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पति के सामने बीवी की चुदाई

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मेरी शादी दो साल पहले अप्रैल में मेरे ही नगर में ही हुई, मेरे पति का नाम बलराम उर्फ़ बालू है, उनकी उम्र 39 वर्ष है, मेरी उम्र अभी 23 वर्ष की है, जब शादी हुई थी तब मैं 21 वर्ष की थी, लालच में मेरी मम्मी उनका बंगला कार सब देखकर मेरी शादी ज्यादा उम्र के आदमी से कर दी। मेरे पति का काम अच्छा है इसलिए मम्मी ने लालच में कि मैं खुश रहूं और मेरी मम्मी को भी पैसा मिलता रहेगा और खास तौर पर उनका कच्चा गिरा हुआ घर बन जायेगा.

बालू मेरे पति की एक शादी पहले हो चुकी थी और शादी के दिन से ही उन दोनों की नहीं बनी थी तो वे अलग अलग हो गए थे.
मैं दिखने में बहुत सुंदर हूं और स्लिम हूं। मेरा साइज़ है कमर-26, सीना-30 से थोड़ा ज्यादा, हिप्स-34, पर मैं सबके सामने बहुत शर्मीली स्वभाव की लड़की हूं जबकि अकेले में बहुत ही अलग खुली और बेहद सेक्सी! मैं जब किशोर अवस्था में थी तभी से मेरी मम्मी के फोन से किसी को भी फोन लगा देती थी अकेले में… और अगर वो मर्द होते थे तो फिर वो थोड़ी देर बाद मुझसे सेक्सी अजीब बात करने लगते! कई तो पचास साठ साल के बुजुर्ग होते थे और मैं उनका साथ देती थी; मुझे बहुत अच्छा लगता और मजा आता; जो मर्द गंदी बातें करते, उनका नम्बर मैं एक कापी में लिख लेती।
मेरा पढ़ने में बिल्कुल मन नहीं लगता था, बस सेक्स में ही ध्यान चला जाता. बड़ी मुश्किल से मैंने स्कूल पास किया और बार बार फेल होती रही।
हां यह सच है कि मेरी मम्मी बहुत लालची हैं, रुपयों को बहुत मानती है, वही स्वभाव मेरे में भी है, मेरी कमजोरी भी पैसा है।
मम्मी कसम… मैं एक एक शब्द सही लिख रही हूं.

हमारा घर कच्चा है तो मेरी शादी के समय ही मम्मी ने मेरे होने वाले पति से बोली थी- हमारा घर पक्का बनवाने में दामाद जी मदद कर देना!
उन्होंने हां कर दिया था क्योंकि वो मुझसे प्यार करते थे और मुझ पर फिदा थे.
मम्मी मुझे सिखाया करती थी कि तुम्हारे ये पति जो भी बोले, वो सब करना… पर हर बात के पैसे मांगना। पैसे ही काम आते हैं, कुछ गिफ्ट भी दें तो बोलना इसके बदले मुझे पैसे दे दो। जब तुम्हें प्रेम करें… समझ रही हो न… तब भी तुम उनसे पैसे मांग लिया करना! और रुपए जोड़ना… बुरे वक्त में सिर्फ पैसा काम आता है।

और मम्मी बोली- शादी के बाद तुरंत ही मेरा घर बनवा देना, पति को पटा कर यहां एक रूम अपना भी बनवा लेना। वहां तुम्हारे पति जो बोलें, वो सब करना… कुछ गलत या सही नहीं होता, सब कर लेना, सब में हाँ करना और कुछ उल्टा पुल्टा करवायेंगे तो वो भी कर लेना, बस उसके ज्यादा पैसे ले लेना।
मैं मम्मी को बहुत मानती हूं, उन्हीं की बात मुझे सही लगती है और उन्हीं की बात मुझे समझ आती है।
अब आती हूं मेरी लालच और जिस्म की प्यास जो लगभग हर लड़की में होती है।
शादी के 45 दिन पहले ही मेरे होने वाले पति बालू मुझे एक एंड्रायड स्मार्टफोन ओप्पो का दे गये और उसे चलाना भी सिखाया, मैं बोली- इसमें वो गंदी वाली कहानियां और गंदी फ़िल्म भी आती हैं, वो मुझे बता दो कैसे आती हैं?
वो मुझे बोले- तुम गूगल में जाकर सिर्फ xxx और इंडियन पोर्न टाइप करना, फिर जो वीडियो आये ध्यान से देखना, और बताया कि इसी में गंदी कहानी रहती है अन्तर्वासना टाईप करना फिर पढ़ना मज़ा आयेगा, तुम्हारा टाइम पास भी अच्छा होगा!
मैंने कहा- ठीक है।

उन्होंने मुझे टाइप करके सब बता दिया. एकदम गन्दी फोटो आई, वीडियो आई तो मैं बोली- मैं देख लूंगी!
और मोबाइल ले लिया.

चार दिन बाद मेरे होने वाले पति एक छोटा मोबाइल मम्मी के लिए भी लाये तो मम्मी बहुत खुश हो गई।
मेरे होने वाले पति से मम्मी बोली- बेटा, आ जाया करो! तुम्हारा ही घर है!
और मम्मी बोली- मैं जा रही हूं घर से बाहर काम से… आप बेटा बात कर लो सोनू से!

मेरे से मम्मी बोली- नाटक मत करना सोनू… और अच्छे से बातचीत करना, जिसमें उन्हें खुशी मिले उसके लिए मना मत करना!
और मम्मी बाहर से गेट बंद कर के चली गई।

तभी मेरे होने वाले पति मेरे पास आये और बोले- मोबाइल में क्या देखा रानी?
मैं बोली- कुछ नहीं!
जबकि मैं सब देखने लगी थी. पोर्न वीडियो देख कर मेरी हालत खराब हो जाती है, अन्तर्वासना पर सेक्सी कहानियां भी चार पांच पढ़ी थी।

तभी बालू ने मोबाइल पर एक इंडियन पोर्न वीडियो निकाल कर लगा दिया जिसमें एक लड़की बहुत स्लिम मेरी तरह और तीन बहुत लम्बे चौड़े काले नीग्रो… तीनों ने लड़की के कपड़े उतार दिए और अपने भी मैंने आंखें बंद कर ली.
तभी बालू बोले- वन्द्या मेरी रानी, तुम्हें मेरी कसम… प्लीज पूरा वीडियो देखिए मेरे साथ!

मैं कसम कैसे तोड़ती, आंखें खोल दीं मैंने और देखने लगी, तब लड़की की उस xxx वीडियो में वो नीग्रो उसकी टांगें फैला कर चूत चाटने लगे और लड़की दो नीग्रो जो बचे थे उनके लन्ड अपने मुंह में बारी बारी से चाटने लगी. मेरी हालत अब थोड़ा बिगड़ने लगी कि तभी बालू बोले- इधर तख्त पर आइये!
अब हम दोनों तख्त पर चले गये.
उन्होंने बोला- लम्बा वीडियो है, चलो लेट कर देखते हैं.
खुद लेट गए, मैं भी बगल से लेट गई, वीडियो में लड़की की टांगें ऊपर करके दो लोग चाट रहे थे आगे और पीछे!

तभी अचानक बालू ने मेरे ऊपर एक हाथ अपना और एक टांग रख दी, मैं नहीं मना कर पाई, थोड़ी देर में उनकी सख्त चीज मेरे जांघ में चुभने लगी, मुझे पता चला कि यह बालू का लंड है, इतने में पीछे से मेरी लैगी के अंदर अपना हाथ डाल दिया और मेरी पीछे कूल्हों को सहलाने लगे पैंटी के ऊपर से ही!
कोई मर्द छुये तो कोई भी लड़की गर्म हो जाती है.

मोबाइल जिसमें वीडियो चालू था उसे उठा लिया और बालू मुझे बोले- वन्द्या, सीधी लेट जाओ!
मैं जैसे सीधी हुई, उनका हाथ अब मेरे सामने जांघ में पैंटी के ऊपर से ही सीधे मेरे चूत के ऊपर फूली हुई जगह में रख गया और वो मेरे वहीं पर अपना हाथ चलाने लगे. इससे मुझे कुछ कुछ होने लगा.

तभी एकदम से पेंटी के ऊपर से बुर की लकीर में अपनी एक उंगली डाल दी, मेरे मुंह से सिसकारी निकल गई.
तब उनको शायद समझ आ गया कि मैं गर्म हो चुकी हूं, वो मेरी लैगी उतारने लगे. मैं रोकने लगी, बोली- कोई आ जायेगा। शादी के बाद खुल कर करेंगे, फिर आपकी हूं!
तभी वो बोले- वन्द्या, वो अंदर नहीं डालूंगा, वादा! बाकी सब करने दो थोड़ी देर, जल्दी कर लूंगा, मेरी कसम आपको!

मैंने उनका हाथ छोड़ दिया, तभी सीधे मेरी लैगी उतार दी, नीचे सिर्फ पैंटी में थी मैं… मुझे देख कर वे बोले- कितना लकी हूं मैं! क्या मस्त हो यार!
और पैंटी के ऊपर से ही चूत को चूमने लगे.
अब जो xxx वीडियो चल रहा था, उसे बंद कर दिया और मेरे उपर चढ़ गये और मेरे मुंह में अपने मुंह को लाकर मेरे होठों को लिप किस किया. उनकी सांसों की गर्मी और मेरे सांसों की गर्मी टकरा रही थी और उनका लन्ड मेरी चूत में पैंटी के ऊपर से ही चुभ रहा था.
बालू का सीना मेरे सीने में रखा था.

तब करीब दस मिनट मेरे होठ चूसे और अंदर जीभ डाल कर जीभ को भी चूसा बालू ने… मेरी हालत बहुत खराब हो रही थी, मैं बोली- टेलीविजन की बटन आन कर दीजिए, नहीं तो कोई कुछ आवाज सुने तो गलत ना समझे!
उन्होंने टीवी आन करके म्यूजिक चैनल लगा दिया.
मैं बोली- सांउड तेज कर दो!
उन्होंने कर दिया।

अब वो अपना पैंट खोलने लगे, मैं बोली- आपने वादा किया है कि डालोगे नहीं!
तो बालू बोले- वादा निभाऊंगा… पर बाकी आज और कुछ ना छोड़ूंगा!
मेरे से बोले- आज कुछ भी मन हो खुल कर गंदा से गंदा बोलूंगा, बुरा नहीं मानना और तुम भी बोलना जितना भी… इसमें खुल कर बातें करेंगे, उतना इंजवाय होता है।

मैं बोली- ठीक है, नहीं मानूंगी बुरा… बोलिए जो मन हो!
आप तो जानते हो कि मुझे गालियां और गंदी बातें बहुत पसंद हैं और मुझे बहुत जोश आता है।

तभी देखते देखते बालू ने अपने पूरे कपड़े उतार दिए. अब अंडरवियर भी उतार दी तो मैंने थोड़ी शरमा कर आंखें बंद कर ली.
बालू में मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने लन्ड पर रखवा दिया. उनका लंड एकदम गर्म था.

बालू मुझसे बोले- वन्द्या मेरी जान, आंखें खोल दीजिए!
मैंने आंखें खोली तो वो अपनी दोनों टांगें मेरे उपर इधर उधर किया हुए थे, सामने मेरे हाथ में लंड देख कर एकदम अलग फीलिंग आई, मैं लंड को देखे जा रही थी.
तभी मेरे होने वाले पति बालू बोले- क्या रानी, यही सोच रही हो न कि बहुत छोटा है? पर इंडिया के लोगों का इतना ही छोटा होता है.
मैं समझ गई कि ये झूठ बोल रहे हैं, मैंने रास्ते में कई मर्दों का पेशाब करते हुए देखा था पर उनका लन्ड बड़ा है, और आशीष जो मेरा ब्वाय फ्रेंड है उसका लंड बहुत बड़ा है.

बालू का लंड 4 इंच से थोड़ा ज्यादा बड़ा था, पर कड़क था.
वे मुझे बोले- थोड़ा इसे रगड़ो!
मैं रगड़ने लगी.

तभी वो मेरी कुर्ती को धीरे धीरे उतारने लगे. जैसे ही मेरी नाभि के ऊपर कुर्ती गई, नाभि पेट नंगी हुई, वो पागल से होकर नाभि को चूमने चाटने लगे, मुझे कुछ-कुछ होने लगा और मैं उनके नाभि को किस करने के तरीके से पागल होने लगी.
तभी वो बोले- वन्द्या, किसी हिरोइन की भी इतनी सेक्सी नाभि नहीं है। तुम्हें तो हर मर्द चोदना चाहेगा!

यह बात उनके मुंह से मुझे अच्छी लगी, मैं बोली- क्या बोले?
तो वो बोले- हर लड़की का मन करता है कि अलग अलग मर्द या एक साथ दो तीन चोदें!
मैं झूठ मूठ बोली- मुझे यह पसंद नहीं!

तभी बलराम बोले- झिझको नहीं, मुझसे खुल जाओ, तभी बहुत लाइफ इंजॉय करोगी। अच्छा यह बताओ कि अभी जो xxx पोर्न वीडियो में एक लड़की को तीन मर्द चोद रहे थे, तुम्हें पसंद नहीं आया क्या? मेरी कसम… सच बोलना आज!
मैं बोली- हर बात में कसम दे देते हो?
आगे मैं बोली- हां, पसंद आया! पर ये फिल्म में होता है रियल में थोड़ी! मैंने अभी जबसे मोबाइल आपने दिया और मैंने पोर्न वीडियो देखे, ज्यादातर वीडियो में लड़की एक और मर्द चार पांच होते हैं। पर वो सभी विदेशी हैं. हां, कुछ में लड़की इंडियन जरूर थी।

तभी बालू ने मेरा मोबाइल लिया और टाइप किया गूगल में ‘इंडियन एमएमएस थ्रीसम’
और फिर मुझे दिखाने लगे, बोले- ये सब रियल हैं, सच में स्कूल गर्ल, कालेज गर्ल, मैरिड वुमन सब एक साथ दो, तीन, चार, पांच मर्दों से एक साथ चुदाई करवाती हैं।
मैं बोली- सच में? यार ये तो गजब है! इंडिया में भी फारेन जैसे होने लगा?

बालू बोले- अब सच बोलना, नहीं कसम दे दूंगा.
मैं बोली- प्लीज कसम मत देना, हमेशा सच बोलूंगी… पर एक शर्त पर कि अगर कुछ भी खराब बोल दूं गन्दी गन्दी बातें भी… तो बुरा नहीं मानना और मुझे डांटना ना हो।
बालू बोले- अगर ये भी बोल दो कि तुम एक साथ पांच छः मर्दों से एक साथ कई बार चुदवा चुकी हो और आगे भी चुदवाओगी तो भी मैं बुरा नहीं मानूंगा, ना डाटूंगा और फिर भी शादी हर हाल में तुमसे ही करूंगा… कसम से मम्मी कसम!
मैं बोली- ग्रेट यार… इतनी पसंद आ गयी मैं! पर आपको बता दूं आज मेरी लाइफ में आप पहले मर्द नहीं हो जिसने मुझे इस तरह छुआ है और जिसके साथ लेटी हूं। जो आप पूछना चाहते हैं तो वो भी सब बता दूं कि अभी जब से मोबाइल में ये सब देखने लगी हूं तो सच में उस तरह के पोर्न वीडियो देख कर लगता है कि तीन चार लोग मुझे भी चोदें! सच यही है।

तभी बालू ने मेरा मोबाइल लिया और टाइप किया गूगल में ‘इंडियन एमएमएस थ्रीसम’
और फिर मुझे दिखाने लगे, बोले- ये सब रियल हैं, सच में स्कूल गर्ल, कालेज गर्ल, मैरिड वुमन सब एक साथ दो, तीन, चार, पांच मर्दों से एक साथ चुदाई करवाती हैं।
मैं बोली- सच में? यार ये तो गजब है! इंडिया में भी फारेन जैसे होने लगा?
बालू बोले- अब सच बोलना, नहीं कसम दे दूंगा.
मैं बोली- प्लीज कसम मत देना, हमेशा सच बोलूंगी… पर एक शर्त पर कि अगर कुछ भी खराब बोल दूं गन्दी गन्दी बातें भी… तो बुरा नहीं मानना और मुझे डांटना ना हो।
बालू बोले- अगर ये भी बोल दो कि तुम एक साथ पांच छः मर्दों से एक साथ कई बार चुदवा चुकी हो और आगे भी चुदवाओगी तो भी मैं बुरा नहीं मानूंगा, ना डाटूंगा और फिर भी शादी हर हाल में तुमसे ही करूंगा… कसम से मम्मी कसम!
मैं बोली- ग्रेट यार… इतनी पसंद आ गयी मैं! पर आपको बता दूं आज मेरी लाइफ में आप पहले मर्द नहीं हो जिसने मुझे इस तरह छुआ है और जिसके साथ लेटी हूं। जो आप पूछना चाहते हैं तो वो भी सब बता दूं कि अभी जब से मोबाइल में ये सब देखने लगी हूं तो सच में उस तरह के पोर्न वीडियो देख कर लगता है कि तीन चार लोग मुझे भी चोदें! सच यही है।


इतना सुनते ही बालू ने मेरी कुर्ती उतार फेंकी और मुझसे लिपट गये, बोले- बहुत सेक्सी हो यार! थैंक्यू… मुझे ऐसी ही पार्टनर चाहिए! अब वन्द्या खुल के गन्दा बोलो! मेरा ऐसे ही साथ देना! अगर कभी तुम्हारा बहुत मन किया तो तुम तीन चार मर्द से चुदवा लेना।

मैं बोली- सच बालू?
वे बोले- सच में!
मैं बोली- आपको बुरा तो नहीं लगेगा?
बालू बोले- कसम से बुरा नहीं लगेगा! आप खुश हो और मजा आये आपको… आप सेटिस्फाई हों, मुझे इसमें खुशी मिलेगी।
मैं बोली- थैंक्यू… पर आपके लिए मैं कुछ भी करूंगी, पर खुद से ऐसा कुछ नहीं करूंगी; अगर किन्ही मर्दों से करवाया या करवाने का मन किया तो आपसे बता दूंगी।
बालू बोले- पर अपन बातों में कल्पना डाल दो… तीन मर्द को सोच के सब करेंगे तो उससे जोश बढ़ता है.
मैं बोली- ओके!


अब बालू ने मेरे बूब्स ब्रा को ऊपर से ही दबा दिया, मुझे मस्त लगा, मैं बोली- ये मेरे छोटे हैं अभी मेरी सहेलियों से!
बालू बोले- मस्त हैं सेक्सी… इन्हें मैं दबा दबा के बड़ा कर दूंगा। अभी भी बहुत मस्त हैं.


अब मैं उनके सामने ब्रा पैन्टी में लेटी थी और वो भी पूरे नंगे थे, मुझे बोले- अब तू तड़ाक में बात करो! जब भी ये पल हों जानवर बन जायेंगे दोनों! फिर सेक्स के बाद नार्मल लाइफ वही आप!
मैं बोली- ओके!
मुझे अब वो गंदी बातें बोलने लगे, बोले- फुल रंडी लगती हो सेक्सी!
और मेरी पैंटी उतार दिये और सीधे मेरी दोनों टांगों को फैला कर चौड़ा कर दिया सबसे पहले मेरी चूत में किस किया और बोले- तेरी चूत तो बह चली है, बहुत चुदासी है तू साली! फिर मना क्यूं कर रही है?
मैं बोली- मैं तेरा लौड़ा अन्दर सुहागरात में ही लेना चाहती हूं।


तभी एकदम जोश में आकर बालू अपनी पूरी जीभ मेरे चूत में डाल कर जोर जोर से चूसने और चाटने लगा; मैं छटपटाने लगी और ऊं हहह वोहह हहह आहहह की आवाज जोर जोर से मेरे मुंह से अपने आप निकलने लगी. ये मेरे साथ फर्स्ट टाइम था, तब भी मेरे मुंह से अपने आप गन्दी बातें निकलने लगी, मैं बोली- ओहह हहह कुत्ते और चाट… बहुत मस्त चाटता है चूत… कितनों की चाटी है?
तभी बालू उठा और मेरी ब्रा को जोर से खींचा ब्रा फट गई, मैं अब पूरी नंगी हो गई.
बालू बोला- पूरी छिनाल लगती है तू वन्द्या… क्या मस्त माल है तू!


मैं बोली- अपनी रंडी को कितना दोगे?
तभी बालू ने पर्स निकाला और पांच सौ के करीब दस बारह नोट मेरे ऊपर फेंक दिये और बोला- यार बहुत मज़ा आयेगा अब! तुम मेरी असली रंडी लग रही हो नोटों के ऊपर… बोल अब तेरी नथ उतार दूं? बता चुदेगी ना?
मैं बोली- इतना तो मुझे छूने का लगता है, बीस हजार लूंगी चुदाई का!
बालू बोले- वाह मेरी रंडी, बड़े भाव हैं तेरे साली?
तभी मैं बोली- नथ तो मेरी दस बारह बार उतर चुकी है।


मैं बोली- अंदर से भी गेट बंद कर दो, कहीं मम्मी ना आ जायें!
पर वो नहीं गये, बालू बोले- मम्मी को सब पता है, वो नहीं आयेंगी.
मैं बोली- अरे मम्मी ऐसे ही कुण्डी दे गई होगी, कहीं कोई और आ गया तो?
बालू बोले- आने दो… अब हम मियां बीवी बनने वाले हैं। क्यूं डरें किसी से?


वो नहीं गये बंद करने गेट अंदर से!

और अब सीधे मेरे चूत को फैला कर अपनी जीभ से चाटने लगे; जोर जोर से चूसने लगे और दोनों हाथों से मेरे दूध दबाने लगे. मैं बिल्कुल तड़पने लगी; मुझसे रहा नहीं जा रहा था; मेरे मुंह से अपने आप आवाज निकालने लगी- ऊंहहह आहहहह… मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा! कुत्ते क्या कर दिया!
टीवी की आवाज़ तेज थी इसलिए आवाज वहीं रुक गई.


इतने में मुझे लगा कि जैसे परदा हिला हो!
मैं बोली- कोई आया क्या?
बालू ने मुड़ कर देखा, बोले- कोई नहीं… तू खुद डरती है और मुझे भी डरा रही है, इससे मूड बदल जाता है, कोई आता है तो आने दे अब, बस आज तेरी चूत को खा जाऊंगा.
और पूरी चूत मेरी मुंह में भर लिया.


मैं बिल्कुल नंगी तड़पने लगी; मुझसे सच में अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था; मैं अपने आप अपनी कमर उछालने लगी और अपनी चूत उठा उठा कर चटवाने लगी और बोली- ओहहहहह मेरे राजा… मार डालोगे क्या? ये क्या कर दिया? कौन सी आग लगा दी? मुझसे रहा नहीं जा रहा है… हहह!

इतने में मुझे कुछ मोबाइल सा दिखा परदे के पीछे… पर इस बार उनके संकोच में नहीं बोली कि वो बोलें ना कि अच्छे खासे मूड़ को डिस्टर्ब कर रही है.
मैंने सोचा जाने दो!


और इतने में बालू ने मेरी चूत में अपनी उंगली डाल दी, मैं उछल गयी और जोर से उनका लन्ड पकड़ लिया.
वो बोले- देखना साली, तू आज खुद बोलेगी कि मेरी चूत में लंड डाल दो अपना!
तो मैं बोली- यह नहीं होगा… चाहे मेरी जान निकल जाए! बस मैंने सोच लिया कि चाहे सबसे चुदाई करवाती रहूं नहीं रहा जायेगा तो… पर तुझसे सुहागरात के दिन ही चुदवाऊँगी.


तभी बालू बोले- ऐसी भी क्या जिद है? चलो देखता हूं, कैसे अभी रह पाओगी बिना मेरा लोड़ा घुसवाये!
मैं बोली- देख लो, आजमा लो, पागल तो मुझे कर ही दिया है!


उसी समय फिर एक हाथ से मेरे नंगे बूब्स दबाने लगे, एक हाथ से चूत में अपनी उंगली डाल दी, बालू को मुझे तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था.
फिर वो उठे, मेरे सीने के अगल बगल दोनों टांगें करके मेरे बूब्स को दोनों हाथों से जम के पकड़ लिया और फिर अपना लन्ड मेरे बूब्स के बीच में घुसा दिया और थूक लगा के लंड से बूब्स को चोदने लगे.


अब सच में मेरी हालत बहुत खराब होने लगी, तभी मुझे लगा कि लगता है बालू से चुदवा लूं… नहीं पागल कर देंगे.
बालू दस मिनट बूब्स चोदने के बाद फिर बोले- अब बता कुतिया… चोदूं तेरी चूत?
मैं बोली- नहीं… पर मुझसे अब रहा नहीं जा रहा है!


अब वो मेरे मुंह के सामने अपनी टांगें फैला कर बैठ गये और अपना लन्ड पहले मेरे गालों पर रगड़ा, फिर मेरी नाक में डालने लगे, बोले- तुमसे सेक्सी नाक इतनी सुंदर किसी की नहीं है.
और बहुत ही अजीब पर नशीली खुशबू लंड की नाक में घुस गयी.


तभी बालू बोले- मेरी रंडी कुतिया, चाटो चूसो मेरे लौड़े को!
और मेरे होंठों पर अपने लन्ड को रख दिया.


मैंने मना किया कि प्लीज ये मत करवाओ मुझसे!
तो बालू बोले हर लड़की का ये ड्रीम होता है कि उसे मस्त लन्ड चूसने को मिले! और तू कैसी बात कर रही है, कौन सा मेरा पहली बार चूस रही है, ले साली चूस!
और मेरे होठों पर लन्ड को रगड़ने लगे.


जैसे ही लंड मेरे होठों को रगड़ा, उसके टच करने से गरम गरम उसकी छुअन से मुझे बहुत मस्त अजीब सा लगा और मैंने अपने हाथ से उसका लन्ड पकड़ कर मुंह में भर लिया और चूसने लगी लन्ड!
बालू का लन्ड बहुत बड़ा नहीं है इसलिए आराम से मुंह में पूरा घुसा दिया और मैं चूसने लगी, चाटने लगी.


जाने क्या हुआ कि मेरी आंखें बंद होने लगी और बालू तो जैसे पागल होने लगे, फुल जोश में आ गए और मुझे बहुत गंदी गालियां देने लगे- और चूस रंडी… ले मेरे लंड को… तू साली पूरी छिनाल है… तुझे एक साथ कई लंड चोदेंगे, तब तेरी प्यास बुझेगी!
उसकी ये बातें मेरे जोश को और बढ़ा रही थी.


तभी मेरी आंखें बंद हो गई, बस मैं उसका लन्ड चूसे जा रही थी और बालू तो कांपने लगा और लन्ड रगड़ने की स्पीड फुल बढ़ा दी और उसकी भी आंखें बंद हो गई थी। मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था, लगा कि अब जम के बालू चोद दे!
अगर अब बोलता कि ‘चोद दूं’ तो मैं हां बोल देती अब!


करीब चार पांच मिनट बाद बालू ने मेरी चूत में उंगली घुसा दी, वो एकदम बह रही थी, उंगली जैसे अंदर बाहर चूत में हुई, मैंने अपनी टांगें फैला दी और ऊपर कर ली दोनों टांगें कि बालू समझ जाये कि मैं चुदाई करवाने के लिए पूरी तैयार हूं.
मैं इतने जोश में थी कि जरा भी दिमाग न लगाया कि बालू तो मेरे मुंह में टांगें फैला कर अपने लन्ड से चोद रहा है मुंह को मेरे, फिर उसका हाथ वहां चूत में कैसे जायेगा।


पर मेरी चूत में उंगली अंदर बाहर हो रहा थी और मैं आंखें बंद कर के फुल जोश में बालू का लन्ड चूसे जा रही थी.
कि तभी अचानक बिजली की स्पीड से एकदम मेरी चूत में एक बहुत बड़ा सा सख्त मोटा कुछ बहुत तेजी से पूरे जोर ताकत से एक झटके में मेरी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया. ऐसा लगा, इतना दर्द हुआ कि मैं बेहोश सी हो गई, मेरे मुंह में बालू का लन्ड घुसा था तो मुंह से आवाज भी नहीं निकली और बालू इतने जोश में था कि बस लंड से मेरे मुंह को चोदे जा रहा था.


टीवी की आवाज़ तेज थी जिससे कोई आवाज ही नहीं आयी, मेरी आंखों से आंसू बहने लगे और बालू को देखा तो वो अपनी आंखें बंद किये फुल जोश में पसीना पसीना हुआ जा रहा था. मेरे हाथ भी कंधा भी बालू की टांगों के नीचे दबा था, मैं बेबस मुंह से गूं-गूं की आवाज निकाली और आंसू की धार बह चली. इतना दर्द कि लगा मर जाऊंगी!

उधर अब बिल्कुल समझ आ गया कि कोई मेरी चूत को चोद दिया और जो भी है उसका लन्ड बहुत बड़ा है।
मेरा होने वाला पति गधा मेरे मुंह को चोदने में मदहोश है, उधर नीचे मेरी अब कोई दोनों टांगें पकड़े पूरा फैलाये मेरी चूत में अब धक्के लगाये जा रहा था और मेरी चूत फ़ाड़ दी. बहुत असहनीय दर्द उसके हर बार लंड अंदर बाहर घुसाने में हो रहा था.


मुझे अब तक ये नहीं पता चला कि मेरी चूत को चोद कौन रहा है और वह इतनी सावधानी बरत रहा था कि उसका बदन कैसे भी बालू को टच ना हो।
होती भी कैसे बालू मेरे मुंह में चढ़ा था तो उसका पूरा शरीर मेरे कंधे से ऊपर मुंह के पास था और जो मेरी चूत को चोद रहा था, उसका पूरा लौड़ा अन्दर और वो दोनों टांगों के बीच में यानि मेरे कमर के नीचे था।
अब जो मेरी चूत चोद रहा था, वो लन्ड अन्दर बाहर करने के साथ साथ मेरे दोनों बूब्स भी जोर जोर से दबाने लगा.


मुझे बालू के ऊपर बड़ा गुस्सा आता, जो मेरे हाथ कंधे सब दबाये मेरे मुंह में लंड डाले उल्लू की तरह गधा साला मुंह में मेरे लन्ड डाले पागल है, मुझे दो तीन बार लगा था कि कोई है… परदा हिला था, मोबाइल भी थोड़ा चमका था, मैं बोली भी थी कि लगता है कोई है।
पर बालू बेवकूफ ने हर बार मुझे चुप करा दिया कि तुम फालतू में डर रही हो, मूड खराब कर रही हो.

मैं ये भी बोली थी कि ‘अंदर से भी बंद कर लो’ भले ही मम्मी बाहर से कुंडी लगा दी है।
पर बालू ने कोई एक बात नहीं मानी मेरी, उसी का परिणाम कि शादी बालू गधे से होने वाली है और मेरी चूत उसके मौजूदगी में कोई और चोदे जा रहा है।

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hii dosto 
 
me fir hazer hu ek nyi story leker me nhi janta ue post hui he ya nhi hui he to sorry or nhi ki gayi please  read this story and post comments 



Hello friends meri ye kahani ek anime se prerir hai iske kuch update anime story ko follow kar likhi gayi hai mujhe pasand aayi thi isliye Maine apni thrf se lihkne ki kosis ki he




Ye kahani meri hai main kon hu main bhi nahi janta kiu ke main ek anath hu mera number hai 131 wa .. Ha number main din dayal anathalay ka 131 was bachha hu kisi ko mere janam meri family ka kuch bhi nahi pata..
Main ek aam sa bachha hu amathalay me siksha bahut hi sadharan hai aur sirf gyan ki sikhaiyi gayi hai .. Babhar bichar adhayatmik gyan deh charcha bas yahi sab yu kahe ke bahari duniya matlab sirf school tak hi hamara connection tha...

Main 12 me padhta hu anathalaya me bahut mehnat karke kuch rojgar kiya jisse Maine ek achhe school me admission li thi lekin kuchi samay me pata chal gaya ye mahnge school hamare jaiso ke liye nahi hote isliye tin mahino se main school fees nahi bhar pa raha hu sayad kal mera school me akhri din ho last date school fees bharne ka lekin nahi bhar payunga anathalay ka bhi hal bura hai ..

Are ha Maine apna naam hi bataya waise to kayi naam se log mujhe pukarte hai lekin jo naam mujhe pasand hai wo hai karma ..kiu ke karm se upar kuch nahi hota Maine sirf sahna sikha hai isliye kabhi jindagi se koi ash na rakhi school me bhi kabhi kisi se khas dosti nahi rakhi na ladkio ki taraf kabhi dekha khud ki had ko janta tha..
Isliye na mera koi khas dost hai na gf hai..hamesha khamosh rahta hu log jo bhi kehte hai sunta hu kabhi koi achhi baat kehta hai kabhi buri main sab sehna sikha hai .. Bas apne karmo pe dhayan lagaye huye hu kiu ke dil kehta hai mere karm agar achhe honge ek na ek din mujhe sachi khushi hasil hogi..

Shubha shubha taiyar ho main school ke liye nikla mere kandhe kitabo ka bag tha sadharan uniform tha jaise blezer hote hai kafi mehnga pada tha 2 saal pehle kharida tha ..lekin abtak kafi sambhal ke pehenta hu ..

Anatgalay se school 1 ghante ki duri pe tha paidal hi jata hu hu Aj bhi ja raha hu ..
Kolkata ke bhid bhad bale rasto ko par kar badabazar ki aur badh raha tha main highway se connected tha gadio ki raftar kafi tezz tha ..

Main road ke kinare kinare chal raha tha footpath pakad ke dil Rone ko kar raha tha jeb khali tha aaj school ka fees dene ka akhri din tha pura school mujhe hamdardi ke najar se dekhta tha main khud ko unsab ke najro se bachane ki kosis karta tha lekin ye sambhab na tha main anath kahi na kahi meri jindagi pe habi pad jati thi Maine sabkuch kismat man liya tha aur apna karm kiye ja raha tha..

School pahuch te hi teacher ne mujhe sidhe head teacher ke pass bhej diya...
Main aage badh gaya ..office me..

Head teacher.. Karma beta tum jante ho aaj tumhara akhri date tha..
Main... Ji Sir main janta hu ..
Head teacher.. Phirvi tum fees nahi bhar paye mere pass aur koi chara nahi hai ..
Main.. Ji sir jo aap thik samjhe..
Head teacher apni kursi pe baith mera school leaving sertificate pe Sign kar mujhe dete huye..
Head teacher.. Beta karma mayus mat hona padhayi jari rakhna yaha nahi lekin government school me hi sahi..
Main.. Ji main samajhta hu teacher .. To thik hai aab main chalta hu..
Maine certificate liya aur usko dekhte huye school ke bahar nikal aaya mera man dil khol ke Rone ko kar raha tha galati meri hi thi Maine apne aukat se upar ka ash laga liya tha kisi tarah ek saal par kar liya lekin final year me hi Jana pad raha hu bas ye saal par kar leta phir sayad kahi Clark ki noukri mil hi jati lekin jindagi ne phirse ek baar mera sath dene se mana kar diya..

School se nikal main pass me hi ek garden tha waha pahuch gaya ped ke niche bag rakh hatho me wo certificate liye bas usi ko niharne laga..

Mujhe hosh na tha certificate ko niharta raha kab asman me kale badal chaye kuch ehsaas hi nahi hua tabhi joro ki barish suru ho gayi tabhi kuch chote chote bachhe jo park me football khel rahe the wo bhagte huye akar ped ke niche khade ho gaye mujhe bhi hosh agaya pani ki bundo se..

Bachhe man ke sachhe unko dekh apna bachpan yaad karne laga anathalay ke bachho ke sath khelna yaad agaya tabhi ek bachhe ke Rone ki awaj sun Maine dekha to wo 5 saal ka ek bachha tha uske sath sayad uski bahan thi wo bhi 6 saal ki hogi..

Bachha kisi aur ishara kar roye ja raha tha aur ladki usko samjha ne ki kosis kar rahi thi lekin bachhe to bachhe hote hai unko jab jo chij chahiye wo chahiye asal me pani barasne ke karan bachha apna chota sa football khule me hi bhul gaya tha lekin ab barish ho rahi thi lekin usko uski football chahiye thi..
Main apna GAM ek palms bhul gaya mujhe bachhe ki masumiyat badi achhi lagi..
Main.. Kya naam hai tumhara..
Bachhe.. Bittu ..mera ball mera ball..
Main.. Koi baat nahi main lekar aata hu tum yahi ruko achhe bachhe rote nahi..
Main ped ki chao se nikal karib 50 miter dur pade football ko lane age baadh gaya aur jaise hi football lene jhuka tabhi asman me jod ki bijli chamki aur boooommmmmm...

Roshni hi roshni dhire dhire meri ankhe khulne lagi lekin kuch bhi najar nahi araha tha sirf roshni hi roshni jaise mere ankho ke samne dhuye ka kohra chaya ho safed roshni ke dhuye ka..main kuch dekh nahi pa raha tha main utne laga main khada ho gaya lekin mujhe wo bhi mahsoos nahi hua main jispe khada hu Maine mere hath paw mera Sharir dekhne ki kosis ki lekin wo bhi nahi dekh pa raha tha sirf safed dhuye ya roshni ko chod ke ..
Tabhi ek awaj ne mera dhayan apni taraf khicha..
Awaj.. Putra ..
Main.. Kon kon ..
Awaj.. Putra putra.. Awaj jaise mere kano me gunj rahi thi kaha se arahi kon keh raha tha kuch samajh nahi pa raha tha tabhi awaj phir aayi..
Awaj.. Putra putra..
Main.. Kon bol raha hai main kaha hu mujhe kuch dikhayi kiu nahi de raha main hu kaha..
Awaj.. Putra ye yamlok hai ..
Main.. Yamlok hahaha kon hai aap kiu mazak kar rahe hai aur mujhe kuch dikh kiu nahi raha..
Awaj.. Tum yamlok dekh nahi sakte kiu ke tumhara jivan kal purn nahi hua hai..
Main.. Matlab ..
Awaj.. Putra ek dev bhul ke karan tumhara jivan kal samay se purba hi samapt ho gaya ..
Main.. Kya keh rahe hai main mar chuka hu kaise kab mujhe kuch yaad kiu nahi..
Awaj.. Putra tumhara aksmik mrityu hua jiska tumhe bhi pata nahi chala bidyut ke ek prahar se tumhara manav deh jalkar rakh ho gaya aab tum sirf ek roshni ka ansh ho..
Main.. Achha ha mujhe yaad hai main ball lene maidan gaya tha ohh to bijli mujhpe hi giri thi .. Koi baat nahi waise bhi main bina udeshya ka aisa jivan ji raha tha jiska koi arth nahi tha..
Awaj.. Nahi putra tumhare jivan ka chakra pura nahi hua hai tumhe jivan chakra pura karna hoga..
Main.. To kya main aise hi bhatakta rahunga roshni ban ke..
Awaj.. Nahi hum tumhe naya Sharir denge aur nayi duniya bhi rahne ke liye..
Main.. Nayi duniya se kya MATLAB ...
Awaj.. Hum tumhe usi duniya me nahi bhej sakte jaha tumhari mrityu ho gayi hai ye sristy ke biprit hai.
Main.. To phir kaha bhejenge..
Awaj... Tumhari duniya jaise hi ek duniya jadui duniya..
Main.. Jadui duniya aisa bhi koi duniya hai kya..
Awaj.. Ha hai tumhari koi khas ichha hai..
Main.. Meri nahi nahi main karm pe biswas rakhta hu ..
Awaj.. Hame tum behad pasand aaye tumhari atma normal hai man sundar hai tum mere priya ho gaye ho .. Sach me tum kuch nahi chahte..
Main.. Nahi mujhe kuch nahi chahiye..
Awaj.. Lekin main dena chahta hu ..
Tabhi jaise mere samne se roshni ghatne lagi dhire dhire mujhe mera jisam dikhne laga jaise main roshni se bana hu ..
Kohra chatne laga mere samne ek roshni ka gola tha jaise usme se urja hi urja nikal rahi ho ..
Main khudba khud uske samne jhukte huye ghutne pe agaya hath jod ke naman karne laga dil ko sukun mil raha tha..
Tabhi phirse awaj aane lagi..aur wo awaj us urja se hi arahi thi..
Awaj.. Na mera koi naam hai na mera koi nishan hai main had jagah hu har jagah mujhme hai main hi bahut hu main hi bhabisya hu main hi bartaman hu .. Putra tum mere urja se utpanya ho lekin tum mere priya ban gaye hai .. Main tumhe ashirwad deta hu tumhari sharirik urja badh jayegi tum jadu ka istemal kar paoge .. Gyan tumme pehle hi hai lekin jitna gyan chahoge utna gyan arjit kar Paoge..

Tabhi us roshni se ek urja ka gola nikal akar mere roshni me shamil ho gaya mujhe kuch bhi mahsoos nahi hua lekin jaise mere jisam ki roshni badh gayi ..tabhi jaise phirse kohra chane laga mujhe mera jisam phirse nahi dekhne laga ankho ke samne roshni hi roshni ho gayi..

Sayad kuch samay bita hoga sayad main nind me chala gaya honge aisa mahsoos hua lekin kya main sach me nind me pahuch gaya hunga ya phir aise hi meri ankhe band ho gayi hogi lekin aab mujhe roshni nahi andhera dikh raha tha ..phir jaise mere kano me awaje aane lagi halki hawa ka jhoka mere jisam ko chune laga ..mujhe kuch alag hi mahsoos hone laga jaise main ghas pe leta hu ped ke niche Panchio ki awaj aur halki pawan mujhe uthane ki kosis kar rahi thi ..

Mujhe laga aab mujhe ankho kholne chahiye yamlok me mujhe kuch aur pata chale jaise Maine ankh kholi main chock gaya aur uth ke baith gaya..

Mere samne dur dur tak khula maidan tha ek bada sa ped jiske niche main soya hua tha school dress me Maine apne hath per dekhe ..
Main.. Ye kya hua main kaha hu main to mar gaya tha na phir ..yamlok aur roshni awaj kaha hai sab koi Sapna to nahi dekh raha tha..Maine najre doudai mujhe garden nahi khula maidan dikha dur dur tak kuch bhi na tha dur pahadi dikh raha tha chote chote ped panchi bas yahi tha..
Maine khud ke kapde dekhe to main school ke uniform me hi tha ..
Main khada ho gaya..aur asman ki aur dekha to asman pura saaf tha badalo ka namonishan na tha ..

Main.. Main hu kaha ye konsi jagah hai ..lekin mujhe koi jawab nahi mila main idhar udhar dekhne laga tabhi dur mujhe sadak jaisa hi dikha lekin ye kachhi sadak thi ya pagdandi kahe to achha hoga dhul se bhari lal mitti ki sakt pathrila sadak..
Main..kya sach me jo dekha suna wo Sapna nahi sach tha matlab ye wo duniya nahi hai main kisi aur duniya me hu lekin kya wo ishwar the aur mera punar janam nahi bas mujhe naye Sharir ke sath dusre duniya me bheja gaya hai..ohhh god ye sach me lag raha hai..unhone kaha tha ye hamari duniya jaise hi hai lekin jadui hai..
Main utha aur us raste ki aur badhne laga raste pe aane ke bad..
Main.. Rasta to yahi hai lekin jayu kaha ye bhagwan meri kitni pariksha le rahe hai duniya hi badal di aur mera punar janam nahi mujhe hi direct bhej diya jaise Mara tha waise hi ..aab kis aur jayu left ya right.... Main yahi soch raha tha tabhi mujhe ghode ke hinhinane ki awaj aayi sath main piche muda to tabhi mujhe dur se ek baggi aate huye dikhi ..
Main.. Ye kya baggi ghoda .. Aur aisi desine ye definitely Kolkata nahi hai..
Main road ke kinare hi hath dikhane laga..baggi ek ladka chala raha tha 20 22 ki umar hogi mujhse kuch bada hi lag raha tha..
Ladka.. Tum kon ho aur kaha Jana hai..
Main.. Mera naam karma hai main dur desh aaya hu kya aap mujhe najdiki kisi sahar me ya gaon me chod denge..
Ladka.. Sahar gaon.. Ye kya hota hai..
Main.. Jaha log rahte hai aap rahte hai waha..
Ladka.. Achha kabile ya Nagar ki baat kar rahe ho..
Main.. Ha wohi ..
Ladka.. Tumhare kapde bade anokhe hai ..
Main.. Ha sayad .. Maine ladke ke kapde ko dekha to wo ek chadar jaise me ched kiya hua tha jise gale se dal baki ka hissa kamar me rassi se bandha hua tha..
Ladka.. Thik hai baith jao main Nagar ja raha hu saman bechne tumhe bhi chod dunga lekin muft me nahi..
Main.. Mere pass kuch bhi nahi dene ke liye...
Ladka.. Meri madat kar dena saman utarne me..
Main.. Thik hai main baggi pe use bazu me baith gaya .. Waise apka naam kya hai..
Ladka.. Mera naam silan hai ..
Main.. Silan..achha naam hai..
Silan.. Tum pardeshi lagte ho tumhare bolne ka tarika tumhare kapde Sab ankhe hai..
Main.. Ha main pardeshi hu..main aur kya batata main kon hu kaha se aaya hu kaha ja raha hu kuch kehne layak ho tab batayu na..
Baggi apni raftar se aage badh rahi thi raste ka hal kafi bura tha ..kachhi pathrili sadak mujhe mahsoos ho gaya sayad main bahut hi purane sabhyata me agaya hu lekin mujhe ehsas ho gaya ye jadui duniya hai to bigyan se related yaha kuch bhi nahi hoga.. Bas train kuch bhi nahi mobile to dur ki baat hai..
Main usse bate karte karte najro ka maza le raha tha sundarta hi sundarta tha pure natural view tha maidan se nikal hum pahad ko par kar gaye uske bich se gujarti hui raste se ..
Main.. Jaha hum ja rahe hai Nagar ka kya naam hai..
Silan.. Romulsa Nagar ..
Main.. Hmm romulsa ..baate karte huye hum lagbhag dopahar ke baad Nagar pahuch gaye..
Aur yaha aate hi mera pura dimag hi ghum gaya..
Lakdi se bane ghar Jada tar the usme dukane thi hotels the restorents thi market tha ..agar kahu thik 18 sadi ka Kolkata jaisa tha thik waise hi bas yaha ke log alag the mere jaise insano ke sath kayi aur tarah ke log the mujhe pehchan to na thi lekin unke rang roop alag the ladkiya had se Jada khubsurat thi lekin Jada tar ladkio ke kan billi jaise the unki dum bhi thi aur rang birange frok jaise kapde kehne huye the .. Aur sirf billi jaise hi nahi kayi aur janwar kaise bhi the ..
Admi ka bhi wohi hal tha main ascharya tha lekin baki log sab nishchint the to mujhe bhi apne bhaw badalne pade..

Baggi market me jakar ruki ek khali jagah pe.. Silan me jaldi jaldi waha ek bada sa chadar nikal lakdio ki madat se ek tabmu bana liya aur mujhse bola..
Silan.. Sab saman yahi utarne hai ..
Main.. Ok jaise tum kaho..main silan ke sath saman ke tokre uthaya hi tha ke main chock gaya mujhe jaise tokre khali lag rahe the itna halka mahsoos ho raha tha..
Jabtak silan 2 tokra utara maine jaldi jaldi 5 utar diya wo bhi chock gaya..lekin kuch bola nahi jadui duniya thi use bhi pata tha yaha kuch bhi sambhab hai..
Main.. OK dost aab main chalta hu..
Silan.. Thik hai .. Hum dono ne hath milaya aur main chal pada..
Main Nagar ghumne laga mujhe bhukh lagi thi aur mere pass paise nahi the waise bhi agar paise hote to sayad yaha wo paise nahi chalte ..

Waise hi main ghum raha tha tabhi ek posak ko dukan ke pass se gujar raha tha tabhi mujhe kisi ne pukara..
Main muda to wo ek bujurg admi the insan hi the..
Admi.. Beta jara meri baat sunna..
Main.. Ji kahiye..
Admi.. Ye kapde to bade anokhe hai kya inko bechna chahoge ..
Main.. To phir main kya pehnunga..
Admi.. Beta is dukan me jo bhi kapda hai unmese koi bhi chunlo lekin mujhe ye kapde chahiye Maine aise kapde kabhi nahi dekhe..us admi ke ankhe chamak rahi thi kapde ko dekh ke
Main.. Kitni kimat denge in kapdo ka..
Admi.. 10 ..
Main.. 10 bas..
Admi.. 20 ..
Main.. Bas 20..
Admi.. Aab isse Jada mere pass hai bhi nahi 20 sone ke sikke ..
Main.. Hmm thik hai mujhe manjur hai..mera dil keh raha tha yaha sone ke sikke ki kimat bahut hai ..
Maine waha ek kapda Chuna jo kuch kuch bagis sherwani jaisa hi tha..aur apne kapde badal us admi ko diya aur mere kapdo ke badle usne mujhe 20 sone ke sikke diye..
Admi.. Agar kabhi phise aise kapde laye to jarur aana ..
Main.. Ji jarur .. Main waha se nikal gaya..aab mujhe janna tha in sone ke sikko ki kimat kitni thi bina ye Jane kuch bhi karna muskil tha..
Main kuch dur gaya hi tha ke ek gali me so ladkio ki chikhte huye bolne ki awaje aane lagi ..

Main gali me aage badh gaya dekhne majra kya hai..
Kuch dur hi gaya tha ke gali ke dusre modpe ..mujhe do admi dikhe hath me khanjar liye huye..

Aur unke aage do ladki tha dono hi insan hi the aur kya khub dikh rahe the kale aur safed long frok jaise kapde me bal poni tale ki tarah bandhe huye ek ke hatho pe bade bade dastane the dusri Lakdi ke hath me ek chadi thi jiske ek taraph ek chamakta hua pathar laga hua tha..

Dono admi ke hatho me khanjar tha aur ek ke dusre hatho me ek murti thi cristal ki..
Dastane wali ladki.. Hamne apna kaam pura kiya hai aab hamare 100 dinar do ..
Admi jiske hath me murti thi.. 10 dinar bas Lena hai lo warna yahi tum dono ki lashe chod jayenge..
Chadi wali ladki.. Ye to beimani hai..
Admi... Chal ja nahi deta kuch bhi ..aab tum dono ki lash hi milegi ..
Aab mujhse raha nahi gaya main samajh gaya dono harami hai kuch bhi kar sakte the..
Main.. Suno ladki kya ye murti ek sone ke sikke ke badle dogi..
Ladki.. Ha lekin..
Maine ek sikkha nikal ladki aur uchal diya aur ek pathar utha us cristal ke murti pe nishana lagaya murti ke tukre tukre ho Gaye..
Dono admi gusse se mere taraf lapke dono ne hi khanjar ghumaya lekin main ascharya ho gaya jaise samay hi ruk gaya ho aur sab kuch slow motion me chal raha ho ..main unke raste se hat gaya aur ek ek punch dono ke gardan pe Mara dono wohi behosh ho gaye..
Main.. Are yaar mujhe pehle pata hota ke ye itna asan hai to phir murti todta hi nahi..
Ladkiya mujhe ascharya se dekh rahi thi..
Main.. Mujhe bhukh lagi hai koi achha aa khane ki jagah le chalogi..
Dono mujhe hi dekh rahi thi aur jaise kho si gayi thi...Maine dono ke samne chutki bajayi dono hosh me agayi..
Main.. Madam meri madat karengi mujhe bhukh lagi hai ..
Chadi wali Ladki.. Ha ha kiu nahi ..mera naam Lili hai ye meri badi bahan mili hai..
Main.. Nice to meet you mera naam karma hai baki baat badh me kare pehle mujhe bhukh lagi hai..
Lili.. Ha ha jarur chaliye.. Hum waha se nikal main raste pe agaye dono mujhe lekar ek restrome agayi..
Main.. Kuch bhi ordar kar do mujhe bhukh lagi hai..Dono ne ordar kar diya 2 Min me khana bhi agaya .. Pata nahi kis kis ka meat tha lekin bhukh lagi thi Maine kha li masale ki kami thi ..
Dono mujhe hi nihar rahi thi..
Main.. Mujhe dekhna chodo aur khao aur batao majra kya tha..
Mili.. Wo Dono hamare kam ki kimat nahi de rahe the..
Main.. Kam ki kimat..
Mili.. Ha wo murti yaha tak lakar inke hawale karne ki kimat 100 dinar thi..
Main.. Achha to ek sone ke sikke ki kitni kimat hoti hai...
Lili.. 1000 diner..
Maine apna sar pit liya.... Dono muskurane lagi..
Main.. Koi baat nahi is khane ki kimat tum dono de dena..
Lili.. Aap kon hai yaha ke nahi lagte..
Main.. Ha sahi kaha pardeshi hu yaha ka nahi hu kaam ki talash kar raha hu..
Lili.. Yaha kaam milna muskil hai mukhya Nagar me kaam Milne ki Jada asha hoti hai..
Main.. Achha to mujhe mukhya Nagar hi Jana hoga..
Mili.. Hum bhi mukhya Nagar lout rahe hai agar aap chahe to hamare sath chal sakte hai..
Main.. Ha kiu nahi mujhe konsa rasta pata hai..waise ( chadi ke taraf ishara karte huye ) ye kya hai..
Ladki.. Ye meri jadui chadi hai..
Main.. Jadui chadi matlab aap tum jadugarni ho..
Ladki.. Ha yaha jadugarni nahi hame mage kehte hai..
Main.. Mage ..waise jadu kaise kiya jata hai mujhe bhi sikhna hai..
Mili.. Jadu sikhna asan nahi hota uske liye apne tatwo lo pahchanna hota hai..
Main.. Tatwa wo kya hai..
Mili.. Tatwa nahi pata tatwa ka matlab jin chijo se ye duniya bani hai agni JAL bayu akash dharti .. Jabtak apne tatwa ko nahi pehchange tabtak jadu ka istemal nahi kar sakte..
Main.. To phir main tatwa ko kaise pegchanu..
Lili.. Uske liye apko ye janna hoga konse tatwa se apka jidao hai tabhi us tatwa ka jadu aap kar sakte hai.
Main.. Wohi to puch raha hu kaise jaanu mera konse tatwa se judao hai..
Tabhi mill ne ek thaili kholi..aur usko table ke upar bikher diya.. Usme se chote chote 6 ratna nikle..
Main.. Ye sab kya hai..
Mili.. Ye sabhi ratna ek ek tatwa ka nirdesh deta hai apne tatwa ko janne ke liye apko inmese har ek ratna ko pakad apne andar ki urja ke sath ratna ko jodna hoga agar apka mukhya tatwa ka judao apke sath hoga to wo ratna apko nirdesh Degi..
Main.. WO kaise.. 
Lili.. Dekhiye jaise mera tatwa hai JAL matlab ye gadha nila ratna .. Usne ratna ko apne muthi me pakda apne urja ko ratna se jodne lagi ye man ki baat thi jo mujhe pata nahi thi ..
Tabhi hath se pani ki choti si dhar nikalne lagi aur cup me girne lagi..
Mili..mera Jaise hai dharti to main ye kale ratna ke sath judao hoga..
Main..to kya ek se Jada tatwa ke sath judao nahi ho sakta..
Lili.. Hota hai jaha tak meri malumat hai abtak jitne bhi jadugar huye hai unmese sabse kamyab jadurar kul milakr tin tatwa ke sath judao the.. Unmese ek main hu lekin in tino me bhi ek tatwa hi mukhya hota hai..
Lili.. Chaliye pata lagate hai apka judao konse tatwa se hai..sabse pehle JAL se karte hai..
Lili ne mere hatho me ratna diya aur maine usko muthi me pakad liya..
Lili.. Aap apne man ko apni muthi pe kendrit kare.. Aur Maine waise hi kiya tabhi wo hua jise dekh dono hi uchal padi..
Tabhi mere hatho se jaise NAL ka pani nikalta ho utna pani ki dhar nikalne lagi .. Dono uchal padi nahi to dono bhig jati..
Mili.. Are baap re itna pani ..
Main.. Sorry pata nahi kaise ..
Lili.. Chaliye baki bahar karte hai..
Main.. Ha yahi sahi rahega..
Main dono ko sath lekar bahar agaye Nagar se nikal khule maidan pe agaye..
Lili.. Aab dharti ke dekhiye..
Maine muthi.me dali aur dhayan lagaya ki tabhi jaise jameen ke jitne bhi pathar the sabhi upar hawa me uth gaye..
Phir agni ratna diya.. Aur phir wohi hua aag ki lapte nikalne lagi hath se ek gola bhi nikal zameen pe gira aue bada blast hua..
Phir asman ka bhi kiya bayu ratna ka bhi kiya..
Pancho ratna ka kiya..
Mili.. Kon hai aap ye kaise sambhab hai aisa ajtak nahi hua..aap kon hai ..
Main.. Are ye kaisa sawal hai main khud soch raha hu Pancho tatwa se mera dudao hua hai..
Mili.. Jo bhi hai aap lekin kamal hai ..
Main.. Safed wala ratna kisliye hai..
Mili.. Ye unke liye hai jo bina mantro ke ya spell ke magic karte hai.. Waise har koi jo jadu janta hai wo ek no spell magic kar sakta hai ..aur wo magic har insan ke liye alag ho sakta hai..
Main.. Hmm MATLAB main bhi ek no spell magic kar sakta hai lekin mujhe kaise pata chalega wo konsa magic hai jo main kar sakta hu..
Mili.. Wo khud pata chal jata hai ..jaise mera no spell magic hai sakti .. Itna keh me mill me ek ped ke tane pe ek punch Mara apne glabs pehne hatho se aur ped ka tana tut gaya...
Main.. Matlab apki no spell magic hai sakti..main bhi try karu..shakti.. Itna bolke Maine bhi pass ke ek ped pe punch Mara aur jo hua use dekh dono aur chock gayi tane ka chithde ud gaye..
Mili.. Ye kaise sambhab hai ek naye mage ke liye..
Main man me .. Hmm aab samjha ye sab unke ashirwad ke asar hai..matlab main har tarah ke magic kar sakta hu bas pata hona chahiye..
Sham ho gayi thi ..
Main.. Aab hame chalna chahiye kahi rukne ka intezam karna hoga raat ko ..
Lili.. Matlab aap kahi ruke nahi hai..
Main.. Nahi ab kahi dhundna hoga..
Lili.. Uski jarurat nahi hum jis hotel me ruke hai wohi ruk jaiye..
Main.. Thik hai chaliye.. Hum bapas agaye mujhe ek bhi likhai samajh nahi arahi thi yaha ka likhne ka tarika alag tha na Jane kaise mujhe inki bhasa aati thi..
Main.. Waise is hotel ka naam kya hai..
Lili.. New moon hotel..aap ne padha nahi ..
Main.. Mujhe yaha ki bhasa nahi aati..
Lili.. Aap anpad hai kya..
Main.. Nahi nahi main anpad nahi hu bas yaha ki bhasa nahi aati..
Lili.. Achha itni si baat main sikha dungi..lili mere karib aayi aur apne sar ko mere sar se joda aur dekhte hi dekhte jaise lili ke sar se padhne likhne ki khubi mere andar agayi..
Lili.. Ho gaya aab aap padh likh sakte hai..
Main.. Sukriya..maine bhi ek room book kiya aur apne apne room me agaye main nahana chahta tha isliye bathroom me agaya yaha Lakdi ka bathtab tha pani se bhara hua main kapde utar bathtab me nahane laga aur sochne laga.. 
Main.. Akhir ho kya raha hai ishwar ne mujhe ye ashirwad diya hi kiu kya koi maksad hai jo wo mujhse pura karwana chahte hai lekin jo bhi ho main pura karunga ..
Idhar lili aur mili room me bate kar rahe the..
Lili.. Didi ye karma ji hai kon itni takat kaha se aayi kya hum inpe biswas kar sakte hai..
Mili.. Jo bhi ho lili karma ji bure nahi lagte warna kon bina kisi matlab hai kisi ki madat karta hai aur jo hame pata chala hai wo jadu ka istemal bhi pehli baar hi kar rahe hai unke chehre pe jo ascharya ka bhaw hota hai usse pata chalta hai..
Lili.. To kiu na hum karma ji ko apne sath shamil kar le ..
Mili.. Hmm baat to sahi hai ek takatwar ka sath hona achha hai waise bhi wo kaam ki talash kar rahe hai hum unko sath mila lete hai..
Lili.. Ji didi ..

Hii Lesbian from Chennai

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Hi All DesiBees friends,

Welcome warm hug to everyone....

I'm Neha from Haryana...But studying in Chennai...

I am Bisexual Girl and would love to make only female friends as i mainly prefer ....

I just joined DesiBees to people make some really good friends here mainly Chennai people.

You can send me PM and You can Add me in your buddy list..

Love you friends....

way to much annoying pop ups

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seems like there is way too many pop ups..cant even post something properly without getting pop up..

Why so?

MAA OR DR FATIMA

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Ek din maa ne muje boola ki boola beta doctor ke pass chalte hai mene gabhrate hue pucha kya hua maa is par maa booli nahi beta choti moti dikkat hai tu chal na mere sath meri maa madhu bahut hi sunder this unka figure dekhkar sab aahe bharge the,maa ki badi dekh kar sab logo ka lund fadfada uthtata tha lekin maa thi ki ek sati savitri ,kisi mard ke dhang se dekhti bhi nahi thi kevel pane kaam se kaam karti thi me school me padta tha ,isliye maa muje bacha hi samjtu thi lekin shayad maa ko nahi pata tha ki aaj kal ke ladke bahut tharki hote hai,muje jab bhi mokha milta ,me maa ke kaam karte wakt unki nangi kamar,saree ke upar se gaand ke cruves ko delhkar me aahe bharta tha or ye khel aishe hi chal raha tha jab tak hum doctor fatima ke pass nahi gaye us din humne ek ladies doctor ke pass gaye jiska naam dr fatima tha unka sharir faila hua tha bahut badi badi chuchiya or gaand me dr fatima ko dekhkar muskuraya fir maa se problem puchi ,to maa ne muje bahar jaane ko kaha mene bhi socha 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सेक्सी वंदनाभाभी और उसका हिरो बल्लू

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कामवाली की बहू

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मेरा नाम अभिनव है, मेरी आयु पच्चीस वर्ष की है और मेरा शरीर बहुत हृष्ट-पुष्ट एवम् तंदरुस्त है क्योंकि मैं स्कूल और कालेज में खेल कूद में बहुत भाग लेता था.
मैं अब भी प्रतिदिन घर पर व्यायाम करता हूँ और कभी कभी व्यायामशाला में जा कर भी भार-उत्तोलन तथा विभिन्न प्रकार की कसरतें इत्यादि करता हूँ.
मैं मूल रूप से देहली का निवासी हूँ तथा मेरा पूरा परिवार वहीं रहता है, लेकिन आई-टी में इंजीनियरिंग करने के बाद पिछले तीन वर्षों से बैंगलोर में नौकरी कर रहा हूँ.


तीन वर्ष पहले जब मैं बैंगलोर में आया था तब मैं पन्द्रह दिनों के लिए एक पेइंग गेस्ट-हाउस में रहा था लेकिन उसके बाद कंपनी ने मुझे रहने के लिए एक फ्लैट दिला दिया. मेरा फ्लैट एक बहुमंजिली इमारत के दसवें तल पर है और उसमें एक बैठक, एक बैडरूम, एक छोटा स्टोर कमरा, एक रसोई तथा एक बाथरूम है.
मैं अधिकतर बैठक, बैडरूम, रसोई और बाथरूम को ही प्रयोग में लाता हूँ और छोटा स्टोर कमरे में एक फोल्डिंग चारपाई, दो खाली अटैची तथा कुछ फ़ालतू का सामान आदि पड़े रहते हैं.

उस फ्लैट में स्थानांतरण के बाद जब मुझे खाने पीने और घर के रख-रखाव की समस्या आई तब मैंने उसी इमारत के अन्य फ्लैट में काम करने वाली एक पचास वर्षीय वृद्ध महिला को घर का काम करने के लिए रख लिया.
वह महिला जिसे सभी अम्मा कहते थी सुबह छह बजे ही आ जाती और मुझे चाय दे कर चौका बर्तन करती तथा मेरे लिए नाश्ता बनाती.
मेरे तैयार होकर ऑफिस जाने के बाद वह दूसरे फ्लैट में काम निपटा कर फिर मेरे घर की सफाई आदि करती तथा मेरे कपड़े आदि धो कर सुखाने डाल देती.

क्योंकि वह मेरे ऑफिस जाने के बाद तक घर का काम करती थी इसलिए उसकी सुविधा के लिए मैंने उसे अपने फ्लैट की एक चाबी भी दे रखी थी. वह शाम को मेरे आने से पहले ही धुले हुए सूखे कपड़ों को प्रेस करने के लिए धोबी को दे आती थी और मेरे घर आते ही मुझे चाय बना कर देती तथा रात के लिए मेरा खाना बना कर अपने घर चली जाती.
क्योंकि मुझे अच्छा वेतन मिलता था इसलिए मैं उस वृद्ध महिला को उसके काम के लिए पाँच हज़ार प्रति माह देता था जिस कारण वह बहुत ही लग्न और ईमानदारी से मेरा काम करती थी.
लगभग छह माह तक ऐसे ही लगन से काम करते रहने के बाद एक दिन उस वृद्ध महिला ने मुझसे कहा- साहिब, मेरी सबसे छोटी बहू के घर बालक होने वाला है इसलिए मुझे तीन-चार माह के लिए उसके पास जाना पड़ेगा. आप काम के लिए किसी दूसरी कामवाली को रख लीजिये अथवा अगर आप सहमत हों तो मैं अपनी मंझली बहू को आपके यहाँ काम के लिए लगा देती हूँ.

उसकी बात सुन कर मुझे एक बार तो झटका लगा लेकिन अपने को सम्हालते हुए मैंने कहा- अम्मा, आप यह क्या कह रही हो. आप तो मेरे घर का सभी काम अच्छे से जानती हो और उसे बहुत निपुणता से संभाल भी रखा है. अगर आप नहीं आओगी तो मेरा काम कैसे होगा? मैं किसी दूसरी कामवाली को कहाँ से ढूँढ कर लाऊं? आप अपनी जगह अपनी मंझली बहू को ही छोटी बहू के पास को क्यों नहीं भेज देती?
मेरी बात सुन कर वह बोली- साहिब, यह जच्चा और बच्चा संभालने की बात है कोई सैर-सपाटा करने की बात नहीं है. आजकल की लड़कियाँ तो ऐसा कोई भी काम नहीं कर सकती. साथ में वह लड़की जो खुद अभी तक माँ नहीं बनी हो उसे तो पता ही नहीं होगा कि गर्भावस्था में एक जच्चा को क्या खाना पीना है. उसे तो यह भी नहीं पता है कि प्रसव के समय क्या करना होता है.

उसकी बात सुन कर मैंने कहा- अम्मा, तुम जैसा ठीक समझो वैसा ही प्रबंध कर दो. क्या जो घर का काम आप करती हो वह सब तुम्हारी मंझली बहू कर लेगी?
मेरी बात सुन कर अम्मा बोली- आप चिंता नहीं करें, तुम्हें कोई कष्ट नहीं होगा. मैं जाने से दो सप्ताह पहले ही उसे रोज़ अपने साथ ले कर आऊंगी और उन दो सप्ताह में घर का सभी काम सिखा दूंगी.

उस माह के दूसरे सप्ताह में अम्मा रोजाना की तरह सुबह छह जब बजे काम पर आई तब वह अपनी मंझली बहू माला को भी साथ लेकर आई.
माला बहुत ही सुन्दर एवम् आकर्षक नैन नक्श वाली स्त्री थी जिसका वर्ण बहुत हल्का गेहुँआ था, शरीर पतला और कद लम्बा था, उठे हुए उरोज और बाहर निकले हुए नितम्ब मध्यम नाप के थे, गर्दन लम्बी तथा पेट समतल था.

उसने हरे रंग की सूती साड़ी में अपना पूरा बदन छुपा रखा था और घर में घुसते ही मुझे बैठक में अख़बार पढ़ते हुए देख कर दोनों हाथ जोड़ कर प्रणाम किया.
उत्तर में जैसे ही मैंने उसके प्रणाम का उत्तर दिया तभी अम्मा बोली- साहिब, यह मेरी मंझली बहू माला है जिसके बारे में मैंने आपसे बात करी थी. अब दो सप्ताह तक यह रोज़ मेरे साथ आएगी और यहाँ का सभी काम सीख लेगी ताकि दो सप्ताह के बाद जब मैं चली जाऊँगी तब यह आपकी अपेक्षा के अनुसार ही सभी कार्य करेगी.
उत्तर में मैंने कहा- ठीक है अम्मा, इसे मेरी पसंद एवम् सभी आवश्यकताओं के बारे में अच्छे से समझा देना और क्या कैसे करना है यह भी सिखा देना!

उसके बाद मैं अख़बार पढ़ने लगा और वे दोनों रसोई में जा कर चौका एवम् बर्तन और सफाई आदि में व्यस्त हो गई.
लगभग सात बजे रोज़ की तरह अम्मा ने मुझे चाय दी और कहा- साहिब, इस माह की तीस तारीख को मैं छोटी बहू के पास जाऊंगी इसलिए अगर मुझे मेरी इस माह की पगार कल मिल जाती तो मैंने जो खरीदारी करनी है वह कर सकूँगी.
मैंने उत्तर दिया- अरे अम्मा, इसमें अगर की क्या बात है? आप कल क्यों आज ही ले लो.

तब अम्मा ने एक और बात कही- साहिब, मेरा मंझला बेटा दुबई में काम करता है इसलिए मंझली बहू मेरे साथ रहती है. मेरे जाने के बाद वह अकेली रह जायेगी और जिस बस्ती में हम रहते हैं वह एक अकेली औरत के लिए बिल्कुल ही सुरक्षित नहीं है. इसलिए मेरे जाने के पश्चात मुझे मंझली बहू की सुरक्षा की चिंता लगी रहेगी.
अम्मा की बात सुन कर मैंने कहा- आप उसके लिए किसी दूसरी सुरक्षित बस्ती में कोई अच्छा घर किराए पर ले दीजिये.
वह बोली- पिछले दो माह से उसके लिए जगह ढूँढ रही हूँ लेकिन मुझे अभी तक कोई भी सुरक्षित जगह नहीं मिली. अगर कोई है भी तो वह बहुत दूर है या फिर वह ऐसी जगह है जो अवैध रूप से बनी हुई है और कभी भी गिराई जा सकती है.

मैंने कहा- अम्मा, मैं तुम्हारी समस्या को समझता हूँ लेकिन मैं इस बारे में तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूँ?
अम्मा तुरंत बोली- साहिब आप ही तो सब से अधिक सहायता कर सकते हो. अगर मेरे वापिस आने तक आप माला को इस घर के स्टोर कमरे में रहने की आज्ञा दे देंगे तो आपके द्वारा मेरे ऊपर इससे बड़ा कोई उपकार नहीं हो सकता. इसके लिए आप बेशक हमारी पगार में से जितना चाहे वह काट लीजिये लेकिन एक असहाय को आसरा जरूर दे दीजिये.

मैंने उसके अनुरोध पर अचंभित होते हुए कहा- अम्मा, आप यह क्या कह रही हो? एक अविवाहित पुरुष के घर में उसके साथ एक अकेली विवाहित स्त्री का रहना ठीक नहीं है. अड़ोसी-पड़ोसी और इमारत के बाकी सब लोग क्या कहेंगे?
अम्मा बोली- लोगों का क्या है वे तो जो मन में आएगा वही बोलते रहेंगे. मुझे आप पर बहुत भरोसा है और अगर माला इस घर में रहेगी तो आपको कष्ट नहीं होगा तथा आपका सभी काम आपकी आवश्यकता के अनुसार समय-बद्ध तरीके से हो जाया करेगा. मुझे आशा है की आप इस बात को ध्यान में रखते हुए मना नहीं करेंगे.

पता नहीं अम्मा की बात सुन कर मुझे उन दोनों पर क्यों तरस आ गया और मैंने उन्हें कह दिया- ठीक है अम्मा, ऐसा करो, आप आज ही अपना और माला का सभी सामान ले कर यहाँ आ जाओ. इस तरह आप कुछ दिन साथ में रह कर सब ठीक से समायोजित कर सकोगी और माला को भी हर काम अच्छे से समझा दोगी.
नाश्ता करने के बाद मैं अम्मा को उस माह का वेतन दे कर ऑफिस चला गया और शाम को घर लौटने पर देखा की अम्मा और माला ने अपना सभी सामान लाकर स्टोर में रख दिया था.
मुझे शाम की चाय नाश्ता कराने के बाद अम्मा रात का खाना बनाने लगी और माला स्टोर में समान सजाने लगी.

अम्मा उन दो सप्ताह में माला को घर का काम सिखाती रही और जब माला सारा काम संतोषजनक तरीके से करने लगी तब वह माह के अंतिम दिन अपनी छोटी बहू के पास चली गई.
कुछ ही दिनों में माला ने मेरे घर का काम ऐसे संभाल लिया था जैसे वह वर्षों से काम कर रही हो और अम्मा की तरह मेरे लिए हर काम बड़ी सफलता से समय पर कर देती.
अगले एक सप्ताह तक सब ठीक-ठाक चलता रहा और माला सुबह से रात तक घर काम करती तथा आराम एवम् सोने के लिए स्टोर में चली जाती. अगला दिन शनिवार था तथा छुट्टी होने के कारण मैं देर से उठा और जब रसोई में माला से चाय बना कर देने के लिए कहने गया तो उसे वहाँ नहीं पाया तब मैंने स्टोर में देखा तो वह वहाँ भी नहीं थी.
माला कहाँ गई होगी यह सोचते हुए जब मैं अपने कमरे की ओर लौट रहा था तब मुझे बाथरूम में नल चलने की आवाज़ सुनाई दी.
पानी की आवाज़ को सुन और बाथरूम का खुला दरवाज़ा देख कर मैं समझा कि माला कपड़े धो रही होगी इसलिए मेरे कदम अनायास उस ओर मुड़ गए और मैं यकायक उसमें घुस गया.

बाथरूम में कदम रखते ही अंदर का नज़ारा देख कर मेरे पाँव आगे नहीं बढ़ पाये और दो क्षण के लिए माला को देख कर उल्टे पाँव वापिस कमरे में आ गया.
कमरे में जब मैं बिस्तर पर बैठा तब मेरी आँखों के सामने, अपनी योनि से निकले खून को धोती हुई अर्ध-नग्न माला की छवि घूम रही थी.

कुछ क्षणों के बाद जब मुझे झाड़ू की आवाज़ सुने दी तब मैं दोबारा बाथरूम में घुसा तो देखा की माला ने अपनी योनि को ढक लिया था तथा वह फर्श पर बिखरे खून को झाड़ू से साफ़ कर रही थी.
मुझे बाथरूम में देख कर माला बोली- बस मुझे एक मिनट और दीजिये. मैं अभी सब साफ़ कर देती हूँ फिर आप अपने दैनिक क्रिया से निपट लीजियेगा.

मैंने अनजान बनते हुए कहा- अच्छा मैं प्रतीक्षा करता हूँ, लेकिन यह खून कहाँ से आया? क्या तुम्हें कहीं चोट लगी है?
मेरे प्रश्न सुन कर उसने शर्म से सिर झुका लिया तथा उसका चेहरा एवम् कान लाल हो गए और उसने बाथरूम से बाहर जाते हुए कहा- साहिब, सब ठीक है आप निश्चिंत रहिये और मुझे कहीं कोई चोट नहीं लगी है. आज सुबह से मुझे माहवारी शुरू हो गई है और यह उसी का खून था.

माला की बात सुन कर मैं चुप हो गया और सुबह की नित्य क्रिया से निपट कर बैठक में अख़बार पढ़ने बैठा ही था कि वह मेरी चाय दे गई. ऑफिस की छुट्टी होने के कारण मैं पूरा दिन घर पर आराम करता रहा और माला दिन भर रोजाना की तरह घर के काम में व्यस्त रही. रात को मैं तो समय पर खाना खा कर सोने चला गया और मुझे नहीं पता चला कि माला कब सोने गई थी.
उसके बाद अगले पाँच दिन यानि रविवार से बृहस्पतिवार तक बिल्कुल सामान्य निकल गए और कोई भी उल्लेखजनक प्रसंग नहीं हुआ.
शुक्रवार सुबह सात बजे जब मैं उठा और मुझे लघु-शंका के लिए जाना था इसलिए बाथरूम की और बढ़ा तो वहाँ पानी चलने की आवाज़ सुन कर थोड़ा ठिठका. लेकिन दरवाज़ा खुला देख कर मैं बाथरूम के दरवाज़े के पास जा कर अंदर झाँका तो देखा पूर्ण नग्न माला कपड़े धो रही थी.

मैं वापिस कमरे में आ गया लेकिन माला ने शायद मुझे देख लिया होगा इसलिए एक मिनट के बाद ही उसकी आवाज़ आई- साहिब, आप अंदर आ जाइए मैंने अपने आप को ढक लिया है.
मैं झिझकते हुए एक बार फिर बाथरूम में घुसा तो देखा की माला ने अपने शरीर को अपनी गीली साड़ी से ढक लिया था जो उसके जिस्म से बिल्कुल चिपकी हुई थी.

माला के बदन से चिपकी साड़ी में से उसका हर अंग मुझे दिख रहा था जिस कारण मेरा लिंग एक नाग की तरह अपना सिर उठाने लगा था. जब माला ने मुझे उस नाग के फन पर हाथ रख कर दबाते हुए देखा तब वह मुस्कराते हुए मेरी तरफ पीठ करते हुए बोली- साहिब, लगता है कि आपको बहुत तेज़ मूत आया है. मैं दूसरी तरह मुंह कर के बैठ जाती हूँ तब तक आप उससे निपट लीजिये.
पिछले शनिवार को हुई घटना के कारण मुझे माला की बात सुन कोई संकोच नहीं हुआ और मैंने भी मुस्कराते हुए झट से अपना लिंग निकाल कर मूतने लगा.
जब मैं मूत्र विसर्जन कर रहा था तब मैंने देखा कि माला मुड़ कर मेरे आठ इंच लम्बे लिंग को बहुत ध्यान से घूर रही थी. जैसे ही मैंने अपना सिर उसकी ओर घुमा कर उसकी आँखों में झाँका तो वह शर्मा गई और झट से मुड़ कर दूसरी तरफ देखने लगी.

मैं मूत्र विसर्जन से निपट कर जब कमरे में जाकर बिस्तर पर लेटा तब माला के नग्न शरीर के हर अंग की छवि मेरी आँखों के आगे एक चलचित्र की तरह घूमने लगी और मेरा मन उसे नहाते हुए देखने की लालसा ने जकड़ लिया.
इतने में जैसे ही मुझे शावर चलने की ध्वनि सुनाई दी, मैं समझ गया कि माला नहा रही होगी इसलिए मैं उठ कर बाथरूम में घुसा और पूछा- माला अभी और कितनी देर लगेगी? ज़रा जल्दी करो मुझे भी ऑफिस जाने के लिए नहाना एवम् तैयार होना है.

शावर की फुआर के नीचे नहाती पूर्ण नग्न माला ने जब मुझे उसके नग्न शरीर को घूरते हुए देखा तो अपने गुप्तांगों को हाथों और बाजुओं से छिपाते हुए बोली- बस समझिये नहा चुकी हूँ. अभी दो मिनट में बाहर आती हूँ.
माला के नग्न शरीर के ऊपर से फिसलती हुई पानी की बूँदें ऐसे लग रही थी जैसे सूर्य उदय के समय पेड़ एवम् पौधों की पत्तियों पर से मोती जैसी ओस की बूँदें फिसलती हैं.
मैंने बाथरूम से निकल कर दरवाज़े के पास खड़ा हो कर माला के निकलने की प्रतीक्षा करने लगा.

इस बार बाथरूम में माला के नग्न शरीर के भरपूर दीदार हो जाने के कारण मेरा लिंग तन कर खड़ा हो गया था जिसे ना तो मैंने छिपाने की और ना ही दबाने की चेष्टा करी.
कुछ देर के बाद माला ने अपने पेटीकोट को स्तनों के ऊपर बाँध कर और नीचे के शरीर को उसी से ढक कर बाहर निकली तब मैं दरवाज़े में ही खड़ा था.

अर्ध-नग्न माला जब मेरे पास से बाहर निकलने लगी तब मैंने थोड़ा से आगे सरक कर अपने लोहे जैसे सख्त लिंग को उसके जिस्म के साथ रगड़ने दिया.
मेरे लिंग की रगड़ महसूस होने पर माला पलट कर मुड़ी और मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और मेरे लोअर में बने तंबू को देख कर हंसती हुई वहाँ से भाग गई.

उसके बाद मैंने बाथरूम में जा कर अपने सभी कपड़े उतार कर दरवाज़े के बाहर रख दिए और नहाते हुए माला को आवाज़ लगाईं- माला, मैंने मैले कपड़े बाहर दरवाज़े के पास रख दिए है उन्हें उठा लो और मैं तौलिया लाना भूल गया हूँ वह दे देना.
कुछ ही क्षणों में मैंने गर्दन मोड़ कर देखा की माला अपने हाथ में मेरा तौलिया लिए दरवाज़े पर खड़ी मुझे नहाते हुए देख रही थी तथा उसने मैले कपड़े उसके कंधे पर रखे हुए थे.
उसकी ओर देखते हुए मैंने मुड़ कर अपने शरीर की दिशा को उसकी तरफ कर दिया ताकि वह मेरे तने हुए लिंग को भी अच्छी तरह से देख ले.
मेरे आठ इंच लम्बे तने हुए लिंग को एक बार फिर देख कर उसकी आँखें फट गई और वह अपने खुले मुंह पर हाथ रख कर वहाँ से हट गई.

मेरे नहाने के बाद जैसे ही माला ने शावर के बंद होने की आवाज़ सुनी तो वह मुझे तौलिया देने के लिए एक बार फिर बाथरूम के दरवाज़े मुस्कराते हुए खड़ी हो गई.
माला की मुसकराहट का उत्तर मैंने भी मुस्करा कर दिया और उसके पास आ कर तौलिया लेकर अपने बदन को पौंछता रहा.
जब माला वही खड़ी मुझे देखती रही तब मैंने पूछा- तौलिया तो दे दिया है अब क्या देख रही हो? क्या कुछ चाहिए है या फिर कुछ कहना है?

माला को शायद मुझसे ऐसे प्रश्न की आशा नहीं थी इसलिए शर्माते हुए मुड़ कर रसोई की ओर जाते हुए बोली- नहीं, मुझे अभी कुछ नहीं चाहिए. मैं तो यह कहने आई थी की नाश्ता तैयार है आप जल्दी से तैयार हो कर खाने की मेज़ पर आ जाइये.
मैंने तैयार हो चाय नाश्ता किया और ऑफिस चला गया तथा शाम छह बजे के बाद रोजाना की तरह घर वापिस आया तथा शाम की चाय पी और रात को खाना खाने के बाद सो गया.
रात को लगभग तीन बजे दरवाज़ा खड़कने की आवाज़ से मेरी नींद खुल गई और जब मैंने उठ कर देखा तो पाया की रसोई की ओर वाली बालकनी का खुला दरवाज़ा हवा के तेज़ झोंके से खुल बंद रहा था.

मैंने उस दरवाज़े को चिटकनी लगा कर बंद किया और बाकी के दरवाज़े एवम् खिड़कियाँ देखते हुए जब स्टोर में पहुंचा तो देखा की माला सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट पहने हुए सीधा सो रही थी.
माला के ब्लाउज के ऊपर वाले दो बटन ही सिर्फ बंद थे और सोते हुए ऊपर सरक जाने के कारण उसके दोनों उरोज उसमें से बाहर निकल गए थे.
क्योंकि माला एक टाँग सीधी और दूसरी टाँग ऊँची कर के सो रही थी इसलिए उसका पेटीकोट उसके घुटनों के ऊपर हट कर उसकी कमर तक सरक गया था और उसकी योनि और जघन-स्थल का क्षेत्र बिल्कुल नग्न हो रहा था.

मैंने कमरे की लाईट जला कर उस कमरे की खुली खिड़की को बंद किया जिसका माला को कुछ पता नहीं चला और वह वैसे ही सोई रही.
कमरे की लाईट की रोशनी में मुझे उसके जघन-स्थल के काले घने बालों के बीच में छुपी ही योनि और उसके गुलाबी होंठ दिखाई दिया.
उस सुबह बाथरूम में घटित घटना और उस समय सोई हुई माला के खुले उरोज और योनि को देख कर मैं उत्तेजित होने लगा और मेरे लिंग ने अपना सिर उठा लिया.
मैं काफी देर तक असमंजस की स्थिति में वहीं खड़ा उसको देखता रहा.

मैं कुछ देर तक असमंजस की स्थिति में वहीं खड़ा माला को देखता रहा. और फिर जब अपने पर नियंत्रण नहीं रख सका तब अपने एक हाथ से उस उरोजों को तथा दूसरे हाथ से योनि को सहलाने लगा.
माला के उरोज पर हाथ रखते ही मैं दंग रह गया क्योंकि वह बहुत हो ठोस एवम् सख्त था लेकिन उनकी त्वचा बहुत ही मुलायम थी. उसके जघन-स्थल के बाल बिल्कुल रेशम की तरह मुलायम थे और उसकी योनि डबल रोटी जैसे फूली हुई थी तथा उसका भगांकुर एक मटर के दाने जितना मोटा था.

मेरे हाथों द्वारा माला के उन अंगों के छूते ही उसने आँखें खोल दी लेकिन बिना हिले डुले वह मेरी ओर बहुत कामुक दृष्टि से देखने लगी. मैं समझ गया कि वह भी वासना की आग में जल रही थी इसलिए मैंने झुक कर अपने होंठ माला के होंठों पर रख दिये और तेज़ी से उसके अंगों को मसलने लगा.
माला ने मेरे होंठों का स्वागत उन पर अपने होंठों का दबाव डालते हुए किया और उन्हें चूसते हुए अपनी जीभ को मेरे मुंह डाल दी. कुछ देर तक होंठों एवम् जीभ के इस आदान प्रदान के बाद मैंने माला को अपनी बाजुओं में उठा कर अपने कमरे में ले जा कर बिस्तर पर लिटा कर पास में लेट गया.

मेरे लेटते ही माला तथा मैं एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे और जैसे ही मैंने उसके उरोजों और भगांकुर को सहलाने लगा उसने भी मेरे लोअर के अंदर अपना हाथ डाल कर मेरे लिंग को सहलाने लगी.
अगले दस मिनटों तक इस क्रिया के करते रहने से हम दोनों इतने उत्तेजित हो गए की माला के अंगूर जितने मोटे चूचुक बहुत सख्त हो गए और मेरे लिंग की नस फूलने लगी. तब मैंने माला की चूचुक को मुंह में ले कर चूसने लगा और अपने हाथ की बड़ी उँगली को उसकी योनि में डाल कर अंदर बाहर करने लगा.
माला ने भी मेरे लिंग की त्वचा को पीछे सरका कर लिंग-मुंड को बाहर निकाल लिया और फिर उसके किनारों को अपनी उँगलियों एवम् अंगूठे से सहलाने लगी.

लगभग दस मिनट की इस क्रिया से दोनों ही अत्यंत उत्तेजित हो गए और मेरे लिंग में से पूर्व-रस की कुछ बूँदें निकल गई और माला की योनि में से भी रस का रिसाव होने लगा. उस हालत में जब मैंने माला की आंखों में आँखें डाल कर देखा तब उनकी मदहोशी ने मुझे संसर्ग शुरू करने के लिए प्रेरित कर दिया.
मैंने तुरंत उठ कर माला का ब्लाउज एवम् पेटीकोट उतार कर उसे नग्न किया और फिर अपनी टी-शर्ट एवम् लोअर उतार दिया. फिर मैं पीठ के बल बिस्तर पर लेट गया और माला को मेरे लिंग के ऊपर बैठने का इशारा किया.
मेरा इशारा समझ कर माला मेरी कमर के दोनों ओर टांगें कर के नीचे हुई और मेरे लिंग को हाथ से पकड़ कर अपनी योनि के मुंह की सीध में कर के उस पर बैठ धीरे से दबाव दिया.

कुछ ही क्षणों में जब मेरे लिंग-मुंड ने माला की योनि में प्रवेश किया तब माला के चेहरे कुछ असुविधा एवम् कष्ट की रेखाएं दिखाई दीं और उसके मुंह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… की सीत्कार निकली.
उस सीत्कार को सुन कर मैंने पूछा- क्या हुआ? बहुत दर्द हुआ क्या?
माला ने सिर हिलाते हुए कहा- हाँ, बहुत दर्द हुई है. पति के दुबई जाने के बाद पहली बार इसमें कोई लिंग प्रवेश कर रहा है इसलिए.
मैंने कहा- थोड़ी देर ऐसे ही रुकी रहो और जब दर्द कम हो जाए तब आराम से धीरे धीरे अन्दर प्रवेश कराओ.

माला दो मिनट तक वैसे ही बैठी रही और फिर जब कुछ सहज हुई तब उसने एक बार फिर नीचे की ओर दबाव बनाया तो मेरा पूरा लिंग एक झटके से उसकी योनि में घुस गया.
ऐसा होते ही माला जोर से ‘आह्ह.. मर गई’ की चीत्कार मारते हुए मेरे ऊपर लेट गई और मैंने देखा कि उसकी आँखों में आंसू निकल आये थे.
मैंने उसे अपनी बाहुओं में ले कर उसके गालों और होंठों चूमते हुए पूछा- क्या हुआ?
अपनी आँखों से निकले आंसुओं को पोंछती हुई माला बोली- आपका बहुत लम्बा और मोटा है. जब अकस्मात पूरा अंदर चला गया तो बहुत दर्द हुआ.
मैंने पूछा- क्या मेरा लिंग तुम्हारे पति के लिंग से अधिक बड़ा है?
उसने कहा- जी हाँ, आपका बहुत ज्यादा बड़ा है. उनका तो सिर्फ साढ़े चार इंच लम्बा और एक इंच मोटा है. वह तो सिर्फ गर्भाशय के मुंह तक ही जाता है उसके अंदर नहीं. आपका तो मेरे गर्भाशय के अंदर भी घुस गया है तभी तो बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है.

उसके बाद माला अगले पाँच मिनट तक मेरे ऊपर लेटी रही और अपने ठोस एवम् सख्त उरोज और चूचुक मेरे सीने में चुभाती रही तथा मैं उसकी पीठ एवम् नितम्बों को सहलाता एवम् मसलता रहा.
पाँच मिनट के बाद उसने मेरे ऊपर उठ कर बैठ कर अपने कूल्हों को हिलाया और जब मेरा लिंग उसकी योनि के अन्दर ठीक से सेट ही गया तब वह उचक उचक कर उसे योनि के अन्दर बाहर करने लगी.
पाँच मिनट तक वह आहिस्ता आहिस्ता ऐसा करती रही और फिर उसके बाद वह बहुत तेज़ी से उछल उछल कर संसर्ग करने लगी.

माला को ऊपर बैठ कर संसर्ग करते हुए अभी दस मिनट ही हुए थे कि उसका शरीर अकड़ गया तथा उसकी योनि में बहुत तेज़ संकुचन हुआ और वह सीत्कार मारते हुए मेरे ऊपर लेट गई.
पसीने से भीग रही माला हाँफते हुए बोली- बस, मैं थक गई हूँ और नहीं कर सकती. अब आप ही ऊपर आ जाइये.

उसकी बात सुन कर मैंने करवट ली और उसे अपने नीचे लिटा लिया और खुद ऊपर चढ़ कर संसर्ग करने लगा. क्योंकि माला की योनि ने अभी तक मेरे लिंग को जकड़ रखा था इसलिए मुझे उसे अन्दर बाहर करने में बहुत अधिक रगड़ लग रही थी.
मैंने माला से कहा- तुम्हारी योनि बहुत कसी हुई है जिससे मुझे संसर्ग करने में काफी दिक्कत हो रही है. थोड़ा ढीली करो ताकि मैं अन्दर बाहर कर सकूं.
मेरी बात सुन कर उसने कहा- मेरी कसी हुई नहीं है बल्कि आपका बहुत फूला हुआ है.

मैंने माला की बात सुन कर जब अपने लिंग को उसकी योनि में से थोड़ा निकाल कर देखा तो वह सचमुच में बहुत फूला हुआ दिखाई दिया.
मैंने उसी हालत में संसर्ग शुरू किया और इस डर से की मेरा शीघ्रपतन न हो जाए मैं आठ-दस धक्के मारने के बाद रुक जाता.
मेरे द्वारा पाँच-छह बार ऐसा करने पर माला ने जो की काफी देर से सिसकारियाँ ले रही थी एक जोर की सीत्कार मारी और उसकी योनि में से गर्म गर्म रस का रिसाव हो गया.
उस रस स्त्राव से माला की योनि में बहुत चिकनापन हो गया जिससे मेरे लिंग पर कम रगड़ लगने लगी और मैं बहुत सहजता से तेज संसर्ग करने लगा.

अगले पन्द्रह मिनट तक मैंने बहुत तेज़ी से धक्के लगाते हुए संसर्ग किया और इस दौरान माला ने तीन बार बहुत जोर से सीत्कार ली तथा उसकी योनि में से रस का स्त्राव हुआ.
इसके बाद मैंने अत्यंत तीव्रता से धक्के लगाये जिस कारण योनि लिंग के संसर्ग से निकली फच.. फच.. की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी.
माला उस आवाज़ को सुन कर अत्यंत उत्तेजित हो गई और अपने कूल्हे उठा उठा कर मेरे हर धक्के का उत्तर देते हुए मेरा साथ देने लगी.

पाँच मिनट की इस अत्यंत तीव्र क्रिया के बाद उसने मुझे बहुत ही जोर से अपनी बाजुओं में जकड़ लिया और अपने हाथों के नाखून मेरी पीठ में गाड़ दिए. मैंने उसके नाखूनों की चुभन को सहते हुए उसी तीव्रता से संसर्ग करता रहा और कुछ ही क्षणों में माला ने बहुत ही ऊँची आवाज़ में एक लम्बी चीत्कार मारते हुए मेरी कूल्हे एवम् कमर को अपनी टांगों से जकड़ लिया.
उसी अत्यंत उत्तेजित स्थिति में माला की योनि में बहुत ज़बरदस्त सिकुड़न हुई और उसमें से निकलने वाले रस के लावा मेरे लिंग को गर्मी पहुँचाने लगा.

उस गर्मी के मिलते ही मेरे लिंग ने उस योनि रस के लावा को ठंडा करने के लिए वीर्य रस की बौछार कर दी. कुछ ही क्षणों में मेरे लिंग से वीर्य रस का इतना विसर्जन हुआ कि उससे माला की योनि पूरी भर गई तथा वह उमसे से रस बाहर निकल कर बहने लगा.
पैंतीस-चालीस मिनट के इस घमासान संसर्ग में हम दोनों पसीने से भीग गए थे और हमारी सांसें फूल गई थी इसलिए अगले दस मिनट तक हम उसी तरह एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे.

इन दस मिनट में माला ने मुझे गालों एवम् होंठों पर लगभग कई बार चूमा और कहा- साहिब, आप में बहुत सहन-शक्ति है. मैंने अब तक के जीवन में पहली बार इतनी देर यौन संसर्ग किया और कई बार स्खलित भी हुई हूँ. मेरे पति तो तीन से पाँच मिनट में निपट जाते है. वह खुद तो स्खलित हो जाते थे लेकिन उन्होंने मुझे एक बार क्या, कभी भी स्खलित नहीं किया था.
उसकी बात सुन कर मैं उसके ऊपर से उठते हुए बोला- तुम्हें तो बिल्कुल नया और बहुत अच्छा अनुभव मिला होगा. क्या तुम्हें आनन्द एवम् संतुष्टि मिली या नहीं?

माला भी उठते हुए बोली- हाँ, यह पहली बार है जो मुझे बहुत अच्छा एवम् एकदम नया अनुभव मिला है और साथ में आनन्द और संतुष्टि किसे कहते है यह भी पता चल गया है. लेकिन एक शिकायत यह है कि आपका लिंग बहुत लम्बा है और जब वह मेरी गर्भाशय की दीवार से टकराता है तो मेरे जिस्म में एक झुरझुरी सी उठती है जिससे पूरे शरीर हलचल मच जाती थी. क्योंकि ऐसा मुझे पहली बार महसूस हुआ है इसलिए मैं नहीं जानती कि उस झुरझुरी एवम् हलचल को क्या कहूँ आनन्द या संतुष्टि या फिर दोनों?
मैंने चुटकी लेते हुए मुस्करा कर माला से कहा- ऐसा करो, इसके बारे में अम्मा जी से पूछ लो.
माला मेरी बात सुन कर हंसते हुए बोली- धत, क्या कोई लड़की अपनी सास से ऐसी बातें पूछती है?

इसके बाद हम दोनों बाथरूम में घुस गए और अपने गुप्तांगों को साफ़ कर के फिर बिस्तर पर एक दूसरे से चिपक कर सो गए.

मेरी टीचर मम्मी

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मेरी मम्मी टीचर है और पापा बैंक में मैनेजर हैं।

मैं यहाँ अपना मम्मी-पापा के के बारे बताना चाहूँगी कि मेरे मम्मी-पापा दोनों ही बहुत चालू किस्म के हैं, मेरे पापा के बहुत औरतों के साथ सेक्स सबंध हैं और मेरी मम्मी भी बहुत सारे मर्दों से चुदाई करती है।
अब मैं अपनी मम्मी से बहुत खुल चुकी हूँ और उनके कई चोदू यारों से चुदाई भी करवाती हूँ। ये सब मम्मी को मालूम है और कई बार मैं और मेरी मम्मी एक साथ ग्रुप सेक्स भी किया है।
वो सब बाद में लिखूंगी पहले मम्मी की और फिर पापा की किसी औरत के साथ चुदाई की कहानी लिखूंगी।

बात तब की है जब मैं स्कूल में थी, मेरी चुची उभर आई थी, संतरों के आकार की थी। मेरी चूत पर भी हल्के हल्के बाल आ चुके थे और माहवारी भी आने लगी थी। तब मुझे सेक्स के बारे सब मालूम था, मैं मम्मी-पापा की चुदाई खिड़की से देखा करती थी।
एक बार मैंने मम्मी को अलमारी से नकली लंड निकालते देखा। पापा उनकी गांड मार रहे थे और मम्मी ने नकली लंड चूत में लिया हुआ था।
उसके बाद जब घर में अकेले होती तो मम्मी की अलमारी से पोर्न मूवी की सीडी निकाल कर देखती और नकली लंड को चूत और गांड में लेती।
एक दिन जोर से नकली लंड चूत में ले लिया और मेरी सील टूट गई। उसके बाद मैं चूत और गांड की गहराई में लंड लेकर मजे लेने लगी।
मेरी मम्मी हमारे गांव के ही सरकारी स्कूल में पढा़ती है और मैं शहर में एक प्राईवेट स्कूल में पढ़ती थी। मैं स्कूल बस से आती-जाती थी। मैं घर दोपहर 2:30 बजे पहुंच जाती थी और पापा शाम को 6 बजे आते थे। मेरा छोटा भाई उस वक्त डे बोर्डिंग स्कूल में जाता था और वो भी पापा के साथ ही शाम को 6 बजे आता था।
मम्मी को स्कूल से छुट्टी 2 बजे हो जाती थी लेकिन वो घर 5 बजे के करीब आती थी और मम्मी का स्कूल मुश्किल से हमारे घर से एक किमी दूर था और वो स्कूटी पर स्कूल जाती थी। मम्मी ने घर में बताया हुआ था कि वो सोमवार, बुधवार एवं शुक्रवार को छुट्टी के बाद पढा़ई में कमज़ोर बच्चों को पढा़ती है और हमें बहुत गर्व होता था मम्मी अच्छा काम करती है।
मैं घर में अकेले पोर्न मूवीज़ देखती और नकली लंड से मजा लेती।

उस वक्त मेरी मम्मी की आयु करीब 32-33 साल थी। उनका रंग बहुत गोरा और बदन बहुत सेक्सी था और अब भी है। उनका कद 5 फीट 6 इंच और फिगर का नाप 36डी-28-36 है। अब भी मम्मी की फिगर का नाप यही है। मम्मी के बूब्ज़ और गांड काफ़ी बड़े-बड़े और गोल हैं और पेट बिल्कुल शेप में है। मम्मी की नाभि गहरी और गोल है और जांघें मोटी, गोरी और चिकनी हैं। मम्मी की आंखें एवं बाल गहरे काले और होंठ लाल हैं।
मेरी मम्मी अपने बदन के सारे अनचाहे बाल साफ कर के रखती है और उनकी चूत बिल्कुल शेव्ड रहती है।

मेरी मम्मी बहुत घर और स्कूल में सलवार कमीज पहनती है। मम्मी का नाम संदीप कौर है लेकिन सब उनको सनी बुलाते हैं। मेरे मम्मी-पापा की लव मैरिज हुई थी। अब मेरी मम्मी की आयु 40+ है लेकिन दिखने में 30-32 साल से ज्यादा नहीं लगती और फिगर भी वैसे का वैसे है।
अपनी फिगर को शेप में रखने केलिए मम्मी शादी से पहले से ही कसरत करती है और अब मैं भी रोज़ कसरत करती हूँ।

एक सोमवार मुझे स्कूल से जल्दी छुट्टी हो गई और मैं 1 बजे घर पहुंच गई। उस दिन मम्मी-पापा के रूम को ताला लगा हुआ था शायद कोई चीज लाकर रखी होगी।
एक घंटे तक मैं टीवी देखती रही लेकिन मेरा दिल नहीं लग रहा था। 2 बजे मैंने साईकिल उठाई और मम्मी के स्कूल चली गई।
जब मैं स्कूल पहुंची तो सब बच्चे जा चुके थे और स्कूल का मेन गेट बंद हो चुका था और मम्मी स्कूटी लेकर शहर की तरफ हो गई।
वहाँ एक करीब 50 स्कूल का टीचर खड़ा था, वो मुझे नहीं जानता था लेकिन मैंने उसको देखा हुआ था।
उसने मोबाईल कान पर लगा रखा था, मैं उससे मम्मी के बारे पूछने ही लगी थी कि वो मोबाईल पर बोला- सनी डार्लिंग, पूरे 15 मिनट बाद स्कूल के पिछले गेट से हैड टीचर के रूम में आ जाना, वहीं मिलते हैं।

मुझे मम्मी का नाम सुन कर शक हुआ और मैं वहाँ से खिसक गई। मैंने अपनी साईकिल स्कूल से थोड़ी दूर छुपा दी और पिछले गेट से हैड टीचर के रूम के पीछे चली गई।
वहाँ कूलर लगा हुआ था और जालीदार खिड़की थी। रूम के पीछे स्कूल के कमरे थे बीच में सिर्फ करीब 2-2.5 फीट चौड़ी और करीब 6 फीट लंबी गली नुमा जगह थी। वहाँ पर बच्चों केलिए पानी पीने को वाटर कूलर लगा हुआ था और ऊपर छत थी। वाटर कूलर उस जगह के शुरू में था और वहाँ से कोई बडा़ आदमी बहुत मुश्किल से निकल सकता था।
मैं वहाँ से रूम के पीछे पहुंच गई। वहीं पर काफ़ी अंधेरा और ठंडक थी क्योंकि वहाँ पर सूर्य की रोशनी नहीं आती थी। मैं वहाँ एक टूटी हुई बाल्टी पर बैठ गई और इंतजार करने लगी।
करीब 10 मिनट बाद रूम का दरवाजा खुला और मम्मी अंदर आई। मम्मी को देखकर मैं हैरान हो गई क्योंकि सुबह स्कूल आते टाईम मम्मी ने सलवार कमीज पहना हुआ था लेकिन अब मम्मी ने नीली टाईट जींस के साथ स्लीवलेस टाईट हरा टॉप और हाई हील के सैंडिल पहन रखे थे।
मम्मी ने अपना पर्स खोलकर लिपस्टिक निकाल ली और रूम में लगे आईने के सामने खड़ी हो गई। वहाँ मम्मी ने बाल खोलकर होंठों पर लिपस्टिक लगाई और कुर्सी पर बैठ गई।
उसके बाद मैंने रूम को देखा वहाँ एक बडा़ सा टेबल, चार कुर्सियां, एक सोफा और एक सिंगल बैड था। मम्मी ने वहाँ टेबल पर पड़ा लैपटॉप चालू किया और पोर्न मूवी देखने लगी।
कुछ देर बाद मम्मी ने किसी को फोन किया और बोली- कब तक आओगे?
और जवाब सुनने के बाद बोली- जल्दी आओ डार्लिंग, कब से इंतजार कर रही हूँ! मैं चुदाई को मरे जा रही हूँ और तुम्हें सेक्स की गोली की पड़ी है।

मम्मी ने फोन बंद कर पोर्न मूवी देखना चालू रखा। मूवी खत्म होने के बाद मम्मी ने लैपटॉप बंद कर दिया।
करीब 5 मिनट बाद बाईक आने आवाज़ सुनाई दी, दो आदमी रूम के अंदर आए और दरवाजा बंद कर लिया। एक तो वही करीब 50 साल का टीचर था जो मम्मी को फोन कर रहा था। उसका कद करीब 5 फीट 8 इंच और रंग काला था, वो मोटा था और तोंद बड़ी थी। वो दिखने में सुंदर नहीं था और उसका नाम सूरज सिंह था, उसके बाल सफेद थे।
उसके साथ दूसरा आदमी भी स्कूल का टीचर ही था और उसकी आयु करीब 40-42 साल थी। उसका कद करीब 5 फीट 7 इंच और उसका रंग भी काला ही था लेकिन उसका जिस्म फिट था और बाल काले थे। उसका नाम निर्मल सिंह था।
मम्मी और सूरज उसको निम्मा बुला रहे थे। वो दोनों ही क्लीन शेव्ड थे।
वो दोनों मम्मी के सामने कुर्सियों पर बैठ गए और टेबल पर बीयर की चार बोतल, एक शराब का हॉफ़, एक जग, तीन गिलास रख लिए।
सूरज ने दो बोतल बीयर खोलकर जग में डाल दीं और आधा हॉफ़ बीच में मिला दिया। मम्मी ने जग उठा कर तीनों गिलास भर लिए और निम्मा ने तीन गोलियां टेबल पर रख दीं।

मम्मी अपनी कुर्सी से उठी और एक गोली उठाकर सूरज के पास गई। मम्मी गोली को अपने टॉप के अंदर ले गई और बूब्ज़ पर मसल कर होंठों के बीच दबा ली और होंठों को सूरज के पास कर दिया।
उसने मम्मी के होंठों से होंठ लगाकर गोली अपने मुंह में ले ली और मम्मी ने बीयर वाला गिलास उसके मुंह को लगा दिया। सूरज ने एक सांस में ही गिलास खाली कर दिया।

अब मम्मी ने दूसरी गोली को बूब्ज़ से मसला और होंठों में लेकर निम्मा के होंठों से होंठ लगाकर गोली उसके मुंह में डाल दी।
उसको ही वैसे ही हाथों से बीयर पिला दी।

अब मम्मी फिर से कुर्सी पर बैठ गई और तीसरी गोली के दो टुकड़े कर दिए। एक टुकड़ा सूरज को और दूसरा टुकड़ा निम्मा को दे दिया।
पहले निम्मा उठा और उसने गोली को चूमकर मम्मी की तरफ किया, मुझे लगा मम्मी गोली खाएगी लेकिन मम्मी ने गोली चूमकर निम्मा के हाथ में ही रहने दी।
निम्मा ने अपनी जींस की जिप खोलकर लंड बाहर निकाल लिया और टोपे से चमड़ी पीछे कर ली।

उसका लंड काफ़ी लंबा, मोटा और तगड़ा था और ट्यूब की रोशनी में उसका लाल टोपा चमक रहा था। निम्मा ने अपने वाला गोली का टुकड़ा लंड के टोपे पर रगड़कर लंड के ऊपर रख लिया और लंड मम्मी के होंठों के पास कर दिया। मम्मी ने मुंह खोलकर निम्मा के लंड से गोली मुंह में ले ली और निम्मा ने बीयर का गिलास उठाकर मम्मी को आधा पिला दिया।
अब सूरज मम्मी के पास आया और लंड बाहर निकाल लिया। उसका लंड भी निम्मा की तरह लंबा, मोटा एवं तगड़ा था लेकिन निम्मा का टोपा लाल था और सूरज का टोपा गुलाबी!
सूरज ने अपने लंड के टोपे पर गोली रगड़कर लंड मम्मी के पास कर दिया और मम्मी ने उसके लंड के टोपे को जीभ से चाटकर चूम लिया।
सूरज ने अपनी जीभ पर गोली रखी और मम्मी ने उसकी जीभ चूसते हुए गोली मुंह में ले ली। सूरज ने बीयर का गिलास उठाया और लंड के पास ले गया। उसने अपना लंड गिलास में डाला और हिलाने लगा।

निम्मा भी कुर्सी से खड़ा हो गया और गिलास पकड़ कर अपना लंड डालकर हिलाया। सूरज ने दोनों लंड से हिलाई हुई बीयर मम्मी के मुंह को लगा दी और मम्मी मस्ती से पी गई।
बीयर पीने के बाद मम्मी ने पहले निम्मा का बीयर से भीगा हुआ लंड मुंह में लेकर चूस कर साफ किया और फिर सूरज का लंड मुंह से चूस कर साफ किया।
मम्मी ने एक बार फिर से गिलास भर दिए और तीनों पी गए।
सूरज ने अपनी जेब से सिगरेट निकाल कर मम्मी के होंठों में लगा दी और लाइटर से जला दी। मम्मी ने बड़े स्टाइल से कश लेकर धुआं छोड़ते हुए सिगरेट निम्मा को दे दी और उसने कश लगाकर वापिस मम्मी को दे दी।
मम्मी ने दूसरा कश लगाया और सिगरेट सूरज को दे दी।

ऐसे ही मम्मी कश लगाकर बारी बारी से दोनों को सिगरेट देती और ऐसे वो दो सिगरेट पी गए।
मम्मी का ये अवतार देखकर मैं हैरान थी, मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था मम्मी शराब और सिगरेट पीती है। मैंने यह भी कभी नहीं सोचा था मम्मी इतनी चुदक्कड़ निकलेगी। घर में तो ऐसे दिखाती है जैसे उस जैसी शरीफ और कोई नहीं और अक्सर शराब और सिगरेट पीने वालों को गलत बताती है।
आज मम्मी की असलियत सामने आ रही थी कि वो कोई शरीफ औरत नहीं बल्कि एक नंबर की रंडी है।

ऐसे करते करते वो लोग बची हुई बीयर और शराब भी पी गए और सिगरेट का पैकेट भी खाली कर दिया। अब शराब और सेक्स का नशा उन पर हावी हो गया।
मम्मी कुर्सी से उठ कर सोफे पर बैठ गई, सूरज बाईं और निम्मा दाईं तरफ बैठ गया। उन्होंने मम्मी का टॉप निकाल दिया और मम्मी ने ब्रा नहीं पहना था।

मम्मी के बड़ी-बड़ी गोल चुची और हल्के भूरे रंग के निप्पल देखकर दोनों मम्मी की चुची दबाने लगे लेकिन मम्मी ने उनके हाथ हटा दिए।
मम्मी ने बारी बारी से दोनों की शर्ट निकाल दी और निम्मा के हाथ चुची पर रख कर सूरज की छाती के निप्पल मुंह में भर कर चूसने लगी।

निम्मा मम्मी की चुची दबाते हुए मम्मी की गोरी एवं चिकनी पीठ चूमने लगा और सूरज अपने निप्पल चुसवाते हुए मस्ती में आहें भर रहा था।
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थोड़ी देर बाद मम्मी ने करवट बदली और सूरज के हाथ मम्मी के बूब्ज़ से खेलने लगे और मम्मी की गोरी चिकनी पीठ को चूम चूम के गीली करने लगा। इधर मम्मी की जीभ निम्मा की छाती के निप्पलों से अठखेलियाँ करने लगी और मम्मी जोर जोर से निम्मा के निप्पलों को मुंह में भरकर चूसने लगी।
निम्मा मम्मी के सिर पकड़ कर अपनी छाती पर दबाते हुए मस्ती में बहुत जोर से सिसकारियाँ भरने लगा।
उन्होंने मम्मी को सीधा बैठा दिया और सूरज ने मम्मी की जींस एवं निम्मा ने मम्मी की पेंटी निकाल दी। वो दोनों भी अपनी अपनी पैंट निकालकर मम्मी से सटकर बैठ गए।

सूरज ने मम्मी के बाईं और निम्मा ने मम्मी के दाईं तरफ वाली चुची पर कब्जा जमा लिया, मम्मी की चुची को जोर जोर से चूसने लगे और मम्मी उनके सिर अपने बूब्ज़ पर दबाने लगी।
मेरा ध्यान दोनों के लंड पर गया, दोनों के लोहे की रॉड जैसे सख्त हो गए थे और मोटे काले सांप जैसे लग रहे थे।
उनके काले, लंबे, मोटे एवं ताकतवर लंड सीधे तनकर फुंफ़कारे मार रहे थे।

मम्मी ने दोनों के लंड अपने कोमल हाथों में ले लिए और जोर जोर से हिलाने लगी। वो दोनों मम्मी की चुची एवं निप्पलों को जोर से चूसने तथा काटने लगे।
वो जितनी जोर से मम्मी की चुची एवं निप्पलों को नोचते, मम्मी को उतना ज्यादा मजा आता और वो भी उतनी जोर से उनके लंड मसल देती।

वो दोनों मम्मी के बूब्ज़ चूसते चूसते मम्मी के नाजुक, गोरे एवं चिकने पेट को सहलाने लगे। मम्मी उनके लंड हिलाते हुए चहकने लगी।
उन्होंने मम्मी को टेबल पर लेटा लिया और निम्मा ने मम्मी के होंठों पर होंठ रख दिए तथा सूरज मम्मी के पेट को चूमने लगा।
निम्मा और मम्मी बहुत जोर जोर से एक-दूसरे के होंठों का रसपान करने लगे और एक-दूसरे के मुंह में जीभ डालकर जीभ चूसते उधर सूरज मम्मी के पेट पर चूमते हुए उनकी नाभि में जीभ डालकर घुमाता और पेट को हल्के से काट लेता।

दोनों की चूमा चाटी से मम्मी मचलने लगी और निम्मा के कान चूसने लगी।
अब दोनों ने जगह बदल ली सूरज मम्मी के होंठों को और निम्मा मम्मी के पेट को चूमने लगा। अब दोनों ने मम्मी की एक एक टांग थाम ली और वो मम्मी की गोरी एवं चिकनी जांघों को सहलाने और चूमने लगे।
उन दोनों ने आपस में कुछ बात की और उन्होंने ने मम्मी को पेट के बल लेटा दिया। निम्मा मम्मी के मुंह की की तरफ आ गया और सूरज मम्मी की टांगों की तरफ आ गया।
निम्मा ने मम्मी के मुंह के पास लंड कर दिया और मम्मी ने भूखी शेरनी के जैसे लपक कर निम्मा का लंड मुंह में लेकर चूसना चालू कर दिया, दूसरी तरफ सूरज ने मम्मी की टांगें खोलकर अपना मुंह मम्मी की चूत पर लगा दिया।

मम्मी एकदम मचलने लगी और गांड उठा उठाकर सूरज के मुंह पर चूत रगड़ने लगी और सिर को आगे-पीछे करके लंड चूसने लगी।
थोड़ी देर बाद उन्होंने मम्मी को सीधा लेटा लिया और और सूरज मम्मी के सिर की तरफ और निम्मा चूत की तरफ आ गया। मम्मी का सिर नीचे लटका लिया, सूरज ने मम्मी के मुंह में लंड धकेल दिया और निम्मा मम्मी की चूत चाटने लगा।

निम्मा ने मम्मी की टांगें उठाकर अपने कंधों पर रख लीं और सूरज ने लंड मम्मी के मुंह से बाहर खींचकर होंठों से लगा लिया। निम्मा ने मम्मी की चूत के छेद पर लंड लगाया और दोनों ने एक-दूसरे को आंखों से इशारा किया, दोनों ने एक साथ झटका मारा, निम्मा का लंड एक ही बार में मम्मी की चूत में समा गया और सूरज का लंड मम्मी के मुंह से होता हुआ गले में उतर गया।
एक साथ दोनों तरफ से तेज झटके से मम्मी एकदम उछल गई। निम्मा मम्मी की टांगों को पकड़ कर जोरदार झटकों से मम्मी की चूत चोदने लगा और सूरज मम्मी का चेहरा पकड़ कर मम्मी के गले में लंड उतारने लगा।
लंड के अंदर-बाहर होने से मम्मी के मुंह से हम्म… उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्मम… की आवाज़ आने लगी और मम्मी के बूब्ज़ तेज़ी से ऊपर-नीचे उछल-कूद करने लगे।

निम्मा ने मम्मी को टांगों से पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और मम्मी का मुंह टेबल के ऊपर हो गया। निम्मा जोर जोर से मम्मी की चूत चोदने लगा और सूरज घुटने मोड़कर टेबल के ऊपर बैठ गया। सूरज ने अपने घुटने मम्मी के सिर के दोनों तरफ रख लिए और आने हाथ रखकर झुक गया, उसका लंड मम्मी के होंठों से लग गया और मम्मी ने मुंह खोलकर उसका लंड अंदर ले लिया।
नीचे से निम्मा अपनी गांड आगे-पीछे कर के मम्मी की चूत चोदने लगा और ऊपर से सूरज अपनी गांड ऊपर-नीचे कर के अपना लंड मम्मी के गले के अंदर-बाहर करने लगा।
मम्मी गांड हिला हिला कर निम्मा का लंड चूत में लेने लगी और गर्दन हिलाते हुए सूरज का लंड मुंह में लेने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे मम्मी दोनों लंड पूरी तरह निचोड़ना चाहती हो।

निम्मा ने मम्मी की चूत से और सूरज ने मम्मी के मुंह से लंड निकाल लिया।
तभी सूरज मम्मी को बोला- चल साली रंडी कुतिया बन जा… अब तेरी गांड बजेगी।

मम्मी घुटने मोड़कर कुतिया की तरह टेबल पर बैठ गई और बोली- बहनचोद मेरी गांड अच्छे ठोकना, नहीं तो तेरी गांड में डंडा घुसा दूंगी।
मम्मी के मुंह से ये सुन कर दंग रह गई क्योंकि घर में तो मम्मी बहुत शालीनता से बोलती हैं।

सूरज मम्मी की गांड की तरफ आ गया और निम्मा मम्मी के मुंह की तरफ। सूरज ने मम्मी की गांड ऊपर की और गांड के छेद पर थूक लगाने लगा।
तभी मम्मी निम्मा से बोली- मादरचोद सांड की औलाद, मुंह अच्छे से चोदा कर… तेरा लंड मेरे गले के बिल्कुल अंदर घुसना चाहिए।
निम्मा बोला- फिक्र न कर छिनाल कुतिया, तेरा गला फाड़कर रख दूंगा।

सूरज ने मम्मी की गांड पर अच्छे से थूक लगा दिया और उसका लंड पहले से ही मम्मी के थूक से सना हुआ था।
उसने मम्मी के गांड के छेद पर लंड रखा और मम्मी की कमर पकड़ कर जोरदार शॉट मारा।

एक शॉट में लंड फचाक की आवाज़ से मम्मी की गांड में उतर गया। निम्मा ने मम्मी के मुंह में लंड दे दिया और बालों से पकड़ कर जोरदार शॉट मारा और लंड मम्मी के मुंह से होता गले में उतर गया।
सूरज पीछे से मम्मी की गांड में और निम्मा आगे से मम्मी के मुंह में ताबड़तोड़ झटके मारकर चोदने लगे।
मम्मी भी गांड को गोल गोल घुमा कर और गर्दन को आगे पीछे कर के गांड चुदाई एवं मुंह चुदाई के मजे लेने लगी। इस जबरदस्त चुदाई में टेबल पर घुटने मोड़कर गांड में लंड ले रही थी और हाथों के बल ऊपर उठ कर मुंह चुदाई करवा रही थी।
इस बीच सूरज मम्मी के चूतड़ों पर बार बार चपत लगा कर बोलता- ले बहनचोद रंडी, संभाल अपनी गांड को! साली रंडी, तू खाना क्या खाती है इतने मर्दों का लंड तू ले चुकी है फिर भी तेरी गांड और चूत ऐसे लगते हैं जैसे कभी चुदाई की ही नहीं?
तभी निम्मा बोला- कसम से यार, अभी तक कितनी रंडियों को चोदा है लेकिन इस छिनाल को चोदने का मजा ही कुछ और है। साली एकदम गर्म और मस्त माल है।
ऐसी बातें करते-करते मम्मी को चोद भी रहे थे और मम्मी की बड़ी-बड़ी गोल चुची हवा में लहरा रहे थे।

उन्होंने मम्मी को टेबल से नीचे उतार लिया और निम्मा बोला- बैड पर आजा छिनाल कुतिया… अब तेरी चूत और गांड का बाजा एक साथ बजेगा।
सूरज बैड से नीचे टांगें लटका कर लेट गया और मम्मी ने घुटने मोड़कर बैड पर रखकर अपनी चूत सूरज के लंड पर टिका दी। मम्मी ने जोर से गांड को नीचे धकेल दिया और सूरज का लंड मम्मी की चूत में उतर गया।

तभी निम्मा मम्मी के पीछे आ गया और मम्मी को आगे झुका कर गांड ऊपर उठा ली। उसने मम्मी की गांड पर लंड लगाया और जोरदार शॉट से मम्मी की गांड में घुसेड़ दिया।
दोनों जोरदार शॉट मारकर मम्मी की चूत एवं गांड चोदने लगे और मम्मी भी उछल उछल कर चुदाई करवा रही थी।
सूरज ने मम्मी की उछल-कूद कर रहे चुची हाथों में पकड़ ली और नीचे से गांड उचका उचका कर मम्मी की चूत चोदने लगा।
निम्मा पीछे से मम्मी के बालों को पकड़ कर जोर जोर से गांड चोदने लगा और मम्मी काम वासना की मस्ती में ऊंची ऊंची चिल्ला रही थी।
तभी निम्मा बोला- क्यों छिनाल कुतिया, कैसा लग रहा है?
मम्मी बोली- ऐसा लग रहा है कि तुम दोनों बहनचोद कुत्ते ऐसे ही मुझे चोदते रहो।

ऐसे ही तीनों गालियां निकालते हुए चुदाई का रंगीन खेल खेलते रहे।
कुछ देर बाद दोनों ने लंड बाहर निकाल लिए और मम्मी जल्दी से घुटनों के बल फर्श पर बैठ गई और बोली- अब मुझे मेरी पसंद की आईसक्रीम मिलेगी।
मम्मी दोनों के लंड पकड़ कर हिलाने लगी तभी सूरज ने मम्मी के होंठों को अपना लंड लगा दिया और मम्मी ने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
कुछ ही देर में सूरज आहह आआहह की आवाज़ से मम्मी के मुंह मे झड़ गया और पूरा खाली होने के बाद उसने मम्मी के मुंह से लंड निकाल लिया।

अब मम्मी ने निम्मा का लंड मुंह में ले लिया और वो भी वैसे ही मम्मी के मुंह में झड़ गया।
मम्मी दोनों का वीर्य पी गई और कुछ वीर्य मम्मी को होंठों से निकल कर गर्दन तक आ गया। मम्मी ने उसको साफ किया और सब लोग कपड़े पहनने लगे।

मैंने टाईम देखा 4:30 से ऊपर हो गया था, मैं वहाँ से निकल कर घर आ गई।
अब मुझे मालूम हो गया था कि मेरी मम्मी कितनी शरीफ है और स्कूल में छुट्टी के बाद किसको क्या पढा़ई करवाती है।
उनकी बातें सुन कर मुझे मालूम हो गया था कि उन दोनों के अलावा और भी कई मर्दों को मम्मी पढा़ई करवाती है।
5 बजे मम्मी घर आ गई और सलवार कमीज पहना हुआ और बिल्कुल शरीफ लग रही थी।

मैं मम्मी से बोली- मम्मी आप बहुत अच्छा काम करती हो जो बच्चों को इतनी लगन से मेहनत करवाती हो।
मम्मी बोली- यह मेरा शौक है बच्चों को पढा़ई करवाना और इससे मुझे बहुत संतुष्टि मिलती है।

मेरी हंसी निकल गई लेकिन मम्मी को पता नहीं चला मेरी हंसी क्यों छूटी थी।
उस दिन के बाद मुझे पता चल गया कि चुदाई का कार्यक्रम 3 बजे चलता है और मैं उससे पहले वहाँ छुप जाती और हर बार नए मर्द से मम्मी की चुदाई देखती।

मौसी की बेटी सोनिया

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यह स्टोरी मेरी और मेरी बहन सोनिया के बीच की है. सोनिया मेरी मौसी की लड़की है. उसके बारे में मैं आपको बता दूँ कि वो बहुत ही सेक्सी माल है. उसके मम्मे तो जैसे एकदम गोल गेंदें हैं. वो जब भी सामने आ जाती है, तो मन करता है कि इसको पकड़ कर इसकी उछलती और मचलती जवानी को कच्चा ही खा जाऊं. सच में उसका फिगर बहुत ही कमाल का है. वो मुझसे उम्र में 4 साल बड़ी है.

मेरी मौसी का परिवार गांव में रहता है, जबकि हमारी फैमिली यहां शहर में रहती है. हमारे घर में 4 लोग हैं, मैं, मेरे पापा, मेरा छोटा भाई और मेरी मम्मी. हमारे घर में दो कमरे हैं और बाहर बरामदा है.
यह बात तब की है, जब मैं इंजीनियरिंग का डिप्लोमा कर रहा था. मैंने अब तक बहुत सी लड़कियों के साथ सेक्स किया था क्योंकि मुझे सेक्स करने का बहुत शौक था.
मैं अक्सर महीने में एक दो बार सेक्स कर लेता था. लेकिन इस बार कुछ ज्यादा ही दिन हो गए थे. लंड के लिए कोई जुगाड़ ही नहीं लग रही थी. मेरे लंड का मेरी गर्लफ्रेंड्स की चुत चोद चोद कर मन भर गया था. अब मैं कोई नया माल ढूँढ रहा था. तभी हमारे घर पर मेरी मौसी की लड़की आई. मेरी मौसी की 3 लड़कियां हैं. ये वाली लड़की सोनिया सबसे बड़ी वाली थी. वो हमारे घर पर आई. जब मैंने उसे देखा तो देखता ही रह गया.. क्या कमाल थी. वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी. उसने सूट और टाइट पजामी डाली हुई थी.
जब मैंने उसे देखा तो मुस्कुरा कर उसे विश किया. उसने मुझे हाथ के इशारे से अपने करीब बुलाया और हालचाल पूछा. कुछ देर बाद वो घर में अन्दर चली गई. मैं बहुत खुश था क्योंकि मैं अपनी मौसी की लड़की से सब तरह की बात कर लेता था, वो मुझसे बहुत खुली हुई थी, वो मेरी पहले से ही अच्छी फ्रेंड थी. मैं अक्सर गांव में उनके घर जाता रहता था. इसलिए वो मेरी अच्छी फ्रेंड बन गई थी. उसको मेरे बारे में और मुझे उसके बारे में सब पता था.
जब वो घर आई तो मैं भी घर में आ गया. मैंने उससे पूछा कि यहां अचानक कैसे आना हुआ?
तो उसने कहा कि यार एक प्रॉब्लम हो गई है.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
सोनिया बोली कि वो प्रेग्नेंट है और माँ बनने वाली है.

मैं ये सुन कर हैरान रह गया था.
मैंने उससे पूछा- तेरी शादी कब हुई और ये सब क्या है?

उसने मुझे सब बताया कि वो किसी लड़के से प्यार करती थी और उसने उसी के कोर्ट में शादी कर ली, किसी को नहीं बताया है. अभी भी वो घर में जिद करके इधर आई है.
मेरे बहुत कहने पर उसने ये सब मेरी मम्मी को भी बताया तो मम्मी भी थोड़ा गुस्सा हुईं लेकिन उसको अपने कमरे में ले गईं.

कुछ दिन ऐसे ही निकल गए. वो इधर ही रहने लगी. उसकी मम्मी से मेरी मम्मी ने कह दिया कि इसको इधर ही रहने दो. दरअसल मेरी मम्मी ने मौसी को अपने तरीके से समझा दिया था और अब सोनिया मेरे घर पर ही रहने लगी थी.
दो महीने बाद उसने एक लड़की को जन्म दिया. उसका हजबेंड बाहर सऊदी में था, उसने अपने पति को कॉल किया और बताया. वो भी खुश था.
सब खुश थे लेकिन मैं यहां कुछ और ही सोच रहा था.. और हो कुछ और रहा था. मुझे भी सेक्स किए अब काफ़ी समय हो गया था.
दिन निकलते गए. एकाध बार पुरानी जुगाड़ के साथ लंड चुसाई करवा कर खुद को शांत भी कर लिया था. लेकिन चूत नहीं मारी थी.
इधर सोनिया की लड़की 3 महीने की हो गई, लेकिन मेरी मौसी की लड़की अब कुछ उदास सी रहने लगी.
एक दिन मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ तुम आजकल खुश नहीं रहती?
तो उसने मुझे बताया कि उसका हबी अब उसको फोन तक नहीं करता.. ना ही फोन उठाता है.
मैंने कहा कि वो बिज़ी होगा.. समय नहीं मिलता होगा.
तो उसने कहा कि वो मुझे छोड़ देना चाहता है. अब वो कहता है कि उसे मेरे साथ नहीं रहना है.

इतना बता कर वो रोने लगी. मुझे बहुत दुःख हुआ, उसका ये दर्द मुझसे देखा ना गया. मैं उसको चुप कराने लगा. उस वक्त माँ बाहर गई हुई थीं. मेरी माँ को ये पता नहीं था. मैंने सोनिया को थोड़ा दिलासा दिया, चुप होने को कहा.. उसके थोड़ा पास को गया, उसको अपने गले से लगाया और चुप कराया.
अब तक मेरे मन में अपनी बहन को लेकर ऐसी कोई बात नहीं थी. लेकिन जब मैंने उसे गले लगाया तो मुझे कुछ हुआ. उसको भी अच्छा महसूस हुआ.. वो और भी मुझे लिपट गई. मैंने उसको थोड़ा और ज़ोर से गले से लगाया. उसने भी मुझे अच्छे से गले लगाया.
ये एक अजीब सी फीलिंग थी, बता नहीं सकता कि मुझे क्या लग रहा था. उसके दूध मेरे सीने से चिपके हुए थे. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. मेरा मन कर रहा था कि अभी उनको पकड़ लूँ. इससे पहले मेरी नियत खराब नहीं थी, लेकिन इस हरकत के बाद मेरा ख्याल बदल गया था. उसके मम्मों का तो मैं पहले से ही दीवाना था. मुझे वैसे भी दूध के खेलना बहुत पसन्द है.
अब मेरा मन अपनी बहन के लिए बदल रहा था. वो दुखी थी लेकिन मैं यहां कुछ और ही सोच रहा था.
कुछ दिन निकले, हम अब दोनों आपस में बात करते रहते थे. मेरे मन में मेरी बहन को चोदने का ख्याल आ गया था. वो मेरी खोपड़ी में घुस गई थी.. और मुझे अपनी बहन को चोदने का नशा चढ़ गया था. अब मैं उसके आस पास ही रहने लगा था. उसको देखता, टच करता.. जानबूझ कर उसको खुश करता. वो भी खूब हंसने लगी थी.
इसी तरह दिन निकलते रहे.
अब सर्दी का मौसम आ गया था. चूंकि हमारे घर में दो ही कमरे थे. उसकी लड़की भी थी. हम भी चार लोग थे तो तो एड्जस्ट करना थोड़ा मुश्किल हो रहा था. एक कमरे में मेरी मम्मी और पापा सोते और दूसरे में और मेरा भाई सोते थे. हम अपनी बहन के बिस्तर के पास ही चारपाई पर बिस्तर लगाते थे, सर्दी बढ़ गई थी इसलिए ठंड होने के कारण रज़ाई ओढ़ लेते थे. हम दोनों भाई अलग अलग रज़ाई ओढ़ते थे. इसी तरह हम सब एड्जस्ट करते रहे.
अब मैं अक्सर अपनी बहन को देखता था. वो घर पर सूट पहन कर रहती थी. चूंकि वो बहुत ही सेक्सी थी, एक बच्ची हो जाने के कारण वो और भी ज्यादा निखर गई थी उसकी चूचियों में दूध भरा रहने के कारण और भी भराव आ गया था. मेरा भी उसके बारे में ख्याल बदल गया था. मैं कॉलेज से आता और उसके साथ बात करता, उसको खुश करता. वो भी मेरे साथ खुश रहने लगी थी.
आपस में खुलापन होने के कारण मैं अक्सर उसको अपनी जीएफ के किस्से सुनाता रहता था कि आज मैंने ऐसा किया, आज मैंने कैसे अपनी जीएफ को किस के लिए पटाया. ऐसे मैं अपने बारे में उसको बता कर उसको खुश करता और उकसाता रहता था. वो भी ये सब सुन कर खुश होती.
चूंकि मैं उसके साथ मज़ा करना चाहता था और ये भी समझ रहा था कि इसकी चुत को भी लंड की खुराख की जरूरत होगी. लेकिन मैं अच्छे मौके की तलाश में था.
हम दिन भर एक दूसरे से बातें करते रहते, एडल्ट जोक भी चलते रहते. वो मेरे साथ बहुत खुश रहने लगी. जब घर पर कोई नहीं होता तो मैं उसके साथ चिपक कर बैठता, उसको टच करता. वो भी मेरे बदन से चिपकने के मज़े लेती, लेकिन मैं कुछ इससे ज्यादा ही पाने की सोच में था. अब मेरे कंट्रोल से बाहर हो रहा था.
वो भी मुझसे इतनी अधिक खुश रहने लगी थी कि वो हमेशा मेरा इन्तजार करती थी. हम दोनों खाना साथ में ही खाते थे. वो मेरी तरफ बढ़ रही थी. मैं भी अब उसकी तरफ़ बढ़ रहा था. बस हम एक दूसरे को अपनी फीलिंग नहीं बता पा रहे थे.
मैं अक्सर उसको टच करता, कभी पीठ पर, कभी गाल पर, कभी उसकी कमर पर हाथ फेर देता, वो कुछ नहीं कहती.
अब मैं इससे आगे बढ़ कर कुछ और भी करना चाहता था.
एक रात मैंने उससे कहा कि तुम बेड पर सोती हो, ये बेड बड़ा है. मैं यहां ऊपर तुम्हारे साथ बेड पर सोऊंगा, चारपाई पर 2 लोगों से सोया नहीं जाता.
ये सब मैंने सबके सामने कहा ताकि किसी को शक भी ना हो. इस पर मम्मी ने कहा कि ठीक है.. सो जाना, लेकिन उसकी लड़की छोटी है. उसको अपनी टांगों से नीचे मत गिरा देना, ध्यान से सोना.
तभी मेरी बहन सोनिया भी बोली- कोई बात नहीं मौसी.. कोई बात नहीं.. मैं लड़की को दीवार की तरफ सुला दूँगी, ये मेरे बगल में लेट जाएगा. कोई बात नहीं.
मैंने भी कहा- हां आप चिंता मत करो माँ.
माँ ने कहा- ठीक है.. तुम दोनों जानो.. तुम्हें ही सोना है.
मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ.

अब रात को मैं अपनी बहन के बगल में सोया. मैं अपनी रज़ाई में था, वो अपनी रजाई में थी. मेरे मम्मी पापा दूसरे कमरे में थे. उन्होंने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया. मैंने भी अपने कमरे का दरवाजा थोड़ा सा बंद कर दिया. अब मैं अपने भाई के सोने का वेट कर रहा था कि कब वो सोए और मैं कुछ कर सकूँ. कुछ देर में वो भी सो गया लेकिन मुझे नींद कहां थी, मेरे दिमाग़ में कीड़ा रेंग रहा था.
थोड़ी देर बाद सब सो गए. मैंने देखा कि मेरी मौसी की लड़की जाग रही है. वो फोन पर कुछ कर रही थी.
मैं बैठ गया और उसकी तरफ़ देखा. उसने मेरी तरफ़ देखा और मुस्कुरा दी.
मैं थोड़ा और आगे को हुआ और उसको उसकी रज़ाई में जाकर पीछे से हग करते हुए धीरे से पूछा- अब तक सोई नहीं?
उसने भी मेरी तरफ़ मुँह कर लिया. उसने कहा- तू भी तो नहीं सोया.
मैंने कहा- मुझे नींद नहीं आ रही.
उसने कहा- मुझे भी नींद नहीं आ रही है.

मैंने अपना हाथ उसकी कमर पर रख दिया. उसने कुछ नहीं कहा, वो फोन पर लगी हुई थी. मैंने ऐसे ही अपना हाथ रखा और धीरे धीरे फेरने लगा. वो भी कुछ नहीं बोली.
अब मैं उसकी रज़ाई में पूरा घुस गया था. तभी उसने फोन रख दिया और अपनी आँखें बंद कर लीं.
मैं धीरे धीरे उसकी कमर पर हाथ फेर रहा था. वो कुछ नहीं बोल रही थी.
मैंने उससे बात कि और पूछा- क्या हुआ बताओ?
उसने कहा- कुछ नहीं.

उसने इस वक्त टीशर्ट डाली हुई थी, नीचे सलवार थी. मैंने हिम्मत की और एक हाथ उसके ऊपर वाले दूध पर रख दिया. उसने अपनी आँखें खोल लीं, मैं डर गया. लेकिन उसने कुछ नहीं कहा, बस मुझे देखने लगी.
तभी मैंने उसके दूध को धीरे से सहला दिया. वो अब भी कुछ नहीं बोल रही थी, ना ही कोई हरकत कर रही थी. मैं डर भी रहा था और मजा भी आ रहा था. मैंने अपना काम जारी रखा.
मैंने उसको धीरे से हिम्मत करके बोला- तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो.
उसने कोई जवाब नहीं दिया.
मैंने उसे दूध से अपना हाथ नहीं हटाया. मैं धीरे धीरे उसके मम्मे को सहला रहा था. मैं यूं ही लगा रहा, वो कुछ नहीं बोली.

अब मैं थोड़ा उससे पास होकर चिपक गया और उसकी आँखों में देखने लगा. वो भी मुझे देख रही थी. मैंने फिर से उससे कहा- तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो.
उसने मुझे धीरे से सीने से लगा लिया और बोला कि विराट तुम भी बहुत अच्छे हो.

मैंने उसको गले से लगा लिया हमने एक दूसरे को जफ्फी डाली.

गांव का पहलवान(long storie)

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दोस्तो, बात आज से लगभग 4-5 साल पुरानी है जब मैं कालेज के प्रथम वर्ष में था और मेरी उम्र भी लगभग 20 साल होगी, मतलब मेरी भी जवानी की शुरुआत थी लेकिन समझ नहीं आता था कि अपने जिस्म की अन्तर्वासना को किस तरह शांत किया जाये क्योंकि उस समय सेक्स की ना तो ज्यादा जानकारी थी और ऊपर से समाज का डर।

अपने शहर में मुझे कई मस्त सेक्सी जिस्म के गांड फाडू लौंडे दिखाई देते और मेरा दिल करता कि इनके जिस्म से लिपट जाऊँ और मोटे ताजे लण्ड को गले गले तक घुसेड़ कर लण्ड का काम रस पी जाऊँ लेकिन अपने शहर मैं ज्यादा तर लोग एक दूसरे को जानते हैं और यह सब करना खतरों से खाली नहीं था।
मुझे तलाश थी ऐसे किसी मौके की जिसमें मुझे किसी अनजान शहर में जाने का मौका मिले और मैं अपनी लण्ड और जिस्म की प्यास को बुझा सकूँ।
जल्द ही मुझे ऐसा मौका मिल भी गया। उस समय मेरे बुआ के बेटे मतलब मेरे भैया इन्दौर में रहते थे और किसी कंपनी में जोब करते थे. उस समय उनकी शादी हो चुकी थी, उनके कोई बच्चे नहीं थे और वो लोग किराये के फ्लैट में चौथी मंजिल पर रहते थे.
भैया भाभी को किसी शादी में 3 दिन के लिए जाना था और उन्होंने फ्लैट नया खरीदा था तो ताला लगा कर जाना सुरक्षित नहीं था इसीलिए मुझे उनके फ्लैट पर जाने का मौका मिला और मैं शाम को लगभग 8 बजे भैया के घर (फ्लैट) पर पहुंचा और खाना खाकर सो गया।

नवम्बर की शुरुआती ठंड में मैं रज़ाई में दुबक कर सोया था तभी सुबह सुबह दरवाजे की घण्टी बजी और मेरी नींद टूटी। मैंने रज़ाई से थोड़ा सा चेहरा निकाल कर छोटी आँखों से देखने की कोशिश की तो भाभी की आवाज़ आई- सो जाओ भैया, अभी तो 6 बजे हैं, दूध वाले भैया आये हैं.
कहते हुए भाभी ने दरवाज़ा खोल दिया और तपेली लेकर दूध लेने लगी।

मैं हॉल में सोया था और फ्लैट का दरवाज़ा बिल्कुल मेरे बेड के सामने था। गेट खुला जिससे बाहर का उजाला मेरे चेहरे पर पड़ा। मैं गहरी नींद से जागा था और मेरा उठने का कोई मूड नहीं था… यहां तक कि मेरी आँखें भी ठीक से नहीं खुल रही थी लेकिन भाभी के पीछे खड़े किसी इंसान की आधी झलक ने मेरी आँखों को फाड़ कर देखने पर मजबूर कर दिया और मेरी नींद पूरी तरह खुल गयी।
मुझे बस भाभी के पीछे खड़े किसी मर्द का एक पैर और नीले और सफेद रंग की हाफ आस्तीन वाली टी शर्ट से एक हाथ की गोरी फूली हुई भुजा (डोले या बाईसेप ) दिखाई दिया जिसमें भाभी को दूध देते हुए उसका डोला ऊपर नीचे हो रहा था।
मेरे लिए मानो इंदौर शहर ने स्वागत में मुझे तोहफा दिया था… पहले ही दिन वो भी सुबह की पहली किरण के साथ मुझे मानो वरुण धवन के मज़बूत और सैक्सी डोले शोले देखने को मिल गए जो की काफी गोरे भी थे लेकिन वरुण धवन के डोलों से साइज़ में थोड़े छोटे थे।
भाभी दूध लेकर थोड़ा हटी… इससे पहले कि वह नौजवान अपने दूध के डब्बे का ढक्कन लगा कर चला जाये, मैं तुरंत खड़ा हो गया और दरवाज़े की तरफ भागा और उसका पूरा जिस्म मेरे सामने उजागर हुआ।
हाई…! मैं तो दीवाना हो गया उसका… 18-19 साल का गोरा चिट्टा नया नवेला जवान लौंडा, आधे आस्तीन की टीशर्ट की आस्तीन को फाड़ती हुई सी उसकी भुजायें, नीचे नीले रंग का जीन्स और सफेद जूते… कानों पर हल्के पोइंटेड बाल जो उस समय का फैशन था।
कुल मिलाकर जो कुछ दिख रहा था, उसकी उम्र के हिसाब से काफी ज्यादा था। इतनी कम उम्र मैं ऐसी बॉडी, ऐसा लुक… लेकिन चेहरे से उसकी कम उम्र और मासूमियत के साथ मिक्स जवानी और सेक्सी लुक कहर ढा रहे थे।
सबसे बड़ी बात तो यह कि उसके बाल हल्के गीले थे मतलब कि वह इतनी ठंड में इतनी सुबह से नहा चुका था और ऊपर से उसने सिर्फ आधे आस्तीन की टी शर्ट पहन रखी थी… और दूसरी बात ये कि वह इतना तैयार होकर दूध देने आया था या फैशन शो करने?
मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गयी, मैं कुछ समझ ही नहीं पा रहा था.
तभी वो बोला- भाभी, आज शाम को 4 बजे पूरी बिल्डिंग से दूध का हिसाब करने आऊंगा तब भैया के नम्बर पर फोन लगाउँगा तो आप पैसे देने नीचे ही आ जाना. अलग अलग फ्लैट में कहाँ घूमूँगा मैं.. सब नीचे पार्किंग में आएंगे पैसे देने!

इतना सुनते ही मैं तपाक से बोला- अरे भाभी! भैया तो ऑफिस में रहेंगे 4 बजे… भाई आप तो मेरा नम्बर ले लो, मुझे फोन लगा देना, मैं ले आऊंगा पैसे नीचे…
भाभी ने भी हामी भरी तो मैंने अपने नम्बर उसे दे दिए।
वह ‘ठीक है’ बोल कर वहां से अपनी चौड़ी टाँगें करते हुए मर्दानी चाल में एक हाथ में दूध की टंकी लेकर सीढ़ियाँ उतरने लगा और मेरी नज़र अब भी उसी पर टिकी हुई थी.

भाभी दरवाज़ा बंद करते हुए बोली- देखा भैया, हमारा दूध वाला… किसी फिल्मी हीरो से कम नहीं है… फैशन का बहुत शौक है इसको… पहले इसके पापा आते थे, 4-5 महीने से ये आता है…
मैं भी हामी भरते हुए हंस दिया।

अब मुझे तो बस 4 बजे का इंतज़ार था और मेरी आँखों के सामने उसका जिस्म घूम रहा था। आजकल तो जवान और खूबसूरत जिस्म वाले लौंडे आसानी से दिख जाते है लेकिन उस समय ऐसे सेक्सी मर्द कम ही दिखते थे… मेरी उम्र भी कम ही थी और इंदौर जेसे बड़े शहर के सेक्सी लौंडों को देखा नहीं था कभी।
ऐसे में मेरे लिए उस कातिलाना जिस्म वाले दूध वाले की बहुत एहमियत थी और मेरा लण्ड सुबह से उसे सोच सोच कर फ़ड़फ़ड़ा रहा था। अब मैं उससे मिलने को बेचैन था.

तभी मेरा फोन बजा और उसने मुझे नीचे पार्किंग में पैसे देने बुलाया।
मैं भाभी से पैसे लेकर तैयार होकर नीचे गया तो देखा वो अपनी नई हीरो की रेंजर सायकल से टिक कर खड़ा हुआ पैसे गिन रहा है और आसपास 4-5 लोग खड़े हुए हिसाब करवा रहे हैं।
यार वो बिल्कुल छोटा हीरो की तरह लग रहा था… उसकी उम्र कम थी लेकिन हरकतें किसी बड़े हीरो जैसी… सब लोग उससे हंसी मजाक कर रहे थे… उसकी बातों से वह मुझे नादान लगा.

मैंने भी उसे पैसे देकर हिसाब करवा लिया और एक दो जोक मैंने भी बोल दिए वो भी हंसने लगा.
सब लोग पैसे देकर चले गए लेकिन कोई झवर अंकल थे जो घर नहीं थे और वो उनके आने का वो इंतज़ार कर रहा था।

इंतज़ार में हमारी बातचीत बढ़ने लगी और हम लोग पार्किंग में लगी लंबी कुर्सी पर बैठ गए। मैं उससे अपनी दोस्ती बढ़ाना चाहता था ताकि उस मस्त जवान लौंडे के जिस्म और कडक लंड का आनन्द ले सकूँ।
उसने अपना नाम बताया- सर्वेश राजपूत।
मैं उसका नाम सुनते ही उसके सैक्सी लुक और चोदू अंदाज़ का कारण समझ गया. वो राजपूत राजा महाराजाओं के खानदान का था और राजपूताना अंदाज़ और राजपूताना चुदाई के क्या कहने…

उसने बताया कि उसकी दूध डेयरी है पास ही में और उसका परिवार का दूध का ही धंधा है… पहले उसके पिताजी घर घर दूध देने जाते थे लेकिन अब वह खुद आता है… वह इंदौर मैं नया आया है लगभग 4-5 महीने हुए है उसे इंदौर में, इससे पहले वह गांव में रहता था.
और उसे फिल्मी हीरो की तरह रहना पसन्द है और साथ ही उसके भैया (रत्नेश राजपूत) कुश्ती के पहलवान थे गांव के, इसलिए उन्ही के नक्शे कदम पर चलते हुए उसने इंदौर में आकर जिम जाकर 5 महीनों में ऐसी बॉडी बनाई है।

उसके भाई की कुश्ती और कसरती जिस्म की तारीफ सुनकर तो मेरा लण्ड खड़ा हो गया और अब मेरा दिमाग उसके भाई के मूसल लण्ड की कल्पना में लग गया। मैंने अपने दिल को समझाया और कहा कि अभी इस लौंडे को तो सम्भाल ले।
वह एक साथ इतनी सारी बातें बोले जा रहा था… उसकी बातों से नादानी और बचपने का एहसास हो रहा था। ज्यादा उम्र कहाँ थी यार उसकी और ऊपर से वह गांव में रहता था जिससे उसको समझ भी कम ही थी और उसकी बोली में भी कई सारे गांव की खड़ी बोली के शब्द शामिल थे जो उसके गांव वाले होने का एहसास दिला रहे थे।
उसके जिस्म से तो मस्त सेक्सी चोदू लग रहा था, बस समझ थोड़ी कम थी, वैसे भी मुझे तो उसके गण्डफाडू लण्ड और मज़बूत जिस्म से ही मतलब था, उसकी नादानी तो मेरे लिए फायदेमंद थी.
वह बोला- भैया, मैं इस साल बारहवी में हूँ, कैसे पढूँ और कौन सी गाईड अच्छी होती है, मुझे बताना आप!
वह मुझे शहरी समझदार समझ रहा था।
मैंने भी उसे अच्छे से समझाया और उसे विश्वास दिलाते हुए अपना हाथ उसके कंधे पर रख दिया और उसके कसरती मज़बूत जिस्म को छूते हुए आनन्द लेने लगा।

ऐसे ही बात करते हुए बात गर्लफ्रेंड और सेक्स तक पहुँच गयी। वह थोड़ा शर्माया लेकिन फिर खुल कर बोलने लगा। उसने बताया कि उसकी अभी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है.
उसके पास नोकिया का एक सिम्पल फोन था और मेरे पास नोकिया का टच स्क्रीन फोन था. हालांकि मेरा फोन भी एंड्रॉइड तो नहीं था लेकिन वह मेरा फोन देखकर भी इम्प्रेस हुआ और पूछने लगा कि इसमें इंटरनेट चलता है या नहीं।
उसकी बातों से मुझे लगा कि उसने पोर्न फिल्म कम ही देखी है और उसकी इच्छा पोर्न देखने की है। इस सम्बन्ध में वह काफी उत्सुक था। वैसे भी आज से 5 साल पहले इंटरनेट और स्मार्ट फोन की उपलब्धता बहुत कम थी और वो तो छोटा ही था उसे कौन स्मार्ट फोन दिलाता.
मैंने कहा- भाई है यार तू तो अपना… अपने घर पर इंटरनेट है. आज शाम को भैया भाभी शादी में चले जाएंगे कल सुबह जब तू दूध देने आएगा तो देख लेना… मस्त एक से एक आइटम दिखाऊंगा।

वह भी थोड़ा खुश हो गया लेकिन कुछ जवाब नहीं दिया… उसके जवाब ना देने से मैं थोड़ा असमंजस मैं था कि आखिर सर्वेश की क्या इच्छा है. वैसे जब मैंने उसके लंड के उभार को देखा तो वह थोड़ा बढ़ चुका था जो मेरे लिए सकारात्मक संकेत था उसके दमदार गण्डफाडू लण्ड के मिलने का।
तब तक झवर अंकल आ गए और उसने उनका हिसाब किया और अपनी सायकल से किसी हीरो के अंदाज़ में वह चला गया।
अब मेरा पूरा दिल और दिमाग उस नए नवेले कड़क माल के गोरे कसरती जिस्म की ही कल्पनाओ मैं डूब हुआ था और लण्ड मेरा तना हुआ फड़फड़ा रहा था कि बस उस लौंडे का लण्ड और जिस्म बस मिल जाये।

अगले दिन सुबह मेरी नींद उसके इंतज़ार में जल्दी ही खुल गयी और मैं लगभग सुबह 4 बजे से उसका इंतज़ार करने लगा. भैया भाभी रात को ही शादी के लिए निकल चुके थे इसलिए घर में मैं अकेला था।
सुबह 6 बजे बजने वाली दरवाज़े की घण्टी ने मेरा इंतज़ार समाप्त किया और उस मदमस्त नए माल की कामुक जवानी के मुझे दर्शन हुए लेकिन आज भी उसने कल के वही कपड़े पहन रखे थे मतलब वह आज बिना नहाए आया था.
मैंने उसे ‘आओ राजपूत साहब…’ कहते हुए तुरंत अंदर बुलाया.
उसने थोड़ा मना किया लेकिन फिर आकर सोफे पर बैठ गया और मैंने तपेली में दूध भी ले लिया अब बस इच्छा बाकी थी तो उसके लण्ड के दूध को चूस चूस कर पीने की। मैंने भैया का लैपटॉप चालू किया और नेट सेटर लगा कर इंटरनेट चालू करके उसके सामने पोर्न वेबसाइट पर सेक्सी लड़कियों और उनकी चुदाई, लण्ड चुसाई के वीडियो का भंडार खोल दिया।

उसकी आँखें फटी रह गयी.
मैंने उससे पूछा- बताओ कौन सी चलाऊं?
उसने एक बड़े बूब्स वाली फिरंगी गोरी चूत वाली लड़की की लन्ड चुसाई की वीडियो चलवाई और बहुत ही ध्यान से उसे देखने लगा और मानो उसमें खो सा गया।

अब मैं सोफे पर ही रज़ाई ले आया, मैंने ओढ़ ली और सर्वेश को भी उढ़ा दी और मैं उसके जिस्म के बिल्कुल पास बैठ गया और उससे उस पोर्न अभिनेत्री के बड़े बूब्स, गोरे चूतड़ और मस्त चूत की बात करने लगा।
अब वह एक के बाद एक मस्त चुदाई की वीडियो लगवा रहा था और अब उसका लण्ड कड़क होकर झटके मारने लगा था जिसे मैंने नोटिस किया. अब मेरे सामने 19 साल का एक नया राजपूती राजकुमार अपने मस्त कसरती जिस्म के साथ सोफे पर आराम से बैठा था और उसका लण्ड लोवर के अंदर तना हुआ किसी की मस्त चुदाई के लिए तैयार था।
मैं ठंड का बहाना बनाते हुए उसके और नज़दीक हुआ और मैंने रज़ाई को और दबोच लिया. वो दूध वाला राजपूत राजकुमार था जिसके जिस्म से मेहनती महक आ रही थी जिसे मैं अब अपनी लंबी साँसों से अपने अंदर भरने लगा और मैंने अपना एक हाथ उसकी फूली हुई भुजा पर रख दिया जिससे मेरी अन्तर्वासना की बाढ़ सी आ गयी।

अब मैं और अपने आपको रोक नहीं पा रहा था… मैंने आव देखा ना ताव और अपना दूसरा हाथ उसके लोवर के ऊपर से ही उसके लण्ड पर रख दिया और बोला- बम्बू खड़ा हो गया क्या?
उसका ध्यान वीडियो से हटा और वह अपने आप को सम्भालने लगा और मेरा हाथ उसके लण्ड पर रखने से घबरा सा गया.
मैंने उसके लण्ड को और जोर से मसल दिया और बोला- अरे तुम चिकनी चूत को देखते रहो और आनन्द लो… घबराओ मत!

वह थोड़ा रिलेक्स हुआ लेकिन मेरे द्वारा उसका लण्ड सहला देने से उसके मुँह से भी कामुकता के आनन्द की आह निकल गयी. उसके लिए यह सब कुछ पहली बार था और अब वह अपने रॉड जैसे कड़क हो चुके लण्ड और उसमें काफी समय से भरे हुए कामरस के कारण मेरे द्वारा किये जाने वाले प्रयासों को मना नहीं कर कर पा रहा था। वह भी अब बिना लड़का लड़की का फर्क किये लण्ड की प्यास बुझाने के लिए मेरे और भी करीब आ गया… वैसे भी वो मेरे अलावा कहाँ अपने फनफनाते लण्ड की आग को शांत कर सकता था।
उसने बड़े बड़े मम्मो वाली एक सेक्सी बेब का वीडियो चलाया और अचानक ही उसके हाथ मेरी छाती पर आ पहुँचे और मेरी छाती के उभार को उसने एक बार दबा दिया। लेकिन फिर वह अपने आपको संभालते हुए अपने हाथो को मेरे छाती से हटाने लगा. मैंने उसे विश्वास दिलाते हुए मुस्कुरा कर उसके हाथ को फिर से मेरी छाती पर रख दिया.
वह अब सेक्स में पागल हो चुका था… मैंने भी अपना हाथ टीशर्ट के ऊपर से ही उसकी छाती के कड़क उभार पर रख दिया और उसकी कसरती छाती को सहलाकर मुआयना करने लगा.

वाह क्या छाती थी उसकी… बिल्कुल कड़क और बीच में एक दरार… मैंने उसके छाती के उभर पर एक ज़ोरदार किस कर दी और अपने चेहरे को उसकी छाती पर रगड़ने लगा और अपनी नाक फूली छाती के बगल में घुसा दी. दोनों के मुँह से गर्म सिसकारियों से गर्म हवा एक दूसरे की कामुकता की आग को हवा देने का काम कर रही थी।
अब मैंने अपना हाथ उसकी टीशर्ट के अंदर डाल दिया और उसके कड़क छाती के उभारों को तेजी से सहलाने लगा मेरे गर्म हाथों से उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी और उसने अपना ठंडे बर्फ जेसा हाथ को मेरे लोवर में डाल दिया और मेरी चिकनी गांड को मसल दिया जिससे मेरे पूरे जिस्म में सनसनी फैल गयी।
अब मैंने उसकी टीशर्ट को थोड़ा ऊपर उठाया और उसके पेट पर बने हल्के सिक्स पेक पर अपनी उंगलियां चला दी.
वाह..! क्या जिस्म था उसका… साला… 19 साल की उम्र में उसने इतना सेक्सी जिस्म बनाया था. मैंने शायद ज़िन्दगी में पहली बार सिक्स पेक को छुआ था.. मेरा दिल उन्हें जुबान से चाटने का हो रहा था।

वह वीडियो को देखते हुए जोर जोर से मेरी छाती के उभारों को मसले जा रहा था. उसके हाथ दूध की टंकी को उठाते हुए और काम करते हुए काफी कड़क हो चुके थे. उसके मसलने से में भी पानी बिना मछली जैसे छटपटाने लगा और मैं अब उसकी छाती से लिपट गया.
वाह क्या एहसास था… उसका कड़क जिस्म और उसके बदन से आती मेहनत और दूध की मिक्स मर्दाना नई महक से मैं पागल होने लगा था।

मैंने उसकी कड़क और फूली भुजाओं पर अपनी जुबान चला दी और मैंने उसे जोश में एक जोरदार धक्का देते हुए सोफे पर लेटा दिया और पागलों की तरह उससे लिपट कर अपने जिस्म को उसके मस्त सेक्सी जिस्म से रगड़ने लगा.
वह भी काफी जोश मैं था और अब उसने अपने दोनों हाथ मेरी गांड पर रख दिए थे और कुछ बड़बड़ाते हुए ज़ोर ज़ोर से मेरी गोरी चिकनी गांड को मसल मसल कर लाल कर दिया।

अब वह भी वीडियो नहीं देख रहा था और मुझे अपनी छाती से दबोच कर अपने लण्ड वाले हिस्से से ज़ोर ज़ोर से मेरे लण्ड की जगह को चूत की तरह झटके मार रहा था। उसके मज़बूत जिस्म में दब कर मुझे मानो स्वर्ग का अनुभव होने लगा था।
वह ज़िन्दगी में पहली बार किसी के जिस्म से रूबरू हुआ था और उसकी जवानी का सालों से भरा हुआ जाम आज फूट फूट कर बाहर आने वाला था और उसकी ज़िन्दगी के पहले सेक्स का आनन्द आज मैं लेने वाला था।

हम दोनों काफी जोश में थे और दोनों की ही चढ़ती जवानी थी मेरी उम्र भी उस समय 20 ही रही होगी… जोश में हम लोग अपनी पूरी ताकत से एक दूसरे के जिस्म को रगड़ रहे थे और अपने एक हाथ से एक दूसरे के बालों में अपनी पकड़ बना कर खींचा तानी करते हुए मानो पागल से हो गए थे.
मैं तो अब उसके गले पर उसकी खुशबू सूंघते हुए किस करने लगा और उसके कान को अपने मुँह में भर कर चूसने लगा। अचानक ही हम दोनों बेकाबू से हो गए और मैंने उसकी टीशर्ट से झांकते हुए उसके फूले हुए डोले (बाइसेप या भुजा) को चाटते हुए दांत से भींच लिया.
टीशर्ट की जो आस्तीन मुझे उसके जिस्म को चूमने में बाधा दे रही थी, को दाँत से ही ज़ोर से खींच दिया जिससे उसकी आस्तीन फट गयी और उसके डोले शोले बिल्कुल आज़ाद हो गए जिन्हें मैं बेइंतेहा चाटने लगा।
लेकिन टीशर्ट के फट जाने से उसने अपनी सभी गतिविधियाँ बन्द कर दी और थोड़ा नाराज़ होकर बोला- अरे यार भैया… क्या किया यह… अभी मुझे वापस जाना भी है और घर में क्या जवाब दूंगा?
बड़ी मुश्किल से इतना जवान लौंडा और जिस्म मिला था और टीशर्ट फट जाने से वह भी नाराज़ हो गया. मैं तो उसके चोदु लण्ड की प्यास में पागल हुए जा रहा था. मुझे एहसास हुआ कि मुझसे गलती हो गयी है, अब क्या करूँ…
वास्तव मैं उस जवान कसरती जिस्म से लिपटकर में पागल हो गया था इसीलिए मुझसे ये गलती हो गयी थी… मैंने कहा- सॉरी यार… सर्वेश… जोश जोश मैं हो गया… मेरी दूसरी टीशर्ट पहन लेना भाई…!
कहते हुए मैंने उसके लण्ड के उभार पर अपना मुँह घुसा दिया और अपना चेहरा लोवर के ऊपर से ही रगड़ने लगा.

वह मेरी इस हरकत से मानो पागल सा हो गया और उस बात को भूल गया और सिसकारियाँ लेते हुए बोलने लगा- आह… आह… आह… ओह… ओओह.. भाई लण्ड बहुत ज्यादा कड़क हो गया है शायद.. ऐसा लग रहा है जैसे फट जायेगा… मजा तो बेइंतेहा आ रहा है लेकिन दर्द सा हो रहा है यार… अब नहीं करते यार!
मैंने उसे समझाते हुए बोला- तुम्हारा यह पहली पहली बार है और लण्ड लगभग 1 घण्टे से फूल तम्बू की तरह तना हुआ है और अभी तक उसका उपयोग नहीं हुआ है इसलिए तुम्हें ऐसा लग रहा है… डोंट वरी…
बोलते हुए मैंने एक बार फिर अपना मुँह उसके लोवर में घुसा दिया. लोवर से मूत्र और पसीने ही हल्की मिक्स खुशबू आ रही थी जो मुझे और भी दीवाना बना रही थी। लोवर के ऊपर से ही उसका लण्ड का शेप साफ दिखाई दे रहा था जिसे मैंने होंठों में भर लिया.

सर्वेश में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह अपना लोहे की रॉड सा कड़क हो चुका लौड़ा मेरे मुँह में दे सके लेकिन तड़प तो वह भी रहा था अपने लण्ड को हल्का करने के लिए… मैंने ही उसके लोवर को नीचे खींच दिया और चड्डी के ऊपर से ही उसके मस्त खीरे जैसे लण्ड को मुँह में भर लिया और अपनी जुबान से लण्ड से लेकर उसके सिक्स पेक तक चाटने लगा.
ऐसे चाटते हुए उसके अंडरवीयर को मैंने लगभग पूरा गीला सा कर दिया था… उसका पेट भी मेरी लार से लथपथ हो चुका था।

वाह क्या एहसास था वह!! हम दोनों सेक्स में बिल्कुल गंदगी पर उतर आये थे… हम दोनों ही मचलने लगे थे जिससे सोफ़ा हमारे लिए छोटा पड़ने लगा था।
अब मैं उसकी मज़बूत छाती से लिपट गया और लुढ़क कर हम दोनों सोफे से नीचे ज़मीन पर बिछे कालीन पर आ गए और एक दूसरे के जिस्म से लिपट कर पूरे कालीन और ज़मीन पर लुढ़कने लगे। हालांकि ठंड थी लेकिन अब हमारे जिस्म वासना की गर्मी से इतने गर्म हो चुके थे कि हमें ठंड का बिल्कुल एहसास नहीं हो रहा था और ऊपर से वह तो था ही मज़बूत राजपूत, उसको कहाँ ठंड लगने वाली थी।
सर्वेश तो बस मेरे गोल गोल बिल्कुल गोरे चूतड़ में ही दीवाना हुए जा रहा था। मेरे चूतड़ बिल्कुल किसी मस्त फिरंगी बेब के बड़े बड़े मम्मों के जैसे थे जिन्हें मसल मसल कर सर्वेश पूरे मज़े ले रहा था… और अब तो वह कुछ बड़बड़ाने भी लगा था मेरी मस्त गांड के बारे में… और कभी कभी मेरी गांड पर च्यूंटी भी काट देता.
सर्वेश के मज़बूत कड़क मर्दाना हाथों से मेरे चूतड़ को मसले जाने पर मुझे भी मानो जन्नत का एहसास हो रहा था और मेरी गांड पूरी तरह लाल हो चुकी थी जिसे देखकर सर्वेश का जोश और भी बढ़ने लगा था.
मैं भी बार बार बोले जा रहा था- मसल दो इनको राजकुमार… फोड़ दो इनको… खून निचोड़ दो इनसे दबा दबा कर…
मैं मानो पागल सा हो गया था.

अब मैंने सर्वेश के जिस्म पर आधी फट चुकी टीशर्ट को पूरा फाड़ दिया और उसके मर्दाना राजपूताना कड़क जिस्म और फूली हुई छाती को बेपर्दा कर दिया और उसकी छाती और उभारों पर टूट पड़ा।
वह मेरी गांड को नोचे जा रहा था और मैं उसकी छाती को चाट चाट कर लथपथ किये जा रहा था. हम लोग एक दूसरे से लिपट कर ऐसा कर रहे थे… उसे बस मेरे चूतड़ मसलते हुए ही लगभग आधा घण्टा हो गया था लेकिन ना तो वह मेरी गांड छोड़ने को तैयार था और ना ही मैं उसकी छाती।

मैंने उसके डोलों शोलों को भी चाटना शुरू कर दिया। उसके फूले हुए कसरती भुजाओं को ऊपर नीचे करते हुए चाटने लगा. ऐसे कसरती राजपूत का जिस्म और उसकी महक मानो मुझे कभी नहीं मिलने वाली हो ज़िन्दगी में यही सोच कर मैं उसमें डूबता जा रहा था।
अब मैं उसके लण्ड की तरफ बढ़ा और धीरे से उसकी चड्डी को नीचे कर दिया और उसके राजपूती, दानवी लण्ड के दर्शन मुझे हुए… अभी तक मैं चड्डी के ऊपर से ही उसके लंड का मजा ले रहा था.

गोरा लगभग 7 इंच का मोटा लण्ड बिल्कुल राजकुमार की तरह… लण्ड का ढक्कन बिल्कुल बन्द .. क्योंकि लण्ड बिल्कुल नया नवेला था, उसका इससे पहले कोई उपयोग हुआ ही नहीं था.
लण्ड बिल्कुल सीधा था उसमें ज़रा सा भी टेढ़ापन नहीं था… लण्ड के आसपास हल्के बाल थे जो उस लण्ड को और भी खूबसूरत बना रहे थे। मैं अपनी उंगलियों को उसके अण्डों पर फिराने लगा और उसके अण्डों के आसपास खुजाने लगा जिससे उसे बहुत आनन्द आने लगा और वह आँखें बन्द करके आहें भरने लगा।
उसके लिए अब कण्ट्रोल कर पाना मुश्किल हो गया था… वह बोला- कब तक तड़पाओगे?
यह सुनते ही मैं घुटनों के बल सर्वेश के दोनों तरफ टांगें करके इस तरह बैठा कि मेरी गांड सर्वेश के मुँह के पास थी और मेरा मुँह सर्वेश क़े लंड के पास आ गया।

सर्वेश फिर से मेरी गांड मसलने में लग गया और मैंने उसके लण्ड को छुआ… और धीरे से लण्ड की चमड़ी को पीछे की तरफ खींचा और उसके लण्ड के सुर्ख लाल सुपारे के मुँह पर एक ज़ोरदार चुम्बन लिया। पूरे सुपारे को बाहर निकालना मुश्किल था क्योंकि चमड़ी कड़क थी।
उसके लण्ड पर बिल्कुल भी वीर्य या प्रीकम नहीं आया था अभी तक जो उसके सेक्स कण्ट्रोल का इशारा था। अब मैंने लोलीपॉप की तरह चाटते हुए धीरे धीरे उसके पूरे सुपारे को आज़ाद कर दिया और उसके मस्त गुलाबी सुपारे को अपने गर्म मुख में भर लिया.
इतने तरकीब से लण्ड को मुँह में लेने से उसकी लंबी आह निकल गयी और अब वह बेकाबू हो गया और खड़ा होकर मेरे दोनों कान पकड़ कर अपने दमदार लण्ड से मेरे मुख की ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा।

अब तो वह सब कुछ भूल चुका था और उसने यह सब पहले कभी किया नहीं था लेकिन उसकी हवस और वासना उससे यह सब करवा रही थी और ऐसा लग रहा था मानो उसे चुदाई का लंबा अनुभव हो.
मैं भी उसके काम में बिल्कुल दखल अंदाजी नहीं कर रहा था और उसके कड़क हाथों की मेरे कान और गालों पर पकड़ को अनुभव कर रहा था. मैं उस जवान नए नवेले राजपूत राजकुमार के पूरे जिस्म और चेहरे को देख रहा था, उसकी चुदाई को किसी प्राचीन राज के बिगड़ैल राजकुमार की ताबड़तोड़ चुदाई की कल्पनाओं में खोया हुआ था।
मेरा मुख चोदन करते हुए उसके हल्के सिक्स पेक बिल्कुल गहरे होकर कड़क और उभर आये थे, छाती और भी फूल गयी थी जिस पर उंगलियां चलाते हुए मैं अपने मुख की चुदाई का आनन्द ले रहा था।
बिना रुके चुदाई करते हुए 20 मिनट हो चुके थे… ना ही वह अपनी स्पीड कम कर रहा था और ना ही उसका कामरस अभी तक निकल पाया था… दूध वाले का स्टेमिना था भैया.. और वो भी पहली बार चुदाई… समय तो लगना ही था।
उसके हर झटके में लण्ड मेरे गले तक जाता और आते हुए ढेर सारा थूक मेरे मुँह से नीचे गिर जाता.
घपा घप… घपा घप… की आवाज़ पूरे घर में गूंज रही थी और मैं थक चुका था लेकिन वह नहीं थक रहा था।

लगभग 35 मिनट के बाद उसके झटके और भी तेज हुए और उसका लण्ड मेरे गले में और अंदर तक उतरने लगा… 5-7 झटकों के बाद वह सी.. सी सी… आह आह.. करके चिल्लाया और अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाल कर अलग किया जिसमें से एक लंबी पिचकारी निकली… शायद वह अपना वीर्य मेरे मुँह में गिराना नहीं चाहता था लेकिन यह तो मेरे लिए अमृत था, मैंने तुरंत उसका लण्ड अपने मुँह में गले तक भर लिया जिससे बाकी कि 4 पिचकारियों से निकला ढेर सारा काम रस मेरे मुँह में भर गया और वह निढाल हो गया.
मैं उसका पूरा कामरस पी गया क्योंकि वह नए लण्ड का बिल्कुल स्वस्थ वीर्य था… उसका लण्ड चाट कर साफ कर दिया और नीचे टपका हुआ रस भी मैंने चाट लिया.
यह सब देख कर वह मुस्कुराया और बोला- मजा आ गया यार आज तो… गजब हुआ..
मैं भी मुस्कुरा दिया।

मैंने उस राजकुमार को मेरी एक अच्छी वाली टीशर्ट पहना दी, उसने कपड़े पहने और फोन देखा तो उसमें 10 मिस कॉल थे क्योंकि 8 बज चुके थे और वह 6 बजे से आया हुआ था।
और वह फटाफट अपनी दूध की टंकी लेकर चला गया।

उसकी फटी हुई टीशर्ट से आ रही उसकी मदमस्त खुशबू को मैंने के दिनों तक सम्भाला और आनन्द लिया।
मेरे पास अभी 4-5 दिनों का वक्त और था, मैंने उन दिनों मैं कई बार उसके जिस्म का आनन्द लिया और उसके लण्ड को चूसा।
लेकिन उसके बड़े भाई रत्नेश राजपूत का नाम सुनते ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था और किसी राजपूत महाराजा से चुदाई की कल्पनाओ में मैं खो जाता.

अब बस मेरी इच्छा रत्नेश राजपूत के लण्ड की थी।
क्या मेरी यह इच्छा पूरी हो पायी.. कैसा था वह गांव का पहलवान?

साली की बेटी प्रिया

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मेरा नाम राज है, मैं 42 साल का तंदरुस्त, 5’11” रंग गेहुंआ, फिट बॉडी का आदमी हूँ। मेरी पत्नी सुधा 39 साल की, स्वस्थ, 5’5″ रंग गोरा और फिगर 36-26-38 है।
पंजाब के एक बड़े शहर में मेरा अपना एक छोटा सा सॉफ़्टवेयर एंड हार्डवेयर पार्ट्स सप्लाई का बिज़नेस है जिससे मुझे सब ख़र्चे और टैक्स इत्यादि निकाल के करीब दस से बारह लाख रुपये सलाना की कमाई हो जाती है। एक अपना ऑफिस है, गोदाम है, वर्कशॉप है, 9-10 लोगों का स्टाफ़ है, अपना घर है, कार है।


हमारे दो बच्चे हैं, एक बेटी 15 साल की और एक बेटा 12 साल का। हमारी 16 साल की शादीशुदा जिंदगी में हमारी सैक्स लाइफ बहुत ही बढ़िया है। बिस्तर में सुधा और मैं नए नए तज़ुर्बे करते ही रहते हैं, कभी-कभी कोई तज़ुर्बा बैक-फ़ायर भी कर जाता है पर ओवरआल सब मस्त है।
यह घटना आज से 3 साल पहले की है, जब मेरी माँ जो मेरे साथ ही रहती थी, की अचानक मृत्यु हो गई। पिता जी आठ साल पहले ही चल बसे थे लिहाज़ा सुधा, मेरी पत्नी अचानक से घर में बिल्कुल अकेली हो गई।
मैं तो सुबह का निकला शाम को घर आता था, पीछे दोनों बच्चे स्कूल चले जाते थे और सुधा सारा दिन घर में अकेली रहती थी, अगर बाजार भी जाना हो तो घर ताला लगा के जाओ।

उन दिनों शहर में चोरियां बहुत होती थी और घर के मेनगेट पर लगा ताला तो जैसे चोरों को खुद आवाज़ मार कर बुलाता है।
एक दिन सुधा किसी काम से बाजार गई पर रास्ते में कुछ भूला याद आने पर आधे रास्ते से ही घर वापिस लौटी तो देखा कि चोरों ने मेनगेट का ताला तोड़ रखा था पर इससे पहले कि चोर अपनी किसी कारगुजारी को अंजाम देते, सुधा घर लौट आई और चोरों को फ़ौरन वहाँ से भागना पड़ा।
पर इस काण्ड के बाद सुधा बहुत डरी-डरी सी रहने लगी जिस का सीधा असर हमारे घर-परिवार पर और हमारी सेक्स-लाइफ़ पर पड़ने लगा।

अपनी सेक्स लाइफ बिगड़ते देख मुझे बहुत कोफ़्त होती… पर क्या करता?
अब मुझे इस समस्या का कोई समाधान सोचना था और बहुत जल्दी ही सोचना था पर कुछ सूझ नहीं रहा था और फिर एक दिन जैसे भगवान् ने खुद इस समस्या का समाधान भेज दिया।

मेरी बड़ी साली साहिबा जिनकी शादी मेरे शहर से 25-30 किलोमीटर दूर एक कस्बे में एक खाते पीते आढ़ती परिवार में हुई थी, की बेटी प्रिया ने B.Com पास कर ली थी लेकिन समस्या यह थी कि क़स्बे में कोई अच्छा कॉलेज नहीं था जहां मास्टर्स की जा सके और मेरे शहर में कई अच्छे कॉलेजों समेत यूनिवर्सिटी भी थी।
लिहाज़ा प्रिया ने मेरे शहर में एक नामी गिरामी कॉलेज में M.Com में ऐडमिशन ले लिया था लेकिन किस्मत से प्रिया को हॉस्टल में जगह नहीं मिल पाई थी सो मेरी साली साहिबा थोड़ी परेशान सी थी कि एक दिन मैं और सुधा उनके घर उनसे मिलने जा पहुंचे।
बातों बातों में इस बात का ज़िक्र भी आया तो मेरी पत्नी ने प्रिया को अपने घर रहने के लिए कह दिया। मैंने भी सोचा कि चलो ठीक ही है, कम से कम सुधा एक नार्मल औरत सा जीवन तो जियेगी।
मेरी शादी के समय प्रिया सात-आठ साल की पतली सी, मरगिल्ली सी लड़की थी जो हर वक़्त या तो रोती रहती थी या रोने को तैयार रहती थी। बहुत दफा तो वो घर आये मेहमानों के सामने ही नहीं आती थी और हम पर तो साहब ! हर वक़्त अपनी पत्नी का नशा सवार रहता था, मैंने भी प्रिया पर पहले कभी ध्यान नहीं दिया था।
लब्बोलुआब ये कि यह फाइनल हो गया कि प्रिया हमारे घर रह कर ही M.Com करेगी। फैसला ये हुआ कि मम्मी वाला कमरा प्रिया को दे दिया जाए ताकि वो अपनी पढ़ाई बे रोक-टोक कर सके।
इस बात से सुधा इतनी खुश हुई कि उस रात बिस्तर में सुधा ने कहर बरपा दिया। ऐसा बहुत दिनों बाद हुआ था लिहाज़ा मैं भी खुश था।
एक हफ्ते बाद प्रिया हमारे घर आ गई।
उस रात डाइनिंग टेबल पर मैंने पहली बार प्रिया को गौर से देखा। डेढ़ पसली की मरघिल्ली सी, रोंदू सी लड़की, माशा-अल्लाह ! जवान हो गई थी, करीब 5′-4″ कद, कमान सा कसा हुआ पतला लेकिन स्वस्थ शरीर, रंग गेहुँआ, लंबे बाल, सुतवाँ नाक, पतले गुलाबी लेकिन भरे-भरे होंठ, तीखे नैननक्श और काले कजरारे नयन!
फ़िगर अंदाजन 34-26-34 था।

यूं मैं कोई सैक्स-मैनियॉक नहीं पर ईमानदारी से कहूँ तो उस वक़्त मन ही मन मैं प्रिया के नंगे जिस्म की कल्पना करने लगा था।
खैर जी ! डिनर हुआ। सब लिविंग रूम में आ बैठे, बच्चे TV देखने लगे, प्रिया और सुधा दोनों बातें करने लगी और मैं इजी चेयर पर बैठा किताब पढ़ने लगा पर मेरे कान तो उन दोनों की बातों पर ही लगे हुए थे।
मैंने नोटिस किया कि बोल तो सिर्फ सुधा ही रही थी और प्रिया तो बस हाँ-हूँ कर रही थी।

खैर, धीरे धीरे प्रिया हमारे परिवार का अंग होती चली गई, दोनों बच्चों को प्रिया पढ़ा देती थी। रात का डिनर पकाना भी प्रिया की जिम्मेवारी हो गई थी लेकिन अब भी प्रिया मेरे सामने कम ही आती थी, आती भी थी तो मुझ से बहुत कम बोलती थी, बस हां जी… नहीं जी… ठीक है जी!
मैं तो इसी बात में खुश था कि मुझे मेरी पत्नी का ज्यादा समय मिल रहा था और मेरी सेक्स लाइफ नार्मल से भी अच्छी हो गई थी। धीरे धीरे समय गुजरने लगा।
शुरू शुरू में तो प्रिया हर शनिवार अपने घर चली जाया करती थी और सोमवार सवेरे सीधे कॉलेज आकर शाम को घर आती थी लेकिन धीरे धीरे प्रिया का अपने घर जाना कम होने लगा। अब प्रिया दो महीने में एक बार या बड़ी हद दो बार अपने घर जाती थी।
फर्स्ट ईयर के फाइनल एग्जाम ख़त्म होने के बाद प्रिया तीन महीने के लिए अपने घर चली गई। करीब पांच हफ्ते बाद एक रात, एक रस्मी से अभिसार से असंतुष्ट सा मैं सुधा के नग्न शरीर पर हाथ फेर रहा था कि सुधा ने मुझ से कहा- राज… चलो, कल जाकर प्रिया को ले आयें। प्रिया के बिना मेरा दिल नहीं लग रहा और दोनों बच्चे भी उदास हैं।
मैंने हामी भर दी।
अगले दिन हम दोनों जाकर प्रिया को ले आये। खुश सुधा ने उस रात अभिसार में मेरे छक्के छुड़ा दिए, सुधा ने मेरा लिंग चूस-चूस कर मुझे स्खलित किया और बाद में खुद मेरा लिंग पकड़ कर, उस पर तेल लगाया और अपने हाथ से मेरा लिंग अपनी गुदा पर रख कर मुझे गुदा मैथुन के लिए आमंत्रित किया, रतिक्रिया के किसी भी आसन को उसने ‘ना’ नहीं कहा बल्कि दो कदम आगे जाकर कुछ अपनी ओर से और नया कर दिया।
ख़ैर! जिंदगी वापिस पटरी आ गई थी लेकिन अब एक फर्क था, अब प्रिया सारा दिन घर पर ही रहती थी, उसके कॉलेज खुलने में अभी डेढ़ महीना बाकी था।
मैं दोपहर को खाना खाने घर आता था, पहले जब प्रिया कॉलेज गई होती थी तो मैं अक्सर दोपहर को ही सुधा को थाम लिया करता था, कभी रसोई में, कभी स्टोर में, कभी लॉबी में और कभी ड्राइंग रूम में भी… एक-आध बार तो बाथरूम में शावर के नीचे भी!

प्रिया के आने से दोपहर की इन तमाम खुराफातों में लगाम लग गई थी। कोफ़्त होती थी कभी कभी पर क्या किया जा सकता था?
फिर भी दांव लगा कर कभी-कभार मैं सुधा से छोटी-मोटी चुहलबाज़ी तो कर ही लेता था, जैसे पास से गुज़रती सुधा के नितम्बों को सहला देना, उसके उरोजों पर हल्के से हाथ फेर देना, निप्पल दबा देना, रसोई में सब्ज़ी बनाती सुधा से सट कर खड़े होकर कढ़ाई में सब्ज़ी देखने के बहाने सुधा के कान के पास एक छोटा सा चुम्बन ले लेना या उसकी साड़ी के पल्लू की आड़ में उसका हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर दबा देना।

मेरे ऐसा करने पर सुधा दिखावटी गुस्सा दिखाती जरूर थी लेकिन तिरछी आँखों से मुझे देखते हुये उसके होंठों पर स्वीकृति की एक मौन सी मुस्कान भी होती थी।
दिन बढ़िया गुज़र रहे थे लेकिन मैं प्रिया में और उसके मेरे प्रति व्यवहार में कुछ कुछ फर्क महसूस कर रहा था। मैं अक्सर नोट करता कि डाइनिंग टेबल पर खाना खाते वक़्त या लिविंग रूम में टी.वी देखते वक़्त या कभी कभी कोई किताब पढ़ते-पढ़ते मैं जब जब सिर उठा कर प्रिया की ओर देखता तो उसे मेरी ओर ही देखते पाता और जैसे ही मेरी प्रिया की नज़र से नज़र मिलती तो वो या तो नज़र नीची कर लेती या कहीं और देखने लगती।
मुझे कुछ समय के लिए उलझन तो होती पर जल्दी ही मेरा ध्यान किसी और बात पर चला जाता और बात आई-गई हो जाती।
बरसात का मौसम आ गया था, बहुत निकम्मी किस्म की गर्मी पड़ रही थी, जिस दिन बरसात होती उस दिन तो मौसम ठीक रहता, अगले दिन जब धूप निकलती तो उमस के मारे जान निकलने लगती, जगह जगह खड़ा पानी बास मारने लगता और मक्खी-मच्छर पैदा करने की ज़िंदा फैक्टरी बन जाता।
एयर कंडीशनड कमरों में ही जिंदगी सिमटी पड़ी थी।

उसी मौसम में एक दिन प्रिया के कमरे के A.C की गैस लीक हो गई। बच्चों का बैडरूम छोटा था और उसमें तीसरे बेड की जगह नहीं थी, ड्राइंग रूम और लिविंग रूम तो रात को सोने के किये डिज़ाइन्ड ही नहीं थे तो एक ही चारा बचता था कि जब तक प्रिया के कमरे का A.C रिपेयर हो कर नहीं आता, प्रिया का बेड हमारे बैडरूम में हमारे बेड की बगल में ही लगाया जाए।
ऐसा ही हुआ और ऐसा होने से हम पति-पत्नी की रात वाली रासलीला पर टेम्परेरी बैन लग गया था!
पर क्या करते… मज़बूरी थी।

हमारे बैडरूम में बेड के साथ ही लेफ्ट साइड बाथरूम का दरवाज़ा था और मेरी पत्नी बैड के लेफ्ट साइड सोना पसंद करती थी और मैं राईट साइड सोता था, हमारे बेड के साथ ही राईट साइड प्रिया का फोल्डिंग बेड लगाया गया था। रात आती, खाना-वाना खा कर हम लोग सोने के लिए बैडरूम में आते।
सुधा मेरे बायें और प्रिया मेरे दायें… ये दोनों बातें करने लगती और मैं बीच में ही सो जाता।
दो-एक दिन बाद एक रात को अचानक मेरी आँख खुली तो पाया कि प्रिया बाईं करवट सो रही थी यानी उसका मुंह मेरी ओर था और उसका दायां हाथ मेरी छाती पर था।
मैंने सिर उठा कर देखा तो सुधा को घनघोर नींद के हवाले पाया। मैंने धीरे से प्रिया का हाथ अपनी छाती से उठाया और उस हाथ उस की बगल पर रख दिया।
पर नींद बहुत देर तक नहीं आई, दिल में बहुत उथल-पुथल सी चल रही थी।
क्या प्रिया ने जानबूझ कर ऐसा किया था? अगर हाँ तो क्यों? क्या प्रिया मेरे साथ… सोच कर झुरझुरी सी उठी और अचानक ही मेरे लिंग में तनाव आ गया।
इसी उहपोह में जाने कब मेरी आँख लग गई।

दिन चढ़ा, सब कुछ अपनी जगह पर, हर चीज़ नार्मल सी थी पर मेरे दिल में इक अनजान सी फ़ीलिंग थी, रह रह कर प्रिया के हाथ की छुअन मुझे अपनी छाती पर फील हो रही थी और रह रह कर मेरे लिंग में तनाव आ रहा था।
उस दिन मैंने अपनी शादी के बाद पहली बार बाथरूम में नहाते समय हस्त मैथुन किया।

अगली रात आई, फिर वही सोने का अरेन्जमेन्ट, सुधा डबलबेड के बाईं ओर, मैं दाईं ओर और प्रिया का फोल्डिंग बेड हमारे डबलबेड के दाईं ओर सटा हुआ और मुझ में और प्रिया में ज्यादा से ज्यादा डेढ़ फुट का फासला।
आज मैं अभी किताब ही पढ़ रहा था कि ये दोनों सोने की तैयारी करने लगी। जल्दी सोने का कारण पूछने पर प्रिया ने बताया कि आज दोनों बाज़ार गईं थी, थक गई हैं।
पन्द्रह बीस मिनट बाद मैंने लाईट बंद की और खुद उल्टा हो कर सोने की कोशिश करने लगा, उल्टा बोले तो पेट के बल! पन्द्रह-बीस मिनट ही बीते होंगे कि प्रिया का हाथ आज़ फिर से मेरे ऊपर आ पड़ा लेकिन आज़ चूंकि मैं उल्टा पड़ा था सो इस बार उसका हाथ मेरी पीठ पर पड़ा।
तीन चार मिनट बाद प्रिया ने अपना हाथ मेरी पीठ से उठा लिया और खुद सीधी होकर, मतलब पीठ के बल लेट कर सोने का उपक्रम करने लगी। उसका मेरी ओर वाला हाथ मतलब बायां हाथ उसके सिर के पास सिरहाने पर ही पड़ा था। मेरा मुंह प्रिया की ओर ही था और मेरा और प्रिया का फासला ज्यादा से ज्यादा डेढ़ फुट का रहा होगा।
अचानक मैंने अपने बायें हाथ को प्रिया पर रख दिया… मेरा दिल पसलियों में धाड़-धाड़ बज़ रहा था।
कोई हरकत नहीं.. ना मेरी ओर से… ना प्रिया की ओर से…

अचानक प्रिया ने सिर उठाया और मेरी ओर ध्यान से देखने लगी, मींची आँखों में मैं सोने की एक्टिंग करने लगा। एक डेढ़ मिनट मुझे ध्यान से देखने के बाद जब उसे यकीन हो गया कि मैं गहरी नींद में सो रहा था तो उसने अपने हाथ पर जो मेरा हाथ थामे था, चादर डाल थी और चादर के नीचे मेरे हाथ की उँगलियों को एकके बाद एक करके चूमने लगी।
उम्म्ह… अहह… हय… याह… उत्तेजना के मारे मेरा बुरा हाल था, तनाव के कारण मेरा लिंग जैसे फटने की कगार पर था। मैं प्रिया के हाथ का स्पंदन महसूस कर सकता था पर मैंने अपनी ओर से कोई हरकत नहीं की।
करीब आधे घंटे बाद प्रिया ने ऐसा करना बंद किया।

मैंने सर उठा कर देखा तो लगा कि प्रिया सो गई थी शायद! मेरा हाथ अब भी उसके हाथ में जकड़ा हुआ था। ऐसे ही जाने कब मैं सचमुच नींद के आगोश में चला गया।
सुबह उठा तो पाया कि सुधा और प्रिया उठ कर कब की जा चुकी थी, तभी सुधा अख़बार ले कर आ गई। दिल में अनाम सी ख़ुशी लिए मैंने जिंदगी का एक नया दिन शुरू किया।
तभी प्रिया भी बैडरूम में चाय की ट्रे लेकर आई, नहाई-धोई, सफ़ेद पजामी सूट में ताज़ा ताज़ा शैम्पू किये बालों से मनभावन सी खुशबू उड़ाती एकदम ताज़ा दम, सफ़ेद सूट में से सफ़ेद ब्रा साफ़ साफ़ उजाग़र हो रही थी।
जैसे ही मेरी प्रिया की आँख से आँख मिली, प्रिया की नज़र झुक गई और क्षण भर को ही ग़ुलाबी भरे भरे होंठों पर एक गुप्त सी मुस्कान आकर लुप्त हो गई।
रात वाली बात याद आते ही मेरे लिंग में जान सी आने लगी।

जैसे ही प्रिया बैठने लगी तो मेरी वाली साइड से सफ़ेद पजामी में से गहरे रंग की पैंटी साफ़ साफ़ झलकने लगी। एक क्षण में ही मेरा लिंग फुल जोश में फुंफ़कारने लगा और मैंने अपने साथ बैठी सुधा का हाथ चादर के अंदर ही पकड़ कर अपने लिंग पर रख कर ऊपर से अपने हाथ से दबा लिया।
सुधा चिंहुक उठी, लगी अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने… लेकिन मैं जाने दूं तब ना! जैसे ही सुधा ने मुझे देख कर आँखें तरेरी तो प्रिया ने पूछा- क्या हुआ मौसी?
‘कुछ नहीं…’ कह कर सुधा ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश बंद कर दी और चादर के नीचे से मेरा लिंग जोर से पकड़ लिया।

मैं अपने मुक्त हुए हाथ से सुधा की जाँघ जांचने लगा।
सारा दिन जैसे हवाओं के हिण्डोले पर बीता, जो मेरे और प्रिया के बीच चल रहा था, उस बारे में सारा दिन मेरे अपने ही अंदर तर्क कुतर्क चलते रहे।
एक बात तो पक्की थी कि प्रिया की तो ख़ैर कच्ची उम्र थी पर मैं जो कर रहा था वो सामाजिक और नैतिक दृष्टि से गलत था और मैं खुद जानता था कि मैं गलत कर रहा था।
लेकिन वो जैसा कहते हैं कि गुनाह की लज़्ज़त मेरा पीछा नहीं छोड़ रही थी।

அவுத்து காட்டும் இந்திய அம்மாக்கள் - Stripping Indian MOMS

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