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लेकिन मैं जानता था की आगे मेरी माँ चुद रही होगी फिर मुझे नींद कैसे आती भला.

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 हाँ जी दोस्तों, क्या हाल है? मैं आपकी उमा शर्मा आपके लिए फिर से हाज़िर हु चुदाई की एक नई दास्तान लेकर. अपने मेरी पुरानी कहानियो को बहुत प्यार दिया और मुझे बहुत सरहा, उसके लिए बहुत सारा थैंक्स. तो आते है उस नई दास्ताँ पर.आशा करती हूँ, आप लोगों को यह कहानी पसंद आएगी।

दोस्तों मेरा नाम अनिल हे और मैं अभी 10वी कक्षा में पढता हूँ. मेरी मम्मी का नाम काजल हे और उसकी उम्र 35 साल हे. उनकी बहुत छोटी उम्र में मेरे पापा सज्जन कुमार से शादी हुई थी. पापा ने बढती उम्र के साथ शराब और शबाब को अपना दोस्त बना लिया. जिसकी वजह से दोनों के बिच में बहुत झगडे होने लगे. मुझे याद हे की जब से मैंने होश संभाला हे मम्मी साल में एक बार तो मुझे ले के अपने मइके चली जाती हे.

लेकिन पापा फीर वहां आ के मम्मी को सोरी बोल के हमें वापस ले आते हे. वो दोनों एक दुसरे को प्यार बहुत करते हे लेकिन उनका सेक्स जीवन सामान्य नहीं हे. शायद पापा की रंडीबाजी और शराबबाजी की वजह से ही.

और इस लत  ने ही एक दिन मम्मी की बुरी हालत कर दी थी. वो आज की इस कहानी में मैं आप को बताने जा रहा हूँ. एक दिन मम्मी ने अपनी बेंगल यानी की चूड़ियों के लिए पापा से पैसे मांगे. लेकिन पापा ने नहीं दिए. शाम से ही दोनों के बिच में झगड़ा चल रहा था. फिर लेट इवनिंग में पापा थर्रा लगा के आये तो झगड़ा बढ़ गया. मम्मी मुझे ले के चल पड़ी. रोड पर आई तो कोई ऑटो और टेक्सी नहीं थी. तभी एक ट्रक आया जिसको एक बूढा सरदार चला रहा था. और उसकी साइड में एक क्लीनर बैठा हुआ था. उसके कपडे काफी गंदे थे. मम्मी ने हाथ किया.

ट्रक वाले ने रोक के पूछा, किधर जाना हे भाभी जी?

मम्मी: जी हमें शिमला हाइवे पर जाना हे.

ट्रक का ड्राईवर बोला हम उधर ही जा रहे हे आप आ जाओ.

क्लीनर ने दरवाजा खोला और पहले मम्मी ने मुझे ऊपर चढ़ाया और फिर वो भी आ गई. मम्मी ड्राईवर की बगल में बैठी हुई थी. उस वक्त माँ ने सलवार कमीज पहना था और उसका नेक एकदम ढीला था. मम्मी जब ट्रक में चढ़ी तब क्लीनर ने उसके बूब्स देखे थे शायद. और वो वही देखता रह गया था. ट्रक का ड्राईवर भी अपनी गाडी को चलाते हुए अक्सर अपनी निगाहों से मम्मी का क्लीवेज देख रहा था.



ड्राईवर: और भाभी अकेले कहा?

मम्मी: जी मैं अपने मइके जा रही हूँ.

ड्राईवर: मेरा नाम रतन सिंह हे और ये मेरा क्लीनर बुलाराम.

मम्मी: मेरा नाम काजल हे.



रतन: बहुत चंगा नाम हे जी बिलकुल ही आप की आँखों के जैसा.

ये सुन के मम्मी ने रतन सिंह को देखा तो वो दोनों की आँखे टकरा गई. रतन ने अपनी लुंगी में पड़े हुए अपने लंड को उसी समय पर खुजा दिया. मम्मी अपनी हंसी को रोक नहीं पाई. वो मुझे छोटा बच्चा समझ रही थी लेकिन मैं उतना तो समझता था की वो मम्मी को लाइन दे रहा था और वो भी एकदम खुल्लम खुल्ला.

कुछ देर बार रतन सिंह ने गाडी को एक ढाबे के ऊपर रोक दिया. और बोला, चलो रोटी शोटी खा लेते हे. बुला तू लड़के को उतार. आओ भाभी आप इधर से उतर जाओ.

मम्मी ने कहा, जी हम खा के आये हे घर से.

रतन: जी हमारे साथ रुखा सुखा खा ही लो आप.



मम्मी क्लीनर वाली साइड से उतर रही थी लेकिन रतन सिंह ने कहा इधर आ जाओ मैं हाथ पकड़ता हु आप के. फिर वो साइड में हुआ. मम्मी जैसे ही उसकी सिट के पीछे से निकलने को जा रही थी तो वो आगे को हुआ थोडा और जानबूझ के उसने अपने लंड को मम्मी की गांड पर टच करवा दिया. मम्मी ने उसे देखा लेकिन वो कुछ नहीं बोली. मुझे ऐसे था की शायद मम्मी ढाबे के ऊपर उतर के उन्हें मन कर देंगी की हमें नहीं आना आप के साथ में.

मम्मी जब निचे उतरी तो रतन सिंह ने उसकी क्लीवेज को देखा और साले ने अपनी नजर वहां से हटाई ही नहीं. मम्मी ने भी उसे देखा और फिर उसने अपनी क्लीवेज को हाथ से ढंकना चाहा. रतन ने फिर से अपनी लुंगी में हाथ कर के अपने लंड को खुजाया. मम्मी स्माइल दे रही थी.



हम लोग बहार चारपाई के ऊपर ही बैठे हुए थे. खाने में अच्छा ऑर्डर किया रतन ने. हम सब ने पेट भर के खाया और फिर ऊपर एक एक ग्लास लस्सी भी पी ली. मुझे तो बहुत भूख लगी थी. मम्मी ने जूठ ही कहा था की हम खा के निकले थे.

खाने के बाद रतन सिंह गल्ले पर गया और अपने लिए सिगरेट ली, बुलाराम के लिए बीडी और मम्मी और मेरे लिए मीठे पान. उसने मुझे पान दिया. फिर मम्मी को पान देते वक्त उसने जानबूझ के उसके हाथ को टच किया. मम्मी ने मेरी तरफ देखा. मैंने नजर वहां से हटा ली ताकि उसे स्पेस मिले.

मम्मी और उसकी पता नहीं आँखों ही आँखों में क्या बात हुई दो मिनिट में. रतन ने बुलराम से कहा, बुला तू एक काम कर पीछे मुन्ने को ले के सोजा. मैं और भाभी आगे सो जाते हे.

मैं मन ही मन सोच रहा था की खाने के बाद अब एकदम से सोने की बात कहाँ से आ गई. रतन ने मम्मी से कहा, भाभी जी आगे का 50 किलोमीटर रस्ता खराब हे चोर लुटेरे ट्रक लुट लेते हे और औरतों को भी नहीं छोड़ते हे. आप साथ में ना होते तो हम तो निकल लेते लेकीन आप के साथ जाना ठीक नहीं हे. कुछ घंटे यहाँ और भी ट्रक आयेंगे फिर सब साथ में निकलेंगे तब तक थोडा आराम कर लेते हे.
शायद वो लोगो ने मुझे चूतिया बनाने के लिए ही ये स्टोरी बनाई थी. बुलाराम आगे से एक गोदड़ी ले के निकला और एक तकिया भी. वो लोगों की ट्रक में कुछ मशीन भरा हुआ था लेकिन फिर भी काफी जगह खाली बचती थी साइड में. मैं और बुलाराम पीछे सो गए. लेकिन मैं जानता था की आगे मेरी माँ चुद रही होगी फिर मुझे नींद कैसे आती भला.

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