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बहन की चुदाई अपने ही दोस्तों से

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दोस्तों मेरा नाम दीपक शुक्ला है। मैं कानपूर का रहने वाला हूँ। मैं आप लोगों को अपने जीवन की सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ। वैसे तो आप लोगों ने ऐसी बहुत सी कहानियां पढ़ी होगी जिसे पढ़ कर आप लोगों को बहुत मज़ा आया होगा। मैं आप लोगों को अपने जीवन की अनचाही कहानी बताने जा रहा हूँ।  उम्मीद करता हूँ की मेरे जीवन की सच्ची कहानी पढ़ कर भी आप लोगों को बहुत मज़ा आएगा। इस कहानी में मैं आप लोगों को बताऊंगा कि कैसे मेरे ही कुछ दोस्तों ने मेरी बड़ी बहन प्रिया दीदी की जवानी के मज़े लिए और फिर मेरी मदद से मेरी छोटी बहन रिया और मेरी माँ रश्मी शुक्ला के मज़े लिए और अपने कुछ दोस्तों को भी मज़े दिलवाए।
पहले मैं आप लोगों को अपने और अपने परिवार के बारे में बता दूँ। हम घर में 4 लोग है। मेरी बड़ी बहन प्रिया दीदी उम्र उस समय 21 साल रही होगी और वो एक कॉलेज से M.A. कर रही थी। मैं भी उसी कॉलेज से B.Sc. कर रहा था और मेरी उम्र 19 साल थी। मेरी छोटी बहन रिया 17 साल की थी और वो 12th क्लास में थी। मेरे पापा सऊदी में पैसा कमाने गए थे और वही दूसरी शादी कर के अपना एक अलग घर बसा लिया था और हम लोगों से अब उन्हें कोई मतलब नहीं रह गया था। मेरी मम्मी प्रतिमा शुकला जो इंग्लिश से M.A. थी और घर का ख़र्च चलाने के लिए एक स्कूल में पढ़ाती थी और उनकी उम्र उस समय 40 साल रही होगी।
वैसे मैं पढ़ने में अच्छा था। लेकिन जब से मैंने कॉलेज में एडमिशन लिया और मेरे दोस्त बदले थे तब से मेरा मन पढाई में कम और लौंडियाबाजी में ज्यादा ध्यान देने लगा। क्या करे वैसे वो उम्र होती ही ऐसी है और मेरे नए दोस्त भी ऐसे ही थे। हम 5 दोस्त थे। हम लोगो से लड़कियां बहुत ही कम बात करती थी क्योंकि उन्हें मालूम था कि हम लोग एक नंबर के लोफड है और अक्सर छेड़खानी करते रहते है। हम दोस्तों में एक लड़का था जिसका नाम फरहान था। उसके पापा एक पावर फुल नेता थे और बहुत ज्यादा पैसे वाले थे। जिसकी वजह से सब लोग फरहान से डरते थे कोई भी फरहान और हम लोगो को कुछ भी नहीं बोलता था। हम लोग भी फरहान की सारी बाते मानते थे। मैं गर्व से बोलता था की मैं फरहान का दोस्त दूँ। लेकिन मैं ये नहीं जनता था की यही फरहान आगे चल कर मेरी बहनो और मम्मी को रंडियों की तरह चोदेगा और दूसरों से भी चुदवायेग।
हम दोस्तों में मैं(दीपक, फरहान, साबिर, विजय और पंकज थे। बाद में मुझे छोड़ कर इन सब ने मेरी दोनों बहनो और मम्मी की इज्जत लूट कर मज़े लिए।
साबिर का बाप एक सरकारी नौकरी करता था। विजय का बाप पुलिस में था और जाति से चमार था और पंकज का बाप एक जमादार था।
मैं और प्रिया दीदी एक साथ बाइक से कॉलेज जाते थे। कॉलेज पहुंच कर दीदी अपनी क्लास में चली जाती और मैं अपने दोस्तों के साथ लौंडियाबाजी और लोफडई में लग जाता। एक दिन हम लोग कैंटीन में बैठे थे। मैंने देखा की मेरी प्रिया दीदी अपनी एक सहेली के साथ आ रही है। वैसे प्रिया दीदी को मेरे दोस्तों के बारे में सब मालूम था। उन्होंने मुझे मना भी किया था पर मैंने उनके कहने पर ध्यान नहीं देता था। मैंने प्रिया दीदी को अनदेखा किया और अपने दोस्तों से बात करने में लगा रहा। तभी मेरा ध्यान फरहान की तरफ गया, वो हमारी बातो का ज्यादा जवाब नहीं दे रहा था। फरहान ठीक मेरे सामने बैठा था और मेरे पीछे बैठी मेरी प्रिया दीदी को ज्यादा देख रहा था। मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो प्रिया दीदी का चेहरा फरहान के सामने था फिर मैंने फरहान की तरह देखा वो दोनों एक दूसरे को देख रहे थे। वैसे तो मैं दूसरी लड़कियों को लाइन मरता और उन्हें छेड़ता भी था पर फरहान का इस तरह मेरी प्रिया दीदी को देखना मुझे पसंद नहीं आया। मैंने इसे अनदेखा कर दिया और फरहान से बोला की - हम लोग बाते कर रहे है और पता नहीं क्या सोच रहे हो। मेरी इस बात को सभी दोस्त समझ गए।
विजय बोला- छोड़ यार फरहान ! जिसे तू देख रहा है वो वो इसकी बहन है।
फरहान बोला- हाँ अपने दोस्त की बहन है इसलिए केवल देख रहा हूँ, कुछ बोल या कर नहीं रहा हूँ, नहीं तो अब तक न जाने क्या क्या कर चूका होता। फिर मुझसे बोला की यार तेरी बहन बड़ी अच्छी और सुन्दर है।
इस बात पर मुझे बहुत गुस्सा आया और मैं फरहान से बोला की मेरी बहन ऐसी-वैसी नहीं है जो किसी भी ऐरे-गैरे के हाँथ लग जाये। अपना चेहरा देख आईने में फिर ऐसी बात करना। वैसे भी हम लोग पंडित है, वो तुझे बिलकुल भी भाव नहीं देगी।
इस बात पर सभी हसने लगे और साबिर बोला - तू हिन्दू, मुसलमान, पंडित, चमार, जमादार छोड़। हम लोगो में सिर्फ तू ही पंडित है और तेरी ही दो-दो बहने है वो भी एकदम मस्त माल। वो तो तू अपना दोस्त है, नहीं तो फरहान भाई न जाने कब का इन्हे रंडियों की तरह चोद चूका होता।
इस पर पंकज बोला- केवल फरहान ही नहीं बल्कि हम सब लोग तेरी बहनो की जवानी का मज़ा ले चुके होते। वैसे पंडित लड़कियां बहुत हॉट & सेक्सी होती है। उनकी बुर बहुत मस्त होती है, उनकी बुर लेने में बहुत मज़ा आता है। साली एकदम चिपक कर अपनी बुर देती है। वो गरिमा याद है ! कैसे चिपक कर अपनी बुर दे रही थी, उछल-उछल कर पूरा लण्ड अंदर ले रही थी। वो भी पंडित थी। वो बाजपई थी और तू शुक्ला। तेरी बहन तो उससे भी ज्यादा मज़ा देगी। इसलिए बकवास बंद कर और समोसा खा। कोई तेरी बहन को नहीं छेड़ रहा है। सब हंसने लगे।
काश मैं उस समय चुप हो गया होता तो शायद बात वही ख़त्म हो जाती, लेकिन वो बोलते है न की "विनाश काले विपरीत बुद्धी" और मुझे उस समय बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन कैंटीन में होने की वजह से मैं धीरे से बोला - भोसडीवालों हम पंडित के घरों की लड़कियां तुम मुसलमान, चमार, जमादार के घर की लड़कियों की तरह कहीं भी मुहं मारते नहीं फिरती है। तुम लोग किसी लड़की के साथ जबरदस्ती के अलावा कुछ नहीं कर सकते। भाड़ में जाये ये समोसा और मैंने समोसे की प्लेट विजय की तरफ धकेल दी।
इस पर सब मेरी तरफ देखने लगे। मैं गुस्से से लाल हो रहा था।
साबिर फरहान से बोला- फरहान भाई हमारी बेज्जती तो चल जाती पर समोसे की बेज्जती बदास्त नहीं हो रही, भाई ये नहीं हो सकता। अब तुम कुछ करो या आज से समोसा खाना छोड़ दो।
फरहान ने एक गहरी सांस ली और मुझसे बोला- देख दीपक अभी तक मैं इस बात को और नहीं बढ़ाना चाहता था पर तूने अब लिमिट क्रॉस कर दी। अब मुझे कुछ करना ही पड़ेगा।
सब दोस्त फरहान से सहमत थे। मुझे लगा की अब ये लोग कही मेरी प्रिया दीदी का रपे करने की प्लानिंग करेंगे। मैं बहुत दर गया, लेकिन मुझे मालूम था की अगर मैं इनकी मर्दानगी को उठा दिया तो ये लोग मेरी बहन का रपे नहीं करेंगे बल्कि उसे पटाने की कोशिश करेंगे और मुझे अपनी बहन पर पूरा विश्वास था की वो इनमे से किसी के हाँथ नहीं लगेगी।
मैं तुरंत बोला- बहचोदो! अगर असली मर्द हो तो जबरदस्ती मत करना, दम है तो ऐसे पटा के दिखा सकते हो तो बोलो।
मेरी ये बात सुन कर सब एकदम सीरियस हो गए। फरहान ने एक गहरी सांस ली और मुझसे बोला- चल ठीक है। हम तेरी बहन को पटा कर चोदेंगे, फिर उसके बाद वो हमारी हो जाएगी और हम जो चाहे उसके साथ करे, जहाँ चाहे वहां करे, जैसे चाहे वैसे करे। तू हमें मना नहीं करेगा। तू हम सब को जीजा जी बोलेगा और हमारे लण्ड की पप्पी लगा। बोलो मंज़ूर है ?
मैंने कहा- अगर तुम लोग मेरी बहन को नहीं पटा पाये तो ?
फरहान बोला- अगर हम तेरी बहन को नहीं पटा पाए तो हम लोग रोज़ तुझसे अपनी गांड मरवाएंगे और तेरे लण्ड की पप्पी लेंगे।
मुझे हंसी आ गई और मुझे लगा की मेरी लॉटरी निकल गयी क्योंकि मेरी प्रिया दीदी बहुत सीधी थी और आज तक उनका किसी लड़के के साथ कोई चक्कर भी नहीं था। वो गर्ल्स स्कूल में पढ़ती थी और अब मेरे साथ कॉलेज आती-जाती है। इसलिए मैंने बिना कुछ सोचे तुरंत मुस्कुराते हुए बोला- चल ठीक है। मुझे ये शर्त मंजूर है, पर इस बात का कोई गवाह भी होना चाहिए नहीं तो तुम लोग अपनी बात से मुकर गए तो ?
फरहान बोला- मैं तो नहीं मुकुरुगा, पर तेरा भरोसा नहीं। छोटू और लकी गवाह के लिए कैसे रहेंगे ?
छोटू उसी कैंटीन में चाय देता था और लकी कैंटीन का मालिक था।
मैं बोला- टाइम लिमिट भी सेट करो।
फरहान बोला- एक महीना।
मैं बोला- ठीक है।
फरहान बोला- तो बुलाऊ छोटू और लकी को ?
मैं बोला- हाँ ठीक है बुलाओ।
तभी साबिर बोला- फरहान भाई सब कुछ तो ठीक है पर इसने जो समोसे की बेज्जती की है उसका क्या ?
फरहान बोला- यार अब हम समोसा तभी खाएंगे जब इसकी बहन नंगी हो कर समोसा बनाएगी और नंगी ही हमें अपने हांथो से समोसा खिलाएगी।
साबिर बोला- ये हुयी न बात। चल अब बुला छोटू और लकी को।
फरहान छोटू को बुलाता है और कहता है - छोटू जा अपने मालिक लकी को बुला के ला।
छोटू- क्यों फहराएं भाई ? कोई गलती हो गयी क्या ?
फरहान बोला- तू अपना ज्यादा दिमाग न चला। तेरी लॉटरी खुलने वाली है। जा अपने मालिक लकी को बुला के ला।
मैं छोटू से उन लोगों को चिढ़ाने के लिए बोला- साथ में एक प्लेट समोसा भी ले आना।
थोड़ी ही देर में छोटू और लकी दोनों आ गए और छोटू ने एक समोसे की प्लेट मुझे दे दी, और मैं समोसा खाते हुए लकी से बोला- यार लकी तेरे समोसे बहुत अच्छे है, पुरे कानपुर में ऐसे समोसे नहीं मिलेंगे।
फरहान मुझसे बोला- चुप साले भोसड़ी के।
लकी बोला- जी फरहान भाई। मुझे क्यों बुलाया आपने।
फरहान बोला- यार लकी हम लोगो में एक शर्त लगी है और हम चाहते है की तू और छोटू इस शर्त में जज बनो।
लकी बोला- इसमें मेरा क्या फायदा होगा ? कुछ फीस मिले तो ठीक है या कम से कम शर्त का एक हिस्सा तो हमारा भी होना चाहिए।
फरहान बोला- एक हिस्सा नहीं ! पूरा मिलेगा। बस तुम दोनों जज बनने के लिए तैयार हो जाओ।
छोटू बोला- भईया जी शर्त तो बताइए फिर देखते है।
फरहान मेरी बहन प्रिया दीदी की तरह इशारा करते हुए बोला- वो जो नीले सूट से मस्त लड़की बैठी है गोरी सी।
लकी और छोटू मेरी तरफ देखने लगे और मैं उन दोनों को अनदेखा करते हुए समोसा खा रहा था।
लकी बोला- वो तो दीपक भाई की बहन प्रिया है।
फरहान बोला- हाँ तूने सही पहचाना वो इस भोसडीवाले की बहन प्रिया है, तो शर्त ये है की हम इसकी बहन को एक महीने में पटा कर हम सब चोदेंगे। अगर वो चुद गयी तो दीपक हमें जीजा जी बोलेगा और रोज हमारे लण्ड की पप्पी लगा।
मैं बोला- अगर नहीं पटा पाए तो ?
फरहान बोला- अगर हम एक महीने में इसकी बहन को नहीं पटा पाए तो दीपक का जब भी मन करेगा ये हमारी गांड मरेगा और हम इसके लण्ड की पप्पी लेंगे।
लकी बोला- वैसे दीपक भईया आपका जिगर बहुत बड़ा है जो ऐसी शर्त लगा ली। वैसे फरहान भाई इसमें मुझे क्या मिलेगा या मेरा क्या फायदा होगा ?
फरहान बोला- तुझे और छोटू को भी इसकी बहन प्रिया की चूत दे देंगे और अगर हम शर्त हार गए तो तुम लोग भी हमारी गांड मर लेना।
लकी बोला- सॉरी दीपक भईया पर मैं तो यही चाहूंगा की आप ये शर्त हार जाओ।
और सब हंसने लगे, फिर लकी फरहान से बोला की मुझे आपकी गांड नहीं चाहिए बस आप प्रिया की चूत दिला देना।
छोटू बोला- फरहान भाई मेरा लौड़ा तो अभी से प्रिया दीदी की गोरी, चिकनी और मस्त चूत के बारे में सोच कर खड़ा हो रहा है।
वो सब हंसने लगे।
फरहान बोला- छोटू सब्र कर, सब्र का फल मीठा होता है।
मैं बोला- साले छोटू ज्यादा खयाली पुलाव मत पकाओ। जब मैं इन भोसडीवालों की गांड मरूंगा तब इसने चेहरे देखना। तब इनको समझ में आएगा की कैसी शर्त लगायी है।
मुझे अपनी बहन पर पूरा विश्वास था की वो किसी से नहीं पटेगी और मैं ये शर्त जीत जाऊंगा।
लकी हँसते हुए छोटू से बोला- छोटू जा सबके लिए गरम-गरम समोसा ले कर आ, वो भी दही-चटनी के साथ। 

आगे की कहानी जल्दी ही सुनाऊंगा....... -

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