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दीदी की जेठानी से मुझे बिल्कुल नया मज़ा मिला

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दीदी की जेठानी से मुझे बिल्कुल नया मज़ा मिला

इस कहानी का लेखक मैं नहीं हूं. मैंने इसमें केवल कुछ संशोधन किये हैं. तो प्रस्तुत है

मैं अपनी चचेरी बहन के पास उसके ससुराल में गया था और तभी यह सब हो गया। मेरा इंटरव्यू था वहाँ। सुबह जल्दी नहीं पहुँच सकता था तो मैं एक दिन पहले ही वहाँ पहुँच गया। जब मैं पहुँचा तो बारिश हो रही थी और मैं उनके घर पहुँचते पहुँचते बहुत भीग गया था।

वैसे तो मैंने एक दिन पहले ही फोन करके उनको मेरे आने का बता दिया था पर जब मैं पहुँचा तो हैरान रह गया। उनके मकान पर ताला लटका हुआ था। ताला देख कर मैं बेचैन हो गया क्यूंकि उस शहर में मैं पहली बार आया था और मेरी बहन और जीजा के अलावा मुझे यहाँ कोई जानता भी नहीं था।

मैं उनके घर के आगे खड़ा हुआ भीग रहा था कि तभी पास वाले मकान से आवाज लगाई किसी ने। वो एक खूबसूरत सी औरत थी जो मुझे बुला रही थी।

मैं उनका गेट खोल कर अंदर चला गया।

तभी वो बोली- तुम राज हो क्या..?

उसके मुँह से अपना नाम सुन कर हैरानी भी हुई और संतुष्टि भी कि चलो कोई तो जानता है मुझे यहाँ। मैंने जब हाँ में सर हिलाया तो वो मुझे लेकर घर के अंदर गई। अंदर पहुँच कर उसने मुझे तौलिया दिया और बाथरूम में जाकर कपड़े बदल कर आने को कहा। मैं भी चुपचाप बाथरूम में चला गया। मुझे अभी तक घर में किसी और के होने का एहसास नहीं मिला था।

बाहर आने के बाद वो मुझसे बात करने लगी और उसने बताया कि मेरे जीजा को एक बेहद जरूरी काम से बाहर जाना पड़ गया है। वो जाते हुए उसको बता कर गए थे मेरे आने के बारे में और इसी लिए वो बाहर खड़ी मेरा ही इन्तजार कर रही थी। बातें करते करते ही मुझे पता चला की यह जीजा के चचेरे भाई की बीवी थी या दूसरे शब्दों में कहें तो मेरी दीदी की जेठानी थी। अब मैं बिल्कुल निश्चिंत था क्यूंकि अब मुझे कोई परेशानी नहीं थी। उसने मेरे लिए चाय बनाई और फिर हम दोनों बैठ कर चाय पीने लगे।

मेरे कपड़े गीले हो गए थे तो मैंने अब सिर्फ एक बनियान और लोअर पहना हुआ था जो मैं रात को सोते समय पहनने के लिए साथ में लाया था। चाय पीने के बाद वो अंदर गई और मशीन में डाल कर मेरे कपड़े पानी में से निकाल कर सुखा दिए। जब वो मेरे कपड़े धो रही थी तो मेरी नजर उस पर पड़ी। वो अपनी साड़ी को ऊपर करके मशीन पर झुकी मेरी कपड़े खंगाल रही थी। सबसे पहले मेरी नजर उसकी गोरी गोरी टांगों पर पड़ी जिन्हें देखते ही मेरे दिल में हलचल होने लगी। थोड़ा ऊपर देखा तो दिल धाड़ धाड़ बजने लगा। दीदी की जेठानी जिसका नाम शर्मीला था जब वो झुकी तो उसकी चूचियों का आकार देखकर मेरा लण्ड लाव खाने लगा। मैंने लोअर के नीचे अंडरवियर नहीं पहना था क्यूंकि वो गीला हो गया था।

ढीले से लोवर में जब लण्ड खड़ा होना शुरू हुआ तो तम्बू सा बन गया। मुझे इसका एहसास जब हुआ तो मैं बहुत असहज सा हो गया। मैं दूसरी तरफ मुँह करके लण्ड को बैठाने की कोशिश करने लगा पर जितना मैं कोशिश कर रहा था उतना ही वो और अकड़ कर खड़ा हो रहा था।

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