दीदी मेरा प्यार
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मैं राज ..
ये कहानी शुरू होती है जब मैं सिर्फ़ 18 साल का था …. और मेरी कज़िन (मेरे मामा की बेटी) 28 साल की ….
दो बच्चो की माँ ,,भरपूर चूचियाँ..उछलते नितंब …भरे होंठ ….चिकने सपाट और मांसल गोरे पेट की स्वामिनी ..जब वो चलती ..मेरे पॅंट के अंदर खलबली मच जाती ….
कहानी चूत और उसके नशीले और लिसलीसे पानी का है ….और चूत से पानी यूँ ही नहीं निकलता ..चूत को सहला के , चाट के , जीभ फिरा के , उंगलियों से मसल के उसे इस अवस्था में लाना पड़ता है..
और अगर थोड़े शब्दों में कहें तो पृष्ठभूमि तैय्यार करनी पड़ती है …
मेरी कज़िन डॉली की चूत से भी पानी निकले और लगातार निकले इसकी भी पृष्ठभूमि तैय्यर करनी पड़ेगी ना ..तो चलिए चलते हैं कुछ साल पहले और देखते हैं हमारी तैय्यारि …
मैं एक बहुत ही सुशील , सीधा सादा अपने माँ बाप का लाड़ला एकलौती संतान था . बड़े लाड़ प्यार और स्नेह से मुझे रखा जाता ..किसी भी चीज़ की कोई कमी नहीं होती ….और डॉली मेरे मामा की इकलौति संतान …..बड़ी नटखट , शरारती और सारे घर को अपने सर पर उठाने वाली ….
मेरे मामा भी हमारे साथ ही रहते थे … उनकी नौकरी भी हमारे ही शहेर में थी..और हमारा घर काफ़ी बड़ा था … माँ ने ज़िद कर मामा को भी अपने साथ रहने को मजबूर कर दिया …
डॉली दीदी भले ही शरारती और नटखट हो ..पर मेरे साथ बड़े स्नेह और प्यार से रहती …हमारी उम्र में भी काफ़ी अंतर था …वो मुझे किशू बुलाती …
मुझे अपने हाथों से खिलाती …मेरे स्कूल का बस्ता तैय्यार करती … मुझे मेरी पढ़ाई में मदद करती …
हम दोनों का एक दूसरे के बिना रहना मुश्किल हो जाता …मैं जब स्कूल से आता ..मेरी आँखें डॉली दीदी को ढूँढती …घर के चारों ओर मैं उन्हें ढूंढता ….जब वो सामने दिखतीं …मेरे सांस में सांस आता …
मैं सीधा उनकी गोद में बैठ जाता ..वो प्यार से मेरे बाल सहलाती ..मेरे दिन भर की थकान उनके स्पर्श से ही गायब हो जाती … मैं खिल उठता ….
उन दिनों डॉली दीदी 20-22 साल की एक आल्मोस्ट , दुनिया से बेख़बर, जवानी के नशे में झूमती लहराती रहती…. और मेरे मामा उनकी शादी की चिंता मे डूबे रहते …..
हाइ स्कूल की पढ़ाई के बाद वो घर में ही रहती … घर के कम काज़ में हाथ बटाना तो दूर …अपने में ही खोई रहती …कहानियाँ पढ़ती , फिल्मी मॅगज़ीन्स पढ़ती ( जिन्हें मैं अपनी किताबों के बस्ते में छुपा कर लाता ..और उसी तरह दीदी के पढ़ने के बाद दूकानवाले को वापस कर देता ) …
मामा ..मामी की डाँट का उन पर कोई असर नहीं होता…
” अरे कुछ तो शर्म कर …कल को तेरी शादी होगी …ससुराल में हमारी नाक काटेगी ये लड़की ..”
मामी के इस तकिया कलाम शब्दों को डॉली दीदी अनसूना कर देती …
मुझे अपने हाथों से अपने बगल चिपकाते हुए बोलती
“किशू…तेरी पढ़ाई हो गयी….? ”
“हां दीदी..”
“तो फिर चल लुडो खेलते हैं ..”
मेरे लिए उनके ये शब्द जादू का काम करते..मैं फटाफट अपने कमरे में अपने बिस्तर पे लुडो का बोर्ड बिछा देता …
हम दोनों आमने सामने बैठ जाते ..इतने पास कि दीदी की गर्म साँसें मेरे चेहरे को छूती ….इसमें स्नेह की गर्मी , निश्छल प्यार का स्पर्श और उनकी मदमस्त जवानी का झोंका भी शामिल रहता ..जो मुझे बहुत भाता …
उन दिनों टीवी नहीं था ..रेडियो का प्रचलन था ….मेरे अलावा डॉली दीदी का ये दूसरा चहेता था ..उस समय की फिल्मों का एक-एक गाना उनकी ज़ुबान पे होता ….हमेशा गुनगुनाती रहती अपनी सुरीली और मीठी आवाज़ में …
दिन गुज़रते गये और मैं डॉली दीदी के स्नेह और प्यार के बंधन में जकड़ता गया…हम दोनों के लिए एक दूसरे के लिए एक अटूट आकर्षण , बंधन , प्यार और स्नेह पनपता गया …..
और फिर एक दिन जब मैं स्कूल से वापस आया ,,दीदी ने मेरे लिए दरवाज़ा नहीं खोला … दरवाज़ा भिड़ा था ..
मेरे धक्का देते ही खूल गया..पर दीदी के बजाय अंदर सन्नाटे ने मेरा स्वागत किया.. दीदी की प्यार भरी बाहों की जगह एक घनघोर चुप्पी ने मुझे जाकड़ लिया ….
मैं तड़प उठा ..दीदी कहाँ गयीं..??
मैं उनके कमरे की तरफ बढ़ा …. अंदर झाँका ..दीदी अपने पलंग पर लेटी थीं …..मैं और नज़दीक गया ..
मैं बेतहाशा उनकी ओर बढ़ा …. डॉली दीदी पेट के बल लेटी थी , सर तकिये पर रखे सूबक सूबक कर रो रहीं थी …
उनका चेहरा मेरी ओर था ..उनके गुलाबी गाल आँसुओं से सराबोर थे …तकिया गीला था … आख़िर क्या बात हो गयी ..??
क्या हुआ आज दिन भर में ..??? जिस चेहरे पर हमेशा खिलखिलाहट और मुस्कान छाई रहती ..आज आँसुओं से सराबोर है ..आख़िर क्यों..??? किसी ने कुछ कहा …?? मेरे मन में हलचल मची थी …
मैं उनके बगल बैठ गया और पूछा ” दीदी क्या हुआ ..आप रो क्यूँ रही हैं ..?? ”
मेरी आवाज़ भी रुआंसी थी...
दीदी ने मेरी तरफ चेहरा किया और उठ कर बैठ गयीं , मुझे अपनी छाती से लगाया ..मुझे भींच लिया और फिर और सूबक सूबक कर रोने लगीं …
मैं हैरान परेशान था , पर उनकी छाती की गर्मी और स्तनों की नर्मी से बड़ा अच्छा भी लगा …मैं एक बहुत ही अलग अनुभूति में डूबा था …उनके साथ चिपके रहने का आनंद , पर उनके रोने से परेशान …
दो बिल्कुल अलग अनुभव थे …मुझे समझ नहीं आ रहा था मैं क्या करूँ ..दीदी को चूप कराऊँ या फिर उनकी छाती से चिपके इस जन्नत में खोया रहूं …
डॉली दीदी के शरीर की सुगंध ..उनके आँसू और पसीने की मिली जुली नमकीन खूशबू , मेरा मुँह उनकी छाती से इस तरह चिपका था के मेरी नाक उनकी बगल की तरफ था ..
उफ़फ्फ़ वहाँ से भी एक अजीब मादक सी खूशबू आ रही थी ….वही पसीने की …मैं एक अजीब ही स्थिति में था ..क्या करूँ क्या ना करूँ …
डॉली दीदी आप रोते हुए भी मुझे इतना सूख दे सकती हैं….दीदी दीदी ……..मेरा रोम रोम उनके लिए तड़प रहा था ..उन्हें कैसे शांत करूँ ..मैं क्या करूँ ……
मेरी इस उधेड़बून का हल,भी आख़िर दीदी ने ही निकाला … उन्होने मुझे अपनी छाती से अलग किया ..मेरे चेहरे को अपने नर्म हथेलियों से थाम लिया और मुझे बेतहाशा चूम ने लगीं …
मेरे गालों पर अपने मुलायम होंठों से चुंबनों की वर्षा कर दी …. ये भी मेरे लिए एक नया ही अनुभव था ….. डॉली दीदी मुझे चूमे जा रहीं थी पर उनका रोना अब हिचक़ियों में तब्दील हो गया था … और बीच बीच में मुझ से पूछती
” किशू ..किशू …..मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगी ..?? ”
मैं फिर परेशानी में आ गया ..आख़िर इन्हें मेरे बिना रहने की क्या ज़रूरत आ पड़ी ..?? मेरे छोटे से मस्तिष्क में हज़ारों सवाल थे ..जिनका जवाब मुझे मिल नहीं रहा था ..और मैं उलझनों में डूबता जाता ..पर दीदी के प्यार और निकटता से शकून भी मिल रहा था ….
और तभी मुझे अपने सारे सवालों का जवाब मिल गया ….
मेरी मामी ने कमरे में कदम रखा और भाई बहेन का प्यार , खास कर दीदी का रोना देख वो बोल उठीं ..
“वाह रे वा डॉली रानी..अभी तेरी सिर्फ़ शादी की बात पक्की हुई है और इतना रोना धोना ??..
अरे जब तेरी विदाई होगी तू क्या करेगी ….बस बस बहुत हो गया ..अब चूप भी कर ..देख बेचारा किशू स्कूल से कब का आ चूका है …उठ और उसे कुछ खिला ,,
बेचारा कब का भूखा है..तुम्हारे रोने से इतना परेशान है…..”
ह्म्म्म्ममम तो ये बात थी डॉली दीदी के रोने के पीछे..उनकी शादी …. पर इस बात ने मुझे और उलझन में डाल दिया … जितना मुझे मालूम था …जितना मेरी छोटी सी मासूम जिंदगी ने मुझे बताया था …शादी की बात से सारी लड़कियाँ खुशी से झूम उठती हैं …. पर यहाँ तो बिल्कुल ही अलग माजरा था ….खुशी से झूमना तो अलग दीदी दुख और दर्द का रोना ले बैठी थीं….
मामी की बातों ने जादू का असर किया .. मेरे भूखे रहने की बात से उनका रोना धोना एक झटके में ही रुक गया …उन्होने मुझे बड़े प्यार से अलग किया ..अपनी आँचल से अपना चेहरा और आँखें पोछी ….और मुझे कहा
” अले ..अले ..मेला बच्चा अभी तक भूखा है …उफ़फ्फ़ मैं भी कितनी पागल हूँ ..किशू यहीं बैठ ..मैं 5 मिनिट में तुम्हारा नाश्ता लाती हूँ ….”
इतना कहते हुए वो रसोई की तरफ भागती हुई चली गयीं ..कमरे में मामी और मैं रह गये ….
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मैं राज ..
ये कहानी शुरू होती है जब मैं सिर्फ़ 18 साल का था …. और मेरी कज़िन (मेरे मामा की बेटी) 28 साल की ….
दो बच्चो की माँ ,,भरपूर चूचियाँ..उछलते नितंब …भरे होंठ ….चिकने सपाट और मांसल गोरे पेट की स्वामिनी ..जब वो चलती ..मेरे पॅंट के अंदर खलबली मच जाती ….
कहानी चूत और उसके नशीले और लिसलीसे पानी का है ….और चूत से पानी यूँ ही नहीं निकलता ..चूत को सहला के , चाट के , जीभ फिरा के , उंगलियों से मसल के उसे इस अवस्था में लाना पड़ता है..
और अगर थोड़े शब्दों में कहें तो पृष्ठभूमि तैय्यार करनी पड़ती है …
मेरी कज़िन डॉली की चूत से भी पानी निकले और लगातार निकले इसकी भी पृष्ठभूमि तैय्यर करनी पड़ेगी ना ..तो चलिए चलते हैं कुछ साल पहले और देखते हैं हमारी तैय्यारि …
मैं एक बहुत ही सुशील , सीधा सादा अपने माँ बाप का लाड़ला एकलौती संतान था . बड़े लाड़ प्यार और स्नेह से मुझे रखा जाता ..किसी भी चीज़ की कोई कमी नहीं होती ….और डॉली मेरे मामा की इकलौति संतान …..बड़ी नटखट , शरारती और सारे घर को अपने सर पर उठाने वाली ….
मेरे मामा भी हमारे साथ ही रहते थे … उनकी नौकरी भी हमारे ही शहेर में थी..और हमारा घर काफ़ी बड़ा था … माँ ने ज़िद कर मामा को भी अपने साथ रहने को मजबूर कर दिया …
डॉली दीदी भले ही शरारती और नटखट हो ..पर मेरे साथ बड़े स्नेह और प्यार से रहती …हमारी उम्र में भी काफ़ी अंतर था …वो मुझे किशू बुलाती …
मुझे अपने हाथों से खिलाती …मेरे स्कूल का बस्ता तैय्यार करती … मुझे मेरी पढ़ाई में मदद करती …
हम दोनों का एक दूसरे के बिना रहना मुश्किल हो जाता …मैं जब स्कूल से आता ..मेरी आँखें डॉली दीदी को ढूँढती …घर के चारों ओर मैं उन्हें ढूंढता ….जब वो सामने दिखतीं …मेरे सांस में सांस आता …
मैं सीधा उनकी गोद में बैठ जाता ..वो प्यार से मेरे बाल सहलाती ..मेरे दिन भर की थकान उनके स्पर्श से ही गायब हो जाती … मैं खिल उठता ….
उन दिनों डॉली दीदी 20-22 साल की एक आल्मोस्ट , दुनिया से बेख़बर, जवानी के नशे में झूमती लहराती रहती…. और मेरे मामा उनकी शादी की चिंता मे डूबे रहते …..
हाइ स्कूल की पढ़ाई के बाद वो घर में ही रहती … घर के कम काज़ में हाथ बटाना तो दूर …अपने में ही खोई रहती …कहानियाँ पढ़ती , फिल्मी मॅगज़ीन्स पढ़ती ( जिन्हें मैं अपनी किताबों के बस्ते में छुपा कर लाता ..और उसी तरह दीदी के पढ़ने के बाद दूकानवाले को वापस कर देता ) …
मामा ..मामी की डाँट का उन पर कोई असर नहीं होता…
” अरे कुछ तो शर्म कर …कल को तेरी शादी होगी …ससुराल में हमारी नाक काटेगी ये लड़की ..”
मामी के इस तकिया कलाम शब्दों को डॉली दीदी अनसूना कर देती …
मुझे अपने हाथों से अपने बगल चिपकाते हुए बोलती
“किशू…तेरी पढ़ाई हो गयी….? ”
“हां दीदी..”
“तो फिर चल लुडो खेलते हैं ..”
मेरे लिए उनके ये शब्द जादू का काम करते..मैं फटाफट अपने कमरे में अपने बिस्तर पे लुडो का बोर्ड बिछा देता …
हम दोनों आमने सामने बैठ जाते ..इतने पास कि दीदी की गर्म साँसें मेरे चेहरे को छूती ….इसमें स्नेह की गर्मी , निश्छल प्यार का स्पर्श और उनकी मदमस्त जवानी का झोंका भी शामिल रहता ..जो मुझे बहुत भाता …
उन दिनों टीवी नहीं था ..रेडियो का प्रचलन था ….मेरे अलावा डॉली दीदी का ये दूसरा चहेता था ..उस समय की फिल्मों का एक-एक गाना उनकी ज़ुबान पे होता ….हमेशा गुनगुनाती रहती अपनी सुरीली और मीठी आवाज़ में …
दिन गुज़रते गये और मैं डॉली दीदी के स्नेह और प्यार के बंधन में जकड़ता गया…हम दोनों के लिए एक दूसरे के लिए एक अटूट आकर्षण , बंधन , प्यार और स्नेह पनपता गया …..
और फिर एक दिन जब मैं स्कूल से वापस आया ,,दीदी ने मेरे लिए दरवाज़ा नहीं खोला … दरवाज़ा भिड़ा था ..
मेरे धक्का देते ही खूल गया..पर दीदी के बजाय अंदर सन्नाटे ने मेरा स्वागत किया.. दीदी की प्यार भरी बाहों की जगह एक घनघोर चुप्पी ने मुझे जाकड़ लिया ….
मैं तड़प उठा ..दीदी कहाँ गयीं..??
मैं उनके कमरे की तरफ बढ़ा …. अंदर झाँका ..दीदी अपने पलंग पर लेटी थीं …..मैं और नज़दीक गया ..
मैं बेतहाशा उनकी ओर बढ़ा …. डॉली दीदी पेट के बल लेटी थी , सर तकिये पर रखे सूबक सूबक कर रो रहीं थी …
उनका चेहरा मेरी ओर था ..उनके गुलाबी गाल आँसुओं से सराबोर थे …तकिया गीला था … आख़िर क्या बात हो गयी ..??
क्या हुआ आज दिन भर में ..??? जिस चेहरे पर हमेशा खिलखिलाहट और मुस्कान छाई रहती ..आज आँसुओं से सराबोर है ..आख़िर क्यों..??? किसी ने कुछ कहा …?? मेरे मन में हलचल मची थी …
मैं उनके बगल बैठ गया और पूछा ” दीदी क्या हुआ ..आप रो क्यूँ रही हैं ..?? ”
मेरी आवाज़ भी रुआंसी थी...
दीदी ने मेरी तरफ चेहरा किया और उठ कर बैठ गयीं , मुझे अपनी छाती से लगाया ..मुझे भींच लिया और फिर और सूबक सूबक कर रोने लगीं …
मैं हैरान परेशान था , पर उनकी छाती की गर्मी और स्तनों की नर्मी से बड़ा अच्छा भी लगा …मैं एक बहुत ही अलग अनुभूति में डूबा था …उनके साथ चिपके रहने का आनंद , पर उनके रोने से परेशान …
दो बिल्कुल अलग अनुभव थे …मुझे समझ नहीं आ रहा था मैं क्या करूँ ..दीदी को चूप कराऊँ या फिर उनकी छाती से चिपके इस जन्नत में खोया रहूं …
डॉली दीदी के शरीर की सुगंध ..उनके आँसू और पसीने की मिली जुली नमकीन खूशबू , मेरा मुँह उनकी छाती से इस तरह चिपका था के मेरी नाक उनकी बगल की तरफ था ..
उफ़फ्फ़ वहाँ से भी एक अजीब मादक सी खूशबू आ रही थी ….वही पसीने की …मैं एक अजीब ही स्थिति में था ..क्या करूँ क्या ना करूँ …
डॉली दीदी आप रोते हुए भी मुझे इतना सूख दे सकती हैं….दीदी दीदी ……..मेरा रोम रोम उनके लिए तड़प रहा था ..उन्हें कैसे शांत करूँ ..मैं क्या करूँ ……
मेरी इस उधेड़बून का हल,भी आख़िर दीदी ने ही निकाला … उन्होने मुझे अपनी छाती से अलग किया ..मेरे चेहरे को अपने नर्म हथेलियों से थाम लिया और मुझे बेतहाशा चूम ने लगीं …
मेरे गालों पर अपने मुलायम होंठों से चुंबनों की वर्षा कर दी …. ये भी मेरे लिए एक नया ही अनुभव था ….. डॉली दीदी मुझे चूमे जा रहीं थी पर उनका रोना अब हिचक़ियों में तब्दील हो गया था … और बीच बीच में मुझ से पूछती
” किशू ..किशू …..मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगी ..?? ”
मैं फिर परेशानी में आ गया ..आख़िर इन्हें मेरे बिना रहने की क्या ज़रूरत आ पड़ी ..?? मेरे छोटे से मस्तिष्क में हज़ारों सवाल थे ..जिनका जवाब मुझे मिल नहीं रहा था ..और मैं उलझनों में डूबता जाता ..पर दीदी के प्यार और निकटता से शकून भी मिल रहा था ….
और तभी मुझे अपने सारे सवालों का जवाब मिल गया ….
मेरी मामी ने कमरे में कदम रखा और भाई बहेन का प्यार , खास कर दीदी का रोना देख वो बोल उठीं ..
“वाह रे वा डॉली रानी..अभी तेरी सिर्फ़ शादी की बात पक्की हुई है और इतना रोना धोना ??..
अरे जब तेरी विदाई होगी तू क्या करेगी ….बस बस बहुत हो गया ..अब चूप भी कर ..देख बेचारा किशू स्कूल से कब का आ चूका है …उठ और उसे कुछ खिला ,,
बेचारा कब का भूखा है..तुम्हारे रोने से इतना परेशान है…..”
ह्म्म्म्ममम तो ये बात थी डॉली दीदी के रोने के पीछे..उनकी शादी …. पर इस बात ने मुझे और उलझन में डाल दिया … जितना मुझे मालूम था …जितना मेरी छोटी सी मासूम जिंदगी ने मुझे बताया था …शादी की बात से सारी लड़कियाँ खुशी से झूम उठती हैं …. पर यहाँ तो बिल्कुल ही अलग माजरा था ….खुशी से झूमना तो अलग दीदी दुख और दर्द का रोना ले बैठी थीं….
मामी की बातों ने जादू का असर किया .. मेरे भूखे रहने की बात से उनका रोना धोना एक झटके में ही रुक गया …उन्होने मुझे बड़े प्यार से अलग किया ..अपनी आँचल से अपना चेहरा और आँखें पोछी ….और मुझे कहा
” अले ..अले ..मेला बच्चा अभी तक भूखा है …उफ़फ्फ़ मैं भी कितनी पागल हूँ ..किशू यहीं बैठ ..मैं 5 मिनिट में तुम्हारा नाश्ता लाती हूँ ….”
इतना कहते हुए वो रसोई की तरफ भागती हुई चली गयीं ..कमरे में मामी और मैं रह गये ….