स्टार होटल, क्लब या रिसोर्ट से ज्यादा बेहतरीन दिखा, मुझे बैटरी वाली कार में बिठाकर पूरा फॉर्म घुमाया गया और मेरा काम समझाया गया।

विदेशी तर्ज पर बने फार्म हाउस की सुंदरता में कोई कमी नहीं दिख रही थी और साथ ही उसके पिछवाड़े में बना सेक्सी स्विमिंग पूल चार चांद लगा रहा था।

मुझे अब वही रहना था तो वहाँ के सभी कर्मचारियों से मेरा परिचय करा दिया गया और उन्हें समझा दिया गया कि अब मैं नए फार्म हाउस के सुपरवाइजर के रूप में काम करूंगा। जाते जाते कंपनी से आए आदमी ने मुझे एक सलाह दी कि फार्म हाउस पर जो भी हो, वो तुम तक सीमित रहना चाहिए, इसी में भलाई है, और नौकरी भी बची रहेगी.

दिन बीतते गए, मैं अपना काम पूरी जिम्मेदारी से करता था लेकिन मुझे आज तक यह नहीं पता चला कि कंपनी का और इस आलीशान फार्म हाउस का आखिर मालिक कौन है। मैं जब भी किसी से पूछता तो मुझे कहते ‘धीरे-धीरे सब समझ जाओगे।’

एक दिन दोपहर में मेरे पास कंपनी से फोन आया- फार्महाउस तैयार रखना, मैडम दो-तीन दिन के लिए आ रही है.
तब मैंने वहाँ कई सालों से काम कर रहे माली को विश्वास में लेकर पूछा- यह मैडम कौन है?
माली ने बताया कि मैडम कंपनी के मालिक की माशूका है, और महीने में एक दो बार यहाँ अय्याशी करने जरूर आती है, और जब मैडम यहाँ आती है केवल तब ही मालिक यहाँ आते हैं, बाकी दिन कोई नहीं आता।


यह करीब 10-12 दिन से मैं भी देख चुका था।

उन्होंने बताया कि यह फार्म हाउस कंपनी के मालिक ने मैडम के लिए ही बनवाकर उनको गिफ्ट किया है। यह केवल उनके और मैडम की अय्याशी का अड्डा है, बाकी तुम खुद देख लोगे.
इतना कहकर और मुझे इस बारे में किसी से कोई भी बात ना करने की चेतावनी देकर चला गया।
बात मेरे समझ में आ चुकी थी।


मैंने अपनी नौकरी पक्की करने के चक्कर में फार्म हाउस में जोर शोर से तैयारियां शुरू करवा दी, यूं तो मैं इंजीनियरिंग का स्टूडेंट रहा हूं लेकिन वक्त की मार ने मुझे कुछ और ही बना दिया। मैं बड़े मन से फार्म हाउस पर तैयारियां करने लगा, तो मुझे वहाँ के कर्मचारियों ने मना किया कुछ भी नया नहीं करना है साहब के आदेश हैं, साहब और मैडम दो-तीन दिन के लिए आते हैं और अंदर ही रह कर चले जाते हैं.

लेकिन मुझे तो अपनी नौकरी पक्की करनी थी, मैंने भी सोचा कि कुछ नया करते हैं।

मैंने फार्महाउस को किसी हनीमून डेस्टिनेशन की तरह सजवा दिया.
शुक्रवार शाम को मालिक को आना था, इसलिए उनके आने से पहले ही पूरा फार्म हाउस नई नवेली दुल्हन की तरह महक रहा था, चमक रहा था, दमक रहा था, चारों ओर फूल बिछे थे, नया रेड कार्पेट लगा था, बिल्डिंग के अंदर अलग-अलग तरह के फूलों से सजावट करवा दी गई।


वहाँ के सारे कर्मचारी मुझे बार बार यही कह रहे थे कि यहाँ तुम्हारा आज आखिरी दिन है।

शाम को करीब 6:30 7:00 बजे एक काले रंग की बी एम् डब्ल्यू कार फार्म हाउस में दाखिल हुई। गाड़ी के अंदर आते ही दरवाजा बंद कर दिया गया.

जैसे ही गाड़ी पोर्च में पहुंची, मैंने आगे बढ़कर फाटक खोला तो उसमें से 56-57 साल का आदमी जिसके सर पर केवल गिनने को ही बाल बचे थे, काले रंग का सूट पहने नीचे उतरा और दूसरी ओर से बाहर आई एक कयामत जो 30-32 साल की अप्सरा, बेहद खूबसूरत 5 फुट 7 इंच लंबी गदराए बदन की मालकिन काले रंग का लॉन्ग गाउन जो उसके गोरे बदन से लेमिनेशन की तरह चिपका हुआ था. स्तनों की गोलाइयों को मानो सांचे में ढाल कर बनाया हो, उभरे हुए पिछवाड़े पर पैंटी लाइन किसी कलाकृति की तरह उभर रही थी।

उस काले लिबास में वो जवानी से भरपूर नवयौवना बादलों से ढके चांद की भांति प्रतीत होती, चेहरे में इतना नूर था कि खुद चांद भी शरमा जाए, उसके बाल खुले हुए थे शरीर से किसी भी महंगे परफ्यूम की मादक खुश्बू आ रही थी, उसके अंग अंग से मादकता झलक रही थी, उसके शरीर के कण-कण से प्रेम रस टपक रहा था, जवानी अंगड़ाइयां ले रही थी। वो दुनिया की सारी औरतों में सबसे ज्यादा नवयौवना प्रतीत हो रही थी।

जैसे ही दोनों उतरे, गाड़ी आगे चली गयी।

मैंने दोनों का बड़े बड़े फूलों के गुलदस्ते से स्वागत किया- वेलकम सर वेलकम मैडम!
मालिक ने बड़े बेहूदा अंदाज में मुझे पूछा- तू कौन है हमारे घर में हमारा वैलकम करने वाला?
मुझे बहुत बुरा लगा लेकिन साथ खड़ी उस अप्सरा ने प्यारी सी मुस्कान के साथ थैंक यू कहा और मालिक का हाथ पकड़कर पिछवाड़े को मटकाती हुई अंदर ले गई।
मालिक मुझे बाद में मिलने का कह कर अंदर चले गए।


उनके जाने के बाद वहाँ के सभी कर्मचारी मुझ पर हंसने लगे और मुझे कहने लगे- अपना सामान बांध लो सुपरवाइजर साहब।

अंदर चाय कॉफी सर्व करके आये वेटर ने मुझे अंदर जाने के लिए कहा।

जैसे ही मैं अंदर गया, मालिक जिनका नाम मिस्टर सहगल था, वे बॉक्सर और बनियान पहने सोफे पर बैठे थे और मैडम रेड कलर का शार्ट गाउन पहले खिड़की की ओर खड़ी थी। मैंने हाथ जोड़कर मालिक का अभिवादन किया और कहा- आपने मुझे बुलाया सर!
तो मालिक ने कहा- तुझे पता है, जब से यह फार्म हाउस बना है, तब से लेकर आज तक इसमें कोई भी चीज नहीं बदली गई है और यहाँ की एक एक चीज मैडम ने खुद डिजाइन और पसंद करके लगाई थी, और तुमने सब कुछ बदल दिया। तुम्हारी इस गलती की क्या सजा दें तुम्हें? पता है इसके बदले तुम्हारी नौकरी भी जा सकती है, तुम्हें काम पर रखा किसने? और तुम्हारी क्वालिफिकेशन क्या है?


मैं डर गया और हाथ जोड़ने लगा- मालिक गलती हो गई!
और नौकरी जाने के डर से मैं उनके पैरों में बैठ गया.


फिर वे उठे और जोर से हंसे और यह कहा- हमें नहीं पता था कि हमारा फार्म हाउस इतना सेक्सी भी बन सकता है, मैडम को ये बदलाव पसन्द आया।
इतना कहते ही मैडम घूमी और उन्होंने कहा- थैंक्स फॉर मेकिंग एनवायरनमेंट सो रोमांटिक।


मेरी जान में जान आ गई और मालिक ने मेरी तनख्वाह दुगनी कर मुझे स्थाई कर दिया और मुझे सुपरवाइजर से मैंनेजर बना दिया।
मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा… मैं उन्हें झुककर थैंक्स कह रहा था तो मालिक ने कहा- थैंक्स कहना है तो मैडम को कहो!
मैंने बिना उसकी और देखे गर्दन झुका कर ‘थैंक्स मैडम’ कहा।


मैडम ने मालिक के बगल में अपनी एक जांघ पर दूसरी जांघ रखकर बैठते हुए कहा- हम यहाँ 3 दिन रहेंगे, यहाँ का माहौल जितना ज्यादा रोमांटिक बना सकते हो, बनाओ।
मैं खुशी से झूम उठा और उसके बाद जैसे ही जाने लगा मालिक ने कहा- ड्रिंक्स भिजवा दो!


करीब आधा घंटा बीत जाने पर टेंशन मालिक गुस्सा होते हो बाहर आए और चिल्ला कर मुझे कहा- अभी तक ड्रिंक क्यों नहीं भेजे?
मैंने ‘एक्सक्यूज मी सर’ कहकर कहा- सर ड्रिंक पूल पर लगा दिए हैं।


मालिक गुस्सा हुए तो मैडम उनका हाथ पकड़कर स्विमिंग पूल पर ले गई और वहाँ की सजावट देखकर दोनों ही पागल हो हो गए।
पीछे धीरे धीरे म्यूजिक बज रहा था ‘आजा पिया… तोहे प्यार दूं, गौरी बैंया तो पे वार दूँ’


यह सब देख मालिक और मैडम दोनों फिर मुझ पर मेहरबान हो गए और शाबाशी में कहा- तुम्हारी खातिरदारी पसन्द आयी… अब तुम ही हमारी खातिर में रहोगे, दूसरा कोई ना आये।
मैंने जैसे ही मालिक को पैग बना कर दिया, मैडम ने झट से वह ग्लास मेरे हाथ से छीन लिया और कहा- इतनी भी तमीज नहीं है स्टूपिड? लेडीस फर्स्ट!
मैं उस नशीली आँखों वाली मादक औरत को देखता ही रह गया।


मैडम लाल रंग के शार्ट गाउन में थी जो मुश्किल से उनके 38 इंची नितंबों की गोलाइयों को ढक पा रहा था, उनकी लम्बी गौरी जाँघें केले के तने के अंदरूनी भाग जैसी दूधिया सफेद चमकदार थी एक पानी की बूंद भी गिरे तो बह चले इतनी चिकनी थी।

मैंने जोनी वाकर के पेग बनाकर देने शुरू किए, दो दो पैग अंदर जाते ही दोनों बहकने लगे। मैडम ने अपना गाउन खोल कर फेंक दिया और केवल लाल और सफेद पोल्का डॉट्स वाली ब्रा पैंटी में रह गई।
हाय… मैं मर गया था, मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने छः की छः गोलियां मेरे सीने में उतार दी हों!
मैं पत्थर के बेजान बुत की तरह उस हुस्न की मल्लिका को निहारता रहा।
कसम से इतनी हसीन, मादक, सैक्सी, सुंदर आजतक टीवी, फ़िल्म व इंटरनेट पर भी नही देखी थी।


मैं आँखें फ़ाड़ फ़ाड़ कर उस रूपसी को देखकर धरती पर ही स्वर्ग का अहसास कर रहा था। बड़ी बड़ी आँखें, गोल चेहरा और मधुशाला से शहद टपकाते लाल होंठ, घने लम्बे बाल उसके कंधे व पीठ के झूठे पहरेदार बने हुए दिखते थे, उसके 36 साइज के उन्नत स्तन हिमालय की तरह विकसित और तने हुए ब्रा को फाड़ने को आतुर दिखाई दे रहे थे, उनके ठीक नीचे चांदी सा गोरा सपाट पेट जिसमें उसकी नाभि चांद के दाग की तरह खूबसूरती बढ़ा रही थी, पैंटी में जकड़े हुए 38 इंची सुडौल आकार के नितम्ब अपनी आजादी की गुहार लगाते दिख रहे थे।

मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं अपने हाथों से उस जवानी को महसूस कर रहा था।

वो जैसे ही मुड़ी तो 30 इंची कमर ने काली नागिन की तरह बल खाया। उसके रोम रोम में अजीब सा नशा था. शराब हाथ में लिए वो शवाब किसी अल्हड़ नदी की तरह मस्ताती हुई अपने मादक हुस्न के घमण्ड में चल रही थी, या यूं कहें कि अपने हुस्न के बहाव में मुझे बहा रही थी।
जवानी और शराब के नशे में चूर उसका हर कदम किसी मदमस्त हथिनी की तरह जमीन पर पड़ता था। उसके यौवन को देख लगता था कि प्रेम रस यहीं से रचा गया है, वो प्रेम रस के सभी कवियों की प्रेरणा सी प्रतीत हो रही थी। दुनिया की कोई भी औरत उसके सामने फीकी नज़र आने लगी थी। उसका दमकता बदन पूनम के चांद की तरह चमक रहा था।


जाम खत्म कर वो अचानक पानी में जा कूदी और किसी जलपरी की तरह गोते लगाने लगी।
मेरे अंदर का मर्द चैलेंज कर रहा था ‘जा बेटा कूद जा… हुस्न और शबाब के दरिया में!
लेकिन बाहर का नौकर अंदर के मर्द पर कहीं भारी पड़ता हुआ मुझे मेरी औकात बता रहा था।

दोस्त दोस्त ना रहा -रीटा मौनीका -दोस्ती में धोखा

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"पूण्य का नाम ही केवल न किताबों में लिखो कुछ गुनाहों से भी दुनिया हसीन बनती है।" 

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नमस्कार दोस्तों, कैसे हैं आप सभी , क्या हाल है? मैं आपकी " उमा शर्मा "आपके लिए फिर से हाज़िर हु चुदाई की एक नई दास्तान लेकर. अपने मेरी पुरानी कहानियो को बहुत प्यार दिया और मुझे बहुत सरहा, उसके लिए बहुत सारा थैंक्स. तो आते है उस नई दास्ताँ पर.आशा करती हूँ, आप लोगों को यह कहानी पसंद आएगी।




रीटा कान्वेंट स्कूल की खूब अलटरा माड और सैक्सी स्टयुडंट थी। रीटा अमेरीकन मां और ईन्डीयन बाप की क्रासबरीड, ईकलौती खूबसूरत और चिकनी औलाद थी। गौल गौल मासूम चेहरे पर सिल्की हेयर सटाईल, खूब उभरी हुई कश्मीरी सेबो सी लाल लाल गाले, मौटी मौटी गीली नशीली और बिल्ली सी हल्की भूरी बिल्लौरी आंखै, रस भरे लाल उचके हुऐ मोटे होंट जैसे लालीपौप को चूस्सा मारने को ल्लायीत हौं।

सकेटिंग रीटा की फेवरेट गेम थी। सकेटिंग से रीटा का बदन भरपूर सुडौल और कडीयल हो गया था। इस छोटी सी उमर मे ही रीटा का गौरा चिट्टा तन्दरूसत बदन हद से ज्यदा गदरा गया था। मलाई सी त्त्वचा, मख्खन मे सिन्दूर मिला रंग, लम्बी पतली गर्दन, खडे खडे तराशे चुच्चे, पतली कमर,पिचका पेट, हीरे सी चमकती खूब गहरी नाभी, दाये बाये फैले कूल्हे, गौल गौल उभरे भारी चूतड़ और लम्बी सुड़ौल मरमरी टांगें। कुल मिला के रीटा ताज़ी ताज़ी जवानी के भार से लदी फदी टना टन और पटाका लौंडीया थी।

रीटा की तूफानी और कातील जवानी की खूबसूरती का कोई हिसाब कीताब नही था। हसीन रीटा के हुसन और कयामता जवानी ने स्कूल और मुहल्ले मे गद़र मचा रखा था। हर एक जवान रीटा पर लाईन मारता था। पर रीटा ने जगह जगह पे अपनी शराफत के झन्डे गाँड रखे थे। जिधर से एक बार निकल जाती लडके पप्पू पकड कर हाय हाय कर उठते थे।

मैग्ना फोक्स, पामेला एम्डरसन, कैटरीना कैफ, लिज़ा रे और एैश्वरया राये की जवानी तो रीटा की झाँट की धूल के बराबर भी नही थी, वो बात अलग है की रीटा की नादान कच्ची चूत पर रोंये का नामो निशान भी नही था। अभी तक नादान और अंगूठा चूसने वाली रीटा टैडीबियरो से ही खेलती रही थी। अभी तक बेचारी रीटा की नादान चूत मूतने के ही काम आ रही थी।

कुछ दिन पहले ही नई नई जवान हुई रीटा अपनी नई सहेली मौनीका से खूब धुल मिल गई। मौनीका जी भर के हंसीन और दिलफेकं छौकरी थी। मौनीका बहुत नाटी थी और कभी भी सकर्ट के नीचे कच्छी नही डालती थी। मौनीका हमेशा अपनी चूत पर हल्का सा रूज़, लिपस्टीक और लिपगलौंज़ का मेककप कर के चूत पर चार चाँद लगाये थी। मौनीका ने अपनी चूत को मख्खन और मलाई की मालिश कर के ओर भी हसीन और कातिल बना लिया थ।

मौनीका स्कूल में कलास, लाईबरेरी, स्कूल बस और मुहल्ले मे अपनी नंगी चूत का हुसन दिखा दिखा कर लडको को पागल बनाने और पटाने मे उसताद थी। दिन मे न जाने कितनी बार शरारती मौनीका अपने शूज़ का तसमा बांधती और ऐन्गल बना बना कर लडको को अपनी नन्ही चूत से लिशकारे मार मार कर दीवाना करती रहती थी। लडके गली के ठरकी कुत्तो जैसे मौनीका के आगे पीछे घुमते रहते थे। मौनीका की कटी पतंग सी जवानी को लूटने के लिये न जाने कितने लण्ड मौनीका के चारो तरफ मंडराते रहते थे।

एक दिन अकेले में, मौनीका ने रीटा को घर बुला कर जब ब्लयू पिकचर दिखा दी, तो बेचारी नन्ही रीटा का तो दीमाग ही घूम गया। रीटा के लिये यह सब कुछ एक दम नया और बहुत ही मजेदार था। मौनीका ने अपने फेवरेट सीन्ज रीटा को रीवाईन्ड़ कर कर के दिखाये तो रीटा ने अपना सिर पकड के सोचा "तौबा तौबा, ये लडकीयाँ कितनी गुन्डी गुन्डी बाते करती हैं, और ये मर्द कितनी बुरी तरहा से सुन्दर सुन्दर लडकीयों को चोदा मारते हैं। ये बेशरम छौकरीयां ईत्त्ती बुरी तरहा से मस्त्त हो कर अपनी चूत और गाँड मरवाती हैं। कितने सटायल से परी सी विलायती छोकरीयां लडको के केले से लम्बे लम्बे लन्डौ को चुसड चुसड कर के चुस्सा मारती हैं और पलक झपकते लन्डौ को अपनी गौरी गौरी चूत और गाड मे आसानी से सटक लैती हैं।

तब मौनीका ने बताया की वह चंगे चंगे तगडे लन्डो को अपनी टांगौं के नीचे से निकाल कर उन्हे धूल चटा चुकी थी। इस लिये रीटा की चूत के मुकाबले मे चुदक्कड़ मौनीका की चूत फूल सी खिली हुई वैलकमीग और एकदम चुदरी सी मालूम पडती थी। मौनीका की चूट पर दिलकश छल्ली से सुनेहरे कोमल और छितराये से झाट कायम कर रखे थे। मौनीका ने बताया की उसे अकंल लोगो और अपने से छौटे लडको के साथ छुप छुप कर चौदम चुदाई का खेल खेलने मे बहुत मजा आता है। कमीनी मौनीका हर महीने मौनीका नये आशिक से चूत मरवाती थी। मौनीका ने बताया की अब तो वह दस ईंच से कम लण्ड वाले को घास भी नही डालती।

फिर ब्लयू पिकचर देखने के बाद मौनीका ने रीटा से उलटी सीधी बेहूदी हरकतें शुरू कर दीं। शुरू शुरू मे रीटा को मौनीका की गुन्डी हरकत पर बहुत गुस्सा आया, पर बाद मै जब शातिर मौनीका ने रीटा की टांगो को चौडा कर जबरदस्ती रीटा की चूत को आम की गुठली की तरहा चूसने लगी तो रीटा मौमबत्ती सी पिघलती चली गई। मौनीका अपनी साप सी लम्बी लपलपाती जीभ से रीटा की चूत को चाटने और चोदने लगी। कभी कभी मौनीका अपना मुह टेडा कर रीटा की रसीली फाक दातो मे दबा कर जोर जोर से चूस कर रीटा की नाऽऽ नाऽऽ करवा देती थी। मौनीका के लाल लाल नैलपालीश से रंगे हुऐ नाखून रीटा के गौरे गदराये हुऐ चूतडो मे धंसें हुऐ बडे मोहक लग रहे थे। नाखूनौ की तीखी चुभन भी रीटा को अजीब सा मजा दे रही थी।

my chat frnd karthika

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i am here to post few pics nd chats of my chat frnd karthika. slowly i will post pics nd chat abt wat happened between us

दिल्ली का मौसम, एक तो यह ठण्ड, ऊपर से बारिश !MAA BATA-WITH PIC

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                                        राहुल [b] और प्रीति की कहानी [/b]

हेलो मैं आपकी " उमा शर्मा " आप मेरी desibees.com पे बहुत सारी स्टोरीस पढ़ चुके होंगे.  आप सभी के लिए मई एक नयी कहानी लेकर आया हू जो आशा करती हु की आप लोगो को बहुत पसंद आएगा.

ये कहानी  राहुल [b] और प्रीति की है .[/b]

[Image: maxresdefault-1.md.jpg]




आपको तो पता ही है दिल्ली का मौसम ! यहाँ सर्दी में कितनी सर्दी और गर्मी में कितनी गर्मी पड़ती है। और ऊपर से बारिश वो भी सर्दियों में ! शामत ही आ गई समझो ! मेरे घर में हम तीन लोग हैं, मैं, मेरी माँ और मेरे पिताजी ! पिताजी ज्यादातर ऑफिस के काम से बाहर ही रहते हैं तो घर पर रह गए मैं और मेरी माँ !  

मैं राहुल अभी 19 साल का हूँ और मेरी माँ [b]प्रीति [/b]की उम्र होगी 37 साल, मेरी माँ [b]प्रीति [/b]बला की खूबबसूरत है।
उनकी खूबसूरती तो ऐसी है कि अगर आज भी वो घर से बाहर निकलती है तो चलने वाले सभी आदमियों की और लड़कों की लुल्ली पैंट में ही खड़ी हो जाती है। क्योंकि उनका फिगर है ही इतना लाजवाब 36-27-36 ।
मैं अभी कालेज में ही हूँ और अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ।
[Image: maxresdefault-2.md.jpg]
इस रविवार को मैं घर पर ही था छुट्टी होने की वजह से तो जब मैं सोकर उठा तो मेरी माँ [b]प्रीति [/b]घर की साफ सफाई कर रही थी।
माशा अल्लाह !
क्या लग रही थी वो !
सिल्की गुलाबी रंग के गाउन में उनके स्तन तो गाउन से बाहर निकलने को ही हो रहे थे। अगर ब्रा ना होती तो माँ के स्तन बाहर निकल चुके होते। और उनकी गांड तो मानो ऐसे मुझे उकसा रही थी कि आ बैल- मेरी मार।
मैंने अपनी माँ को पहले कभी ऐसी नजर से नहीं देखा था पर मैं करता भी क्या !
मैं अभी उनके नितम्बों को देख कर सोच ही रहा था कि इतने में उन्होंने कहा-राहुल आज पूरे दिन पड़ा ही रहेगा या उठेगा भी ! बिस्तर से खड़ा हो ! मुझे यहाँ सफाई करनी है, कितना गन्दा कर रखा है यूने अपना कमरा !
राहुल बोला- होता हूँ खड़ा !
और मैं खड़ा हो गया पर यह भूल गया कि मेरा लंड भी जोश में आकर खड़ा हो गया था, वो तो बस घुस जाना चाहता था माँ की गांड में !
मैंने उसे ठीक किया और बाहर आ गया।
बाहर पिताजी अखबार पढ़ रहे थे। इतने में मेरे दोस्त मुझे बुलाने के लिए आ गए क्रिकेट मैच के लिए।
मैं भी फिर जल्दी से नहा धोकर अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने चला गया पर पूरे दिन में अपनी माँ के सेक्सी ख्यालों में खोया रहा और उस दिन ढंग से खेल भी नहीं पाया।
शाम को 6 बजे जब मैं घर पर आया तो घर बिलकुल सुनसान सा पड़ा था, लग रहा था कि कोई नहीं है। पर जब मैं अन्दर घुसा तो मैं तो हैरान ही रह गया।
पापा मम्मी को चोद रहे थे। वो अब मेकअप करके किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। मैं यह सब बाहर दरवाजे के बगल में खड़ा होकर देख रहा था। क्या लग रही थी वो ! पापा मम्मी के बोबों को ऐसे दबा रहे थे कि आज ही सारा दूध निकाल लेना चाहते हो !
वो कह रहे थे- आजा मेरी जान ! अब तो महीने भर बाद ही मौका मिलेगा तुझे चोदने का !
शायद वो ऑफिस के काम से बाहर जा रहे थे।
माँ ने कहा- तो जा क्यों रहे हो ? इस जान को छोड़कर मत जाओ न ! मेरा दिल नहीं लगेगा, इतने दिन में मैं तो पागल ही हो जाऊँगी तुम्हारे बिना !
क्यों चिंता करती हो? एक महीने बाद आ तो रहा हूँ मैं ! फिर से चोदूँगा तुझे मेरी जान ! पर काम तो काम है न ! वो तो करना ही पड़ेगा।
[Image: maxresdefault-3.md.jpg]


माँ बोली- हम्म ! वो तो है मेरे राजा !
पापा ने कहा- चल अब घोड़ी बन जा ! काफी देर हो गई चूत मारते हुए !
तो माँ बोली- तुम मर्द लोगो को गाण्ड में ऐसा क्या मजा आता है?
और उन्होंने मम्मी को घोड़ी बनाया और चोदने लगे।
क्या आवाजें निकाल रही थी माँ चुदते हुए ! मेरा लंड तो फनफनाने लगा था उनकी अवस्था देख कर !
मैं मन ही मन सोच रहा था कि काश मैं अपनी माँ को चोद पाता ! क्या माल है वो !
आधे घंटे भर तक वो चुदाई-कार्यक्रम चला होगा और फिर पापा रात को ही मुंबई के लिए चले गए और माँ से कह गए कि मेरा ख्याल रखे।                                                                                       
मैंने उस शाम का दृश्य देख कर कसम खाई कि एक बार तो माँ को जरुर चोदूँगा।
दिन ऐसे ही निकलने लगे और माँ भी थोड़ा उदास सी रहने लगी। क्या करे, उन्हें लंड ही नहीं मिला था इतने दिनों से !
मुझसे माँ की यह बेचैनी देखी नहीं जा रही थी पर मैं उनसे कह भी तो नहीं सकता था।
मैंने उनसे पूछा- माँ, इतनी उदास क्यों रहती हो तुम आजकल?
तो वो बोली- कुछ नहीं राहुल बेटा, तेरे पापा की बहुत याद आ रही है, इतनी दिन हो गए न !       
तो मैंने कहा- माँ मैं हूँ न पापा की जगह ! बोलो क्या हुआ ?
तो वो बोली- तू क्या जाने एक औरत की मज़बूरी ! तू तो अभी बच्चा है राहुल
तो मैंने कहा- हाँ माँ ! मैं समझ सकता हूँ कि आप पर क्या बीत रही है ! पर मैं एक बात बता दूँ कि मैं बच्चा नहीं रहा अब ! पूरे 19 साल का हो गया हूँ ! और मेरा पप्पू भी।
वो बोली- क्या कहा तूने ?
मैं सकपका गया और कहा- सॉरी माँ, गलती से मुँह से निकल गया।                           
और वो मेरे लंड को देखने लगी। मैं उस समय माँ से सॉरी बोलकर कॉलेज़ चला गया और काफी सोचता रहा कि यह मैंने क्या कह दिया ! माँ क्या सोचेगी मेरे बारे में…..
पर माँ ने तो शाम के लिए कुछ और ही योजना बना रखी थी।
कॉलेज़ खत्म करके जैसे ही मैंने घर के अन्दर कदम रखा, वैसे ही बारिश चालू हो गई। माँ ने मुझे देख कर कहा- आ गया मेरा राजा बेटा राहुल !
और यह कह कर वो छत पर कपड़े उठाने चली गई। उन्होंने उस समय वही गुलाबी सिल्की गाउन पहन रखा था। मैं भी उनके पीछे पीछे ऊपर चला गया तो वो मुझे देख कर बोली- तू ऊपर क्यों आ गया? भीग जायेगा ! चल नीचे जा !
मैं बोला- अरे माँ, मैं तो आपकी मदद करने के लिए ऊपर आया हूँ !               
और आधे कपड़े उन्होंने उठाये, आधे मैंने, और नीचे आ गए।
सीढ़ी उतरते वक़्त माँ मेरे आगे चल रही थी, मैं उनके पीछे !
उनके भीगे हुए मादक चूतड़ क्या लग रहे थे ! भीगने की वजह से उनका गाउन बिल्कुल उनके शरीर से चिपक गया था। मन तो कर रहा थ कि उनको गोदी में उठा कर उनकी इतनी गांड मारूँ कि सारा वीर्य ही निकाल दूँ !
नीचे आकर माँ कहने लगी- इस बारिश को भी आज ही आना था ! एक तो यह ठण्ड, ऊपर से बारिश ! चल कपड़े बदल ले, नहीं तो ठण्ड लग जाएगी।                                                                  
उस समय मैं माँ के दोनों स्तन देख रहा था जो गाउन में से झांक रहे थे। क्या संतरे थे- मानो कि अभी दबाओ तो कई ग्लास भर कर जूस निकलेगा उसमें से !उन्होंने मुझे देख कर कहा- क्या देख रहा है तू इधर मेरे उभारों को घूर कर ?
मैं डर गया और कहा- कुछ भी तो नहीं !
तो वो बोली- मैं सब समझती हूँ राहुल बेटा ! माँ हूँ तेरी !
और यह कह कर वो बाथरूम की तरफ जाने लगी और कहने लगी- तू भी अपने कपड़े बदल ले, मैं भी अब नहा लेती हूँ !
क्या गाण्ड लग रही थी चलते हुए उनकी ! मैं मन ही मन तो उन्हें चोद ही चुका था और आज अच्छा मौका था उन्हें सचमुच में चोदने का !                                                                                          
मैं उनसे जाकर पीछे से लिपट गया। माँ एकदम से घबरा गई। मैंने कहा- माँ सॉरी ! मैं ऐसा कुछ नहीं देख रहा था जो आप सोच रही हो !
माँ से चिपकते ही मेरा लंड फुन्कारे मारने लगा था और इसका एहसास मेरी माँ को भी हो गया था क्योंकि उस समय मेरा लंड उनकी दरार में रगड़ मारने लगा था। शायद माँ समझ गई थी कि मैं उन्हें चोदना चाहता हूँ।
उन्होंने कहा- चल छोड़ मुझको ! मैं तो बस मजाक कर रही थी !                                          
शायद वो भी काफी दिनों से चुदासी थी इसलिए चुदवाना भी चाहती थी और उन्होंने मुझे पीछे से हटाकर अपनी छाती में समा लिया। मैं तो उनके वक्ष में खो ही गया था।
क्या स्तन थे उनके ! मन तो कर रहा था कि दबा कर सारा दूध निकल लूँ !
फिर वो बोली- चल, अब जा ! कपड़े बदल ले ! मैं भी नहा लूँ !
तब वो बाथरूम में चली गई।                      

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लेस्बियन ननद भाभी -WITH PIC

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नमस्कार दोस्तों, कैसे हैं आप सभी , क्या हाल है? मैं आपकी " उमा शर्मा "आपके लिए फिर से हाज़िर हु चुदाई की एक नई दास्तान लेकर. अपने मेरी पुरानी कहानियो को बहुत प्यार दिया और मुझे बहुत सरहा, उसके लिए बहुत सारा थैंक्स. तो आते है उस नई दास्ताँ पर.आशा करती हूँ, आप लोगों को यह कहानी पसंद आएगी।
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[Image: yasmeen-khan-rimpa-tiwari-n-atasha-sikka...-61.md.jpg]



मेरा नाम रीना है और मेरी भाभी का नाम सपना है। हमारे घर में हम चार लोग हैं.. में, भैया, भाभी और मेरे पापा। लेकिन कुछ समय पहले अचानक मेरे भैया की मृत्यु हो गयी.. वो आर्मी में थे। अब घर पर हम तीन लोग ही हैं। दोस्तों में सबसे पहले अपने बारे में बताती हूँ.. मेरी उम्र 18 साल है और में बारहवीं में पढ़ती हूँ। 

मेरा फिगर ऐसा है कि मोहल्ले और कॉलेज के सभी लड़के मुझे भूखे कुत्ते की तरह देखते है.. कि कब मौका मिले और कब मेरी जवानी लूट लें और मेरी भाभी तो मुझसे भी चार गुना ज़्यादा सेक्सी हैं.. गोरा रंग, स्लिम फिगर और उस पर 22 साल की उम्र और मानो उन्हें बनाने वाले ने उनमे सेक्स ठूंस ठूंस कर भर दिया हो।
मेरे पापा एक बहुत अच्छी नौकरी से रिटायर हुए थे और मेरे बड़े भाई भी आर्मी में थे और मेरे नाना जी और मामा जी भी दबंग आदमी हैं.. इसलिए किसी की भी हिम्मत नहीं होती कि कोई हमे आंख उठाकर भी देख ले।
मेरा और भाभी का रिश्ता एक भाभी, ननद से बढ़कर एक दोस्त की तरह है.. लेकिन फिर भी कुछ बातें ऐसी है जो भाभी मुझसे शेयर नहीं कर पा रही थी.. शायद किसी अंजान डर की वजह से। हमारे बीच हर तरह की बातें होती थी.. लेकिन भाभी ने यह कभी नहीं जताया कि उन्हें भैया की कमी खलती है।

भैया और भाभी की शादी एक साल पहले ही हुई थी.. फिर मुझे बाद में पता चला कि उनकी छुट्टी शादी के तीन दिन बाद खत्म हो गई थी और हमारे यहाँ पर रिवाज़ है कि दूल्हा, दुल्हन शादी के 3 दिन बाद ही मिल सकते हैं और क्योंकि भाई को पोस्टिंग कि जगह पर फेमिली क्वॉर्टर नहीं मिला था.. इसलिए वो ड्यूटी पर अकेले ही चले गये थे। एक हफ्ते बाद खबर आई कि टेररिस्ट अटेक में उनकी मृत्यु हो गयी। फिर भाभी की तो जैसे दुनिया ही खत्म हो गयी। लेकिन कहते हैं वक़्त हर जख्म को भर देता है और फिर धीरे धीरे सब ठीक हो गया।
हमारा घर बहुत बड़ा है.. लेकिन फिर भी में भाभी के साथ ही सोती थी.. ताकि उन्हें अकेलापन ना महसूस हो। फिर एक रात जब में उठी तो मैंने देखा कि भाभी पलंग पर नहीं थी और जब मैंने उन्हें आवाज़ दी तो वो भागकर मेरे पास आ गई और उन्हे देखकर मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैंने उनकी कोई चोरी पकड़ ली हो। उनकी मेक्सी भी आधी खुली हुई थी और मुझे उन पर कुछ शक हुआ। तो मैंने पूछा कि क्यों भाभी सब ठीक तो है ना? फिर वो हड़बड़ाकर बोली कि हाँ सब ठीक है।                                                         
में तो टॉयलेट करने गयी थी और तेरी आवाज़ से डर गयी.. क्योंकि इतनी रात जो हो गयी है। तो मैंने कहा कि ठीक है और जैसे ही में सोने लगी मेरी नज़र टेबल पर रखे मेरे लेपटॉप पर गयी वो पूरी तरह से बंद नहीं था और उसमे से लाईट भी निकल रही थी.. तो मैंने कहा कि यह लेपटॉप कैसे चालू पड़ा है।
भाभी जल्दी से हड़बड़ाकर उसके पास गयी और उसकी बेटरी निकालकर उसे बंद कर दिया और बोली कि तूने ही खुला छोड़ दिया होगा आज कल तुझे कुछ याद नहीं रहता। फिर मैंने सोते सोते सोचा कि कुछ तो बात है.. जो भाभी मुझसे छुपा रही है।
मैंने अपने आप से कहा कि कल रात को पता लगाऊँगी और हम दोनों सो गये। फिर अगले दिन में स्कूल से एक बजे घर आई और मैंने सबसे पहले लेपटॉप की रीसेंट फाइल्स चेक़ की.. लेकिन उसमे कुछ खास नहीं मिला.. लेकिन जब मैंने इंटरनेट हिस्ट्री चेक़ की तो में देखकर दंग रह गयी..                                          
क्योंकि उसमे रात के 12 से लेकर 2 बजे तक पोर्न साईट खोली गई थी और अब मुझे समझते हुए ज्यादा देर नहीं लगी कि भाभी रोज़ रात को क्या करती हैं? फिर मैंने सोचा कि कोई बात नहीं वो बैचारी भी क्या कर सकती हैं.. लेकिन मुझे अब उनको कुछ करते हुए देखने का मन कर रहा था। रात का खाना खाने के बाद हम लोग सोने चले गये और में भाभी की तरफ मुहं करके सोने का नाटक करने लगी।
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मुझे भाभी की आँखो में एक हवस और एक प्यास दिख रही थी और वो बार बार अपना थूक निगल रही थी मानो कितनी प्यासी हो। धीरे धीरे रात के दो बज गये.. लेकिन भाभी अपनी जगह से नहीं उठी और मुझे भी नींद आने लगी थी। तभी अचानक भाभी धीरे से उठी और मेरे हाथ को उठाकर वापस उसी जगह रख दिया.. शायद यह देखने के लिए कि में गहरी नींद में हूँ या नहीं.. लेकिन में भी वैसी की वैसी ही लेटी रही। फिर भाभी उठी और उन्होंने सीधे लेपटॉप खोलकर अपना काम शुरू कर दिया और में लेटे लेटे सब देख रही थी।                                 
भाभी ने धीरे धीरे अपनी मेक्सी की चैन खोलकर अपने बूब्स को बाहर निकाला और दबाने लगी और थोड़ी ही देर में भाभी की सांसे तेज होने लगी और वो बहुत हल्की आवाज़ में ऊह्ह्ह आअह्ह्ह करने लगी और फिर उन्हे देखकर मेरी भी चूत का पारा चड़ने लगा और में अपनी स्कर्ट और पेंटी में से अपना एक हाथ अपनी चूत में डालकर उसे मसलने लगी। थोड़ी ही देर में मुझ पर भी सेक्स हावी होने लगा.. लेकिन इतने में ही भाभी टॉयलेट में गई और मैंने सोचा कि क्यों ना में भी जाकर देखूं कि भाभी क्या कर रही है?
टॉयलेट का दरवाजा भाभी ने अंदर से बंद नहीं किया था। और जैसे ही में अंदर गयी में दंग रह गयी.. भाभी पूरी नंगी बाथ टब में लेटी हुई थी और उनकी आंखे बंद थी और वो एक हाथ से अपनी चूत को रगड़ रही थी और दूसरे हाथ से अपने बूब्स को ऐसे मसल रही थी जैसे उसे तोड़कर फेंक देना चाहती हों। तो में बड़ी हिम्मत करके बोली कि भाभी यह क्या कर रही हो? तभी यह सुनकर भाभी का तो जैसे रंग ही उड़ गया हो। फिर थोड़ी देर वो मुझे घूरती रही..             
उनका गाल जो पहले एक सेब जैसा लाल था वो अब बर्फ की तरह सफेद पड़ गया था और भाभी कुछ नहीं बोली और अपने मुहं को अपने घुटने में दबाकर बैठ गयी। तभी में उनकी तरफ बड़ी और उनके सर पर हाथ रखकर प्यार से बोली कि भाभी क्या हुआ? तभी उन्होंने मेरी तरफ देखा तो उनकी आँखों में आँसू थे और वो बोली कि कुछ नहीं.. मुझे तुम्हारे भैया की याद आ रही थी और मेरी भी कभी कोई इच्छा होती है.. लेकिन मुझे पता है कि यह इच्छा कभी पूरी नहीं होगी। यह सुनकर मुझे भाभी पर तरस भी आ रहा था और में खुद भी इतना गरम हो गयी थी कि में लेस्बियन सेक्स करने को मचल रही थी।
फिर मैंने भाभी के आँसू साफ किए और उनको समझाया कि कोई बात नहीं आप जो कर रही हैं कीजिये में आपसे कुछ नहीं कहूंगी.. लेकिन शायद उनका मूड ऑफ हो गया था और वो वापस मेक्सी पहनकर सोने चली गयी। तभी मेरे दिमाग़ में एक आईडिया आया और मैंने अपना लेपटॉप उठाया और भाभी के पास जाकर बैठ गयी।
फिर भाभी से मैंने सॉरी कहा तो उन्होंने कहा कि कोई बात नहीं फिर मैंने उनसे पूछा कि आप कौन सी साईट देख रही थी? लेकिन वो कुछ नहीं बोली। तो मैंने कहा कि प्लीज बताईए ना.. यह आपकी ननद नहीं आपकी एक फ्रेंड पूछ रही है।
वो बैठ गयी और उन्होंने साईट एंटर की.. उस पर ऑनलाईन वीडियो चल रहा था.. जिसमे एक लड़का एक लड़की को बड़े प्यार से चोद रहा था। फिर मैंने भाभी से कहा कि भाभी जो आप करती हैं वो ग़लत नहीं है और आपको यह अकेले करने की कोई जरूरत नहीं है।                                                  
तभी वो बोली कि क्या मतलब? फिर मैंने कहा कि जब आप यह सब कर रही थी तो में भी लेटे लेटे अपनी चूत में उंगली कर रही थी और इतना सुनते ही हम दोनों की हंसी छूट पड़ी। फिर उन्होंने कहा कि ओह तो अब तुम बड़ी हो गयी हो। मैंने कहा कि भाभी एक बात बोलूं.. अगर आप बुरा नहीं मनो तो। फिर उन्होंने कहा कि बोलो। मैंने कहा कि भाभी में आपको दोबारा बिना कपड़ो के अपनी चूत में उंगली करते हुए देखना चाहती हूँ।
तभी वो बोली कि चल बदमाश.. फिर मैंने कहा कि नहीं भाभी मेरा भी मन करता है प्लीज़। तो भाभी बोली कि ठीक है.. लेकिन एक बात बताओ क्या तुम्हें लेस्बियन पसंद है? तो में बोली बाद में बताऊँगी और भाभी धीरे से मुस्कुराते हुई अपनी मेक्सी उतारने लगी.. उन्होंने नीचे कुछ नहीं पहन रखा था और शायद चूत भी आज ही शेव की होगी। फिर वो धीरे धीरे से अपने बूब्स दबाने लगी और अपने होटों को अपने ही दांतो से चबाने लगी। धीरे धीरे मुझे भी नशा सा छाने लगा और मेरी भी साँसे तेज़ होने लगी।
भाभी अपनी आँखे बंद करके अपनी चूत रगड़ने लगी और फिर से आआअहह ओओओह उफ़फऊहह की आवाज़ें निकालने लगी। मैंने धीरे से अपना हाथ भाभी के बूब्स पर रखा तो भाभी कहने लगी कि प्लीज़ रीना ये सही नहीं होगा.. मैंने कहा भाभी आज तुम्हे भी इसकी जरुरत है और मुझे भी। मैं तुम्हे एक लड़के जैसा सुख तो नहीं दे पाऊँगी पर एक अहसास ज़रूर दे सकती हूँ.. प्लीज़ रोकना मत।                                                        
भाभी बोली ऊफ़फ्फ़ रीना तुम कितनी अच्छी हो और अपनी आँखे खोलकर मेरे होटों पर एक जोरदार किस करने लगी। उनकी इस अदा से मेरे तो पूरे शरीर मैं बिजली सी दौड़ गई। मैंने कहा ओह भाभी और में अपने दोनों हाथों से उनके बूब्स पकड़कर उनको दोबारा किस करने लग गई। तभी भाभी बोली कि ज़रा देखूं तो मेरी प्यारी दोस्त का बदन कैसा है और सबसे पहले वो मेरे ऊपर की लूज़ टी-शर्ट उतारती है और कहती हैं वाह रीना तुम्हारे बूब्स देखकर तो मुझे अपने 18 साल वाले बूब्स की याद आ गयी।
छोटे छोटे संतरे की तरह और मेरे बूब्स को अपने दाँतों से दबाने लगी। भाभी कहने लगी कि तुम्हारे ये छोटे बूब्स किसी छोटी स्ट्रॉबेरी की तरह है.. क्या इनमे दूध है? मैंने कहा भाभी खुद ही पी कर देख लो.. वो जैसे ही मेरे बूब्स को चूसने लगती है.. मेरे मुँह से सिसकियां निकलने लगी। भाभी मैं मर जाऊँगी ज़रा धीरे आआआःह उफफफ्फ़ तभी पता नहीं मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे बूब्स के अंदर से कोई धागा बाहर खींचा जा रहा हो। मुझे दर्द भी हो रहा था और मज़ा भी आ रहा था। मेरे मुहं से एक सिसकी निकल पड़ी.. तभी भाभी मेरे दूसरे बूब्स को भी चूसने लगी.. उस पल को मैं बयां नहीं कर सकती। लगभग 20 मिनट मेरा दूध पीने के बाद मेरे चूचे लटक गए थे।           
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मेरी समझ मैं नहीं आ रहा था कि क्या करूं। मैं तो बस भाभी का मुहं अपने चूचों मैं दबाए जा रही थी। तभी मैंने भाभी का सर अपने चूचों से अलग किया और उनके होटों को चूसने लगी। भाभी भी अपना पूरा रेस्पॉन्स दे रही थी। करीब 5 मिनट किस करने के बाद मैंने उनके बूब्स को हाथ मैं लिया और धीरे धीरे उन्हे मसलने लगी.. उनके बूब्स मुझसे काफ़ी बड़े थे। मेरे बूब्स का साइज़ 28 था.. मगर उनका तो 34 था और वो इतने लाल और कठोरे जैसे हो गये थे कि मैं बता नहीं सकती।
मैंने एक हाथ से उनके बूब्स को दबाना शुरू किया और दूसरे को चूसने लगी। भाभी तो जैसे बिना जल की मछली की तरह तड़पने लगी और मेरे सर को अपने बूब्स मैं दबाने लगी। करीब दस मिनिट बाद उन्होंने मेरी स्कर्ट को निकाल दिया। मैंने देखा की मेरे पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी और भाभी की चूत से भी पानी टपकने लगा था।                   
मैंने अपना हाथ भाभी की चूत के नीचे लगाया और उनका पानी चाटने लगी। भाभी तो मानो मर ही जायेगी.. फिर उन्होंने मुझसे अपनी पेंटी उतारने को कहा। मेरी चूत देखकर वो बोली कि वाह्ह अभी तक वर्जिन हो। मैंने कहा हाँ और आप? तो उन्होंने कहा हाँ तुम्हारे भैया तो चले गये थे। मैंने भाभी का सर धीरे से पकड़कर अपनी चूत पर लाकर सटा दिया।
वो उसे ऐसे चाटने लगी कि जैसे कोई बरसो से प्यासे को पानी की 1 बूँद मिल गयी हो और मेरी साँसे फिर से तेज़ होने लगी थी और दिल इतनी जोरो से धड़क रहा था कि मानो अभी बाहर आ जाएगा। कुछ देर बाद हम दोनों 69 की पोज़िशन मैं आ गये। भाभी की आवाज़ काफ़ी तेज़ हो गयी थी। इतने मैं भाभी ने अपने पैरों से मेरा सर जकड़ लिया और एक तेज धार उनकी चूत से निकलकर मेरे पूरे मुँह पर फैल गयी और उनके मुँह से संतुष्टी की एक आवाज़ सी निकल गयी।
अब बारी मेरी थी। भाभी मेरी चूत मैं अपनी जीभ डाल कर अंदर बाहर कर रही थी और अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था। भाभी प्लीज़ कुछ करो और चोदो भाभी और भाभी और अंदर भाभी और प्लीज़ और अंदर डालो आआहह और मैं भी झड़ गयी।
भाभी का पूरा मुँह मेरे पानी से नहा गया। कुछ देर हम एक दूसरे से लिपटे हुए ऐसे ही पड़े रहे। मैंने भाभी को कहा भाभी अगर लड़की से इतना मज़ा आता है तो लड़के कितना मज़ा देते होंगे। भाभी बोली तू चिंता मत कर रीना 2 साल बाद तुझे ये मज़ा ज़रूर मिलेगा.. तो में बोली कि भाभी मैं चाहती हूँ आप भी इसका मज़ा ले सको।
यह सब करते करते सुबह के 4.30 बज गये थे। हम दोनों की हालत बहुत खराब थी और उस दिन के बाद हमारे बीच रोज़ रात को यही सब चलता रहा।          
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टीचर आप की चूत के लिए तो मैं जहन्नम में भी आऊंगा -कहानी फोटो के साथ BY-" उमा शर्मा "

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"पूण्य का नाम ही केवल न किताबों में लिखो कुछ गुनाहों से भी दुनिया हसीन बनती है।" 

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नमस्कार दोस्तों, कैसे हैं आप सभी , क्या हाल है? मैं आपकी " उमा शर्मा "आपके लिए फिर से हाज़िर हु चुदाई की एक नई दास्तान लेकर. अपने मेरी पुरानी कहानियो को बहुत प्यार दिया और मुझे बहुत सरहा, उसके लिए बहुत सारा थैंक्स. तो आते है उस नई दास्ताँ पर.आशा करती हूँ, आप लोगों को यह कहानी पसंद आएगी।

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जब मैं 12 वी कक्षा में था. मेरी उम्र 19 साल की थी तब. मेरी क्लास टीचर का नाम मिस नेहा था. और वो हमें कंप्यूटर भी पढ़ाती थी. उसकी बोदी नार्मल थी. लेकिन उसके बूब्स यानि की चूचियां एकदम बड़ी बड़ी थी. मैं रोज उन्के बारे में सोचता था. वो सेक्स की देवी थी. एक दिन मैं अपने प्रोजेक्ट के लिए कंप्यूटर लेब में बैठा था और नेहा मिस भी वही पर थी. वो अपनी साडी को ठीक कर रही थी. उसकी बूब्स में खुजली आ रही थी शायद! तब मैंने उसकी जवानी के जाम को अपनी आँखों से पी लिया.मैं उसके बूब्स को देख रहा था वो उसे भी पता था. वो थोड़ी एंग्री हो गई और मुझे बोली, गेट आउट हो जाओ यहाँ से और किसी को बोलना मत.मैं वहां से निकल तो गया लेकिन मिस के बूब्स का वो नजारा मेरे लंड को झंझोड़ गया था और वो नजारा मेरी आँखों से हट ही नहीं रहा था जैसे! फिर इसी वजह से यानी की मिस के खयालो की वजह से मेरी पढ़ाई के ऊपर असर होने लगा था. मैं कंसिस्टेंट कम मार्क्स ले के आने लगा था और फेल भी होने लगा था. मिस ने मुझे एक दिन कंप्यूटर लेब में समझाने के लिए बुलाया.        
 

“लेकिन उस दिन भी मेरी आँखे उसके बड़े बूब्स के ऊपर चली गई. नेहा मिस ने मुझे डांट के वहां से निकाल दिया. उस दिन तो मेरा दिमाग एकदम खराब था और मैंने बाथरूम में जा के अपने लंड को हिला के शांत कर दिया.नेहा मिस मुझे घिन नजरों से देखती थी. और ये घिन कुछ दिन और चली. लेकिन फिर एक दिन ऐसा आया की सब कुछ बदल गया हम दोनों के बिच में.अगस्त का महिना था. स्कुल का टाइम ख़त्म हो गया था. सब फ्रेंड्स निकल चुके थे. लेकिन मैं अपने एक टीचर को मिलने के लिए स्टाफ रूम में गाया जहा पर सब 12 वी के टीचर्स बैठते थे. स्टाफ रूम में कोई नहीं था तो मैंने सोचा की लाओ लेब में देख लूँ. क्यूंकि टीचर्स लोग भी पीसी यूज़ करने के लिए कंप्यूटर लेब में जाते थे.नेहा मिस वही पर थी लेकिन उन्होंने मुझे नहीं देखा था. मैं जैसे ही आगे बढ़ा तो मैंने देखा की वो अपने बूब्स को दबा के मोअन कर रही थी. उसकी मोअनिंग को सुनते ही मेरा तो लंड खड़ा हो गया.”
जब मैं नजदीक पहुंचा तो मैंने देखा की नेहा मेडम ने अपनी चूत के ऊपर एक बड़ा मार्कर पेन दबाया हुआ था और वो उस से मजे ले रही थी. वो मार्कर को चूत पर घिस के हस्तमैथुन का मजा ले रही थी. मैंने उसे देख के कहा, मिस!!! उसने मेरी आवाज सुनी तो उसकी गांड जैसे फट के हाथ में आ गई. उसने मेरी तरफ देखा तो पसीना आ गया उसे और घबरा भी गई. और मार्कर पेन अभी भी उसकी चूत के ऊपर ही रखा हुआ था. मैंने ऐसे एक्टिंग की जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं हे. वो मुझे देख रही थी और मेरा लंड तप चूका था. मैंने अपनी पेंट से लंड को बहार निकाल के उसे दिखाया. मेरे लंड को देख के वो बोली, ये क्या कर रहे हो?   

  • मैंने कहा, आप को मार्कर की नहीं इस चमड़ी  की जरूरत हे मेडम! मेडम ने मेरे लंड को देखा, वो एक 6 इंच का नुकीला  था जिसे देख के नेहा के मुह में पानी आ गया.

  • वो बोली, ये बहार क्यूँ निकाला हे?
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वैसे वो पूछ रही थी लेकिन उसके चहरे के ऊपर लंड को देख के जैसे एक अजीब सी ख़ुशी आ चुकी थी. मैं उसके पास गया और उसकी साडी के ऊपर से ही उसके बूब्स को पकड़ लिए. वो मोअन कर गई. उसकी निपल्स कडक थी और बूब्स भी एकदम सॉफ्ट थे. मैंने कहा, कितने दिनों से आप के बूब्स ने मेरी नींद उड़ा  के रखी थी मिस!
मैंने अपने खड़े लंड को मेडम के हाथ में पकड़ा दिया. वो मेरे लंड को मसलने लगी और बोली,

  • तुम बड़े नोटी हो. मैंने कहा, चूस दो इसे मेडम बहुत दिनों से इसे परेशान किया हे आप ने. वो बोली, जाओ पहले डोर को अंदर से बंद कर के आओ!
मैं डोर बंद कर के वापस आया तो नेहा मेडम ने अपनी चूचियां बहार निकाल दी थी और उसके बड़े निपल्स एकदम काले थे, उन्हें देख के मैं उन्हें चूसने की इच्छा को दबा नहीं सका. मैंने निचे झुक के उन्हें चूसा. मैं मेडम की दोनों जांघो के बिच में बैठा हुआ था. मेडम के मुहं से एक आह निकल गई. मैंने दोनों बूब्स को अपने हाथ में लिया और वन बाय वन चूसने लगा उनको. मेडम की जांघ के ऊपर एक हाथ रखा तो उसकी चिकनी चमड़ी की वजह से मेरे लंड में जैसे आग लग गई.            
“मैंने अपने लंड को हाथ से हिलाया और नेहा मिस के मुहं के सामने रख के कहा, कम ओन सक इट डार्लिंग. नेहा मिस ने अपने कानो के ऊपर आई लट को हाथ से हटाया और मेरे लोडे को चूसने लगी. उसने आधे लंड को अपने मुहं में भर के उसे चूसने लगी थी. नेहा मिस लंड को हिला भी रही थी साथ में. अब मैं बेताब था मेडम की चूत को चोदने के लिए. मैंने कहा. मेडम चलो ना अब अपनी मुनिया मुझे दे दो.”
वो बोली, वाह भाई मुझे चटाया और तुम नहीं चाटोगे मेरी?
मेडम ये कह के अपनी चूत को खोल के बैठ गई कंप्यूटर के टेबल के ऊपर. उसने अपनी पेंटी को निकाल दी और अपनी हेयरवाली चूत को फैला दी. मैंने उसकी चूत में मुहं डाला. उसके अंदर से पसीने की और चूत के पानी की स्मेल आ रही थी. मार्कर पेन ने पहले से ही चूत को गिला कर दिया था.नेहा मिस की चूत को और उसके दाने को थोडा चाट के फिर मैंने अंदर छेद में ऊँगली डाली. नेहा मिस की लम्बी आह निकल पड़ी. मैंने अपनी दो ऊँगली एक साथ उसकी चूत में डाल दी. वो तडप रही थी और मस्ती में उछल रही थी. पांच मिनिट तक मैं उसकी चूत को चूसता रहा. और फिर वो बोली, चलो अब डाल दो मेरी चूत में अपने डंडे को.       

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मैंने नेहा मिस को टेबल के ऊपर एक पाँव रखवा के कुतिया बनाया. उनका दूसरा पाँव निचे था जमीन के उपर. मेडम की मस्त गांड मेरे सामने थी. मैंने अपने लंड के ऊपर थूंक लगा के उसे मेडम की गीली चूत में डाला. मेडम ने एक आह निकाली और मेरा लंड मजे से अन्दर घुस गया. मैंने बूब्स पकडे और उन्होंने नोंचने लगा.मेडम अपनी कमर को मोशन देने लगी थी. और मेरा लोडा मैं उसकी चूत में अन्दर बहार करने लगा था. और मैं उसके बूब्स को एकदम बेदर्दी ढंग से दबा रहा था. मेडम अह्ह्ह अह्ह्ह ओह अहह यस फक मी हार्ड अह्ह्ह्ह अवाऊ आया वाऊ व्हाट आ डिक यु हेव.मैंने मेडम के बाल पकड लिए और उन्हें खिंच के उसे कस कस के पेलने लगा. मेडम की चूत के रस बहार आ गया पांच मिनिट की चुदाई में ही. और वो एकदम मस्ती के मूड में थी. मेरा भी होने को था. मैंने कहा, कहाँ निकालू मेरा रस.
वो बोली, अंदर ही निकालो मेरी जान बहुत दिनों से किसी का नहीं लिया अन्दर. मेडम की गांड के ऊपर स्पेंक करते हुए मैं अन्दर ही झड़ गया. और वो भी चूत को टाईट कर के सब रस को खा गई अपनी चूत से! नेहा मिस और मैंने चुदाई के बाद कपडे पहने. वो बोली, मैं पहले निकलती हूँ तुम कुछ देर के बाद निकलना ताकि वॉचमैन को डाउट ना हो.मैंने उसके बूब्स फिर से दबाये और उसने मेरे लंड को पकड़ के कहा, बड़ा ही मस्त हे ये. और जाते हुए वो मूड के बोली, क्या मैं तुम्हे अपने घर बुलाऊंगी तो आओगे? मैंने कहा, आप की चूत के लिए तो मैं जहन्नम में भी आऊंगा मिस!      
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मम्मी अगर आपको ऐतराज ना हो तो क्या में आपको चोद सकता हूँ-कहानी फोटो के साथ उमा शर्मा

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नमस्कार दोस्तों, कैसे हैं आप सभी , क्या हाल है? मैं आपकी " उमा शर्मा "आपके लिए फिर से हाज़िर हु चुदाई की एक नई दास्तान लेकर. अपने मेरी पुरानी कहानियो को बहुत प्यार दिया और मुझे बहुत सरहा, उसके लिए बहुत सारा थैंक्स. तो आते है उस नई दास्ताँ पर.आशा करती हूँ, आप लोगों को यह कहानी पसंद आएगी।



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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम स्नेहल है और में बी कॉम के आखरी साल में पढ़ता हूँ। दोस्तों यह कहानी उस वक़्त की है जब मेरे पापा उनके किसी काम से कहीं बाहर गए हुए थे। उस वक़्त घर पर में और मेरी सेक्सी मम्मी दोनों ही अकेले थे। दोस्तों में अपनी इस घटना को सुनाने से पहले आप सभी "WORLD NO-1 HINDI PRON STORY WRITER" " उमा शर्मा " के चाहने वालों को अपनी मम्मी का परिचय दे देता हूँ। 

मेरी मम्मी का फिगर 36-24-36 है और वो इतनी सेक्सी लगती है कि कोई भी उनको देखकर उनकी चुदाई करने की इच्छा रखता है। अब में आप लोगों को घुमाना नहीं चाहता और इसलिए में सीधे अपने जीवन के सच्चे अनुभव की तरफ ले चलता हूँ। एक दिन मेरे पापा अपने काम की वजह से वो गोवा गये हुए थे और में घर पर अपनी मम्मी के साथ था।
फिर उस समय मेरी मम्मी सब्जी लेने बाजार में गयी हुई थी और जब वो सब्जी लेकर वापस आई तो वो अपने कपड़े बदलने के लिए कमरे में चली गयी और तब उन्होंने अपना दरवाजा खुला छोड़ दिया। में तुरंत वहां पर चला गया और तब मैंने देखा कि वो उस समय अपना दरवाजा बंद करना भूल गई है और मैंने वहां छुपे छुपे थोड़ा सा दरवाजा खोला और में अंदर देखने लगा। मम्मी ने अपनी साड़ी उतारी और उसके बाद में उन्होंने अपना ब्लाउज भी उतार दिया, जिसकी वजह से अब मम्मी सिर्फ़ अपनी ब्रा और पेंटी में खड़ी हुई थी। अब यह नजारा देखते ही मेरा लंड तुरंत तनकर खड़ा हो गया और में कुछ देर मज़े लेकर अपने कमरे में चला गया और में अपना लंड हाथ में लेकर मसलने लगा। अपने लंड को सहलाने लगा और में कुछ देर बाद में अपने दोस्त के साथ बाहर चला गया।        
फिर जब में लौटकर वापस आया तो मेरी मम्मी ने खाना टेबल पर रख दिया था और में खाना खाकर बाहर के रूम में जाकर सो गया। फिर रात को अचानक मेरी जब नींद खुल गयी तो मैंने देखा कि मेरी सेक्सी मम्मी भी उस समय आगे के रूम में मेरे पास वाले बेड पर सोई हुई है।
करीब 15 मिनट तक में उनको देखता ही रहा और उन्होंने उस समय बहुत ही सेक्सी गाउन पहना हुआ था, लेकिन अब मुझसे रहा नहीं गया और में धीरे से उनके पास जाकर बैठ गया और मैंने मम्मी को धीरे से हिलाया और चेक किया कि वो सो गयी है या अभी जाग रही, लेकिन वो तो उस समय पूरी तरह से सोई हुई थी, इसलिए मैंने थोड़ी हिम्मत करके धीरे से अपना एक हाथ उनके गोरे, बड़े और सेक्सी बूब्स पर रख दिया और मम्मी की तरफ से कोई भी हलचल ना देखकर थोड़ी और हिम्मत करके मैंने थोड़ी देर के बाद अपने दूसरे हाथ से उनके गाउन की चैन को धीरे धीरे खोलना शुरू कर दिया और उसके बाद मैंने अपना एक हाथ उनके बूब्स पर रख दिया और अब में धीरे धीरे उनके बूब्स को दबाने लगा। तब मैंने महसूस किया कि उनके वाह क्या मस्त मुलायम बूब्स थे, वो बहुत ही बड़े आकार के और सेक्सी थे आर मैंने करीब बीस मिनट तक उनके बूब्स को दबाया और उनको सहलाया।                   

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फिर उसके बाद में धीरे से उठकर उनके दोनों पैरों के बीच में जाकर बैठ गया और अब में अपना हाथ धीरे धीरे उनकी चूत के करीब ले गया और फिर में अपने हाथ को उनकी चूत के ऊपर फेरने लगा। में उनकी चूत को छूकर महसूस करने लगा और सहलाने लगा। मुझे यह सभी काम करने में बहुत मज़ा आ रहा था। तभी थोड़ी देर के बाद अचानक से मेरी मम्मी जाग गयी और तब उन्होंने देखा कि मेरा हाथ उनकी चूत पर है तो वो यह सब देखकर एकदम घबरा गई, तो उसी समय मैंने उनसे बोला कि मम्मी अगर आपको ऐतराज ना हो तो क्या में आपको चोद सकता हूँ।
 दोस्तों मम्मी मेरे मुहं से यह बात सुनकर पहले से ज्यादा घबरा गई। वो मेरी उस बात को सुनकर बड़ी चकित थी और इसलिए वो मुझसे बोली कि तुझे पता भी कि तू मुझसे यह सब क्या कह रहा है और अगर तेरे पापा को यह बात पता लगी तो क्या होगा, तुम्हे मालूम है? मैंने कहा कि किसी को कुछ भी पता नहीं पड़ेगा और में किसी से कुछ नहीं कहूँगा और आप भी मत बताना। उसके बाद मैंने अपनी माँ को बहुत देर तक समझाया तब जाकर वो तैयार हुई और उनकी तरफ से हाँ सुनकर अब मुझे कौन रोक सकता था? इसलिए में तुरंत कूदकर अपनी मम्मी पर चड़ गया और में उनको होंठो पर किस करने लगा।                                 
फिर कुछ देर बाद मम्मी भी मुझे अपने होठों से अपना जवाब देती हुई मेरा साथ देने लगी थी, उनका जोश देखकर मैंने सही मौका समझकर मम्मी का वो गाउन पूरा उतार दिया और अब मैंने उनको अपने सामने पूरा नंगा कर दिया। अब मम्मी ने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए और वो मेरे लंड को अपने मुहं में लेकर लोलीपोप की तरह चूसने लगी, जिसकी वजह से हम को बहुत मज़ा आने लगा और थोड़ी देर के बाद मैंने मम्मी को बेड पर लेटा दिया और अब में दोबारा उनके ऊपर चड़ गया और मैंने अपना तनकर खड़ा लंड उनकी चूत के छेद पर रखकर एक ज़ोर का झटका लगा दिया।
फिर उसकी वजह से मम्मी के मुहं से सस्स्स्स्सस्स आह्ह्ह्हह्ह आईईईई ज़ोर से आवाज़ निकल गयी और में उनकी चीख को सुनकर एकदम से घबरा गया कि कहीं मेरे जोरदार धक्के के वजह से मम्मी की चूत फट तो नहीं गई और अगर ऐसा हुआ तो हमारे सामने समस्या खड़ी हो जाएगी और यह बात सोचकर में बहुत ज्यादा डर गया। उस दर्द की चीख की वजह मैंने मम्मी से भी पूछा, तो मम्मी ने मुझसे बोला नहीं बेटे अभी मेरी चूत नहीं फटी है,
 लेकिन अब तुम मेरी चूत को फाड़ दो और मेरी इस प्यास को बुझा दो, तुम मुझे आज अच्छी तरह जमकर चोदो और मुझे चुदाई का पूरा मज़ा दे दो। वैसे भी मुझे यह सब करे हुए बहुत समय हो गया है, क्योंकि तुम्हारे पापा को समय ही नहीं मिलता या वो बहुत थके होते है। अब मैंने उनके मुहं से यह बात सुनकर बहुत खुश होकर में अब ज़ोर ज़ोर से धक्के देने लगा और मम्मी भी नीचे से ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाती हुई मेरे धक्को का जवाब देती रही। इस तरह हम दोनों ने करीब आधे घंटे तक धक्के देकर चुदाई के बहुत मज़े लिए उसके बाद मैंने मम्मी से कहा कि अब आप उल्टा लेट जाओ और अब में आपकी गांड मारूँगा।                       
फिर यह बात सुनकर मम्मी ने मुझसे कहा कि नहीं बेटे तेरे पापा ने आज तक मेरी गांड नहीं मारी, हाँ उन्होंने कभी कभी मेरी गांड में अपनी ऊँगली जरुर डाली, लेकिन कभी लंड नहीं डाला। तुम रहने दो मुझे बहुत दर्द होगा और अब तू मेरी गांड मारेगा तो शायद वो आज फट जाएगी और उसका छेद भी बहुत छोटा और टाईट है इसमे तुम्हारा मोटा लंबा लंड नहीं जाएगा और तू तो अपना यह लंड मेरी चूत में डालकर ही इसके साथ मज़े कर ले। फिर मैंने मम्मी से कहा कि पहली बार आपको थोड़ा सा दर्द जरुर होगा, लेकिन उसके बाद में आपको बहुत अच्छा लगेगा और आपको मेरे साथ अपनी गांड में लंड लेने में बड़ा मज़ा आएगा और मेरे समझाने पर मम्मी तैयार हो गई और में उनके ऊपर आ गया।
फिर मैंने अपना लंड मम्मी की गांड के छेद पर रख दिया और एक ज़ोर का झटका दिया जिसकी वजह से मेरा आधा लंड मम्मी की गांड में घुस गया, लेकिन दर्द की वजह से मम्मी अब बहुत ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी और वो मुझसे कहने लगी कि बाहर निकाल तेरा लंड ऊऊईईईईईईईइ माँ में मर गई निकाल इसको बाहर वरना यह मेरी गांड को फाड़ देगा ऊउफ़्फ़्फ़ मुझे बहुत दर्द हो रहा है आह्ह्हह्ह में मर जाउंगी प्लीज अब बाहर निकाल इसको,                                             
 लेकिन में तो उनकी बात को सुने बिना अब और भी ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था।
फिर कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि अब मम्मी को भी मुझसे अपनी गांड मरवाने में बड़ा मज़ा आने लगा था और इसलिए वो भी अब अपनी तरफ से ज़ोर ज़ोर से धक्के देने लगी और थोड़ी देर के बाद मैंने वापस मम्मी को सीधा लेटा दिया और मैंने दोबारा उनकी चूत में अपना लंड डाल दिया। में उनको जोरदार धक्के देकर चोदने लगा और जब मेरा वीर्य निकलने वाला था तो मम्मी से पूछा कि में इसको कहाँ निकालूं? तब उन्होंने मुझसे बोला कि तुम अपना लंड मेरी चूत से बाहर मत निकालना और तुम अपना वीर्य मेरी चूत में ही डाल देना और अब मैंने ठीक वैसा ही किया मैंने जोरदार धक्को के साथ अपना पूरा वीर्य उनकी चूत की गहराइयों में ही डाल दिया।
उसके थोड़ी देर के बाद मैंने हम दोनों उठकर साथ में बाथरूम में नहाने चले गए। हम साथ में नहाने लगे और नहाकर वहां से बाहर निकलने के बाद हमने एक बार फिर से सेक्स किया और मस्त चुदाई के मज़े लिए और उसके बाद में खाना खाकर सो गया। दोस्तों सच कहूँ तो उस चुदाई से हम दोनों ही बहुत खुश थे, जिसमे उन्होंने भी मेरा पूरा पूरा साथ दिया और हमने चुदाई के मस्त मज़े लिए ।  
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मैंने देखा पाप बुआ की चूत चोदने लगे -कहानी फोटो के साथ BY-" उमा शर्मा "

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"पूण्य का नाम ही केवल न किताबों में लिखो कुछ गुनाहों से भी दुनिया हसीन बनती है।" 


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नमस्कार दोस्तों, कैसे हैं आप सभी , क्या हाल है? मैं आपकी " उमा शर्मा "आपके लिए फिर से हाज़िर हु चुदाई की एक नई दास्तान लेकर. अपने मेरी पुरानी कहानियो को बहुत प्यार दिया और मुझे बहुत सरहा, उसके लिए बहुत सारा थैंक्स. तो आते है उस नई दास्ताँ पर.आशा करती हूँ, आप लोगों को यह कहानी पसंद आएगी।

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हैलो दोस्तो, मैं अर्शदीप कौर उर्फ चुद्द्कड़ अर्श  हाजिर है आपके सामने एक और गर्मा-गर्म चुदाई की कहानी के साथ। सभी खड़े लंडों और फैली चूतों का चुद्द्कड़ अर्श का प्यार भरा सलाम। अपने मुंह चूत और गांड में लंड लेकर हिलाते हुए आपके सामने कहानी पेश कर रही हूं शर उम्मीद करती हूं कि कहानी पढ़ने के बाद सभी लड़कों के लंड चुदाई केलिए उतावले हो जाएंगे और लड़कियों की चूत एवं गांड लंड लेने केलिए तड़प जाएंगी।
जिस लड़का-लड़की को घर में चूत या लंड मिलता है मतलब जो भाई-बहन, बाप बेटी या मां बेटा आदि वो खूद को चुदाई करने से रोक नहीं पाएंगे। बाकी लड़के अपना लंड हिला कर और लड़कियां चूत में ऊंगली लेकर अपनी गर्मी जरूर निकालेंगे। ये कहानी मेरी चुदाई की नहीं है बल्कि मेरे पापा और बुआ (पापा की बहन) की चुदाई की है जिसे मैंने अपनी आंखों से देखा था।

मेरे पापा का नाम जसवंत है और उनकी आयु 44 साल है। पापा का कद 5 फीट 10 इंच और रंग साफ है। पापा का डील डौल बहुत अच्छा और चेहरा बहुत आकर्षक है। पापा को क्लीन शेव चेहरे से लाली झलकती है और आंखों एवं बालों का रंग गहरा काला है। पापा का लंड काफी लंबा, मोटा, जानदार और तगड़ा है। पापा की एक छोटी बहन है जो पापा से 5 साल छोटी है।

ये कहानी 7 साल पुरानी है, तब पापा की आयु 35 साल थी। बुआ का नाम किरन है और तब उनकी आयु 30 साल थी। बुआ का रंग बहुत गोरा और कद 5 फीट 5 इंच है। बुआ की फिगर बहुत सेक्सी है उनकी फिगर का नाप 36-28-36 है और ब्रा का कप डी साईज का है। बुआ शादीशुदा हैं और उनका एक बेटा भी है। एक बच्चे की मां होने के बावजूद उनका बदन कसा हुआ है और उन्होंने ने अपनी फिगर को मेंटेन करके रखा है।                                

बिस्तर पर हर औरत को संतुष्टि देने का सीधा तरीका: सेक्स के पहले…बिस्तर पर हर औरत को संतुष्टि देने का सीधा तरीका: सेक्स के पहले… लंड को पर्वत जैसा बनाने के लिए, चोदने के १० मिनट पहले आधा ......खाएंलंड को पर्वत जैसा बनाने के लिए, चोदने के १० मिनट पहले आधा ......खाएं बीवी सदमे में है! मेरा लिंग 7 सेमी लंबा और 4 सेमी मोटा हो गया! मैंने लिया बस...बीवी सदमे में है! मेरा लिंग 7 सेमी लंबा और 4 सेमी मोटा हो गया! मैंने लिया बस...
बुआ के बूब्ज़ और गांड उभरे हुए हैं और पेट समतल है। बुआ के बूब्ज़ और चूतड़ काफी बड़े-बड़े और गोल हैं। बुआ का बदन भरा हुआ, टाईट और चिकना है। बुआ की आंखों एवं बालों का रंग भूरा है और गुलाबी होंठ थोडे़ मोटे और शेप में हैं। बुआ की जांघों का क्या कहना वो भरी हुई और चिकनी हैं। बुआ के बूब्ज़ के निप्पलों का रंग हल्का गुलाबी है। बुआ दिखने में किसी पोर्न स्टार से भी सेक्सी है। उनकी खूबसूरती देखकर मुझे भी कभी-कभी जलन होती है।


बुआ हमेशा सलवार कमीज और बिना हील के जूती पहनती है। ऐसी ड्रेस में भी वो बहुत सेक्सी लगती है। बुआ को देखकर किसी भी मर्द का दिल उसे चोदने को करेगा। बुआ का सेक्सी बदन देखकर किसी ना मर्द के लंड में भी हलचल होने लगती होगी। मैं बुआ और पापा को बहुत शरीफ समझती थी लेकिन उनका वो सेक्सी अवतार देखकर मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं।

उसके बाद मैंने पापा पर नज़र रखनी शुरु की और उनका फोन छुपकर सुनने लगी। तब मुझे मालूम हुआ कि मेरे शरीफ पापा बहुत सी चुद्दकड़ औरतों के चोदू यार हैं और बुआ भी बहुत चुद्दकड़ है और अपनी शादी से पहले से ही पापा से चुदती आ रही है।        
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बुआ का ससुराल हमारे गांव से थोड़ी दूर दूसरे गांव में है। फूफा जी एक अरब देश में काम करते हैं और चार साल बाद एक महीने केलिए आते हैं। मेरी मम्मी जब भी कहीं बाहर जाती है तो बुआ घर संभालते को आ जाती है। मेरी मम्मी कभी मौसी के, कभी मामा के घर तो कभी किसी और रिश्तेदारी में चली जाती। मेरा रूम बिल्कुल पापा के साथ वाला है और बुआ का सामने। मैंने रात में कई बार खिड़की से पापा को बुआ के रूम में या बुआ को पापा के रूम में जाते देखा था।

मुझे लगा भाई-बहन बैठ कर बातें करते होंगे। लेकिन शक मुझे तब हुआ जब सुबह के चार बजे मुझे पापा के दरवाजे की आवाज़ सुनाई दी और मैंने खिड़की से देखा तो बुआ अपने कपड़े ठीक करते हुए अपने रूम में जा रही थी। उसकी अगली रात मैने छुपकर देखने की कोशिश की लेकिन दरवाजे और खिड़की के पर्दों से कुछ नहीं दिखा सिर्फ पापा और बुआ की कामुक आवाज़ें सुन रही थीं। मैंने लगातार दो रात उनकी चुदाई देखने की कोशिश की लेकिन देख नहीं पाई।

एक दिन बुआ मेरे स्कूल जाने के टाईम से पहले आ गई और पापा भई गांव में ही काम गए हुए थे। मैं बुआ को स्कूल जाने का बोलकर निकल गई लेकिन मेन गेट से वापस आ कर छुप गई। बुआ ने मेन गेट को ताला लगा दिया और नहाने चली गई। बुआ बहुत खुश लग रही थी। मैंने पापा और बुआ के रूम के पर्दों को ऐसे सैट कर दिया के मैं बाहर से रूम का नजारा देख सकूं और मैं अपने रूम में छुप गई। थोड़ी देर बाद पापा आ गए।

मैंने अपने रूम से देखा कि अंदर आते ही दोनों बालकनी में लिपट कर एक-दूसरे को चूमने लगे। बुआ ने पापा से कहा आज बालकनी में चुदाई करेंगे और पापा को पांच मिनट रुकने को बोलकर बुआ अपने रूम में चली गई। पापा और बुआ ने मेरा काम आसान कर दिया, अब मैं अपने रूम से उनको देख सकती थी।                                        
कुछ देर बाद बुआ अपने रूम से बाहर निकली और मेरी आंखें खुली की खुली रह गई। बुआ ने मेरी स्कूल वाली लाल और सफेद चैॅक की स्कर्ट और गुलाबी रंग की शर्ट पहनी हुई थी। बुआ ने पैरों में मम्मी के हाई हील के सैंडिल पहने हुए थे। जब बुआ पापा की तरफ अपनी उभरी हुई मोटी गांड, पतली कमर और बूब्ज़ हिलाते हुए आ रही थी तो आग लग रही थी। मुझे बुआ का ये सेक्सी अवतार देखकर बहुत ज्यादा जलन हुई।

बुआ ऐसे कपड़े पहन कर जब पापा के सामने आई तो पापा उसको ऊपर से नीचे तक निहारते हुए मंत्र मुग्ध से हो गए। पापा की नींद बुआ की आवाज़ से टूटी।

बुआ : क्या हुआ भईया, कहां खो गए।

पापा : कुछ नहीं किरन, आज पहली बार तुझे ऐसी ड्रेस में देखा है। तुम बहुत सेक्सी लग रही हो। पहले तुझे सिर्फ सलवार कमीज में ही देखा है।

बुआ : आज घर में कोई नहीं है तो मैंने सोचा ऐसी ड्रेस ट्राई करके देखती हूं। पहले अर्श के घर होने से छुपकर चुदाई करनी पड़ती थी और आज खुल कर मजे लेंगें।
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पापा : उफफ अर्श का नाम मत लो किरन, मुझे कुछ-कुछ होने लगता है। साली अपनी मां की तरह बहुत गर्म माल है। जब सामने होती है तो उसकी चाल और अदा में मुझे एक चुद्दकड़ रंडी दिखती है। दिल करता है साली को चोद दूं। मैंने उसे गर्म करने की बहुत बार कोशिश भी की है लेकिन पटी नही। अगर मेरी बेटी न होती तो कब का उसके सेक्सी बदन के मजे ले लेता।                    

पापा के मुंह से ये बात सुनकर मैं दंग रह गई। मुझे ख्याल आया कि पापा मेरे गुदगुदी करते रहते हैं और मेरे बूब्ज, गांड और मेरी चूत पर भी हाथ फेर देते हैं। मुझे लगता था ऐसे ही हाथ लग जाता होगा लेकिन अब मालूम हुआ कि वो मेरे बदन का मजा लेने केलिए और मुझे गर्म करने केलिए करते थे ताकि मुझे चोद सकें। 
बुआ : बेटी है तो क्या हुआ, मैं भी तुम्हारी बहन हूं। मुझे चोद सकते हो तो वो भी चुद जाएगी।
पापा : तुम्हारी बात अलग है किरन, तुम तो चुदने केलिए तैयार थी और जब हम खेल खेल में एक-दूसरे से चिपक गए थे, तुम तभी गर्म हो गई थी और रात को सील भी तुड़वा ली थी। लेकिन अर्श गर्म होकर भी लाईन नहीं दे रही और मुझे लगता है वो पहले से ही चुदी हुई है।
बुआ : अरे भईया अर्श को बाद में पटा लेना, आज नहीं तो कल आपका लंड उसकी चूत में होगा। आप उसे चोदोगे जरूर। आप जैसे चोदू आदमी से कब तक भागेगी। खुद को शरीफ कहलाने वाली मेरी सहेलियां भी आपके लंबे मोटे लंड के सामने लार टपकाती हुई चुदने लगती थीं। अब उसको भूल जाओ और मजे करते हैं। बहुत साल बाद ऐसे खुल्लमखुल्ला चुदाई करने का मौका नसीब हुआ है।
पापा : हां किरन तुम्हारी शादी से पहले हम खेत वाले रूम में ऐसे खुल्लमखुल्ला चुदाई करते थे। चलो फिर से वही मजा करते हैं।
पापा कुर्सी पर बैठे हुए थे और बुआ ने सामने खड़ी होकर अपनी शर्ट के बटन खोल दिए। बूआ ने लाल रंग की हॉफ़ ब्रा पहनी हुई थी जिस में बुआ के आधे से ज्यादा बूब्ज बाहर झलक रहे थे। बुआ ने अपनी शर्ट उतार कर पापा पर फेंक दी और पापा के सामने बूब्ज और गांड हिलाते हुए सेक्सी डांस करने लगी। पापा उसको सेक्सी नज़रों से निहारते हुए अपनी लोअर से अपना लंड निकाल कर सहलाने लगे।         
बुआ पापा के पास आई और पापा के लंड पर चुम्मा लेकर लोअर एवं अंडरवियर निकाल दिया। पापा ने बुआ की जींस का बटन और जिप खोलकर जींस को निकाल कर फेंक दिया। बुआ ने पैंटी नहीं पहनी थी और पापा ने बुआ की शेवड चिकनी चूत पर चुम्मा ले लिया। बुआ ने पापा की टी शर्ट निकाल कर उनकी छाती को सहलाया। पापा नए बुआ के ब्रा की हुक खोलकर ब्रा निकाल कर सूंघते हुए फेंक दिया और बारी बारी से बुआ के दोनों बूब्ज़ को चूमा।
बुआ और पापा एक-दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे थे और बुआ पापा के सामने हाई हील के सैंडिल में गांड हिलाकर डांस करने लगी। पापा उनके सेक्सी डांस को देखकर उत्तेजित होकर अपना लंड जोर से मसलने लगे। अचानक पापा खड़े हो गए और बुआ पापा से लिपट गई। बुआ ने कसकर पापा को अपनी बांहों में भर लिया और अपने बड़े-बड़े बूब्ज़ पापा की छाती में दबा दिए।
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पापा अपनी छाती से बूब्ज़ रगड़ते हुए बुआ के उभरे हुए बड़े-बड़े गोल चूतड़ दबाने लगे और उनकी भरी हुई जांघों को सहलाने लगे। बुआ और पापा एक-दूसरे के कानों और गालों को चूमने लगे और मुंह में भरकर चूसने एवं काटने लगे। उन दोनों को देखकर मैं भी गर्म होने लगी और अपनी चूत सहलाने लगी।

बुआ ने पापा का चेहरा पीछे खींच कर अपने नर्म होंठ पापा के होंठों पर रख दिए और दोनों एक-दूसरे के होंठों का रसपान करने लगे। बुआ और पापा एक-दूसरे के होंठों को मुंह में भर कर खींच कर चूसने लगे। धीरे-धीरे दोनों बहुत गर्म हो गए और जंगली हो गए। वो एक-दूसरे के मुंह में जीभ डालकर घुमाने लगे और एक-दूसरे की जीभ को बहुत जोर से चूसते माने जीभ को खा जाएंगे।

अब दोनों और भी ज्यादा गर्म हो रहे थे और एक-दूसरे के होंठों को दांतों से काटने लगे। बुआ अपने हाथ पापा की पीठ पर बहुत जोर से रगड़ते हुए उनकी पीठ में नाखून गढा़ने लगी और पापा बुआ के चूतड़ बहुत बेरहमी से मसलने लगे।              

बुआ ने पापा को कुर्सी पर बैठा दिया और किचन से जैम की बोतल ले आई। बुआ ने पापा के सामने खड़ी होकर अपने बूब्ज़ एवं निप्पलों पर जैम मसल लिया और बूब्ज़ पापा के मुंह के पास कर दिए।

पापा ने पहले बुआ के बूब्ज़ पर जीभ घुमा घुमा कर चाटा और फिर बुआ के निप्पलों को जीभ से चाटते हुए मुंह में भरकर चूसने लगे। बुआ जोर जोर से पापा का सिर अपने बूब्ज़ पर दबा रही थी और पापा उतनी ही जोर से बुआ के बूब्ज़ को चूस रहे थे। जब पापा उनके बूब्ज़ या निप्पलों को दांतों से काटते तो बुआ के मुंह से आहह… निकल जाती और वो अपने नीचे वाले होंठ को दांतों तले दबा लेती।

पापा ने बोतल से और जैम निकाल कर बुआ के नाजुक चिकने पेट पर मसल दी और जीभ से मजे लेकर चाटने लगे और बुआ मस्ती में मचलने लगी। जब पापा बुआ की नाभि में जीभ घुसा कर चूसते तो बुआ मस्ती में छटपटाने लगती और पापा के बालों को भींचने लगती।

बुआ ने पापा को खड़ा करके उनकी छाती पर जैम लगा दी और जीभ से चाटने लगी। बुआ ने पापा की छाती पर जीभ घुमा घुमा कर सारी जैम साफ कर दी और उनकी छाती के निप्पलों को मुंह में खींच खींच कर चूसने लगी। बुआ ने पापा की छाती को चूसते और दांतों से काटते हुए अपनी एक ऊंगली पर जैम लगाकर पापा के मुंह में दे दी जिसे पापा बुआ के सिर को अपनी छाती पर दबाते हुए चूसने लगे।
अब बुआ कुर्सी पर बैठ गई और पापा की कमर में हाथ डालकर अपने करीब खींच लिया। बुआ ने पापा के पेट पर जैम मसल दी और जीभ से चाटते हुए पापा के पेट पर दांत गढा़ने लगी। पापा बुआ के सिर को अपने पेट पर दबाते हुए मस्त हो रहे थे और बुआ पापा की पीठ सहलाते हुए चुदाई की दुनियां में खो रही थी।     
बुआ ने बोतल से और जैम निकाली और पापा के लंबे मोटे लंड और उनके अंडकोष पर लगा दी। बुआ पहले पापा के अंडकोषों को जीभ से चाट कर साफ करने लगी और फिर अंडकोषों को मुंह में लेकर चूसने लगी। पापा के मुंह से आहह… आहह.. की सिसकियां निकलने लगी।

अब बुआ पापा के लंड को चाट चाट कर साफ करने लगी। लंड को साफ करने के बाद बुआ पापा के लंड के लाल लाल टोपे को जीभ से चाटने लगी और पूरा लंड मुंह में ले लिया। बुआ पूरा लंड मुंह में लेकर मस्ती में चूसने लगी और पुचच… पुचच… की आवाज़ें निकालने लगी।
पापा ने बुआ का सिर कस कर पकड़ लिया और बुआ के मुंह में झटके देने लगे। पापा आंखें बंद कर के बुआ का मुंह से गले की गहराई तक लंड घुसा कर बुआ का मुंह चोदने लगे और बुआ एक चुद्दकड़ रंडी की तरह मुंह चुदाई का आनंद ले रही थी। पापा का लंड बुआ के गले के अंदर-बाहर होने से गप्प… गप्प… की आवाज़ें आने लगीं और माहौल एकदम कामुक हो चुका था।पापा ने बुआ को पास पड़ी चारपाई पर लेटा लिया और खुद 69 अवस्था में बुआ के ऊपर लेट गए। पापा ने बुआ की टांगें खोलकर उनकी चूत पर अपना मुंह रख दिया और अपने लंड को बुआ के होंठों पर लगा दिया। पापा अपनी जीभ से बुआ की चूत चाटने लगे और बुआ ने अपना मुंह खोलकर लंड को अंदर ले लिया। पापा बुआ की चूत में जीभ घुसा कर चाटने लगे और बुआ पापा का लंड चूसने लगी।           
कुछ देर बाद पापा अपनी गांड हिलाकर बुआ का मुंह चोदने लगे और बुआ नीचे से गांड उचका उचका कर पापा के चेहरे पर चूत रगड़ने लगी। इस लंड और चूत चुसाई में गप्प… गप्प… और सपड़… सपड़… की आवाज़ें गूंजने लगीं। पूरा माहौल चुदाई की रंगत में रंगा गया और मैं अपनी दो ऊंगलियों से अपनी चूत की खुजली मिटा रही थी।
बुआ और पापा अब असली खेल पर आ गए। पापा ने बुआ को चारपाई पर सीधा लेटा लिया और टांगें खोलकर अपना लंड बुआ की चूत पर टिका दिया।
पापा : तैयार हो मेरी रंडी बहना, अपने भाई का लंड खाने को।
बुआ : आपके दमदार लंड की तो मैं दीवानी हूं भईया और इस लंड से चुदने केलिए तो ही यहां आती हूं। आज एक बार में ही पूरा लंड अंदर उतार देना।
पापा : (बुआ की चूत पर जोरदार शाॅट मारकर पूरा लंड अंदर घुसाते हुए) तेरी चूत तो एकदम टाईट है किरन। तेरी चूत आज भी उतनी ही टाईट और गर्म है जितनी 14 साल पहले थी। ऐसा लगता है जैसे एक दो बार ही चुदी हो। तुझे चोद कर मजा आ जाता है।
बुआ : ( पापा का लंड अंदर जाने से चीखने के बाद ) मुझे भी आपके लंबे मोटे लंड से चुदने के बाद ऐसा लगता है जैसे जंनत की सैर कर ली हो। मैं बहुत से मर्दों से चुद चुकी हूं, किसी का लंड लंबा होता है किसी का मोटा। और बहुत का लंड तो जानदार होता है पर चुदाई आप जैसे नहीं करता।                                                              
पापा ने कुछ देर लंड को बुआ की चूत में ऐसे ही रखा। अब बुआ नीचे लेटे-लेटे अपनी गांड हिलाने लगी और पापा ने लंड को बाहर खींच कर फिर लंड बुआ की चूत में पेल दिया। पापा ऊपर से बुआ की चूत चोदने लगे और बुआ नीचे से गांड उठा उठाकर लंड को अंदर-बाहर करने लगी।
पापा ऊपर से और बुआ नीचे से जोर जोर से गांड पटक पटक कर जोरदार धक्कों से ताबड़तोड़ चुदाई करने लगे और बुआ के बड़े-बड़े बूब्ज़ ऊपर-नीचे उछलने लगे। पापा ने बूआ के ऊपर लेट कर होंठों पर होंठ रख दिए और बुआ के बूब्ज़ पापा की छाती में गढ़ गए। पापा बुआ के होंठों को मुंह में खींच कर चूसते हुए गांड उठा उठाकर चूत चोदने लगे।
पापा ने बुआ की टांगें सीधी कर लीं और पैर छत की तरफ उठा लिए। पापा ने बुआ की कमर के नीचे तकिया लगा कर गांड को ऊपर कर लिया। पापा ने बुआ की गांड और अपने लंड पर देशी घी मसला और बुआ की गांड के छेद पर लंड लगा दिया। पापा ने एक शाॅट मारा और आधा लंड बुआ की गांड में घुस गया और दूसरे शाॅट में पूरा लंड गांड में समा गया।
पापा ने बुआ की टांगों को कसकर पकड़ा और जोर जोर से बुआ की गांड चोदने लगे। पापा के हर शाॅट से बुआ के बड़े-बड़े बूब्ज़ हवा में उछल-कूद करते और बुआ मस्ती में ऊंची-ऊंची चिल्लाने लगती। बुआ के चिल्लाने से पापा का जोश और बढ़ जाता और वो और जोर से चोदने लगते।
पापा ने बुआ को कुर्सी पर एक टांग मोड़कर खड़ी कर दिया और पीछे से चूत में लंड पेल दिया। पापा पीछे से बुआ की चूत में लंड पेलने लगे और बुआ आगे-पीछे होकर चूत चुदाई का मजा लेने लगी। पापा बहुत जोर जोर से बुआ की चूत चोदने लगे और बुआ के बूब्ज़ हवा में लहराने लगे। पापा ने लंड को चूत से निकाला और ऐसे ही पीछे से लंड बुआ की गांड में ठूंस दिया। पापा जोर जोर से बुआ की गांड चोदने लगे और बुआ बडे़ मजे से आंखें बंद किए हुए चुद रही थी।                          पापा कुर्सी पर बैठ गए और उनका लंड ऊपर को तना हुआ था। बुआ ने पापा के कंधों पर हाथ रखे और कुर्सी पर घुटने मोड़कर अपनी चूत पापा के लंड पर टिका कर बैठ गई।
बुआ ने अपने बूब्ज़ पापा के मुंह पर लगा दिए और गांड को नीचे धकेल दिया। पापा का लंड बुआ की चूत में समा गया और बूआ के मुंह से मस्ती भरी आहह निकल गई। बुआ अपने बूब्ज़ को पापा के मुंह पर मारती हुई लंड पर उछलने लगी और पापा बुआ की कमर को पकड़ कर ऊपर-नीचे करते हुए बुआ को चोदने लगे।                                       
बुआ ने अपनी कमर ऊपर उठा कर चूत से लंड निकाल दिया और गांड का छेद लंड पर टिका कर गांड को नीचे धकेल दिया। बुआ ने अपने उछल रहे बूब्ज़ पर पापा के हाथ रख दिए। पापा ने बुआ के बूब्ज़ को कसकर पकड़ा और बुआ उछल उछल कर पापा का लंड अपनी गांड में लेने लगी। पापा भी बुआ के बूब्ज़ को दबाते हुए गांड चोदने लगे।
बुआ ने लंड को गांड से निकाल दिया और दीवार से सट कर खड़ी हो गई और अपने हाथों से अपने चूतडो़ं की फांकें फैला दीं। पापा ने बुआ की गांड के छेद पर लंड रखा और बुआ के बूब्ज़ को हाथों में पकड़ कर लंड को बुआ की गांड में घुसा दिया। पापा बुआ के कान को मुंह में भरकर चूसते हुए बुआ की गांड को ताबड़तोड़ झटकों से चोदने लगे। बुआ भी अपनी गांड गोल गोल घुमा कर चुदने लगी। पापा ने बुआ को चारपाई पर एक टांग रखकर खड़ी कर दिया और सामने से खड़े-खड़े चूत में लंड पेल दिया।          
दोनों एक-दूसरे से कस कर लिपट गए और फिर से ताबड़तोड़ धक्कों का दौर चालू हो गया। दोनों एक-दूसरे से ऐसे लिपटे हुए थे कि उनके बीच हवा भी नहीं निकल सकती थी। दोनों अपनी गांड आगे-पीछे करके एक-दूसरे से जोरदार शाॅट मार रहे थे।पापा ने बुआ को चारपाई पर उल्टा लेटा दिया। बुआ ने अपने हाथ पीछे करके अपने चूतडो़ं की फांकें फैला लीं और पापा ने ऊपर आ कर उनकी गांड में लंड डाल दिया। पापा जोरों से बुआ की गांड चोदने लगे और चारपाई हिलते हुए चू़ चूं चीं चीं की आवाज़ें करने लगी।
अब पापा ने बुआ को कुर्सी के सहारे झुका कर खड़ी किया और पीछे से बुआ की चूत चोदने लगे। बुआ भी गांड उचका उचका कर चूत चुदवाने लगी। अचानक दोनों के जिस्म अकड़ने लगे और ठंडी आहह के साथ झड़ गए। पापा का लंड बुआ की चूत से बाहर आ गया और पापा का वीर्य बुआ की चूत से नीचे टपकने लगा।                               
बुआ ने पापा का लंड चाट कर साफ कर दिया और पापा को आई पिल लाने को बोला। तब उनकी बात से मालूम हुआ कि बुआ का बेटा भी पापा की औलाद है। पापा बाईक लेकर आई पिल लेने चले गए और बुआ रूम में जाकर लेट गई। मैं धीरे से घर से निकली और अपने एक यार से चुदवा कर गर्मी निकाली।
मैं छुट्टी के टाईम घर आकर लेट गई और आज की चुदाई के बारे में सोचने लगी। बुआ और पापा की चुदाई के बारे सोचते-सोचते एक दम से याद आया कि मेरी मम्मी भी मेरे मामा के रूम में बहुत देर तक दरवाजा बंद करके मामा के साथ रहती है। मुझे उन पर भी शक हुआ और उन पर भी नज़र रखने लगी।  
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New In Desibee

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Hi all

I am Rahul and am new here. I'm into couples and mature female. Without any disrespect, please no gay/ homosexual requests...
Most importantly I am here to make some really cool friends. Hope to meet some of you very soon!!

मैं बस एक गुडिया की तरह बेजान रही.

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FRIEND"S I M "ANITA GUPTA" FROM  GWALIOR.INJOY MY ORIGINAL POST ONLY WORLD NO-1 XXX PHOTO OR SEX STORIE SITE "WWW.DESIBEES.COM 


हेल्लो फ्रेंड्स मेरा नाम  "ANITA GUPTA" हैं और आज मैं अपनी एक फ्रेंड टीना के सेक्स अनुभव को शेयर करने के लिए आई हूँ. टीना ने ही मुझे बोला था उसकी ये हिंदी सेक्स कहानी आप लोगो के साथ seyar करने के लिए. उसने मुझे मुहं से बताया जिसे मैं लिख रही हूँ. मैं ये कहानी टीना ने जो बताया उस हिसाब से लिख रही हूँ.

मैं एक बहुत ही सुन्दर लड़की हूँ और मेरा रंग थोड़ा घेहूँआ हैं. और मेरा बॉडी एकदम ही सेक्सी हैं. मेरा फिगर 36 26 36 हैं. मैं मुंबई के अन्दर एक मल्टीनेशनल कम्पनी में काम करती हूँ. और आज की ये कहानी मेरी ऑफिस के बॉस लोगो के साथ मेरे सेक्स के अनुभव की हैं. उस वक्त शाम के 5 बजे थे. मेरा घर जाने का वक्त हो चूका था. तभी ऑफिस के माइक पर अनाउंसमेंट हुई की बंगलौर से कंपनी के कुछ बिग बॉस लोग रहे हे और वो लोग ऑफिस के कलिग लोगो के लिए कुछ जरुरी अनाउंसमेंट करेंगे.

 

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me meri behen or blue film

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to dosto ek naye story ke shath please comment


Mera naam Suresh h. Main apne parivaar k sath delhi me rehta hu. Meri age 18 saal h. Meri family me mere alawa meri maa, papa n behen h. Behen ka naam Esha h. Uski age 21 saal h. Main sidha story pe ata hu.
Main bchpan se hi sex ka bhuka tha. Magazines, internet , blue film, hr cheez se mjhe bhot pyar tha. But main ye addictn sirf apne tk rkhta tha. Kisiko bhnk ni hone deta tha. Jb ghr pe koi hota nai tha , tb hi aise kaam krta tha.
Ek saal pehle ki baat h. Main subhe park se ghr aya. Ghar pe meri behen k alawa aur koi ni tha. Maine usse pucha ki mom- dad kahan h. Usne btaya ki nana ki tbiyt achank se khrab hogyi h....dad mom ko lekar jaipur gye hn....ab prso hi aynge.
Main pehle toh nana ko leke chintit hua. Bt fir socha ki shayad mjhe thoda 'akela' tym mil jaye. Meri behen apne clg k liye nikl rhi thi. Usne mjhe brkfast dia n phir apne clg k liye nikl gyi. Main aap sbko pehle hi bta du ki mjhe apni behen ki trf koi attractn nai tha. Kbi is baat ki trf dhyan b ni dia. Neways, behen k jane pr maine apne chote mote kaam niptaye. Mjhe pta tha ki esha ab sham tk nai aygi. Main bahar gya aur apne dost se 3-4 blue films ki c.d le aya. Socha ki ab toh 2 din khul k mje luna aur muth marunga. Hmara lcd tv living rum me tha. 'aaj toh yei pr hi dkhunga' maine socha. Maine dvd player set kia....c.d dali aur apna lund bahar nikal k sofe pe baith gya. Movie start hote hi grm grm angrezi rndiyan apne jlwe dikhane lg gyi. Kbi mu me lund, kbi chut me , kbi gand me aur kbi apne momo k beech leke mjhe pagal kr rhi thi. Main movie dkh kr mje se muth maar rha tha. Ade ghnte baad mjhe lga ki ab jhaadne ka smay aa gya h aur main tezi se lund ko hilane lga. Mera cum jet ki trah frsh pr girne lga aur tbi....
*ting tong*

'fck , is tym kaun agya' main dr gya. T.v pe nangi ldkiyan, d.v.d player me bf aur hath me mera apna crm nikalta hua lnd. Kya karu?
'kaun h?' maine pucha
'main hu suresh, jldi drwaza khol' , esha ki awaaz ayi.
Mr gya. Ab toh mjhe bhgwan b ni bcha skta. maine jldi se apna lund apne pjame me dala. T.v bnd krke jldi se c.d nikal li.
'tu kya kr rha h suresh, kholta kyu ni darwaza?' behen chilayi.
Main jldi 2 bhaag k gya aur drwaza khola.
'kya kr rha tha?' esha ne pucha.
'kuch nai , wo phone pe baat kr rha tha' maine bola.
'toh darwaza khol k baat krleta, meri classes cncl hogyi hn' behen ne btaya.
Uff! main khush tha ki main bch gya. Main apne kmre ki or jane lga ki tbi awaaz ayi.
' ye kya h suresh?' meri behen ne frsh pe ishara krke pucha.
Maine dkha toh wahan mere lund se nikla vriya pda tha. Jldi jldi me main usse saaf krna bhul gya tha. Fuck! Ab kya hoga ?

एक दिन हम जुदा हो जायेंगे-बदले की आग-BY-" उमा शर्मा "long stori"

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मेरे प्यारे दोस्तो,  मैं आपकी " उमा शर्मा "आपकी सेवा में अपनी नयी सेक्स कहानी पेश कर रही हूँ. इस कहानी में हो सकता है कि कई जगह ग़लतियां हों, जो हिन्दी में लिखते हुए ना चाहते हुए भी हो जाती हैं. इसलिए पहले ही निवेदन है कि गलतियों को नजरअंदाज करते हुए कहानी का आनन्द लीजिएगा और इस कहानी को लेकर अपने विचार ज़रूर मेल कीजिएगा. यह कहानी मेरे द्वारा ही लिखी गई है.

अगर किसी पाठक को ये कहानी पसंद ना आए तो प्लीज़ वो इसे बीच में ही पढ़ना छोड़ दें, क्योंकि अगर अच्छी नहीं है तो फिर इसको आगे पढ़ने में अपना समय किस लिए बेकार में लगाना.
मैं उन पाठकों के सुझावों का दिल से स्वागत करूँगी, जो मुझे अपनी कहानी के लिखने में सुधार का कोई भी सुझाव दें. उन पाठकों से जो मुझे कोई कॉलगर्ल, रंडी या दलाल समझते है, वो कृपया मुझे कोई मेल भेजने का कष्ट ना करें क्योंकि मैं उन सभी मेल्स को बिना पूरा पढ़े डिलीट कर देती हूँ और आगे भी यही करूँगी.
यह कहानी बिल्कुल सच्ची है और जिसके साथ घटित हुआ है, उसे मैं जानती हूँ… और क्योंकि उसकी पहचान को पूरी तरह से छुपाना था, इसलिए पूनम को  इस कहानी की नायिका बनाना ही उचित समझा .एक लड़की के साथ किस तरह से लोग उसकी दुर्दशा करते हैं… इस बात को समझा जाए, यहाँ तक कि उसके अपने सगे भी उसे मुसीबत के समय डूबने के लिए छोड़ जाते हैं.
दोस्तो, लड़की को यहाँ इस दुनिया में लगभग सभी देशों में एक वस्तु माना जाता है. जिसका काम अपनी चूत से लंडों की सेवा करना है. यही सोच रख कर आम तौर पर लोग अपना जीवन गुजारते हैं. मुझे याद है, जब मैंने हाईस्कूल पास किया था, तो सभी लोग बहुत खुश हुए थे. क्योंकि मेरे अच्छे नंबर आए थे, इसलिए बिना किसी मुसीबत के मुझे कॉलेज में दाखिला भी मिल गया. चूंकि हमारे गाँव में कोई कॉलेज नहीं था, इसलिए मुझे सिटी में जाकर पढ़ना पड़ा. शहर हमारे गाँव से काफ़ी दूर था और रोज़ आना जाना बहुत मुश्किल था. मेरे एक चाचा वहीं सिटी में रहते थे, इसलिए मैं उनके घर पर जाकर रहने लग गई. उनके पड़ोस में एक परिवार हमारी ही बिरादरी का रहता था, जिनका एक लड़का भी था. वो आते जाते मुझ पर कुछ ना कुछ उल्टा सीधा बोलता था.
एक दिन मैंने उसको एक कस के थप्पड़ दे मारा… क्योंकि उस दिन उसने कुछ ज़्यादा ही बोल दिया था. वो जाते हुए बोला कि इस थप्पड़ की मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी.
मैंने यह बात अपने घर में किसी से भी नहीं कही. कुछ दिनों बाद उस लड़के ने मुझसे अपनी शादी के लिए अपने माँ बाप को मना लिया. क्योंकि वो हमारी ही बिरादरी का था, इसलिए किसी को भी कोई ऐतराज़ नहीं हुआ. मैं इस शादी से खुश नहीं थी. मगर मुझसे कुछ भी ना पूछा गया, क्योंकि मैं उन सबकी नज़रों में एक वस्तु जैसी थी, जो उन पर भार बनी हुई थी. इसलिए उनका सोच था कि इससे छुटकारा पाना ही अच्छा है. फिर उनको मेरे लिए कोई लड़का ढूँढना की मेहनत भी नहीं करनी पड़ी और इस तरह से मेरी शादी हो गई.
शादी के बाद हर लड़की कुछ सपने संजोए होती है कि उसके साथ उसका पति किस तरह से उससे अपने प्यार का इज़हार करेगा. उससे किस तरह से अपने संबंध बनाएगा.
खैर… आधी रात को वो मेरे कमरे में आया और बोला कि आज बदले का दिन आ गया है… तुम तैयार हो जाओ, जो थप्पड़ मारा था… उसका बदला आज चुकाना होगा.

मैंने कहा- अब मैं आपकी पत्नी हूँ ना कि कोई अंजान लड़की. मेरी इज़्ज़त का ख़याल रखना, अब आप का काम है.
उसने कहा- उसी काम की ही तो तैयारी करने लगा हूँ.

उसने मुझे नंगी करके पहले तो मेरे मम्मों पर थप्पड़ मार मार कर दबाना शुरू किया. जब मेरे मम्मे थप्पड़ों की मार से से लाल हो गए तो वो ज़ोर जोर से दबा दबा कर चूसने लगा और दांतों से काटने भी लगा. मैं चिल्ला रही थी. घर के बाहर भी आवाज जा रही थी और घर वाले समझ रहे थे कि लड़की को लड़का चोद रहा होगा और लड़की की चूत में मुश्किल से लंड जा रहा होगा, इसलिए चिल्ला रही है.
उसके बाद उसने अपना मूसल लंड मेरी चूत में डाल कर मुझे बुरी तरह से चोदा. सुबह जब मैं कमरे से बाहर निकली तो मेरी छाती बुरी तरह से दर्द से भरी थी. उसके घर में रिश्ते की आई हुई जवान लड़कियां और बहुएं कहने लगीं- लल्ली, यह सब तो होता ही है. लल्ला ने तेरे मम्मों को तो दबाना ही था और अपना लंड भी तेरी चूत में डालना था. इसलिए यह सब तो अब रोज़ रोज़ होगा.
मैं किसी से कुछ भी ना कह पाई क्योंकि मैं सच बोलने लायक नहीं थी.
अगले दिन घर पर यह बोल कर वो मुझे ले गया कि हम लोग हनीमून मनाने जा रहे हैं और कुछ दिनों बाद आएंगे.
शाम को मुझे ले जाकर वो एक होटल में ले आया. जब खाना खा लिया तो मुझे कमरे में लेकर आ गया. वहाँ उसके तीन दोस्त पहले से ही बैठे थे. मैं उन्हें देख कर पहले तो घबरा गई मगर फिर सोचा जब पति साथ है, तो फिर किस बात का डर.
रूम में उन्होंने शराब पीनी शुरू कर दी. जब उन्होंने दो दो तीन तीन पैग पी लिए तो एक दोस्त बोला- यार भाबी को क्यों भूल गए… उसभी तो यह अमृत पिलाओ.
फिर क्या था, मेरा पति ने पूरी बोतल ले कर मेरे मुँह में लगा कर बोला- लो पियो इसे.
मैंने कहा- नहीं… मैं नहीं पी सकती.
इसके बाद जो कुछ हुआ, मैं यहाँ नहीं लिख सकती क्योंकि वो नियम विरूद्ध होगा.

अगले दिन सुबह ही वो मुझे घर पर वापिस ले आया और बोला- संभालो अपनी इस लाड़ली बहू को, मुझे नहीं रहना इस रंडी के साथ. अगर आपको यकीन ना हो तो यह सीडी देख लो, जो इसने रात को किया है. मैं इससे बोल कर गया था कि 2-3 घंटों में वापिस आता हूँ… मगर इसने अपने यार बुला रखे थे वहाँ पर. उन्होंने ही मुझसे धमकी देकर कहा था कि अगर जान सलामत चाहते हो तो सुबह आकर बीवी को ले जाना. सुबह उन्होंने मुझे यह सीडी देकर कहा कि अगर इसे रखना हो तो रख लो, वरना हम इसे संभाल लेंगे. मैं तो इसके साथ रह नहीं सकता, आप जो चाहो करो.
मेरी सास सबसे ज़्यादा उछल उछल कर मेरे लिए जो ना कहना था, वो भी कह रही थी.
इसके बाद मेरे सारे कपड़े और जेवर मेरे साथ रख कर मुझे वापिस माँ बाप के घर भेज दिया और साथ में कहा कि देख लो अपनी बेटी की करतूत.

मैंने सब को सच सच बताया मगर किसी ने भी मेरी बात नहीं सुनी. मुझे घर से बाहर कर दिया. मैंने तब कहा कि ठीक है, मैं इस रात को कहीं नहीं जा सकती मगर कल सुबह ज़रूर चली जाऊंगी.
मैंने रात को अपने पति को फोन किया कि जो तुम ने करना था, सो कर लिया. अब मैं तुम्हें नहीं छोड़ूँगी. मुझे तुमने एक रंडी बना दिया है, अब देखना मैं तुम्हारे घर की सभी औरतों को कैसे रंडी बनाती हूँ.
इस पर उसका जवाब था कि तुम अपने को संभालो… मेरी छोड़ो.
मैंने यह कहते हुए फोन बंद कर दिया कि ठीक है… मगर याद रखना जो मैंने कहा है.

अब मुझे सोचना था कि आगे क्या करूँगी. फिलहाल मुझे कोई रास्ता नहीं नज़र आ रहा था. मैं रात को सोचती रही कि अब क्या करूँ.
फिर मैंने अपने साथ कॉलेज में पढ़ने वाली एक लड़की को फोन किया, जो बहुत बदनाम थी. उसके बारे में ये चर्चा सुनती थी कि यह रात रात भर अपने यारों के साथ होटलों में जाती है.
फोन पर उसने मुझसे कहा- मैं तुम को पहचान नहीं पाई. खैर तुम कल मेरे ऑफिस में आ जाना, वहीं पर बात करते हैं.
उसका नाम तबस्सुम था.

मैं ऑफिस के टाइम से पहले वहाँ पहुँच कर उसका इंतज़ार करने लगी.
मुझे देखते ही वो बोली- तुम पूनम ही हो ना?
मैंने कहा- हाँ अच्छा हुआ जल्दी ही पहचान लिया. कल फोन पर तो तुम पहचान ही नहीं पाई.
वो बोली- आओ बैठ कर बातें करते हैं. वो मुझे अपने केबिन में ले गई और बोली- बैठो… मैं अभी आती हूँ.

वो दस मिनट बाद आई, उस समय उसकी लिपस्टिक होंठों से ऐसे हो चुकी थी कि किसी ने उसको बुरी तरह से चूमा चाटा है. वो शीशा के सामने जा कर उसको ठीक करने के बाद मुझ से बोली- हां अब बताओ… साथ ही बोली- यार प्राइवेट ऑफिस है ना… यहाँ बॉस को खुश रखना पड़ता है.
मैंने उससे अपनी प्रॉब्लम बता कर कहा- मुझे तुमसे दो तरह की सहायता चाहिए. एक तो मुझे कोई रूम किराए पर ढूँढने के लिए सहायता और दूसरी नौकरी ढूँढने की.
वो बोली- पहेली तो समझो हो गई… तुम मेरे घर पर रहो क्योंकि मैं अकेली ही रहती हूँ… और दूसरी के बारे में रात तो घर पर बात करते हैं.
इसके बाद उसने किसी को बुलाया और बोला कि मेमसाहब को मेरे घर पर छोड़ कर आओ और साथ ही घर की चाबियां उसे दे दीं.
घर जाकर मुझे नींद आ गई क्योंकि चिंता के मारे मुझे पूरी रात नींद ही नहीं आई थी. कोई एक बजे मेरी नींद उखड़ी, तब उसका फोन बज रहा था. मैंने जब उठाया तो वो बोल रही थी- क्या हुआ… मैं बहुत देर से तुमसे बात करना चाह रही थी, तुम फोन को उठा ही नहीं रही हो… क्या हुआ?
मैंने उसे सब बताया.

उसने कहा- चिंता ना करो और देखो मैं रात को दस बजे के बाद ही घर वापिस आऊंगी, तब तक तुमको भूख लगे तो फ़्रिज़ से कुछ निकाल कर खा लेना, खाने के लिए मेरा इंतज़ार ना करना क्योंकि मैं खा कर ही आऊंगी. और हाँ देखो… अगर बोर होने लगो तो मेरे पीसी के टेबल की लेफ्ट ड्रॉवर से फिल्म निकाल कर देख लेना.
मैंने वही किया मगर फिल्म में कोई मज़ा नहीं आया.
फिर मैंने दाएँ तरफ वाली ड्रॉज खोली तो उसमें भी बहुत सी सीडी पड़ी थीं. मैंने उनमें से एक निकाल कर लगा दी. जैसे ही वो शुरू हुई तो कंप्यूटर पर लंड और चूत के खेल शुरू हो गए. मैं मज़े से देखने लग गई. फिर क्या एक के बाद एक देखने लगी, वहाँ सभी चुदाई की पिक्चर्स थीं.
रात तो दस बजे तक मैं यही देखती रही और खाना भी भूल गई. तब मुझे याद आया कि वो वापिस आने वाली होगी. क्योंकि उसने मुझे इन पिक्चर्स के बारे में नहीं बताया था, तो मुझे यही दिखलाना था कि मुझे कुछ नहीं पता.
वो साढ़े दस बजे आई. उसके मुँह से शराब की गंध आ रही थी, मगर वो पूरे ही होश में थी. उसे देख कर कोई कह नहीं सकता कि वो शराब पी कर आई है. खैर उसने आते ही पूछा कि खाना खा लिया?
मैंने कहा- नहीं मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी.
उसने कहा कि उसने तो बता दिया था कि वो खा कर आएगी.

खैर उसने डबलरोटी और अंडे निकाल कर ऑमलेट बना कर मुझे दिया और बोली- अभी तो यह खाओ… सुबह कुछ और व्यवस्था करती हूँ.
फिर वो चेंज करके आई तो मैंने उसे देखा कि वो एक नाइटी में थी, जो ऑलमोस्ट ट्रांसपेरेंट थी और उसमें से उसका सब कुछ नज़र आ रहा था.

मुझ को तो होश नहीं तुम को ख़बर हो शायद "लोग कहते हैं कि तुम ने मुझे बर्बाद किया "

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दोस्तो, मैं आपकी दोस्त INCEST LOVER उर्फ़ " उमा शर्मा " आपके सामने फिर से पेश हूँ.
मेरी पहली कहानी
एक दिन हम जुदा हो जायेंगे-बदले की आग-BY-" उमा शर्मा "long stori"
लिखी गई थी, जिसे आप सभी ने बहुत पसंद किया था. आप सभी की मेल पढ़ कर मुझे बहुत अच्छा लगा और उसी के चलते आज मैं अपनी एक और कहानी लिख रही हूँ. 

यह एक काल्पनिक कहानी है, इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं और किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से इस कहानी का कोई लेना देना नहीं है, जगह का नाम, या कोई पदवी अत: सब काल्पनिक हैं | किसी के साथ यह दुर्घटना असली जिन्दगी में हुई है तो हमें खेद है 

दोस्तो, आज मैं आप लोगों को अपनी कहानी सुनाने जा रही हूँ, जिसे मैंने अभी तक किसी से भी नहीं बताया है. आज मेरी उम्र 35 साल की है और मैं चुदाई में बहुत माहिर हो चुकी हूँ. मेरी कहानी उस वक्त शुरू हुई थी, जब मैं किशोरावस्था में थी.
जब मैं 5 साल की थी, मेरी माँ का देहांत तभी हो गया था. मेरे पापा किसी जानी मानी कंपनी में जनरल मैनेजर थे और बहुत से लोग उन के नीचे काम करते थे. घर में पैसे की कोई कमी नहीं थी. उन्होंने मेरे लिए एक आया रखी हुई थी, जो सारा दिन हमारे घर पर ही रहती थी. पापा के पास इतनी फ़ुर्सत नहीं थी कि कभी वो मेरी तरफ भी देखते. बस आया ही मेरा सब कुछ थी.
पापा अपने ऑफिस की किसी लड़की के साथ अपना चक्कर चला बैठे. वो लड़की एक विधवा थी और उसका एक लड़का भी था, जो जवान था. उसका ये बेटा जब पैदा भी नहीं हुआ था तभी उसके पति की मौत हो गई थी. क्योंकि उसका पति मेरा पापा के पास काम करता था, इसलिए उन्होंने उसकी विधवा को अपने ऑफिस में काम पर रख लिया. क्योंकि वो काम बहुत अच्छी तरह से करती थी. इसलिए उसको उन्होंने अपनी सेक्रेटरी बना लिया.
जब मेरी माँ का देहांत हुआ तो उसने मेरे पापा से कहा कि जिंदगी बहुत लंबी है, इसे रो कर ना गुजारो बल्कि सुख और चैन से बिताओ.
क्योंकि वो पापा की सेक्रेटरी थी, इसलिए वो बहुत समय उनके साथ ही रहती थी. उसने मेरे पापा को फुसलाने का पूरा काम करना शुरू कर दिया. जब भी मौका मिलता, वो पापा को अपने मम्मों की नुमाइश करवाती और अपनी टांगों को पूरी तरह से वैक्स कर भी दिखाती. यहाँ तक वो कई बार अपनी स्कर्ट तो बहुत ऊंचा करके अपनी चड्डी तक भी दिखा देती थी. ऐसा वो उस वक्त करने का प्रयास करती थी, जब वो उनसे डिक्टेशन ले रही होती थी.
पापा को भी एक चूत की ज़रूरत थी क्योंकि उनकी पत्नी (मेरी माँ) भी संसार छोड़ कर जा चुकी थीं. मगर पापा अपनी पोज़िशन को देख कर चुप रह जाते थे.
जब पापा उसके जाल में ना फँसे तो एक दिन उसने पापा को अपने घर पर यह कह कर बुलाया कि उसके बेटे का जन्मदिन है, आपको ज़रूर आना होगा.. क्योंकि वो बेचारा बिना बाप का लड़का है.
खैर.. पापा निश्चित समय पर उसके घर पर गए. मगर वहाँ ना तो कोई और था और ना ही कोई जन्मदिन जैसा कुछ भी था.
उसने पापा से कहा कि मेरे देवर की डेथ हो गई है, इसलिए उसको वहाँ भेजना पड़ा. मगर आप अब बिना खाना खाए नहीं जा सकते.

अब घर में दो जवान मर्द और औरत अपनी प्यासी चूत और लंड लिए अकेले हों तो फिर आप सोच सकते हैं कि क्या क्या हो सकता है. उसने एक डीवीडी प्लेयर लगा रखा था और उस पर कोई ब्लू फिल्म लगी हुई थी, मगर टीवी और डीवीडी ऑफ थे.
वो बोली- मैं ज़रा बाथरूम से होकर आती हूँ, आप तब तक टीवी पर डीवीडी चला कर मूवी देखिए.
इसके आगे की कहानी मैं अपने पापा की ज़ुबानी ही लिख रही हूँ.
उस दिन मुझे घर पर बुला कर मेरी सेक्रेटरी ने सबको पहले ही से कहीं भेज दिया था और जब मैं उसके घर पर पहुँचा तो वहाँ सिर्फ वो ही थी. मुझे ब्लू फिल्म देखने के लिए बोलती हुई वो बाथरूम में चली गई. मैं भी अपनी पत्नी के देहांत के बाद लंड का पानी किसी भी चूत में नहीं निकाल पाता था. बिंदु (मेरी सेक्रेटरी) भी बिना चुदे रह रही थी. दोनों को एक लंड और चुत की जरूरत थी. मुझे नहीं पता था कि उसने डीवीडी पर कोई ब्लू फिल्म लगाई हुई है.
जैसे ही मैंने टीवी को ऑन किया, तो फिल्म देखते ही मेरा लंड टनटनाने लग गया. मुझे चूत तो मिल नहीं रही थी मगर फिल्म देख कर मेरा लंड आपे से बाहर हो गया और पूरे कपड़े फाड़ कर बाहर निकल आया. कुछ देर बाद बिंदु आई मगर मैं अपने हाथ में लंड को पकड़े हुए फिल्म देखने में मस्त था, इसलिए मुझे नहीं पता कि वो कब वापिस आ गई. उसे देखते ही मैं अपने लंड को छुपाने की कोशिश करने मगर वो साला हाथ से भी निकल निकल जा रहा था.
मेरी यह हालत देख कर वो बोली- सर यह आपसे काबू नहीं हो पाएगा. इसको काबू में करने के लिए मेरी ज़रूरत है.
वो अपनी चूत तो पूरी सफाचट करके आई थी, शायद यही करने के लिए वो गुसलखाने में गई होगी. इस वक्त उसने पूरी पारदर्शी नाइटी डाली थी.. जो आगे से बहुत ही ढीली और खुली हुई थी. उसको इस तरह से देख कर मेरा लंड और जोर से उछलने लगा.

बिंदु ने यह सब बोल कर आगे बढ़ कर अपने हाथ में मेरा लंड पकड़ लिया और बोली- सर क्यों परेशान होते हो.. मैं हूँ ना आपकी दासी. इसे मुझे सौंप कर आप निश्चिन्त हो जाइए.
फिर उसने बिना कुछ कहे मेरा लंड, जो सात इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा था, गप्प से मुँह में ले लिया.

अब मैं अपने को छुड़ाना भी नहीं चाहता था.. इसलिए लंड चुसवाने का पूरा मज़ा लेने लगा. वो जोर जोर से लंड को चूस रही थी और मेरी गोटियों को भी सहला रही थी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्योंकि आज कुछ सालों बाद ही यह मज़ा मुझे नसीब हुआ था. मैंने उसके चुचे दबाने शुरू कर दिए और उसकी घुन्डियां मुँह में लेकर चूसने और काटने लगा.
वो भी चुदासी थी इसलिए मुझे उकसाए जा रही थी- सर शर्म छोड़िए.. खुल कर मुझे आज चोदो.. बहुत दिनों से मेरी चूत किसी लंड के लिए भूखी है. सर सिर्फ चुचियों को दबाने से मेरा काम नहीं बनेगा. आप अपना यह लंड मेरी चूत में घुसा दीजिए, फिर इस पर कूद कूद कर खुद भी मज़े लो और मुझे भी दो. मेरी चूत अब पूरी किसी कुंवारी लड़की की तरह सी हो चुकी है क्योंकि इसको सालों से कोई लंड नहीं मिला.
उसकी बातें सुन कर मेरा लंड अब पूरा लोहे का हो चुका था. खास कर जब से लंड उसके मुँह में गया था. मैंने अब पूरी शर्म छोड़ कर उसको बुरी तरह से चोदना शुरू कर दिया. उसने सही कहा था कि उसकी चूत किसी कुंवारी लड़की की तरह से सिकुड़ गई थी क्योंकि वो सालों से नहीं चुदी थी. जब कि उसकी चूत एक लड़का भी निकाल चुकी थी.
अब मुझे कुछ नहीं सूझ रहा था, सिवा उसके मम्मों और चूत के.. जिसे मैं पूरी तरह से पेलने को आतुर हो रहा था. चूंकि मेरा लंड चुदाई से पहले ही बहुत गरम हो चुका था और फिर उसने उसे चूस चूस कर बहुत तंग किया था, इस लिए वो चूत में जाकर कुछ ही समय बाद अपना पानी छोड़ गया.
बिंदु बोली- सर, मेरी चूत को अभी पूरा मज़ा लेना है इसलिए मुझे आपके लंड को दुबारा तैयार करना पड़ेगा.
उसने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसके सुपारे पर जीभ फेरने लगी. लंड दुबारा से उछलने लग गया था और दो मिनट में ही फिर से ख़ूँख़ार होकर अपना जलवा दिखाने को तैयार था.
अब बिंदु मेरे लंड पर बैठ गई और खुद ही अपने चूतड़ों को उछालते हुए मेरे लंड पर धक्के पर धक्का लगाने लगी. वो ऊपर से धक्का मारती थी, मैं नीचे से गांड उछाल देता था ताकि लंड चूत से बाहर ना निकले. उसके धक्कों की वजह से उसके मम्मे उछल उछल कर डांस कर रहे थे. मैंने उसके मम्मों को जोर से दबा कर मसला और अपनी तरफ खींचता रहा.
वो बोलती रही- आह.. सर बहुत मजा आ रहा है.. और जोर से खीँचो.. आह इन साले मम्मों ने मुझे बहुत परेशान किया हुआ था. आज इनकी पूरी अकड़ निकाल दीजिए, इनको तरह से ढीला कर दो ताकि यह अपनी औकात में रहा करें.
लगभग बीस मिनट बाद मेरे लंड ने और उसकी चूत ने अपना अपना अपना रस छोड़ दिया. हम दोनों ने कोई भी सावधानी नहीं ली थी. मेरे लंड का पूरा पानी उसकी चूत में चला गया.
अब मेरा लंड मेरी कुछ नहीं सुन रहा था. उसको बस बिंदु की चूत ही नज़र आ रही थी. वो उस चुत का दीवाना बन चुका था. कुछ देर बाद वो फिर चूत को देख कर अपने रंग में आ गया.
अब मैंने बिंदु को कुतिया बना कर उस की चूत में अपना लंड डाल कर चोदा, वो बहुत खुश थी इस चुदाई से. खैर बिना किसी सावधानी से मैंने उसकी चूत मारी थी और बाद में सोचा भी कि कहीं कोई मुसीबत ना आ जाए. खैर अब जो होना था, सो हो चुका.
रात को तीन बार बिंदु की चूत पर माल निकल कर मैं अपने घर वापस आ गया. उस रात को मुझे बहुत मज़े से नींद आई क्योंकि चूत के दर्शन ही नसीब में नहीं थे कई सालों से. आज चूत के दर्शन की बात छोड़ो, तीन तीन बार चूत की चुदाई भी की और वो भी उसकी रज़ामंदी से.
अगले दिन जब ऑफिस में गया तो देखा कि आज बिंदु कुछ ज़्यादा ही खुश थी और उसने बहुत ही सेक्सी ड्रेस डाली हुई थी. उसने स्कर्ट और टॉप डाला हुआ था और टॉप के नीचे कुछ नहीं था. वो ज़रा सा भी झुकती थी तो मम्मे पूरे नज़र आते थे. जब सामने बैठ कर टांगों को ज़रा सा भी ऊपर करती थी तो चूत पूरी नज़र आती थी क्योंकि स्कर्ट के नीचे भी कुछ नहीं था. वो आज ऑफिस में भी मुझसे चुदवाना चाहती थी मगर मैंने उस को कोई लिफ्ट नहीं दी.
वो शाम तो ऑफिस के बाद मुझसे बोली- सर आपसे कुछ कहना है मगर यहाँ पर नहीं… या तो आप मेरे घर पर चलिए या फिर किसी होटल में चलते हैं.
मैं होटल में जाना नहीं चाहता था क्योंकि वहाँ मैं जल्दी ही पहचाना जा सकता था, इसलिए उसके घर पर ही चलने का प्रोग्राम बना. उसने अपने बेटे को शायद कहीं भेज दिया था, इसलिए वहाँ हमारे सिवा और कोई नहीं था. घर पहुँचते ही मेरा लंड फिर से उछाल मारने लगा, जो वो अच्छी तरह से देख रही थी.
उसने कहा- सर क्यों इसको तंग कर रहे हैं. इसको इसकी फ्रेंड से मिलने दो. मैं इसकी फ्रेंड को तैयार करके अभी लाती हूँ.
दो मिनट बाद वो पूरी नंगी होकर मेरे पास आ गई और बोली- पूरे कपड़े उतार कर निकाल दीजिए इसको बाहर और मिलने दो इसको, इसकी फ्रेंड से.

बस फिर चुदाई का खेल दोबारा शुरू हो गया. चुदास सर चढ़ कर झूम रही थी, तो फिर से तीन बार वासना का तूफ़ान चला.
जब तीसरी बार वो चुद रही थी तो बोली- सर इन दोनों की दोस्ती पक्की करवा दीजिए.. ताकि इनको आपस में मिलने के लिए कोई परेशानी ना रहे.
मैं समझ चुका था कि वो क्या कहना चाह रही है. मैं बोला कि देखो इसमें बहुत बड़ी प्राब्लम है.. तुम्हारा एक बेटा है और मेरी एक बेटी, इसलिए यह सब बहुत नामुमकिन है.

इस पर वो बोली कि सर आपको चूत चाहिए.. मुझे लंड चाहिए.. मेरे बेटे को बाप चाहिए और आपकी बेटी को माँ चाहिए. इन सबको जो जो चाहिए मिल जाएगा, फिर किस बात की दुविधा है. मैंने कहा- मैं सोच कर बताऊंगा.
करीब बीस दिन बाद उसने रात को मुझे फोन किया और बोली कि सर बहुत बड़ी प्राब्लम हो गई है. मैं अपनी लेडी डॉक्टर के पास रुटीन चैकअप के लिए गई थी, उसने बोला है कि मैं माँ बनने वाली हूँ.
ये सुन कर मुझे 440 बोल्ट का बिजली का झटका लग गया.
अब एक ही रास्ता था या तो मैं उससे शादी कर लूँ या फिर उसका बच्चा जो मेरा है, उसके पेट से गिरवा दूं.
बहुत सोच कर भी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.
अगले दिन मैं सुबह सुबह ऑफिस जाने से पहले उसके घर पर गया. वो मुझे देख कर बहुत खुश हुई और फिर से चुदाई करवाने के लिए तैयार होने लगी.
मैंने उससे कहा- नहीं अभी मुझे इस मुसीबत से निकलने का कोई रास्ता बताओ.
उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी, वो बोली कि सर क्या हुआ.. आपका ही बच्चा है ना.. यह तो आपको भी पता है फिर किस बात का डर? आप मुझसे शादी कर लो.. सारे झमेले ही खत्म हो जाएंगे.

अपनी इज्जत का डर महसूस करके मैंने उसकी बात को मान लिया.
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हम पर है ख़त्म शाम-ए-ग़रीबान-ए-लखनऊ-BY-" उमा शर्मा "

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दोस्तो, मैं आपकी दोस्त INCEST LOVER उर्फ़ " उमा शर्मा " आपके सामने फिर से पेश हूँ.
मेरी पिछली कहानी,

[b]"मुझ को तो होश नहीं तुम को ख़बर हो शायद "लोग कहते हैं कि तुम ने मुझे बर्बाद किया "-BY-" उमा शर्मा "[/b]

लिखी गई थी, जिसे आप सभी ने बहुत पसंद किया था. आप सभी की मेल पढ़ कर मुझे बहुत अच्छा लगा और उसी के चलते आज मैं अपनी एक और कहानी लिख रही हूँ. 

"यह एक काल्पनिक कहानी है, इस कहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं और किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से इस कहानी का कोई लेना देना नहीं है, जगह का नाम, या कोई पदवी अत: सब काल्पनिक हैं | किसी के साथ यह दुर्घटना असली जिन्दगी में हुई है तो हमें खेद है "


मैंने इस बीच कुछ समस्याओं के चलते  कुछ दिन बेरोज़गारी के गुजरने के बाद एक प्राइवेट ब्रॉडबैंड कंपनी में नौकरी कर ली थी।

मुंबई, दिल्ली में ज़िन्दगी गुज़ारने के बाद अब लखनऊ में दिल ऐसा लगा था कि छोड़ने का मन ही नहीं होता था। भले मेरा परिवार भोपाल में रहता हो लेकिन एक खाला कानपुर में रहती थी जो डेढ़ दो घंटों की दूरी पर था, तो कभी कभी मूड फ्रेश करने वहाँ चला जाता था।
घर बस एक बार गया था और वो भी बस दो दिन के लिए।
लखनऊ में दिल ऐसा लगा था कि अब कहीं और रुकने का मन भी नहीं होता था।

कई दोस्त और जानने वाले हो गए थे और नौकरी भी ऐसी थी कि घूमने फिरने को भी खूब मिलता था और साथ ही आँखें सेंकने के ढेरों मौके भी सुलभ होते थे।
कभी चौक नक्खास की पर्दानशीं, कभी अलीगंज विकास नगर की बंगलो ब्यूटीज़, कभी अमीनाबाद की फुलझड़ियाँ तो कभी गोमती नगर की आधुनिकाएँ।
इस बीच मेरी दिलचस्पी का केंद्र दो लड़कियाँ रही थीं… एक तो जहाँ मैं रहता था वही सामने एक प्रॉपर्टी डीलिंग का ऑफिस था, वही बाहरी काउंटर पर बैठती थी।
मुझे नाम नहीं पता लगा, उम्र तीस की तो ज़रूर रही होगी, रंगत गेहुंआ थी, कद दरमियाना, सीना अड़तीस होगा तो कमर भी चौंतीस से कम न रही होगी, नितम्ब भी चालीस तक होंगे… नैन नक्श साधारण।
उसमें ऐसा कुछ भी नहीं था जो एक्स्ट्रा आर्डिनरी हो, आकर्षण का केंद्र हो- एकदम मेरी तरह।
एक आम सी लड़की, भीड़ में शामिल एक साधारण सा चेहरा और यही चीज़ मुझे उसकी ओर खींचती थी।

मैंने कई बार उसे रीड करने की कोशिश की थी… ऐसा लगता था जैसे मजबूर हो, जैसे ज़बरदस्ती की ज़िंदगी जी रही हो, उसकी आँखों में थोड़ा भी उत्साह नहीं होता था और सिकुड़ी भवें या खिंचे होंठ अक्सर उसकी झुंझलाहट का पता देते थे।
मुझे भी उसने जितनी बार देखा था इसी एक्सप्रेशन से देखा था लेकिन फिर भी मुझे उसमें दिलचस्पी थी।
ऐसे ही एक दूसरी लड़की थी जो मेरे पड़ोस वाले घर में रहती थी। टिपिकल धर्म से बन्धी फैमिली थी… लड़की एक थी और लड़के दो थे, बाकी माँ बाप दादा दादी भी थे।
लड़की में दिलचस्पी का कारण ये था कि मुझे यहाँ रहते छः महीने हो गए थे लेकिन आज तक मुझे उसकी शक्ल नहीं दिखी थी… हमेशा सर से पांव तक जैसे मुंदी ही रहती थी।
अपने तन को ढीले ढाले कपड़ों से छुपाए रहती थी और खुले में निकलती थी तो उसके ऊपर से चादर टाइप कपडा भी लपेट लेती थी, सर पे भी स्कार्फ़ बांधे रहती थी।
घर से बाहर जाती थी तो हाथों को दस्तानों से, पैरों को मोज़ों से और आँखों को गॉगल्स से कवर कर लेती थी। यानि जिस्म का एक हिस्सा भी न दिखे…
पड़ोसी होने के नाते मैंने उसके हाथ पांव देखे थे- एकदम गोरे, झक्क सफ़ेद…
या उसकी आँखें देखीं थीं… हल्की हरी और ऐसी ज़िंदादिल कि उनमें देखो तो वापस कहीं और देखने की तमन्ना ही न बचे।

कई बार मैंने उसकी आँखों में नदीदे बच्चों की तरह झाँका था और मुझे ऐसा लगता था जैसे उसके स्कार्फ़ से ढके होंठ मुस्कराए हों, लेकिन यह मेरा भ्रम भी हो सकता था क्योंकि मैं अपनी लिमिट जानता था।
भले मैंने उसकी शक्ल न देखी हो, उसके शरीर सौष्ठव का अनुमान न लगा पाया होऊं लेकिन उसके हाथ पैरों की बनावट, रंग और चिकनापन ही बताता था कि वो क्या ‘चीज़’ होगी और मैं ठहरा एक साधारण सा बन्दा, जिसमे देखने, निहारने लायक कुछ नहीं।
हालांकि मैं तीन चार बार उसके घर जा चुका था और वो भी उसके भाई के बुलाए… दरअसल उनके यहाँ भी ब्राडबैंड कनेक्शन था, भले उस कंपनी का नहीं था जहाँ मैं काम करता था लेकिन जब कुछ गड़बड़ होती थी तो मैं काम आ सकता था न।
कनेक्शन बॉक्स ऊपर छत पे लगा था और मैं अपनी छत से वहाँ पहुँच सकता था और उधर से गया भी था।
मन में उम्मीद ज़रूर थी कि शायद हाथ पैरों और आँखों से आगे कुछ दिख जाये लेकिन बंदी तो ऐसे किसी मौके पे सामने आई ही नहीं।
यह प्राकृतिक है कि जब आपसे कुछ छिपाया जाता है तो आपमें उसे देखने की प्रबल इच्छा होती है और यही कारण था कि आते जाते कभी भी वो मुझे कहीं दिखी तो मैंने दिलचस्पी दिखाई ज़रूर।
फिर अभी करीब दस दिन पहले मेरे ग्रहों की दशा बदली… शनि का प्रकोप कम हुआ।
उस दिन सुबह किसी काम पे निकलते वक़्त अपने ऑफिस तक पहुँच चुकी, उस साधारण मगर मेरी दिलचस्पी का एक केंद्र, लड़की से मेरा सामना हुआ था।
हमें तो संडे के दिन छुट्टी नसीब हो जाती थी, जो कि उस दिन था लेकिन उसे शायद अपनी ड्यूटी सातों दिन करनी पड़ती थी।
हमेशा की तरह नज़रें मिलीं, उसकी चिड़चिड़ाहट नज़रों से बयाँ हुई और जैसे कुछ झुंझलाने के लिए होंठ खुले…
लेकिन फिर एकदम से चेहरे की भावभंगिमाएँ बदल गईं और खुले हुए होंठ मुस्कराहट की शक्ल में फैल गए।

मुझे लगा मेरे पीछे किसी को देख कर मुस्कराई होगी लेकिन पीछे देखा तो कोई नहीं था और फिर उसकी तरफ देखा तो वो चेहरा घुमा कर अपने ऑफिस में घुसने लगी थी।
मैं उलझन में पड़ा रुखसत हो गया।
बहरहाल, ये मेरे सितारे बदलने की पहली निशानी थी।

फिर उसी रात पड़ोस के लड़के का फोन आया कि उसके यहाँ नेट नहीं चल रहा था, मुझे जांचने के लिये बुला रहा था, कह रहा था कि बहन को कुछ काम है और वो परेशान हो रही है।
उसी से मुझे पता चला कि दोनों भाई वालदैन समेत आज़म गढ़ गाँव गए थे किसी शादी के सिलसिले में और तीन चार दिन बाद आने वाले थे, घर पर बहन दादा दादी के साथ अकेली थी।
सुन कर मेरी बांछें खिल गईं।
उस वक़्त रात के नौ बजे थे।
आज तो मोहतरमा को सामने आना ही पड़ेगा– बूढ़े दादा दादी तो नेट ठीक करवाने में दिलचस्पी दिखाने से रहे।

मैं ख़ुशी ख़ुशी उड़ता सा उसके घर के दरवाज़े पर पहुंचा और घन्टी बजाई।
अपेक्षा के विपरीत दरवाज़ा बड़े मियाँ ने खोला।
मैंने सलाम किया और काम बताया तो उन्होंने वहीं से आवाज़ दी -‘गौसिया!’
तो उसका नाम गौसिया था।

वो एकदम से सामने आ गई… जैसे बेख्याली में रही हो, जैसे उसे उम्मीद न रही हो कि दादा जी किसी के सामने उसे बुला लेंगे और वो बेहिज़ाब सामने आ गई हो।
जैसे मैंने कल्पनाएँ की थी वो उनसे कहीं बढ़कर थी।
अंडाकार चेहरा, ऐसी रंगत जैसे सिंदूर मिला दूध हो, बिना लिपस्टिक सुर्ख हुए जा रहे ऐसे नरम होंठ कि देखते ही मन बेईमान होकर लूटमार पर उतर आये और शराबी आँखें तो क़यामत थी हीं।

आज बिना कवर के सामने आई थी और घरेलू कपड़ों में थी जो फिट थे तो उसके उभरे सीने और नितम्बों के बीच का कर्व भी सामने आ गया।
सब कुछ क़यामत था- देखते ही दिल ने गवाही दी कि उल्लू के पट्ठे, तेरी औकात नहीं कि इसके साथ खड़ा भी हो सके, सिर्फ कल्पनाएँ ही कर!
जबकि वो मुझे सामने पाकर जैसे हड़बड़ा सी गई थी और अपने गले में पड़े बेतरतीब दुपट्टे को ठीक करने लगी थी।
दादा जी कुछ बताते, उससे पहले उसने ही बता दिया कि पता नहीं क्यों नेट नहीं चल रहा और उसी ने भाई को बोला था मुझे बुलाने को।
दादा जी की तसल्ली हो गई तो उन्होंने मुझे उसके हवाले कर दिया।
वो मुझे जानते थे– अक्सर सड़क पे सलाम दुआ हो जाती थी, शायद इसीलिए भरोसा दिखाया, वर्ना ऐसी पोती के साथ किसी को अकेले छोड़ने की जुर्रत न करते।

वो मुझे वहाँ ले आई जहाँ राउटर रखा था। मैंने लाइन चेक की, जो नदारद थी… वस्तुतः मुझे प्रॉब्लम पता थी, शायद मेरी ही पैदा की हुई थी, पर फिर भी मैंने ज़बरदस्ती केबिल वगैरा चेक करने की ज़हमत उठाई।
‘कब से नहीं चल रहा?’
‘शाम से ही!’
‘पानी मिलेगा एक गिलास?’
‘हाँ-हाँ क्यों नहीं!’

पानी किस कमबख्त को चाहिए था, बस टाइम पास करना था थोड़ा…
वो पानी ले आई तो मैंने पीकर ज़बरदस्ती थैंक्स कहा, वो मुस्कराई।
‘आपका नाम गौसिया है?’
‘हाँ… क्यों?’
‘बस ऐसे ही। पड़ोस में रहता हूँ और आपका नाम भी नहीं जानता।’
‘तो उसकी ज़रूरत क्या है?’

‘कुछ नहीं।’ मैं उसके अंदाज़ पर झेंप सा गया- आप पढ़ती हैं?
‘हाँ, यूनिवर्सिटी से बी एससी कर रही हूँ। सुबह आपके उठने से पहले जाती हूँ और दोपहर में आती हूँ। घर वालों को तो जानते ही हैं। उन्नीस साल की हूँ और कोई बॉयफ्रेंड भी नहीं है, बनाने में दिलचस्पी भी नहीं। शक्ल और फिगर तो आज आपने देख ही ली… कुछ और रह गया हो तो कहिये वो भी बता दूँ?’
मैं बुरी तरह सकपका कर उसे देखने लगा, मुंह से एक बोल न फूटा।
‘आपको क्यों लगा कि मैं आपकी नज़रों को नहीं पढ़ पाऊँगी?’ उसने आँखे तरेरते हुए ऐसे कहा कि मेरा बस पसीना छूटने से रह गया। उफ़ ये लखनऊ की लड़कियाँ– सचमुच बड़ी तेज़ होती हैं।
‘सॉरी!’ मैंने झेंपे हुए अंदाज़ में कहा।
‘किस बात के लिए? इट्स ह्यूमन नेचर… आप यह दिलचस्पी न दिखाते तो मुझे अजीब लगता। एनीवे, नेट चल पाएगा क्या… या मेरे दर्शन पर ही इक्तेफा कर ली?’

‘राउटर में लाइन नहीं है। ऊपर बॉक्स चेक करना पड़ेगा। ‘
‘चलिए!’
वो मुझे छत पे ले आई।

हालाँकि उसने जो तेज़ी दिखाई थी, उससे मैं कुछ नर्वस तो ज़रूर हो गया था, उसे खुद पर हावी होते महसूस कर रहा था।
फिर भी मर्द था, हार मानने में जल्दी क्यों करना, देखा जाएगा- बुरा लगेगा तो आगे से नहीं बुलाएँगे।

‘जिस चीज़ को छुपाया जाता है उसे देखने जानने में ज्यादा ही दिलचस्पी होती है वरना मैं अपनी लिमिट जानता हूँ। लंगूरों के हाथ हूरें तब आती हैं जब वे बड़े बिजिनेसमैन, रसूखदार, या कोई सरकारी नौकरी वाले होते हैं और इत्तेफ़ाक़ से इस बन्दर के साथ कोई सफिक्स नहीं जुड़ा।’
‘आप खुद को लंगूर कह रहे हैं!’ कह कर वो ज़ोर से हंसी।
‘पावर सप्लाई ऑफ है… शायद नीचे ही गड़बड़ है।’ मैंने उसकी हंसी का लुत्फ़ उठाते हुए कहा।
वहाँ जो पावर एक्सटेंशन बॉक्स था, उसमें लगे अडॉप्टर शांत थे, यानि सप्लाई बंद थी और यही मेरा कारनामा था।

नीचे जहाँ से उसे कनेक्ट किया था वहाँ ही गड़बड़ की थी।
प्लग की खूँटी में दोनों तार इतने हल्के बांधता था कि कुछ ही दिन में वो जल जाएँ या निकल जाएँ और इस बहाने वे मुझे फिर बुलाएँ।

‘चलिए!’ उसने ठंडी सांस लेते हुए कहा।
‘बॉयफ्रेंड बनाने में दिलचस्पी क्यों नहीं। यह भी तो ह्यूमन नेचर के दायरे में ही आता है। मैं अपनी बात नहीं कर रहा। यूनिवर्सिटी में तो ढेरों अच्छी शक्ल सूरत वाले शहज़ादे पढ़ते हैं।’
‘मैं अपने नाम के साथ कोई बदनामी नहीं चाहती! मेरा एक भाई भी वहाँ पढ़ता है और इसके सिवा हमारे यहाँ शादी माँ बाप ही करते हैं और वो भी रिश्तेदारी में ही। किसी से रिश्ता बनाने का कोई फायदा नहीं जब उसे आगे न ले जाया जा सके और मेरा नेचर नहीं कि मैं किसी रिश्ते को सिर्फ एन्जॉय तक रखूँ!’
‘पर दोस्त की ज़रूरत तो महसूस होती होगी। इंसान के मन में हज़ारों बातें पैदा होती हैं, कभी ख़ुशी, कभी ग़म, कभी गुस्सा, कभी आक्रोश, और इंसान किसी से सब कह देना चाहता है। मन में रखने से कुढ़न होती है और उसका असर इंसान के पूरे व्यक्तित्व पर पड़ता है।’
यह बात कहते हुए मुझे उस दूसरी लड़की की याद आ गई जिसमे मुझे ऐन यही चीज़ें दिखती थीं।

‘हाँ, होती है और कुछ लड़कियाँ हैं भी पर फिर भी यह महसूस होता है कि मैं उनसे सब कुछ नहीं कह सकती… और किसी लड़के को दोस्त बनाने में डर लगता है क्योंकि मैं उन पे भरोसा नहीं कर पाती। आज हाथ पकड़ाओ तो कल गले पड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं। दिन ब दिन उनकी ख्वाहिशें बढ़ने लगती हैं, वे अपनी सीमायें लांघने लगते हैं। दो बार मैं यह नाकाम कोशिश कर चुकी हूँ।’
हम नीचे आ गए जहाँ प्लग लगा था।
मैंने उससे स्क्रू ड्राइवर माँगा और उसे खोल कर दुरुस्त करने लगा।

‘वैसे आप खुद को इतना अंडर एस्टीमेट क्यों करते हैं?’ उसने शायद पहली बार मुझे गौर से देखते हुए कहा।
‘कहाँ? नहीं तो। मैं जानता हूँ कि मैं क्या हूँ और मैं खामख्वाह की कल्पनाएं नहीं करता, न भ्रम पालता हूँ और इसका एक फायदा यह होता है कि मैं अपनी सीमायें नहीं लांघता कि कभी किसी की दुत्कार सहनी पड़े। अब जैसे आपने कभी मुझे दोस्त बनाया होता तो मैं हम दोनों के बीच का फर्क जानते समझते कभी अपनी सीमायें नहीं लांघता और न आपके हाथ से बढ़ कर गले तक पहुँचता।’
यह बात कहने के लिए मुझे बड़ी हिम्मत करनी पड़ी थी।
इस बार वो कुछ बोली नहीं, बस गहरी निगाहों से मुझे देखते रही।

मैंने प्लग सही किया और सॉकेट में लगा दिया, सप्लाई चालू हुई तो राऊटर में भी लाइन आ गई।
उसने लैप्पी के वाई फाई पे नज़र डाली, नेट चालू हो गया था।

‘तो मैं अब चलूँ?’
‘खाना खा के जाने का इरादा हो तो कहिये बना दूँ।’ कहते हुए वो इतने दिलकश अंदाज़ में मुस्कराई थी कि दिल धड़क कर रह गया था।

मेरे मुंह से बोल न फूटा तो मैं मुड़ कर चल पड़ा।
वो मुझे दरवाज़े तक छोड़ने आई थी और जब मुझे बाहर करके वापस दरवाज़ा बंद कर रही थी तो एक बात बोली ‘सोचूंगी।’
‘किस बारे में?’

पर जवाब न मिला और दरवाज़ा बंद हो गया।
उस रात मुझे बड़ी देर तक नींद नहीं आई, जितनी भी बात हुई अनपेक्षित थी और शांत मन में हलचल मचाने के लिए काफी थी।
उसकी आखिरी बात ‘सोचूंगी’ किसी तरह का साइन थी लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा था कि उसका मकसद क्या था।
बहरहाल मैं उतरती रात में जाकर सो पाया।

सुबह उठा तो अजीब सी कैफियत थी… आज सोमवार था और काम का दिन था।
जैसे तैसे दस बजे जाने के लिए तैयार हुआ ही था कि फोन बज उठा।
कोई नया नंबर था लेकिन जब उठाया तो दिल की धड़कने बढ़ गईं।

‘निकल गए या अभी घर पे हो?’ आम तौर पर एकदम किसी की आवाज़ को पहचानना आसान नहीं होता लेकिन गौसिया की आवाज़ कुछ इस किस्म की थी कि लाखों नहीं तो हज़ारों में ज़रूर पहचानी जा सकती थी।
‘घर पे हूँ… निकलने वाला हूँ, बताओ?’
‘कोई बहाना मार के छुट्टी कर लो और इसी वक़्त मेरी छत पे आओ। दरवाज़ा खुला है, सीधे मेरे कमरे में आओ।’

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
‘इस वक़्त?’ मेरा दिल जैसे उछल के हलक में आ फंसा, धड़कनें बेतरतीब हो गईं।
‘हाँ! वैसे छत पे कोई नज़र नहीं रखे रहता लेकिन फिर भी दिखावे के लिए मॉडम वाला बॉक्स खोलकर चेक कर लेना कि लगे कुछ कर रहे हो। आस पास वाले जानते ही हैं कि क्या काम करते हो।’

फोन कट हो गया।
यह मेरी कल्पना से भी परे था, मेरे गुमान में भी नहीं था कि मुझे कभी ऐसा मौका मिलेगा।
पता नहीं क्या है उसके मन में?

बहरहाल मैंने ऑफिस फोन करके तबियत ख़राब होने का बहाना मारा और सीढ़ी से होकर ऊपरी छत पर आ गया।
मैंने आसपास नज़र दौड़ाई लेकिन कहीं कोई ऐसा नहीं दिखा जो इधर देख रहा हो। दोनों छतों के बीच की चार फुट की दीवार फांदी और उसकी छत पे पहुँच कर मॉडम वाला बॉक्स खोलकर ऐसे चेक करने लगा जैसे कुछ खराबी सही कर रहा होऊँ।
फिर उसे बंद करके सीढ़ियों के दरवाज़े पे आया जो कि खुला हुआ था और उससे होकर नीचे आ गया।
नीचे दो कमरे थे जिनके बारे में मुझे पता था कि एक उसके भाइयों का था और एक उसका।
मैंने उसके कमरे के दरवाज़े को पुश किया तो वो खुलता चला गया।
और सामने का नज़ारा देख कर मेरी धड़कने रुकते रुकते बचीं।

वो हसीन बला सामने ही खड़ी थी… लेकिन किस रूप में??
उसके घने रेशमी बाल खुले हुए थे जो उसके चेहरे और कन्धों पे फैले हुए थे… गोरा खूबसूरत चेहरा कल की ही तरह बेपर्दा था और क़यामत खेज बात यह थी कि उसने कपड़े नहीं पहने हुए थे, उसने पूरे जिस्म पर सिर्फ एक शिफॉन का दुपट्टा लपेटा हुआ था, दुपट्टे से सीना, कमर, और जांघों तक इस अंदाज़ में कवर था कि आवरण होते हुए भी सबकुछ अनावृत था।
शिफॉन के हल्के आवरण के पीछे उसके मध्यम आकार के वक्ष अपने पूरे जलाल में नज़र आ रहे थे जिनके ऊपरी सिरों को दो इंच के हल्के भूरे दायरों ने घेरा हुआ था और जिनकी छोटी छोटी भूरी चोटियाँ सर उठाये जैसे मुझे ही ललकार रही थीं।
उनके नीचे पतली सी कमर थी जहाँ एक गहरा सा गढ्ढा नाभि के रूप में पेट पर नज़र आ रहा था और पेट की ढलान पर ढेर से बालों का आभास हो रहा था… वहाँ जो भी था, वे घने बाल उसे पूरी बाकायदगी से छुपाए हुए थे।
और जो आवरण रहित था वो भी क्या कम था- संगमरमर की तरह तराशा, दूध से धुला, मखमल सा मुलायम… उसकी पतली सुराहीदार गर्दन, उसके भरे गोल कंधे, उसकी सुडौल और गदराई हुई जांघें…
उसमें हर चीज़ ऐसी ही थी जिसे घंटों निहारा जा सकता था।

मेरा खुला हुआ मुंह सूख गया था और साँसें अस्तव्यस्त हो चुकी थीं, जबकि वो बड़े गौर से मेरे चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रही थी।
‘कल तुम कह रहे थे न कि तुम अपनी सीमायें जानते हो। मैंने तुम्हें दोस्त बनाया होता तो तुम हम दोनों का फर्क जानते समझते और अपनी सीमाओं को देखते हुए कभी मेरे हाथ से बढ़ कर मेरे गले तक न पहुँचते।’
‘तो?’ मेरे मुंह से बस इतना निकल पाया।
‘तो चलो मैंने तुम्हें अपना दोस्त समझो कि बना लिया और मेरा दोस्ती वाला हाथ तुम्हारे हाथ में है। मैं देखना चाहती हूँ कि तुम मेरे गले तक पहुँचते हो या नहीं।’
ओह ! तो यह बात थी, मेरा इम्तेहान हो रहा था।
भले उसे देखते ही मेरी हालत खराब हो गई थी, पैंट में तम्बू सा बन गया था लेकिन मैं कोई नया नया जवान हुआ छोरा नहीं था जिसका अपनी भावनाओं पर कोई नियंत्रण ही न हो।
तीस पार कर चुका था और ज़माने की भाषा में समझदार और इतना परिपक्व तो हो ही चुका था कि ऐसी किसी स्थिति में खुद को नियंत्रण में रख सकूँ।
जब तक क्लियर नहीं था तब तक मेरी मनःस्थिति दूसरी थी लेकिन अब मेरा दिमाग बदल गया।
वो मेरे सामने टहलने लगी और यूँ उसके चलने से उसके स्पंजी वक्षों और नितम्बों में जो थिरकन हो रही थी वो भी कम खतरनाक नहीं थी लेकिन मेरे लिए यह परीक्षा की घड़ी थी।
मैंने उसकी तरफ से ध्यान हटा कर उस दूसरी लड़की के बारे में सोचने लगा जो कल पहली बार मुझे देख कर मुस्कराई थी।
वो भी मुझे इसी कमी का शिकार लगती थी कि उसके पास अपने उदगार व्यक्त करने के लिए शायद कोई नहीं था और वो इस अभाव में मन ही मन घुटती रहती थी जिसका असर उसके स्वाभाव में दिखता था।
देखने से ही तीस से ऊपर की लगती थी लेकिन ज़ाहिरी तौर पर ऐसा कोई साइन नहीं नज़र आता था जिससे यह पता चलता कि वह शादीशुदा है।
एक वजह यह भी हो सकती है उसके रूखे और चिड़चिड़े मिजाज़ की।

जो परिस्थिति मेरे समक्ष थी उसमें नियंत्रण का बेहतरीन तरीका यही था कि खुद को दिमागी तौर पर वहाँ से हटा कर कहीं और ले जाया जाए।
यानि मेरा शरीर वहीं था लेकिन दिमाग कहीं और भटक रहा था और वो मुझे पढ़ने की कोशिश में थी।

जब उसने मेरी पैंट में आया तनाव ख़त्म होते देखा, साँसों की बेतरतीबी दुरुस्त होते और चेहरे पर इत्मीनान झलकते देखा तो जैसे फैसला सुनाने पास आ गई।
‘मैंने बहुत बड़ा कदम उठाया था लेकिन जाने क्यों मुझे यकीन था कि तुम वैसे ही हो जैसे मैं सोचती हूँ।’ उसने मेरी आँखों में झांकते हुए कहा।
‘कैसा?’ अब मुस्कराने की बारी मेरी थी।
‘जाओ, क्रासिंग वाले पुल के नीचे इंतज़ार करो, मैं दस मिनट में वहाँ पहुँच रही हूँ।’
‘ओके… पर जाने से पहले मेरे एक सवाल का जवाब दे दो कि अगर मैं नियंत्रण खो बैठता तो?’
‘तो मैं चिल्ला पड़ती और नीचे से दादा दादी आ जाते और तुम पकड़े जाते। कौन मानता कि मैंने तुम्हें बुलाया था।’ कहते हुए उसने दरवाज़ा बंद कर लिया।
यानि जवां जोश, अधीरता और परिपक्वता में यह फर्क होता है।
मैंने बात जाने समझे बिना जल्दबाजी दिखाई होती तो गया था बारह के भाव।
इस अहसास के साथ कि मैंने परीक्षा पास कर ली थी।

ख़ुशी ख़ुशी मैं जैसे गया था वैसे ही वहाँ से निकला और बाइक से निशातगंज पुल के नीचे पहुँच कर उसकी प्रतीक्षा करने लगा।

Dark secret in your life

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A 28 yrs old guy here. Born in a conservative middle class ** family. This is my first answer on quora and it's bit lengthy.

Here it goes. This incident happened 10 yrs back. That time I was enjoying my vacation after 12th standard at my hometown. My mom and dad had to visit our relatives. So, they left for two days. I was alone at home and started watching porn dvd given by my friend.

So, that day my cousin brothers wife came home to give me lunch box and asked for a perticular utensil. I was not aware where the utensil was and asked her to take it as she spends lot of her time in our house helping my mom. Utensil was on shelf. It was not possible for her to take it from there as it was heavy and kept on hight more than 6ft. She is just 5 ft 2inch. She stood on a small wooden stool and tried to get that utensil down. Needless to say that she fell badly.

I ran to the kitchen after hearing that noise. Thankfully there was no injury or fracture. Few bangles broke into the pieces and one piece was found just above her wrist. There was slight blood coming out of that wound. Nothing dangerous but I removed that glass piece and started cleaning it with the first aid material. I was holding her hand and was cleaning wound gently. While doing that I got the glimpse of her clevege. It was damn inviting. On top of that she was breathing heavily. My tool got instant irrection. She noticed that I am staring at her clevege. She smiled and said that you are grown up now. I felt embarrassed and concentrated on cleaning wound. I don't know how it happened but her saree fell down and well the view was absolutely breath taking. She was in her early thirtees back then, bit tanned due to working in farm and her curves were much inviting. My jaw literally dropped and I sat on floor staring at those big boo**. She instantly noticed erected tool in my shorts. She pulled me closer and kissed. I didn't get the time to react. After few seconds I realised what exactly happened. Blame my harmones or my lust but I simply couldn't resist. I started responding and it was a pretty long makout session. At least I felt so. She started kissing on my neck, chest anywhere she could. I just tried to press her boo** and baaam…

She asked me to remove her blouse and bra immediately. I did and started sucking her boo**. She was breathing heavily and asked me to remove remaining cloths as well. We both were naked within 2 mins. She took the charge and started sucking my tool. I was on cloud nine. She then lied on back and asked me to put my tool inside her. It was my first time and I was completely out of my mind. I failed to penetrate twice simply because of my over excitement. She laughed naughty and asked me to stay still then she took my tool in her hand, rubbed it on her pu*** for few seconds and then guided it inside. That warm feeling is hard to forget even today. She asked me to take it slowly and stroke gently. Iinitially I did but then I simply couldnt control myself as she was too wet and kissing me wildly. So, I couldnt resist and started stroking rapidly. Sadly, I came inside her within 1 min. I felt embarrassed but she laughed and said that it happens, just try again and this time follow what she says. Second round was much better… we did it in missionary position only as she was not ready for any other position. There was lots of kissing and caressing. She orgasmed during that round. It lasted around 10–12 mins as she used to stop me from stroking hard in between. After that round she quickly drapped her saree and wanted to leave but my tool got errected again and I insisted to do it again. This time I gave up after couple of minutes as I started to feel cramps in leg. We kissed a lot before she left.

Next day, she came to return utensil and we continued our love making session. She was absolutely crazy. Made me come inside her thrice. No cramps this time. She didnt agree for any other position than missionary and refused my wish for backdoor entry. She said that we will do it next time. I was happy that I finally lost my virginity so well.

I was unaware of the consequences as I never received proper sex education other than porn movies and sex stories. I went to engineering college and was getting adjusted with urban lifestyle. After 2–3 months my mom told me that the wife of cousin brother was pregnant after waiting for these many years. Everyone was happy and there was a family get-together to celebrate. After hearing this I went numb as my room mate explained me the importance of condom and consequences of unsafe sex. I managed to get leave from college and went to hometown. It was very difficult to speak with her about it as too many relatives were gathered. After two days when everyone returned to their home I found her alone and asked her about my fear. She smiled and said yes… it's your child. Thanked me for making her mother and relieving her from curse. It's very hard for a married lady to live in our community without conceiving child. She kissed me with same passion, touched my feet and left the room. I don't remember how much time I was standing there looking at my feet.

Slept with cousin sister to give her a baby

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My cousin sister is 3 years elder than me. We were always too much close from childhood. We were inseparable. Our families also share a good bond so at least once in a week we have a get together. This is the tradition from last 20+ years. We grew up together. We never needed friends or groups in school time. We used to study, play, eat and everything together. We also shared the same school.

I still remember when she was in her 10th standard, she started getting close with a from her class. One day I found them kissing in the school backyard. I could not bare it. I grabbed the guy and started beating him. He was bigger than me so I got more punches than him. My sister pulled me and slapped me hard on my face. I was stunned. I ran from there crying. I could not imagine her with anyone else, and because of that person she slapped me. The same night, our families had arranged a party on my home. So my parents made me to go to her house to study. I went there, knocked, she opened the door, I did not look into her eyes and went to the dining room to study. She came and sat besides me. She put her palm on my face and started crying and apologizing. I got up and started walking, she grabbed me and hugged me. She kissed 2-3 times on my chick where she had slapped. I was looking at her face. She was looking beautiful. I had never seen her like this before. I don't know what happened, I grabbed her more tightly and started kissing on her lips. She resisted and pushed me. I told her that I can not see her with anyone. She is only mine. She shouted, "I am your sister". I said, "Not a Real one. We do not share same parents." She looked at me with wide open eyes. I don't know what I was saying. I was just looking at her body. I held by her waist slowly, looked in her eyes and said I love you. She was looking in my eyes. She knew that I meant it. Her breathing was increasing. I held her tightly and placed my lips slowly on her lips. After few seconds, I felt movement in her lower lips. I got the intimation, she had started kissing me. It was my first kiss, I kissed her with all energy I had. I kissed, sucked, bite on her whole body. We did 69 position for almost an hour. I had the pleasure beyond imagination, so did she. A call interrupted out post orgasm heavy breathing and the horror of what we had done strike us.

We did not see each other for weeks. I had done a horrible mistake and led her to be part of this sin. Our relation had nothing left to share. don't know what she felt, but I knew what was running in my mind. I was in love with her. I was in deep love with my own cousin sister with whom I had shared my childhood, who had been my guardian, who had been my support system. I had ruined everything.

We did not have the same bonding, she avoided me all the time. In front of our families we acted to be normal. I could not bare it. After 2 years we had a family wedding and for some reason we ended up travelling together. It was 2 days long trip via road and we had to stay at hotel overnight. Post dinner, I made her sit with me and tried talking with her. Just like all those thousand times she merely responded. I bowed down to her feet and busted in tears. She also could not hold it longer and started crying. I held her face, and told her how much I missed her. She was still crying. We hugged for like half hour. The amount of relief we had that moment can't be explained in words.

She got married after few years. I couldn't/didn't attend her wedding. She never forced me to. Years passed. Her husband was a nice man and took a good care of her. They were in 5th year of their marriage and she could not concive pregnancy. I was in touch with her throughout each phase. She used to share everything with me, how she was under depression because of this. Then one day she called me to her home. I was working in different city so I had to apply for a leave and flew to her house for 2-3 days. Her husband was out of the country for business purpose. We sat on the Sofa after dinner. I looked at her. She was clearly losing her charm and beauty. She had dark circles under eyes and had gained some weight may be because of medications. This is how she started the conversation:

She: When are you getting married?

Me: Not Sure. Not interested.

She: Why?

Me: Don't know. Never thought.

She: Still Love me ?

Me: What? What are you saying?

She: You can not fool me. You know that.

Me: **pause**

She: If I ask you something will you give me?

Me: I could die for you and you know that.

She: Give me a Baby.

Me: What????

She: Yes. We(she and her husband) have tried every single solution but it's not going to work. It will hamper our marriage. I will lose everything. I have talked with him for this. He has also agreed.

Me: Why don't you go for test tube baby or any other such procedure?

She: I don't want my baby from some artificial procedure.

Me: Why Me? I am your brother.

She: Really? Then why did you kiss me that day? Why did you licked my vagi*a like a hungry dog and gave me the best pleasure of life? Why did you allow me to give you bl*wjob? And, Why you have not let anyone enter your life? and why do you still masturbate feeling that you are inside me?

Me: Stop it...Please stop it...It was all a mistake.

She: Yes, I thought the same. But it was a pure Love from your side. You have loved me your entire life.

Me: Where are you heading?

She: Sleep with me. Give me your baby. Complete me.

Me: I can't do it.

She: I am begging you.

After lots of arguments and heat discussions, I agreed. She told me to follow her to room. There she was, lying completely naked on the bed. All I had ever wanted in my life was in front of me. I could not get an erection. A failed attempt.

I booked a lavish hotel for next night, booked a high society escort and we went there. I made her sleep naked on the bed and started playing with the escort to get the erection. Everytime I got one, I tried to insert in her and pump. It was all artificial and ended up with series of failed attempts. She was broken , cursing herself. I was also depressed with what I was doing with my life. I could not sleep that night.

Next morning we went home. It was my last day at her place. She was not talking to me. I could not leave her like that. I thought I loved her and this is all I every wanted in my life then what happened. Then it strike me, I was doing it so technically. There was no emotion attached to it. It was all guilt and getting over with it as soon as possible. I loved her with all my heart and this was the only chance I had to be inside her and give our relation something we could have never had. A child, our child. For outside world that child would be her and her husband's. But we knew and it was enough.

I looked at her and I felt the same love for her. She was the same girl with whom I grew up. I cancelled my flight and called my manager to extend the leave. I booked a lavish hotel in nearest hill station. We went there. The view from the resort was amazing. We had a private swimming pool with a breathtaking view. We checked in the room and refreshed. I had already arranged few surprised for her. The most sluttiest bikini was hanging in the washroom which she was supposed to wear. I was already waiting for her in the pool and then she came. Wow, I got an instant erection. We played for some time in the pool. I made her laugh, remembered few memories. When we were playing, I unhooked her bra and started sucking her huge breast. She was surprised by this but in no time she was all in the act. We kissed, smooched and did every possible thing. In the pool, on the bed, in the washroom, on the sofa, everywhere. Tried every position, discovered few, did everything for next 3 days and nights. Everytime without any protection, I ejaculated in her. All three holes of her body were filled with my sperm.

It was enough for lifetime. I finally had achieved my most desired pleasure.

After 8 months and 3 weeks, she gave birth to a beautiful Baby Girl. I was available there with all our family members. When I held that little angle in my hand, everyone was congratulating me of being an uncle. I was looking at her face. Slightly kissed on her forehead and murmured in her ears: You are my Love. I will be there for you till the end of the time.

MY NEIGHBOUR AUNTY

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