मेरा प्रेमी और मकान मालिक का लड़का
इस कहानी का लेखक मैं नहीं हूं. मैंने इसमें केवल कुछ संशोधन किये हैं. तो प्रस्तुत है
इस वक्त मेरी उम्र पच्चीस साल है, मैं विवाहित और एक बच्चे की माँ हूँ, मेरे पति एक फेक्ट्री मे सुपरवाइजर हैं, जब मेरी शादी हुई तब मेरी उम्र बीस साल थी, मै ये शादी नहीं करना चाहती थी क्योंकि उस समय अपने एक दोस्त के साथ मेरा लव अफेयर चल रहा था, वो बहुत रोमांटिक और दिलफेंक युवक था, कभी कभी तो उसकी इस आदत का मुझ पर गहरा असर पड़ता, जहां भी किसी लड़की को अपने करीब पाता उसे वो अपनी मीठी मीठी बातों से फंसाने की कोशिश करता, बस मै उसकी इसी बात का बुरा मान जाती, कई कई दिन तक मै उससे बात नहीं करती थी, वो तरह तरह से मुझे मनाने की कोशिश करता तो मै मान भी जाती थी, उसका और मेरा प्यार अभी तक शारीरिक सम्बंधों के बन्धन से दूर था,
ऐसा नहीं था की उसने अपनी इच्छा जाहिर नहीं की थी, वो कई बार मुझे चोदने की कोशिश कर चूका था, उसने कई बार मुझे सहला सहला कर गरम भी कर दिया था, चूचियां दबा दबा कर उनमे आग भी भर दी थी, मगर मै अपनी मर्यादाओं की सीमा नहीं लांघना चाहती थी,
मेरा इस बात पर अटूट विस्वाश था की चूत की सील सिर्फ पति तोड़ सकता है क्योंकि उस पर उसी का हक होता है,ऐसा भी नहीं था की मेरा प्रेमी मुझसे शादी नहीं करना चाहता था, सब कुछ ठीक था मगर मै शादी से पहले चुदवा कर सुहाग रात का मजा फीका नहीं करना चाहती थी, मेरा प्रेमी कई बार गुस्से से कहता की मै उससे प्यार नहीं करती, उसने शादी का वादा कसमे खाकर की मगर मेरा एक ही जवाब था की अगर कुछ होगा तो शादी के बाद ही होगा, मैंने उसे साफ साफ जवाब दे दिया की मै शादी से पहले वो चीज हरगिज नहीं दे सकती जिसकी वो जिद कर रहा है,
मगर वो चालु था, उसने कई बार चाहा की मै बहक जाऊं और बहक कर उसकी बात मान लूँ, एक दिन वो मुझे एकांत में ले गया, वहाँ ले जाकर उसने मुझे सहलाना शुरू कर दिया, वो ऐसा कई बार कर चूका था इसलिए इस ओर मैंने कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया, वो जब भी ऐसा करता तो मै काफी गरम हो जाती थी मगर संयम का दामन मेरे हाँथ से नहीं छूटता था, मगर उस दिन मै अपने आप को नहीं रोक सकी,
वो मेरी दोनों चुचियों पर हथेली चला रहा था और मै हमेशा की तरह आँखें मूंदे उसकी इस हरकत का मजा ले रही थी, तभी उसने मेरा हाँथ पकड़ा और अपने खड़े लंड को मेरे हाँथ में पकड़ा दिया, उसका लंड काफी लंबा और मोटा था, इतना ही नहीं वो आग की तरह जल भी रहा था, जब मैंने आँखें खोल कर अपने हाँथ की तरफ देखा तो मैं चौंक पड़ी, " उफ क्या है ये ? " मैंने उसका लंड हाँथ से छोड़ दिया तो वो सांप के फन की तरह फुंफकार उठा, मेरा रोवाँ रोवाँ खड़ा हो गया था उस समय, मै अच्छी तरह जानती थी कि ये लंड है मगर मैंने हर लड़की कि तरह मासूमियत दिखाते हुवे ये सवाल पूछा था, हाँथ से छूटते ही लंड एक तोप कि तरह उपर उठा और सीधा हो गया, मै अपनी पलकें झपका झपका कर उसे देख रही थी, मेरी मासूमियत देख कर मेरे प्रेमी के होंठों कि मुस्कान गहरी हो गई,
इस कहानी का लेखक मैं नहीं हूं. मैंने इसमें केवल कुछ संशोधन किये हैं. तो प्रस्तुत है
इस वक्त मेरी उम्र पच्चीस साल है, मैं विवाहित और एक बच्चे की माँ हूँ, मेरे पति एक फेक्ट्री मे सुपरवाइजर हैं, जब मेरी शादी हुई तब मेरी उम्र बीस साल थी, मै ये शादी नहीं करना चाहती थी क्योंकि उस समय अपने एक दोस्त के साथ मेरा लव अफेयर चल रहा था, वो बहुत रोमांटिक और दिलफेंक युवक था, कभी कभी तो उसकी इस आदत का मुझ पर गहरा असर पड़ता, जहां भी किसी लड़की को अपने करीब पाता उसे वो अपनी मीठी मीठी बातों से फंसाने की कोशिश करता, बस मै उसकी इसी बात का बुरा मान जाती, कई कई दिन तक मै उससे बात नहीं करती थी, वो तरह तरह से मुझे मनाने की कोशिश करता तो मै मान भी जाती थी, उसका और मेरा प्यार अभी तक शारीरिक सम्बंधों के बन्धन से दूर था,
ऐसा नहीं था की उसने अपनी इच्छा जाहिर नहीं की थी, वो कई बार मुझे चोदने की कोशिश कर चूका था, उसने कई बार मुझे सहला सहला कर गरम भी कर दिया था, चूचियां दबा दबा कर उनमे आग भी भर दी थी, मगर मै अपनी मर्यादाओं की सीमा नहीं लांघना चाहती थी,
मेरा इस बात पर अटूट विस्वाश था की चूत की सील सिर्फ पति तोड़ सकता है क्योंकि उस पर उसी का हक होता है,ऐसा भी नहीं था की मेरा प्रेमी मुझसे शादी नहीं करना चाहता था, सब कुछ ठीक था मगर मै शादी से पहले चुदवा कर सुहाग रात का मजा फीका नहीं करना चाहती थी, मेरा प्रेमी कई बार गुस्से से कहता की मै उससे प्यार नहीं करती, उसने शादी का वादा कसमे खाकर की मगर मेरा एक ही जवाब था की अगर कुछ होगा तो शादी के बाद ही होगा, मैंने उसे साफ साफ जवाब दे दिया की मै शादी से पहले वो चीज हरगिज नहीं दे सकती जिसकी वो जिद कर रहा है,
मगर वो चालु था, उसने कई बार चाहा की मै बहक जाऊं और बहक कर उसकी बात मान लूँ, एक दिन वो मुझे एकांत में ले गया, वहाँ ले जाकर उसने मुझे सहलाना शुरू कर दिया, वो ऐसा कई बार कर चूका था इसलिए इस ओर मैंने कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया, वो जब भी ऐसा करता तो मै काफी गरम हो जाती थी मगर संयम का दामन मेरे हाँथ से नहीं छूटता था, मगर उस दिन मै अपने आप को नहीं रोक सकी,
वो मेरी दोनों चुचियों पर हथेली चला रहा था और मै हमेशा की तरह आँखें मूंदे उसकी इस हरकत का मजा ले रही थी, तभी उसने मेरा हाँथ पकड़ा और अपने खड़े लंड को मेरे हाँथ में पकड़ा दिया, उसका लंड काफी लंबा और मोटा था, इतना ही नहीं वो आग की तरह जल भी रहा था, जब मैंने आँखें खोल कर अपने हाँथ की तरफ देखा तो मैं चौंक पड़ी, " उफ क्या है ये ? " मैंने उसका लंड हाँथ से छोड़ दिया तो वो सांप के फन की तरह फुंफकार उठा, मेरा रोवाँ रोवाँ खड़ा हो गया था उस समय, मै अच्छी तरह जानती थी कि ये लंड है मगर मैंने हर लड़की कि तरह मासूमियत दिखाते हुवे ये सवाल पूछा था, हाँथ से छूटते ही लंड एक तोप कि तरह उपर उठा और सीधा हो गया, मै अपनी पलकें झपका झपका कर उसे देख रही थी, मेरी मासूमियत देख कर मेरे प्रेमी के होंठों कि मुस्कान गहरी हो गई,