"यू वाना शो मी इनसाइड?" मेहरा ने घूम कर मेरी तरफ देखा
"यू नो वॉट?आइ वुड राथेर स्टे आउट. आइ कॅन गिव यू दा कीस सो यू कॅन गो इन आंड लुक" मैने जेब से चाभी निकालते हुए कहा
"अरे यू किडिंग मी? आप मुझे ये घर बेचना चाहती है और खुद मुझे ये कह रही है के यहाँ भूत रहते हैं? यू बिलीव दट शिट अबौट दा हाउस? आपको सीरियस्ली लगता है के ये घर हॉंटेड है?" मेहरा हस्ता हुआ बोला
"भूत ओर नो भूत, मैं इस घर के अंदर नही जाना चाहती" मैने चाबी उसकी और बढ़ाई.
मेहरा ने चाबी मेरे हाथ से ली और हस्ते हुए गर्दन ऐसे हिलाई जैसे ताना मार रहा हो.
30 साल से ये घर मेरी प्रॉपर्टी है. मरने से पहले डॅड ये मेरे नाम कर गये थे पर पिच्छले 30 साल से यहाँ कोई नही रहा, या यूँ कह लीजिए के मैने रहने नही दिया. मेरे पति ने कई बार कोशिश की इस घर को बेच दिया जाए पर घर की लोकेशन ऐसी थी के बाहर का कोई खरीदने में इंट्रेस्टेड नही था और आस पास के लोग तो इस घर के नाम से ही डरते थे, खरीदना तो दूर की बात थी.
मेरी इस घर से डर और नफ़रत की वजह बस इतनी ही थी के इस घर की हर चीज़ मुझे 30 साल पहले की वो रात याद दिलाती है जब मेरे परिवार की खुशियाँ इस घर की कुर्बानी चढ़ गयी थी. उस रात यहाँ जो कुच्छ हुआ था उसके बाद मेरी मम्मी ने अपनी बाकी की ज़िंदगी एक मेंटल इन्स्टिटुशन में गुज़ारी और पापा ने शराब की बॉटल में.
कहते हैं के ब्रिटिश राज के दौरान किसी ब्रिटिश ऑफीसर ने इंग्लेंड वापिस जाने के बजाय इंडिया में ही रहने का इरादा कर यहाँ पहाड़ों के बीच एक खूबसूरत वादी में ये घर बनाया था. लोगों की मानी जाए तो ये उस ऑफीसर की ज़िंदगी की सबसे बड़ी ग़लती थी. कहते हैं के घर बनने के कुच्छ अरसे बाद ही एक सुबह उस ऑफीसर और उसके बीवी बच्चों की लाशें घर के बाहर मिली थी. कोई नही जानता के उन्हें किसने मारा था पर लाशों की हालत देख कर यही अंदाज़ा लगाया गया के ये किसी जुंगली जानवर का काम था.
घर का दूसरा मालिक भी एक अँग्रेज़ ही था. एक महीना घर में रहने के बाद वो और उसकी बीवी ऐसे गायब हुए जैसे गधे के सर से सींग. बहुत कोशिश की गयी पर उन दोनो का कोई पता नही चला, लाशें तक हासिल नही हुई. एक बार फिर इल्ज़ाम जुंगली जानवरों पर डाल दिया गया.
घर का तीसरा मालिक एक आर्मी मेजर था. घर खरीदने के एक महीने बाद वो अपने कमरे के फन्खे से झूलता हुआ पाया गया. स्यूयिसाइड की कोई वजह सामने नही आ पाई. कहते हैं के मेजर अपनी ज़िंदगी से बहुत खुश था और अपने आपको मारने की उसके पास कोई वजह नही थी. उसने ऐसा क्यूँ किया ये कोई नही बता पाया पर उसके बाद इस घर में रहने की किसी ने कोशिश नही की.
मेरे पिता कभी भूत प्रेत में यकीन नही रखते थे. उनका मानना था भूत, शैतान जैसे चीज़ें इंसान ने सिर्फ़ इसलिए बनाई हैं ताकि उसका विश्वास भगवान में बना रहे. घर उन्हें कोडियों के दाम मिल रहा था और अपना एक वाकेशन होम होने का सपना पूरा करने के लिए उन्होने फ़ौरन खरीद भी लिया. जब मेरी माँ ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्होने हॅस्कर कहा था,
"हाउसस डोंट किल पीपल. पीपल किल पीपल"
"यू नो वॉट?आइ वुड राथेर स्टे आउट. आइ कॅन गिव यू दा कीस सो यू कॅन गो इन आंड लुक" मैने जेब से चाभी निकालते हुए कहा
"अरे यू किडिंग मी? आप मुझे ये घर बेचना चाहती है और खुद मुझे ये कह रही है के यहाँ भूत रहते हैं? यू बिलीव दट शिट अबौट दा हाउस? आपको सीरियस्ली लगता है के ये घर हॉंटेड है?" मेहरा हस्ता हुआ बोला
"भूत ओर नो भूत, मैं इस घर के अंदर नही जाना चाहती" मैने चाबी उसकी और बढ़ाई.
मेहरा ने चाबी मेरे हाथ से ली और हस्ते हुए गर्दन ऐसे हिलाई जैसे ताना मार रहा हो.
30 साल से ये घर मेरी प्रॉपर्टी है. मरने से पहले डॅड ये मेरे नाम कर गये थे पर पिच्छले 30 साल से यहाँ कोई नही रहा, या यूँ कह लीजिए के मैने रहने नही दिया. मेरे पति ने कई बार कोशिश की इस घर को बेच दिया जाए पर घर की लोकेशन ऐसी थी के बाहर का कोई खरीदने में इंट्रेस्टेड नही था और आस पास के लोग तो इस घर के नाम से ही डरते थे, खरीदना तो दूर की बात थी.
मेरी इस घर से डर और नफ़रत की वजह बस इतनी ही थी के इस घर की हर चीज़ मुझे 30 साल पहले की वो रात याद दिलाती है जब मेरे परिवार की खुशियाँ इस घर की कुर्बानी चढ़ गयी थी. उस रात यहाँ जो कुच्छ हुआ था उसके बाद मेरी मम्मी ने अपनी बाकी की ज़िंदगी एक मेंटल इन्स्टिटुशन में गुज़ारी और पापा ने शराब की बॉटल में.
कहते हैं के ब्रिटिश राज के दौरान किसी ब्रिटिश ऑफीसर ने इंग्लेंड वापिस जाने के बजाय इंडिया में ही रहने का इरादा कर यहाँ पहाड़ों के बीच एक खूबसूरत वादी में ये घर बनाया था. लोगों की मानी जाए तो ये उस ऑफीसर की ज़िंदगी की सबसे बड़ी ग़लती थी. कहते हैं के घर बनने के कुच्छ अरसे बाद ही एक सुबह उस ऑफीसर और उसके बीवी बच्चों की लाशें घर के बाहर मिली थी. कोई नही जानता के उन्हें किसने मारा था पर लाशों की हालत देख कर यही अंदाज़ा लगाया गया के ये किसी जुंगली जानवर का काम था.
घर का दूसरा मालिक भी एक अँग्रेज़ ही था. एक महीना घर में रहने के बाद वो और उसकी बीवी ऐसे गायब हुए जैसे गधे के सर से सींग. बहुत कोशिश की गयी पर उन दोनो का कोई पता नही चला, लाशें तक हासिल नही हुई. एक बार फिर इल्ज़ाम जुंगली जानवरों पर डाल दिया गया.
घर का तीसरा मालिक एक आर्मी मेजर था. घर खरीदने के एक महीने बाद वो अपने कमरे के फन्खे से झूलता हुआ पाया गया. स्यूयिसाइड की कोई वजह सामने नही आ पाई. कहते हैं के मेजर अपनी ज़िंदगी से बहुत खुश था और अपने आपको मारने की उसके पास कोई वजह नही थी. उसने ऐसा क्यूँ किया ये कोई नही बता पाया पर उसके बाद इस घर में रहने की किसी ने कोशिश नही की.
मेरे पिता कभी भूत प्रेत में यकीन नही रखते थे. उनका मानना था भूत, शैतान जैसे चीज़ें इंसान ने सिर्फ़ इसलिए बनाई हैं ताकि उसका विश्वास भगवान में बना रहे. घर उन्हें कोडियों के दाम मिल रहा था और अपना एक वाकेशन होम होने का सपना पूरा करने के लिए उन्होने फ़ौरन खरीद भी लिया. जब मेरी माँ ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्होने हॅस्कर कहा था,
"हाउसस डोंट किल पीपल. पीपल किल पीपल"