मेरा नाम कामिनी है। मेरी उम्र तीस साल है और मेरा फिगर 36-26-36 है। जब भी मैं कहीं बाहर जाती हूँ तो सभी मर्द मुझे कामुक नज़रों से देखते हैं। मुझे भी ये बहुत पसंद है कि सभी मर्द मुझे देखें। मेरे शादी को पाँच साल हो गये हैं और मेरे पति दुबई में रह कर नौकरी करते हैं। साल में एक-दो बार घर आना हो पाता है वो भी हफ्ते या दो हफ्ते के लिये। जब भी मेरे पति आते थे तो हम दोनों जम कर चुदाई करते थे लेकिन उनके जाने के बाद मैं चुदाई के लिये बहुत भूखी हो जाती थी। मोमबत्तियों और खीरे जैसी बे-जान चीज़ों का सहारा लेना पड़ता था लेकिन तसल्ली नहीं हो पातीथी।
इसलिये मैंने सोचा कि इस तरह तड़पने से तो अच्छा है कि क्यों ना किसी और मर्द से चुदवा लूँ। पहले तो मैंने बहुत सोचा कि ये गलत है पर क्या करती… चूत मान ही नहीं रही थी मेरी। चूत को तो लन्ड चाहिये थे बस। दिन – रात मैं हर वक्त बस चुदाई के बारे में सोचने लगी। किसी और चीज़ में मन ही नहीं लगता। चाहे कोई भी हो मैं हर मर्द को गंदी नज़रों से ही देखती। मेरी नज़र हमेशा मर्दों की टाँगों के बीच में ही जम जाती थी। हद ये हो गयी थी कि कोई जानवर भी दिख जाता तो नज़रें उसके लन्ड को ही ढूँढतीं।
इसलिये मैंने सोच लिया था कि अब तो किसी ना किसी का लन्ड जरूर लूँगी। मुश्किल ये थी कि किस से चुदवाया जाये तो इस बारे में मैंने अपनी सहेली से बात करने की सोची। उसका पति भी दूसरे मुल्क में नौकरी करता था तो इसलिये वो अक्सर गैर-मर्दों से चुदवाया करती है। मेरी सहेली का नाम सविता है और उसकी उम्र बत्तीस साल है और दिखने में वो भी काफी सैक्सी है पर मेरे से कम सैक्सी और हॉट है वो। हम दोनों कॉलेज में साथ थीं और नये-नये यारों से चुदवाती थीं और खूब मौज-मस्ती करती थीं।
एक दिन मैं उसके घर गयी। हम दोनों बैठी पैग लगा रही थीं तो दो पैग पीने के बाद मैंने उससे इस बारे में ज़िक्र किया। उसने कहा कि चुदाई के लिये वो मुझे अपने एक यार से मिलवा देगी। उसने मुझे बताया कि उसके सभी यार गुँडे मवाली किस्म के हैं। मैंने उससे पूछा कि तूने ऐसे यार क्यों बनाये तो उसने कहा कि ऐसे मर्दों से चुदवाना उसे अच्छा लगता है और उनमें जोश भी ज्यादा होता है और वो जम कर चोदते हैं जिससे उसकी पूरी तरह तसल्ली हो जाती है। मुझमें तो चुदाई की भूख थी तो मैंने कहा जैसा मरज़ी मर्द हो… मुझे तो लन्ड चाहिये बस और वो भी उसी वक्त।
तभी उसने अपने एक यार को फोन लगाया और उससे मेरी बात की और कहा कि अभी नयी चूत चोदनी है क्या? उसके यार का नाम विक्रम था। विक्रम ने कहा कि वो तैयार है और अभी आ जायेगा मुझे लेने के लिये। मैं बहुत नर्वस थी क्योंकि मैं पहली बार किसी और से चुदवाने जा रही थी शादी के बाद। और करती भी क्या… इतनी चुदासी थी कि मुझे तो लन्ड चाहिये थे बस। मैंने खुद को रिलैक्स करने के लिये एक और तगड़ा पैग लगाया।
तकरीबन ५० मिनट बाद विक्रम मुझे लेने के लिये आ गया। उसकी उम्र तकरीबन २३-२४ साल की होगी और उसका जिस्म भी बहुत हट्टा-कट्टा और गठीला था। उसकी हाइट ६ फीट होगी। उसने आते ही रुबीना को किस किया और उसके बोब्बे उसके कपड़ों के ऊपर से ही दबाने लग पड़ा। उसके बाद उसने मुझे अपने साथ चलने को कहा तोमैंने रुबीना को बॉय कहा और उसकी गाड़ी में जा कर बैठ गयी। मुझे लन्ड लेने की इतनी जल्दी थी कि उससे पूछा भी नहीं कि कहाँ जा रहे हैं। हम पहले नॉर्मल बातें करते रहे। मैं सविता के घर पर शराब के तीन पैग पी कर निकली थी और मुझ पर नशा सवार होने लगा था और मेरा मूड बहुत ज्यादा सैक्सी हो गया था। मैंने बिल्कुल बेशरम होकर उसकी जाँघ पर हाथ रख दिया और उसकी जीन्स के ऊपर से ही मैं उसके लन्ड को सहलाने लगी।
ये सब देख कर उसका लन्ड भी कड़ा हो गया। विक्रम ने अपनी कार सड़क के एक किनारे पर रोक ली। तभी हम दोनों एक दूसरे को किस करने लग पड़े। हमारी दोनों की जीभें एक दूसरे के मुँह में थी और मुझे वो बहुत उत्तेजित लग रहा था। उसने मुझे अपने कपड़े उतारने को कहा। मैंने उससे कहा कि यहाँ सड़क पर कोई देख लेगा तो उसने कहा कि ये सड़क एक सुनसान सड़क है जहाँ ट्रैफिक कम ही होता था और शाम के वक्त यहाँ कोई नहीं आता जाता है। मैंने दोनों तरफ़ देखा तो कोई भी नहीं था दूर-दूर तक।
वैसे भी नशे की खुमारी और उत्तेजना में मुझे चुदाई करने के अलावा कुछ नहीं सूझ रहा था। मैंने फौरन अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये। मैं अपने कपड़े धीरे-धीरे उतार रही थी तो इस बात पर विक्रम को गुस्सा आ गया और उसने एक दम से मेरे सूट की कमीज़ खींच कर आधी फाड़ कर उतार दी और कहने लगा साली इतनी देर क्यों
गैंग बैंग अपने पुरे शबाब पर..
लगा रही है जल्दी कर! मेरे सूट की कमीज़ अब काफी हद तक फट चूकी थी और मैंने ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी। उसके बाद विक्रम के तेवर देखते हुए मैंने अपने सैंडल खोले बगैर ही जल्दी से अपनी सलवार और पैंटी भी उतार दी। विक्रम भी नीचे से पूरा नंगा था।
उसका नौ इंच का लन्ड देख कर मैं हैरान हो गयी क्योंकि इतना बड़ा लन्ड हकीकत में मैंने पहली बार देखा था। तभी विक्रम ने मुझे कहा, “साली रंडी अब इसे देखती ही रहेगी क्या? चल साली रंडी इसे अपने मुँह में डाल और अच्छी तरह से चूस इसको!” अब विक्रम मेरे से एक दम टपोरी वाली ज़ुबान में बात कर रहा था। मैंने तभी उसका लन्ड चूसना चालू कर दिया। मुझे लन्ड चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था। मैं तकरीबन दस मिनट तक उसका लन्ड चूसती रही। तब तक मेरी चूत गीली हो चूकी थी। अब मैं उसका लन्ड चूत में लेना चाहती थी पर कार में जगह कम होने की वजह उसने मुझे कहा कि वो मुझको बाहर चोदेगा। हम दोनों कार के बाहर आ गये। उसने मेरी चूत में अपना लन्ड डाल दिया और मुझे चोदने लग पड़ा। वो पहले धीरे-धीरे से और फ़िर वो और तेज हो गया। जैसे-जैसे उसका लन्ड मेरे अंदर जा रहा था मुझे और मज़ा आ रहा था। सिर्फ ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने मैं पूरी नंगी हो कर सड़क के किनारे पर चुद रही थी।
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं कभी ऐसे भी चुदवाऊँगी। तकरीबन बीस-पच्चीस मिनट तक चोदने के बाद उसका माल निकल गया और उसने अपना सारा माल मेरे जिस्म पर गिरा दिया। मुझे चुदाई करने में बहुत मज़ा आया था पर मेरी अभी तक पूरी तरह से तसल्ली नहीं हुई थी। उसने मुझे अपने कपड़े पहनने को कहा तो मैंने उससे कहा- “अभी मुझे और चुदवाना है।” विक्रम बोला, “साली रंडी! लगता है तूने लन्ड नहीं लिया बहुत समय से…?” तो मैंने कहा कि “हाँ! मैंने बहुत वक्त से लन्ड नहीं लिया है।”
इसलिये मैंने सोचा कि इस तरह तड़पने से तो अच्छा है कि क्यों ना किसी और मर्द से चुदवा लूँ। पहले तो मैंने बहुत सोचा कि ये गलत है पर क्या करती… चूत मान ही नहीं रही थी मेरी। चूत को तो लन्ड चाहिये थे बस। दिन – रात मैं हर वक्त बस चुदाई के बारे में सोचने लगी। किसी और चीज़ में मन ही नहीं लगता। चाहे कोई भी हो मैं हर मर्द को गंदी नज़रों से ही देखती। मेरी नज़र हमेशा मर्दों की टाँगों के बीच में ही जम जाती थी। हद ये हो गयी थी कि कोई जानवर भी दिख जाता तो नज़रें उसके लन्ड को ही ढूँढतीं।
इसलिये मैंने सोच लिया था कि अब तो किसी ना किसी का लन्ड जरूर लूँगी। मुश्किल ये थी कि किस से चुदवाया जाये तो इस बारे में मैंने अपनी सहेली से बात करने की सोची। उसका पति भी दूसरे मुल्क में नौकरी करता था तो इसलिये वो अक्सर गैर-मर्दों से चुदवाया करती है। मेरी सहेली का नाम सविता है और उसकी उम्र बत्तीस साल है और दिखने में वो भी काफी सैक्सी है पर मेरे से कम सैक्सी और हॉट है वो। हम दोनों कॉलेज में साथ थीं और नये-नये यारों से चुदवाती थीं और खूब मौज-मस्ती करती थीं।
एक दिन मैं उसके घर गयी। हम दोनों बैठी पैग लगा रही थीं तो दो पैग पीने के बाद मैंने उससे इस बारे में ज़िक्र किया। उसने कहा कि चुदाई के लिये वो मुझे अपने एक यार से मिलवा देगी। उसने मुझे बताया कि उसके सभी यार गुँडे मवाली किस्म के हैं। मैंने उससे पूछा कि तूने ऐसे यार क्यों बनाये तो उसने कहा कि ऐसे मर्दों से चुदवाना उसे अच्छा लगता है और उनमें जोश भी ज्यादा होता है और वो जम कर चोदते हैं जिससे उसकी पूरी तरह तसल्ली हो जाती है। मुझमें तो चुदाई की भूख थी तो मैंने कहा जैसा मरज़ी मर्द हो… मुझे तो लन्ड चाहिये बस और वो भी उसी वक्त।
तभी उसने अपने एक यार को फोन लगाया और उससे मेरी बात की और कहा कि अभी नयी चूत चोदनी है क्या? उसके यार का नाम विक्रम था। विक्रम ने कहा कि वो तैयार है और अभी आ जायेगा मुझे लेने के लिये। मैं बहुत नर्वस थी क्योंकि मैं पहली बार किसी और से चुदवाने जा रही थी शादी के बाद। और करती भी क्या… इतनी चुदासी थी कि मुझे तो लन्ड चाहिये थे बस। मैंने खुद को रिलैक्स करने के लिये एक और तगड़ा पैग लगाया।
तकरीबन ५० मिनट बाद विक्रम मुझे लेने के लिये आ गया। उसकी उम्र तकरीबन २३-२४ साल की होगी और उसका जिस्म भी बहुत हट्टा-कट्टा और गठीला था। उसकी हाइट ६ फीट होगी। उसने आते ही रुबीना को किस किया और उसके बोब्बे उसके कपड़ों के ऊपर से ही दबाने लग पड़ा। उसके बाद उसने मुझे अपने साथ चलने को कहा तोमैंने रुबीना को बॉय कहा और उसकी गाड़ी में जा कर बैठ गयी। मुझे लन्ड लेने की इतनी जल्दी थी कि उससे पूछा भी नहीं कि कहाँ जा रहे हैं। हम पहले नॉर्मल बातें करते रहे। मैं सविता के घर पर शराब के तीन पैग पी कर निकली थी और मुझ पर नशा सवार होने लगा था और मेरा मूड बहुत ज्यादा सैक्सी हो गया था। मैंने बिल्कुल बेशरम होकर उसकी जाँघ पर हाथ रख दिया और उसकी जीन्स के ऊपर से ही मैं उसके लन्ड को सहलाने लगी।
ये सब देख कर उसका लन्ड भी कड़ा हो गया। विक्रम ने अपनी कार सड़क के एक किनारे पर रोक ली। तभी हम दोनों एक दूसरे को किस करने लग पड़े। हमारी दोनों की जीभें एक दूसरे के मुँह में थी और मुझे वो बहुत उत्तेजित लग रहा था। उसने मुझे अपने कपड़े उतारने को कहा। मैंने उससे कहा कि यहाँ सड़क पर कोई देख लेगा तो उसने कहा कि ये सड़क एक सुनसान सड़क है जहाँ ट्रैफिक कम ही होता था और शाम के वक्त यहाँ कोई नहीं आता जाता है। मैंने दोनों तरफ़ देखा तो कोई भी नहीं था दूर-दूर तक।
वैसे भी नशे की खुमारी और उत्तेजना में मुझे चुदाई करने के अलावा कुछ नहीं सूझ रहा था। मैंने फौरन अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये। मैं अपने कपड़े धीरे-धीरे उतार रही थी तो इस बात पर विक्रम को गुस्सा आ गया और उसने एक दम से मेरे सूट की कमीज़ खींच कर आधी फाड़ कर उतार दी और कहने लगा साली इतनी देर क्यों
गैंग बैंग अपने पुरे शबाब पर..
लगा रही है जल्दी कर! मेरे सूट की कमीज़ अब काफी हद तक फट चूकी थी और मैंने ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी। उसके बाद विक्रम के तेवर देखते हुए मैंने अपने सैंडल खोले बगैर ही जल्दी से अपनी सलवार और पैंटी भी उतार दी। विक्रम भी नीचे से पूरा नंगा था।
उसका नौ इंच का लन्ड देख कर मैं हैरान हो गयी क्योंकि इतना बड़ा लन्ड हकीकत में मैंने पहली बार देखा था। तभी विक्रम ने मुझे कहा, “साली रंडी अब इसे देखती ही रहेगी क्या? चल साली रंडी इसे अपने मुँह में डाल और अच्छी तरह से चूस इसको!” अब विक्रम मेरे से एक दम टपोरी वाली ज़ुबान में बात कर रहा था। मैंने तभी उसका लन्ड चूसना चालू कर दिया। मुझे लन्ड चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था। मैं तकरीबन दस मिनट तक उसका लन्ड चूसती रही। तब तक मेरी चूत गीली हो चूकी थी। अब मैं उसका लन्ड चूत में लेना चाहती थी पर कार में जगह कम होने की वजह उसने मुझे कहा कि वो मुझको बाहर चोदेगा। हम दोनों कार के बाहर आ गये। उसने मेरी चूत में अपना लन्ड डाल दिया और मुझे चोदने लग पड़ा। वो पहले धीरे-धीरे से और फ़िर वो और तेज हो गया। जैसे-जैसे उसका लन्ड मेरे अंदर जा रहा था मुझे और मज़ा आ रहा था। सिर्फ ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने मैं पूरी नंगी हो कर सड़क के किनारे पर चुद रही थी।
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं कभी ऐसे भी चुदवाऊँगी। तकरीबन बीस-पच्चीस मिनट तक चोदने के बाद उसका माल निकल गया और उसने अपना सारा माल मेरे जिस्म पर गिरा दिया। मुझे चुदाई करने में बहुत मज़ा आया था पर मेरी अभी तक पूरी तरह से तसल्ली नहीं हुई थी। उसने मुझे अपने कपड़े पहनने को कहा तो मैंने उससे कहा- “अभी मुझे और चुदवाना है।” विक्रम बोला, “साली रंडी! लगता है तूने लन्ड नहीं लिया बहुत समय से…?” तो मैंने कहा कि “हाँ! मैंने बहुत वक्त से लन्ड नहीं लिया है।”