नमस्कार दोस्तो मेरा नाम महेश कुमार है और मै सरकारी नौकरी करता हुँ। मै
आपको बता देना चाहता हुँ की मेरी सभी कहानियाँ काल्पनिक है जिनका किसी से
भी कोई सम्बन्ध नही है अगर होता भी है तो ये मात्र सँयोग ही होगा। ये
कहानी मेरे पहले सेक्स अनुभव कि है। यह मेरी और मेरी प्यारी पायल भाभी की
कहानी है।
चलो अब मै कहानी पर आता हुँ। बात उस समय की है जब मै ग्याहरवी मे पढता था
उस समय मै बहुत डरपोक और शर्मीला लडका था। शादी मे जब मैने पहली बार भाभी
को दुल्हन के रुप मे देखा तो बस देखता ही रह गया था वो दुल्हन के लिबास
मे स्वर्ग की किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी बिल्कुल दुध जैसा सफेद
रँग, गोल चेहरा, सुर्ख गुलाबी पतले पतले होठ, बङी बङी काली आँखे, पतली और
लम्बी सुराहीदार गर्दन, काले घने लम्बे बाल, बङे बङे सख्त उरोज, पतली
कमर, गहरी नाभी, पुष्ठ और भरे हुवे बङे बङे नितम्ब हालांकी उस समय मुझे
सेक्स के बारे मे कुछ नही पता था मगर फ़िर भी भाभी मुझे बहुत अच्छी लगी।
भाभी ने आते ही सारे घर कि जिम्मेदारी सम्भाल ली। भाभी सारा दिन घर के
कामो मे व्यस्त रहती और जब कभी समय मिलता तो मेरी पढने मे भी सहायत करती
थी। भाभी ने बी एस सी कर रखी थी इसलिये मै भी पढाई मे कोई दिक्कत आने पर
भाभी से पुछ लेता था। स्कुल से आने के बाद मै भी भाभी कि घर के कामो मे
हाथ बटा देता था मगर भाभी मना करती थी और कहती कि तुम बस पढाई करो ये सब
तो मै अपने आप कर लुंगी। मेरे भैया चाहते थे कि मै आर्मी मे आफीशर बनु और
ये बात उन्होने भाभी को भी बता रखी थी। इसलिये भाभी हमेशा मुझे पढने के
लिये बोलती थी और मै भी पढने मे काफ़ी तेज था हमेशा स्कुल मे अव्व्ल आता
था।
समय के साथ साथ मै और भाभी एक दुसरे से बिल्कुल खुल गये थे अब तो हम एक
दुसरे से हँशी मज़ाक भी कर लेते थे मगर अभी तक मैने भाभी के बारे मे गलत
नही सोचा था और वैसे भी सेक्स के बारे मे मुझे इतना कुछ पता भी नही था
मगर मेरे एक दो दोस्त थे जो कि सेक्स के बारे मे बहुत कुछ जानते थे
उन्होने तो लडकियो के साथ सेक्स भी कर रखा था। उन्होने ही मुझे पहली बार
औरत कि अश्लिल और नन्गी तस्वीर दिखाई थी और हस्तमैथुन करना भी सिखाया था।
एक बार स्कुल से आते समय हम सारे दोस्त सेक्स के बारे मे बाते कर रहे थे
कि तभी मेरे एक दोस्त ने मुझसे कहा कि तु तो ऐसे ही घुम रहा है जबकि तेरे
तो घर मे ही जबरदस्त माल है। मैने कहा कि कैसे ? तो वो बोला कि तेरी भाभी
है ना…। और वैसे भी तेरे भैया आर्मी मे है जो कि बहुत कम ही तेरी भाभी के
साथ रहते है तेरे भैया के जाने के बाद तेरी भाभी का दिल भी तो सेक्स के
लिये करता होगा…। और मेरे सारे दोस्त हँसने लगे।
उस समय तो मैने उन्की बातो को मजाक मे उडा दिया मगर एक दिन कुछ ऐसा हुवा
की मेरा भाभी के प्रती नजरिया ही बदल गया। उस दिन मै और भाभी ऐसे ही बाते
कर रहे थे और बीच बिच मे एक दुसरे से मजाक भी कर रहे थे कि तभी भाभी ने
मेरी बगल मे गुदगुदी कर दी और हँशने लगी, मै भी भाभी को गुदगुदी करना
चाहता था इसलिये मैने भाभी को बेड पर गिरा दिया और दोनो हाथो से उनकी कमर
मे गुदगुदी करने लगा। भाभी हँश हँश कर दोहरी हो गयी और उन्होने अपने दोनो
घुटने मोड लिये जिस से उनकी साडी और पेटीकोट कमर तक उलट गये और उनकी दुध
सी गोरी जाँघे और काले रन्ग कि पेन्टी दिखने लगी जिसे देखते ही मेरा रोम
रोम मे एक तुफ़ान सा उठने लगा और मेरा लिँग उत्तेजित हो गया। भाभी जल्दी
से अपने कपडे ठीक करके हँशते हुवे कहने लगी तुम बहुत शरारती हो गये हो और
उठ कर कमरे से बाहर चली गयी। भाभी जा चुकी थी मगर मुझे तो जैसे सांप
सुन्घ गया था मेरे सामने अब भी भाभी कि नँगी गोरी जाँघे और उनकी काली
पेन्टी घुम रही थी। कुछ देर बाद भाभी खाने कि प्लेट लेकर कमरे मे आई और
मुस्कुराते हुवे कहा चलो खाना खा लो और खाने कि प्लेट को बेड पर रख कर
मेरे पास ही बैठ गइ। मै चुप चाप उठ कर खाना खाने लगा मगर मेरा लिँग अब भी
उत्तेजित था जो की मेरी हाफ़ पेन्ट मे उभरा हुवा स्पस्ट दिखाई दे रहा था
जिसे मै बार बार दबा कर भाभी से छुपाने कि कोशिस कर रहा था। शायद भाभी को
भी मेरी हालत का अहसास हो गया था इसलिये भाभी ने हँशते हुवे कहा कि कुछ
चाहिये तो आवाज दे देना मै कीचन मे जा रही हुँ। मुझे रह रह कर उस दिन
वाली मेरे दोस्तो कि बाते याद आने लगी और वो सही भी कह रहे थे। इस घटना
ने मेरा सबकुछ बदल कर रख दिया। अब मै भाभी को वाशना की नजरो से देखने लगा
और भाभी के अधिक से अधिक पास रहने की कोशिस करता रहता। इसका अहसास शायद
भाभी को भी हो गया था मगर भाभी कुछ नही कहती थी।
हमारे घर मे दो ही कमरे है जिसमे से एक कमरे मे मम्मी पापा रहते है और
दुसरे कमरा भाभी का है, मैने ड्राईँग रुम ही अपना बिस्तर लगा रखा है और
वही पढाई करता हुँ। एक बार रात को पढते समय गणित का एक प्रशन मुझसे हल
नही हो रहा था इसलिय पुछ्ने के लिये मै भाभी के पास चला गया और भाभी के
कमरे का दरवाजा बजा कर उनको बताया मगर भाभी ने दरवाजा नही खोला और कहा की
अभी मै सो रही हुँ कल बता दुँगी। मै वापस आ कर फिर से अपनी पढाई करने लगा
मगर कुछ देर बाद भाभी ने पता नही क्या सोचकर दरवाजा खोल दिया और कमरे से
ही आवाज देकर मुझे बुला लिया। मै कमरे मे गया तो देखा कि भाभी ने काले
रँग की पतली सी एक नाईटी पहनी हुई थी जिसमे से उनकी नीले रँग कि ब्रा और
पेन्टी यहाँ तक की ट्युब लाईट कि रोशनी मे उनका दुधियाँ गोरा बदन स्पस्ट
दिखाइ दे रहा था जिसे देखकर मेरी हालत पतली होने लगी और मेरे लिँग ने
उत्तेजित होकर मेरी हाफ़ पेन्ट मे उभार सा बना लिया। मै बस भाभी को ही
देखे जा रहा था शायद भाभी ने भी मेरी हाफ़ पेन्ट मे मेरे लिँग के उभार को
देख लिया था। भाभी ने मुस्कुराते हुवे कहा बोलो क्या पुछना है। मेरी आवाज
नही निकल रही थी इसलिये मैने हाथ के इसारे से किताब मे वो प्रश्न बता
दिया और भाभी मुझे बेड पर बिठा कर समझाने लगी मगर मेरा ध्यान पढने मे कहा
था मै तो बस भाभी को ही देखे जा रहा था और मेरा लिँग तो मेरी हाफ पेन्ट
को फाङ कर बाहर आने को हो रहा था। कुछ देर मे ही भाभी ने वो सवाल हल कर
दिया और कहा समझ आ गया ? मैने छुठ मे ही हाँ कह दिया जबकि मैने तो ठीक से
किताब की तरफ भी नही देखा था मै तो बस भाभी के अँगो को ही देखे जा रहा
था। भाभी ने कहा तो फिर चलो अब मुझे सोना है। भाभी के कमरे से आने को
मेरा दिल तो नही हो रहा था मगर फिर भी मै वहाँ से आ गया और भाभी ने फिर
से दरवाजा बन्द कर लिया।
भाभी के गोरे बदन को देख कर मुझे बहुत मझा आ रहा था और मेरे लिँग ने तो
पानी छोङ छोङ कर मेरे अण्डरवियर को भी गीला कर दिया था मगर अब क्या करे…?
तभी मुझे एक तरीका सुझा और मैने फिर से भाभी के कमरे का दरवाजा बजा दिया
भाभी ने दरवाजा खोल कर मुस्कुराते हुवे पुछा अब क्या हुवा ? मैने कहा
भाभी एक बार फिर से बता दो मुझसे नही हो रहा है और भाभी फिर से मुझे वो
सवाल समझाने लगी मगर मेरा ध्यान तो भाभी पर ही था और वैसे भी मै पढने कहा
आया था मै तो भाभी कि पारदर्शी नाईटी से दिखाई देते उनके अँगो को देखने
आया था और कुछ देर मे ही भाभी ने वो सावाल फिर से हल कर दिया। मुझे फिर
से उनके कमरे से आना पङा।
कुछ देर बाद मैने एक नया सवाल लेकर फिर से भाभी का दरवाजा बजा दिया...
इस बार भाभी दरवाजा खोलकर हँशने लगी और हँशते हुवे कहा फिर से....?
मैने कहा नही ये दुसरा है, शायद भाभी समझ गयी थी की मै बार बार क्यो आ
रहा हुँ इसलिये वो हँशने लगी और हँशते हुवे कहा सारी पढाई आज ही करनी है
क्या..?
मेरे बार बार भाभी का दरवाजा बजाने की आवाज सुनकर पापा अपने कमरे से बाहर
आ गये और पापा के आते ही भाभी दरवाजे के पीछे छुप गयी। पापा ने मुझे
डाटते हुवे कहा क्यो परेशान कर रहा है भाभी को..?
मैने कहा मै तो बस पढने आया था। पापा ने कहा तो फिर बार बार दरवाजा क्यो
बजा रहा है…? मैने बताया कि वो सवाल पुछने के लिये आना पङता है। पापा ने
कहा तुम कल से भाभी के कमरे मे ही बिस्तर क्यो नही लगा लेते हो वो
तुम्हारी खबर भी लेती रहेगी और तुम्हे पढा भी देगी, इतना कह कर पापा वापस
अपने कमरे मे चले गये। भाभी के कमरे मे बिस्तर लगाने कि बात से मुझे बहुत
खुशी हुई क्योकी अब तो रात भर भाभी के साथ ही रहुँगा। पापा के जाते ही मै
अपना सामान भाभी के कमरे मे लाने लगा मगर भाभी ने मना कर दिया और हँशते
हुवे कहा कि अभी रात को रहने दो मै कल तुम्हारा सामान यहाँ ले आउँगी अभी
तो ये बताओ तुम्हे पुछना क्या है?
मैने एक नया सवाल भाभी के सामने रख दिया मगर भाभी ने कहा कि तुम्हे पहले
वाला समझ आ गया ? मैने जल्दी से हाँ कह दिया। भाभी ने मुस्कुराते हुवे
कहा तो ठीक है जरा मुझे पहले वाला करके तो दिखावो....
मै हल करने तो लग गया मगर मुझे आ नही रहा था और आता भी कहा से मैने ठिक
से देखा हि कहा था। भाभी को पता चल गया था कि मुझे वो सवाल नही आ रहा है
और मै बार बार उनके पास किसलिये आ रहा हुँ इसलिये वो जान बुझकर मेरी
खिँचाई कर रही थी। भाभी हँशने लगी और कहा अभी सो जाओ कल पढ लेना। मै चुप
चाप भाभी के कमरे से वापस आ गया और आकर सो गया। मै सोचने लगा कि अब तो
भाभी मुझे अपने कमरे मे कभी नही सुलायेगी और डर भी लग रहा था कि कही भाभी
ये सब मम्मी पापा को ना बता दे।
सुबह मेरी भाभी से बात तक करने कि हिम्मत नही हुई और मै चुप चाप स्कुल
चला गया मगर जब मै स्कुल से वापस घर आया तो देखा कि मेरा सारा सामान
ड्राईँग रुम से गायब था। मैने बाहर जाकर देखा तो भाभी किचन मे खाना बना
रही थी वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी। मैने भाभी के कमरे मे जाकर
देखा तो मेरी खुशी का कोई ठीकाना नही रहा क्योकी मेरा सारा सामान भाभी ने
अपने कमरे मे लगा रखा था मगर मेरा बिस्तर नही था। मेरी भाभी से बात करने
कि हिम्मत तो नही हो रही थी मगर फ़िर भी मै पुछने के लिये भाभी के पास
किचन मे चला गया। भाभी ने बताया कि इतना सामान कमरे मे नही आयेगा तुम
मेरे साथ बेड पर हि सो जाना और वैसे भी डबल बेड है हम दोनो आराम से सो
सकते है। ये बात सुनकर तो मै इतना खुश हुवा जैसे कि मुझे कोइ खजाना मिल
गया हो मगर मैने जाहीर नही किया और रात होने का इँतजार करने लगा। भाभी ने
दिन से ही शलवार कमीज पहन रखा था और रात को भी उसे ही पहनकर सो गयी इसलिय
मुझे कुछ भी देखने को नही मिला उपर से भाभी के इतना नजदिक होने के कारण
मेरा लिँग रात भर उत्तेजित हि रहा जिस कारण मुझे रात भर नीँद भी नही आई।
अगले दिन भाभी ने साडी पहनी इसलिये मै दिन भर ये सोच कर खुश होता रहा कि
शायद भाभी आज रात को सोते समय नाईटी पहनेंगी और मुझे कुछ देखने को मिलेगा
मगर रात को भी भाभी ने कपडे नही बदले बस अपनी साडी को ही उतारा। भाभी ने
साडी को उतार कर मेज पर रख दिया और मुझे पढाने के लिये मेरे पास मुझसे
बिल्कुल सट कर बैठ गयी। नीचे उन्होने काले रंग का पेटीकोट और उपर भी काले
रंग का ही ब्लाउज पहन रखा था जिनके बीच से भाभी का गोरा पेट दिखाई दे रहा
था जिसे देख कर मेरा लिँग उत्तेजित हो गया। मुझे डर लगने लगा कही भाभी को
मेरा उत्तेजित लिँग दिखाई ना दे ज़ाये इसलिये मैने भाभी को मना कर दिया और
कहा कि मुझे कुछ पुछ्ना होगा तो मै आपको बता दुगां आप सो जाओ। भाभी ने
कहा ठिक है और बेड पर जाकर सो गयी मगर सोते समय भाभी का पेटीकोट उनके
घुटनो तक पहुँच गया और भाभी कि दुधियाँ सफेद पिण्डुलियाँ दिखने लगी। मै
पढाई करने लगा मगर मेरा पढाई मे बिल्कुल भी ध्यान नही था मै चोरी निगाहो
से बार बार भाभी को ही देख रहा था। मै ये चाह रहा था कि भाभी का पेटीकोट
थोडा सा और उपर खिशक जाये मगर तभी बिजली चली गयी जिस से कमरे मे अंधेरा
हो गया और मेरा सारा मझा खराब हो गया। अब मै कुछ नही कर सकता था इसलिये
मै बेड पर जाकर सो गया मगर मेरा लिँग अब भी उत्तेजित था जो कि मुझे सोने
नही दे रहा था। मै बार बार करवट बदल रहा था मगर निन्द नही आ रही थी तभी
भाभी ने करवट बदली और वो मेरे बिल्कुल पास आ गयी। अब तो मुझमे भी थोडी सी
हिम्मत आ गयी, मै सोने का नाटक करते हुवे करवट बदल कर भाभी से बिल्कुल
चिपक गया और एक हाथ भाभी के उरोजो पर रख दिया व दुसरे हाथ से अपने लिँग
को सहलाने लगा। भाभी के नर्म उरोज ऐसे लग रहे थे मानो मैने अपना हाथ
मक्ख्न पर रखा हो। मुझे डर लग रहा था कही भाभी जाग ना जाये और मेरा दिल
डर के मारे जोरो धक धक कर रहा था मगर फ़िर भी मै धीर धीरे भाभी के उरोज को
सहलाने लगा। मै पहली बार किसी के उरोज को छु रहा था। भाभी के नर्म मुलायम
उरोजो के अहसास ने मुझे इतना उत्तेजित कर दिया कि मेरा कपडो मे ही रस
खलिल हो गया जिस से मेरा हाथ और कपडे गीले हो गये। मै डर गया कही भाभी को
ये बात पता ना चल जाये इसलिये मै जल्दी से करवट बदल कर सो गया और पता नही
कब मुझे नीन्द आ गयी।
अगले दिन मेरी भाभी से बस एक दो बार ही बात हो पाई कयोकि मेरी मम्मी कि
तबियत खराब थी इसलिये भाभी दिनभर मम्मी के ही पास रही। रात को जब मै पढाई
कर रहा था तो करीब साढे ग्यारह बजे भाभी कमरे मे आई और मुझसे कहने लगी
“तुम्हे पता है ना कल पापा जी, मम्मी को ईलाज के लिये दुसरे शहर जा रहे
है वो शाम तक वापस आयेंगे इसलिये तुम्हे कल स्कुल नही जाना है नही तो मै
घर पर अकेली रह जाउंगी।“
मैने हामी भर दी। घडी मे अलार्म भरते हुवे भाभी ने एक बार फिर से कहा कि
तुम्हे कुछ पुछना है तो पुछलो नही तो मै सो रही हुँ मुझे सुबह जल्दी उठकर
मम्मी पापा के लिये खाना भी बनाना है। मैने मना कर दिया।
भाभी ने कहा तो ठीक तुम एक बार बाहर जाओ मुझे कपङे बदलने है मैने मजाक मे
कह दिया कि ऐसे ही बदल लो ना तो भाभी हशँने लगी और कहा अच्छा जी...आजकल
तुम कुछ ज्यादा ही बदमाश होते जा रहे हो चलो अभी बाहर चलो और मेरा हाथ
पकङ कर मुझे बाहर करके अन्दर से दरवाजा बन्द कर लिया। मै बाहर खङा होकर
इन्तजार करने लगा और जब भाभी ने दरवाजा खोला तो मेरी आँखे फटी की फटी रह
गयी भाभी ने उस दिन वाली ही नाईटी पहन रखी थी जिसमे से उनकी ब्रा,पेन्टी
और पुरा बदन सपस्ट दिखाई दे रहा था। भाभी बेड पर जाकर सो गयी मगर सोते
समय आज भी भाभी कि नाईटी उनके घुटनो तक पहुँच गयी और भाभी कि सँगमरमर सी
सफेद पिण्डुलियाँ दिखने लगी। भाभी उसे ठीक किये बिना ही सो गयी और मै फिर
से पढाई करने लगा मगर मेरा ध्यान अब पढने मे कहाँ था मै तो बस टयुब लाईट
कि सफेद रोशनी मे दमकती भाभी कि दुधियाँ पिण्डुलियो को ही देखे जा रहा था
और मेरे लिँग ने तो पानी छोङ छोङ कर मेरे अण्डरवियर तक को गीला कर दिया
था। मै भगवान से दुवा कर रहा था की भाभी कि नाईटी थोङा और उपर खिसक जाये।
इसी तरह करीब घण्टा भर गुजर गया और फिर तभी भाभी ने करवट बदली जिस से
उनकी नाईटी जाँघो तक पहुँच गयी। शायद भगवान ने मेरी दुवा सुन ली थी। अब
तो मेर लिये अपने आप पर काबु पाना मुश्किल हो गया था। मेरा लिँग अकङ कर
लोहे कि राड कि तरह हो गया था और उसमे तेज दर्द होने लगा था। मै हाथो से
अपने लिँग को मसलने लगा मगर फिर भी मुझे चैन नही मिल रहा था इसलिये मै
जल्दी से बाथरुम गया और हस्तमैथुन किया तब जाकर मुझे कुछ राहत मिली मगर
जब मै वापस आया तो मेरी साँस अटक कर रह गयी क्योकी भाभी अब बिल्कुल सीधी
करवट करके सो रही थी और उनकी नाईटी पेट तक उल्टी हुई थी। भाभी की दुधियाँ
गोरी जाँघे व उनकी लाल रँग की पेन्टी दिखाई दे रही थी। मेरी साँसे फुल
गयी और मेरा लिँग फिर से उत्तेजित हो गया। मै दबे पांव बेड के पास गया और
भाभी की दुधियाँ गोरी जाँघो को देख्ने लगा। मेरा दिल डर के कारण जोरो से
धङक रहा था कि कही भाभी जाग ना जाय मगर फिर भी मै भाभी के बिल्कुल पास
चला गया। अब तो मुझे भाभी कि पेन्टी मे उनकी फुली हुई योनि व योनि कि
फ़ांको के बीच की रेखा का उभार स्पस्ट दिखाइ दे रहा था जिसे देख कर मुझे
बेचैनी सी होने लगी मेरा दिल कर रहा था की मै अभी भाभी कि ये पेन्टी उतार
कर फेंक दूँ और भाभी के शरीर से चिपक जाउँ मगर डर भी लग रहा था मुझे कल
वाला ही तारिका सही लग रहा था इसलिये मैने जल्दी से लाईट बँद कर दी और
भाभी के बगल मे जा कर सो गया। मै खिसक कर भाभी के बिल्कुल पास चला गया और
भाभी कि तरफ करवट बदल कर धीरे से अपना एक पैर भाभी कि जाँघो पर रख दिया
क्योकि अगर भाभी जाग भी जाये तो लगे जैसे कि मै नीन्द मे हुँ और धीर धीर
पैर को उपर कि तरफ ले जाने लगा। मैने हाफ पेन्ट पहन रखी थी और उसे भी
मैने उपर खिँच रखा था इसलिये मेरी भी जाँघे नँगी ही थी और जब मेरी जाँघो
से भाभी कि नर्म मुलायम जाँघो का स्पर्स हो रहा था तो मुझे बहुत आन्नद आ
रहा था। कुछ देर तक मै ऐसे ही करता रहा और भाभी कि तरफ से कोई भी हलचल ना
होने पर मैने अपना एक हाथ भी भाभी कि नर्म मुलायम गोलाइयो पर भी रख दिया
और धीरे धीरे उन्हे सहलाने लगा जिस से मुझे बहुत मझा आ रहा था। मै काफ़ी
देर तक ऐसे ही लगातार करता रहा मगर तभी भाभी हिली तो मेरी डर के मारे
साँस अटक गयी। मैने जल्दी से अपना हाथ भाभी के उरोजो पर से हटा लिया और
सोने का नाटक करने लगा। डर के कारण मेरी तो दिल कि धडकन ही बन्द हो गयी
मगर भाभी के शरीर मे कुछ हलचल सी हुई शायद खुजया होगा और वो फिर से सो
गयी। मै काफी देर तक चुप चाप ऐसे ही पङा रहा मगर मुझे चैन कहा आ रहा था
इसलिये कुछ देर बाद एक बार फिर से हिम्मत करके भाभी के उरोजो पर हाथ रख
दिया मगर मैने जैसे ही भाभी के उरोजो पर हत रखा तो मेरे रोन्गटे खङे हो
गये क्योकि भाभी कि नाईटी के बटन खुले हुवे थे और ब्रा भी उपर हो रखी थी
मेरा हाथ भाभी के अधनन्गे नर्म मुलायम उरोजो को छु रहा था। भाभी के रेशमी
उरोजो के स्पर्श ने मुझे पागल सा कर दिया मुझे डर तो लग रहा था मगर फ़िर
भी मै भाभी के उरोजो पर हाथ को धीरे धीरे फ़िराने लगा। कफ़ी देर तक मै ऐसे
ही भाभी के उरोजो को सहलाता रहा मगर आगे कुछ करने कि मुझ से हिम्मत नही
हो रही थी। उत्तेजना से मेरा तो बुरा हाल हो रहा था और तभी भाभी ने मेरी
तरफ करवट बदल ली और भैया का नाम लेकर मुझसे लिपट गयी। भाभी ने अपनी एक
जाँघ मेरी जाँघ पर चढा दी और एक हाथ से मुझे खीँच कर अपने शरीर से चिपका
लिया। मेरी और भाभी की लम्बाई समान ही थी इसलिये मेरा चेहरा भाभी के
चेहरे को स्पर्श कर रहा था और भाभी कि गर्म साँसे मेरी साँसो मे समाने
लगी। मेरे लिये ये पहला अवसर था कि मै किसी औरत के इतने करीब था। भाभी के
उरोज मेरे सीने से दब रहे थे और मेरा लिँग बिल्कुल भाभी कि योनि को छु
रहा था। मै ये सोचने लगा कि भाभी कही जाग तो नही रही और वो भैया का बहाना
करके ये सब कर रही हो और ये भी हो सकता है भाभी सपनो मे कर रही हो मगर
कुछ भी हो मुझे तो बहुत मझा आ रहा था। अब तो उत्तेजना से मै पागल हो रहा
था।
एक बाए फ़िर से भाभी ने आह… भरते हुवे भैया का नाम लिया और मुझे बाहो मे
भर कर सीधी करवट बदलते हुवे मुझे अपने उपर खिंच लिया। अब मै भाभी के उपर
पहुंच गया था और मेर शरीर भाभी के मखमल कि तरह मुलायम शरीर को स्पर्श कर
रहा था। भाभी के नर्म और मुलायम उरोज मेरे सीने से दब रहे थे और मेरे
लिँग को भाभी सुलगती योनि कि गर्माहट महशुस हो रही थी। मै इतना उत्तेजित
हो गया कि भाभी के शरीर के स्पर्श से ही मेरा रशखलित हो गया और मेरा लिँग
ढेर सारा वीर्य उगलने लगा जिसने मेरे कपडो के साथ साथ भाभी कि भी पेन्टी
को भी गीला कर दिया और तभी अलार्म घडी बजने लगी। मै जल्दी से भाभी के उपर
से उतर गया और सोने का नाटक करने लगा। भाभी अलार्म को बन्द करके जल्दी से
उठ कर खङी हो गयी। मैने थोङी सी आँखे खोलकर देखा तो भाभी कपङे बदल रही
थी कमरे की लाईट बन्द थी मगर कम पावर का बल्ब जल रहा था जिसकी रोशनी मे
मै बिल्कुल साफ से तो नही मगर फिर भी भाभी को कपङे बदलते देख सकता था।
भाभी कपङे बदल कर कमरे से बाहर चली गयी और मै ऐसे ही लेटा रहा। मुझे डर
लग रहा था की कही भाभी मेरी शिकायत मम्मी पापा से ना कर दे और यही सोचते
सोचत पता नही कब मुझे नीन्द आ गयी। दिन के करीब बारह बजे भाभी ने मुझे
जगाया और कहा अब क्या सारा दिन ही सोते रहोगे...?
रात को तो ना तुम खुद सोते हो और ना ही मुझे सोने देते हो। तभी मुझे रात
की घटना याद आने लगी मैने भाभी कि तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रही थी। मैने
डर और शर्म के कारण गर्दन झुका ली। भाभी ने मुझे डाटते हुवे कहा रात को
अपने कपङो के साथ साथ मेरे कपङे भी गन्दे कर दिये तभी मैने अपनी हाफ
पेन्ट कि तरफ देखा तो उस पर मेरे वीर्य का दाग लगा हुवा था जो की सुख कर
सख्त हो गया था। भाभी ने फिर से हँशते हुवे कहा अभी देख क्या रहे हो चलो
अभी नहा लो मै खाना बना देती हुँ। मै बुरी तरह से डर रहा था इसलिये बीना
कुछ बोले चुप चाप नहाने चला गया, और फिर खाना खा कर ड्राईँग रुम मे जाकर
लेट गया। रात भर नही सोने के कारण मुझे फिर से नीँद आ गयी मगर कुछ देर
बाद ही मेरी नीँद खुल गयी और जब मैने आँखे खोली तो मेरी आँखे खुली की
खुली रह गयी क्योकि भाभी मात्र ब्लाउज और पेटीकोट मे ही मेरी बगल मे सो
रही थी। भाभी के ब्लाउज के भी बटन खुले हुवे थे और नीचे उन्होने ब्रा भी
नही पहन रखी थी जिससे उनके आधे से भी ज्यादा दुधिया सफेद उरोज नजर आ रहे
थे जिन्हे देखते ही मेरा लिँग उत्तेजित हो गया। मै समझ गया कि शायद भाभी
भी मुझसे ये सब करना चाहती तभी तो वो मेरे पास इन कपङो मे आकर सोई है। ये
बात मेरे दिमाग मे आते ही मेरी ना जाने मुझमे कहा से इतनी हीम्मत आ गयी
की मैने भाभी के ब्लाउज के बचे हुवे बटन भी खोल दिये और बटन के खुलते ही
भाभी के उरोज स्वतः ही बाहर आ गये मानो दो सफेद कबुतर पिँजरे से आजाद
हुवे हो। मै पहली बार किसी के नग्न उरोज देख रहा था इसलिये मै उन्हे बङे
ध्याने से देखने लगा। भाभी के दुधियाँ उरोज और उन पर छोटे से गुलाबी
निप्पल ऐसे लग रहे थे जैसे की सफेद आईस-क्रीम पर सट्राबेरी रखी हो।
आईस-क्रीम को देखते ही जैसे किसी छोटे बच्चे के मुँह मे पानी आ जाता है
वैसे ही भाभी के आईस-क्रीम रुपी उरोजो को देख कर मेरे मुँह मे भी पानी भर
आया। मुझे सेक्स के बारे मे इतना कुछ पता तो नही था मगर फिर भी भाभी के
उरोज मुझे इतने अच्छे लगे की मै एक निप्पल को अपने मुँह मे भर कर चुसने
लगा और साथ ही दुसरे उरोज को एक हाथ से धीरे धीरे सहलाने लगा। उनके नग्न
उरोज का स्पर्श रेशम कि तरह मुलायम और आन्न्द भरा था। भाभी ने आँखे बन्द
कर रखी थी और ना ही वो कुछ बोल रही थी मगर फिर भी उनके चेहरे की भाव
भँगिमाओ को देख कर पता चल रहा था कि उन्हे भी आन्नद आ रहा है। जब मै उनके
उरोज को जोर से मसलता तो दर्द के कारण भाभी के होठ थोङा भिच जाते और जब
हल्के से सहलाता तो उनका मुख आन्नद से आह भरने के लिये खुल जाता। मै भाभी
के निप्पल को लगातर चुस रहा था उस मे से कोइ रस तो नही आ रहा था मगर मेरे
मुँह मे एक चिकनाहट सी घुल गयी और मुझ पर उत्तेजना का एक खुमार सा छा
गया। मेरा लिँग तो अकङ कर लोहे सा सख्त हो गया था जिसमे से पानी निकल
निकल कर मेर अण्डरवियर को भी गीला करने लगा था। अपने आप ही मेरा एक हाथ
भाभी के चिकने पेट पर से फिसलता हुवा उन्के सँधि स्थल पर जा पहुँचा। भाभी
ने निचे भी पेन्टी नही पहन रखी इसलिये मै पेटीकोट के उपर से ही भाभी कि
उभरी हुई योनि कि बनावट को महसुस कर रहा था। जब मेरा हाथ भाभी कि योनि को
सहलाता हुवा थोङा निचे योनि द्वार पर लगा तो मुझे कुछ गीलापन सा महसुस
हुवा शायद भाभी कि योनि से भी उत्तेजना के कारण पानी रीस रहा था। अब तो
मेरे लिये अपने आप पर काबु पाना मुश्किल हो गया था मेरे दिल मे जल्दी से
भाभी कि योनि को देखने कि चाहत हो रही थी इसलिये मैने भाभी के पेटीकोट को
पेट तक पलट दिया जिस से भाभी नीचे से बिल्कुल नग्न हो गयी और उनकी
सँगमरमर सी सफेद और केले के तने से भी चिकनी जाँघे व फुली हुई योनि दिखने
लगी मगर तभी भाभी ने जल्दी से अपने दोनो घुटने मोङ कर योनि को छुपा लिया।
भाभी ने अब भी आँखे बन्द कर रखी थी, शायद मेरे ऐसा करने पर भाभी को शर्म
आ रही थी। मै भाभी के घुटनो को दबा कर उन्हे फीर से सीधा करने लगा और
मेरे दबाने पर भाभी ने घुटनो को तो सीधा कर लिया मगर दोनो जाँघो को बन्द
करके रखा। अब भाभी की दुधियाँ गोरी जाँघे व जाँघो के बीच उनकी फुली हुई
बालो रहीत योनि मेरे सामने थी जिसके भाभी ने शायद आज ही बाल साफ किये थे।
मैने आज पहली बार किसी कि योनि को देखा था, दोनो जाँघो के बीच उभरी हुई
छोटी सी योनि और गुलाबी रँगत लिय हुवे योनि कि दरार ऐसी लग रही थी मानो
पांव (डबलरोटी) को बीचोबीच चाकु से काटकर उसमे सिँदुर से लाईन खीँच रखी
हो और योनि कि दोनो फाँको के बीच हल्का सा दिखाइ देता दाना तो ऐसा लग रहा
था मानो भाभी की योनि अपनी जिभ निकाल कर मुझे चिढा रही हो। मै भाभी कि
गोरी जाँघो को चुमने लगा तभी भाभी ने मेरे सर के बालो को पकङ कर मुझे
अपने उपर खिँच लिया मै भी खिँचता हुवा भाभी के उपर पहँच गया और जल्दी से
अपना अण्डरवियर व हाफ पेन्ट निकाल कर भाभी के उपर लेट गया। मेरे सामने
फिर से ये समस्या थी कि अब क्या करु क्योकि मुझे सेक्स करना तो आता नही
था। मै ऐसे ही भाभी के उपर लेटा रहा मुझे कुछ करना तो आ नही रहा था
इसलिये मै ऐसे ही अपने शरीर को आगे पीछे करने लगा जिस से भी मुझे बङा सुख
मिल रहा था और मेरे लिँग ने पानी छोङ छोङ कर भाभी के पुरे योनि छेत्र को
गीला कर दिया था क्योकि मेरा शरीर भाभी के नर्म मुलायम व गर्म शरीर का
स्पर्श पा रहा था और मेरा लिँग भाभी की आग कि तरह धधकती योनि पर रगड खा
रहा था। मेरा लिँग भाभी कि योनि पर तो था मगर प्रवेश द्वार से दुर था और
मुझे तो पता भी नही था की योनि मे प्रवेश द्वार कहा पर होता है क्योकि
मैने तो आज पहली बार योनि को देखा था। एक बार फिर से भाभी ने हिम्मत
दिखाई और मुझे थोङा सा पीछे धकेल कर एक हाथ से मेरे लिँग को पकङ कर योनि
के प्रवेश द्वार पर लगा लिया और दुसरे हाथ से मेरे कुल्हो पर दबाव डालने
लगी, अब तो मै भी समझ गया था कि मुझे आगे क्या करना है इसलिये मैने भी
कमर का थोङा सा दबाव डाला तो भाभी के मुहँ से एक जोरदार मीठी आह्……निकली
और एक झटके मे ही मेरा आधे से ज्यादा लिँग भाभी की योनि मे समा गया
क्योकि मेरे लिँग और भाभी कि योनि पानी निकलने के कारण इतने चिकने हो गये
थे कि आसानी से मेरा लिँग योनि मे चला गया। भाभी कि योनि मे मेरे लिँग का
अहसास सख्त चिकनाहट भरा और इतना गर्म था मानो मेरा लिँग किसी गर्म आग कि
भट्टी मे समा गया हो। भाभी ने प्यार से मेरे गाल को चुम लिया और मुझे
अपनी दोनो बाँहो मे भर लिया मगर भाभी ने अब भी आँखे बँद कर रखी थी। मै
धीरे धीरे अपनी कमर को आगे पीछे हिलाने लगा। भाभी ने भी मेरा साथ दने के
लिये मेरे पैरो मे अपने पैर फँसा लिये और अपने कुल्हे उचका उचका कर
सिसकियाँ भरने लगी। मेरा भी जोश दोगुना हो गया इसलिये मैने अपनी गति बढा
दी और साथ ही भाभी के गालो पर चुम्बन भी करने लगा मगर भाभी ने मेरे सर को
पकङ लिया और मेरे होठो को मुहँ मे भर कर जोर जोर से चुसने लगी। मै भी
भाभी एक होठ को मुहँ मे भर कर चुसने लगा तभी भाभी ने मेरी जिभ को अपने
मुहँ मे खीँच लिया और चुसने लगी इस से मुझे थोङा दर्द हो रहा था मगर कुछ
देर बाद भाभी ने मेरी जिभ को छोङ दिया और अपनी जिभ मेरे मुँह मे दे दी मै
भी उसे चुसने लगा मुझे इतना मझा आ रहा था कि उस आन्नद को बयान करने के
लिये मेरे पास शब्द ही नही है। ये मेरा पहला चुम्बन था। मै और अधिक तेजी
से धक्के लगाने लगा। भाभी भी जोर जोर से आहे भरते हुवे जल्दी जल्दी अपनी
कमर को उचकाने लगी और साथ मे ही कभी मेरे गालो को तो कभी मेरे होठो को
चुशने लगी। मेरी व भाभी कि साँसे फुलने लगी थी भाभी के चेहरे पर तो पसीने
कि बुन्दे भी उभर आई थी। मेरे लिये सहवाश का ये पहला अवशर था इसलिये मै
इतना अधीक उत्तेजित हो गया कि कुछ देर मे ही मै चर्म पर पहुँच गया मैने
भाभी शरीर को कश कर पकङ लिया और मेरा लिँग भाभी कि योनि मे वीर्य उगलने
लगा तभी भाभी ने भी ईईइइइशशश.....
अआआआहहहः.....
ईईइइइशशशश......
अआआआहहहः....
करते हुवे मेरे कुल्हो को अपनी दोनो जाँघो के बीच और मेरी पीठ को दोनो
हाथो से भीँच लिया और मुझसे चिपट गयी। भाभी का भी रश खलित हो गया था। काम
हो जाने के बाद मै भाभी के उपर ऐसे ही पङा रहा तो भाभी ने मुझे धकेल कर
अपने उपर से उतार दिया। मै भी उतर कर भाभी के बगल मे लेट गया। अब सब कुछ
शाँत हो गया था मगर हम दोनो कि साँसे अब भी उखङी हुई थी। भाभी सामान्य
होने पर अपने कपङे ठीक करके बाहर चली गयी मगर मै ऐसे ही पङा रहा। कुछ देर
बाद भाभी चाय का कप लेकर मेरे पास आई और मुझे देख कर हँशने लगी क्योकि मै
अब भी नँगा हि पङा हुवा था और तभी दरवाजे की घण्टी बजी शायद मम्मी पापा आ
गये थे। मै उठ कर जल्दि से अपने कपङे पहनने लगा और भाभी चाय का कप मेरे
पास रख कर दरवाजा खोलने चली गयी। मम्मी पापा आ गये थे इसलिये भाभी उनके
पास चली गयी और मै चाय पीने लगा। उसके बाद मेरी और भाभी कि कोई बात नही
हुई मगर मेरा जब भी भाभी से सामना होता तो भाभी मुझे देख कर मुस्कुराने
लगती और मै भी भाभी की मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराहट से देता।
ये कहानी आपको कैसी लगी मुझे मेल करना chutpharr@gmail.com
आपको बता देना चाहता हुँ की मेरी सभी कहानियाँ काल्पनिक है जिनका किसी से
भी कोई सम्बन्ध नही है अगर होता भी है तो ये मात्र सँयोग ही होगा। ये
कहानी मेरे पहले सेक्स अनुभव कि है। यह मेरी और मेरी प्यारी पायल भाभी की
कहानी है।
चलो अब मै कहानी पर आता हुँ। बात उस समय की है जब मै ग्याहरवी मे पढता था
उस समय मै बहुत डरपोक और शर्मीला लडका था। शादी मे जब मैने पहली बार भाभी
को दुल्हन के रुप मे देखा तो बस देखता ही रह गया था वो दुल्हन के लिबास
मे स्वर्ग की किसी अप्सरा से कम नही लग रही थी बिल्कुल दुध जैसा सफेद
रँग, गोल चेहरा, सुर्ख गुलाबी पतले पतले होठ, बङी बङी काली आँखे, पतली और
लम्बी सुराहीदार गर्दन, काले घने लम्बे बाल, बङे बङे सख्त उरोज, पतली
कमर, गहरी नाभी, पुष्ठ और भरे हुवे बङे बङे नितम्ब हालांकी उस समय मुझे
सेक्स के बारे मे कुछ नही पता था मगर फ़िर भी भाभी मुझे बहुत अच्छी लगी।
भाभी ने आते ही सारे घर कि जिम्मेदारी सम्भाल ली। भाभी सारा दिन घर के
कामो मे व्यस्त रहती और जब कभी समय मिलता तो मेरी पढने मे भी सहायत करती
थी। भाभी ने बी एस सी कर रखी थी इसलिये मै भी पढाई मे कोई दिक्कत आने पर
भाभी से पुछ लेता था। स्कुल से आने के बाद मै भी भाभी कि घर के कामो मे
हाथ बटा देता था मगर भाभी मना करती थी और कहती कि तुम बस पढाई करो ये सब
तो मै अपने आप कर लुंगी। मेरे भैया चाहते थे कि मै आर्मी मे आफीशर बनु और
ये बात उन्होने भाभी को भी बता रखी थी। इसलिये भाभी हमेशा मुझे पढने के
लिये बोलती थी और मै भी पढने मे काफ़ी तेज था हमेशा स्कुल मे अव्व्ल आता
था।
समय के साथ साथ मै और भाभी एक दुसरे से बिल्कुल खुल गये थे अब तो हम एक
दुसरे से हँशी मज़ाक भी कर लेते थे मगर अभी तक मैने भाभी के बारे मे गलत
नही सोचा था और वैसे भी सेक्स के बारे मे मुझे इतना कुछ पता भी नही था
मगर मेरे एक दो दोस्त थे जो कि सेक्स के बारे मे बहुत कुछ जानते थे
उन्होने तो लडकियो के साथ सेक्स भी कर रखा था। उन्होने ही मुझे पहली बार
औरत कि अश्लिल और नन्गी तस्वीर दिखाई थी और हस्तमैथुन करना भी सिखाया था।
एक बार स्कुल से आते समय हम सारे दोस्त सेक्स के बारे मे बाते कर रहे थे
कि तभी मेरे एक दोस्त ने मुझसे कहा कि तु तो ऐसे ही घुम रहा है जबकि तेरे
तो घर मे ही जबरदस्त माल है। मैने कहा कि कैसे ? तो वो बोला कि तेरी भाभी
है ना…। और वैसे भी तेरे भैया आर्मी मे है जो कि बहुत कम ही तेरी भाभी के
साथ रहते है तेरे भैया के जाने के बाद तेरी भाभी का दिल भी तो सेक्स के
लिये करता होगा…। और मेरे सारे दोस्त हँसने लगे।
उस समय तो मैने उन्की बातो को मजाक मे उडा दिया मगर एक दिन कुछ ऐसा हुवा
की मेरा भाभी के प्रती नजरिया ही बदल गया। उस दिन मै और भाभी ऐसे ही बाते
कर रहे थे और बीच बिच मे एक दुसरे से मजाक भी कर रहे थे कि तभी भाभी ने
मेरी बगल मे गुदगुदी कर दी और हँशने लगी, मै भी भाभी को गुदगुदी करना
चाहता था इसलिये मैने भाभी को बेड पर गिरा दिया और दोनो हाथो से उनकी कमर
मे गुदगुदी करने लगा। भाभी हँश हँश कर दोहरी हो गयी और उन्होने अपने दोनो
घुटने मोड लिये जिस से उनकी साडी और पेटीकोट कमर तक उलट गये और उनकी दुध
सी गोरी जाँघे और काले रन्ग कि पेन्टी दिखने लगी जिसे देखते ही मेरा रोम
रोम मे एक तुफ़ान सा उठने लगा और मेरा लिँग उत्तेजित हो गया। भाभी जल्दी
से अपने कपडे ठीक करके हँशते हुवे कहने लगी तुम बहुत शरारती हो गये हो और
उठ कर कमरे से बाहर चली गयी। भाभी जा चुकी थी मगर मुझे तो जैसे सांप
सुन्घ गया था मेरे सामने अब भी भाभी कि नँगी गोरी जाँघे और उनकी काली
पेन्टी घुम रही थी। कुछ देर बाद भाभी खाने कि प्लेट लेकर कमरे मे आई और
मुस्कुराते हुवे कहा चलो खाना खा लो और खाने कि प्लेट को बेड पर रख कर
मेरे पास ही बैठ गइ। मै चुप चाप उठ कर खाना खाने लगा मगर मेरा लिँग अब भी
उत्तेजित था जो की मेरी हाफ़ पेन्ट मे उभरा हुवा स्पस्ट दिखाई दे रहा था
जिसे मै बार बार दबा कर भाभी से छुपाने कि कोशिस कर रहा था। शायद भाभी को
भी मेरी हालत का अहसास हो गया था इसलिये भाभी ने हँशते हुवे कहा कि कुछ
चाहिये तो आवाज दे देना मै कीचन मे जा रही हुँ। मुझे रह रह कर उस दिन
वाली मेरे दोस्तो कि बाते याद आने लगी और वो सही भी कह रहे थे। इस घटना
ने मेरा सबकुछ बदल कर रख दिया। अब मै भाभी को वाशना की नजरो से देखने लगा
और भाभी के अधिक से अधिक पास रहने की कोशिस करता रहता। इसका अहसास शायद
भाभी को भी हो गया था मगर भाभी कुछ नही कहती थी।
हमारे घर मे दो ही कमरे है जिसमे से एक कमरे मे मम्मी पापा रहते है और
दुसरे कमरा भाभी का है, मैने ड्राईँग रुम ही अपना बिस्तर लगा रखा है और
वही पढाई करता हुँ। एक बार रात को पढते समय गणित का एक प्रशन मुझसे हल
नही हो रहा था इसलिय पुछ्ने के लिये मै भाभी के पास चला गया और भाभी के
कमरे का दरवाजा बजा कर उनको बताया मगर भाभी ने दरवाजा नही खोला और कहा की
अभी मै सो रही हुँ कल बता दुँगी। मै वापस आ कर फिर से अपनी पढाई करने लगा
मगर कुछ देर बाद भाभी ने पता नही क्या सोचकर दरवाजा खोल दिया और कमरे से
ही आवाज देकर मुझे बुला लिया। मै कमरे मे गया तो देखा कि भाभी ने काले
रँग की पतली सी एक नाईटी पहनी हुई थी जिसमे से उनकी नीले रँग कि ब्रा और
पेन्टी यहाँ तक की ट्युब लाईट कि रोशनी मे उनका दुधियाँ गोरा बदन स्पस्ट
दिखाइ दे रहा था जिसे देखकर मेरी हालत पतली होने लगी और मेरे लिँग ने
उत्तेजित होकर मेरी हाफ़ पेन्ट मे उभार सा बना लिया। मै बस भाभी को ही
देखे जा रहा था शायद भाभी ने भी मेरी हाफ़ पेन्ट मे मेरे लिँग के उभार को
देख लिया था। भाभी ने मुस्कुराते हुवे कहा बोलो क्या पुछना है। मेरी आवाज
नही निकल रही थी इसलिये मैने हाथ के इसारे से किताब मे वो प्रश्न बता
दिया और भाभी मुझे बेड पर बिठा कर समझाने लगी मगर मेरा ध्यान पढने मे कहा
था मै तो बस भाभी को ही देखे जा रहा था और मेरा लिँग तो मेरी हाफ पेन्ट
को फाङ कर बाहर आने को हो रहा था। कुछ देर मे ही भाभी ने वो सवाल हल कर
दिया और कहा समझ आ गया ? मैने छुठ मे ही हाँ कह दिया जबकि मैने तो ठीक से
किताब की तरफ भी नही देखा था मै तो बस भाभी के अँगो को ही देखे जा रहा
था। भाभी ने कहा तो फिर चलो अब मुझे सोना है। भाभी के कमरे से आने को
मेरा दिल तो नही हो रहा था मगर फिर भी मै वहाँ से आ गया और भाभी ने फिर
से दरवाजा बन्द कर लिया।
भाभी के गोरे बदन को देख कर मुझे बहुत मझा आ रहा था और मेरे लिँग ने तो
पानी छोङ छोङ कर मेरे अण्डरवियर को भी गीला कर दिया था मगर अब क्या करे…?
तभी मुझे एक तरीका सुझा और मैने फिर से भाभी के कमरे का दरवाजा बजा दिया
भाभी ने दरवाजा खोल कर मुस्कुराते हुवे पुछा अब क्या हुवा ? मैने कहा
भाभी एक बार फिर से बता दो मुझसे नही हो रहा है और भाभी फिर से मुझे वो
सवाल समझाने लगी मगर मेरा ध्यान तो भाभी पर ही था और वैसे भी मै पढने कहा
आया था मै तो भाभी कि पारदर्शी नाईटी से दिखाई देते उनके अँगो को देखने
आया था और कुछ देर मे ही भाभी ने वो सावाल फिर से हल कर दिया। मुझे फिर
से उनके कमरे से आना पङा।
कुछ देर बाद मैने एक नया सवाल लेकर फिर से भाभी का दरवाजा बजा दिया...
इस बार भाभी दरवाजा खोलकर हँशने लगी और हँशते हुवे कहा फिर से....?
मैने कहा नही ये दुसरा है, शायद भाभी समझ गयी थी की मै बार बार क्यो आ
रहा हुँ इसलिये वो हँशने लगी और हँशते हुवे कहा सारी पढाई आज ही करनी है
क्या..?
मेरे बार बार भाभी का दरवाजा बजाने की आवाज सुनकर पापा अपने कमरे से बाहर
आ गये और पापा के आते ही भाभी दरवाजे के पीछे छुप गयी। पापा ने मुझे
डाटते हुवे कहा क्यो परेशान कर रहा है भाभी को..?
मैने कहा मै तो बस पढने आया था। पापा ने कहा तो फिर बार बार दरवाजा क्यो
बजा रहा है…? मैने बताया कि वो सवाल पुछने के लिये आना पङता है। पापा ने
कहा तुम कल से भाभी के कमरे मे ही बिस्तर क्यो नही लगा लेते हो वो
तुम्हारी खबर भी लेती रहेगी और तुम्हे पढा भी देगी, इतना कह कर पापा वापस
अपने कमरे मे चले गये। भाभी के कमरे मे बिस्तर लगाने कि बात से मुझे बहुत
खुशी हुई क्योकी अब तो रात भर भाभी के साथ ही रहुँगा। पापा के जाते ही मै
अपना सामान भाभी के कमरे मे लाने लगा मगर भाभी ने मना कर दिया और हँशते
हुवे कहा कि अभी रात को रहने दो मै कल तुम्हारा सामान यहाँ ले आउँगी अभी
तो ये बताओ तुम्हे पुछना क्या है?
मैने एक नया सवाल भाभी के सामने रख दिया मगर भाभी ने कहा कि तुम्हे पहले
वाला समझ आ गया ? मैने जल्दी से हाँ कह दिया। भाभी ने मुस्कुराते हुवे
कहा तो ठीक है जरा मुझे पहले वाला करके तो दिखावो....
मै हल करने तो लग गया मगर मुझे आ नही रहा था और आता भी कहा से मैने ठिक
से देखा हि कहा था। भाभी को पता चल गया था कि मुझे वो सवाल नही आ रहा है
और मै बार बार उनके पास किसलिये आ रहा हुँ इसलिये वो जान बुझकर मेरी
खिँचाई कर रही थी। भाभी हँशने लगी और कहा अभी सो जाओ कल पढ लेना। मै चुप
चाप भाभी के कमरे से वापस आ गया और आकर सो गया। मै सोचने लगा कि अब तो
भाभी मुझे अपने कमरे मे कभी नही सुलायेगी और डर भी लग रहा था कि कही भाभी
ये सब मम्मी पापा को ना बता दे।
सुबह मेरी भाभी से बात तक करने कि हिम्मत नही हुई और मै चुप चाप स्कुल
चला गया मगर जब मै स्कुल से वापस घर आया तो देखा कि मेरा सारा सामान
ड्राईँग रुम से गायब था। मैने बाहर जाकर देखा तो भाभी किचन मे खाना बना
रही थी वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी। मैने भाभी के कमरे मे जाकर
देखा तो मेरी खुशी का कोई ठीकाना नही रहा क्योकी मेरा सारा सामान भाभी ने
अपने कमरे मे लगा रखा था मगर मेरा बिस्तर नही था। मेरी भाभी से बात करने
कि हिम्मत तो नही हो रही थी मगर फ़िर भी मै पुछने के लिये भाभी के पास
किचन मे चला गया। भाभी ने बताया कि इतना सामान कमरे मे नही आयेगा तुम
मेरे साथ बेड पर हि सो जाना और वैसे भी डबल बेड है हम दोनो आराम से सो
सकते है। ये बात सुनकर तो मै इतना खुश हुवा जैसे कि मुझे कोइ खजाना मिल
गया हो मगर मैने जाहीर नही किया और रात होने का इँतजार करने लगा। भाभी ने
दिन से ही शलवार कमीज पहन रखा था और रात को भी उसे ही पहनकर सो गयी इसलिय
मुझे कुछ भी देखने को नही मिला उपर से भाभी के इतना नजदिक होने के कारण
मेरा लिँग रात भर उत्तेजित हि रहा जिस कारण मुझे रात भर नीँद भी नही आई।
अगले दिन भाभी ने साडी पहनी इसलिये मै दिन भर ये सोच कर खुश होता रहा कि
शायद भाभी आज रात को सोते समय नाईटी पहनेंगी और मुझे कुछ देखने को मिलेगा
मगर रात को भी भाभी ने कपडे नही बदले बस अपनी साडी को ही उतारा। भाभी ने
साडी को उतार कर मेज पर रख दिया और मुझे पढाने के लिये मेरे पास मुझसे
बिल्कुल सट कर बैठ गयी। नीचे उन्होने काले रंग का पेटीकोट और उपर भी काले
रंग का ही ब्लाउज पहन रखा था जिनके बीच से भाभी का गोरा पेट दिखाई दे रहा
था जिसे देख कर मेरा लिँग उत्तेजित हो गया। मुझे डर लगने लगा कही भाभी को
मेरा उत्तेजित लिँग दिखाई ना दे ज़ाये इसलिये मैने भाभी को मना कर दिया और
कहा कि मुझे कुछ पुछ्ना होगा तो मै आपको बता दुगां आप सो जाओ। भाभी ने
कहा ठिक है और बेड पर जाकर सो गयी मगर सोते समय भाभी का पेटीकोट उनके
घुटनो तक पहुँच गया और भाभी कि दुधियाँ सफेद पिण्डुलियाँ दिखने लगी। मै
पढाई करने लगा मगर मेरा पढाई मे बिल्कुल भी ध्यान नही था मै चोरी निगाहो
से बार बार भाभी को ही देख रहा था। मै ये चाह रहा था कि भाभी का पेटीकोट
थोडा सा और उपर खिशक जाये मगर तभी बिजली चली गयी जिस से कमरे मे अंधेरा
हो गया और मेरा सारा मझा खराब हो गया। अब मै कुछ नही कर सकता था इसलिये
मै बेड पर जाकर सो गया मगर मेरा लिँग अब भी उत्तेजित था जो कि मुझे सोने
नही दे रहा था। मै बार बार करवट बदल रहा था मगर निन्द नही आ रही थी तभी
भाभी ने करवट बदली और वो मेरे बिल्कुल पास आ गयी। अब तो मुझमे भी थोडी सी
हिम्मत आ गयी, मै सोने का नाटक करते हुवे करवट बदल कर भाभी से बिल्कुल
चिपक गया और एक हाथ भाभी के उरोजो पर रख दिया व दुसरे हाथ से अपने लिँग
को सहलाने लगा। भाभी के नर्म उरोज ऐसे लग रहे थे मानो मैने अपना हाथ
मक्ख्न पर रखा हो। मुझे डर लग रहा था कही भाभी जाग ना जाये और मेरा दिल
डर के मारे जोरो धक धक कर रहा था मगर फ़िर भी मै धीर धीरे भाभी के उरोज को
सहलाने लगा। मै पहली बार किसी के उरोज को छु रहा था। भाभी के नर्म मुलायम
उरोजो के अहसास ने मुझे इतना उत्तेजित कर दिया कि मेरा कपडो मे ही रस
खलिल हो गया जिस से मेरा हाथ और कपडे गीले हो गये। मै डर गया कही भाभी को
ये बात पता ना चल जाये इसलिये मै जल्दी से करवट बदल कर सो गया और पता नही
कब मुझे नीन्द आ गयी।
अगले दिन मेरी भाभी से बस एक दो बार ही बात हो पाई कयोकि मेरी मम्मी कि
तबियत खराब थी इसलिये भाभी दिनभर मम्मी के ही पास रही। रात को जब मै पढाई
कर रहा था तो करीब साढे ग्यारह बजे भाभी कमरे मे आई और मुझसे कहने लगी
“तुम्हे पता है ना कल पापा जी, मम्मी को ईलाज के लिये दुसरे शहर जा रहे
है वो शाम तक वापस आयेंगे इसलिये तुम्हे कल स्कुल नही जाना है नही तो मै
घर पर अकेली रह जाउंगी।“
मैने हामी भर दी। घडी मे अलार्म भरते हुवे भाभी ने एक बार फिर से कहा कि
तुम्हे कुछ पुछना है तो पुछलो नही तो मै सो रही हुँ मुझे सुबह जल्दी उठकर
मम्मी पापा के लिये खाना भी बनाना है। मैने मना कर दिया।
भाभी ने कहा तो ठीक तुम एक बार बाहर जाओ मुझे कपङे बदलने है मैने मजाक मे
कह दिया कि ऐसे ही बदल लो ना तो भाभी हशँने लगी और कहा अच्छा जी...आजकल
तुम कुछ ज्यादा ही बदमाश होते जा रहे हो चलो अभी बाहर चलो और मेरा हाथ
पकङ कर मुझे बाहर करके अन्दर से दरवाजा बन्द कर लिया। मै बाहर खङा होकर
इन्तजार करने लगा और जब भाभी ने दरवाजा खोला तो मेरी आँखे फटी की फटी रह
गयी भाभी ने उस दिन वाली ही नाईटी पहन रखी थी जिसमे से उनकी ब्रा,पेन्टी
और पुरा बदन सपस्ट दिखाई दे रहा था। भाभी बेड पर जाकर सो गयी मगर सोते
समय आज भी भाभी कि नाईटी उनके घुटनो तक पहुँच गयी और भाभी कि सँगमरमर सी
सफेद पिण्डुलियाँ दिखने लगी। भाभी उसे ठीक किये बिना ही सो गयी और मै फिर
से पढाई करने लगा मगर मेरा ध्यान अब पढने मे कहाँ था मै तो बस टयुब लाईट
कि सफेद रोशनी मे दमकती भाभी कि दुधियाँ पिण्डुलियो को ही देखे जा रहा था
और मेरे लिँग ने तो पानी छोङ छोङ कर मेरे अण्डरवियर तक को गीला कर दिया
था। मै भगवान से दुवा कर रहा था की भाभी कि नाईटी थोङा और उपर खिसक जाये।
इसी तरह करीब घण्टा भर गुजर गया और फिर तभी भाभी ने करवट बदली जिस से
उनकी नाईटी जाँघो तक पहुँच गयी। शायद भगवान ने मेरी दुवा सुन ली थी। अब
तो मेर लिये अपने आप पर काबु पाना मुश्किल हो गया था। मेरा लिँग अकङ कर
लोहे कि राड कि तरह हो गया था और उसमे तेज दर्द होने लगा था। मै हाथो से
अपने लिँग को मसलने लगा मगर फिर भी मुझे चैन नही मिल रहा था इसलिये मै
जल्दी से बाथरुम गया और हस्तमैथुन किया तब जाकर मुझे कुछ राहत मिली मगर
जब मै वापस आया तो मेरी साँस अटक कर रह गयी क्योकी भाभी अब बिल्कुल सीधी
करवट करके सो रही थी और उनकी नाईटी पेट तक उल्टी हुई थी। भाभी की दुधियाँ
गोरी जाँघे व उनकी लाल रँग की पेन्टी दिखाई दे रही थी। मेरी साँसे फुल
गयी और मेरा लिँग फिर से उत्तेजित हो गया। मै दबे पांव बेड के पास गया और
भाभी की दुधियाँ गोरी जाँघो को देख्ने लगा। मेरा दिल डर के कारण जोरो से
धङक रहा था कि कही भाभी जाग ना जाय मगर फिर भी मै भाभी के बिल्कुल पास
चला गया। अब तो मुझे भाभी कि पेन्टी मे उनकी फुली हुई योनि व योनि कि
फ़ांको के बीच की रेखा का उभार स्पस्ट दिखाइ दे रहा था जिसे देख कर मुझे
बेचैनी सी होने लगी मेरा दिल कर रहा था की मै अभी भाभी कि ये पेन्टी उतार
कर फेंक दूँ और भाभी के शरीर से चिपक जाउँ मगर डर भी लग रहा था मुझे कल
वाला ही तारिका सही लग रहा था इसलिये मैने जल्दी से लाईट बँद कर दी और
भाभी के बगल मे जा कर सो गया। मै खिसक कर भाभी के बिल्कुल पास चला गया और
भाभी कि तरफ करवट बदल कर धीरे से अपना एक पैर भाभी कि जाँघो पर रख दिया
क्योकि अगर भाभी जाग भी जाये तो लगे जैसे कि मै नीन्द मे हुँ और धीर धीर
पैर को उपर कि तरफ ले जाने लगा। मैने हाफ पेन्ट पहन रखी थी और उसे भी
मैने उपर खिँच रखा था इसलिये मेरी भी जाँघे नँगी ही थी और जब मेरी जाँघो
से भाभी कि नर्म मुलायम जाँघो का स्पर्स हो रहा था तो मुझे बहुत आन्नद आ
रहा था। कुछ देर तक मै ऐसे ही करता रहा और भाभी कि तरफ से कोई भी हलचल ना
होने पर मैने अपना एक हाथ भी भाभी कि नर्म मुलायम गोलाइयो पर भी रख दिया
और धीरे धीरे उन्हे सहलाने लगा जिस से मुझे बहुत मझा आ रहा था। मै काफ़ी
देर तक ऐसे ही लगातार करता रहा मगर तभी भाभी हिली तो मेरी डर के मारे
साँस अटक गयी। मैने जल्दी से अपना हाथ भाभी के उरोजो पर से हटा लिया और
सोने का नाटक करने लगा। डर के कारण मेरी तो दिल कि धडकन ही बन्द हो गयी
मगर भाभी के शरीर मे कुछ हलचल सी हुई शायद खुजया होगा और वो फिर से सो
गयी। मै काफी देर तक चुप चाप ऐसे ही पङा रहा मगर मुझे चैन कहा आ रहा था
इसलिये कुछ देर बाद एक बार फिर से हिम्मत करके भाभी के उरोजो पर हाथ रख
दिया मगर मैने जैसे ही भाभी के उरोजो पर हत रखा तो मेरे रोन्गटे खङे हो
गये क्योकि भाभी कि नाईटी के बटन खुले हुवे थे और ब्रा भी उपर हो रखी थी
मेरा हाथ भाभी के अधनन्गे नर्म मुलायम उरोजो को छु रहा था। भाभी के रेशमी
उरोजो के स्पर्श ने मुझे पागल सा कर दिया मुझे डर तो लग रहा था मगर फ़िर
भी मै भाभी के उरोजो पर हाथ को धीरे धीरे फ़िराने लगा। कफ़ी देर तक मै ऐसे
ही भाभी के उरोजो को सहलाता रहा मगर आगे कुछ करने कि मुझ से हिम्मत नही
हो रही थी। उत्तेजना से मेरा तो बुरा हाल हो रहा था और तभी भाभी ने मेरी
तरफ करवट बदल ली और भैया का नाम लेकर मुझसे लिपट गयी। भाभी ने अपनी एक
जाँघ मेरी जाँघ पर चढा दी और एक हाथ से मुझे खीँच कर अपने शरीर से चिपका
लिया। मेरी और भाभी की लम्बाई समान ही थी इसलिये मेरा चेहरा भाभी के
चेहरे को स्पर्श कर रहा था और भाभी कि गर्म साँसे मेरी साँसो मे समाने
लगी। मेरे लिये ये पहला अवसर था कि मै किसी औरत के इतने करीब था। भाभी के
उरोज मेरे सीने से दब रहे थे और मेरा लिँग बिल्कुल भाभी कि योनि को छु
रहा था। मै ये सोचने लगा कि भाभी कही जाग तो नही रही और वो भैया का बहाना
करके ये सब कर रही हो और ये भी हो सकता है भाभी सपनो मे कर रही हो मगर
कुछ भी हो मुझे तो बहुत मझा आ रहा था। अब तो उत्तेजना से मै पागल हो रहा
था।
एक बाए फ़िर से भाभी ने आह… भरते हुवे भैया का नाम लिया और मुझे बाहो मे
भर कर सीधी करवट बदलते हुवे मुझे अपने उपर खिंच लिया। अब मै भाभी के उपर
पहुंच गया था और मेर शरीर भाभी के मखमल कि तरह मुलायम शरीर को स्पर्श कर
रहा था। भाभी के नर्म और मुलायम उरोज मेरे सीने से दब रहे थे और मेरे
लिँग को भाभी सुलगती योनि कि गर्माहट महशुस हो रही थी। मै इतना उत्तेजित
हो गया कि भाभी के शरीर के स्पर्श से ही मेरा रशखलित हो गया और मेरा लिँग
ढेर सारा वीर्य उगलने लगा जिसने मेरे कपडो के साथ साथ भाभी कि भी पेन्टी
को भी गीला कर दिया और तभी अलार्म घडी बजने लगी। मै जल्दी से भाभी के उपर
से उतर गया और सोने का नाटक करने लगा। भाभी अलार्म को बन्द करके जल्दी से
उठ कर खङी हो गयी। मैने थोङी सी आँखे खोलकर देखा तो भाभी कपङे बदल रही
थी कमरे की लाईट बन्द थी मगर कम पावर का बल्ब जल रहा था जिसकी रोशनी मे
मै बिल्कुल साफ से तो नही मगर फिर भी भाभी को कपङे बदलते देख सकता था।
भाभी कपङे बदल कर कमरे से बाहर चली गयी और मै ऐसे ही लेटा रहा। मुझे डर
लग रहा था की कही भाभी मेरी शिकायत मम्मी पापा से ना कर दे और यही सोचते
सोचत पता नही कब मुझे नीन्द आ गयी। दिन के करीब बारह बजे भाभी ने मुझे
जगाया और कहा अब क्या सारा दिन ही सोते रहोगे...?
रात को तो ना तुम खुद सोते हो और ना ही मुझे सोने देते हो। तभी मुझे रात
की घटना याद आने लगी मैने भाभी कि तरफ देखा तो वो मुस्कुरा रही थी। मैने
डर और शर्म के कारण गर्दन झुका ली। भाभी ने मुझे डाटते हुवे कहा रात को
अपने कपङो के साथ साथ मेरे कपङे भी गन्दे कर दिये तभी मैने अपनी हाफ
पेन्ट कि तरफ देखा तो उस पर मेरे वीर्य का दाग लगा हुवा था जो की सुख कर
सख्त हो गया था। भाभी ने फिर से हँशते हुवे कहा अभी देख क्या रहे हो चलो
अभी नहा लो मै खाना बना देती हुँ। मै बुरी तरह से डर रहा था इसलिये बीना
कुछ बोले चुप चाप नहाने चला गया, और फिर खाना खा कर ड्राईँग रुम मे जाकर
लेट गया। रात भर नही सोने के कारण मुझे फिर से नीँद आ गयी मगर कुछ देर
बाद ही मेरी नीँद खुल गयी और जब मैने आँखे खोली तो मेरी आँखे खुली की
खुली रह गयी क्योकि भाभी मात्र ब्लाउज और पेटीकोट मे ही मेरी बगल मे सो
रही थी। भाभी के ब्लाउज के भी बटन खुले हुवे थे और नीचे उन्होने ब्रा भी
नही पहन रखी थी जिससे उनके आधे से भी ज्यादा दुधिया सफेद उरोज नजर आ रहे
थे जिन्हे देखते ही मेरा लिँग उत्तेजित हो गया। मै समझ गया कि शायद भाभी
भी मुझसे ये सब करना चाहती तभी तो वो मेरे पास इन कपङो मे आकर सोई है। ये
बात मेरे दिमाग मे आते ही मेरी ना जाने मुझमे कहा से इतनी हीम्मत आ गयी
की मैने भाभी के ब्लाउज के बचे हुवे बटन भी खोल दिये और बटन के खुलते ही
भाभी के उरोज स्वतः ही बाहर आ गये मानो दो सफेद कबुतर पिँजरे से आजाद
हुवे हो। मै पहली बार किसी के नग्न उरोज देख रहा था इसलिये मै उन्हे बङे
ध्याने से देखने लगा। भाभी के दुधियाँ उरोज और उन पर छोटे से गुलाबी
निप्पल ऐसे लग रहे थे जैसे की सफेद आईस-क्रीम पर सट्राबेरी रखी हो।
आईस-क्रीम को देखते ही जैसे किसी छोटे बच्चे के मुँह मे पानी आ जाता है
वैसे ही भाभी के आईस-क्रीम रुपी उरोजो को देख कर मेरे मुँह मे भी पानी भर
आया। मुझे सेक्स के बारे मे इतना कुछ पता तो नही था मगर फिर भी भाभी के
उरोज मुझे इतने अच्छे लगे की मै एक निप्पल को अपने मुँह मे भर कर चुसने
लगा और साथ ही दुसरे उरोज को एक हाथ से धीरे धीरे सहलाने लगा। उनके नग्न
उरोज का स्पर्श रेशम कि तरह मुलायम और आन्न्द भरा था। भाभी ने आँखे बन्द
कर रखी थी और ना ही वो कुछ बोल रही थी मगर फिर भी उनके चेहरे की भाव
भँगिमाओ को देख कर पता चल रहा था कि उन्हे भी आन्नद आ रहा है। जब मै उनके
उरोज को जोर से मसलता तो दर्द के कारण भाभी के होठ थोङा भिच जाते और जब
हल्के से सहलाता तो उनका मुख आन्नद से आह भरने के लिये खुल जाता। मै भाभी
के निप्पल को लगातर चुस रहा था उस मे से कोइ रस तो नही आ रहा था मगर मेरे
मुँह मे एक चिकनाहट सी घुल गयी और मुझ पर उत्तेजना का एक खुमार सा छा
गया। मेरा लिँग तो अकङ कर लोहे सा सख्त हो गया था जिसमे से पानी निकल
निकल कर मेर अण्डरवियर को भी गीला करने लगा था। अपने आप ही मेरा एक हाथ
भाभी के चिकने पेट पर से फिसलता हुवा उन्के सँधि स्थल पर जा पहुँचा। भाभी
ने निचे भी पेन्टी नही पहन रखी इसलिये मै पेटीकोट के उपर से ही भाभी कि
उभरी हुई योनि कि बनावट को महसुस कर रहा था। जब मेरा हाथ भाभी कि योनि को
सहलाता हुवा थोङा निचे योनि द्वार पर लगा तो मुझे कुछ गीलापन सा महसुस
हुवा शायद भाभी कि योनि से भी उत्तेजना के कारण पानी रीस रहा था। अब तो
मेरे लिये अपने आप पर काबु पाना मुश्किल हो गया था मेरे दिल मे जल्दी से
भाभी कि योनि को देखने कि चाहत हो रही थी इसलिये मैने भाभी के पेटीकोट को
पेट तक पलट दिया जिस से भाभी नीचे से बिल्कुल नग्न हो गयी और उनकी
सँगमरमर सी सफेद और केले के तने से भी चिकनी जाँघे व फुली हुई योनि दिखने
लगी मगर तभी भाभी ने जल्दी से अपने दोनो घुटने मोङ कर योनि को छुपा लिया।
भाभी ने अब भी आँखे बन्द कर रखी थी, शायद मेरे ऐसा करने पर भाभी को शर्म
आ रही थी। मै भाभी के घुटनो को दबा कर उन्हे फीर से सीधा करने लगा और
मेरे दबाने पर भाभी ने घुटनो को तो सीधा कर लिया मगर दोनो जाँघो को बन्द
करके रखा। अब भाभी की दुधियाँ गोरी जाँघे व जाँघो के बीच उनकी फुली हुई
बालो रहीत योनि मेरे सामने थी जिसके भाभी ने शायद आज ही बाल साफ किये थे।
मैने आज पहली बार किसी कि योनि को देखा था, दोनो जाँघो के बीच उभरी हुई
छोटी सी योनि और गुलाबी रँगत लिय हुवे योनि कि दरार ऐसी लग रही थी मानो
पांव (डबलरोटी) को बीचोबीच चाकु से काटकर उसमे सिँदुर से लाईन खीँच रखी
हो और योनि कि दोनो फाँको के बीच हल्का सा दिखाइ देता दाना तो ऐसा लग रहा
था मानो भाभी की योनि अपनी जिभ निकाल कर मुझे चिढा रही हो। मै भाभी कि
गोरी जाँघो को चुमने लगा तभी भाभी ने मेरे सर के बालो को पकङ कर मुझे
अपने उपर खिँच लिया मै भी खिँचता हुवा भाभी के उपर पहँच गया और जल्दी से
अपना अण्डरवियर व हाफ पेन्ट निकाल कर भाभी के उपर लेट गया। मेरे सामने
फिर से ये समस्या थी कि अब क्या करु क्योकि मुझे सेक्स करना तो आता नही
था। मै ऐसे ही भाभी के उपर लेटा रहा मुझे कुछ करना तो आ नही रहा था
इसलिये मै ऐसे ही अपने शरीर को आगे पीछे करने लगा जिस से भी मुझे बङा सुख
मिल रहा था और मेरे लिँग ने पानी छोङ छोङ कर भाभी के पुरे योनि छेत्र को
गीला कर दिया था क्योकि मेरा शरीर भाभी के नर्म मुलायम व गर्म शरीर का
स्पर्श पा रहा था और मेरा लिँग भाभी की आग कि तरह धधकती योनि पर रगड खा
रहा था। मेरा लिँग भाभी कि योनि पर तो था मगर प्रवेश द्वार से दुर था और
मुझे तो पता भी नही था की योनि मे प्रवेश द्वार कहा पर होता है क्योकि
मैने तो आज पहली बार योनि को देखा था। एक बार फिर से भाभी ने हिम्मत
दिखाई और मुझे थोङा सा पीछे धकेल कर एक हाथ से मेरे लिँग को पकङ कर योनि
के प्रवेश द्वार पर लगा लिया और दुसरे हाथ से मेरे कुल्हो पर दबाव डालने
लगी, अब तो मै भी समझ गया था कि मुझे आगे क्या करना है इसलिये मैने भी
कमर का थोङा सा दबाव डाला तो भाभी के मुहँ से एक जोरदार मीठी आह्……निकली
और एक झटके मे ही मेरा आधे से ज्यादा लिँग भाभी की योनि मे समा गया
क्योकि मेरे लिँग और भाभी कि योनि पानी निकलने के कारण इतने चिकने हो गये
थे कि आसानी से मेरा लिँग योनि मे चला गया। भाभी कि योनि मे मेरे लिँग का
अहसास सख्त चिकनाहट भरा और इतना गर्म था मानो मेरा लिँग किसी गर्म आग कि
भट्टी मे समा गया हो। भाभी ने प्यार से मेरे गाल को चुम लिया और मुझे
अपनी दोनो बाँहो मे भर लिया मगर भाभी ने अब भी आँखे बँद कर रखी थी। मै
धीरे धीरे अपनी कमर को आगे पीछे हिलाने लगा। भाभी ने भी मेरा साथ दने के
लिये मेरे पैरो मे अपने पैर फँसा लिये और अपने कुल्हे उचका उचका कर
सिसकियाँ भरने लगी। मेरा भी जोश दोगुना हो गया इसलिये मैने अपनी गति बढा
दी और साथ ही भाभी के गालो पर चुम्बन भी करने लगा मगर भाभी ने मेरे सर को
पकङ लिया और मेरे होठो को मुहँ मे भर कर जोर जोर से चुसने लगी। मै भी
भाभी एक होठ को मुहँ मे भर कर चुसने लगा तभी भाभी ने मेरी जिभ को अपने
मुहँ मे खीँच लिया और चुसने लगी इस से मुझे थोङा दर्द हो रहा था मगर कुछ
देर बाद भाभी ने मेरी जिभ को छोङ दिया और अपनी जिभ मेरे मुँह मे दे दी मै
भी उसे चुसने लगा मुझे इतना मझा आ रहा था कि उस आन्नद को बयान करने के
लिये मेरे पास शब्द ही नही है। ये मेरा पहला चुम्बन था। मै और अधिक तेजी
से धक्के लगाने लगा। भाभी भी जोर जोर से आहे भरते हुवे जल्दी जल्दी अपनी
कमर को उचकाने लगी और साथ मे ही कभी मेरे गालो को तो कभी मेरे होठो को
चुशने लगी। मेरी व भाभी कि साँसे फुलने लगी थी भाभी के चेहरे पर तो पसीने
कि बुन्दे भी उभर आई थी। मेरे लिये सहवाश का ये पहला अवशर था इसलिये मै
इतना अधीक उत्तेजित हो गया कि कुछ देर मे ही मै चर्म पर पहुँच गया मैने
भाभी शरीर को कश कर पकङ लिया और मेरा लिँग भाभी कि योनि मे वीर्य उगलने
लगा तभी भाभी ने भी ईईइइइशशश.....
अआआआहहहः.....
ईईइइइशशशश......
अआआआहहहः....
करते हुवे मेरे कुल्हो को अपनी दोनो जाँघो के बीच और मेरी पीठ को दोनो
हाथो से भीँच लिया और मुझसे चिपट गयी। भाभी का भी रश खलित हो गया था। काम
हो जाने के बाद मै भाभी के उपर ऐसे ही पङा रहा तो भाभी ने मुझे धकेल कर
अपने उपर से उतार दिया। मै भी उतर कर भाभी के बगल मे लेट गया। अब सब कुछ
शाँत हो गया था मगर हम दोनो कि साँसे अब भी उखङी हुई थी। भाभी सामान्य
होने पर अपने कपङे ठीक करके बाहर चली गयी मगर मै ऐसे ही पङा रहा। कुछ देर
बाद भाभी चाय का कप लेकर मेरे पास आई और मुझे देख कर हँशने लगी क्योकि मै
अब भी नँगा हि पङा हुवा था और तभी दरवाजे की घण्टी बजी शायद मम्मी पापा आ
गये थे। मै उठ कर जल्दि से अपने कपङे पहनने लगा और भाभी चाय का कप मेरे
पास रख कर दरवाजा खोलने चली गयी। मम्मी पापा आ गये थे इसलिये भाभी उनके
पास चली गयी और मै चाय पीने लगा। उसके बाद मेरी और भाभी कि कोई बात नही
हुई मगर मेरा जब भी भाभी से सामना होता तो भाभी मुझे देख कर मुस्कुराने
लगती और मै भी भाभी की मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराहट से देता।
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