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इस साइट की एक ख़ास बात यह है कि यहां पर न केवल वासना से संबंधित लेख पढ़ने को मिलते हैं, इसके साथ ही इस साइट पर जन सामान्यकी मानसिकता, रूढ़िवादी विचारधारा और व्यक्तिगत अनुभव भी काफी सरल भाषा में प्रकाशित होते रहते हैं इसलिए सेक्स साइट होते हुए भीयह पाठकों की पसंदीदा साइट है।इस साइट की कहानियों और लेखों में बहुत ही गहरा अर्थ भी छिपा हुआ होता है। समाज का वो चेहरा भी दिखाईदे जाता है जिसे समाज अपने दिखावे के नक़ाब के पीछे छुपा कर रखता है। इसीलिए मनोरंजन के साथ साथ पाठकों का ज्ञानवर्धन भी होता रहताहै।इस साइट की लगभग हर श्रेणी की कहानियां उत्तम कोटि की होती हैं।अगर आपकोWWW.DESIBEES.COM वेबसाइट पसंद है। तो आपइस वेबसाइट को Whatsapp और Facebook पर अपने दोस्तों को शेयरकरें। आपका जितना सहयोग और प्यार हमें मिलेगा। हम भी उतनाही प्रयास करेंगे इस वेबसाइट को और भी ज्यादा मजेदार बनाने केलिए
मैं INCEST LOVER DESIBEES सेक्स स्टोरीज़ में आपका स्वागत करती हूं।
एक बार फिर मैं आप के सामने अपनी एक बहुत ही हसीन कहानी लेकर उपस्थित हुई हूँ, आशा करती हूँ, आप लोगों को यह कहानी पसंद आएगी।
Kahani padhne ke baad apne vichar niche comments me jarur likhe, taaki hum apke liye roz aur behtar kamuk kahaniyan pesh kar sake.
में 6 साल पहले इन्दोर
आया तो मैने एक सुशिक्षित परिवार से भरपूर परिवार मे किरायेदार की हेसियत
से रहने लगा. उस परिवार मे मेरे
अलावा उनकी बड़ी लड़की पिंकी और पिंकी की मम्मी रुक्मणी और पापा सुरेश
अग्रवाल रहते हैं. पिंकी के पापा इन्दोर शहर मे एक कॉटन कम्पनी मे काम
करने के कारण अधिकतर बाहर ही रहते हें. यह परिवार वाले मुझे अपने बेटे
जैसा ही मान कर मेरी खिदमत कर ते थे और मुझे अपने परिवार का ही एक सदस्य
समझते थे उनके घर का माहोल शुरू से ही बड़ा खुला हुआ था घर मे पिंकी की
माँ को में आंटी कहँ कर पुकारता था और पिंकी को दीदी, आमतोर पर पिंकी
ऐसे कपड़े पहनती थी जो की कोई और लोग शायद बेडरूम मे ही पहनना अच्छा
समझे. हालाँकी उसकी माँ रुक्मणी हमेशा साड़ी-ब्लाउज पहनती थी.
आंटी और पिंकी दीदी घर मे मेरे सामने ही अपने मासिक (एम.सी) से सम्बधित
बाते करती जैसे की आज मेरा पहला दिन है, या पिंकी को बहुत परेशानी महसूस
हो रही है या ज़्यादा ब्लडडिंग हो रहा है. आमतोर पर आंटी और पिंकी दीदी
मेरे सामने ही कपड़े बदलने मे कोई ज़्यादा शर्म संकोच नही करती थी, एक
बार पिंकी दीदी की सभी सहेलियां होली खेलने हमारे घर आई तो मे दुबक कर
दरवाजे के पीछे छुप गया, तब किसी को नही मालूम था की मे घर मे ही छुपा
हुआ हूँ, खेर पिंकी दीदी और उसकी सहेलियो ने वहाँ पर घर के हॉल और बाथरूम
के पास मे काफ़ी नंगापन मचाया, एक दूसरे के कपड़े फाड़ते हुये लगभग
नगदहड़ंग पोज़िशन मे एक दूसरे के ऊपर रंग लगाया, होली की दोपहर को आंटी
भी मोहल्ले वालो के घर से रंग मे सराबोर होकर आई और मुझे बिना रंग के देख
पिंकी दीदी से कहने लगी की इस बेचारे ने क्या पाप किया है जो इसे सूखा
छोड़ दिया, और पिंकी दीदी को इशारा कर मुझे पकड़ कर गिरा दिया और मेरे
पूरे शरीर पर रंग लगा दिया, पिंकी दीदी ने तो रंग कम पड़ने पर अपने शरीर
को ही मुझसे रगड़ना शुरू कर दिया. मैं पहले नहा धोकर आया उसके बाद आंटी
और पिंकी दीदी दोनो एक साथ बाथरूम मे नहाने लगी. मुझसे रहा नहीं गया और
में चोरी छुपे बाथरूम मे देखा तो दोनों केवल पेन्टी पहन कर एक दूसरे की
चूचियों पर लगा रंग छुड़ा रहे थे यह देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह
गयी.
कुछ ही महीनो बाद पिंकी दीदी की शादी रतलाम मे हो गयी और वह अपने ससुराल
चली गयी, कुछ महीनो के बाद गर्मियो के महीनो मे पिंकी दीदी कुछ दिनो के
लिये अपनी माँ के पास रहने के लिये आई. जीजाजी पिंकी दीदी को छोड़ने के
लिये दो दिनो के लिए आये थे. मैने देखा की पिंकी दीदी शादी के बाद अब और
ज़्यादा बिंदास सेक्सी और कामुक हो गयी है, और क्यो ना हो अब उसके पास
लाइसेन्स जो था, मेने जीजाजी को भी काफ़ी खुले विचारो वाला पाया. शाम को
खाने के बाद उन्होने अपने हनीमून के फोटोग्राफ्स दिखाये जिसमे वह दोनो
गोवा के समुन्द्र किनारे बिकनी और स्विम्मिंग कॉस्ट्यूम्स मे ही नज़र
आये. अचानक बिजली गुल हो गयी और काफ़ी देर तक नहीं आई इसलिये उस रात हमने
ऊपर छत पर सोने का प्लान बनाया. छत पर एक लोहे का पलंग पड़ा हुआ था जिस
पर जीजाजी ने मुझे सुला दिया, और वह दोनो इतनी गर्मी मे अंधेरे मे चिपक
कर सो गये.
थोड़ी देर बाद जब अंधेरे मे दिखने लगा तो मेने देखा की पिंकी दीदी जीजाजी
के उनका 7 इंच लंबा लंड पकड़कर मस्ती से हिला रही थी और बार-बार उनका
लंड चूस रही थी, उनकी सेक्सी चूमा चाटी और होने वाली खुस्फुसाहट के कारण
मेरा 6 इंच लंबा लंड भी तंबू जैसे तना हुआ था, और फट कर बाहर आ जाने को
हो रहा था, तभी दीदी बोली की उसे बाथरूम आ रही है तो जीजाजी ने मुझे
आवाज़ लगाई, लेकिन मे आँखें बंद किये हुये नींद आने का बहाना बनाये पड़ा
रहा तो दीदी बोली की शायद सो गया होगा, तब पिंकी दीदी उठी और बेड पर से
ही अपनी पेन्टी को नीचे उतारती हुई छत के कोने मे पेशाब करने बेठ गयी,
आसमान की हल्की रोशनी मे उसके गोरे-गोरे और बड़े-बड़े चूतड़ चमक रहे थे
जिनको देख कर जीजाजी भी उठे और अपनी लूँगी एक और फेक कर वी शेप की चड्डी
मे से अपना लंड निकाल कर पूनम दीदी के चूतडो के ठीक पीछे लंड लगा कर
पेशाब करने बेठ गये, और अपने दोनो हाथो से सेक्सी दीदी की चूचियों को
दबाने लगे.
इसके बाद तो वो दोनो खड़े-खड़े ही अंधेरे मे चुदाई करने लगे पिंकी दीदी
की मदहोशी मे कामुक साँसे और आवाज़े मुझे पागल बना देने के लिये काफ़ी
थी, मे अपनी आधी आखें बंद कर यह सब देख रहा था, और ना जाने कब मेरी आंखँ
लग गयी, सुबह लगभग 5 बजे छत पर ठंडी हवाओं के कारण मेरी आँख खुली तो मेने
देखा की पिंकी और जीजाजी एक दूसरे पर चढ़ कर सोये हुये थे, शायद सेक्स
करने के बाद उनकी नींद लग गयी और वो अपने आप को सही भी नही कर पाये.
पिंकी दीदी की पेन्टी तो पेरो मे पड़ी थी और उसकी नाईटी उसके नंगे कमर पर
पड़ी हुई थी, जीजाजी भी पूरे नंगे थे और उनका सिकुडा लंड दीदी की हल्के
काले बालो वाली चूत मे से बाहर लटक रहा था, ऐसा सीन देख मेने सबसे पहले
तो लपक कर मूठ मारी और उसके बाद अपनी सेक्सी दीदी की चूचियों को देखने की
कोशिश की लेकिन जीजाजी के सीने से दबे होने के कारण मुझे कुछ ज़्यादा नही
देखने को मिला.
सुबह करीब 9 बजे में उठा तो देखा दीदी और जीजाजी उठ चुके थे मैं नहा धोकर
फ्रेश होकर हम सब ने साथ मे नाश्ता किया. दीदी और जीजाजी आने के कारण
आंटी जी ने मुझे कहा अंकल नहीं है घर मे तो दीनू तुम एक हफ्ते की दफ़्तर
से छुटी ले लो इसलिये मैने एक हफ्ते की छुटी ले ली थी. सुबह दिन भर हम
तीनो ने पिक्चर हॉल मे पिक्चर देखी और कई जगह घूमने भी गये जब शाम को 7
बजे हम घर लोटे तो मैने और जीजाजी ने विस्की पीने का प्लान बनाया और जब
विस्की पी रहे थे की अचानक जीजाजी के ऑफीस से फोन आया की उन्हे कल किसी
भी हालत मे आकर रिपोर्ट करनी है तो जीजाजी ने सुबह जल्दी जाने का
प्रोग्राम बना लिया. जब दीदी को पता चला की जीजाजी कल सुबह ही जा रहे है
तो वो उदास हो गई. हम लोग भी जल्दी से खाना खाकर जीजाजी का बेग तैयार कर
कर छत पर सोने चले गये. कल रात की तरह हम लोगो ने अपना बिस्तर लगा कर सो
गये. करीब एक घंटे बाद मैने अंधेर मे मेने देखा की आज भी पिंकी दीदी
जीजाजी को ज़्यादा परेशान कर रही थी अपनी नाइटी नंगी जांघो पर चड़ा कर
पेन्टी उतारकर अपनी रसीली चिकनी चूत को जीजाजी के मुहँ पर रख कर उनका लंड
मुहँ मे लेने की ज़िद कर रही थी, लेकिन जीजाजी दिन भर की थकान के कारण
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में 6 साल पहले इन्दोर
आया तो मैने एक सुशिक्षित परिवार से भरपूर परिवार मे किरायेदार की हेसियत
से रहने लगा. उस परिवार मे मेरे
अलावा उनकी बड़ी लड़की पिंकी और पिंकी की मम्मी रुक्मणी और पापा सुरेश
अग्रवाल रहते हैं. पिंकी के पापा इन्दोर शहर मे एक कॉटन कम्पनी मे काम
करने के कारण अधिकतर बाहर ही रहते हें. यह परिवार वाले मुझे अपने बेटे
जैसा ही मान कर मेरी खिदमत कर ते थे और मुझे अपने परिवार का ही एक सदस्य
समझते थे उनके घर का माहोल शुरू से ही बड़ा खुला हुआ था घर मे पिंकी की
माँ को में आंटी कहँ कर पुकारता था और पिंकी को दीदी, आमतोर पर पिंकी
ऐसे कपड़े पहनती थी जो की कोई और लोग शायद बेडरूम मे ही पहनना अच्छा
समझे. हालाँकी उसकी माँ रुक्मणी हमेशा साड़ी-ब्लाउज पहनती थी.
आंटी और पिंकी दीदी घर मे मेरे सामने ही अपने मासिक (एम.सी) से सम्बधित
बाते करती जैसे की आज मेरा पहला दिन है, या पिंकी को बहुत परेशानी महसूस
हो रही है या ज़्यादा ब्लडडिंग हो रहा है. आमतोर पर आंटी और पिंकी दीदी
मेरे सामने ही कपड़े बदलने मे कोई ज़्यादा शर्म संकोच नही करती थी, एक
बार पिंकी दीदी की सभी सहेलियां होली खेलने हमारे घर आई तो मे दुबक कर
दरवाजे के पीछे छुप गया, तब किसी को नही मालूम था की मे घर मे ही छुपा
हुआ हूँ, खेर पिंकी दीदी और उसकी सहेलियो ने वहाँ पर घर के हॉल और बाथरूम
के पास मे काफ़ी नंगापन मचाया, एक दूसरे के कपड़े फाड़ते हुये लगभग
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पिंकी दीदी से कहने लगी की इस बेचारे ने क्या पाप किया है जो इसे सूखा
छोड़ दिया, और पिंकी दीदी को इशारा कर मुझे पकड़ कर गिरा दिया और मेरे
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और पिंकी दीदी दोनो एक साथ बाथरूम मे नहाने लगी. मुझसे रहा नहीं गया और
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चूचियों पर लगा रंग छुड़ा रहे थे यह देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह
गयी.
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ऊपर छत पर सोने का प्लान बनाया. छत पर एक लोहे का पलंग पड़ा हुआ था जिस
पर जीजाजी ने मुझे सुला दिया, और वह दोनो इतनी गर्मी मे अंधेरे मे चिपक
कर सो गये.
थोड़ी देर बाद जब अंधेरे मे दिखने लगा तो मेने देखा की पिंकी दीदी जीजाजी
के उनका 7 इंच लंबा लंड पकड़कर मस्ती से हिला रही थी और बार-बार उनका
लंड चूस रही थी, उनकी सेक्सी चूमा चाटी और होने वाली खुस्फुसाहट के कारण
मेरा 6 इंच लंबा लंड भी तंबू जैसे तना हुआ था, और फट कर बाहर आ जाने को
हो रहा था, तभी दीदी बोली की उसे बाथरूम आ रही है तो जीजाजी ने मुझे
आवाज़ लगाई, लेकिन मे आँखें बंद किये हुये नींद आने का बहाना बनाये पड़ा
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ही अपनी पेन्टी को नीचे उतारती हुई छत के कोने मे पेशाब करने बेठ गयी,
आसमान की हल्की रोशनी मे उसके गोरे-गोरे और बड़े-बड़े चूतड़ चमक रहे थे
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पेशाब करने बेठ गये, और अपने दोनो हाथो से सेक्सी दीदी की चूचियों को
दबाने लगे.
इसके बाद तो वो दोनो खड़े-खड़े ही अंधेरे मे चुदाई करने लगे पिंकी दीदी
की मदहोशी मे कामुक साँसे और आवाज़े मुझे पागल बना देने के लिये काफ़ी
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लग गयी, सुबह लगभग 5 बजे छत पर ठंडी हवाओं के कारण मेरी आँख खुली तो मेने
देखा की पिंकी और जीजाजी एक दूसरे पर चढ़ कर सोये हुये थे, शायद सेक्स
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पड़ी हुई थी, जीजाजी भी पूरे नंगे थे और उनका सिकुडा लंड दीदी की हल्के
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