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पांच भाईयों की द्रोपती

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पांच भाईयों की द्रोपती

हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम विशाखा है लेकिन मेरे सभी दोस्त और फेमिली के सदस्य मुझे प्यार से शिखा कहते हैं। मेरी उम्र 30 साल हैं और में शादीशुदा हूँ। मेरी शादी को 4 साल हो गये है.. लेकिन स्कूल के समय बुरी संगत में पड़ जाने की वजह से मेरी आदतें खराब हो गई थी। फिर हमेशा ब्लूफिल्म देखना और अपनी चूत में ऊँगली करना, सिगरेट पीना, लड़को के साथ घूमना फिरना यह सब मैंने शुरू कर दिया था और धीरे धीरे मुझ पर ब्लूफ़िल्मो का नशा इतना चड़ रहा था कि 18 साल की उम्र में ही मैंने अपने सगे जीजाजी से अपनी पहली चुदाई करवाई थी और अपनी फुदकती हुई चूत को थोड़ा शांत किया.. लेकिन उसके बाद कॉलेज में भी मेरे कई सारे बॉयफ्रेंड रहे.. जिनमे से बहुत के साथ मैंने कई बार चुदाई का खेल खेला था और लड़को के साथ ज़्यादातर घूमने फिरने की वजह से में अपने मोहल्ले की सबसे बदनाम लड़कियों में से एक मानी जाने लगी और इसी वजह से आगे चलकर मेरी शादी में समस्याए हो रही थी।

फिर जब में 26 साल की हुई तब मेरी शादी के लिए एक रिश्ता आया.. उनका परिवार बहुत बड़ा था और उनके परिवार में उनकी माँ यानी मेरी सासू जी और 5 भाई थे और मेरे ससुर जी का बरसों पहले ही देहांत हो गया था। वो लोग काफ़ी आमिर थे.. लेकिन वो सभी लोग एक ही घर में रहते थे। वैसे उनका घर बहुत बड़ा था.. लेकिन उन सभी के एक ही घर में रहने से मुझे अच्छा नहीं लगता था.. लेकिन में इस रिश्ते से मना नहीं कर सकती थी क्योंकि मेरे मम्मी, पापा को यह रिश्ता बहुत ही पसंद था। तो उन पाँचो भाइयों में से मेरी शादी तीन नंबर वाले भाई से हुई थी और मेरे पति का नाम अशोक था। मेरे पति और उनके दोनों बड़े भाई एक साथ अपना फैमिली बिजनेस सम्भालते थे और दोनों छोटे भाईयों में से सबसे छोटा भाई अभी कॉलेज में था और उससे बड़े वाले ने अभी पढ़ाई पूरी की थी और वो अपना कोई दूसरा बिजनेस शुरू करना चाहता था।

फिर जब यह रिश्ता आया तो पहले तो में बहुत उदास थी.. लेकिन जब मैंने अपने पति को देखा तब में बहुत खुश हो गई.. क्योंकि वो दिखने में बहुत ही अच्छे थे और रिश्ता आने के एक महीने बाद ही बहुत धूमधाम से मेरी शादी हुई और में अपने ससुराल आ गई। फिर मैंने वहाँ पर आकर देखा तो मेरा ससुराल बहुत ही अच्छा था और वहाँ पर खूब सारे नौकर चाकर भी थे और ऐश आराम की हर चीज़ मौजूद थी और में वहाँ पर बहुत ही खुश थी.. लेकिन उस घर में मेरे और मेरी सास के अलावा दूसरी कोई औरत नहीं थी.. क्योंकि मेरे बड़े जेठ जी का एक साल पहले ही तलाक हो गया था और छोटे जेठ ने तो कह दिया था कि वो कभी भी शादी नहीं करेंगे और ऊपर से जितने भी नौकर थे.. वो भी सारे मर्द थे। सिर्फ़ एक कामवाली थी जो झाडू पोछा करती थी.. लेकिन वो भी हर शाम को अपना काम खत्म करके चली जाती थी। घर में कोई दूसरी औरत ना होने की वजह से मुझे शुरू में बहुत खाली खाली सा लगा.. लेकिन बाद में इसकी आदत पड़ गई और फिर एक रात जब सबका खाना हो चुका था तब सासू माँ ने मुझसे कहा कि बहू तेरे बड़े जेठ तो अब तक आए ही नहीं और मैंने उसके लिए खीर बनाई थी उसे यह बहुत पसंद है। तू एक काम करना जब वो आए तो उसे यह दे देना.. मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा है और अब में सोने जा रही हूँ। तो मैंने कहा कि ठीक है माँ जी आप थोड़ा आराम करिए में यह खीर जेठ जी को दे दूँगी और इतना कहकर में अपने कमरे में चली गई और में अपने धुले हुए कपड़ो को समेटकर अलमारी में रखने लगी और मेरे पति उस वक़्त टीवी देख रहे थे। तभी मैंने अपने कमरे की खिड़की से बाहर देखा तो मुझे बड़े जेठ जी की कार आती हुई दिखाई दी और फिर मैंने सोचा कि पहले में अपने कपड़े ठीक से रख दूँ.. फिर उसके बाद जेठ जी को खीर दे आऊँगी। फिर लगभग 20 मिनट के बाद में बड़े जेठ जी के लिए खीर ले गई.. उनके रूम का दरवाजा खुला हुआ था और में बिना दरवाजा बजाए ही कमरे में सीधी अंदर चली गई। तभी मैंने देखा कि जेठ जी बिस्तर पर सीधे लेटे हुए अपने लंड को सहला रहे थे और मुझे देखते ही उन्होंने घबराते हुए बेडशीट से खुद को ढक लिया। तो मैंने खीर का कटोरा टेबल पर रखते हुए उनसे पूछा कि यह आप क्या कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि बस में अपनी बीवी को याद कर रहा हूँ। तो मैंने कहा कि यह सब ठीक नहीं और कोई दूसरी क्यों नहीं ले आते? तभी उन्होंने झट से मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा कि क्यों तुम ही आ जाओ ना? इतना कहकर उन्होंने खींचकर मुझे अपने पास बैठा लिया और में बिल्कुल उनकी गोद में जा गिरी.. वैसे में चाहती तो उसी वक़्त उनको मना कर सकती थी क्योंकि हिम्मत की मेरे पास कोई कमी नहीं थी.. लेकिन स्वभाव से में थोड़ी बेशर्म सी थी और उनकी गोद में गिरी तो गिरी ही रह गई और फिर मेरी खामोशी को उन्होंने मेरी सहमति मान लिया और मेरे दोनों हाथों के बीच में हाथ डालते हुए मेरे बूब्स को दबाने लगे।

दोस्तों वैसे में तो हर वक़्त गरम ही रहती थी.. ऊपर से जेठ जी ने मुझे और भी गरम कर दिया था। में थोड़ी देर तक वैसे ही बैठे उनसे अपने बूब्स दबवाने का मज़ा लेती रही.. लेकिन तभी मुझे ख्याल आया कि मेरे पति मेरा इंतजार कर रहे होंगे और में ज़्यादा देर तक उनके पास नहीं गई तो उन्हे शक़ हो सकता हैं। फिर मैंने उनसे कहा कि जाने दीजिए ना नहीं तो उन्हे शक़ हो जाएगा। तो उन्होंने कहा कि नहीं तुम्हे अभी जाने दिया तो तुम वापस नहीं आओगी। तो मैंने कहा कि नहीं में जरुर आउंगी.. में आपसे वादा करती हूँ। जब रात को सब सो जाएँगे तब में ज़रूर आउंगी.. लेकिन प्लीज़ फिलहाल मुझे अभी जाने दो और फिर जेठ जी मेरी बात मान गए.. लेकिन उन्होंने मुझे छोड़ने से पहले थोड़ी देर मेरे बूब्स को अच्छी तरह से दबाया और मेरे होठों को अच्छी तरह से चूसा। उसके बाद ही उन्होंने मुझे जाने दिया। फिर में जेठ जी के रूम से निकलते वक़्त बहुत जोश में थी क्योंकि शादी के बाद से मुझे किसी दूसरे मर्द ने नहीं छुआ था और अलग अलग मर्दो से रिश्ता रखना मेरी पुरानी आदत थी और जेठ जी की वजह से अब में अपनी पुरानी ज़िंदगी फिर से जी सकूँगी.. यही सोच सोचकर में अंदर ही अंदर बहुत खुश थी और जब में अपने रूम में पहुंची तो मेरे पति ने मुझे पकड़कर अच्छी तरह से मेरी चुदाई की।

फिर उस रात की चुदाई से में इतनी थक गई कि में रात को जेठ जी के कमरे में जा ही नहीं पाई। कुछ दिन इसी तरह बीत गए और मुझे मौका ही नहीं मिला कि में जेठ जी से अकेले में मिल सकूँ। फिर एक दिन दोपहर को घर का हर कोई सदस्य अपने अपने काम से बाहर था और सासू जी भी मंदिर गई हुई थी और में उस वक़्त कमरे में अकेली थी.. में नहाकर अपने बाल हेयर ड्रायर से सुखा रही थी और उस वक़्त मैंने अपने पूरे बदन पर सिर्फ़ एक टावल बांध रखा था। तभी अचानक से किसी ने मुझे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया और जब मैंने घबराकर पीछे मुड़कर देखा तो वो और कोई नहीं बल्कि बड़े जेठ जी थे और उन्होंने मुझे बाहों में भरते हुए कहा कि क्यों उस रात वादा करके भी नहीं आई ना? तो मैंने कहा कि में आना तो चाहती थी.. लेकिन उन्होंने मुझे मौका ही नहीं दिया। तो जेठ जी ने मेरे गालों को सहलाते हुए कहा कि क्यों अब तो कोई प्राब्लम नहीं हैं ना? तो मैंने मुस्कुराते हुए कहा कि हाँ आज कोई भी प्राब्लम नहीं हैं और मेरे इतना कहते ही जेठ जी ने मेरा टावल पकड़ा और एक ही झटके से उसे खोल दिया और अब में एक ही झटके में पूरी तरह नंगी हो गई और मुझे अचानक से बहुत शरम आ गई। तो मैंने एक हाथ से अपनी चूत को और दूसरे हाथ से अपने बूब्स को ढक लिया.. तो जेठ जी ने मेरे दोनों हाथों को हटाते हुए कहा कि मुझसे शरमाओ मत जानू.. आज से तुम मुझे भी अपना पति ही समझो। तो मैंने कहा कि वो तो मैंने उसी रात को समझ लिया था.. लेकिन आज पहली बार है.. इसलिए मुझे आपसे इतनी शरम आ रही हैं। फिर जेठ जी ने मेरे गालों को चूमते हुए कहा कि अब शरमाना बंद करो और मेरी प्यास बुझाओ और इतना कहकर जेठ जी ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया। फिर उन्होंने अपना एक हाथ मेरे बूब्स पर रख दिया और दूसरे हाथ से मेरी चूत को सहलाने लगे और उनके इतना करते ही मेरे अंदर की हवस फिर जाग गई। में भी उनका सर पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ने लगी। तो जेठ जी ने थोड़ी देर मेरी चूत को चाटने के बाद अपनी पेंट और शर्ट उतार दी और अब वो भी मेरे सामने पूरी तरह नंगे खडे थे और उन्होंने अपना लंड मेरे मुहं के पास लाते हुए कहा कि इसे किसी औरत से चुसवाने का सपना आज तक अधूरा हैं.. तुम आज मेरे इस सपने को पूरा कर दो ना मेरी रानी।

फिर मैंने एक हाथ से उनका लंड पकड़ते हुए कहा कि इसका मतलब जेठानी जी ने कभी इसे मुहं में.. तभी मेरी बात को बीच में ही काटकर उन्होंने कहा कि नहीं लिया.. कभी नहीं लिया। इसी बात पर तो हमारे झगड़े होते थे और हमारे झगड़े बड़ते बड़ते बात तलाक तक पहुंच गई। तो उनका उदास चेहरा देखकर मुझे उन पर बहुत दया आई और मैंने कहा कि जेठ जी आप फ़िक्र मत कीजिए.. में आपके सारे सपने पूरे कर दूँगी और इतना कहकर मैंने उनका लंड अपने मुहं में ले लिया.. उनका लंड मेरे पति के जितना ही बड़ा था और वैसे भी मुझे लंड चूसने की आदत बहुत पहले से ही थी। में उनके लंड को मज़े से चूसने लगी। जेठ जी भी मेरे सर के बालों को पकड़कर मेरे मुहं के अंदर अपना लंड ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगे। तभी थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना सारा वीर्य मेरे मुहं के अंदर ही खाली कर दिया और मेरा पूरा मुहं उनके वीर्य से भर चुका था। वो धम्म से बिस्तर पर गिर गये और में बाथरूम जाकर अच्छी तरह कुल्ला करके वापस आ गई और जब में वापस आई तो मैंने देखा कि वो उसी तरह पड़े हुए थे और मुझे देखकर कहने लगे.. ओह शिखा आज तुमने मेरा बरसों पुराना ख्वाब पूरा कर दिया। फिर मैंने उनके पास में लेटते हुए कहा कि मैंने तो आपका ख्वाब पूरा कर दिया.. लेकिन अब जो आग आपने मेरे अंदर लगाई है उसे तो बुझाईए और इतना कहकर में जेठ जी के लंड को सहलाने लगी और उनके होंठो को चूसने लगी.. वो भी मेरे होंठो को चूसते हुए मेरे बूब्स को दबाने लगे।

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