मेरी पत्नी मिन्नी और डॉली भाभी
लेखक : अंजान ©
लेखक : अंजान ©
हम लोग गाँव के रहने वाले हैं। हमारा गाँव शहर से पैंतालीस किलोमीटर दूर है। पास के ही एक शहर में भैया की शादी हो गयी। डॉली भाभी बहुत ही अच्छी थी और खूबसूरत भी। भैया की उम्र चौबीस साल की थी। वो उम्र में भैया से एक साल छोटी थी। मैं डॉली भाभी से उम्र में पाँच साल छोटा था। डॉली भाभी शहर की पढ़ी-लिखी और फैशनेबल युवती थीं।
शादी के बाद भैया की नौकरी एक बड़ी कंपनी में लग गयी। वो पटना में ही रहने लगे। वो खुद ही घर का सारा काम करते थे और खाना भी बनाते थे। जब उन्हें खाना बनाने में और घर का काम करने में दिक्कत होने लगी तो उन्होंने डॉली भाभी को भी पटना बुला लिया। मम्मी तो थी नहीं, केवल पापा ही थे। कुछ दिनों के बाद पापा का भी स्वर्गवास हो गया तो भैया ने मुझे अपने पास ही रहने के लिये बुला लिया। मैं उनके पास पटना आ गया और वहीं रह कर पढ़ायी करने लगा। भाभी पटना में रह कर बिल्कुल शहरी - माडर्न हो गयी थीं। वो खुद को कई किट्टी- पार्टियों और दूसरे सामाजिक सम्मेलनों में खुद को व्यस्त रखती थीं।
मैंने बी.ए. तक की पढ़ायी पूरी की और फिर नौकरी की तलाश में लग गया। अभी मुझे नौकरी तलाश करते हुए एक साल ही गुजरा था की भैया का रोड एक्सीडेंट में स्वर्गवास हो गया। उस समय मेरी उम्र इक्कीस साल की हो चुकी थी। अब तक मैं एक दम हट्टा कट्टा नौजवान हो गया था। मैं बहुत ही ताकतवर भी था क्योंकि गाँव में कुश्ती भी लड़ता था। मुझे भैया की जगह पर नौकरी मिल गयी। अब घर पर मेरे और डॉली भाभी के अलावा कोई नहीं था। वो मुझसे बहुत प्यार करती थी। मैं भी उनकी पूरी देखभाल करता था और वो भी मेरा बहुत ख्याल रखती थी। डॉली भाभी को भी एक कंपनी में सेक्रेटरी की नौकरी मिल गयी थी और साथ ही उनको ही घर का सारा काम करना पड़ता था इसलिये मैं भी उनके काम में हाथ बंटा देता था। वो मुझसे बार-बार शादी करने के लिये कहती थी।
एक दिन डॉली भाभी ने शादी के लिये मुझ पर ज्यादा दबाव डाला तो मैंने शादी के लिये हाँ कर दी। डॉली भाभी की एक सहेली थीं जो की उनके मायके के शहर में ही रहती थी। उनकी एक चचेरी छोटी बहन थी जिसका नाम मिन्नी था। डॉली भाभी ने मिन्नी के साथ मेरी शादी की बात चलायी। बात पक्की करने से पहले डॉली भाभी ने मुझे मिन्नी की फोटो दिखा कर मुझसे पूछा, “कैसी है?”
मैं मिन्नी की फोटो देख कर दंग रह गया। मैं समझता था की गरीब लड़की है, ज्यादा खूबसूरत नहीं होगी लेकिन वो तो बहुत ही खूबसूरत थी। मैंने हाँ कर दी। मिन्नी की उम्र अभी बीस साल की ही थी। खैर शादी पक्की हो गयी। मिन्नी के मम्मी-पापा बहुत गरीब थे। एक महीने के बाद ही हमारी शादी एक मंदिर में हो गयी।
शादी हो जाने के बाद दोपहर को डॉली भाभी मुझे और मिन्नी को लेकर पटना आ गयी। डॉली भाभी ने मिन्नी को अच्छे से नये कपड़े वगैरह में फिर तैयार किया और पास के एक ब्यूटी पार्लर में उसका श्रृंगार इत्यादि भी करवाया। घर पर कुछ पड़ोस के लोग बहू देखने आये। जिसने भी मिन्नी को देखा, उसकी बहुत तारीफ की। शाम तक सब लोग अपने-अपने घर चले गये। रात के आठ बज रहे थे। डॉली भाभी ने मुझसे कहा, “आज मैं बहुत थक गयी हूँ। तुम जा कर होटल से खाना ले आओ।”
शादी के बाद भैया की नौकरी एक बड़ी कंपनी में लग गयी। वो पटना में ही रहने लगे। वो खुद ही घर का सारा काम करते थे और खाना भी बनाते थे। जब उन्हें खाना बनाने में और घर का काम करने में दिक्कत होने लगी तो उन्होंने डॉली भाभी को भी पटना बुला लिया। मम्मी तो थी नहीं, केवल पापा ही थे। कुछ दिनों के बाद पापा का भी स्वर्गवास हो गया तो भैया ने मुझे अपने पास ही रहने के लिये बुला लिया। मैं उनके पास पटना आ गया और वहीं रह कर पढ़ायी करने लगा। भाभी पटना में रह कर बिल्कुल शहरी - माडर्न हो गयी थीं। वो खुद को कई किट्टी- पार्टियों और दूसरे सामाजिक सम्मेलनों में खुद को व्यस्त रखती थीं।
मैंने बी.ए. तक की पढ़ायी पूरी की और फिर नौकरी की तलाश में लग गया। अभी मुझे नौकरी तलाश करते हुए एक साल ही गुजरा था की भैया का रोड एक्सीडेंट में स्वर्गवास हो गया। उस समय मेरी उम्र इक्कीस साल की हो चुकी थी। अब तक मैं एक दम हट्टा कट्टा नौजवान हो गया था। मैं बहुत ही ताकतवर भी था क्योंकि गाँव में कुश्ती भी लड़ता था। मुझे भैया की जगह पर नौकरी मिल गयी। अब घर पर मेरे और डॉली भाभी के अलावा कोई नहीं था। वो मुझसे बहुत प्यार करती थी। मैं भी उनकी पूरी देखभाल करता था और वो भी मेरा बहुत ख्याल रखती थी। डॉली भाभी को भी एक कंपनी में सेक्रेटरी की नौकरी मिल गयी थी और साथ ही उनको ही घर का सारा काम करना पड़ता था इसलिये मैं भी उनके काम में हाथ बंटा देता था। वो मुझसे बार-बार शादी करने के लिये कहती थी।
एक दिन डॉली भाभी ने शादी के लिये मुझ पर ज्यादा दबाव डाला तो मैंने शादी के लिये हाँ कर दी। डॉली भाभी की एक सहेली थीं जो की उनके मायके के शहर में ही रहती थी। उनकी एक चचेरी छोटी बहन थी जिसका नाम मिन्नी था। डॉली भाभी ने मिन्नी के साथ मेरी शादी की बात चलायी। बात पक्की करने से पहले डॉली भाभी ने मुझे मिन्नी की फोटो दिखा कर मुझसे पूछा, “कैसी है?”
मैं मिन्नी की फोटो देख कर दंग रह गया। मैं समझता था की गरीब लड़की है, ज्यादा खूबसूरत नहीं होगी लेकिन वो तो बहुत ही खूबसूरत थी। मैंने हाँ कर दी। मिन्नी की उम्र अभी बीस साल की ही थी। खैर शादी पक्की हो गयी। मिन्नी के मम्मी-पापा बहुत गरीब थे। एक महीने के बाद ही हमारी शादी एक मंदिर में हो गयी।
शादी हो जाने के बाद दोपहर को डॉली भाभी मुझे और मिन्नी को लेकर पटना आ गयी। डॉली भाभी ने मिन्नी को अच्छे से नये कपड़े वगैरह में फिर तैयार किया और पास के एक ब्यूटी पार्लर में उसका श्रृंगार इत्यादि भी करवाया। घर पर कुछ पड़ोस के लोग बहू देखने आये। जिसने भी मिन्नी को देखा, उसकी बहुत तारीफ की। शाम तक सब लोग अपने-अपने घर चले गये। रात के आठ बज रहे थे। डॉली भाभी ने मुझसे कहा, “आज मैं बहुत थक गयी हूँ। तुम जा कर होटल से खाना ले आओ।”