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भाभियों के साथ गाँव में मस्ती

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भाभियों के साथ गाँव में मस्ती

***** *****कहानी शुरू करते हैं किशोर के शब्दों में।

मेरा नाम किशोर है और मैं बिहार के पटना में रहता हूँ। मेरा गाँव पटना से 40 कि॰मी॰ दूर था। 
जहां पे ये अनोखी घटना घटी। 

मैं अपना परिचय देता हूँ, मेरी उम्र 22 साल, हाइट 5’9”, वजन 70 किलो, एथलेटिक बाडी, लण्ड का साइज 7” है। तो अब मैं कहानी पर आता हूँ।

बात आज से एक साल पहले की है। उस टाइम मेरी उमर 21 साल थी। उन दिनों में अपने पुराने गाँव में गया हुआ था। जिसकी आबादी करीब 3000 लोगों की थी। 
गाँव में मेरे चाचा-चाची, उनके तीन बेटे और उन तीनों की बीवियां रहते हैं।

ये कहानी उन भाभियों से ही जुड़ी है। मेरी बड़ी भाभी का नाम राशि, उम्र 30 साल, रंग गोरा, फिग साइज 35-29-36; 

दूसरी भाभी प्रीति, उम्र 26 साल, रंग मीडियम सांवला सा, फिग 34-26-34; 

तीसरी और छोटी भाभी का नाम सोनिया, उम्र सिर्फ 24 साल, एकदम गोरी-गोरी और सेक्सी, फिग 36-26-36, और एकदम भारी चूतड़।

मुझे ये मालूम नहीं था की वो सब बहुत सेक्सी हैं। क्योंकी गाँव में दरअसल इतनी आजादी नहीं होती है। लोग बहुत संकुचित रहते थे। औरतों को बाहर जाना कम रहता था, सिर्फ सब्ज़ी ही लाने जाते थे या कभी तालाब पे पानी भरने या कपड़े धोने।

हमारे अंकल के घर के पीछे ही एक तालाब था जो की सिर्फ 100 फुट ही दूर था। बीच में और किसी का घर नहीं था। सिर्फ कुछ पेड़ पौधे थे। 
हमारी भाभी रोज उधर ही कपड़े धोने जाती थी। सभी भाभियां कम बाँट लेती थी। कोई रसोई, तो कोई कपड़े धोने का, तो कोई बर्तन और सफाई का।
जैसे ही मैं गया उन सभी लोगों ने मुझे बड़े प्यार से आमंत्रित किया।

मेरी भाभियां मजाक भी करने लगीं की बहुत बड़ा हो गया है, शादी के लायक। 

तो मैं जाकर सभी से मिलने के बाद सोचा थोड़ा फ्रेश होता हूँ। मैंने अपनी बड़ी भाभी से बोला- मुझे नहाना है।

उसने बोला- इधर नहाना है या तालाब पे जाना है?

मैं- अभी इधर ही नहा लेता हूँ तालाब कल जाऊँगा।

वो बोली- “ठीक है…” और उसने पानी दे दिया।

मैं सभी भाभियों को देखकर उतेजित हो गया था तो मैंने बड़ी भाभी को याद करते हुए मूठ मारी और स्नान करके जैसे ही वापस आया, 

बड़ी भाभी बोली- क्यों देवरजी इतनी देर क्यों लगा दी? कही कोई प्राब्लम तो नहीं? अगर हो तो बता देना, शायद हम आपकी कोई मदद कर सकें? ऐसा बोलकर सभी भाभियां हँसने लगीं। मुझे बहुत आश्चर्य हुआ और खुशी भी।

दूसरे दिन सुबह मैं 7:00 बजे उठा। ब्रश करके नाश्ता किया।

तभी बड़ी भाभी कपड़े की पोटली बना के तालाब पे धोने को जा रही थी। वो बोली- “चलो देवरजी, तालाब आना है क्या?”

मैं तो वही राह देख रहा था कि कब मुझे वो बुलाएं। मैंने हाँ कहा और उपने कपड़े और तौलिया लेकर उनके साथ चल पड़ा। रास्ते में भाभी खुश दिख रही थी। उसने थोड़ी इधर-उधर की बातें की। जब हम तालाब पहुँचे। 
ओह्ह… माई गोड… मैं क्या देख रहा हूँ? मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गईं। वहां पे 10-15 औरतें थी और उन सब में से 6-7 ने तो ऊपर ब्लाउज़ नहीं पहना था, मेरे कदम रुक ही गये थे।

तो भाभी ने पीछे मुड़ के देखा और बोली- क्यों देवरजी क्या हुआ, रुक क्यों गये?

मुझे मालूम था की वो मेरे रुकने की वजह जानती थी, लेकिन जानबूझ कर मुझे ऐसा पूछ रही थी। मैं बोला- “भाभी यहाँ पर तो…” बोलकर मैं रुक गया।

भाभी ने पूछा- क्या? यहाँ पर तो क्या?

मैंने बोला- सब औरतें नंगी नहा रही हैं, मैं कैसे आऊँ?

वो बोली- तो उसमें शर्माने की क्या बात है? तुम अभी इतने बड़े कहां हो गये हो, चलो अब, जल्दी करो।

मैं तो चौंक कर रह गया। वहां जाते ही सभी औरतें मुझे देखने लगी और भाभी को पूछने लगी- कौन है ये लड़का? बड़ा शर्मिला है क्या?

भाभी ने बोला- ये मेरा देवर है और शहर से आया है। अभी-अभी ही जवान हुआ है इसलिए शर्मा रहा था, तो मैंने उससे बोला की शर्माओ मत, ये सब बाद में देखना ही है ना। और सब औरतें हँसने लगीं।

मुझे अब पता चला की गाँव में भी औरतें माडर्न हो गई हैं, और गंदी-गंदी बातें करती हैं।

उनमें से एक ने मेरी भाभी को बोला- क्यों रे, देवर से हमारा परिचय नहीं कराएगी क्या?

फिर भाभी ने उन सभी से मेरा परिचय करवाया। मेरा ध्यान बार-बार उन नंगी औरतों के चूचे पे ही चला जाता था। तो वो भी समझने लगी थीं की मैं क्या देख रहा हूँ?

उनमें से एक मीडियम क़द की 26 साल की औरत ने मुझे बोला- क्यों रे तूने आज तक कभी चूची नहीं देखा जो घूर रहा है? 

मेरी भाभी और दूसरी सभी औरतें हँसने लगी। मेरी भाभी ने बोला- “हाँ शायद, क्योंकी घर पे भी वो मेरे चूचे को घूर रहा था। इसलिए तो उसे यहाँ पे लाई ताकी खुल्लम खुल्ला देख सके। 

और मुझसे बोला- देवरजी, देख लेना जी भर के, बाद में शहर में ऐसा मोका नहीं मिलेगा…” 

और सब औरतें हँसने लगी। अभी ऐसी बातों से मेरे लण्ड की हालत खराब हो गई थी। 

तभी मेरी भाभी ने कहा- देवरजी कब तक देखोगे? आप यहाँ पे नहाने आए हैं नहीं की चूचे देखने। 

मेरी हिम्मत थोड़ी खुल गई- “भाभी, अभी ऐसा दिखेगा तो कोई भला नहाने में टाइम बरबाद क्यों करेगा?”

भाभी- ठीक है फिर देखो। लेकिन वो तो नहाते हुए भी तो देख सकते हो तुम। 

ये आइडिया मुझे अच्छा लगा। लेकिन तकलीफ ये थी की पानी में कैसे जाऊँ। क्योंकी मेरा लण्ड बैठने का नाम नहीं ले रहा था। 

तभी भाभी ने बोला- सोच क्या रहे हो कपड़े निकालो और कूद पड़ो पनी में। 

मैं- “ठीक है भाभी…” कहकर मैंने भी शर्म छोड़ दी, जो होगा देखा जाएगा। सोचकर मैंने अपना शर्ट और पैंट उतार दिया। अब मैं सिर्फ फ्रेंच कट निक्कर में ही था। उसमें से मेरा 8" इंच का लण्ड साफ दिख रहा था। वो भी उठा हुआ। 
लण्ड का टोपा निक्कर की किनारी से थोड़ा ऊपर आ गया था तो वो सभी औरतों को भी दिखा, तो भाभी और सभी औरतें मुझे घूरने लगी। 

भाभी- देवरजी, ये क्या तंबू बना रखा है अपनी निक्कर में?

मैं- क्या करूं भाभी, आप सभी ने तो मेरी हालत खराब कर दी है। 

भाभी- भाई साहब, आप मेरा नाम क्यों ले रहे हो, मैंने तो अभी कपड़े उतरे भी नहीं।

मैं- “हाँ, वही तो अफसोस है…” और मैं हँसने लगा। 

भाभी- लगता है आपकी शादी जल्द ही करनी पड़ेगी। 

सभी औरतें हँसने लगी। और मैं पानी में चला गया। मुझे वहाँ पे बड़ा मजा आ रहा था। सोच रहा था की हमेशा ही मेरे दिन ऐसे ही कटें, इतने सारे बोबों के बीच। मुझे मूठ मारने की इच्छा हो रही थी, लेकिन मैं सभी के सामने नहीं मार सकता था, वो भी पानी में।

.सभी औरतें हँसने लगी। और मैं पानी में चला गया। मुझे वहाँ पे बड़ा मजा आ रहा था। सोच रहा था की हमेशा ही मेरे दिन ऐसे ही कटें, इतने सारे बोबों के बीच। मुझे मूठ मारने की इच्छा हो रही थी, लेकिन मैं सभी के सामने नहीं मार सकता था, वो भी पानी में। 

शायद मेरी परेशानी भाभी समझ रही थी और उन्होंने मुझसे मजाक में कहा- “देवरजी, आपका जोश कम करो वरना निक्कर फट जाएगी…”

उधर ऐसी गंदी मजाक से मेरी हालत और खराब हो रही थी, लेकिन उन लोगों को मस्ती ही सूझ रही थी। भाभी ने नीचे बैठकर कपड़े धोना चालू किया।

उसकी बैठने की पोजीशन ऐसी थी की उसके घुटने से दबके उसके चूचे ब्लाउज़ से बाहर आ रहे थे। और दोनों चूचों के बीच की बड़ी खाई दिखाई दे रही थी।
ब्लाउज़ उसके चूचों को समाने के लिए काफी नहीं था। उसका गला भी बहुत बड़ा था, जिससे उनकी आधी चूचियां बाहर दिख रही थी। 
चूचियां क्या गजब थी, मानो दो हवा के गुब्बारे, वो भी एकदम सफेद जिसे देखकर बस पूरा खाने को दिल कर जाए। मैं लगातार उनके चूचे देखे जा रहा था तब पता नहीं कब भाभी ने मेरे सामने देखा और हमारी नजरें मिली। 

जिससे भाभी बोलीं- “मुझे पता है देवरजी आप मेरी भी चूचियां देखना चाहते हैं। तभी तो बार-बार घूर रहे हैं…” बोलकर हँस पड़ी, और बोली- “लो आपकी ये इच्छा मैं अभी पुरी कर देती हूँ…”

वैसा बोलकर उन्होंने अपने पैरों को सीधा किया और मेरी तरफ देखकर ही मेरे सामने अपने ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी। ब्लाउज़ क्या तंग था की उनको शायद हुक खोलने में मुश्किल हो रही थी। और वो मेरी तरफ देखकर बार-बार मुश्कुरा रही थीं। फाइनली उसका टाप का हुक खुल गया, उसके बाद दूसरा, तीसरा, करके चारों हुक खोल दिए। और उसने ब्लाउज़ वैसे ही रहने दिया।

उनके चूचे कपड़ों से ढँके थे, लेकिन उनकी लम्बी लकीर दिख रही थी, जो किसी के भी लण्ड का पानी छोड़ने के लिए काफी थी। उसने मेरी तरफ मुश्कुराकर खुद ही उपने चूचे को दोनो हाथों से सहलाया और दो साइड से ब्लाउज़ अलग कर दिया। बाद में उसने अपने कंधे ऊपर करके ब्लाउज़ उतार फेंका।
 अब उसके हाथ पीछे की और गये और उसने अपनी ब्रा का हुक भी खोल दिया। वाउ… ब्रा उसके हाथों में थी और उनके दूधिया चूचियां हवा में लहराने लगीं। चूचियां भी जैसे हवा में आजाद होकर फ्री महसूस कर रही हों, वैसे हिलने लगीं। उनके निपल मीडियम साइज के और एकदम काले थे, और दोनों चूचों के बीच में कोई जगह नहीं थी, और एक दूसरे से अपनी जगह लेने के लिए जैसे लड़ाई कर रहे हों। वो नजारा देखने लायक था। मेरी आँखें वहां से नजरें हटाने का नाम नहीं ले रही थीं। 

उन्होंने वो देख लिया और बोली- क्यों देवरजी अब बराबर है ना? हुई तसल्ली? 

मैं बस हैरान होकर देखे ही जा रहा था। बाकी औरतें उनकी ये हरकत से हँसने लगी। मेरा लण्ड अब मेरे काबू में नहीं था। 

तभी एक चाची जो कि करीब 30 साल की थी उसने भाभी को कहा- “क्यों बिचारे को तड़पा रही हो? ऐसा देखकर तो बिचारे के लण्ड से पानी निकल रहा होगा…” 

बात भी सही थी उनकी, शायद वो ज्यादा अनुभवी थी, इसलिए आदमी की हालत समझती थी। वैसे मेरी भाभी भी कोई कम अनुभवी नहीं थीं, लेकिन वो मजा ले रही थी। 

मैंने भाभी को बोला- भाभी, आप मत तड़पाओ मुझे, मुझसे अब रहा नहीं जा रहा है। 

वो बोली- क्यों रहा नहीं जा रहा है? मतलब, क्या हो रहा है?

मैं भी बेशरम होकर बोला- भाभी मेरा लण्ड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा है। 

वो हँसती हुई बोली- “सबर करो देवरजी, उसका इलाज भी मेरे पास है, देखते है की कैसे नहीं बैठता है आपका वो… लण्ड…” और वो फिर कपड़े धोने लगी।

मैं फिर उसकी और दूसरी औरतों के चूचे देखते हुए फिर से नहाने में ध्यान लगाने लगा, लेकिन मेरा ध्यान बार-बार उन सभी के चूचों और जांघों के बीच में ही अटक जाता था। कई औरतों का पेटीकोट तो घुटने तक ऊपर उठे होने की वजह से उनकी जांघें साफ-साफ दिख रही थीं और चूचे घुटनों में दबने से इधर-उधर हो रहे थे। तभी मैं नहाने का छोड़कर मूठ मारना चाहता था कहीं पेड़ के पीछे। 

मैंने भाभी को बोला- “भाभी, मैं अब थक गया हूँ और मुझे भूख भी लगी है तो मैं घर जा रहा हूँ…”

भाभी बोली- “अभी से क्यों थक गए तुम? और भूख लगी है तो तुम्हें कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। इधर ही तुम अपनी भूख मिटा लो…” ऐसा बोलकर उसने बाजूवाली को बोला- “क्यों रे रसीला, तेरे चूचे में अभी दूध आ रहा है कि नहीं?”

रसीला ने जवाब दिया- हाँ, राशि भाभी, आ रहा है।

भाभी बोली- जरा इसका तो पेट भर दे, अपनी गोदी में लेकर। 

तो बाकी सब औरतें हँस पड़ीं। मैं तो हैरान रह गया। 

तभी रसीला की आवाज आई- “आओ भैया इधर…” 

मैं शर्मा रहा था।

तो रसीला मुझसे बोली- “शर्माने की क्या बात है? तुम्हारे भैया भी तो रोज ही पीते हैं। अगर एक दिन तूने पी लिया तो कोई खतम थोड़े ही होगा, बहुत आता है इसमें…”

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